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300+ Hindi Essay And Speech Topics For School and College Students

Tomy Jackson

अगर आप एक विद्यार्थी हैं या किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आपके लिए यह आर्टिकल महत्वपूर्ण साबित होगा । इस आर्टिकल में मैं आपको कुल 300+ Hindi Essay and speech topics की जानकारी दूंगा । सबसे पहले आपको 150 हिंदी निबंध के विषय और फिर 150 हिंदी भाषण के विषय दिया जायेगा ।

जब बात भाषण बोलने या निबंध लिखने की आती है तो कई छात्रों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । यह एक आम समस्या है जिसे लगभग हर छात्र सामना करता है चाहे वह स्कूल का छात्र या हो कॉलेज का । इसलिए मैंने आपके लिए कुल 300 Hindi Essay and speech topics तैयार किया है । आप इनमें से किसी भी विषय पर भाषण या निबंध तैयार कर सकते हैं ।

अगर आप निम्नलिखित Keywords इंटरनेट पर खोज रहे हैं तो आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं है । आपको इसी आर्टिकल में सबकुछ आसानी से मिल जायेगा:

  • Current Essay Topics in Hindi 2021-2022
  • Hindi Speech Topics for Class 10
  • Hindi Essay Topics for Class 12
  • Hindi Essay Topics for Class 5

150+ Hindi Essay Topics

सबसे पहले मैं आपको 105+ Essay Topics दूंगा जिन्हें आप तैयार कर सकते हैं । मैंने उन्हीं विषयों को जोड़ा है जो अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं । इस सूची के बाद मैं आपको बढ़िया निबंध लिखने के लिए कुछ Tips भी दूंगा ।

मैंने नीचे जितने भी निबंधों के विषय को सूचीबद्ध किया है, वे सभी महत्वपूर्ण हैं और बड़ी बड़ी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं ।

क्रम संख्या Essay Topics
1. शिक्षा में टेक्नोलॉजी का महत्व
2. शिक्षा का महत्व
3. भूमंडलीकरण का शिक्षा पर प्रभाव
4. सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव
5. इंटरनेट के फायदे और नुकसान
6. राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान
7. बस्ते का बढ़ता बोझ
8. कृत्रिम बुद्धिमता
9. हमारे दैनिक जीवन में गणित का महत्व
10. नारीवाद
11. शहरीकरण
12. राष्ट्रवाद और धर्म
13. भारत की अर्थव्यवस्था
14. भारत की विदेश नीति
15. भारत में बेरोजगारी
16. त्योहारों का महत्व
17. विवेकानंद
18. भारत की भूराजनीति
19. मानव कल्याण पर डिजिटल क्रांति का प्रभाव
20. भारत का अनुच्छेद 370
21. नई शिक्षा नीति 2022
22. समान नागरिक संहिता
23. नागरिकता संशोधन अधिनियम
24. नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर
25. कृषि विधेयक 2020 – किसानों पर प्रभाव
26. आत्मनिर्भर भारत
27. भारत और रूस के पारस्परिक संबंध
28. भारतीय अर्थव्यवस्था पर COVID-19 का प्रभाव
29. भारत में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र
30. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय
31. स्मार्ट सिटी के मायने
32. मेक इन इंडिया – शब्दजाल या वास्तविक पहल ?
33. नमामि गंगे – संभावित चुनौतियां
34. भारत में उपभोक्तावाद
35. महिला सशक्तिकरण
36. ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है
37. जल का महत्व
38. साइबर अपराध
39. पर्यटन
40. विमुद्रीकरण – भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव
41. भारतीय शिक्षा व्यवस्था
42. अखबार का महत्व
43. करनी कथनी पर भारी होती है
44. पूंजीवाद और समाजवाद
45. भारतीय लोकतंत्र
46. महात्मा गांधी
47. भारत का उच्चतम न्यायालय
48. भारत में न्याय व्यवस्था
49. लोकतंत्र के चार स्तंभ
50. कश्मीर
51. एक राष्ट्र एक संविधान
52. एक राष्ट्र एक चुनाव
53. भारत में चुनाव व्यवस्था
54. भ्रष्टाचार
55. साहित्य
56. विवेकानंद
57. हिंदू धर्म
58. भारतीय लोक नृत्य
59. अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियां
60. ब्रह्मोस
61. भारत पाकिस्तान संबध
62. आजादी का अमृत महोत्सव
63. एपीजे अब्दुल कलाम
64. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
65. रानी लक्ष्मीबाई
66. भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था
67. दिल्ली प्रदूषण – कैसे और क्यों
68. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का महत्व
69. स्किल इंडिया मिशन
70. भारत के त्यौहार
71. नैतिक मूल्यों का ह्रास
72. भगत सिंह
73. क्रिप्टोकरेंसी
74. मोटापा
75. बारिश के पानी का संग्रहण
76. भारत में भुखमरी
77. जन धन योजना
78. भारत बनाने में विज्ञान की भूमिका
79. निजीकरण का प्रभाव
80. दहेज प्रथा
81. लोकतंत्र बनाम तानाशाही
82. देश में न्यायपालिका की भूमिका
83. भारत में किसान आत्महत्या
84. बाल श्रम
85. वित्तीय साक्षरता
86. बाल विवाह
87. समय ही धन है
88. सौर ऊर्जा
89. तनाव प्रबंधन
90. घरेलू हिंसा
91. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
92. भारतीय जनता पार्टी
93. भारत में जनसंख्या
94. भारत में मृत्यु दर
95. भारत में आरक्षण
96. कारगिल युद्ध
97. सिनेमा: सॉफ्ट पावर
98. अंधविश्वास
99. लैंगिक भेदभाव
100. रस और यूक्रेन युद्ध
101. हिंदी भाषा का महत्व
102. अंग्रेजी भाषा का महत्व
103. इलेक्ट्रिक वाहन: परिवहन का भविष्य
104. सतत विकास
105. उत्तर प्रदेश
106. भारतीय रेल
107. उदारीकरण
108. भूमंडलीकरण
109. यात्रा के महत्व
110. बाल श्रम
111. विश्वभाषा बनने में हिंदी के समक्ष चुनौतियां
112. विश्व की भाषाओं के बीच हिंदी
113. रामधारी सिंह दिनकर: एक राष्ट्रीय कवि
114. महिला अधिकार
115. शिक्षा में टेक्नोलॉजी का विस्तार
116. स्कूली शिक्षा का महत्व
117. मेरे प्रिय शिक्षक/शिक्षिका
118. समय प्रबंधन
119. श्रवण कौशल का महत्व
120. भारत में कौशल विकास
121. भारतीय शिक्षा और पाश्चात्य शिक्षा
122. संगीत के लाभ
123. भारतीय धर्म और संस्कृति
124. मेरे प्रिय राजनेता
125. मेरी प्रिय अभिनेत्री
126. ग्रामीण जीवन और शहरी जीवन में अंतर
127. प्रेमचंद के उपन्यासों का वैशिष्ट्य
128. सामाजिक विकास में साहित्य का योगदान
129. आत्मविश्वास का महत्व
130. मृदा संरक्षण
131. शिक्षा का मूल उद्देश्य
132. भारत की सामाजिक समस्याएं
133. चिड़ियाघर: जानवरों के साथ न्याय या अन्याय
134. स्वास्थ्य ही धन है
135. फिट इंडिया अभियान
136. जनसंख्या नियंत्रण क्यों आवश्यक है
137. भारत में ड्रोन टेक्नोलॉजी का विकास
138. भारत और अमेरिका के संबंध
139. कबीरदास की प्रासंगिकता
140. पंडित जवाहरलाल नेहरू
141. ग्राम पंचायतों का महत्व
142. ओलंपिक खेल
143. कारगिल युद्ध
144. स्कूलों में छात्राओं के लिए आत्मरक्षा की शिक्षा
145. बलात्कार: कारण और रोकथाम
146. वैश्विक शांति के लिए पहल
147. भूमंडलीकरण के नुकसान
148. वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता
149. वैश्विक राजनीति का आमजन पर प्रभाव
150. प्रवासी भारतीय
151 संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रासंगिकता

ऊपर दिए गए सभी 150+ Hindi Essay Topics या तो SSC, UPSC , 12th, 10th, 5th की परीक्षाओं में पूछे गए हैं या पूछे जाने की संभावना है । मैंने ऊपर दिए सभी Hindi Essay Topics for students को प्रश्नपत्रों और मॉडल पेपर से उठाया है ताकि आप सही विषयों पर तैयारी करके अच्छे अंक प्राप्त कर सकें ।

Hindi Essay Topics पर लिखते समय सावधानियां

  • अनावश्यक बातें न लिखें ।
  • अपने तर्क को सही साबित करने के लिए साक्ष्यों की जानकारी दें ।
  • कोशिश करें कि आप किसी भी बात को बार बार न दोहराएं ।
  • व्याकरण संबंधित अशुद्धियों से बचने की पूरी कोशिश करें ।
  • वाक्यांश क्रियाओं और मुहावरों का उपयोग उचित स्थान पर करें ।
  • ज्यादा कठिन शब्दावलियों का इस्तेमाल न करें ।
  • पहले से तय शब्द सीमा को ध्यान में रखें ।

150+ Hindi Speech Topics

मैंने ऊपर आपको 150+ Hindi Essay Topics की जानकारी दी है । आप उन विषयों पर निबंध लिखते समय जरूरी सावधानियां बरतते हुए पूरे अंक प्राप्त कर सकते हैं । अब बारी है 150+ Hindi Speech Topics यानि हिंदी भाषण विषयों की । आप इन विषयों पर भाषण की तैयारी कर सकते हैं ।

मैंने इस लिस्ट के बाद भाषण की सही ढंग से प्रस्तुति के लिए कुछ जरूरी tips भी दिया है । आप उन Tips को फॉलो करके एक उत्कृष्ट भाषण दे सकते हैं ।

क्रमांक संख्या Hindi Speech Topics
1. परीक्षा का डर कैसे दूर करें
2. स्वामी विवेकानंद जी
3. एपीजे अब्दुल कलाम
4. शहीद भगत सिंह
5. वैश्विक तापमान या ग्लोबल वार्मिंग
6. भारतीय शिक्षा व्यवस्था
7. वायु प्रदूषण
8. जल प्रदूषण
9. मृदा प्रदूषण
10. ध्वनि प्रदूषण
11. मृदा संरक्षण
12. भारतीय न्यायिक व्यवस्था
13. पर्यावरण बचाओ
14. स्वच्छता अभियान
15. कृषि
16. भारतीय साहित्य
17. पंडित महामना मदन मोहन मालवीय
18. भारतीय सेना
19. ब्रह्मोस मिसाइल
20. इसरो
21. योग
22. समय का महत्व
23. श्रवण कौशल
24. इंटरनेट का महत्व
25. साहित्य का महत्व
26. राजभाषा हिंदी
27. अंग्रेजी भाषा का महत्व
28. सहशिक्षा
29. समय का महत्व
30. नारी शिक्षा
31. भारतीय संस्कृति और सभ्यता
32. भारतीय भाषाएं
33. भारत
34. श्रीमद् भगवद्गीता
35. शारीरिक स्वास्थ्य
36. मानसिक स्वास्थ्य
37. मोटापा
38. एक देश एक चुनाव
39. नई शिक्षा नीति
40. रूस यूक्रेन विवाद
41. कश्मीर
42. अनुच्छेद 370
43. भारतीय संविधान
44. पूंजीवाद
45. समाजवाद
46. मार्क्सवाद
47. कोरोनावायरस महामारी
48. महंगाई
49. बेरोजगारी
50. यात्राओं का महत्व
51. वैदिक गणित
52. कड़ी मेहनत और सफलता
53. वनों का महत्व
54. भारत और पश्चिमी देश
55. भारत और पाकिस्तान के संबध
56. कारगिल युद्ध
57. छत्रपति शिवाजी महाराज
58. समय प्रबंधन
59. शिक्षक
60. विद्यालय
61. आत्मनिर्भर भारत
62. भारतीय राजनीति
63. पत्रकारिता का महत्व
64. फिल्में: भारतीय समाज का आइना
65. किताबों का महत्व
66. वनों की कटाई
67. प्राकृतिक आपदाएं और आर्थिक विकास पर उनका प्रभाव
68. भारतीय अर्थव्यवस्था
69. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
70. भारत में बैंकिंग क्षेत्र
71. भूमंडलीकरण का शिक्षा पर प्रभाव
72. उदारीकरण
73. धर्म और जाति
74. विश्व पर्यावरण दिवस
75. आतंकवाद
76. अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस
77. बाल विवाह
78. सड़क सुरक्षा
79. मौलिक अधिकार
80. भारत में चुनाव
81. विश्व कैंसर दिवस
82. रंगभेद
83. उपभोक्ता अधिकार
84. जलियांवाला बाग हत्याकांड
85. सरदार उधम सिंह
86. भारतीय विदेश नीति
87. नागरिकता
88. प्रेस की स्वतंत्रता
89. भारतीय राज्य
90. भारत के पड़ोसी देश
91. नेल्सन मंडेला
92. हरित क्रांति
93. श्वेत क्रांति
94. चिपको आन्दोलन
95. आत्मनिर्भर भारत
96. भारतीय संविधान
97. पत्रकारिता
98. निजीकरण: सही या गलत
99. उत्तर प्रदेश
100. महाराष्ट्र
101. जनसंख्या विस्फोट
102. भारत में जातिवाद
103. अवसाद
104. बाजारीकरण
105. सविनय अवज्ञा
106. गर्भपात
107. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
108. भारत में आर्थिक सुधार
109. यौन शिक्षा
110. अर्थशास्त्र और संस्कृति
111. भारत में राजनीतिक दल
112. बाल दिवस
113. बाल विवाह
114. कबीरदास जी
115. जल संरक्षण
116. भारत में औधोगिक क्रांति
117. कौशल विकास
118. हिंदी भाषा के समक्ष चुनौतियां
119. भारत के राष्ट्रीय कवि
120. कंप्यूटर शिक्षा का महत्व
121. स्वतंत्रता संग्राम में कवियों/लेखकों का योगदान
122. सड़क सुरक्षा का महत्व
123. भारतीय संगीत
124. भारतीय दर्शन और पाश्चात्य दर्शन
125. भारतीय वैज्ञानिक
126. भारतीय राजनीतिक पार्टियों का उदय और पतन
127. डिजिटलीकरण और निजता
128. किताबें फिल्मों से बेहतर कैसे ?
129. शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा कहां तक जायज ?
130. प्राकृतिक आपदाएं और आर्थिक विकास पर उनका प्रभाव
131. वन्यजीव संरक्षण
132. मानव अधिकार दिवस
133. माखनलाल चतुर्वेदी
134. मेरे सपनों का देश भारत
135. सह-शिक्षा के लाभ
136. भारतीय छात्र अवसादग्रस्त क्यों
137. भारत में स्त्री विमर्श की आवश्यकता क्यों
138. ईश्वर चंद विद्यासागर
139. भारत में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर)
140. अंतरिक्ष में भारत की तकनीकी उपलब्धि
141. भारत में लैंगिक असमानता
142. बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य क्यों ?
143. आयुष्मान भारत मिशन
144. नीति आयोग (योजना आयोग)
145. भारत में मुफ्त वितरण की राजनीति
146. नशीली दवाओं के उन्मूलन में छात्रों की भूमिका
147. भारत में खाद्य सुरक्षा
148. भारत में दलित राजनीति
149. दलित विमर्श देश की अखंडता और एकता में कहां तक सहायक
150. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
151. वैश्विक पटल पर भारत की बढ़ती शक्ति
152. वैश्वीकरण बनाम राष्ट्रवाद

चाहे आप स्कूल के छात्र हों या कॉलेज के या आप किसी भाषण प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं तो आप इन विषयों में से किसी एक पर तैयारी कर सकते हैं ।

Hindi Speech Topics पर बोलते समय सावधानियां

अगर आप Hindi Speech Topics में से किसी एक को चुनकर, उसपर भाषण देना चाहते हैं तो नीचे दिए tips आपकी मदद करेंगे । आप सभी टिप्स को follow करके एक बेहतरीन भाषण देकर लोगों की तालियां बटोर सकते हैं ।

  • अनावश्यक बातें न बोलें ।
  • भाषण देते समय समसामयिक उदाहरणों का जिक्र करें ।
  • भाषण की पंक्तियों के अनुरूप ही अपना tone को रखें ।
  • शीशे के सामने खड़े होकर बार बार भाषण देने की प्रैक्टिस करें ।
  • पहले से तय शब्द सीमा और समय को ध्यान में रखें ।

Hindi Essay & Speech Topics – Conclusion

Hindi Essay Topics और Speech Topics के इस आर्टिकल में आपने सबसे बेहतरीन हिन्दी निबंध और भाषण के विषयों के बारे में जाना । आप इन विषयों पर निबंध लिख सकते हैं या भाषण दे सकते हैं । आप चाहे कक्षा 5 में हो, 10th में हो या 12th में आप सभी के लिए मैंने महत्वपूर्ण विषयों को आर्टिकल में जोड़ा है । कॉलेज छात्रों के लिए भी कुछ विषयों को जोड़ा गया है ।

  • Deemed University Meaning in Hindi
  • Appearing Student Meaning in Hindi
  • Reporting Time Meaning in Hindi
  • Literature Review कैसे लिखें ?
  • Project File कैसे बनाएं ?
  • What is feedback in Hindi
  • Listening Skills in Hindi
  • Spam Report Meaning in Hindi
  • Autonomous College और Non Autonomous College में अंतर
  • What is aided college in Hindi
  • What is counselling in Hindi

अगर आपके मन में इस विषय से संबंधित अन्य प्रश्न हैं तो आप नीचे कमेंट करके जरूर पूछें । आपको आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ।

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I have always had a passion for writing and hence I ventured into blogging. In addition to writing, I enjoy reading and watching movies. I am inactive on social media so if you like the content then share it as much as possible .

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Best Speech Topics for Students in Hindi | भाषण के लिए सबसे अच्छे टॉपिक

unique speech topics hindi

स्कूल असेंबली के टॉप यूनिक स्पीच टॉपिक | Speech Topics for Students in Hindi

Unique Speech Topics Hindi: नमस्कार छात्रों, क्या आप सुबह की सभाओं के लिए कुछ आकर्षक, ताज़ा और नए भाषण विषयों (Speech topics in Hindi) की तलाश कर रहे हैं। चिंता न करें हमने आपके लिए कुछ नए भाषण विषय (Best Speech Topics) एकत्र किए हैं। आप स्कूल की सुबह की असेंबली (morning Assembly) के लिए कोई भी भाषण विषय चुन सकते हैं।

नए भाषण विषयों के इन संग्रह में नैतिक मूल्य, सामाजिक विषय, पर्यावरण विषय, प्रेरक विषय और छात्रों के लिए प्रेरणादायक भाषण विषय शामिल हैं। इसलिए जब भी आपको पता न हो कि आपको किस विषय पर भाषण देना है तो आप अपने लिए सबसे अच्छा भाषण विषय चुन सकते हैं।

आजकल व्यक्ति की क्षमताओं और विचारों को व्यक्त करने की कला बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। एक अच्छा भाषण या उपन्यास लोगों को प्रेरित कर सकता है, समझा सकता है और उन्हें जागरूक कर सकता है। यहाँ मैं कुछ विभिन्न विषयों के तहत 100 भाषण विषयों का सुझाव दे रहे हैं।

best  topics  for speech in hindi 

स्पीच Topic डिस्क्रिप्शन
स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा Freedom Fighters
पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता Need for Environmental Conservation
युवा पीढ़ी और शिक्षा का महत्व Importance of Youth and Education
भारतीय संस्कृति के महत्व Importance of Indian Culture
स्वच्छता की महत्वता Significance of Cleanliness
आत्मनिर्भर भारत की दिशा Direction of Self-Reliant India
स्वास्थ्य और स्वास्थ्य जीवन का महत्व Importance of Health and Healthy Life
महिला शिक्षा और उसका महत्व Importance of Women’s Education
बेरोजगारी और उसके समाधान Unemployment and Its Solutions
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास का महत्व Importance of Science and Technology Development
समाज में भूमिका और जिम्मेदारी Role and Responsibility in Society
गाँवों की विकास की दिशा Direction of Village Development
समाज में नारी की स्थिति Status of Women in Society
नागरिकता और नागरिक का कर्तव्य Citizenship and Civic Duty
खेल का महत्व और उसके लाभ Importance of Sports and Its Benefits
समृद्धि की दिशा में उद्यमिता का महत्व Importance of Entrepreneurship for Prosperity
यातायात की समस्याएं और समाधान Issues and Solutions in Transportation
आतंकवाद का खतरा और उसके निवारण के उपाय Threat of Terrorism and Its Prevention
समाज में अपराध और उसका नियंत्रण Crime in Society and Its Control
न्यायिक प्रणाली और उसके सुधार Judicial System and Its Reforms
स्वदेशी उत्पादों का प्रचार-प्रसार Promotion and Broadcasting of Indigenous Products
भारतीय राजनीति और राष्ट्रीय चुनाव Indian Politics and National Elections
नशा मुक्ति का महत्व और उपाय Importance of De-addiction and Solutions
भ्रष्टाचार का खतरा और निवारण Threat of Corruption and Its Prevention
समाज में विविधता की महत्वता Importance of Diversity in Society
धर्म और सामाजिक समानता Religion and Social Equality
संगठन की महत्वता और उपाय Importance of Organization and Solutions
नौकरी और रोजगार के संकट Crisis of Jobs and Employment
गरीबी की समस्या और निवारण Problem of Poverty and Its Solution
विद्यार्थी और छात्र जीवन का आनंद Enjoyment in Student and Scholar Life
स्वच्छ भारत अभियान और उसके प्रभाव Swachh Bharat Abhiyan and Its Impact
भारतीय समाज में युवा शक्ति Youth Power in Indian Society
वाणिज्य और व्यापार का महत्व Importance of Commerce and Business
आत्मनिर्भर गाँव और उसका विकास Self-Reliant Village and Its Development
भारतीय राज्य और नगर निकाय Indian States and Municipal Bodies
खाद्य सुरक्षा और उसका व्यवस्थित कार्य Food Security and Its Organized Implementation
भारतीय संस्कृति में विविधता का महत्व Importance of Diversity in Indian Culture
समाज में वृद्धावस्था की समस्याएं Problems of Elderly in Society
स्वस्थ भारत अभियान और उसके उपाय Swasth Bharat Abhiyan and Its Measures
भारतीय कला और संस्कृति की शान Glory of Indian Art and Culture
स्वतंत्रता दिवस पर भाषण Speech on Independence Day
योग और ध्यान का महत्व Importance of Yoga and Meditation
वन महोत्सव और वन संरक्षण Forest Festival and Conservation
महात्मा गांधी और उनके विचार Mahatma Gandhi and His Ideals
जवाहरलाल नेहरू और उनके विचार Jawaharlal Nehru and His Thoughts
स्वामी विवेकानंद के विचार Ideals of Swami Vivekananda
अनुशासन का महत्व और उसके गुण Importance of Discipline and Its Qualities
शिक्षा के महत्व और उसके फायदे Importance of Education and Its Benefits
राजा शिवाजी और उनकी वीरता King Shivaji and His Courage
माँ दुर्गा के बारे में जानकारी Information about Goddess Durga

नीचे कुछ और विषयों का सुझाव है: More Speech Ideas

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स्पीच Topic डिस्क्रिप्शन
भारतीय समाज में नारी का स्थान Status of Women in Indian Society
बच्चों के शिक्षा के लिए इनोवेटिव उपाय Innovative Approaches to Children’s Education
नगरीय विकास और बेहतर शहरी जीवन Urban Development and Better City Life
भारतीय समाज में वृद्धाश्रम की चुनौतियां Challenges of Old Age Homes in Indian Society
समाज में संघर्ष और सामंजस्य की भूमिका Role of Conflict and Harmony in Society
नागरिक समाज और जनहित की आवश्यकता Civil Society and the Need for Public Welfare
स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी Public-Private Partnership in Healthcare
बिजली और ऊर्जा संरक्षण की महत्वता Importance of Electricity and Energy Conservation
भारतीय नारी के योगदान का महत्व Significance of the Contribution of Indian Women
खेलकूद में भारत की प्रगति और संभावनाएं Progress and Opportunities in Sports in India
व्यापारिक संगठनों के रोल और महत्व Role and Significance of Business Organizations
गरीबी का अंत करने के लिए सामाजिक योजनाएं Social Schemes to End Poverty
राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा की चुनौतियां Challenges in National Security and Defense
भारतीय किसानों की समस्याएं और समाधान Issues and Solutions of Indian Farmers
सामाजिक न्याय और इंसाफ की आवश्यकता Social Justice and the Need for Fairness
भारतीय शैक्षिक नीतियों की परीक्षा और सुधार Evaluation and Reforms of Indian Educational Policies
साइबर सुरक्षा और इंटरनेट की सुरक्षा Cybersecurity and Internet Safety
भारतीय संविधान की महत्वता और महत्व Importance and Significance of the Indian Constitution
नई भारत में नए युग की दिशा New Directions in the New India
भारतीय राष्ट्रीयता का महत्व और सामर्थ्य Importance and Strength of Indian Nationalism
समाज में धर्म और धार्मिकता का अवलोकन Overview of Religion and Spirituality in Society
भारतीय सांस्कृतिक विरासत और उसका महत्व Importance of Indian Cultural Heritage
स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं की यादें Remembering the Leaders of the Independence Movement
अनुशासन में शिक्षकों की भूमिका Role of Teachers in Discipline
राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की चुनौतियां Challenges of Political and Social Change
गरीबी के खिलाफ लड़ाई और उसके उपाय Fight Against Poverty and Its Solutions
आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व Importance of Modern Science and Technology
स्वदेशी उत्पादों का बढ़ता चलन Growing Trend of Indigenous Products
युवा पीढ़ी के संघर्ष और संघर्षों के निराकरण Struggles of the Youth and Overcoming Challenges
समाज में सामाजिक और आर्थिक समानता की जरूरत The Need for Social and Economic Equality

ये विषय आपको अपने भाषण में उपयोग के लिए मिल सकते हैं और आपको अपने दर्शकों को जागरूक करने में मदद कर सकते हैं। याद रखें कि आपके भाषण में आपके विचारों को स्पष्टता से प्रस्तुत करना बहुत महत्वपूर्ण है।

आप इन स्पीच टॉपिक्स को अपने भाषण में इस्तेमाल कर सकते हैं. ज़्यादातर विद्यार्थियों को स्पीच टॉपिक्स मॉर्निंग असेंबली के समय के लिए चाहिए होता है. एक अच्छा स्पीच टॉपिक आपके भाषण को चार चाँद लगा सकता है. तो देर किस बात की है कोई एक विषय अपने भाषण के लिए चुने और छा जाएं. धन्यवाद

नोट : अगर आपके पास भी कोई अच्छा और प्रभावशाली स्पीच टॉपिक हो तो हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखें. जय हिन्द जय भारत 

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भाषण एक ऐसी कला है जो आप में साहस का संचार करती है, जिससे आप में आत्मविश्वास जागता है। आत्मविश्वास से भरे होने पर आप समाज के सामने अपना पक्ष आसानी से रख सकते हैं। आपको पता होता है कि कैसे आप अपनी बात से लोगों में साकारत्मक ऊर्जा का संचार करके एक लक्ष्य के प्रति संघर्ष करने को प्रेरित कर सकते हैं। इस ब्लॉग में Current Topics for Speech के बारे में विस्तार से बताया गया है।

भाषण के माध्यम से आप लोगों को अपने शब्दों द्वारा मार्गदर्शित कर सकते हैं, जिससे आप परिवर्तन की परिभाषा बनकर उभर सकते हैं। भाषण की कला आपके विचारों का विस्तार कर आपको एक दूरगामी और व्यापक सोच वाला मानव बनाती है। Current Topics for Speech के लिए प्रासंगिक कुछ मजेदार टॉपिक्स है जो आपको एक अच्छा वक्ता बनने में आपकी सहायता करेंगे।

“शब्दों के आगे असंख्य जुल्मी सिंहासन हार गए कायरता को त्याग, वीर अपनी सीमाएं लाँघ गए जब मौन हुई मन की पीड़ा, गर्व हुआ तभी बेबाकी पर  परिवर्तन का बीज उगा, तब आशाओं की माटी पर…”  -मयंक विश्नोई

भाषण के कई तरीके होते हैं जो कई प्रकार से भाषण की कला को प्रदर्शित कर सकते हैं, जिसमें आपको कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है। भाषण का अपना एक उद्देश्य होना चाहिए क्योंकि बिना उद्देश्य के आप भीड़ में अपना पक्ष नहीं रख सकते हैं। भाषण जितना साकारात्मक परिवर्तन और गंभीरता से बोला जायेगा, उतने ही अधिक लोग आपका भाषण सुनने के बाद आपसे जुड़ेंगे।

भाषणों की अपनी एक भाषाशैली होती है जो समय, स्तिथि और उद्देश्य के आधार पर निर्धारित की जाती है, जैसे कि कई विषय ऐसे होते हैं जिनमें आपको शालीनता से अपने उद्देश्य को रखना होता है। ठीक उसी प्रकार कई विषयों या मुद्दों पर आपके भाषण से आक्रामकता झलकनी चाहिए, जिससे लोग प्रेरणा ले सकें जैसे कि स्वतंत्रता आंदोलन में बोले जाने वाले भाषण आदि।

भाषणों के लिए कुछ इंट्रस्टिंग टॉपिक:

एक अच्छे वक्ता की यही पहचान है कि वह भाषणों के लिए विषयों या मुद्दों का गहन अध्ययन करता है तांकि वह अपना पक्ष मजबूती से रख पाए। निम्नलिखित विषयों के माध्यम से आप जान पाओगे कि भाषण देने के लिए वह कौन से मुख्य विषय हैं जो आजकल भी प्रासंगिक लगते हैं। Current Topics for Speech की लिस्ट नीचे दी गई है-

योग: मानव कल्याण की शाश्वत यात्रा

योग एक ऐसी साधना है जिसकी शक्तियों और जिससे मिलने वाले लाभों से आज पूरा विश्व परिचित है। इसी योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महापर्व बनाने के लिए भारत सरकार (तत्कालीन मोदी सरकार) ने पूरे विश्व को संगठित किया और अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में विश्व को शारीरिक और मानसिक विकास का मूल मंत्र दिया। यह एक ऐसा विषय है जिस पर आप भाषण दें सकते हैं।

ग्लोबल वार्मिंग: भविष्य के लिए भयानक त्रासदी 

आधुनिकता के इस युग में हम सभी कहीं न कहीं प्रकृति को हानि पहुंचाते हैं, इसी का परिणाम है कि ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। यदि समय रहते इसके प्रति समाज को जागरूक न किया जाए तो  यह भविष्य में एक ऐसी भयानक त्रासदी बनकर उभरेगी, कि संपूर्ण मानवता का अंत कर देगी। इसीलिए आप इस विषय पर भी पूरी प्रखरता से बोल सकते हैं।

राष्ट्रवाद के पथ पर अग्रसर भारतवर्ष

राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है जो किसी पर थोपी नहीं जाती, यह तो अंतर्मन से निकल कर आती है। जिस प्रकार कोई भी व्यक्ति अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण, सम्मान और सेवा का भाव रखे बिना अपनी जड़ों से नहीं जुड़ सकता है। ठीक उसी प्रकार राष्ट्र प्रेम के बिना आप सफलता नहीं पा सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण: हर मानव की जिम्मेदारी

पर्यावरण संरक्षण एक ऐसा विषय है जो कि सदावहार है। आज के समय में पर्यावरण को स्वच्छ रखना जैसे कि एक बड़ी चुनौती सा बन गया है। इसके लिए कई प्रकार की सरकारी योजनाओं को भी चलाया जाता है पर इसका उतना लाभ देखने को नहीं मिल रहा है। जिसके लिए आप इस विषय पर भाषण देकर एक जनआंदोलन को खड़ा कर सकते हैं।

परीक्षा: जीवन भर की अनोखी गाथा

परीक्षा एक ऐसा विषय है जो अनंत है क्योंकि व्यक्ति जब से पैदा होता है तब से लेकर अपनी मृत्यु तक असंख्य परीक्षाएं देता है। जिसमें कई बार व्यक्ति उत्तीर्ण होता है तो कई बार उसे अनुत्तीर्ण होना पड़ता है। कई बार इंसान कर्मों को त्याग कर परिणामों के बारें में सोचकर निराश होने लगता है, जिसके लिए आप अपने शब्दों से लोगो को प्रेरित कर सकते हैं।

छात्र शक्ति-राष्ट्र शक्ति भारत का संकल्प

किसी भी राष्ट्र की प्रथम शक्ति उस राष्ट्र का युवा, उस राष्ट्र के छात्र होते है। आजकल छात्रों को कई प्रकार की चुनौतियां तोड़ने की कोशिश करती है, भविष्य के भय से छात्र खुद को कई बार भुला देता हैं। जिसके लिए आप अपने भाषण के माध्यम से छात्रों को प्रेरित करके उन्हें एक अच्छा मार्गदर्शन दे सकते हैं।

मानवता को निगलता आतंकवाद 

आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जो कट्टरवाद के रास्ते मानवता को निगलती जा रही है। इससे समाज को बचाने के लिए आप अपने शब्दों से समाज को सद्भावना के रास्ते पर ला सकते हैं, क्योंकि यदि आतंकवाद को जड़ से नहीं मिटाया गया तो यह धीरे-धीरे संपूर्ण मानवता को निगल जायेगा।

नारी सशक्तिकरण 

प्राचीन काल से ही नारी सशक्तिकरण हमारी भारतीय सभ्यता का प्रतीक रहा हैं, हम उस संस्कृति से हैं जहाँ नारियों को देवियों के रूप में पूजा जाता रहा हैं। कोई भी समाज तभी संपन्न और समृद्ध बन सकता है, जब वह समाज नारियों का सम्मान करता है। इसके लिए नारी का सशक्तिकरण होना बेहद जरूरी है। इस विषय पर भी भाषण देकर आप लोगो को प्रेरित कर सकते हैं।

भाषण देने के लिए आपकी भाषाशैली और किसी भी विषय पर आपकी गहन अध्ययन करने की क्षमता को देखा जाता है। आप तभी लोगों को खुद से जोड़ सकते हैं, जब आप उनके मुद्दों को एक साकारात्मक दृश्टिकोण न दे पाएं। आपको यह जानना होगा कि भाषण देने के लिए आपका एक अच्छा वक्ता होना जरूरी है।

आशा है कि आपको Current Topics for Speech का यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर मिला होगा। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट Leverage Edu से जुड़ें रहे।

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मयंक विश्नोई

जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई

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Hindi Essays for Class 10: Top 20 Class Ten Hindi Essays

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List of Popular Essays for Class 10 students written in Hindi Language !

Hindi Essay Content:

1. डा. प्रतिक्षा पाटिल पर निबन्ध | Essay on Dr. Prativa Patil in Hindi

2. डा. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi

3. सी.एन.जी. पर निबन्ध | Essay on Compressed Natural Gas (C.N.G.) in Hindi

4. दिल्ली मेट्रो रेल पर निबन्ध | Essay on Delhi Metro Rail in Hindi

5. कम्प्यूटर: आधुनिक युग की माँग पर निबन्ध | Essay on Computer : Demand of the Modern Age in Hindi

6. इन्टरनेट: एक प्रभावशाली सूचवा माध्यम पर निबन्ध | Essay on Internet : An Influential Method of Communication in Hindi

7. कल्पना चावला पर निबन्ध | Essay on Kalpana Chawla in Hindi

8. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi : Father of the Nation in Hindi

ADVERTISEMENTS:

9. पं. जवाहारलाल नेहरू पर निबन्ध | Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

10. युगपुरुष-लाल बहादुर शास्त्री पर निबन्ध | Essay on Lal Bahadur Sastri : An Icon of the Age in Hindi

11. भारत रत्न श्रीमती इन्दिरा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Bharat Ratna : Srimati Indira Gandhi in Hindi

12. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबन्ध | Essay on Netaji Subash Chandra Bose in Hindi

13. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद पर निबन्ध | Essay on Dr. Rajendra Prasad : India’s First President in Hindi

14. शहीद भगतसिंह पर निबन्ध | Essay on Bhagat Singh the Martyr in Hindi

15. डा. भीमराव अम्बेडकर पर निबन्ध | Essay on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi

16. कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध | Essay on Great Poet Rabindranath Tagore in Hindi

17. स्वामी विवेकानन्द पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

18. गुरू नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

19. महावीर स्वामी पर निबन्ध | Essay on Mahavir Swami in Hindi

20. नोबेल पुरस्कार विजेता: अमतर्य सेन पर निबन्ध |Essay on Amartya Sen : The Nobel Laureate in Hindi

Hindi Nibandh (Essay) # 1

डा. प्रतिक्षा पाटिल पर निबन्ध | Essay on Dr. Prativa Patil in Hindi

प्रस्तावना:

भारतवर्ष की भूमि महापुरुषों की भूमि है, परन्तु यहाँ की स्त्रियाँ भी किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है । भारत की पहली महिला प्रधानमन्त्री का गौरव यदि श्रीमती इन्दिरा गाँधी को प्राप्त हुआ, तो पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को प्राप्त हुआ है ।

जन्म-परिचय एवं शिक्षा:

श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का जन्म 19 दिसम्बर,1934 को महाराष्ट्र के ‘नन्दगाँव’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता का नाम श्री नारायण राव था । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा जलगाँव (महाराष्ट्र) के आर.आर. स्कूल में हुई ।

मूलजी सेठ (छ:) कालेज जलगाँव से स्नातकोत्तर की उपाधि लेने के पश्चात् आपने गवर्नमेन्ट ली कालेज, मुम्बई से कानून की उपाधि प्राप्त की । श्रीमती प्रतिभा देवी की प्रारम्भ से ही खेलकूद में रुचि थी और आपने अपने समय में कालेज प्रतियोगिताओं में कई पदक तथा सम्मान प्राप्त किए ।

शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् आपने जलगाँव कोर्ट में बतौर अधिवक्ता व्यवसायिक जीवन व्यतीत करना प्रारम्भ किया तथा साथ-साथ जनकल्याणकारी कार्यों में भी रुचि लेने लगी । सामाजिक कार्यों में भी आपका ध्यान विशेष रूप से महिलाओं की बहुमुखी समस्याओं तथा उनके समाधानों के प्रति रहा ।

वैवाहिक जीवन:

श्रीमती पाटिल का परिणय डी. देवीसिंह, रामसिंह शेखावत से साथ हुआ था । उन्होंने मुम्बई हॉफकीन इंस्टीट्‌यूट से रसायन विज्ञान से पी.एच.डी. की । शेखावत जी अमरावती निगम के ‘मेयर’ रहे हैं तथा उसी क्षेत्र के विधायक भी रहे हैं । श्रीमती पाटिल के दो सन्ताने हैं- पुत्री ज्योति राठौर एवं पुत्र रामेन्द्र सिंह ।

राजनीतिक जीवन:

श्रीमती पाटिल का राजनीतिक जीवन सत्ताईस वर्ष की आयु में ही प्रारम्भ हो गया था । सर्वप्रथम आप जलगाँव विधानसभा क्षेत्र से चुनी गयी । तत्पश्चात इलाहाबाद (मुकताई नगर) का बतौर बिधायक चार बार प्रतिनिधित्व किया । 1985 से 1990 तक आप राज्यसभा से सांसद रही ।

1991 में दसवीं लोकसभा के लिए अमरावती संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन आप पराजित हो गई । श्रीमती पाटिल ने अपना अधिकांश जीवन महाराष्ट्र के लिए ही समर्पित किया । आप लोकस्वास्थ्य विभाग, मधनिषेध मन्त्री, पर्यटन मन्त्री, संसदीय एवं आवास मन्त्री भी रह चुकी हैं । आपका यह कार्यकाल 1967-1972 तक रहा ।

श्रीमती पाटिल ने अनेक विभागों में केबिनेट मन्त्री का पद भी सम्भाला जैसे- 1972 में महाराष्ट्र सरकार में समाज कल्याण विभाग, 1974-1975 तक समाज कल्याण तथा लोकस्वास्थ्य विभाग, 1975-76 तक मधनिषेध, पुर्नवास, सांस्कृतिक कार्य विभाग, 1977 में शिक्षा मन्त्री, 1982-85 में असैनिक आपूर्ति एवं समाज कल्याण विभाग ।

1979 से फरवरी 1980 तक आप प्रदेश सरकार में विपक्ष की नेता भी रहीं । आप डी. वेंकटरमन के कार्यकाल में राज्यसभा की अध्यक्ष रह चुरकी हैं एवं 1988 में राज्यसभा के दौरान व्यवसायिक सलाहकार समिति की सदस्य बनी ।

सामाजिक कार्यक्षेत्र:

श्रीमती पाटिल लोक कल्याण के कार्यों से सदैव जुड़ी रही तथा अनेक संस्थानों के उत्थान हेतु कार्य किए । आप महाराष्ट्र प्रांत में जलप्राधिकरण की अध्यक्ष रहीं । 1982-85 तक महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं, अर्बन सहकारी बैंक एवं क्रेडिट सोसायटी, संघीय समिति के निदेशक पद पर कार्यरत रही । आप सदा ही सामाजिक कल्याण के कार्यों में भी रुचि लेती रही हैं ।

इस सम्बन्ध में आपकी धारणा विश्व-बन्धुत्व पर आधारित है इसीलिए आपने देश विदेश में आयोजित होने वाले सामाजिक कल्याण के सम्मेलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है । 1985 में बुल्गारिया में आयोजित सभा को बतौर प्रतिनिधि सम्बोधित किया । 1985 में लन्दन की कमेटी ऑफ आफिसर्स कांफ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व किया ।

सितम्बर 1995 में चीन में ‘वर्ल्ड वोमेन्स कोऑपरेटिव’ नामक सेमिनार की प्रतिनिधि रही । आपने पिछड़ी जाति के बच्चों के विकास के लिए विशेष योगदान दिया । ग्रामीण युवाओं के लिए जलगाँव में इंजिनियरिंग कॉलेज खुलवाया, रोजगार दिलाने के लिए जिलेवार पुणे संस्थान खुलवाए ।

अमरावती और महाराष्ट्र में अनुवांशिक संस्था , संगीत कॉलेज , फैशन डिजाइनिंग , ब्यूटिशियन कोर्स तथा व्यवसायिक कोर्स से सम्बन्धित संस्थाओं की स्थापना करवाई । 1962 में आपने महाराष्ट्र के महिला कोषांग की स्थापना करवाई ।

राष्ट्रपति के रूप में :

राजनीतिक गलियारों में जब राष्ट्रपति ए.पी.जे. कलाम के उत्तराधिकारी की चर्चा हो रही थी तथा राजनीतिक दलों के बीच विवाद गहरा रहा था तभी नए राष्ट्रपति के रूप में श्रीमति पाटिल के नाम का प्रस्ताव सभी विवादों को शान्त कर गया । United progressive Alliance के उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की ओर से श्रीमती प्रतिभा पाटिल के नाम की उद्‌घोषणा की गई ।

आपने अपने प्रतिद्वन्द्वी श्री भैरोसिंह शेखावत जी को 3,06,810 मतों से पराजित कर राष्ट्रपति पद का गौरव अपने नाम कर लिया । 25 जुलाई, 2007 को श्रीमती पाटिल को राष्ट्रपति पद की गरिमा एवं गोपनीयता की शपथ सर्वोच्च न्यायाधीश आर.जी. बालकृष्ण द्वारा दिलाई गई ।

श्रीमती पाटिल के शपथ ग्रहण करते ही केन्द्रीय कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा । इस अवसर पर उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई । इस समारोह में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह, यू.पी.ए. की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी कई देशों के राजदूत, विपक्ष सहित तमाम दलों के वरिष्ठ नेता, कई राज्यों के गवर्नर तथा मुख्यमन्त्रियों सहित तीनों सेनाओं के सेनापति व कई गढ़मान्य व्यक्ति शामिल थे ।

राष्ट्रपति पद सम्भालने के बाद अपने प्रथम भाषण में श्रीमती पाटिल ने बच्चों तथा स्त्रियों के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्वता व्यक्त करते हुए आधुनिक शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक बनाने की आवश्यकता जताई ।

आपने सामाजिक कुरीतियों, कुपोषण, बाल मृत्यु एवं कन्या भूण हत्या के अपराधों को जड से समाप्त करने की अपील की । पूर्व राष्ट्रपति डा. कलाम अपने कार्यकाल में भारतीय सविधान के ‘रबर स्टाम्प’ को पच्छिक प्रापर्टी के रूप में बहुत लोकप्रिय बना चुके हैं ।

उनकी उसी छवि को ऊँचाईयों तक पहुँचाना निःसन्देह बख्य मुस्किल कार्य है । परन्तु श्रीमती पाटिल भी गम्भीर, धैर्यवान, सुशिक्षित तथा समझदार महिला के रूप में अपनी पहचान बना चुकी हैं । श्रीमती पाटिल ने कृषि तथा किसानों की समस्याओं पर भी विशेष जोर दिया है । उनका बस एक ही सपना है कि भारत बहुमुखी विकास करें तथा पूरे विश्व में प्रथम स्थान पा सके ।

इसके लिए महामहिम राष्ट्रपति अपनी कानूनी जिम्मेदारियों की सीमा में रहते हुए भारत सरकार को प्रोत्साहित करती रहती हैं । वे चाहती हैं कि हमारा देश सशक्त राष्ट्र बने, आर्थिक दृष्टि से मजबूत हो तथा सांस्कृतिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्णतया आत्मनिर्भर हो ।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि श्रीमती पाटिल ने सदा ही अपने पद की गरिमा को बनाए रखा है । वे अपनी सभी जिम्मेदारियाँ बहुत सूझ-बूझ से निभा रही हैं और बहुत कम समय में भारतीय जनता के दिलो में घर बना चुकी है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 2

डा. मनमोहन सिंह पर निबन्ध | Essay on Dr. Manmohan Singh in Hindi

विशाल गणराज्य भारत देश बहुत महान तथा विशाल है । जहाँ एक ओर ऋषियों, मुनियों तथा तपस्वियों ने अनेक साधनाएँ की हैं वही दूसरी ओर अनेक वैज्ञानिकों ने भारत को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया । हमारे देश में प्रजातन्त्रीय प्रणाली के अनुसार संसद का चुनाव होता है तथा चुनाव के उपरान्त देश को प्रधानमन्त्री की भी आवश्यकता होती है ।

स्वतन्त्र भारत में अब तक संसद को प्रधानमन्त्री के रूप में पं. जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इन्दिरा गाँधी, मोरारजी देसाई, चौ. चरण सिंह, राजीव गाँधी, वी.पी. सिंह, चन्द्र शेखर, पी.वी. नरसिम्हाराव, एच.डी. देवगौड़ा, इन्द्र कुमार गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी मिले ।

इसी बीच संसद में दो बार तेरह-तेरह दिन के लिए गुलजारी लाल नन्दा को कार्यकारी प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जा चुका है । चौदहवीं लोकसभा में डा.मनमोहन सिंह प्रधानमन्त्री बने हैं पंद्रहवीं लोकसभा में पुन: डा. मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री बनने का सुअवसर प्राप्त हुआ हैं आपने 22 मई, 2009 को सायं 5.30 बजे माननीय राष्ट्रपति तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की ।

जन्म परिचय एवं शिक्षा:

डा. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर, 1932 को पंजाब (पाकिस्तान) में ‘गाह’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता का नाम सरदार गुरुमुख सिंह तथा माता को नाम अमरूत कौर था । आपकी केवल तीन बहने हैं । मनमोहन सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा एक स्थानिय तथा निकटवर्ति क्षेत्रीय स्कूल में हुई थी ।

सन् 1952 में आपने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की । 1954 में आपने पंजाब विश्वविद्यालय से ही अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की । सेंट जोंस कॉलेज कैम्बिज ने 1957 में पढ़ाई में अच्छे प्रदर्शन के लिए आपको पुरस्कृत किया ।

तत्पश्चात् आपने 1957 में पी.एच.डी. का शोध कार्य ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से किया ।  डा. मनमोहन सिंह को अनेक यूनिवर्सिटीयों ने डी.लिट् की उपाधियाँ प्रदान की । पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़; गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर; दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली; चौधरी चरणसिंह, हरियाणा; एग्रीकल्वर यूनिवर्सिटी, हिसार; श्री वैंकटेश्वर यूनिवर्सिटी, तिरुपति, यूनिवर्सिटी ऑफ बोहोगा, इटली आदि इनमें प्रमुख हैं ।

डा. मनमोहन सिंह ने लेक्चरर तथा रीडर के रूप में 1957 से 1965 तक पंजाब विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य किया । 1969 में डी. सिंह दिल्ली स्कूल ऑफ इकनोमिक्स में नियुक्त हो गए । आपने सन् 1971 तक वहाँ सेवा कीं । आपने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी अपनी अवैतनिक सेवाएँ दी । डा. मनमोहन सिंह का विवाह 14 दिसम्बर, 1958 को गुरुशरन कौर से हुआ था; जिनसे इनकी तीन पुत्रियाँ हुई ।

व्यक्तित्व की बिशेषताएँ:

डा. मनमोहन सिंह उच्च कोटि के शिक्षित व्यक्ति हैं । उन्होंने अर्थशास्त्र में अनेक पुस्तकें लिखी हैं, जो देशवासियों का मार्गदर्शन करती हैं । आपने वित्तीय सलाहकार, प्रमुख अर्थशास्त्र सलाहकार, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर तथा अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विदेश नीति सलाहकार के रूप में राष्ट्र की सेवाएँ की हैं ।

आपने भारतीय आणविक ऊर्जा आयोग, योजना आयोग, अन्तरिक्ष आयोग, ऐशियन बैंक विकास क्षेत्रों में भी कार्य किया है । आपने वित्त (कैबिनेट) मन्त्री के रूप में भी देश की अनूठी सेवा की है । आप राज्य सभा के लिए भी निर्वाचित हो चुके हैं ।

हमारे सुयोग्य प्रधानमन्त्री अत्यन्त साधारण, सहयोगी तथा सुशिक्षित है । इन सभी गुणों के उपरान्त भी आपमें लेशमात्र भी घमंड या अहंकार नहीं है । डा. मनमोहन सिंह को अनेक डिग्रियाँ तथा पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं ।

आपकी गम्भीरता तथा कठोर परिश्रमी स्वभाव को देखते हुए आपके पिता गुरमुख सिंह जी ने एक बार अपने आशीर्वाद के रूप में कहा था, ”मोहन, तू एक दिन भारत का प्रधानमन्त्री अवश्य बनेगा ।”  इस आशीर्वाद को फलीभूत होने में भले ही तीस वर्ष का समय लग गया, परन्तु उनका यह आशीर्वाद उस समय पूर्ण हुआ जब 21 मई, 2004 को टी.टी.जी.पी. की अध्यक्षा सोनिया गाँधी जी ने प्रधानमन्त्री पद को अस्वीकार करते हुए डा. मनमोहन सिंह के नाम की सिफारिश की ।

डा. मनमोहन सिंह ने शनिवार 22 मई, 2004 को भारत के प्रधानमन्त्री के रूप में शपथ ग्रहण की । आपके साथ मन्त्रीमंडल में 67 मन्त्रियों को भी शपथ दिलाई गई ।

डा. मनमोहन सिंह को उनकी अनगिनत सेवाओं के लिए भारत सरकार की ओर से सन् 1987 में देश का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘पदम बिक्या’ प्रदान किया गया । 1993 में आपको यूरोमनी अवार्ड फाइनेंस ‘मिनिस्टर ऑफ द ईयर’ से सम्मानित किया गया ।

निःसन्देह डा. मनमोहन सिंह एक नेक, विनीत तथा ईमानदार व्यक्ति हैं । राष्ट्र ने उनसे जो भी आशाएँ रखी थी, उन कसौटियों पर वे खरे उतरे हैं । अभी जनवरी 2009 में डा. मनमोहन सिंह को दिल की सर्जरी करानी पड़ी, जिसके कारण वे ‘अखिल भारतीय अनुसंधान आयोग’ में दाखिल रहे । ऐसे कठिन समय में सभी देशवासियों ने उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थनाएँ की । हमारी तो ईश्वर से बस यही कामना है कि वह उन्हें लम्बी आयु दें ।

Hindi Nibandh (Essay) # 3

सी.एन.जी. पर निबन्ध | essay on compressed natural gas (c.n.g.) in hindi, प्रस्ताबना:.

सड़कों पर वाहनों की बढ़ती हुई संख्या के परिणामस्वरूप ध्वनि प्रदूषण तथा वायुप्रदूषण उत्पन्न होते हैं । वाहनों के धुएँ को हम सभी प्रत्यक्ष रूप से अन्तःश्वसन करते हैं, जिससे अनेक घातक बीमारियाँ पैदा होती है ।

दिल्ली को अत्यन्त प्रदूषणकारी महानगर मानते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बसों में 31 मार्च, 2001 तक ईंधन के रूप में डीजल तथा पेट्रोल के स्थान पर कम प्रदूषणकारी कँम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सी.एन.जी.) का प्रयोग किया जाना चाहिए ।

सी.एन.जी. तथा यू.एल.एस.डी:

टाटा ऊर्जा अनुसन्धान संस्थान ने अच्छा लो सल्फर डीजल (यू.एल.एस.डी.) को भी सी.एन.जी. के ही समान कम प्रदूषणकारी बताकर उसे सी.एन.जी. के विकल्प की घोषणा की । कई विशेषज्ञ सी.एन.जी. को डीजल की अपेक्षा प्रत्येक दृष्टि से उत्तम मानते हैं ।

हालाँकि दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में दो-तिहाई ईंधन के रूप में डीजल का ही उपयोग होता है परन्तु विश्वभर के ईंधनों का सर्वेक्षण करने पर डीजल को ही सबसे खतरनाक माना गया है । दिल्ली में 65 प्रतिशत ख्स कण केवल डीजल से ही उत्सर्जित होते हैं, जिनसे कैंसर होता है । डीजल की सर्वोत्तम तकनीक भी सी.एन.जी, से दस गुनी खतरनाक होती है । अल्ट्रा लो सहर डीजल में भी सामान्य डीजल से केवल 15 प्रतिशत कम प्रदूषण होता है जब कि सी.एन.जी. में 90 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो जाता है ।

सी.एन.जी. की रचना:

सी.एन.जी. पृथ्वी की धरातल के भीतर पाये जाने वाले हाइड्रोजन कार्बन का मिश्रण है और इसमें 80 से 90 प्रतिशत मात्रा मेलथेक गैस की होती है तथा यह गैस पेट्रोल एवं डीजल की अपेक्षा कार्बन मोनो ऑक्साइड 70 प्रतिशत, नाइट्रोजन ऑक्साइड 87 प्रतिशत तथा जैविक गैस लगभग 89 प्रतिशत कम उत्सर्जित करती है ।

सी.एन.जी. गैस रंगहीन, गन्धहीन, हवा से हल्की तथा पर्यावरण की दृष्टि से सबसे कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाली है । इसको जलाने के लिए एल.पी.जी. की अपेक्षा ऊँचे तापमान की आवश्यकता पड़ती है इसलिए आग पकड़ने का खतरा भी कम होता है । इन सब विशेषताओं के कारण ही वर्तमान समय में भारत में प्रतिदिन लगभग 650 करोड़ घनमीटर सी.एन.जी. का उत्पादन हो रहा है जबकि इसकी माँग 1100 करोड़ घनमीटर है ।

आज सी.एन.जी. का प्रयोग बिजली:

धरो, उर्वरक कारखानों, इस्पात कारखानों, घरेलू ईंधन तथा वाहनों में ईंधन के रूप में हो रहा है ।

सी.एन.जी. :

एक सर्वोत्तम ईंधन-आरम्भ में सी.एन.जी. बसों में पैसा अधिक अवश्य लगता है परन्तु उनका परिचालक व्यय कम होता है । इसके विपरीत सामान्य डीजल को अस्ट्रा लो सल्कर डीजल में परिवर्तित करने पर रिफाइनडरियो के व्यय बहुत अधिक हो जाएँगे । डीजल की तुलना में सी.एन.जी. में कार्बन-डाई-ऑक्साइड में उत्सर्जन की मात्रा कम है इसलिए यह डीजल से कम जहरीली है । विशेषज्ञों ने भी इसे सबसे साफ सुथरा ईंधन माना है जो शीघ्रता से प्रदूषण को समाप्त करता है ।

विस्वभर में सी.एन.जी. का प्रयोग:

इस समय विश्वभर में लगभग 20 लाख वाहन सीएनजी चालित हैं । जापान की राजधानी टोक्यो में पिछले य वर्षों से सभी टैक्सियाँ सी.एन.जी. चालित हैं । दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में यह प्रयोग पिछले 25 वर्षों से जारी है ।

इसके अतिरिक्त नेपाल, बैंकॉक, ताइवान तथा आस्ट्रेलिया में भी अधिकतर वाहन सी.एन.जी, चालित है । वाहनों में प्राकृतिक गैस का प्रयोग 1930 से प्रारम्भ हुआ था । तभी से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, इटली, थाईलैंड, न्यूजीलैंड तथा ईरान जैसे देशों में सी.एन.जी. का प्रयोग होने लगा है ।

सी.एन.जी. की हानियाँ:

सी.एन.जी. बसे जल्दी गर्म हो जाती है या रूक जाती हैं । डेनमार्क तथा अमरीकी विशेषज्ञों ने अपने निजी अनुभव के आधार पर यह घोषणा की है कि परिवर्तित वाहन पूर्णरूपेण सफल नहीं है क्योंकि वे सुरक्षा को खतरा पहुँचा सकते हैं ।

इसके अतिरिक्त इसमें ठोस परिवर्तन तकनीक की आवश्यकता है जो भारत में प्रारम्भिक चरण में है । सी.एन.जी. पैट्रोल तथा डीजल की तुलना में गतिक ऊर्जा है, इसी कारण ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों में यह विफल है । आज सी.एन.जी. किट बड़ी मात्रा मैं उपलब्ध नहीं है और उनकी रिफलिंग में भी समय लगता है । हमारे देश में पर्याप्त भरोसेमन्द सिलेंडर भी नहीं हैं और जो है भी उनकी कोई गुणवता नहीं है ।

विश्व के किसी भी बड़े शहूर में सार्वजनिक यातायात पूरी तरह से सीएनजी चालित नहीं है, वरन् उनके साथ सक्कर डीजल तथा अन्य तरह के ईधन पर आधारित वाहन भी चल रहे हैं । परन्तु सी.एन.जी. के आने से ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण की समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है ।

डीजल प्रयोग के कारण ही आज हम अस्थमा, मधुमेह, हृदयरोग, श्वाँसरोग, बहरापन आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं । ऐसी आशा की जाती है कि भविष्य में सीएनजी किट आसानी से उपलब्ध हो सकेगे तथा हम प्रदूषण की समस्या से मुक्ति पा सकेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 4

दिल्ली मेट्रो रेल पर निबन्ध | Essay on Delhi Metro Rail in Hindi

‘मेट्रो’ शब्द का प्रयोग दुनिया भर में भूमिगत रेलवे के लिए किया जाता है । छोटी एवं लम्बी दूरी तय करने का यह एकदम प्रदूषण रहित माध्यम है ।

विश्व में अब तक जापान, कोरिया, सिंगापुर, हांगकांग, जर्मनी तथा फ्रांस में मेट्रो रेल परिचालित हैं ।  मेट्रो रेलवे की सेवाओं को प्रयोग करने वाले भारतीय शहरों में कोलकाता शिखर पर है तथा राजधानी दिल्ली में मेट्रो रेल सेवा आरम्भ हो चुकी है ।

दिल्ली मेट्रो के आगमन का कारण:

दिल्ली भारत के सर्वाधिक आबादी वाले नगरों में से एक है । वर्तमान समय में राजधानी की सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों की संख्या चालीस लाख के करीब है ।

वाहनों की यह संख्या देश के तीन महानगरों:

कोलकाता, मुम्बई, चेन्नई के कुल वाहनों से कही अधिक है । इनमें से नब्बे प्रतिशत निजी वाहन है । राजधानी में सड़कों की कुल लम्बाई बारह सौ चालीस किलोमीटर हैं । इस प्रकार दिल्ली महानगर के लगभग बीस प्रतिशत हिस्से पर सड़के फैली हैं ।

इसके बावजूद भी राजधानी की मुख्य सड़कों पर वाहनों की औसत गति पन्द्रह किलोमीटर प्रति घण्टा है । इस रफ्तार को बढ़ाने तथा यातायात की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में ‘मेट्रो रेलवे परियोजना’ लागू की गई है ।

दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ एवं विकास कार्य:

दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने राजधानी से विभिन्न चरणों के आधार पर मेट्रो रेल शुरू करने की योजना बनाई है । इसके पहले चरण में शाहदरा तीस हजारी खण्ड सेवा शुरू की गई । इसका उद्‌घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने 24 दिसम्बर, 2002 को किया । मेट्रो रेल के दूसरे चरण के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय से केन्द्रीय सचिवालय तक सेवा शुरू की गई ।

तीसरे चरण में राजीव चौक से द्वारिका तक तथा चौथे चरण में दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर, संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर (8.6 कि.मी.) वाराखम्बा रोड से इन्द्रप्रस्थ नोएडा (1.5 कि.मी.), कीर्ति नगर से द्वारिका (16 कि.मी.) तक का कार्य पूरा हो चुका है ।

शीध्र ही मेट्रो रेल अक्षरधाम मंदिर, लक्ष्मी नगर, आनंदविहार (बस अड्‌डा) तथा गाजियाबाद तक भी पहुँच जाएगी । आज कई स्थानों पर भूमिगत मेट्रो भी चल रही है । ऐसा माना जा रहा है कि 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों के समय तक पूरी दिल्ली की सड़कों पर मेट्रो रेल चलने लगेगी ।

दिल्ली मेट्रो रेल की विशेषताएँ:

मेट्रो रेल अत्याधुनिक संचार व नियन्त्रण प्रणाली से सुसज्जित है । कोच एकदम आधुनिक तकनीक पर आधारित तथा वातानुकूलित हैं । यहीं पर टिकट वितरण प्रणाली भी स्वचालित है । यहाँ पर रेल की क्षमता के आधार पर ही टिकट वितरित किए जाते हैं । यदि रेल में जगह नहीं होती तो मशीन टिकट देना स्वयं बन्द कर देती है । स्टेशन में प्रवेश एवं निकासी की सुविधा भी अत्याधुनिक है ।

यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो स्टेशन परिसर पर एस्केलेटर स्थापित किए गए हैं । इसमें विकलांगों के लिए विशेष सुविधा हैं । मेट्रो यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मेट्रो स्टेशनों को बस रूट से जोड़ा गया है, जिसके लिए मेट्रो स्टेशन से मुख्य सड़क या बस स्टैण्ड तक फीडर बसे भी चलाई जा रही हैं ताकि अधिक-से-अधिक लोग इस सेवा का लाभ उठा सके ।

इसके लिए किराया दर भी अन्य परिवहन साधनों की अपेक्षा कम रखा गया है । मेट्रो रेल में यात्रा करने से समय तथा पैसे दोनों की ही बचत होती है । भीड़-भाड़ भरी सड़कों, धुएँ व धूल मिट्टी से बचकर वातानुकूलित रेल में यात्रा करने का आनन्द ही कुछ और है ।

मेट्रो रेल के दरवाजे भी स्वचालित हैं । इसमें आगमन प्रस्थान तथा आगे वाले स्टेशनों के विषय में पूरी जानकारी रेल में सवार यात्रियों को सूचना प्रदर्शन पटल तथा सम्बोधन प्रणाली के आधार पर उपलब्ध करायी जाती है । इसमें यात्री चाहे तो मासिक पास भी बनवा सकते है । मेट्रो रेल में कोई भी यात्री अधिकतम पन्द्रह किलोग्राम वजन ले जा सकता है ।

मेट्रो रेल के तकनीकी कर्मचारी तकनीकी रूप से सक्षम होने के साथ-साथ विदेशी प्रशिक्षण प्राप्त है । दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा एक प्रशिक्षण स्कूल भी स्थापित क्रिया गया है, जिससे ड्राइवरों तथा परिचालकों को समय-समय पर आवश्यक जानकारी दी जाती है ।

मेट्रो रेल को प्रारम्भ करने का सबसे अधिक श्रेय हमारी दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित को जाता है । उनके द्वारा उठाया गया यह कदम बहुत सराहनीय है क्योंकि मेट्रो रेल के चलने से यात्रियों को तो लाभ हुआ ही है, साथ ही प्रदूषण की मात्रा में भी काफी गिरावट आई है । अब यह हमारा नैतिक कर्त्तव्य है कि हम इस रेल की सफाई की ओर पूरा ध्यान दे तथा मेट्रो रेल का पूरा लाभ उठाएँ ।

Hindi Nibandh (Essay) # 5

कम्प्यूटर: आधुनिक युग की माँग पर निबन्ध | essay on computer : demand of the modern age in hindi.

आज का युग विज्ञान का युग है । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान के आविष्कारों ने क्रान्ति ला दी है । यह बात हम सभी जानते हैं । विज्ञान की ही महान देन ‘कम्प्यूटर’ आधुनिक युग की एक, महत्वपूर्ण आवश्यकता है । इसने हमारे जीवन को सरल व सुखद बना दिया है । यद्यपि कम्प्यूटर मानव-मस्तिष्क की ही उपज है, किन्तु कार्यक्षेत्र में यह मानव की सोच से भी परे है ।

कम्प्यूटर का अस्तित्व:

कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है, जिसमें अनेक ऐसे मस्तिष्कों का रुपात्मक एवं समन्वयात्मक योग तथा गुणात्मक घनत्व होता है, जो अति तीव्र गति से बहुत कम समय में एकदम सही गणना करता है ।

वैज्ञानिकों ने गणितीय गणनाओं के लिए अनेक यन्त्रों जैसे ‘अवेकस’ तथा ‘कैलकुलेटर’ आदि का आविष्कार किया है, किन्तु कम्प्यूटर की बराबरी कोई भी मशीन नहीं कर सकती ।

कम्प्यूटर मुख्यतया जोड़, घटा, गुणा तथा भाग जैसी गणितीय क्रियाएँ बड़ी सरलता तथा शीघ्रता के साथ कर सकता है । कम्प्यूटर निर्देशों का क्रमबद्ध संकलन भी करता है, इसके लिए यह सर्वप्रथम निर्देशों को पढ़कर अपनी स्मृति में बिठा लेता है तथा पुन: निर्देशों के अनुरूप कार्य करता है ।

कम्प्यूटर की सफलता का यही रहस्य है कि यह साधारण निर्देशों को एक उचित क्रम देने पर बड़ी से बड़ी जटिल गणना को भी बड़ी सरलता से त्रुटिहीन रूप से सम्पन्न करता है ।

कम्प्यूटर का आविष्कार:

आज से लगभग 25 हजार वर्ष पूर्व मनुष्य ने अंकों का अन्वेषण किया था । धीरे-धीरे ये अंक विकसित होते गए तथा विभिन्न लिपियों में प्रयुक्त होने लगे । मनुष्य के विकास के साथ-साथ लिपियाँ भी विकसित होती गयी । प्रारम्भ में मनुष्य कंकडों, उँगलियों की लाइनों या दीवार आदि पर लाइन खींचकर गिनने का कार्य करता था ।

फिर मशीनी युग के साथ ही अंकों तथा लिपि को टंकण के माध्यम से प्रेस तथा टाइप मशीनों में अंकित किया गया । सन् 1642 ई. में फ्रांस के कुशल वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल ने विश्व का पहला कम्प्यूटर बनाया, जिसकी विधि बहुत सरल थी ।

तब से तरह-तरह की तकनीके खोजी जाने लगी तथा नए-नए कम्प्यूटर बनाए गए । सन् 1833 ई. में इंग्लैंड के ‘चार्ल्स बाबेज’ ने एक मशीन का आविष्कार किया तथा वह उस मशीन को कम्प्यूटर का रूप देने का प्रयास करता रहा, परन्तु असफल रहा ।

सही अर्थों में आधुनिक कम्प्यूटर बनाने का श्रेय वियुत अभियन्ता पी. इकरैट, भौतिक शास्त्री जोहन, डक्यू मैकली तथा गणितज्ञ जी.वी. न्यूमैन को जाता है । इन सभी के पारस्परिक सहयोग के बल पर सन् 1944 ई. में एक ऐसी मशीन का आविष्कार किया गया, जिसको ‘इलैक्ट्रानिक एण्ड कम्प्यूटर’ नाम दिया गया । कम्प्यूटर का सुधरा हुआ रूप सन् 1952 ई. में बाजार में आया ।

भारतवर्ष में सबसे पहला कम्प्यूटर सन् 1961 ई. में आया था । तब से आज तक भारत अनेक उन्नत देशों जैसे अमेरिका, रुस, जर्मनी आदि से कम्प्यूटर आयात कर चुका है । इन देशों से प्राप्त जानकारी हमारे लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो रही है ।

अमेरिका, स्वीडन, फ्रांस, हालैण्ड, ब्रिटेन, जर्मनी आदि देशों में तो इसे ‘मानव मस्तिष्क’ की संज्ञा दे दी गई है । आज भारत में भी कम्प्यूटर विज्ञान का तीव्रगामी विकास हो रहा है । कम्प्यूटर की स्मरण-शक्ति असीमित तथा अद्वितीय है । जो काम बहुत कुशाग्र बुद्धि का मानव भी नहीं कर पाता, कम्प्यूटर वह कार्य बड़ी सरलता से कर दिखाता है । आधुनिक युग में मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वह पेपर पैन लेकर सारे हिसाब-किताब रख सके, क्योंकि आज का मानव बहुत व्यस्त जीवन जी रहा है ।

ऐसे में कम्प्यूटर उसका सच्चा साथी बनकर सभी कार्य तीव्र गति से बड़ी कुशलतापूर्वक कर देता है । नाम, तिथि, स्थल आदि बड़ी सरलतापूर्वक याद किए जा सकते हैं । आज सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रत्येक क्षेत्र में बड़े व्यापक स्तर पर कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा रहा है ।

वेतन बिल, बिजली, पानी, टेलीफोन के बिल बनाने, टिकट वितरण करने, बैंक, एल. आई.सी. के दफ्तरों आदि सभी में सारा कार्य कच्छसे की मदद से ही हो रहा है । इनके अतिरिक्त सभी शिक्षण संस्थाओं, बड़े-बड़े स्टोरों आदि में भी ये सहायक सिद्ध हो रहे हैं ।

डाक छाँटने, रेल मार्ग का संचालन करने, परिवहन व्यवस्था, मौसम की जानकारी, चिकित्सा, व्यापार, आदि अनगिनत क्षेत्रों में आज कम्प्यूटर का ही बोलबाला है । परीक्षा बोर्डों में बैठने वाले अनेक विद्यार्थियों की अंकतालिका जाँचने, रोल नम्बर तैयार करने के कार्य भी कम्प्यूटर द्वारा आसानी से हो रहा है ।

इसके अतिरिक्त प्रकाशन के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर मील का पत्थर साबित हुआ है । किक कार्यों के करने की गति तथा इलेक्ट्रानिक्स की प्रगति में कम्प्यूटर प्रणाली का सर्वाधिक योगदान है । निःसन्देह जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं रह गया है जहाँ कम्प्यूटर ने अपनी उपयोगिता साबित न की हो । आज के बच्चे भी कम्प्यूटर का प्रयोग करने से ही बहुत तेज दिमाग वाले हो रहे हैं ।

कम्प्यूटर के जितने भी लाभ गिनाए जाए वे सभी कम हैं । आज कम्प्यूटर ने मनुष्य के जीवन में रोटी, कपड़ा तथा मकान जैसा महत्त्वपूर्ण स्थान ले लिया है । इसीलिए आज के युग में कम्प्यूटर के महत्त्व को समझते हुए प्रत्येक विद्यालय में विद्यार्थियों को कम्प्यूटर शिक्षा दी जा रही है ।

कभी-कभी हमारी लापरवाही से ही कम्प्यूटर बड़ी-बड़ी गलतियाँ भी कर देता है तथा बच्चे भी इसका अधिक प्रयोग करने के कारण अनेक बीमारियों से जूझ रहे हैं, परन्तु ये सभी दुष्प्रभाव हमारे पैदा किए हुए हैं । हमें कम्प्यूटर के साथ-साथ अपने मस्तिष्क का भी प्रयोग करना चाहिए वरना हम पंगु ही बन जाएँगे ।

निष्कर्ष रूप में यदि हम यह कहें कि कम्प्यूटर के लाभों के साथ उसकी हानियाँ नगण्य हैं तो कोई अतिशयोक्ति न होगी । कम्प्यूटर आज के युग की माँग है और हम आशा करते हैं कि भविष्य में इसकी लोकप्रियता और अधिक बढ़ेगी क्योंकि आज कम्प्यूटर हमारा शगुल नहीं बल्कि आवश्यकता बन चुका है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 6

इन्टरनेट: एक प्रभावशाली सूचवा माध्यम पर निबन्ध | Essay on Internet : An Influential Method of Communication in Hindi

आज मनुष्य प्रगति के पथ पर निरन्तर अग्रसर है । जीवन के हर क्षेत्र में हमें जीवन की सभी सुविधाएँ तथा आराम प्राप्त हो रहे हैं । विज्ञान का एक आधुनिकतम एवं क्रान्तिकारी आविष्कार इन्टरनेट है, जो एक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण, बलशाली एवं गतिशील सूचना माध्यम है ।

इन्टरनेट प्रणाली का अर्थ:

इन्टरनेट एक अत्यन्त महत्वपूर्ण, गतिशील तथा बलशाली सूचना का माध्यम है । यह अनेक कम्प्यूटरों का एक जाल होता है जो उपग्रहों, केवल तन्तु प्रणालियों, लैन एवं वैन प्रणालियों एवं दूरभाषों द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं ।

आज सूचना प्रसारण के इस तेज गति के दौर में इन्टरनेट की उपयोगिता चरम सीमा पर है । आज का कोई भी व्यक्ति, देश अथवा वर्ग ‘इन्टरनेट’ प्रणाली से अकह नहीं है । सभी इसके महत्त्व के कायल हो चुके हैं ।

इन्टरनेट की बर्तमान स्थिति:

इन्टरनेट का शुभारम्भ सन् 1969 में ‘एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्रस एजेंसिस’ द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किग करके की गई थी । इसका विकास मुख्यतया शिक्षा, प्राप्त संस्थाओं के लिए किया गया था । इसके पश्चात् कुछ पुस्तकालय तथा कुछ निजी संस्थान भी इससे जुड़े गए ।

इन्टरनेट का जाल फैलाने में सबसे महत्त्वपूर्ण योगदान ‘बैल लैब्स’ (Bell labs) का है और उसमें इससे सम्बन्धी अनुसन्धान अभी तक जारी है । वर्तमान समय में भारत में लगभग 1,50,000 इन्टरनेट कनैक्शन है तथा लगभग 21.59 मिलियन टेलीफोन लाइने कार्यरत हैं ।

एक टेलीफोन को लगभग 10 व्यक्ति प्रयुक्त करते हैं । 2.159 मिलियन लोगों को इन्टरनेट कनैक्शन लगवाने की उम्मीद है ।

इन्टरनैट के प्रमुख भाग:

इन्टरनेट के कुछ प्रमुख भाग इस प्रकार है – मुख्य सूचना कम्प्यूटंर (server), मोडम (modem), टेलीफोन, क्षेत्रीय नैटवर्क (LAN) अथवा वृहत नैटवर्क (WAN) उपग्रह संचार एवं केवल नैटवर्क । आज ज्यादातर मुख्य सूचना कम्प्यूटर (server) अमरीका में स्थापित है तथा पूरे संसार के उपग्रहों के माध्यम से जुड़े हैं ।

इन्टरनेट को देखने अथवा सूचना इकट्‌ठा करने के कार्य को ‘सर्फिग’ कहते हैं । इन्टरनेट पर ‘सर्फिग’ कार्य कोई मुश्किल काम नहीं है किन्तु सूचनाएं इन्टरनेट पर डालने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने का कार्य बेहद जटिल है ।

इन्टरनेट के लाभ:

इन्टरनेट द्वारा वैब संरचना (Web Designing), इलेक्ट्रानिक मेल (E-mail) तथा इलेक्ट्रोनिक कॉमर्स (E-com) जैसे कार्य किए जाते हैं । आज इन्टरनेटों के कार्यक्रमों की बेहद माँग है तथा अनेक भारतीय युवा विदेशों में इन्टरनेट की कम्पनियों के लिए सॉफ्टवेयर एवं अन्य उपयोगी कार्यक्रम बनाने में संलग्न हैं ।

आज इन्टरनेट द्वारा बिजली, पानी, राशन, LIC सभी के बिल जमा किए जा रहे हैं । इन्टरनेट से विज्ञान, शिक्षा एवं व्यवसाय के क्षेत्र में सभी कार्य होने लगे हैं जिससे काफी हद तक युवाओं के बीच बेकारी की समस्या का समाधान हो रहा है ।

आज इन्टरनेट की मदद से ही कई लोग घर बैठे अच्छा पैसा कमा रहे हैं । आज यूरोप तथा अमेरिका में SOHO (Small office home office) की तकनीक प्रयोग की जा रही है तथा राशन तक का सामन खरीदने के लिए भी इन्टरनेट प्रयोग किया जा रहा है । भारत में भी यह तकनीक जल्द ही पूर्णतया विकसित हो जाएगी ।

इन्टरनेट सेवाओं का मूल्यांकन:

इन्टरनेट व्यवस्था प्रदान करने वाली व्यवस्था को ‘इन्टरनेट सर्विसेज प्रोवाईडर’ (ISP) कहते हैं । भारतवर्ष में बी.एस.एन.एन. नामक आई.एस.पी. को अप्रैल 1986 में प्रारम्भ किया गया था । आज सत्यम्, आई.एस.पी., मुन्ना ऑन लाइन आदि भी ग्राहकों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं ।

महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) भी सस्ते दामों पर इन्टरनेट सेवाएँ प्रदान कर रहा है । इसके अतिरिक्त देश के दूसरे जिलों व प्रान्तों में भी इन्टरनेट गेटवे खुल रहे हैं । इन्टरनेट के दुष्परिणाम-हर वस्तु की भाँति इन्टरनेट के लाभों के साथ हानियाँ भी जुड़ी हैं ।

सर्वप्रथम अधिक देर तक नैट पर सर्फिंग करने से आँखों की रोशनी धीमी पड़सकती है । इन्टरनेट में 1 जनवरी 2000 से जीवाणु (Virus) क्रियाशील हो चुके हैं जो अधिक ‘नैट’ प्रयोग में लाने से कम्प्यूटर सिस्टम को भी खराब कर सकते हैं ।

दूसरी तरफ आज का युवा वर्ग बैटर पर ज्ञानवर्धक जानकारियाँ हासिल करने के स्थान पर अश्तील बातें ज्यादा देख रहा है, जिससे उनका नैतिक पतन हो रहा है । इन्टरनेट द्वारा व्यवसाय करना अभी जोखिम भरा कार्य है क्योंकि जरा सी रू होने पर काफी नुकसान हो सकता है ।

निःसन्देह आज का युग विज्ञान के नवीन चमत्कारों का युग हे । आज अनेक समाचार-यत्र व. पत्रिकाएँ भी ‘इन्टरनेट’ पर आ चुके हैं । अब तो सरकारें भी इस क्षेत्र में आगे आ रही है तथा भारत सरकार के अतिरिक्त कई राज्य सरकारें एवं विदेशी सरकारों की चेबसाइट इन्टरनेट पर प्राप्त की जा सकती है ।

आज नैट ‘कार्यकुशलता, सूचना एवं व्यवसाय का पर्याय बन चुका है । यदि इन्टरनेट का प्रयोग सीमित तथा संयमित रूप में किया जाए तो इसके लाभ ही लाभ हैं हानियाँ तो हमारी स्वयं की पैदा की हुई है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 7

कल्पना चावला पर निबन्ध | essay on kalpana chawla in hindi.

“मैं किसी भी देश या क्षेत्र विशेष से बाधित नहीं हूँ । इन सबसे हटकर मैं तो मानव जाति का गौरव बनना चाहती हूँ ।” यह कथन भारतीय मूल की प्रथम महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला का था । उनकी लगन, प्रतिभा तथा उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा ।

इस महान विभूति का जन्म हरियाणा राज्य के करनाल जिले में 8 जुलाई, 1961 को एक व्यापारी परिवार में हुआ था । उन्होंने टेगोर बाल विद्यालय से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की । अपने शैशवकाल से ही वह एक होनहार छात्रा थी ।

उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय में वैमानिकी (ऐअरोनॉटिक्स) में प्रवेश लिया । उस समय इस क्षेत्र में कोई दूसरी छात्रा नहीं थी । विज्ञान में कल्पना की तीन रूचि थी, जिसकी प्रशंसा उनके अध्यापक भी करते थे । उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह विदेश भी गई । आपने 1984 में अमेरिका में स्थित Texas विश्वविद्यालय से वायु-आकाश (Aero-Space) इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की । तत्पश्चात् कल्पना ने कोलोराडो से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की ।

तत्पश्चात् कल्पना ने अमेरिका के एक्स में फ्यूड डायानामिक का कार्य सीनियर प्रारम्भ किया । वहाँ पर सफलता प्राप्त करने के पश्चात् कल्पना ने 1993 में केलिफोर्निया के ओवरसैट मैथडस इन कारपोरेशन में उपाध्यक्ष तथा रिसर्च वैज्ञानिक के रूप में कार्य प्रारम्भ किया ।

1994 में नासा ने कल्पना को अंतरिक्ष मिशन के लिए चयनित कर लिया । लगभग एक बर्ष के प्रशिक्षण के पश्चात् कल्पना कों रोबोटिक्स अंतरिक्ष में विचरण से जुड़े तकनीकी विषयों पर काम करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी । एस.टी.एस. 87 अमेरिकी की मास्कोग्रेबिवई पेलोड पाइलट थी, जिसका उद्देश्य भारहीनता का अध्ययन करना था । अन्तरिक्ष में जाना कल्पना की इच्छा भी थी । चन्द्रमा पर पर्दापण करने की उनकी तीव्र डच्छा थी ।

लगभग पांच वर्षो के अन्तराल के पश्चात् 16 जनवरी, 2003 को कल्पना चावला को अन्तरिक्ष में जाने का पुन: अवसर प्राप्त ह्मा । यह शोध मानव अंगों, शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास एवं बिभिन्न कीटाणुओं की स्थिति के अध्ययन व्हे किए गए थे ।

उस यान में कल्पना के साथ उनके सात साथी थे । कल्पना ने अन्तरिक्ष का कार्यबीरता से पूर्ण किया और वह पृथ्वी पर लौट रही थी । दुर्भाग्यवश, 2 लाख फुट की ऊँचाई पर कोलम्बिया नामक उनका अन्तरिक्ष शटल बिस्फोट हो गया ।

देखते ही देखते कल्पना अतीत बन गई । उनकी मृत्यु के ददय विदारक संदेश से उनके अध्यापक, स्कूली साथी, परिवारजन, विशेषकर उनके नासा के स्टॉफ मेंबर स्तब्ध रह गए । पूरा विश्व जेसे शोक के गहरे सागर में ख गया । कल्पना उन अनगिनत महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थी, जो अन्तरिक्ष में जाना चाहती हैं ।

Hindi Nibandh (Essay) # 8

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबन्ध | Essay on Mahatma Gandhi : Father of the Nation in Hindi

समय-समय पर भारत माता की गोद में अनेक महान विभूतियों ने आकर अपने अद्‌भुत प्रभाव से सशूर्ण विश्व को आलोकित किया है । राम , कृष्णन, महावीर, नानक, दयानन्द, विवेकानन्द आदि ऐसी ही महान बिभूतियीं हैं जिनमे से महात्मा गाँधी का नाम सर्वोपरि आता है ।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के कर्णधार तथा सच्चे अर्थों में स्वतन्त्रता सेनानी थे । युद्ध एवं क्रान्ति के इस युग में भारतवर्ष ने दुनिया के रास्ते से अलग रहकर गाँधी जी के नेतृत्व में सत्य एवं अहिंसा रुपी अस्त्रों के साथ स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ी तथा ब्रिटिश शासन को भारत से समूलोच्छेद कर दिया ।

इन चारित्रिक विशेषताओं के कारण ही प्रत्येक भारतवासी उन्हें प्यार से ‘बापू’ कहता है । विश्व-विख्यात वैज्ञानिक आइस्टीन के शब्दों में ”आने वाली पीढियों को आश्चर्य होगा कि ऐसा विलक्षण व्यक्ति देह रूप में कभी इस पृथ्वी पर रंल्ला था ।” राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी ने उन्हें ‘युगस्रष्टा’ तथा ‘युग्धष्टा’ कहा है ।

जन्म परिचय व शिक्षा-दीक्षा:

महात्मा गाँधी का पूरा नाम ‘मोहनदास करमचन्द गाँधी’ था । गाँधी जी का जन्म 2 अक्तुबर, सन् 1869 ई. को गुजरात राज्य के ‘पोरबन्दर’ नामक स्थान पर हुआ था । आपके पिता श्री करमचन्द गाँधी किसी समय पोरबन्दर के दीवान थे फिर वे राजकोट के दीवान भी बने । आपकी माता श्रीमति पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी । गाँधी जी के चरित्र निर्माण में उनकी धर्म परायण माता का विशेष योगदान है ।

गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई थी । विद्यालय में गाँधी जी एक साधारण छात्र थे तथा लजीले स्वभाव वाले थे । हाई न्क्र में अध्ययन करते समय ही लगभग तेरह वर्ष की आयु में गाँधी जी का विवाह कस्तूरबा से हो गया ।

सन् 1885 में उनके पिता का देहान्त हो गया । सन् 1887 में हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के पश्चात् आप उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए ‘भावनगर’ गए । वहाँ से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् कानूनी शिक्षा प्राप्त करने गाँधी जी इंग्लैण्ड गए ।

सन् 1891 में आप बैरिस्ट्री पास करके भारत लौट आए । उनकी अनुपस्थिति में उनकी माता जी का भी देहावसान हो गया ।

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी के कार्य:

स्वदेश लौटकर गाँधी जी ने मुम्बई में वकालत शुरू कर दी । पोरबन्दर की एक व्यापारिक संस्था ‘अब्दुल्ला एण्ड कम्पनी’ के मुकदमे की पैरवी करने गाँधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा । वहाँ उन्होंने देखा कि गोरे अंग्रेज भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार करते थे और उनको अपना गुलाम मानते थे ।

यह सब देखकर गाँधी जी का मन क्षुब्ध हो उठा । वहाँ पर गाँधी जी को भी अनेक अपमान सहने पड़े । एक बार उन्हें रेलगाड़ी के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से नीचे उतार दिया गया, जबकि उनके पास प्रथम श्रेणी का टिकट था । अदालत में जब वे केस की पैरवी करने गए तो जज ने उनसे पगड़ी उतारने के लिए कहा किन्तु गाँधी जी जैसा आत्मसम्मानी व्यक्ति बिना पगड़ी उतारे बाहर चले गए ।

गाँधी जी का राजनीति में प्रवेश:

दक्षिण अफ्रीका से लौटकर गाँधी जई ने राजनीति में भाग लेना आरम्भ कर दिया । सन् 1914 के प्रथम युद्ध में गाँधी जी ने अंग्रेजों का साथ इसलिए दिया क्योंकि अंग्रेजों ने गाँधी से वादा किया था कि यदि वे युद्ध जीत गए तो भारत को आजाद कर देंगे, मरन्तु अंग्रेज अपनी जुबान से मुकर गए ।

युद्ध में बिजयी होने पर अंग्रेजों ने स्वतन्त्रता के स्थान पर भारतीयों को ‘रोलट एक्ट’ तथा ‘जलियांवाला बाग काण्ड’ जैसी विध्वंसकारी घटनाएँ पुरस्कारस्वरूप प्रदान की । सन् 1919 तथा 1920 में गाँधी जी ने आन्दोलन आरम्भ किया ।

सन् 1930 में गाँधी जी ने ‘नमक कानून का विरोध किया । उन्होंने 24 दिन पैदल यात्रा करके दाण्डी पहुँचकर स्वयं अपने हाथों से नमक बनाया । गाँधी जी के स्वतन्त्रता संग्राम में देश के प्रत्येक कोने से देशभक्तों ने जन्म भूमि भारत की गुलामी की बेडियो को तोड़ने के लिए कमर कस ली ।

बालगंगाधर तिलक , गोखले, लाला लाजपतराय, सुभाषचन्द्र बोस आदि ने गाँधी जी का पूरा साथ दिया । सन् 1931 ई. में वायरसराय ने लंदन में आपको गोलमेज कांफ्रेन्स में आमन्त्रित किया । वहाँ आपने बड़ी विद्धता से भारतीय पक्ष का समर्थन किया ।

गाँधी जी ने पूर्ण स्वतन्त्रता के लिए सत्याग्रह की बात प्रारम्भ की । सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन शुरू हुआ तथा गाँधी जी सहित सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया । सन् 1944 में इन्हें जेल से रिहा कर दिया गया । समस्त वातावरण केवल आजादी की ध्वनि से गूँजने लगा । अंग्रेज सरकार के पाँव उखड़ने लगे । अंग्रेज सरकार ने जब अपने शासन को समाप्त होते देखा तो अंतत: 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत को पूर्ण स्वतन्त्रता सौंप दी ।

गाँधीवादी सिद्धान्त:

गाँधी जी सत्य तथा अहिंसा जैसे सिद्धान्तों के पुजारी थे । ये गुण उनमें बचपन से ही विद्यमान थे । गाँधी जी ने स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर भी जोर दिया था । बे चरखा कातकर स्वयं अपने लिए वस्त्र तैयार करते थे । गाँधी जी ने मानव को मानव से प्रेम करना सिखाया ! उन्होंने इसीलिए विदेशी वस्तुओं की होली जलाई थी ।

इसके अतिरिक्त दलित तथा निम्न वर्गीय लोगों के लिए भी गाँधी जी के मन में विशेष प्रेम था । उन्होंने छूआछुत का कड़ा विरोध किया था तथा अनूसूचित जातियों के लिए मन्दिरों तथा दूसरे पवित्र स्थानों में प्रवेश पर रोक को समाप्त करने पर विशेष बल दिया था । इस प्रकार गाँधी जी सच्चे अर्थों में एक परोपकारी व्यक्ति थे ।

उनके सम्बन्ध में किसी कवि की पंक्तियों द्रष्टव्य हैं:

”चल पड़े जिधर दो पग डग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर पड गई जिधर भी एक दृष्टि, पड़ गए कोटिदृग उसी ओर ।”

मृत्यु-30 जनवरी, 1948 ई. को संध्या के समय प्रार्थना-सभा में नाधूराम गोडसे ने उन पर गोलियाँ चला दी । तीन बार ‘राम, राम, राम’ कहने के बाद गाँधी जी ने इस नश्वर शरीर का परित्याग कर दिया । इस दुखःद अवसर पर नेहरू जी ने कहा था, ”हमारे जीवन से प्रकाश का अन्त हो चुका है । हमारा प्यास बापू, हमारा राष्ट्रपिता अब हमारे बीच नहीं है ।

हमारे ‘बापू’ मानवता की सच्ची मूर्ति थे ऐसे विरले इंसान सदियों में एक बार पैदा होते हैं । गाँधी जी ने तो मानवता की सेवा की थी । वे नरम दल के नेता थे । हरिजनों के उद्धार के लिए उन्होंने ‘हरिजन संद्य की स्थापना की थी ।

मद्य-निषेध, हिन्दी-प्रसार, शिक्षा-सुधार के अतिरिक्त अनगिनत रचनात्मक कार्य किए थे । महात्मा गाँधी, नश्वर शरीर से नहीं, अपितु यशस्वी शरीर से अपने अहिंसावादी सिद्धान्तों, मानवतावादी दृष्टिकोणों तथा समतावादी विचारों से आज भी हमारा सही मार्गदर्शन कर रहे हैं ।

गाँधी जी के अद्‌भुत व्यक्तित्व का चित्रांकन कविवर सुमित्रानन्दन पन्त ने इस प्रकार किया है:

”तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थिशेष । तुम अस्थिहीन, तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केबल हे चिर पुराण । तुम चिर नबीन ।”

Hindi Nibandh (Essay) # 9

पं. जवाहारलाल नेहरू पर निबन्ध | Essay on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

शान्ति के अग्रदूत, अहिंसा के संवाहक, आधुनिक भारतवर्ष निर्माता एवंस्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू आधुनिक युग की एक महान विभूति है ।

वे सच्चे कर्मयोगी एवं मानवता के प्रबल समर्थक थे । राजसी परिवार में जन्म लेकर एवं सभी सुख-सुविधाओं पूर्ण वातावरण में बड़े होकर भी आपने राष्ट्रीय स्वतन्त्रता एवं देश की आन-बान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया ।

जन्म परिचय एवं शिक्षा-विश्व-बत्सुत्व की भावना के प्रबल समर्थक पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 ई. को प्रयाग (इलाहाबाद) के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था । आपके पिताश्री पं. मोतीलाल नेहरू भारतवर्ष के एक सम्मानित बैरिस्टर थे । आपकी माता जी श्रीमती स्वरूप रानी एक धार्मिक प्रवृत्ति वाली महिला थीं । अपने माता-पिता का इकलौता लाडला पुत्र होने के कारण आपका लालन-पालन बड़े लाड़-प्यार में हुआ था ।

आपकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई थी । 15 वर्ष की आयु में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आप इंग्लैण्ड चले गए । आपने ‘हैरी विश्वविद्यालय’ तथा ‘कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की । अपने पिता की इच्छानुसार आप सन् 1912 में इंग्लैण्ड से बैरिस्टर बनकर भारत लौटे ।

भारत आकर आप अपने पिता के साथ ही प्रयाग में वकालत करने लगे । आप ‘मेरेडिथ’ के राजनीति चिन्तन से बहुत प्रभावित थे 1 सन् 1915 ई. में ‘रोलट एक्ट’ के विरुद्ध होने वाली मुम्बई कांफ्रेन्स में नेहरू जी ने भी हिस्सा लिया और यहीं से आपके राजनीतिक जीवन की प्रारम्भिक अवस्था आरम्भ हुई थी ।

पारिवारिक जीवन:

जवाहर लाल नेहरू का शुभ विवाह सन् 1916 ई. में श्रीमती कमला नेहरू के साथ हुआ । सन् 1917 में 9 नवम्बर को आपके यहाँ इन्दिरा ‘प्रियदर्शिनी’ नामक सुन्दर सी पुत्री ने जन्म लिया । सरोजिनी नायडू इन्दिरा को ‘क्रान्ति की सन्तान’ कहती थी । आगे चलकर इन्दिरा गाँधी ने भारतवर्ष की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री बनने का गौरव प्राप्त किया ।

सन् 1931 ई. में नेहरूजी के पिता जी श्री माती लाल नेहरू और सन् 1936 ई. में उनकी धर्म पली कमला नेहरू का भी स्वर्गवास हो गया । राजनीतिक जीवन-महात्मा गाँधी के दक्षिण अफ्रीका से लौटने पर नेहरू जी ने उनके राजनैतिक आदर्शों को अपनाने का निश्चय किया । नेहरू जी ने राजसी वेशभूषा को छोड़कर खादी का कुर्ता धारण कर लिया एवं एक सच्चे सत्याग्रही की भाँति प्रकट हुए ।

सन् 1919 के किसान आन्दोलन एवं 1921 ई. के असहयोग आन्दोलन में हिस्सा लेने के कारण पं. नेहरू को जेल जाना पड़ा । आपकी अनवरत सेवाओं के लिए सन् 1923 में ‘आल इंडिया कांग्रेस’ ने आपको जनरल सेक्रेटरी चुन लिया तथा इसके बाद आप इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे ।

उन्हीं की अध्यक्षता में 1929 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वतन्त्रता के लक्ष्य सम्बन्धी प्रस्ताव को पारित किया । इसके पश्चात् भी आप अनेक आन्दोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे । कई बार आप भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए ।

सन् 1930 ई. में शान्तिमय शासनावज्ञा के कारण आपको कारावास जाना पड़ा । सन् 1927 ई. में रूस सरकार के निमन्त्रण पर आप रूस गए और वहाँ की साम्यवादी विचारधारा का आप पर विशेष प्रभाव पड़ा । देश को स्वतन्त्र कराने के लिए आपने अथक प्रयास किए ।

31 दिसम्बर सन् 1930 ई. में पं. नेहरू ने अपने कांग्रेस अध्यक्षीय भाषण में पंजाब की रावी नदी के तट पर यह घोषणा की थी कि हम पूर्ण रूप से स्वाधीन होकर ही रहेंगे । इस घोषणा से स्वाधीनता संग्राम का संघर्ष तीब्रतर हो गया । तत्पश्चात् ‘नमक-सत्याग्रह’ में भी आपने अपना अपार योगदान दिया ।

सन् 1942 ई. के गाँधी जी के ‘भारत छीड़ा आन्दोलन’ में भी आपने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई । अनेक महापुरुषों के अथक प्रयासों से आखिरकार 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश स्वतन्त्र हो गया । प्रथम प्रधानमन्त्री के रूप में-स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् सर्वसम्मति से आप स्वाधीन भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री निर्वाचित हुए तथा मृत्युपर्यन्त इसी पद पर आसीन रहे ।

इस काल में आपने अनेक प्रशंसनीय कार्य किए । स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् देश का विभाजन होने पर हमारे समक्ष अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई थी । शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या, साम्प्रदायिक दंगों की समस्या, काश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण तथा राज्यों के पुनर्गठन आदि समस्याओं का नेहरू जी ने अपनी राजनीतिक सूझ-बूझ के आधार पर उचित हल निकाला ।

आपके नेतृत्व में सगर्व देश के लिए अनेक बहुमुखी योजनाएँ बनाई गई । जल ब विधुत शक्ति के लिए बाँध बनाए गए, देश में बड़े-बड़े उद्योग स्थापित किए गए तथा कृषि के क्षेत्र में भी देश ने अद्‌भुत प्रगति की । ट्राम्बे (मुम्बई) में अगुचालित रीऐक्टर संस्थान आपके सुनियोजित प्रयासों का ही परिणाम है ।

नेहरू जी की सैद्धान्तिक विशेषताएँ:

नेहरू जी ने विश्व को शान्तिपूर्ण सह अस्तित्व एवं गुट निरपेक्षता के महत्त्वपूर्ण विचार दिए । उन्होंने उपनिवेशवाद, नवउपनिबेशवाद साम्राज्यवाद, रंगभेद एवं किसी भी प्रकार के अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज बुलन्द की और एशिया, अफ्रीका एवं लेटिन अमेरिका के लगभग य देशों को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराया ।

एक महान चिन्तक के रूप में नेहरू जी का मानब में अटूट बिश्वास था और उनकी प्रतिभा, प्रकृति तथा चरित्र का सबसे मस्लपूर्ण पक्ष उनका वैज्ञानिक मानवतावाद था । उन्होंने आत्मा, परमात्मा एवं रहस्यवाद को महत्त्व न देते हुए मानवता व सामाजिक सेवा को ही अपना धर्म बनाया ।

सभा महान विभूतियां की भाँति नेहरू जी भी सत्य के खोजी थे । किन्तु वे सत्य के प्रति विशुद्ध सैद्धान्तिक पहुँच में विश्वास नहीं रखते थे । महात्मा गाँधीजी की भांति उन्होंने सत्य को ईश्वर का पर्याय न समझकर सत्य की खोज विज्ञान, ज्ञान एवं अनुभव द्वारा अनुप्राश्रित की ।

जहाँ तक साध्य एवं साधन के मध्य सम्बन्ध का प्रश्न है; नेहरू जी गाँधी जी के विचारों वाले थे । जैसा साधन होगा, साध्य भी वैसा ही होगा । साधन की तुलना बीज से एवं साध्य की तुलना वृक्ष से की जा सकती है ।

नेहरू जी लोकतन्त्र के कट्टर समर्थक थे । उनके लिए लोकतन्त्र स्थिर बस्तु न खेकर एक गतिशील एबै विकासशील वस्तु थी । उनके अनुसार सच्चा लोकतन्त्र बंही है जहाँ लोगों के कल्याण एवं सुख का ध्यान रखा जाए । वे लोकतन्त्र को जनता की स्वतन्त्रता, जनता की समानता, जनता का भ्रातृत्व एवं जनता की सर्वोच्चता मानते थे ।

अन्तिम समय:

अपने जीवन के अन्तिम क्षणों में भी नेहरू जी ने देश-सेवा के अपने व्रत को नहीं त्यागा और कठिन परिश्रम करते रहें । एक ओर कश्मीर समस्या थी तो दूसरी ओर चीन का खतरा । परन्तु सभी समस्याओं का आपने साहसपूर्वक सामना किया ।

27 मई, 1964 ई. को आप काल का ग्रास बन गए तथा सम्पूर्ण विश्व शान्ति के इस अग्रदूत की अन्तिम विदाई पर बिलख उठा । आधुनिक भारत का प्रत्येक नागरिक सदा आपका ऋणी रहेगा । शायद आपकी कमी को कोई भी पूर्ण न कर सके । मृत्यु के पश्चात् आपकी वसीयत के अनुसार आपकी भस्म भारत के खेतों में बिखेर दी गई क्योंकि आपको भारत की मिट्टी से अटूट प्यार था ।

नेहरू जी ने अपने जीवनकाल में जाति भेद को दूर करने, स्त्री जाति की उन्नति करने तथा शिक्षा प्रसार करने जैसे अनेक सराहनीय कार्य किए । युद्ध की कगार पर खड़े विश्व को आपने शान्ति का मार्ग दिखाया । नेहरूजी उच्चकोटि के चिन्तक, विचारक एवं लेखक थें ।

उनकी लिखित मेसई क्खनी’, ‘भारत की कहानी’, ‘विश्व इतिहास की झलक’, ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ आदि जन-प्रसिद्ध हैं । बच्चे उन्हें प्यार से ‘चाचा नेहरू’ कहकर पुकारते हैं क्योंकि नेहरूजी को ‘बच्चों’ से एवं गुलाक से बहुत प्यार था । हर वर्ष 14 नबम्बर को उनका जनमदिन ‘बाल दिबस’ के रूप में मनाया जाता है ।

मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण यह अनूठा व्यक्तित्व भारत के लोगों का ही नहीं, अपितु पूरी दुनिया के लोगों का प्यार एवं सम्मान पा सका । भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से विभूषित किया था । निःसन्देह उनका नाम चिरकाल तक इतिहास में अमर रहेगा ।

Hindi Nibandh (Essay) # 10

युगपुरुष-लाल बहादुर शास्त्री पर निबन्ध | Essay on Lal Bahadur Sastri : An Icon of the Age in Hindi

कभीकभी साधारण परिवार व साधारण परिस्थितियों में पला बड़ा इन्सान भी अपने असाधारण कृत्यों से सभी को आस्वर्यचफ्रइत कर देने की क्षमता रखता है । ऐसे ही चमत्कारिक व्यक्ति थे । युग पुरुष श्री लाल बहादुर शास्त्री ।

29 मई, 1964 को पं. जवाहरलाल नेहरू जी के आकस्मिक निधन के उपरान्त 2 जून, 1964 को कांग्रेस के संसदीय दल द्वारा सर्वसम्मति से लाल बहार शास्त्री को देश का प्रधानमन्त्री चुना गया । 9 जून, 1964 ई. को आपने प्रधानमन्त्री पद की शपथ ग्रहण की तथा केवल 18 माह तक प्रधानमन्त्री के रूप में कार्य कर सबका हृदय जीत लिया ।

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अकबर, 1904 ई. में वाराणसी के भुगलसराय नामक ग्राम में हुआ था । आपके पिता श्री शारदा प्रसाद एक शिक्षक थे । जब लालबहादुर मात्र डेढ़, वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहावसाज हो गया ।

आपकी माता श्रीमति रामदुलारी देवी जी ने आपका लालन पालन किया । आपकी प्रारम्भिक शिक्षा वाराणसी के ही एक क्ख में हुई । लाल बहष्र का बचपन बहुत निर्धनता तथा तंगी में व्यतीत हुआ तभी तो उन्हें विद्यालय जाने के लिए गंगा नदी को पार करना पड़ता था । नाव वाले को देने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे ।

यद्यपि लाल बहादुर जी के पिता जी उन्हें अपनी स्नेह-छाया में पाल-पोसकर बड़ा नहीं कर पाए थे तथापि वे उन्हें ऐसी दिव्य प्रेरणाओं की विभूति प्रदान कर गए जिसके सहारे शास्त्री जी एक सेनानी की भाँति जीवन के समस्त कष्टों को अपने चरित्रम्बल से पदन्दलित करते चलते गए ।

एक बार सन् 1921 में महात्मा गाँधी अपने ‘असहयोग आन्दोलग के सिलसिले में वाराणसी आए हुए थे तो एक सभा को सम्बोधित करते हुए गाँधी जी ने कहा था,

”भारत माता दासता लई कड़ी बेडियों में जकड़ी हुई है । आज हमें जरूरत है उन नौजवानों की जो इन बेडियों को काट देने के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर देने को तैयार ह्मे । ”

तभी एक सोलह-सत्रह वर्ष का नौजवान भीड़ में से आगे आया, जिसके माथे पर तेज तथा हृदय में देशप्रेम था । यह लड़का लाल बहादुर ही था । स्कूली शिक्षा छोड़कर लाल बहादुर स्वतन्त्रता संग्राम में कूद पड़े । साम्राज्यवादी सरकार ने उन्हें जेल में डलवा दिया तथा शास्त्री जी को ढाई वर्षों तक कारावास में रहना पड़ा ।

जेल की सजा काटने के बाद शास्त्री जी ने काशी विद्यापीठ में प्रवेश ले लिया तथा पढ़ाई आरम्म कर दी । सौभाग्य से लाल बहादुर को काशी विद्यापीठ में महान ब योग्य शिक्षकों, जैसे-डी. भगवानदास, आचार्य जे.बी. कृपलानी, सक्तर्घनन्द तथा श्री प्रकाश आदि से शिक्षा ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हुआ ।

यहीं से उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि प्राप्त हुई एवं तभी से वे ‘लाल बहादुर शास्त्री’ कहलाने लगे । यहाँ पर चार वर्ष तक लगातार शास्त्री जी ने फैख्व तथा ‘दर्शन’ का अध्ययन किया । शिक्षा समाप्ति के पश्चात् शास्त्री जी का विवाह क्षलिता देवी के साथ हुआ, जो शास्त्री जी के ही समान सरल व सीधे स्वभाव की जागरुक नारी थी ।

देश-सेवा के कार्य व राजनीति में प्रवेश:

शास्त्री जी का समुर्ण जीवन कड़े-संघषों की लम्बी कहानी है । शास्त्री जी के हृदय में निर्धनों, दलितों तथा हरिजनों के लिए बहुत दया ब करुणा भाव थे तथा वे इन पिछड़े तथा उपेक्षित वर्ग को सदा ऊपर उठाना चाहते थे । हरिजनोद्वार में शास्त्री जी का अभूतपूर्व योगदान रहा हे । उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए शास्त्री जी को लोक सेवा संघ का सदस्य बनाया गया और उन्होंने इलाहाबाद को अपनी कार्यवाहियों का केन्द्र बनाया ।

शास्त्री जी सात सालों तक इलाहाबाद म्यूनिसिपल बोर्ड के सदस्य रहे तथा चार वर्ष तक इलाहाबाद इखूबमेंट ट्रस्ट के महासचिव तथा सन् 1930 से 1936 तक अध्यक्ष रहे । सन् 1937 ई. में शास्त्री जी उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निवाचित किए गए ।

शास्त्री जी ने सन् 1942 में भारतछफ्रौ आन्दोलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा कारावास का दण्ड भोगा । सन् 1937 में सात प्रान्तों में कांग्रेस की अन्तरिम सरकार बनी । इस समय उत्तर प्रदेश में पंडित गोविन्द बल्लभपंत ने इन्हें अपना सभा सचिव नियुक्त किया तथा अगले ही वर्ष शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश का गृहमन्त्री नियुक्त किया गया ।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् सन् 1952 ई. में जब आम चुनाब हुए तो पं. जवाहर लाल नेहरू ने इन्हें चुनाव तैयारियों के लिए दिल्ली बुलवा लिया तथा चुनाव के पश्चात् इन्हें स्वतन्त्र भारत का प्रथम रेलमन्त्री नियुक्त किया, किन्तु दुर्भाग्यवश इनके कार्यकाल में एक रेल दुर्घटना हो गई जिसका नैतिक दायित्व वहन करते हुए इन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया ।

तत्पश्चात् सन् 1956-57 में वे देश के संचार व परिवहन मन्त्री बने तथा इसके बाद वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्री भी बने । सन् 1961 के अप्रैल मास में उन्हें स्वराष्ट्र मन्त्रालय का कार्यभार सौंपा गया । शास्त्री जी ने सभी पदों का कार्य भार बड़ी कुशलता तथा निष्ठा से सम्माला ।

धनी व्यक्तित्व के स्वामी-लाल बहादुर शास्त्री जी एकदम सरल एवं सादे स्वभाव के व्यक्ति थे । इसी कारण जब उन्होंने प्रधानमन्त्री का पदभार ग्रहण किया तो लोगों को विश्वास नहीं हो रहा था कि शास्त्री जी प्रधानमन्त्री पद की जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभा सकेंगे ।

किन्तु केवल 18 माह के कार्यकाल ने शास्त्री जी को भारतीय इतिहास की महान विभूतियों में से एक के रूप में पहचान दिलवाई । शास्त्री जी का स्वभाव शान्त, गम्भीर, मृदु व संकोच किस्म का था, इसी कारण वे जनता के दिलों में राज्य कर सके थे । उनकी अद्वितीय योग्यता तथा महान नेतृत्व का परिचय हमें 1965 के भारत-पाक युद्ध के समय देखने को मिला ।

पाकिस्तानी आक्रमण के समय सभी भारतीय अत्यन्त चिन्तित थे, किन्तु शास्त्री जी ने बड़ी बहादुरी से इस परिस्थिति का आकलन किया तथा देश का नेतृत्व किया । उन्होंने इस युद्ध में भारत को जीत दिलाई तथा पाकिस्तानियों को मुँह की खानी पड़ी ।

उन्होंने अपने ओजस्वी भाषणों से वीर सैनिकों तथा देश की आम जनता का मनोबल बढ़ाया । एक बार जब भारत में आने वाले अनाज के जहाजों को रोक दिया गया, तब इन्होंने देश के सामने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया ।

उन्होंने सप्ताह में एक दिन का अन्न छोड़ दिया तथा देश की जनता को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया । इसके अतिरिक्त शास्त्री जी ने असम भाषा समस्या, नेपाल के साथ सम्बन्ध सुधार व स्वरत बल से चोरी की समस्या आदि समस्याओं का कुशलतापूर्वक समाधान किया ।

भारत-पाक युद्ध के बाद सोवियत संघ के ताशकन्द में 11 जनवरी, सन् 1966 ई. में समझौते के दौरान शास्त्री जी का निधन हो गया । श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की संगठनात्मक शक्ति और लगन ने भारत को सर्वोच्च गौरव प्रदान किया ।

आज शास्त्री जी तन से हमारे साथ न होते हुए भी हमारे मन व हृदय में निवास करते हें । निःसन्देह वे एक ऐसे युग पुरुष थे जिन्होंने साधारण परिवार में जन्म लेकर असाधारण कार्य किए तथा प्रत्येक क्षेत्र में अपने चातुर्थ तथा कुशलता के प्रमाण प्रस्तुत किए ।

Hindi Nibandh (Essay) # 11

भारत रत्न श्रीमती इन्दिरा गाँधी पर निबन्ध | essay on bharat ratna : srimati indira gandhi in hindi.

हमारी भारत भूमि पर सदा ही श्रेष्ठ महापुरुषों एवं महान स्त्रियों ने जन्म लिया है जिन्होंने अपने गौरवपूर्ण व महान् कार्यों से न केवल भारतवर्ष को, अपितु पूरे विश्व को अचंभित किया है ।

ऐसी ही एक वीरांगना, महान तथा श्रेष्ठ नारी थी श्रीमति इन्दिरा गाँधी । इन्दिरा गाँधी का वास्तविक नाम ‘इन्दिरा प्रियदर्शिनी’ थी । वह अपार दूरदर्शिनी तथा साहसी नारी थी । वे भारत की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री थी, जिन्होंने हर विपरीत परिस्थिति का डटकर सामना किया तथा देश के विकास के लिए नई दिशाओं को खोज निकाला ।

जीवन-परिचय एवं शिक्षा:

भारतवर्ष की तृतीय प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी जी का जन्म 19 नवम्बर, 1917 को इलाहाबाद के ‘आनन्द भबन’ में हुआ था । पिता पं. जवाहरलाल नेहरू तथा माता कमला नेहरू के अतिरिक्त दादा मोतीलाल नेहरू तथा दादी स्वरूप रानी भी ‘इन्दिरा’ के जन्म पर बहुत प्रसन्न हुए ।

सभी प्यार से उन्हें ‘इन्दु’ पुकारते थे । इन्दिरा जी के व्यक्तित्व में अपने दादाजी जैसी दृढ़ता, पिताजी जैसा धैर्य तथा माता जी जैसी संवेदनशीलता थी । इन्दिरा जी की प्रारम्भिक शिक्षा स्विट्‌जरलैण्ड में हुई । इसके पश्चात् वे अपने अध्ययन के लिए भारत लौट आई तथा ‘शान्ति निकेतन’ में ही पढ़ने लगी । इसके पश्चात् वह ऑक्सफोर्ड के समशवइले कॉलेज गई तथा वही पर शिक्षा प्राप्त की ।

पं. नेहरू अपनी बेटी की सुख सुविधाओं का पूरा ध्यान रखते थे वही विस्तृत ज्ञानवर्धन भी उनको परम अभीष्ट था । पं नेहरू जी ने कारावास से ही अपनी प्यारी इनु’ को अनेक पत्र लिखे । बाद में ये पत्र ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ से प्रकाशित भी हुए ।

दस वर्ष की आयु में ही इन्दिरा जी ने ‘बानर सेना’ का गठन किया था जो कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन में सहायता पहुँचाया करती थी । सन् 1937 में आपकी माता जी का देहावसान हो गया ।

इन्दिरा जी का सामाजिक जीवन:

ऑक्सफोर्ड के समरविले कॉलेज में अध्ययन करते समय ही आपने ब्रिटिश मजदूर दल के आन्दोलन में भाग लिया । सन् 1938 ई. में आप भारतीय कांग्रेस में सम्मिलित हो गई । सन् 1942 ई. में इन्दिरा जी का विवाह एक सुयोग्य पत्रकार एवं विद्वान लेखक फिरोज गाँधी से हुआ। पति-पत्नी दोनों ही स्वतन्त्रता-संक्रम में सक्रियता से हिस्सा लेने लगे । सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ में भाग लेने के कारण दोनों को करीब 15 मास कारावास में गुजारने पड़े । इन्दिरा जी ने दो पुत्रों राजीव व संजय को जन्म दिया ।

जब 15 अगस्त सन् 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ तो पं. जवाहरलाल नेहरू को स्वतन्त्र भारत का प्रथम प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया । तभी से इन्दिरा जी का अधिकतर समय अपने पिता के साथ बीतता था ।

उनके साथ रहते-रहते इन्दिरा जी को राजनीति की वास्तविक जानकारी प्राप्त हुई । उन्होंने पिता के साथ देश-विदेश का भ्रमण किया तथा विश्व राजनीति के बारे में भी जानकारी हासिल की ।

इन्दिरा जी सन् 1955 ई. में कांग्रेस की कार्य समिति की सदस्या बनी तथा सन् 1959 में अखिल भारतीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गई । कांग्रेस अध्यक्ष बनकर आपने सारे देश का दौरा किया तथा कुछ ऐसे सराहनीय कार्य किए, जिन्हें देखकर वामपन्धी कांग्रेसी कृष्णा मेनन आदि भी अचम्भित रह गए । सन् 1960 में इन्दिरा गाँधी के पति फिरोज गाँधी का देहान्त हो गया तो इन्दिरा जैसे टूट सी गई ।

प्रधानमन्त्री के रूप में कार्य:

27 मई, सन् 1964 ई. को पं. जवाहरलाल नेहरू के निधन पर तो जैसे इन्दिरा जी एकदम टूट कर ढेर सी हो गई थी । ऐसे समय में लाल बहादुर शास्त्री को देश का प्रधानमन्त्री नियुक्त किया गया तो उन्होंने इन्दिरा जी को अपने मन्त्रिमण्डल में सूचना एवं प्रसारण मन्त्री के रूप में चयनित कर लिया, जिसे उन्होंने बड़ी कुशलता से निभाया ।

सन् 1966 में लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हुई तब इन्दिरा जी देश की तीसरी तथा प्रथम महिलारप्रधानमन्त्री बनी । मारग्रेट थैचर (इंग्लैण्ड की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री) के बाद इन्दिरा जी ऐसी महिला हैं जो किसी लोकतान्त्रिक देश की प्रधानमन्त्री बनी हैं ।

तत्कालीन राष्ट्रपति डी. शंकरदयाल शर्मा ने जब इन्दिरा जी को प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलाई तो भारत की प्रत्येक नारी का सिर गर्व से ऊँचा हो गया । इसके बाद पूरे देश में सन् 1967 को आम चुनाव हुए तथा अपने असाधारण व्यक्तित्व, लगन तथा निष्ठा के बल पर आप दूसरी बार सर्वसम्मति से देश की प्रधानमन्त्री नियुक्त की गई ।

अपने प्रधानमन्त्री काल में आपने अनेक प्रकार के सुधार तथा विकास कार्य किए हैं । जिस समय इन्दिरा जी प्रधानमन्त्री बनी थी, उस समय देश में गरीबी एक प्रमुख समस्या थी क्योंकि औद्योगिकरण एवं वैज्ञानिक प्रगति अपने आरम्भिक दौर में थी ।

इन्दिरा जी ने गरीबी को दूर करने के लिए सन् 1969 में एक सशक्त नीति की घोषणा की, जिसमें निजी आय, निजी आमदनी तथा लाभों पर सीमा से ऊपर आय होने पर सरकार सम्पत्ति एवं आय का अधिग्रहण कर लेती थी । आपने कई सरकारी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया तथा गाँवों में कई बेंकों की शाखाएँ भी खोली ।

इसके अतिरिक्त बांग्लादेश के पुन: निर्माण के लिए आपने अपने देश से विशेष सहायता प्रदान की । 25 जून, 1975 की आधी रात को आपने देशभर में आपातकालीन स्थिति की घोषणा कर दी । ‘आसुका’ (आन्तरिक सुरक्षा कानून) तथा डी.आई.आर. कानूनों के अन्तर्गत देश के बड़े-बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया गया ।

इसके कारण ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस आदि देशों ने इन्दिरा सरकार की घोर निन्दा की । सन् 1971 के भारत-पाक युद्ध में आपने ऐसे साहस व धैर्य का परिचय दिया कि विरोधियों ने आपको दुर्गा माँ का अवतार कहना प्रारम्भ कर दिया । 24 मार्च सन् 1977 ई. तक आप प्रधानमन्त्री बनी रही ।

सन् 1977 के आम चुनावों में आपको भारी पराजय का सामना करना पड़ा जनता सरकार ने सत्ता में आने पर आपको जेल में भेजा । सन् 1980 में पुन: लोकसभा चुनाव हुए तथा आपने फिर विजयश्री प्राप्त की तथा आपके नेतृत्व में कांग्रेस पुन: सत्ता में आ गई ।

वे पुन: प्रधानमन्त्री बन बैठी । विश्व-इतिहास में यह पहली घटना थी कि चुनाव हारने के ढाई वर्ष पश्चात् ही कोई राजनीतिज्ञ पुन: भारी बहुमत से देश की बागडोर सम्भाल पाया था ।

इन्दिरा जी विलक्षण प्रतिभा की धनी महिला थी, जिनमें अदम्य साहस तथा दूरदृष्टिता छूट-कूट कर भरे थे । 23 जून, 1980 में अपने प्रिय पुत्र संजय गाँधी की आकस्मिक मृत्यु ने आपको बुरी तरह से तोड़ दिया, फिर भी आपने हिम्मत नहीं हारी । आप अपने जीवन की आखिरी सांस तक निर्धनता, रंग-भेद तथा जाति-भेद के विरुद्ध संघर्षशील रही ।

जिस समय आप भारत राष्ट्र को उन्नति की पराकाष्ठा पर ले जानी जाने वाली थी, उसी समय 31 अक्तूबर सन् 1984 को प्रात: 9 बजे आपके दो अंगरक्षकों सतवंत सिंह तथा बेअंत सिंह ने आपको गोलियों से भून डाला । पूरा विश्व जैसे ठगा सा रह गया ।

भारत राष्ट्र अनाथ हो गया तथा दुनिया के राजनीतिक मंच का एक मुखर स्वर शान्त हो गया । आज आप अपनी समाधि ‘शक्ति स्थल’ में आराम से विश्राम कर रही हैं और पूरा विश्व आपके सराहनीय कार्यों को याद कर आपको श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 12

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबन्ध | Essay on Netaji Subash Chandra Bose in Hindi

शैशवकाल से ही जिसके कोमल मून में विद्रोह की ज्वाला प्रज्वलित हो उठी थी, किशोरावस्था में ही जिसका उर्वर मस्तिष्क विप्लव के झंझावात से दुखी समुद्र की भांति अशान्त हो उठा था, युवावस्था में ही जिसने समस्त भोग-विलासों एवं नश्वर ऐश्वर्य को त्याग दिया था, ऐसे विद्रोही, विप्लवी एवं त्यागी सुभाषचंद्र बोस का सम्पूर्ण जीवन विद्रोह तथा वैराग्य का आग्नेयगिरि बना रहा, तो इसमें आश्चर्य की कौन सी बात हो सकती है ।

‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा’ – ऐसी गर्जना करने वाले भारत माता के वीर सपूत सुभाष चन्द्र बोस भारतीय राजनीति के क्षितिज पर ध्रुव तारे ही भाँति निश्चल, काल की भांति निर्भीक एवं हिमालय की भांति अटल रहे । भारत माता के इस महान सपूत ने सहस्रों भारतीयों को स्वाधीनता की दीपशिखा पर परवानों की भांति जलना सिखाया ।

सुभाषचन्द्रबोस का जन्म उड़ीसा राज्य के ‘कटक’ शहर में 23 जनवरी सन् 1897 ई. को हुआ था । आपके पिताजी श्री रायबहादुर जानकी नाथ बोस कटक खुनिसिपैलिटी तथा जिला बोर्ड के प्रधान थे तथा नगर के एक सुप्रसिद्ध वकील थे ।

आपके भाई श्री शरतचन्द्र बोस एक महान देशभक्त तथा स्वतन्त्रता-संग्राम सेनानी थे । सुभाष चन्द्रकी आरम्भिक शिक्षा एकयूरोपियन स्कूल से हुई थी । सन् 1913 में आपने मैट्रिक की परीक्षा में कलकत्ता विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान प्राप्त किया था ।

इसके पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए आपने ‘प्रेजीडेंसी कॉलेज कलकत्ता में प्रवेश ले लिया । वहाँ ‘ओटेन’ नाम का अंग्रेज प्रोफेसर सदैव भारतीयों की निन्दा करता था, जो सुभाषचन्द्र से जरा भी सहन नहीं होता था इसीलिए उन्होंने उस अध्यापक की पिटाई कर दी ।

उस दिन से उसने भारतीयों का अपमान करना तो बन्द कर दिया, परन्तु सुभाष को भी कॉलेज से निलम्बित कर दिया गया । फिर आपने ‘स्कॉटिश चर्च’ कॉलेज में दाखिला लिया तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय से बीए, आनर्स किया ।

सन् 1919 में इंग्लैण्ड से आईसीएस. की परीक्षा पास करके भारत लौट आए । परन्तु आई.सी.एस. की परीक्षा पास करके भी उन्होंने उसे त्याग दिया क्योंकि वे अंग्रेजों के अधीन रहकर सेवा करना अपने देश का अपमान समझते थे । देशबत्र चितरंजनदास का प्रभाव-सुभाष चन्द्र बोस के जीबन पर देशबमृ चितरंजन दास का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा ।

वे उनके द्वारा स्थापित की गई ‘स्वराज पार्टी’ में काम करने लगे तथा उनके द्वारा निकाले गए ‘अग्रगामी पत्र’ का सम्पादन भार ले लिया । प्रिन्स ऑफ बेल्ट के आगमन पर उन्होंने बंगाल में उनके बहिष्कार आन्दोलन का नेतृत्व किया, जिसके कारण अंग्रेज सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर वर्मा के मांडले जेल भेज दिया, किन्तु स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हें 17 मार्च, 1927 को रिहा कर दिया गया ।

राजनीतिक जीबन:

सुभाष चन्द्र बोस भारतीय नेताओं के औपनिवेशिक साम्राज्य की माँग से पूर्णतया सहमत नहीं थे वे तो पूर्ण स्वतन्त्रता के अभिलाषी थे । अग्रिम वर्ष के कांग्रेस अधिवेशन में यही प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया । कांग्रेस में गरम ब नरम दो दल थे । सुभाष चन्द्र बोस गरम दल के नेता थे तथा महात्मा गाँधी नरम दल के ।

बे गाँधी जी के विचारों से सहमत नहीं थे । उनका मानना था कि केबल सत्य तथा अहिंसा के रास्ते पर चलकर स्वतन्त्रता प्राप्त नहीं की जा सकती है वरन् हमें अंग्रेजों से अपने अधिकार पाने के लिए लड़ना पड़ेगा और यदि इसके लिए खून की नदियाँ भी बहानी पड़े, तो कोई गलत कार्य नहीं होगा ।

परन्तु बिचारों में मतभेद होते हुए भी वे गाँधी जी का पूर्ण सम्मान करते थे तथा उनके साथ मिलकर काम करते थे । सन् 1929 ई. के ‘नमक कानून तोड़ो आन्दोलन’ का नेतृत्व सुभाष जी ने ही किया था । सन् 1938 तथा 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी चुने गए ।

बाद में नेताजी ने विचार न मिलने के कारण कांग्रेस दल से इस्तीफा दे दिया तथा ‘फॉरबर्ड ल्लॉक’ की स्थापना की, जिसका लक्ष्य ‘पूर्ण स्वराज्य’ तथा हिनू-मुस्तिम एक्ता था । आजाद हिन्द फौज का गठन तथा मृत्यु-सन् 1940 में ब्रिटिश सरकार ने नेताजी को भारत रक्षा कानून के अन्तर्गत गिरफ्तार कर लिया, किन्तु जेल में नेता जी ने आमरण अनशन की घोषणा कर दी ।

तब सरकार ने उन्हें जेल से मुक्त कर घर में ही नजरबन्द कर दिया । एक रात सबकी आँखों में धूल झोंककर एक मौलवी के वेष में आप घर से बाहर निकल आए । वहाँ से वे पहले कलकत्ता तथा फिर पेशावर पहुँच कर । पेशावर में सुभाषचन्द्र, उत्तमचन्द्र नामक व्यक्ति की मदद से एक गूँगे मुसलमान का वेष धारण कर काबुल पहुँच गए और फिर वहाँ से जर्मनी गए ।

जर्मनी में ही आपने ‘आजाद हिन्द फौज’ की नींव रखी । नेता जी का विचार था कि अहिंसक आन्दोलनों से ब्रिटिश सरकार भारत नहीं छोड़ेगी, अपितु हमें तो उन्हें मारकर भगाना होगा । इसी उद्‌देश्य से उन्होंने ‘आजाद हिन्द फौज’ बनाई थी ।

उन्होंने नवयुवकों को देश भक्तिके लिए लड़ना सिखाया । परिणामस्वरूप सैकड़ों नवयुवक ने अपने खून से हस्ताक्षर कर एक पत्र नेताजी को दिया । विश्व के 19 राष्ट्रो ने ‘आजाद हिन्द फौज’ को स्वीकार कर लिया । ‘जय हिन्द’ तथा ‘दिल्ली चलो’ नारी से ‘इम्फाल’ तथा ‘अरामान’ की पहाड़ियों गूँज उठी ।

आजाद हिन्द फौज ने जापान की मदद से मलाया तथा वर्मा के अंग्रेजों को मार गिराया तथा पूर्वोत्तर में भारतभूमि पर तिसौ लहरा दिया, किन्तु द्वितीय विश्बयुद्ध में जापान की हार के कारण आपकी सारी योजनाओं पर पानी फिर गया ।

23 अगस्त, 1945 को टोक्यो रेडियो से यह शोक समाचार प्रकाशित हुआ कि नेता जी एक विमान दुर्धटना में मारे गए । किसी को भी नेता जी का शव नहीं प्राप्त हुआ इसलिए किसी ने भी इस बात पर विश्वास नहीं किया । परिणामत: नेता जी की मृउ आज भी एक रहस्य बनी हुई है ।

सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र विश्वास तथा सम्मान के साथ ‘नेताजी’ की उपाधि प्राप्त करने बाले सुभाष चन्द्र बोस की देशभक्ति आज भी हम भारतीयों के लिए प्रेरणा-स्रोत है । आज भी उनके गाए गीत ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’ हमारे कानो में गूँज रहे हैं । बे तो अद्‌भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे तभी तो सभी उनकी वाणी के आकर्षण में फँस जाते थे तथा उन्हें अपना आदर्श मानते थे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 13

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद पर निबन्ध | Essay on Dr. Rajendra Prasad : India’s First President in Hindi

स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति का गौरव प्राप्त करने वाले डी. राजेन्द्र प्रसाद सादगी, सत्यनिष्ठा, पवित्रता, योग्यता तथा विद्वता की पूर्ति थे । आपने ही भारतीय ऋषि परम्परा को पुनर्जीवित किया तथा सादगी तथा सरलता के कारण किसान जैसा व्यक्तित्व पाकर भी पहले राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया ।

राजेन्द्र बाबू जैसे महान व्यक्ति का जन्म 3 दिसम्बर सन् 1884 ई. को बिहार राज्य के सरना जिले के एक सुप्रतिष्ठित एवं संभ्रान्त कायस्थ परिवार में हुआ था । आपके पूर्वज तत्कालीन हधुआ राज्य के दीवान रह चुके थे ।

आरम्भिक शिक्षा ‘उर्दू’ भाषा में प्राप्त करने के पश्चात् उच्च शिक्षा के लिए आप कोलकाता आ गए । प्रारम्म से अन्त तक आपने प्रत्येक परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । इसके बाद आप वकालत करने लगे तथा कुछ ही दिनों में आपकी गणना उच्च श्रेणी के उच्चतम वकीलों में की जाने लगी ।

देश प्रेम की भावना-रोलट एक्त से आहत होकर आपका स्वाभिमानी मन देश की स्वतन्त्रता के लिए बेचैन हो उठा तथा गाँधी जी द्वारा चलाए गए ‘असहयोग आन्दोलन’ में भाग लेकर आप देश सेवा में जुट गए । प्रारम्भ में आप राष्ट्रीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले से बहुत प्रभावित थे तथा उसके बाद महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व की सादगी ने तो जैसे आपको पूर्णरूपेण अपने वश में कर लिया था ।

आपको महान बनाने में इन दोनों महापुरुषों का विशेष योगदान रहा है । सन् 1905 ई. पूना में स्थापित सर्वेण्ट्स ऑफ इण्डिया सोसायटी की ओर आकर्षित होते हुए भी राजेन्द्र बाबू अपनी अन्तः प्रेरणा से गाँधी जी द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों के प्रति समर्पित हो गए तथा आजीवन गाँधी जी द्वारा बताए पथ पर ही चलते रहे ।

राजेन्द्र प्रसाद न केबल बिनम्र तथा विद्वान ही थे, वरन् अपूर्व सूझ-बूझ एवं संगठन शक्ति से सम्पन्न व्यक्ति थे । अपनी लगन एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से शीघ्र ही आप गाँधीजी के प्रिय पात्रों के साथ-साथ शीर्षस्थ राजनेताओं में भी महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर चुके थे ।

प्रारम्भ में आपका कार्यक्षेत्र बिहार राज्य रहा । आपने सदैव बिहार के किसानों को उनके उचित अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया । सन् 1934 में बिहार राज्य में आने वाले भूकम्प के कारण उत्पन्न विनाशलीला के मौके पर आपने पूरी लगन तथा कुशलता से पीड़ित जनता को राहत पहुँचाई जिससे पूरा बिहार राज्य आपका अनुयायी बन गया ।

डी. राजेन्द्र प्रसाद अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के साथ आजीवन जुड़े रहें । उन्होंने सदा ही गाँधी जी का समर्थन किया । एक निष्ठावान कार्यकर्ता एवं उच्चकोटि के राजनेता होने के कारण आप दो बार अखिल भारतीय कांग्रेस दल के सर्वोच्च पद अध्यक्ष पक पर भी निर्वाचित किए गए ।

कांग्रेस के समर्थकों का मत है कि जैसा सौहार्दपूर्ण वातावरण कांग्रेस दल में राजेन्द्र बाबू के समय में था, उससे पहले या बाद में आज तक कभी भी नहीं रहा । आप छोटे बड़े सभी कार्यकर्त्ताओं की समस्या ध्यानपूर्वक सुनते थे तथा उसका समाधान भी निकाल लेते थे ।

राष्ट्रपति पद पर सुशोभित:

लगातार अनगिनत संघर्षों के परिणामस्वरूप सन् 1947 ई. को जब भारतवर्ष स्वतन्त्र हुआ, तब देश का संविधान तैयार करने वाले दल का अध्यक्ष डी. राजेन्द्र प्रसाद को ही चुना गया । भारत का सविधान बन जाने के पश्चात् 26 जनवरी, सन् 1950 को जब उसे लागू और घोषित किया गया, तब उसकी माँग के अनुसार स्वतन्त्र गणतन्त्र का प्रथम राष्ट्रपति बनने का गौरव डी. राजेन्द्र प्रसाद को भी प्राप्त हुआ ।

निःसन्देह आप ही इस पद के लिए सर्वाधिक सक्षम एवं उचित अधिकारी थे । सन् 1957 में पुन: आपने राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया ।

राष्ट्रपति भवन के वैभवपूर्ण वातावरण में रहकर भी आपने अपनी सादगी तथा पवित्रता को कभी भी नहीं छोड़ा । यद्यपि हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने जैसे कुछ विषयों पर आपका तत्कालीन प्रधानमन्त्री से कुछ मतभेद भी अवश्य हुआ परन्तु आपने अपने पद की गरिमा को सदैव बनाए रखा ।

दूसरी बार का राष्ट्रपति काल समाप्त कर आप बिहार के ‘सदाकत’ आश्रम में जाकर रहने लगे । सन् 1962 में उत्तर-पूर्वी सीमांचल पर चीनी आक्रमण का सामना करने का उद्‌घोष करने के पश्चात् आप अस्वस्थ रहने लगे तथा आपका देहावसान हो गया । मरणोपरान्त आपको ‘भारत रल’ से विभूषित किया गया । हम भारतीय सदा आपके समक्ष नतमस्तक रहेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 14

शहीद भगतसिंह पर निबन्ध | Essay on Bhagat Singh the Martyr in Hindi

भारत माता के स्वतन्त्रता के इतिहास को जिन शहीदों ने अपने रक्त से लिखा है, जिन शूरवीरों के बलिदानों ने भारतीय जनमानस को सर्वाधिक उद्धिग्न किया है, जिन्होंने अपनी रणनीति से साम्राज्यवादियों को लोहे के चने चबवा दिए, जिन्होंने परतन्त्रता की बेड़ियों को चकनाचूर कर स्वतन्त्रता का मार्ग प्रशस्त किया है तथा जिन देश भक्तों पर मातृभूमि को गर्व है, उनमें भगतसिंह का नाम सर्वोपरि है ।

भगतसिंह का जन्म 27 सितम्बर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गाँव (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था । आपके पिता सरदार किशनसिंह एवं उनके दो चाचा स्वर्णसिंह तथा अजीत सिंह अंग्रेजों के विरोधी होने के कारण जेल में बन्द थे ।

संयोगवश, जिस दिन भगतसिंह पैदा हुए थे, उसी दिन उनके चाचा जेल से रिहा हो गए थे । इस शुभ घड़ी के मौके पर भगतसिंह के घर में दोहरी खुशी मनाई गई । उसी समय उनकी दादी ने उनका नाम भगत (अच्छे भाग्यवाला) रख दिया था । बाद में अऊाप ‘भगतसिंह’ कहलाने लगे ।

स्कूल के तंग कमरों में बैठना आपको अच्छा नहीं लगता था । आप कक्षा छोड्‌कर खुले मैदानों में घूमने निकल पड़ते थे तथा आजादी चाहते थे । प्रारम्भिक शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् भगतसिंह को 1916 में लाहौर के डी.ए.वी. स्कूल में भरती करा दिया गया । वहाँ आप लाला लाजपतराय तथा सूफी अम्बा प्रसाद जैसे देशभक्तों के सम्पर्क में आए ।

देशभक्ति की भावना:

एक देशभक्त परिवार में जन्म लेने के कारण भगतसिंह को देशभक्ति तथा स्वतन्त्रता का पाठ विरासत में मिला था । 3 अप्रैल 1919 में ‘रोलट एक्ट’ के विरोध में सम्पूर्ण भारत में प्रदर्शन हो रहे थे तथा इन्हीं दिनों जलियाँबाला बाग काण्ड भी हुआ ।

इनका समाचार सुन भगतसिंह लाहौर से अमृतसर पहुंचे । वहाँ उन्होंने शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की तथा रक्त से भीगी मिट्टी को एक बोतल में रख लिया जिससे सदा यह बात स्मरण रहे कि उन्हें अपने देश तथा देशवासियों के अपमान का बदला लेना है ।

1920 के ‘असहयोग आन्दोलन’ से प्रभावित होकर 1921 में आपने ष्फ छोड़ दिया । उसी समय लाला लाजपतराय ने लाहौर में ‘नेशनल कॉलेज’ की स्थापना की थी । भगतसिंह ने भी इसी कॉलेज में प्रवेश ले लिया । वहाँ आप यशपाल, सुखदेव, तीर्थराम आदि क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में आए ।

सन् 1928 को ‘साईमन कमीशन’ का विरोध करने के लिए लाला लाजपतराय के नेतृत्व में एक जुलूस कमीशन का विरोध शान्तिपूर्वक कर रहा था । किन्तु यह विरोध अंग्रेजों से सहन नहीं हुआ और उन्होंने लाठी चार्ज करवा दिया ।

इस लाठी चार्ज में लालपतराय घायल हो गए तथा 17 नवम्बर, 1928 को लालाजी चल बसे । यह सब देखकर भगतसिंह के मन में विद्रोह की ज्वाला और भी तीब्र हो गई । लालाजी की हत्या का बदला लेने के लिए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपत्विकन एसोसिएशन ने भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव, जय गोपाल तथा आजाद को यह कार्य सौंपा । इन क्रान्तिकारियों ने साठडर्स को मारकर लालाजी की मौत का बदला लिया तथा इस घटना से भगतसिंह और भी अधिक लोकप्रिय हो गए ।

हिन्दुस्तान समाजवादी गणतन्त्र संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी की सभा में पन्तिक ‘सेफ्टी बिल’ तथा ‘डिज्ब बिल’ पर चर्चा हुई । इसका विरोध करने के लिए भगतसिंह ने केन्द्रीय असेम्बली में बम फेंकने का प्रस्ताव रखा । इस कार्य को करने के लिए भगतसिंह अड गए कि यह कार्य वह स्वयं करेंगे, हालांकि आजाद इसके विरुद्ध थे ।

इस कार्य में ‘बटुकेश्वर दत्त’ ने भगतसिंह का साथ दिया । 12 जून, 1929 को सेशन जज ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 307 के अन्तर्गत उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई । इन दोनों देशभक्तों ने सेशन जज के निर्णय के विरुद्ध लाहौर हाईकोर्ट में भी अपील की । यहाँ भगतसिंह ने भाषण दिया, परन्तु हाईकोर्ट के सेशन जज ने भी उनकी सजा को मान्यता दी ।

आजाद ने भगतसिंह को छाने की पूरी कोशिश की । तीन महीनों तक अदालत की कार्यवाही चलती रही । अदालत ने भारतीय दण्ड संहिता की धारा 129 के अन्तर्गत उन्हें अपराधी घोषित करते हुए 7 अक्तूबर सन् 1930 को 68 पृष्ठीय निर्णय दिया, जिसमें भगतसिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फाँसी की सजा सुनाई गई ।

इस निर्णय के विरुद्ध नवम्बर 1930 में प्रिवी परिषद् में अपील भी की गई, परन्तु यह अपील 10 जनवरी, 1931 को रह कर दी गई । फाँसी की सजा-फाँसी का समय प्रातः काल 24 मार्च, 1931 को निश्चित हुआ था पर सरकार ने प्रातःकाल के स्थान पर संध्या समय तीनों देशभक्त क्रान्तिकारियों को एक साथ फाँसी देने का निर्णय लिया ।

फाँसी लगाने से पूर्व जेल अधीक्षक ने भगत सिंह से कहा, ”सरदार जी । फाँसी का समय हो गया है , आप तैयार हो जाइए ।” उस समय भगतसिंह लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे । वे बोले, “ठहरो । एच्छ क्रान्तिकारी दूसरे क्रान्तिकारी से मिल रहा है” और वे जेल अधीक्षक के साथ चल पड़े ।

जब सुखदेव तथा राजगुरु को भी फाँसी स्थल पर लाया गया तो तीनों ने अपनी आएँ एक दूसरे के साथ बाँध दी । तीनों एक साथ गुनगुनाए-

”दिल से निकलेगी, नमस्कार भी वतनकी उलफत, मेरी मिट्टी से भी खुशबू-एवतन आएगी ।”

Hindi Nibandh (Essay) # 15

डा. भीमराव अम्बेडकर पर निबन्ध | Essay on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi

समाज के नियम कानून सभी कुछ परिवर्तनशील होता है । इन परिवर्तनों में कुछ परिवर्तन ऐसे भी होते हैं, जो इतिहास के पन्नों पर स्वर्णाक्षरों में अंकित हो जाते हैं । समाज में ये परिवर्तन हमारे महापुरुष ही ला पाते हैं । इस प्रकार की महान विभूतियों में डी. भीमराव अम्बेडकर का नाम सर्वोपरि है ।

तभी तो उन्हें अपनी योग्यता तथा सक्रिय कार्यशक्ति के आधार पर उनकी जन्म शताब्दी पर सन् 1990 में ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया गया था । डी. भीमराव अम्बेडकर आधुनिक भारतवर्ष के प्रमुख विधिवेता राष्ट्रीय नेता तथा महान समाज-सुधारक थे । वे मानब-जाति की सेवा करना ही अपना परम लक्ष्य मानते थे क्योंकि दलितों, शोषितों तथा पीडितों की दर्दनाक आवाज उन्हें बेचैन कर देती थी ।

डी. भीमराव अम्बेडकर का जन्म महाराष्ट्र के महूं छावनी में 14 अप्रैल सन् 1891 ई. को अनुसूचित जाति के एक निर्धन परिवार में हुआ था । आपका बचपन का नाम ‘भीम सकपाल’ था तथा आप अपने माता-पिता की चौदहवीं सन्तान थे । आपके पिता श्री राम जी मौलाजी सैनिक स्कूल में प्रधानाध्यपक थे ।

उन्हें गणित, अंग्रेजी तथा मराठी आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त था । आपके घर का वातावरण धार्मिक था । आपकी माताजी का नाम श्रीमती भीमाबाई था । बचपन में भीमराव बहुत ही तार्किक तथा शरारती स्वभाव वाले बालक थे, किन्तु पढ़ाई में भी आप बहुत मेधावी थे ।

आपने 1907 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसी वर्ष आपका विवाह ‘रामबाई’ के साथ हो गया । सन् 1912 ई. में आपने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की उसके पश्चात् जब आपको बड़ौदा नरेश से आर्थिक सहायता मिलने लगी तो सन् 1913 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने न्यूयार्क चले गए ।

इसके पश्चात् लन्दन, अमेरिका, जर्मनी आदि में रहकर भी आपने अध्ययन किया । सन् 1923 ई. तक आप एमए, पी.एच.डी. तथा बैरिस्टर बार एट ली बन चुके थे । इसके अतिरिक्त आपने अर्थशास्त्र, कानून तथा राजनीति शास्त्र का गहन अध्ययन किया था ।

सामाजिक कार्य :

डी भीमराव अम्बेडकर ने बचपन से ही जातिगत असमानता तथा ख्याछूत को अपनी आँखों से देखा था, इसलिए उनके मन में एक विद्रोह भावना ने जन्म ले लिया था । 1923 से 1931 तक का समय डी. भीमराव के लिए संघर्ष एवं सामाजिक अभुदय का समय था । वे तो दलित वर्गका उद्धार करने वाले प्रथम नेता थे । दलितों में अपना विश्वास पैदा करने के लिए आपने ‘मूक’ नामक पत्रिका का प्रकाशन किया, जिससे दलितों का बिश्वास डी. अम्बेडकर के प्रति जागने लगा ।

आपने ‘गोलमेज’ सम्मेलन लन्दन में भाग लेकर पिछड़ी जातियों के लिए अलग चुनाव पद्धति तथा कुछ विशेष माँगे अंग्रेजी शासकों से स्वीकार करवायी । आप तो सदा ही दलितों से यह अनुरोध करते थे- ”शिक्षित बनकर संघर्ष करो तथा संगठित होकर कार्य कसे ।”

यह सब वे इसलिए कहते थे क्योंकि वे सदा सोचते थे कि जब उन जैसे पड़े लिखे लोगों को भी दलित जाति के नाम पर इतना अपमान सहना पड़ता है तो फिर अनपढ़ लोगों को क्या-क्या नहीं सहना पड़ेगा । 27 मई, 1935 ई. में आपकी धर्मपली रामबाई का स्वर्गवास हो गया, जिसने आपको अन्दर तक झकझोर दिया ।

बिधिवेता तथा संविधान निर्माता-स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू की मुलाकात डी. भीमराव अम्बेडकर से हुई । उन्होंने 3 अगस्त, 1947 को उन्हें स्वतन्त्र भारत के प्रथम मन्त्रिमंडल में विधिमन्त्री के रूप में नियुक्त कर लिया तथा 21 अगस्त, 1947 को भारत की संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष चयनित किया गया ।

डी. अम्बेडकर की अध्यक्षता में ही भारत के लोकतान्त्रिक, धर्म निरपेक्ष एवं समाजवादी संविधान की रचना हुई थी, जिसमें प्रत्येक मनुष्य के मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों की सुरक्षा की गई 126 जनवरी, 1950 को भारत का वह संविधान राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया ।

बौद्ध धर्म एवं डा. अम्बेडकर:

3 अकतुबर, सन् 1935 को डी. भीमराव ने अपने धर्मान्तरण की घोषणा की तथा बौद्ध धर्म अपना लिया । उन्होंने दलितों तथा श्रमिकों में नवीन चेतना जाग्रत करने तथा उन्हें सुसंगठित करने के लिए अगस्त, 1936 में स्वतन्त्र मजदूर दल की स्थापना की थी ।

वे प्रत्येक दलित को शिक्षित एवं जागरुक बनाना चाहते थे क्योंकि वे जानते थे कि शिक्षित किए बिना उनमें जाति लाना असम्भव है । 20 जून, 1946 को आपने सिद्धार्थ महाविद्यालय की स्थापना की । दिसम्बर, 1954 में डी अम्बेडकर विश्व बौद्ध परिषद में हिस्सा लेने ‘रंगून’ गए तथा बौद्ध धर्म के नेता के रूप में ‘नेपाल भी गए । 14 अक्तुबर, सन् 1956 को डी. अम्बेडकर ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ले ली । आपने भगवान बुद्ध तथा उनका धर्थ नामक ग्रन्ध की भी रचना की जिसका समापन दिसम्बर, 1956 में हुआ ।

तत्कालीन समाज:

डा. अम्बेडकर का जन्म उस वर्ग में हुआ था जिसे अइन्धविस्वार्सी के कारण हिन्दू समाज में निम्न वर्गीय माना जाता था । इसके लिए हरिजनों को पग-पग पर अपमानित किया जाता था । दलित वर्ग का व्यक्ति चाहे शिक्षित हो या अनपढ़, उसे अछूत ही समझा जाता था ।

उसे कोई छू ले तो वह तुरन्त स्नान करता था । धार्मिक स्थानों पर उनका आना-जाना वर्जित था । परन्तु डा. अम्बेडकर जैसा जागरुक व्यक्ति इस सामाजिक भेदभाव, विषमता तथा निन्दा से भी झुका नहीं । उन्होंने तो स्वयं को इतना शिक्षित बनाया कि वे किसी भी व्यक्ति का सामना निडर होकर कर सके ।

डा. भीमराव अम्बेडकर जैसा दलितों का मसीहा 6 दिसम्बर, 1956 को इस संसार से चला गया । सन् 1990 में देश के प्रत्येक कोने में उनकी जन्म शताब्दी पर अनेक समारोह किए गए तथा उन्हें मरणोपरांत ‘भारत-रत्न’ से विभूषित किया गया ।

युग को परिवर्तित कर देने वाले ऐसे महापुरुष यदा-कदा ही जन्म लेते हैं जो मरकर भी लोगों के हृदयों में जीवित रहते हैं । हम सब भारतीयों का यह कर्त्तव्य है कि हम डी. भीमराव अम्बेडकर के बताए पथ पर चले तथा छुआछूत, जाति-प्रथा आदि के भेदभाव को भूलकर मैत्रीभाव अपनाएँ ।

Hindi Nibandh (Essay) # 16

कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबन्ध | Essay on Great Poet Rabindranath Tagore in Hindi

कवीन्द्र रवीन्द्रनाथ टैगोर भारत माता की गोद में जन्म लेने वाले उन महान व्यक्तियों में गिने जाते हैं, जिन्हें अपनी साहित्यिक सेवाओं के लिए विश्व का सर्वाधिक चर्चित ‘नोबेल पुरस्कार’ प्राप्त हुआ था ।

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म भारत में अवश्य हुआ था, परन्तु उन्होंने स्वयं को किसी एक देश की सीमा में नहीं बँधने दिया । वे तो विश्वैव सुश्वकर के सिद्धान्त के अनुयायी थे । वे प्रत्येक जीक में उसी परमात्मा के अंश को विद्यमान देखते थे, जो उनमें है ।

उनके लिए न कोई मित्र था, न शत्रु, न कोई अपना था, न पराया । वे तो अच्छाई से प्यार करते थे और सभी को समान दृष्टि से देखते थे । तभी तो लोग उन्हें श्रद्धावश ‘गुरुदेव’ कहकर पुकारते थे । जन्मन्दरिचय एवं शिक्षा-इस महान आत्मा का प्रादुर्भाव 7 मई, 1861 को कलकत्ता में देवेन्द्रनाथ ठाकुर के यहाँ हुआ था ।

इनके पिताश्री बेहद धार्मिक एवं समाजसेवी प्रवृत्ति के व्यक्ति थे । इनके दादा जी द्वारिकानाथ राजा के उपाधिकारी थे । जब आप मात्र 14 वर्ष के थे, तभी आपकी माता जी का निधन हो गया था । रवीन्द्रनाथ बँधी-बँधाई शिक्षा पद्धति के विरुद्धे थे ।

यही कारण था कि जब बाल्यावस्था में उन्हें स्कूल भेजा गया तो हर बार श्व में मन न लगने के कारण स्कूल छोड़कर आ गए । घरवाले यह सोचकर निराश रहने लगे कि शायद यह बालक अनपढ़ ही रह जाएगा । परन्तु नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था कि जो बालक स्कूली शिक्षा में मन न लगा सका, वह उच्चकोटि का अध्ययनशील हो ।

वे ज्ञानप्राप्ति के लिए खूब स्वाध्याय करते थे । उन्हें अखाड़े में पहलवानी करना तथा बंग्ला, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, विज्ञान की पुस्तकों का स्वयं अध्ययन करना तथा संगीत एवं चित्रकला में विशेष रुचि थी । उन्होंने अंग्रेजी का विशेष अध्ययन किया । स्वाध्याय के लिए वे 11 बार विदेश गए ।

पहली बार 17 वर्ष की आयु में इंग्लैण्ड गए तथा वहाँ रहकर उन्होंने कुछ समय तक यूनीवर्सिटी कॉलेज लन्दन में ‘हेनरी मार्ले’ से अंग्रेजी साहित्य का ज्ञान अर्जित किया । उन्होंने अपने अनुभव के सम्बन्ध में जो पत्र लिखे, उन्हें उन्होंने यूरोप प्रवासेर पत्र के नाम से प्रकाशित किया ।

एक बार वे अपने पिता के साथ हिमालय की यात्रा पर भी गए जहाँ उन्होंने अपने पिता जी से संस्कृत, ज्योतिष, अंग्रेजी तथा गणित का ज्ञान प्राप्त किया । संगीत की शिक्षा उन्होंने अपने भाई ज्योतिन्द्रनाथ’ से प्राप्त की थी ।

वैवाहिक जीवन-सन् 1883 ई. में जब रवीन्द्रनाथ जी 22 वर्ष के थे, तो उनका विवाह एक शिक्षित महिला मृणालिनी के साथ हुआ । मृणालिनी सदैव उनके कार्यों में सहयोग देती थी । उनके पाँच बच्चे-हुए, परन्तु दुर्भागयवश 1902 में उनकी पत्नी का देहान्त हो गया ।

1903 और 1907 के मध्य उनकी बेटी शम्मी तथा पिता भी उन्हें छोड्‌कर चल बसे । इस दुख ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर को अन्दर तक झकझोर दिया । उनका सबसे छोटा स्मैं समीन्द्रनाथ की भी अल्पायु में मृत्यु हो गई थी । सन् 1910 में अमेरिका से लौटने पर वे स्वयं को एकदम अकेला महसूस कर रहे थे, तभी उन्होंने प्रतिमा देवी नामक एक प्रौढ़ महिला से विवाह कर लिया ।

पूरे परिवार में पहली बार किसी ने सामाजिक परम्पराओं को तोड़कर एक विधवा नारी से विवाह करने का साहस्र किया था । तभी से रवीन्द्रनाथ सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के कार्यों में जुट गए ।

महत्त्वपूर्ण रचनाएँ:

ठाकुर साहब का साहित्य सृजन तो बाल्यकाल से ही आरम्भ हो गया था । उनकी सर्वप्रथम कविता सन् 1874 में तत्त्वभूमि पत्रिका में प्रकाशित हुई थी । वे नाटकों में अभिनय भी किया करते थे । उनकी प्रमुख रचनाएँ ये हैं:

1 . कहानी संग्रह:

‘गल्प समूह’ (सात भागों मे), ‘गल्प गुच्छ’ (तीन भागों में) । इसके अतिरिक्त काबुलीवाला, दृष्टिदान, पोस्ट मास्टर, अन्धेरी कहाँ, छात्र परीक्षा, अनोखी चाह, डाक्टरी, पत्नी का पत्र आदि भी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ हैं ।

2. नाटक साहित्य:

‘चित्रांगदा, वाल्मीकि प्रतिभा, विसर्जन मायेरखेला, श्यामा, पूजा, रक्तखी, अचलायतन, फाल्गुनी, राजाओं रानी, शारदोत्सव, राजा आदि कुछ प्रसिद्ध नाटक हैं ।

3. काव्य संग्रह:

कडिओ कोमल प्रभात संगीत, संध्या संगीत, मानसी, चित्रा नैवेध, बनफूल कविकाहिनी, छवि ओगान, गीतांजलि इत्यादि ।

4. उपन्यास साहित्य:

नौका डूबी, करुणा (चार अध्याय), गोरा, चोखेर वाली (आँख की किरकिरी) ।

‘ सर’ की उपाधि से उलंकृत :

रवीन्द्रनाथ टैगोर की साहित्यिक प्रतिभा से कोई भी अनजान नहीं । उनकी इसी प्रतिभा को ध्यान में रखकर ‘बंगीय साहित्य परिषद’ ने उनका अभिनन्दन किया था । इसी बीच टैगोर ने अपनी प्रमुख कृति गतिघ्रलि का भी अंग्रेजी में अनुवाद कर दिया ताकि यह महान रचना अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पा सके ।

‘गीतांजलि’ के अंग्रेजी में अनुवाद होने पर अंग्रेजी साहित्य मण्डल में एक सनसनी फैल गई । स्वीडिश अकादमी ने सर 1913 में ‘गीतांजली’ को ‘नोबल पुरस्कार’ के लिए चयनित किया । रवीन्द्रनाथ टैगोर की ख्याति ब्रिटिश सम्राट पंचम जार्ज तक पहुँच चुकी थी इसीलिए सम्राट ने टैगोर साहब को सर की उपाधि से सम्मानित किया ।

इसके कुछ समय पश्चात् अंग्रेजों की कूरता का प्रमाण जलियाबाला बाग हत्याकांड के रूप में सामने आया । रवीन्द्रनाथ जैसा संवेदनशील तथा साहित्यिक व्यक्तित्व वाला व्यक्ति भला इस दुखद घटना से अछूता कैसे रह पाता इसलिए बहुत दुखी मन से रवीन्द्रनाथ ने अंग्रेजों की दी हुई ‘सर’ की उपाधि उन्हें वापिस कर दी ।

दुर्भाग्यवश 7 अगस्त 1941 को यह साहित्यिक आत्मा हमें सदा के लिए छोड़कर चली गई । हर भारतीय को बहुत क्षति हुई । निःसन्देह रवीन्द्रनाथ टैगोर अपने समय के साहित्य के जनक थे । वे सदैव भारतवासियों को अपनी उच्चकोटि की रचनाओं द्वारा प्रेरित करते रहेंगे ।

Hindi Nibandh (Essay) # 17

स्वामी विवेकानन्द पर निबन्ध | Essay on Swami Vivekananda in Hindi

भारतभूमि योगियों, ऋषियों, मुनियों तथा त्यागियों की भूमि है, तभी तो हमारे देश की धरती का गौरव सर्वत्र हैं । महापुरुषों का उदय अपने देश को ही गौरान्वित नहीं करता, अपितु पूरे विश्व को अपने प्रकाश से प्रकाशवान कर देता है । देश को प्रतिष्ठा के शिखर पर पहुँचाने वाले महापुरुषों में स्वामी विवेकानन्द का नाम बड़े आदर से लिया जाता है ।

स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 फरवरी सन् 1863 ई. को कलकत्ता में हुआ था । आपके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था । आपके पिता श्री विश्वनाथ दत्त, पाश्चात्य सभ्यता तथा संस्कृति के पुजारी थे । आपकी माता श्रीमती भुवनेश्वरी देवी संस्कारवान महिला थी, जिनका प्रभाव किशोर नरेन्द्रनाथ दत्त पर पड़ा था ।

स्वामी विवेकानन्द बचपन से ही प्रतिभाशाली तथा विबेकी थे । आपको पाँच वर्ष की आयु में अध्ययनार्थ मेट्रोपोलिटन इप्सीट्‌यूट विद्यालय भेजा गया, लेकिन पढ़ाई में अधिक रुचि न होने के कारण बालक नरेन्द्रनाथ का अधिकतर समय खेलने-कूदने में ही बीतता था ।

सन् 1879 में आपने ‘जनरल असेम्बली कॉलेज’ में प्रवेश लिया । व्यक्तित्व की विशेषताएँ-स्वामी जी पर अपने पिता के पश्चिमी संस्काद्यें का प्रभाव न पड़कर अपनी माता के धार्मिक आचार-विचारों का प्रभाव पड़ा था । यही कारण था कि स्वामी जी अपने आरम्भिक जीवन से ही धार्मिक प्रवृत्ति में ढलते गए तथा धर्म के प्रति आश्वस्त होते रहे । उनका जिज्ञासु मन सदैव ही ईश्वरीय ज्ञान की खोज में लगा रहता था ।

जब उनकी जिज्ञासा का प्रवाह अति तीव्र हो गया, तो वे अपने अशांत मन की शान्ति के लिए तत्कालीन सन्त रामकृष्ण परमहंस की छत्रछाया में चले गये । परमहंस जी पहली दृष्टि में ही विवेकानन्द की योग्यता और कार्यक्षमता को पहचान गए तथा उनसे बोले , ”तू कोई साधारण मानव नहीं है । ईश्वर ने तुझे समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए ही इस धरती पर भेजा है । ”

नरेन्द्रनाथ भी स्वामी परमहंस जी के उत्साहवर्द्धक भाषण से बहुत प्रभावित हुए तथा उनकी आज्ञा का पालन करना अपना परम कर्त्तव्य समझने लगे ।

पिताजी की मृत्यु के पश्चात् विवेकानन्द घर:

गृहस्थी को छोड़कर संन्यास लेना चाहते थे, किन्तु स्वामी परमहंस ने उन्हें समझाते हुए कहा, ”नरेन्द्र तू भी स्वार्थी मनुष्यों की भांति केवल अपनी मुक्ति की कामना करते हुए संन्यास चाहता है । संसार तो दुखी इन्सानों से भरा पड़ा है ।

उनका दुख दूर करने यदि तेरे जैसा व्यक्ति नहीं जाएगा, तो और कौन जाएगा । इसलिए निराशा से बाहर निकलकर मानव-जाति के कल्याण के बारे में सोचना तेरा कर्त्तव्य है ।” इन उपदेशों का नरेन्द्र के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा तथा उन्होंने मानव-जाति को यह उपदेश दिया- ”संन्यास का वास्तविक अर्थ मुक्त होकर लोक सेवा करना है । अपने ही मोक्ष की चिन्ता करने वाला संन्यासी स्वार्थी होता हे । साधारण संन्यासियों की भांति एकान्त में केवल चिन्तन करते रहना जीवन नष्ट करना है । ईस्वर के साक्षात दर्शन तो मानव सेवा द्वारा ही हो सकते हैं । ”

नरेन्द्रनाथ ने स्वामी परमहंस जी की मृत्यु के उपरान्त शास्त्रों का विधिवत् गहन अध्ययन किया तथा ज्ञानोपदेश तथा ज्ञान प्रचारार्थ अमेरिका, ब्रिटेन आदि अनेक देशों का भ्रमण भी किया । सन् 1881 में नरेन्द्रनाथ संन्यास ग्रहण करके स्वामी विवेकानन्द बन गए ।

31 मई सन् 1883 में अमेरिका के शिकागो शहर में हुए सर्वधर्म सम्मेलन में आपने भी भाग लिया तथा अपनी अद्‌भुत विवेक क्षमता से सबको चकित कर दिया । 11 सितम्बर सन् 1883 को आरम्भ हुए इस सम्मेलन में जब आपने सभी धर्माचार्यो को भाइयों तथा बहनों कह कर सम्बोधित किया तो वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से आपका जोरदार स्वागत किया ।

वहाँ पर स्वामी जी ने कहा- “पूरे विश्व का एक ही धर्म है-मानव धर्म । इसके प्रतिनिधि विश्व में समय-समय पर परमहंस, रहीम, राम, क्राइस्ट आदि नामों से जाने जाते रहे हैं । जब ये ईश्वरीय ह मानव धर्म के संदेशवाहक बनकर धरती पर अवतरित है ? तो आज पूरा संसार अलग-अलग धर्मो में विभक्त कयों है ? धर्म का उद्‌गम तो प्राणी मात्र की शान्ति के लिए हुआ है, परशु आज चारों ओर अशान्ति के बादल मँडरा रहे हैं । अत: आज विश्व शान्ति के लिए सभी को मिलकर मानव-धर्म स्थापना कर उसे सुदृढ़ करने का प्रयत्न करना चाहिए ।”

स्वामी जी के इन व्याख्यानों से पूरा पश्चिमी विश्व अचम्भित भी हुआ तथा प्रभावित भी हुआ । इसके पश्चात् अमेरिकी धर्म संस्थानों ने स्वामी जी को कई बार अपने यहाँ आमन्त्रित किया । परिणामस्वरूप वहाँ अनेक स्थानों पर वेदान्त प्रचारार्थ संस्थान भी खुलते गए ।

आज इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, जापान आदि अनेक शहरों में वेदान्त प्रचारार्थ संस्थान निर्मित हैं । स्वामी विवेकानन्द ने अनेक आध्यात्मिक तथा धार्मिक ग्रन्धों की रचना की है, जो आठ भागों में संकलित है । जीवन के अन्तिम क्षणों में आप ‘बेलूर मठ’ में रहने लगे थे । आपका देहावसान 5 जुलाई, 1908 को रात 9 बजे हुआ था ।

आज भी स्वामी जी के दिए उपदेश हर किसी को याद हैं- ”भारत का जीवन उनकी आध्यात्मिकता में अन्तर्निहित है । बाकी समस्त प्रश्न इसी के साथ जुड़े हैं । भारत की मुक्ति सेवा तथा त्याग द्वारा ही सम्भव है । दरीदों की उपेक्षा करना राष्ट्रीय पाप है तथा यही पतन का कारण है । ईश्वर तो इन दलितों में ही बसता है इसलिए ईश्वर के बदले इन्हीं की सेवा करना हमास राष्ट्रीय धर्म है ।”

स्वामी विवेकानन्द इस देश की वह ज्योति है जो अनन्तकाल तक भारतीयों को प्रकाशवान करती रहेगी । स्वामी जी कहे ये शब्द- ‘उठो, जागो और अपने लस्थ प्राप्ति से पहले मत रुको ‘, आज भी अकर्मण्य मानव को पुरुषार्थी बनाने में सक्षम है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 18

गुरू नानक देव पर निबन्ध | Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

संसार भर में समय-समय पर अनेक साहसी, वीर तथा मानवता की उखड़ती हुई जड़ों को पुर्नस्थापित करने वाले महापुरुषों ने जन्म लिया है । ऐसे विरले महापुरुषों में गुरु नानक देव का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है । गुरु नानक जी का मत था कि न मैं हिन्दू हूँ और न ही मुसलमान । मैं तो पाँच तत्त्वों के मेल से बना मनुष्य मात्र हूँ और मेरा नाम नानक है ।

जन्म तथा वंश परिचय:

चमत्कारी महापुरुषों एवं महान् धर्म प्रवर्त्तकों में अपना प्रमुख स्थान रखने वाले सिख धर्म के प्रवर्त्तक गुरुनानक देव का जन्म कार्तिक पूर्णिया संवत् 1526 को लाहौर जिले के ‘तलवंडी’ नामक ग्राम में हुआ था, जो आजकल ‘ननकाना साहब’ के नाम से जाना जाता है ।

यह स्थान पाकिस्तान में लाहौर से लगभग ख मील दूर स्थित है । आपके पिता श्री कालूचन्द वेदी तलबंदी के पटवारी थे । आपकी माता श्रीमती तृप्ता एक बेहद साध्वी, दयातु, शान्त तथा कर्त्तव्यपराण प्रकृति की महिला थी । माता-पिता ने उन्हें शिक्षा-दीक्षा के लिए गोपाल पण्डित की पाठशाला में भेजा ।

बचपन से ही आप अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि बालक थे । आप एकान्त प्रिय तथा मननशील बालक थे । यही कारण था कि आपका मन शिक्षा या खेलकूद से कही अधिक आध्यात्मिक विषयों की ओर लगता था । तभी तो वे पण्डित गोपाल जी से मिलने पर पूछ बैठे, ”आप मुझे क्या पढ़ायेगें?” पण्डित जी ने कहा, ”गणित या हिन्दी” । इस पर गुरुनानक ने कहा, ”गुरु जी, मुझे तो करतार का नाम पढ़ाइने , इनमें मेरी रुख नहीं है ।” इस प्रकार ये बड़े ही तेजस्वी तथा असांसारिक व्यक्ति के रूप में सामने आए लेकिन उनकी इस वैराग्य भावना से उनके माता-पिता चिन्तित रहते थे ।

सच्चा सौदा-एक बार उनके पिता जी ने धन लेकर कार्य व्यापार करने के लिए उन्हें शहर भेजा, परन्तु गुरु नानक ने वह सारा धन साधुओं की एक टोली के भोजन-पानी पर खर्च कर दिया और पिताजी के पूछने पर घर आकर कह दिया कि वह ‘सच्चा सौदा’ कर आए हैं । उनके पिता ने इस बात पर बहुत क्रोध किया परन्तु गुरुनानक की दृष्टि में तो दूसरों की सेवा ही सच्चा व्यापार था ।

इसके पश्चात् उनके पिता ने उन्हें बहन नानक के पास नौकरी करने भेज दिया । वहीं पर उनके जीजा ने नानक को नवाव दौलत खाँ के गोदाम में नौकरी दिलवा दी । वहाँ पर भी नानक ने गोदाम में रखा सारा अनाज दीन-दुखियों तथा साधुओं में वितरित करवा दिया ।

गृहस्थ जीवन एवं धर्म-प्रचार:

जब नानक के माता-पिता उनकी आदतों से परेशान रहने लगे तो उन्होंने नानक को घर गृहस्थी के जाल में बाँधने के लिए उनका विवाह करवा दिया । उनके दो पुत्र श्री चन्द्र तथा लक्ष्मी चन्द्र हुए परन्तु पली तथा पुत्रों का मोह भी उन्हें अपने जाल में नहीं फँसा पाया ।

एक दिन आप घर छोड़कर जंगल की ओर चले गए तथा लापता हो गए । वहाँ पर लौटने पर लोगों ने देखा कि नानक के मुँह के चारों ओर प्रकाश चमक रहा है । ऐसा मत है की इसी दिन गुरुनानक का ईश्वर से साक्षात्कार हुआ था । आगे जाकर उन्होंने ‘बाला’ व ‘मरदाना’ नामक शिष्यों के साथ सारे भारत का भ्रमण किया ।

जगह-जगह पर साधु सन्तों से ज्ञान की बातें की तथा जन साधारण को अमृतवाणी का सन्देश दिया । भ्रमण करते समय आपने जगह-जगह धर्मशालाएं बनवाई । आज भी प्रयाग, बनारस, रामेश्वरम् आदि में निर्मित धर्मशालाएँ इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं । गुरुनानक देव के अमृत उपदेश ‘गुरु ग्रन्य साहब’ में संकलित हैं ।

उपदेश एवं यात्राएँ:

सर्वप्रथम गुरुनानक ने पंजाब का भ्रमण किया । वे उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम चारों दिशाओं में घूमते रहे । वे इन यात्राओं के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे तथा लोगों को सुधारना भी चाहते थे । एक बार वे हरिद्वार की यात्रा पर गए जहाँ के अन्धविश्वासों का उन्होंने बलपूर्वक खण्डन किया ।

उत्तर भारत के सभी नगरों का भ्रमण कर वे रामेश्वरम् तथा सिंहल द्वीप तक पहुँचे, जिसे आज लंका कहते हैं । दक्षिण भारत से लौटकर आपने हिमालय प्रदेश का भी भ्रमण किया । टेहरी, गढ़वाल, हेमकूट, सिक्किम, भूटान तथा तिब्बत तक की यात्राएं भी आपने धर्म प्रचार के लिए की । यात्राएँ करते-करते एक बार वे मुसलमानों के तीर्थ स्थान ‘मक्का-मदीना’ तक पहुंच गए । इस बीच उनकी ख्याति सब ओर फैलने लगी तथा उनके शिष्यों की संख्या भी बढ़ने लगी ।

जीवन भर भ्रमण करते हुए तथा विभिन्न धर्मावलम्बियों के संसर्ग में रहते हुए आपने यह जान लिया था कि बाहर से चाहें सभी धर्मों का स्वरूप भिन्न-भिन्न हो, अलग-अलग नामों वाले देवी-देवता हो, परन्तु सभी धर्मों का सार एक ही है । सभी धर्म सेवा, त्याग, सच्चरित्रता तथा ईश्वर की अपार भक्ति की शिक्षा देते हैं ।

कोई भी धर्म हमें मिथ्याचार, आडम्बर या संकीर्णता नहीं सिखाता । ये तो मानव मात्र की पैदा की गई कुरीतियाँ हैं, जिन्हें हम अपने-अपने धर्म के साथ जोड़कर दूसरे धर्म के लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं । गुरुनानक का कहना था कि पाखण्ड को छोड़कर, आडम्बर से दूर भाग कर तथा भगवान से सच्ची लगन लगाकर ही शान्ति प्राप्त हो सकती है ।

भारतवासी उन्हें ‘हिन्द का पीर’ कहते थे । भ्रमण करते हुए जब नानक बगदाद से अपने देश पहुँचे तो उन्होंने पंजाब में ‘करतारपुर’ गाँव बसाया । सन् 1538 ई. में 70 वर्ष की आयु में गुरुनानक देव की मृत्यु हो गई । यूँ तो गुरु नानक देव की शिक्षा विविध प्रकार की है, फिर भी उनकी मुख्य शिक्षा यह थी हमें प्रत्येक परिस्थिति में ईश्वर का स्मरण करते रहना चाहिए ।

अहंकार को पालने से ही सांसारिकता पैदा होती है तथा मानव मोह-माया के जाल में फँसता है । परिश्रम करके रोटी कमाना तथा दूसरों की सच्ची निस्वार्थ सेवा करना ही असली तप है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 19

महावीर स्वामी पर निबन्ध | Essay on Mahavir Swami in Hindi

धर्म प्रधान वसुधा भारत पर अनेकानेक धर्म-प्रवर्तकों तथा महापुरुषों ने जन्म लिया है । योगी राज श्रीकृष्ण, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, धर्मपरायण युधिष्ठिर, महात्मा गौतम बुद्ध, गुरु नानक देव आदि ने भारत माता को ही सुशोभित किया है ।

ऐसे ही महान अवतारों में क्षमामूर्ति, अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर स्वामी का नाम सर्वोपरि हैं । जन्म-परिचय तथा बंश-जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व बिहार राज्य के वैशाली नगर के कुण्ड ग्राम में लिच्छवी वंश में हुआ था ।

आपकी माता का नाम त्रिशलादेवी तथा पिता का नाम श्री सिद्धार्थ था । महावीर स्वामी का जन्म उस समय हुआ था जब यज्ञों का महत्त्व बढ़ने के कारण केवल ब्राह्मणों की ही समाज में प्रतिष्ठा होती थी । पशुओं की बलि देने से यज्ञ विधान महँगे हो रहे थे इससे हर तरफ ब्राह्मणों का ही वर्चस्व बढ़ रहा था तथा वे अन्य जातियों को हीन तथा मलिन समझने लगे थे ।

इसी समय वृक्षोंने कृपा से महावीर स्वामी धर्म के सच्चे स्वरूप को समझाने के लिए तथा परस्पर भेदभाव की खाई को भरने के लिए सत्यस्वरूप में इस पावन धरती पर अवतरित हुए थे । शैशवकाल में आपका नाम वर्धमान रखा गया । युवावस्था में एक भयंकर नाग तथा एक मस्त हाथी को वश में कर लेने के कारण सभी आपको ‘महावीर’ कहने लगे ।

युवावस्था में आपका विवाह यशोधरा नामक एक सुन्दर व सुशील कन्या से हुआ । फिर भी आप अपनी पली के प्रेमाकर्षण में नहीं बँध सके, अपितु आपका मन सांसारिक सुख-सुविधाओं से और अधिक दूर होता चला गया । आपका मन संसार से और भी अधिक तब उचट गया, जब आपके पिताजी का निधन हो गया ।

मायावी संसार को त्यागने के विचार आपने अपने ज्येष्ठ भ्राता नन्दिवर्धन के समक्ष रखे । सभी प्रकार का सुख-वैभव होने पर भी आपका मन संसार में नहीं लग रहा था । आप घंटों एकान्त में बैठकर सांसारिक पदार्थों की नश्वरता के विषय में सोचते रहते थे ।

आप तो संसार से संन्यास लेने ही बाले थे, परन्तु अपने बड़े भाई के आग्रह पर दो वर्ष ग्रहस्थ जीवन के और काट दिए । इन दो वर्षों के अन्दर आपने दिल खोलकर दान-पुण्य किया तथा अपने द्वार से किसी को भी खाली हाथ नहीं लौटने दिया ।

वैराग्य एवं साधना:

30 वर्ष की आयु में महावीर स्वामी सभी राज-पाट, सुख-वैभव तथा पली तथा सन्तान का मोह छोड़कर घर से निकल पड़े तथा वनों में जाकर तपस्या करने लगे । अपने इस पथ के लिए आपने गुरुवर पार्श्वनाथ का अनुयायी बनकर लगभग बारह वर्षों तक अनवरत कठोर तप-साधना की थी ।

इस विकट तपस्या के फलस्वरूप आपको सच्चा ज्ञान प्राप्त हुआ । अब आप जंगलों की साधना को छोड़कर शहर में अपने साधनारत कर्मों का विस्तार करने लगे । लगभग 40 वर्ष तक आपने बिहार प्रान्त के उत्तर तथा दक्षिण भागों में अपने मत का प्रचार-प्रसार किया । आपका सबसे पहला प्रवचन राजगृह नगरी के समीप विपुलांचल पर्वत पर हुआ था ।

धीरे-धीरे आपके अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई तथा दूर-दूर से लोग आपके प्रवचन सुनने आने लगे । आपने लोगों को अच्छा आचरण खान-पान में पवित्रता तथा प्राणीमात्र पर दया करने की शिक्षा दी । आपने अपने प्रवचनों में सत्य, अहिंसा तथा प्रेम पर विशेष बल दिया ।

जैन धर्म के सिद्धान्त:

महावीर स्वामी जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर के रूप में आज भी सश्रद्धा तथा ससम्मान पूज्य एवं आराध्य हैं । जैन धर्म को मानने वाले ‘जैनी’ कहलाते हैं । जैन धर्म की दो शाखाएँ हैं-दिगम्बर तथा श्वेताम्बर । जो लोग निर्वस्त्र रहने लगे तथा जिन्होंने सब कुछ त्याग दिया, वे ‘दिगम्बर जैन’ कहलाए तथा जिन्होंने वस्त्र नहीं त्यागे वे ‘श्वेताम्बर जैन’ कहलाने लगे । जैन धर्म का मुख्य सार इन पाँच सिद्धान्तों में निहित हैं- सत्य , अहिंसा चोरी न करना, आवश्यता से अधिक कुछ भी संग्हित न करना तथा शुद्धाचरण ।

आज जैन धर्म के मानने वालों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही हैं । आज हर जगह जैन धर्म के मन्दिर, धर्मशालाएं, पुस्तकालय, औषधालय विद्यालय आदि निशुल्क मानव सेवा कर रहे हैं ।

महाबीर स्वामी की शिक्षाएँ:

महावीर स्वामी ने लोगों से सत्य, अहिंसा तथा प्रेम से रहने को कहा । इसके अतिरिक्त सम्यकज्ञान, समयकदमन तथा सम्यक चरित्र ये तीनों मुक्ति के मार्ग बताए हैं । इन मार्गो पर चलकर ही मानव सांसारिक बन्धनों से मुक्ति पा सकता है ।

कभी भी अपनी आवशकता से अधिक धन संचय मत करो । ऐसा करना पाप है क्योंकि एक के पास अधिक धन दूसरे को निर्धन बनाता है । इस प्रकार समाज में असन्तुलन बढ़ता है । महावीर स्वामी ने जाति प्रथा को भी समाप्त करने पर बल दिया ।

उनका मत था कि ऊँची जाति में जन्म लेकर ही कोई व्यक्ति महान नहीं बन जाता, वरन् कर्म करने से ही मनुष्य समाज में उच्च स्थान तथा सम्मान पाता है । सबसे महत्त्वपूर्ण बात जिओ और जीने दो, अर्थात् इस दुनिया में सभी को जीवित रहने का अधिकार है । इसलिए मानव को एक छोटे से पतंगे का भी वध नहीं करना चाहिए ।

ईश्वर ही जन्मदाता तथा गुत्युदाता है, इसलिए इन्सान को किसी को भी मारने का अधिकार नहीं है । जो व्यवहार तुम अपने लिए चाहते हो, वैसा ही व्यवहार तुम्हें दूसरों के साथ भी करना चाहिए । यही जीवन का सार है तथा यही मोक्ष का रास्ता है ।

निर्वाण प्राप्ति:

कार्तिक मास की अमावस्या को बिहार प्रान्त के पावापुरी में भगवान महावीर स्वामी ने 72 वर्ष की आयु में अपने नाशवान शरीर को छोड्‌कर निर्वाण प्राप्त कर लिया तथा जन्म, जरा, आधि तथा व्याधि के बन्धनों से मुक्त होकर अमर हो गए ।

क्षमा, त्याग, प्रेम, दया, करुणा की मूर्ति भगवान महावीर की अभूतपूर्व शिक्षाएँ आज भी मानव-जाति का पथ-प्रदर्शन कर रही हैं । सच्चे अर्थों में मानव तथा फिर भगवान स्वरूप में आकर महावीर भगवान ने पूरी जन-जाति का उद्धार किया है ।

Hindi Nibandh (Essay) # 20

नोबेल पुरस्कार विजेता: अमतर्य सेन पर निबन्ध |Essay on Amartya Sen : The Nobel Laureate in Hindi

दुनिया भर में योग्यताओंको प्रोत्साहितकरनेकेलिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग पुरस्कार दिए जाते हैं । ‘नोबेल पुरस्कार’ विश्व का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है । यह विश्व की सर्वोत्तम रचना अथवा सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को दिया जाता है ।

यह पुरस्कार हर वर्ष दिया जाता है । इस दृष्टि से हमारा देश बहुत महत्त्वपूर्ण है । हमारे देश की महान विभूतियोंनुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, हरगोबिन्द खुराना, सीबीरमन, सुबस्रणयम् चन्द्रशेखर, मदर टेरेसा आदि को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है ।

वर्ष 1998 का नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रो. अमर्त्य सेन को प्रदान किया गया है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रो.अमर्त्य सेन प्रथम भारतीय ही नहीं, अपितु पूरे एशिया के प्रथम व्यक्ति हैं ।

जीबन परिचय एवं शिक्षा:

प्रो. अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवम्बर, 1933 को शान्ति निकेतन (पश्चिमी बंगाल) में हुआ था । ‘शान्ति निकेतन’ नामक संस्था की स्थापना रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी । अमर्त्य सेन ने स्नातक की परीक्षा कोलकत्ता के ‘प्रेसिडेन्सी कॉलेज’ से सन् 1953 ई. में पास की थी ।

इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए आप यूरोप चले गए । वहाँ ‘कैम्ब्रिज विश्बबिद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की । वहाँ से लौटकर सन् 1956-58 ई. में जटिवपुर विश्वविद्यालय में अध्ययन शुरू कर दिया । यहीं पर आपको डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया गया ।

कुछ समय के पश्चात् आपने सन् 1963-1968 तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकनोमिक्स विभाग में अध्यापन कार्य किया । इसके पश्चात् ऑक्सफोर्ड , हारवर्ड तथा कैम्ब्रिज आदि विश्वविद्यालयों में कई उच्च पदों पर आसीन रहे ।

प्रो. अमर्त्य सेन बहुत बड़े लेखक हैं । उन्होंने लगभग डेढ़ दर्जन पुस्तकें लिखी हैं । उन्होंने 200 से भी अधिक अध्ययन-पत्र लिखे हैं । प्रो. अमर्त्य सेन के कार्य अत्यंत महान एवं सराहनीय हैं । उन्हें स्टॉकहोम के एक समारोह में 10 दिसम्बर, 1998 को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

इसके लिए उन्हें एक पदक तथा 76 लाख स्वीडिश क्रोनर (लगभग 4 करोड़) रुपए प्रदान किए गए । यह पुरस्कार उनके द्वारा कल्याणकारी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अनूठे योगदान के लिए दिया गया है । वास्तव में प्रो. सेन ने सामाजिक सिद्धान्त के चयन कल्याण तथा गरीबी की परिभाषा तथा अकाल के अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया है ।

प्रो. अमर्त्य सेन को जब यह नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया तब उनसे किसी पत्रकार ने पूछा:

”नोबेल पुरस्कार प्राप्त करके आप कैसा महसूस कर रहे हैं । निःसन्देह यह आपके लिए अति हर्ष का क्षण है ।”

इसके जवाब में प्रो. सेन ने कहा, ”मैं वास्तव में बेहद खुश हूँ, क्योंकि जिस विषय पर मैं और बिश्व के अनेक अर्थशास्त्री कार्य कर रहे थे तथा अभी भी कर रहे है उस बिषय को आज मान्यता मिली है । यह बिषय केवल उन लोगों के लिए ही प्रासंगिक नहीं , जो सुखी तथा सम्पन्न जीवन जीना चाहते हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिन्हें न तो भर पेट भोजन उपलब्ध है और न खई तन ढकने का कपड़ा तथा जीबन की न्यूनतम सुविधाएँ जैसे पीने का खन्स पानी , सिर के ऊपर छत व चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाएं भी उपलब्ध नही हैं ।”

प्रो. अमर्त्य सेन की उपलब्धियाँ:

वे सही अर्थों में गरीबों के मसीहा है । उन्होंने निर्धनता को दूर करने तथा निर्धनता के कारणों जैसे अकाल के बारे में बहुत गहन अध्ययन किया है । उन्होंने उन सिद्धान्तों का खंडन किया है जो अन्न की कमी को ही ‘अकाल’ का कारण बताते हैं ।

इसके विरोध में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है, ”अकाल ऐसे समय में हुए, जब अन्न की आपूर्ति पिछले अकाल रहित वर्षो से ज्यादा कम नहीं थी । यह सब प्रशासनिक व्यवस्था की असफलता के कारण ही हुआ था । उन्होंने आगे इसे इस प्रकार स्पष्ट है कि सन् 1944 ई. के बंगाल अकाल में 30 लाख से अधिक लोग अन्न के अभाव में नहीं मरे थे , अपितु सरकारी तन्त्र की अयोग्यता के कारण काल का ग्रास बने थे । ”

वास्तव में प्रो. अमर्त्य सेन हमारे देश की महान विभूति हैं । उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर हम सभी भारतीयों का सिर गर्व से ऊँचा हो गया है ।

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Class 10 Hindi Essay Notes PDF (Handwritten Short & Revision)

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The class 10 Hindi Essay notes are the important part throughout the academic session. As in the class 10 notes of Hindi Essay briefs about the chapters are given. Students can utilise the notes while preparing for class 10 Hindi Essay board exam and after completing chapters. Through the notes of class 10 Hindi Essay, students can recall all the important topics of the chapter during the board exam. 

Content in the class 10 Hindi Essay notes are clear, concise and to the point. Through the notes of Hindi Essay, students can have conceptual understanding of all chapters. By having conceptual understanding, students can get mind blowing marks in class 10 Hindi Essay board exam. According to the marks in class 10 Hindi Essay board, students can be promoted to the next grade. 

Hindi Essay Notes Class 10 PDF

Being a class 10 student, it is very important to work upon the Hindi Essay topics and concepts so that they can understand well. All the topics and concepts are briefly explained in the Hindi Essay notes class 10 PDF which is available in the Selfstudys website. The class 10 notes of Hindi Essay can improve the curiosity to learn new topics every day. 

Where Can I Find Resources for Class 10 Hindi Essay Notes?

Students can easily find the resources for class 10 Hindi Essay notes through the Selfstudys website, steps to download are explained below:

  • Visit the Selfstudys website. 
  • Click the CBSE from the navigation bar, then select New Revision notes from the list.

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Why Should Students Utilise Class 10 Hindi Essay Notes?

Students should utilise the class 10 Hindi Essay notes so that they can finish their Class 10 Hindi Essay syllabus from their comfort zone. This is one of the characteristics of class 10 notes Hindi Essay, other features are: 

  • Key Points are Given: Key points simply means summary of the main points of the chapter; same goes for Hindi Essay chapters as it is provided in the class 10 Hindi Essay notes PDF.  
  • Understandable Language: Understandable language is considered to be clear and easy without unnecessary complicated language; class 10 Hindi Essay notes PDF are explained in an understandable language so that students can understand the whole chapters without facing any trouble. 
  • Vibrant Diagrams are Given: Vibrant diagrams are considered to be bright which can be exciting and interesting; inside the CBSE class 10 Hindi Essay notes, vibrant diagrams are provided. Through the class 10 notes of Hindi Essay, students can increase their productivity and concentration level. 
  • Examples are Explained: In the class 10 Hindi Essay notes, some examples are explained in a brief way so that students can solve all kinds of questions. 
  • For CBSE Board: These Hindi Essay notes class 10 PDF are basically for those students who study in CBSE because the notes are prepared referring to the same syllabus that is prescribed by the CBSE board. 
  • All Chapters are Covered: In the CBSE class 10 Hindi Essay notes, all chapters are covered as everything would be available under one roof. 

What Are the Benefits of Utilising the Class 10 Hindi Essay Notes?

Students can benefit a lot by utilising class 10 Hindi Essay notes as it provides the best result to them. It is one of the important benefits, other benefits are: 

  • Acts as a Revision Tool: The Hindi Essay notes class 10 PDF acts as revision tool for students so that they can memorise important points of all chapters. 
  • Provided in a Well Organised Structure: A well organised structure of the class 10 Hindi Essay notes PDF can convert the preparation into well organised and systematic one. Through the well organised preparation, students can score well in the class 10 Hindi Essay board exam. 
  • Encourages Active Learning: Active learning is considered to be that approach which includes full involvement, it is important for students to be active while learning the topics and concepts of class 10 Hindi Essay. So, CBSE class 10 Hindi Essay notes help students to be active while preparing. 
  • Provides Accurate Content: In the class 10 Hindi Essay notes, content provided is accurate and to the point. Through this, students can also prepare well for the class 10 Hindi Essay accurately. 
  • Emphasises Information: The class 10 notes of Hindi Essay provides emphasised information that attracts many students to complete topics and concepts. This encourages innovative skills for students to attempt class 10 Hindi Essay questions. 
  • Improves Memory: Memorisation is the ability to store a lot of information at one go; students can improve their memorisation skills with the help of Hindi Essay notes class 10 PDF. 
  • Improves Confidence: Confidence is the ability of having surety about anything; students can improve their confidence with the help of class 10 Hindi Essay notes. Self confidence can help students to remove their exam stress and anxiety while attempting class 10 Hindi Essay board exam. 

When Is the Best Time to Take Class 10 Hindi Essay Notes?

The best time to take class 10 Hindi Essay notes is after completing all the chapters from the NCERT book. In the NCERT book, each topic is elaborated in a proper way so that students don’t get stuck in any of the topics. Through the class 10 notes of Hindi Essay, students can remember important points without any complexity or difficulty. 

How to Prepare for Class 10 Hindi Essay Board Exam With The Help of Notes?

Students are advised to make a strategy plan to prepare for class 10 Hindi Essay board exam, they can make their own strategy with the help of class 10 Hindi Essay notes, those tips are: 

  • Find Good Place to Study: Students should find their own place to prepare well for class 10 Hindi Essay exam. A good place is created so that there are no distractions or loud music, etc while preparing for class 10 Hindi Essay exam. 
  • Try to Reward Yourself: It is important for students to reward themselves: candy, chocolates, chips, etc as it motivates them to attain daily goals to complete Class 10 Syllabus . 
  • Try to Study With Groups: Students can complete the class 10 Hindi Essay syllabus in groups as friends can help each other to cope up with difficult topics. By completing difficult topics, students can improvise their score in class 10 Hindi Essay board exam. 
  • Complete the Notes: Students need to complete the Hindi Essay notes class 10 PDF which is available in the Selfstudys website. 
  • Solve Doubts: Students need to solve their doubts regarding the class 10 Hindi Essay notes PDF with the help of teacher’s guidance so that they can get involved in group discussions. 
  • Take a Break: Students need to take breaks: short walk, meditate, listen to song, etc while preparing for topics and concepts included in class 10 Hindi Essay. 
  • Practise Questions: After completing all chapters from the class 10 Hindi Essay syllabus, students need to practise different kinds of questions. Through this, students can improve their conceptual understanding for the class 10 Hindi Essay. 
  • Adapt Daily Goals: Try to adapt daily goals to complete class 10 Hindi Essay syllabus so that students can lay a strong foundation for the subject. 

Why Is It Important For Students To Refer To CBSE Class 10 Hindi Essay Notes?

It is very important for students to refer to CBSE class 10 Hindi Essay notes so that they can rely on the relevant content. It is necessary for students to prepare for class 10 Hindi Essay syllabus through relevant content as it removes confusions of different resources. By relying on the relevant content, students can improve their self- confidence during the class 10 Hindi Essay board exam. 

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speech topics in hindi for class 10

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speech topics in hindi for class 10

NCERT Solutions for Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

NCERT Solutions for Class 10 Hindi – Class 10 Hindi NCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij, Kritika, Sparsh, Sanchayan are the part of NCERT Solutions for Class 10 . Here we have given CBSE Class 10 Hindi NCERT Solutions of क्षितिज, कृतिका, स्पर्श, संचयन.

Please find Free NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan, Sparsh, Kshitiz, Kritika in this page. We have compiled detailed Chapter wise Hindi Class 10 NCERT Solutions for your reference.

Class 10 Hindi NCERT Textbook fro Sanchayan contains 3 chapters, sparsh contains 17 chapters, Kshitiz contains 17 chapters and Kritika contains 5 Chapters. We developed NCERT Class 10 Hindi Solutions to help both teachers and students to equip with best study material for Class 10 Hindi.

Hindi Class 10 Question Answer – NCERT Solutions Class 10 Hindi

NCERT Solutions for Class 10 Hindi – A

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Bhag 2 क्षितिज भाग 2

काव्य – खंड

  • Chapter 1 पद
  • Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
  • Chapter 3 सवैया और कवित्त
  • Chapter 4 आत्मकथ्य
  • Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही
  • Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल
  • Chapter 7 छाया मत छूना
  • Chapter 8 कन्यादान
  • Chapter 9 संगतकार
  • Chapter 10 नेताजी का चश्मा
  • Chapter 11 बालगोबिन भगत
  • Chapter 12 लखनवी अंदाज़
  • Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक
  • Chapter 14 एक कहानी यह भी
  • Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
  • Chapter 16 नौबतखाने में इबादत
  • Chapter 17 संस्कृति

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika

Class 10 Hindi Question Answer Kritika Bhag 2 कृतिका भाग 2

  • Chapter 1 माता का आँचल
  • Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक
  • Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि
  • Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!
  • Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

NCERT Solutions for Class 10 Hindi – B

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh

NCERT Solutions Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 स्पर्श भाग 2

  • Chapter 1 साखी
  • Chapter 2 पद
  • Chapter 3 दोहे
  • Chapter 4 मनुष्यता
  • Chapter 5 पर्वत प्रदेश में पावस
  • Chapter 6 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
  • Chapter 7 तोप
  • Chapter 8 कर चले हम फ़िदा
  • Chapter 9 आत्मत्राण
  • Chapter 10 बड़े भाई साहब
  • Chapter 11 डायरी का एक पन्ना
  • Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा
  • Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
  • Chapter 14 गिरगिट
  • Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
  • Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ
  • Chapter 17 कारतूस

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan

Class 10 Hindi NCERT Solutions Sanchayan Bhag संचयन भाग 2

  • Chapter 1 हरिहर काका
  • Chapter 2 सपनों के-से दिन
  • Chapter 3 टोपी शुक्ला

CBSE Class 10 Hindi A Unseen Passages अपठित बोध

  • अपठित गद्यांश
  • अपठित काव्यांश

CBSE Class 10 Hindi A Grammar व्याकरण

Cbse class 10 hindi a writing skills लेखन कौशल.

  • विज्ञापन लेखन

CBSE Class 10 Hindi B Unseen Passages अपठित बोध

Cbse class 10 hindi b grammar व्याकरण.

  • शब्द व पद में अंतर
  • रचना के आधार पर वाक्य रूपांतर
  • अशुद्धि शोधन

CBSE Class 10 Hindi B Writing Skills लेखन कौशल

  • अनुच्छेद लेखन

We hope the given Hindi NCERT Solutions Class 10 will help you. If you have any queries regarding Class 10 Hindi Question Answer, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

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कक्षा 10 से 12 के लिए निबंध

अगर कोई निबंध ऐसा है जिसकी आपको आवश्यकता है और यहाँ उपलब्ध नहीं है तो आप उस विषय का निबंध का नाम हमे मेल (Mail) द्वारा भेज दे, हम जल्द ही उस विषय का निबंध यहाँ उपलब्ध करा देंगे।

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  • CBSE Class 10 Hindi Syllabus 2024-25: Updated Curriculum

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Hindi Class 10 Syllabus 2024-25 - FREE PDF Download

The  Hindi Syllabus Class 10 CBSE 2024-25 is designed to enhance their understanding of Indian culture and literature. It includes prose and poetry, focusing on comprehension, expression, and critical thinking. Key components include grammar, reading comprehension, writing skills, and literature covering classical and contemporary works. The Class 10 Hindi Syllabus 2024-25 provides information, preparing students for academic success and effective communication.

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Students can check and download the revised syllabus for their CBSE Class 10 syllabus and complete the curriculum here. Along with the details of the course content, students can also check the question paper design and evaluation scheme. 

CBSE Term wise Syllabus for Class 10 Hindi

CBSE Term-wise Syllabus for Class 10 Hindi

New Updations of CBSE Class 10 Hindi Syllabus 

Hindi class 10 syllabus 2024-25 Some chapters and topics have been removed from the updated curriculum.

Hindi Course A Class 10 syllabus 2024-25 has new prose and poetry selections that have been added to provide a richer and more diverse literary experience.

The grammar section has been updated to include more practical applications and modern language usage.

The marking scheme and assessment pattern have been adjusted to emphasise critical thinking, comprehension, and analytical skills.

The digital resources and recommended online study materials are compiled according to the Class 10 Hindi syllabus 2024-25.

CBSE Class 10 Hindi A Syllabus 2024 -25 Course Structure

The CBSE 10th Hindi A syllabus (2024–25) is divided into four sections, each with designated marks indicating its weight on the exam paper. For a detailed breakdown of the section-wise weightage, refer to the table below:

Section

Description

Marks

A

Unseen Comprehension

14

B

Practical Grammar

16

C

Textbook and Supplementary Textbook

30

D

Creative Writing

20


Total Marks: {80 (Annual Board Examination) + 20 (Internal Examination)}


CBSE Class 10 Hindi B Syllabus 2024 -25 Course Structure

Section

Description

Marks

A

Unseen Comprehension

14

B

Functional Grammar

16

C

Textbook and Supplementary Reader

28

D

Creative Writing

22

Total

Annual Board Exam + Internal Assessment

80 + 20

CBSE Class 10 Hindi Syllabus 2024-25: Quick overview  

Section

Hindi Course A

Hindi Course B

Reading Comprehension (Unseen Passages - Prose & Poem)

Multiple Choice Questions

Multiple Choice Questions

Grammar

- Sandhi (Conjunct Consonants) - Samas (Compound Words) - Vibhaktiyan (Case Endings) - Vachya (Voice) - Karak (Case)

- Sandhi (Conjunct Consonants) - Samas (Compound Words) (Choose any 16 out of 20 questions)

Writing Skills

- Nibandh (Essay writing) - Based on prescribed textbook chapters - Patra Lekhan (Letter writing) - Formal & Informal - Report Writing - Vakya Rachna (Sentence Formation)

- Nibandh (Essay writing) - Based on prescribed textbook chapters - Patra Lekhan (Letter writing) - Formal & Informal - Report Writing - Vakya R

CBSE Class 10 Hindi A 2024–25 Syllabus Outline

Proficiency in reading and writing.

Skills Development: Emphasis on enhancing reading comprehension and writing proficiency.

Understanding and Production: Students should be able to interpret complex texts and produce coherent essays and summaries.

Activities: Includes various writing assignments, comprehension tests, and creative writing projects to strengthen these skills.

Foundation Building: Focus on reinforcing Hindi grammar skills.

Command of Language: Understanding Hindi vocabulary, and sentence structure is essential.

Practice Exercises: Activities include worksheets, exams, and targeted exercises to improve grammatical accuracy.

Literary Focus: Strong emphasis on the study of Hindi literature.

Comprehension and Context: Students must understand significant works and their historical and cultural contexts.

Analytical Activities: Involves reading and analysing selected texts, writing assignments, and creative projects to learn about Hindi literature.

Main Topics Covered in the Class 10 Hindi-A Syllabus

Understanding and interpretation.

Analytical Focus: Emphasis on developing strong analytical and cognitive skills.

Reading Comprehension: Ability to read and understand complex texts in their context.

Textual Analysis: Essential to examine the language and literary elements of texts.

Vocabulary and Grammar 

Grammar Mastery: Understanding Hindi grammar is vital.

Vocabulary Building: Learning vocabulary is necessary for comprehension and clear expression.

Grammar Proficiency : Understanding grammatical rules is key for effective communication and comprehension.

Composition and Writing

Writing Skills: Proficiency in writing and composing is crucial for exam success.

Effective Composition: Ability to write clear and concise compositions and summaries.

Written Communication: Understanding written communication standards, syntax, and terminology is essential.

CBSE Class 10 Hindi A Syllabus: Deleted Chapters

Please note that the following topics have been removed from the CBSE 10th Hindi A syllabus for 2025. Teachers should exclude these topics from their lesson plans.

Textbook

Section

Deleted Chapters

Kshitij, Part 2

Poetry Section

- Dev: 'Seva', Poetry (Entire Chapter)  - Girija Kumar Mathur: 'Chhaya Mat Chhuna', Poetry (Entire Chapter)  - Rituraj: 'Kanyadaan', Poetry (Entire Chapter)

Kshitij, Part 2

Prose Section

- Mahadevi Verma: 'Stri-Shiksha Ke Virodhi Kutarko Ka Khandan' (Entire Chapter)  - Sarveshwar Dayal Saxena: 'Manaviy Karuna Ki Divya Chamak' (Entire Chapter)

Kritika, Part 2


- 'Ehi Thahaan Jhulni Herani Ho Rama!' (Entire Chapter)  - 'George Pancham Ki Naak' (Entire Chapter)

Prescribed Books for Hindi A Syllabus: 

Kshitij, Part 2 - Published by NCERT, New Delhi (Latest Edition)

Kritika, Part 2 - Published by NCERT, New Delhi (Latest Edition)

CBSE Class 10 Hindi–B 2024–25 Syllabus Outline

Students can use the syllabus as a guide to understand which chapters are included in the Hindi exam, allowing them to plan their study schedule effectively and allocate sufficient time to each chapter. The CBSE Class 10 Hindi B syllabus comprises two books:

The Sanchayan syllabus includes captivating chapters such as "Harihar Kaka," "Sapno Ke Se Din," and "Topi Shukla."

The Sparsh syllabus consists of 17 chapters, offering learning literature and culture while enhancing linguistic skills. It features timeless works by Ravindra Nath Tagore and Premchand, along with the heartfelt poems of Meera and Bihari.

The Grammar (Vyakaran) section aims to teach students the fundamentals of Hindi grammar, including sentence structure, parts of speech, and other grammatical concepts. The CBSE Class 10 Hindi syllabus for the academic year 2024–2025 also focuses on expanding students' Hindi vocabulary (Shabdaikya).

CBSE Class 10 Hindi B Syllabus: Deleted Chapters 

Please note that the following topics have been removed from the CBSE 10th Hindi B syllabus for 2025. Teachers should exclude these topics from their lesson plans.

CBSE Class 10 Hindi B 2024–25: Deleted Chapters

Sparsh Part 2

- Bihari Dohe (Complete Chapter)

- Mahadevi Verma: Madhur Madhur Mere Deepak Jal (Complete Chapter)

- Girgit by Anton Chekhov (Complete Chapter)

Prescribed Books for Hindi B Syllabus:  

Sanchayan Published by NCERT, New Delhi (Latest Edition)

Sparsh Published by NCERT, New Delhi (Latest Edition)

Benefits of Downloading the Hindi Syllabus Class 10 CBSE  2024-25 Revised PDF 

Comprehensive Overview: Get a complete understanding of the topics and structure of the course.

Effective Planning: Plan your study schedule efficiently with a clear resource of what to cover.

Stay Updated: Ensure you are aware of the latest updates and changes in the syllabus.

Targeted Preparation: Focus on key areas and allocate time according to the weightage of each section.

Resource Allocation: Identify and gather the necessary resources and materials for each topic in advance.

Tips for Preparing for the Hindi Class 10 CBSE Syllabus 2025

Understand the Syllabus: Familiarise yourself with the entire curriculum, including prose, poetry, and chapters.

Prepare a Study Timetable: Develop a well-organised study schedule that allocates adequate time to each syllabus area, ensuring comprehensive coverage of all topics.

Consistent Practise: Regular practice is crucial for language courses. Frequently read, write, and speak in Hindi to enhance your language skills.

Pay Attention to Grammar: Practise grammar basics regularly. Understand the application of cases, tenses, and other grammatical rules. Use textbook exercises for practice.

Making Notes: Make a habit of taking concise notes. These can help recall details about characters, themes, and narratives in literature sections.

Attempt Sample Papers: Practice with sample papers and previous years' question papers to improve time management, understand the exam format, and identify areas needing more focus.

The CBSE board, one of India's largest and most prestigious educational boards, prioritises creating a firm foundation for pupils from the start. Vedantu's CBSE Hindi Course A syllabus prepares students for exams while allowing parents to successfully assist their children's learning. The Hindi syllabus class 10 CBSE 2024-25 PDF which is connected with the CBSE, guarantees that Class 10 children receive a thorough education in a variety of disciplines. Students may develop curiosity, communicate their opinions boldly, and begin a successful academic journey with a well-structured syllabus in place.

Related Study Materials for Class 10 Hindi 

For complete preparation of Hindi for CBSE Class 10 board exams, check out the following links for different study materials available at Vedantu.

S. No

Important Study Resources for Class 10 Hindi 

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FAQs on CBSE Class 10 Hindi Syllabus 2024-25: Updated Curriculum

1. What Components Does the CBSE Class 10th Hindi Syllabus Hold?

The NCERT Class 10 Hindi Syllabus comprises two subdivisions- Hindi Course A and Hindi Course B, which includes four sections each- Grammar, Reading, Writing, and Questions from the textbook.

The Course A subdivision holds is all about Literature. The Part- A subdivision of the Syllabus focuses mainly on Hindi Prose and Poetry.

The Course B subdivision focuses mainly on all the Hindi acuity. Therefore, students who wish to hone their skills with the language and build their grammatical skills can work their way through the Hindi Course-B subdivision.

2. State the Exam Pattern for the CBSE Class 10 Hindi Syllabus Course-A Paper Along with their Exam Pattern.

The exam pattern for the Hindi Syllabus for Class 10- Course A inclusive of all the topics along with the section-wise marking scheme is as follows-

The overall marks weightage for the unseen passage is ten marks.

The overall marks weightage for understanding the subject matter that is prescribed for grammar questions on linguistic points or structure is 16 marks.

The overall marks weightage for the Horizon Hindi Textbook Part-2 and Supplementary Textbook Book Part-2 is 34 marks.

The overall marks weightage for writing-based questions is 20 marks.

3. What are a few CBSE 10th Hindi Exam Preparation Tips 2024-25?

Tips for CBSE Hindi examination preparation:

Make a timetable for the subject so that the entire CBSE class 10 Hindi syllabus 2024 will be covered well before the exams.

Have a well-structured, sorted-out plan for studying the chapters and topics in your Hindi textbook. 

Refer to guides mentioned by your teachers after you have learned your textbooks. 

Go through previous question papers and try to answer the questions. 

Analyse your preparation level and look at your shortcomings to rectify them.

4. How to utilise the CBSE Class 10 Hindi Syllabus 2024-25 productively?

Make sure you have read the entire Class 10 Hindi syllabus to plan out the study structure. Take note of all the prescribed topics in the CBSE 10th Hindi syllabus 2024-25 before starting a chapter to avoid unnecessary topics. Make sure you have noted down the chapter topic's weightage.

5. What is the CBSE Class 10 Hindi exam pattern?

As per the latest CBSE syllabus, the academic session is divided into two terms, Term 1 and Term 2. Board exams will be conducted by the end of each term of 50% syllabus, this was done to reduce the load from the students during this pandemic. Exams will be held in Pen or Paper mode. The questions will be Multiple choice question types as well as MCQ based on assertion and reasoning.

6. Explain the syllabus for CBSE Class 10 Hindi. 

The Class 10 CBSE Hindi syllabus has two courses namely, CBSE Class 10 Hindi Course A and CBSE Class 10 Hindi Course B which are both divided into 4 different sections.

Questions from Textbook

7. Where can I download the official CBSE Class 10 Hindi Course-A syllabus for 2024-25?

The official syllabus can be downloaded from the Vedantu’s official website, the CBSE website, or obtained from your school. It is essential to use the official document to ensure accuracy.

8. How will the new syllabus help in enhancing my Hindi language skills?

The new syllabus is designed to provide a comprehensive understanding of Hindi literature and language. By focusing on a diverse range of texts and practical grammar applications, it aims to enhance your reading, writing, and analytical skills.

9. Is there a change in the exam pattern for the Hindi Course-A syllabus?

Yes, the exam pattern has been adjusted to reflect the updated syllabus and assessment criteria. Students should familiarise themselves with the new pattern by reviewing sample papers and practice tests.

10. Will the new prose and poetry selections be available in the Hindi syllabus Class 10 CBSE 2024-25 Course B?

Yes, the new selections will be included in the revised textbooks. Ensure you have the latest edition of the textbooks to access the updated content.

11. How should teachers incorporate the syllabus changes into their lesson plans?

Teachers should review the updated syllabus, remove any excluded topics, and integrate new content into their lesson plans. Emphasising the revised assessment criteria and using recommended digital resources can also enhance teaching effectiveness.

  • NCERT Books
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  • NCERT Book for Class 10 Hindi

NCERT Books for Class 10 Hindi

Ncert books class 10 hindi – download free pdf for 2023-24.

NCERT Class 10 Hindi Book is designed by a panel of subject-matter experts by referring to the syllabus of NCERT Class 10 Hindi. Class 10 Hindi textbook consists of a total number of 17 chapters, and each and every chapter is important from the exam point of view. Teachers also refer to the Hindi textbook while preparing the final exam question paper, assigning homework, and also while teaching inside the classroom, etc. Students are advised to refer to their respective NCERT textbooks while preparing for the Hindi exams. Students of Class 10 should also give equal importance to their language-based subjects as scoring well in them will help them to boost their overall percentage.

NCERT textbook for Class 10 Hindi explains each and every chapter in simple language for students to understand easily. These textbooks provide exercise questions for students to practise and are considered as the best study resources. Class 10 students can clear their doubts by going through their prescribed Hindi textbook, and it also works as a guide for them. Students can click on the links to download the NCERT Books for Class 10, which are useful for reference purposes.

NCERT Book for Class 10 Kshitij Textbook II Chapter-wise PDF

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Benefits of ncert books for class 10 hindi.

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Frequently Asked Questions on NCERT Books for Class 10 Hindi

Is the ncert books for class 10 hindi sufficient for the cbse students, where can i get the ncert books for class 10 hindi online, does byju’s provide answers for the questions in the ncert books for class 10 hindi.

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Hindi Essays

  • English Essays

Letter Writing

  • Shorthand Dictation

कुल निबंध : 1333

  • 45 नये निबंध  क्रमांक 1106  से  1151 तक 

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नये निबंध-:

1. समय अनमोल है या समय का सदुपयोग समय

2. देशाटन या देश-विदेश की सैर

3. टेलीविज़न के लाभ तथा हानियाँ या केबल टी. वी या मूल्यांकन दूरदर्शन का

4. आतंकवाद या आतंकवाद की समस्या

5. भ्रष्टाचार या भारत में भ्रष्टाचार

6. यदि मैं वैज्ञानिक होता

7. यदि मैं शिक्षामंत्री होता

8. यदि मैं प्रधानमंत्री होता

9. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान

10. आत्मनिर्भर या स्वावलंबी

11. सत्य की शक्ति या सत्यमेव जयते

12. जो हुआ अच्छा हुआ

13. स्वंय पर विश्वास

14. त्यौहारों का जीवन में महत्व

15. मेरे प्रिय नेता या नेताजी सुभाष चंद्रबोस

16. मेर प्रिय कवि या तुलसीदास

17. विज्ञान के लाभ तथा हानियाँ या विज्ञान के चमत्कार

18. कंप्यूटर के लाभ तथा हानियाँ अथवा जीवन में कंप्यूटर का महत्व

19. मेरा भारत महान

20. हिमालय या पर्वतों का राजा : हिमालय

21. देश प्रेम या स्वदेश प्रेम

22. पुस्तकालय का महत्व

23. प्रदूषण का प्रकोप

24. स्वस्थ भारत

25. अनेकता में एकता

26. रेगिस्तान की यात्रा

27. आतंकवाद और समाज

28. विवाह एक सामाजिक संस्था

29. कल का भारत या 21वीं सदी का भारत

30. समाज और कुप्रथांए

32. स्वरोजगार या युवा स्वरोजगार योजना

33. स्वरोजगार या युवा स्वरोजगार योजना

34. स्वच्छ भारत अभियान

36. पुस्तकालय के लाभ

37. राष्ट्रीय शिक्षा-नीति

38. भारत में शिक्षा का प्रसार

39. मेरी जीवनाकांक्षा या मेरी इच्छा

40. यदि मैं शिक्षक होता

41. मन के हारे हार है

42. अच्छा स्वास्थ्य महावरदान या अच्छे स्वास्थ्य के लाभ

43. विज्ञान और मानव-कल्याण या विज्ञान एक वरदान

44. साहित्य का उद्देश्य

45. साहित्य और समाज

46. साहित्यकार का दायित्व

47. मेरा प्रिय कवि

48. मेरा प्रिय लेखक

49. भारतीय संस्कृति की विशेषतांए

50. हिंदी-साहित्य को नारियों की देन

51. छायावाद : प्रवृतियां और विशेषतांए

52. साहित्य में प्रकृति-चित्रण

53. प्रगतिवाद

54. साहित्य का अध्ययन क्यों

55. विद्यार्थी जीवन : कर्तव्य और अधिकार

56. विद्यार्थी और राजनीति

57. विद्यार्थी और अनुशासन

58. सैनिक-शिक्षा और विद्यार्थी

59. विद्यालय का वार्षिक मोहोत्सव

60. वर्तमान शिक्षा प्रणाली

61. शिक्षा और परीक्षा

62. शिक्षा का माध्यम

63. गांवों में शिक्षा

64. प्रौढ़ शिक्षा

65. पुस्तकालय और महत्व

66. अध्ययन के लाभ

67. आदर्श विद्यार्थी

68. साक्षरता क्यों आवश्यक है?

69. महाविद्यालय का पहला दिन

70. मनोरंजन के साधन

71. समाचार-पत्र

72. विज्ञापन के उपयोग और महत्व

73. राष्ट्रभाषा की समस्या

74. राष्ट्रभाषा और प्रादेशिक भाषांए

75. आज के गांव

76. कुटीर उद्योग या लघु उद्योग

77. वृक्षारोपण या वन-महोत्सव

78. शिक्षा और रोजगार

79. परिवार नियोजन

80. शराब-बंदी

81. भारत का संविधान

82. संयुक्त राष्ट्रसंघ

83. लोकतंत्र में चुनाव का महत्व

84. लोकतंत्र और तानाशाही

85. राष्ट्र और राष्ट्रीयता

86. प्रांतीयता का अभिशाप

87. नागरिक के अधिकार और कर्तव्य

88. भावनात्मक एकता

89. गांधीवाद और भारत

90. एक राष्ट्रीयता और क्षेत्रीय दल

91. भारत-चीन संबंध

92. भारत-अमेरिका संबंध

93. गुट-निरपेक्ष आंदोलन और भारत

94. भारत-श्रीलंका संबंध

96. खुली अर्थनीति : प्रभाव और भविष्य

97. हमारे पड़ोसी देश

98. हमारे राष्ट्रीय पर्व

99. दीपावली

100. विजयदशमी या दशहरा

101. गणतंत्र-दिवस – 26 जनवरी

102. गर्मी का एक दिन

103. पहाड़ों की यात्रा

104. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम

105. विज्ञान और धर्म

106. विज्ञान और शिक्षा

107. विज्ञान और मानवता का भविष्य

108. भारत की वैज्ञानिक प्रगति

109. विज्ञान और युद्ध

110. युद्ध के लाभ और हानियां

111. निरस्त्रीकरण

112. बिजली : आधुनिक जीवन की रीढ़

113. पराधी सपनेहुं सुख नाहीं

114. वही मनुष्य है कि जो..

115. अंत भला तो सब भला

116. मजहब नहीं सिखाता अपास में बैर रखना

117. भावना से कर्तव्य ऊंचा है

118. सादा जीवन उच्च विचार

119. कर्म-प्रधान विश्व रचि राखा

120. पंडित जवाहरलाल नेहरू

121. सूरदास

122. गोस्वामी तुलसीदास

123. मीराबाई

124. राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त

125. जयशंकर प्रसाद

126. सुमित्रानंदन पंत

127. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

128. श्रीमती महादेवी वर्मा

129. प्लेटफॉर्म का एक दृश्य

130. वह लोमहर्षक दिन

131. पयर्टन-उद्योग

132. हड़ताल

133. बंधुआ मजदूर

134. राष्ट्र-निर्माण और नारी

135. बाल मजदूरी की समस्या

136. भारतीय समाज में कुरीतिया

137. ऊर्जा के स्त्रोत और समस्या

138. यातायात की समस्या

139. बाढ़ का एक दृश्य

140. नारी और नौकरी

141. शहरीकरण के कुप्रभाव

142. फैशन-श्रंगार : आवश्यकता और उपयोग

143. जनसंख्या, समस्या और शिक्षा

144. वायु-प्रदूषण

145. जल प्रदूषण

146. ध्वनि-प्रदूषण

147. हमारा शारीरिक विकास

148. छात्रावास का जीवन

149. विद्यार्थी जीवन

150. किसी यात्रा का वर्णन

151. स्वास्थ्य का महत्व

152. स्वास्थ्य और व्यायाम

153. रेडियो का महत्व

154. गाय और उसकी उपयोगिता

155. हिमालय – भारत का गौरव

156. बाढ़ का दृश्य

157. परीक्षा के बाद मैं क्या करूंगा?

158. धन का सदुपयोग

159. विद्या-धन सबसे बड़ा धन है

160. हमारा राष्ट्रध्वज

161. भारत में किसानों की स्थिति

162. आज के युग में विज्ञान

163. विद्यालय का वार्षिकोत्सव

164. डाकिया अथवा पत्रवाहक

165. जीवन में परोपकार का महत्व

166. हमारा संविधान

167. हमारे मौलिक अधिकार और कर्तव्य

168. ताजमहल का सौंदर्य

169. वृक्षारोपण का महत्व

170. हमारे जीवन में व न स्पतियों का महत्व

171. वैज्ञानिक विकास

172. मत्स्य-पालन

173. दहेज एक अभिशाप

174. जीवन में स्वच्छता का महत्व

175. मलेरिया और उसकी रोकथाम

176. रक्षाबंधन या राखी

177. विजयादशमी

178. दिवाली का त्यौहार

179. होली रंगों का त्यौहार

180. ईद-उल-फितर

181. वैसाखी

182. जीवन में धर्म का महत्व

183. हिंदू धर्म

184. जैन धर्म

185. बौद्ध धर्म

186. पारसी धर्म

187. ईसाई धर्म

188. इसलाम धर्म

189. सिक्ख धर्म

190. ओलंपिक : खेल आयोजन

191. मेरा प्रिय खेल : क्रिकेट

192. मेरा प्रिय खेल : शतरंज

193. मेरा प्रिय खेल : कराटे

194. मेरा प्रिय खेल : फुटबाल

195. डॉ. राजेंद्र प्रसाद

196. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

197. डॉ. जाकिर हुसैन

198. श्रीनिवास रामानुजन

199. डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई

200. राजा राममोहन राय

201. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

202. महामना मदनमोहन मालवीय

203. अरविंद घोष

204. लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल

205. पंडित गोविंद बल्लभ पंत

206. मौलाना अबुल कलाम आजाद

207. पुरुषोत्तमदास टंडन

208. आचार्य नरेंद्रदेव

209. चंद्रशेखर आजाद

210. भगत सिंह

211. रामप्रसाद ‘बिस्मिल’

212. अशफाक उल्लाह खां

213. खुदीराम बोस

214. लाल लाजपत राय

215. नेताजी सुभाषचंद्र बोस

216. रानी लक्ष्मीबाई

217. तात्या टोपे

218. मंगल पांडे

219. वीर कुंवर सिंह

220. विनायक दामोदर सावरकर

221. इक्कीसवीं सदी की चुनौतियां

222. भारत का अंतरिक्ष अभियान

223. भारत में पर्यटन व्यवसाय

224. जल ही जीवन है

225. संयुक्त राष्ट्र संघ और वर्तमान विश्व

226. भारत की वर्तमान शिक्षा नीति

227. शिक्षा का मौलिक अधिकार

228. शिक्षा और नैतिक मूल्य

229. सहशिक्षा

230. विद्यार्थी जीवन और अनुशासन

231. कुतुबमीनार

232. क्रिसमस डे (बड़ा दिन)

233. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

234. मेरा प्रिय मित्र

235. हमारा देश

236. सारे जहां से आच्छा हिन्दोस्तान हमारा

237. हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी

238. भारत : वर्तमान और भविष्य

239. आधुनिक सामाजिक समस्याएं

240. भारत की सामाजिक समस्याएँ

241. नशाबंदी

242. भारतीय नारी

244. भारतीय गाँव

245. भारतीय ग्रामीण जीवन

246. पंचायती राज विधेयक

247. महानगर का जीवन

248. यातायात के प्रमुख साधन

249. मेरी प्रथम रेल यात्रा

250. सम्राट अशोक

251. छत्रपति शिवाजी

252. पर्वतीय स्थल की यात्रा

253. सच की ताकत

254. जननी जन्मभूमि

255. प्रातःकाल की सैर

256. जीवन में लक्ष्य की भूमिका

257. प्रयागं

258. चाँदनी रात्री में नौका-विहार

259. भाग्य और पुरूषार्थ

260. छुट्टियों का सदुपयोग

261. सिनेमा या चलचित्र

262. भारत-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला

263. ऊर्जा संरक्षण

264. युद्ध के कारण व समाधान

265. रेल दुर्घटना

266. हमारे महानगर

267. औद्योगीकरण के दुष्प्रभाव

268. बैंको का महत्व

269. कम्प्यूटर – एक वरदान

270. संचार क्रान्ति

271. भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा

272. धर्मनिरपेक्ष – भारत में राजनीति का दुरूपयोग

273. भारत में पुलिस की भूमिका

274. प्रेस की आजादी कितनी सार्थक

275. परिश्रम सफलता की कुंजी है

276. पीढ़ी का अन्तर

277. प्रदुषण – समस्या और समाधान

278. बढ़ते अपराध

280. इन्टरनेट का बढता प्रसार

281. एक डॉक्टर

282. डाकिया (पोस्टमैन)

283. हरित क्रान्ति

284. लोकतन्त्र

285. बाढ़ की चुनौती

286. वन्य जीव संरक्षण

287. अनुशासन

288. वृक्षों का महत्व

289. शिक्षा में खेलकूद का स्थान

290. पुरस्कार वितरण समारोह

291. एक बंदी की आत्मकथा

292. लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका

293. एशियाई खेलों का महत्व

294. पेशे का चयन

295. पडो़सी

296. विज्ञापन के लाभ एवं हानि

298. प्लास्टिक – हानियाँ एवं समाधान

299. मेरे जन्मदिन की पार्टी

300. पिकनिक

301. चिड़ियाघर की सैर

302. दिल्ली की सैर

303. निर्वाचन आयोग का महत्व

304. साहित्य समाज का दर्पण है.

305. छुआछूत, जातिवाद – एक मानवीय अपराध

306. संयुक्त राष्ट्र संघ – विश्व शान्ति में भूमिका

307. प्रगतिशील भारत

308. राष्ट्र निर्माण में साहित्यकार की भूमिका

309. साहित्य समाज का दर्पण है

310. अनुशासित युवा शक्ति

311. भारतीय सँस्कृति

312. नशा मुक्ति

313. मेरा प्रिय कवि कबीरदास

314. सत्संगति

315. श्रम से ही राष्ट्र का कल्याण

316. भ्रष्टाचार

317. नई सरकार की नई चुनौतियाँ

318. जनसंख्या: समस्या एंव समाधान

319. भारतः एक उभरती शक्ति

320. हम खेलों में पिछडे़ क्यों हैं?

321. विकलांगों की समस्या तथा समाधान

322. मीडिया का सामाजिक दायित्व

323. भ्रष्टाचार का दानव

324. सर्वशिक्षा अभियान

325. अपने लिए जिए तो क्या जिए

326. विपति कसौटी जे कसे सोई साँचे मीत

327. समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता

328. थोथा चना बाजे घना

329. नर हो, न निराश करो मन को

330. इक्कीसवीं सदी का भारत

331. मोबाइल फोन के प्रभाव

332. T-20 क्रिकेट का रोमांच

333. परिश्रम ही सफलता की कुंजी है

334. इंटरनेट

335. विज्ञान वरदान है या अभिशाप

336. पर-उपदेश कुशल बहुतेरे

337. सामाजिक सद्भाव में युवकों का योगदान

338. अच्छा पड़ोस

339. कक्षा का एक अविस्मरणीय दिन

340. शहरों में महिलाओं की स्थिति

341. विज्ञापन के प्रभाव

342. सागर-तट की सैर

343. एक आतंकी घटना का अनुभव

344. मित्र हो तो ऐसा

345. सांप्रदायिकता

346. हिन्दी भाषा की वर्तमान दशा

347. आधुनिक नारी की भूमिका

348. भारत का भविष्य

349. समरथ को नहिं दोष गोसाँई

351. सादा जीवन उच्च विचार

352. प्रतिभा पलायन

354. धन-संग्रह के लाभ

355. दूरदर्शन के कार्यकर्मों का प्रभाव

356. वैवाहिक जीवन में बढ़ता तनाव

357. देश का निर्माण और युवा पीढ़ी

358. एक घर बने न्यारा

359. बदलते समाज में महिलाओं की स्थिति

360. गर्मी की एक दोपहर

361. भाग्य और पुरूषार्थ

362. आज के विद्यार्थी के सामने चुनौतियाँ

363. आदर्श विद्यार्थी

364. छात्र असंतोष- कारण और समाधान

365. बेरोजगारी की समस्या

366. देश-भक्ति

367. मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

368. बाढ़ और उसके प्रभाव

369. समाज की समस्याएँ

370. एक अकेली बुढ़िया

371. वनों का महत्व

372. सांप्रदायिकता

373. प्रगतिशील भारत की समस्याएँ

374. प्रगतिशील भारत की समस्याएँ

375. मेरे सपनों का भारत

376. कंप्यूटर के लाभ अथवा हानियाँ.

377. केबल टीवी के समाज पर प्रभाव

378. मेरा भारत महान

379. अंतरिक्ष में भारत की उपलब्धियां

380. सूचना प्रौद्योगिकी की उपलब्धियाँ

381. वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएँ

382. नशाखोरी-एक अभिशाप

383. प्रगति के पथ पर भारत

384. कर्म ही पूजा है

385. भारत का अतीत और भविष्य

386. दहेज प्रथा: एक अभिशाप

387. आज की युवा पीढ़ी

388. महँगाई की समस्या

389. खेलों में पिछड़े होने का कारण

390. आतंकवाद की समस्या और समाधान

391. फैंशन के नित नए रूप

392. आज की नारी.

393. महानगरीय जीवन

394. समाचार -पत्र और उनकी उपयोगिता

395. लोकतंत्र का महत्त्व

396. देशाटन

397. विज्ञापन: लाभ या हानियाँ

398. व्यायाम के लाभ

399. त्योहारों का महत्व

400. बरसात की एक भयानक रात

401. एक कामकाजी औरत

402. मेरा प्रिय टाइम पास

403. सावन की पहली बरसात

404. आज का युवा और मानसिक तनाव

405. पुस्तक मेला

406. जातिवाद और सांप्रदायिकता का विष

407. बचपन के वहप्यारे दिन

408. लोकतंत्र का महत्त्व

409. नैतिक शिक्षा का मूल्य

410. लोकतंत्र में मीडिया का दायित्व

411. स्टिंग आपरेशन सही या गलत

412. बाल मजदूरी एक अभिशाप

413. टेलीविज़न के लाभ और हानियाँ

414. हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी

415. होली का त्योहार

416. जल प्रदुषण

417. महानगरों में पक्षी

418. फुटपाथ पर सोते लोग

419. बस्ते का बढ़ते बोझ

420. पलायन की समस्या

421. किसानो में आत्महत्या की समस्या

422. शहरों का वातावरण

423. बाल श्रमिक की समस्या

424. बंधुआ मजदूर की समस्या

425. जातिवाद का विष

426. मंहगी शिक्षा की समस्या

427. सचिन तेंदुलकर की उपलब्धियाँ

428. मेरे विद्यालय का पुस्तकालय

429. आज की नारी

430. विद्यार्थी और अनुशासन

431. अमेरिका का भारत पर प्रभाव

432. अंतर्जातीय विवाह

433. अन्तर्राष्ट्रीय बाल-वर्ष

434. बजट परिणाम.

435. भारत में आर्थिक उदारीकरण

436. आर्थिक क्षेत्र में भारतीय बैंकों का योगदान

437. नोबेल पुरस्कार

438. ओणम-दक्षिण भारत का प्रसिद्ध त्योहार

439. एशियन हाइवे

440. ई-मेल के लाभ

441. नक्षत्र युद्ध

442. दूरसंवेदन तकनीकी

443. धर्म-निरपेक्षताः मजहब नहीं सिखाता आपस में वैर रखना

444. पंचायती राज व्यवस्था

445. आसियान: ‘पूर्व की ओर देखोे’

446. सूखा: कारण एवं प्रबन्धन

447. प्राकृतिक आपदा सुनामी

448. स्वावलम्बन

450. चुनावी हिंसा

451. सानिया मिर्जा

452. जातिवाद की समस्या

453. सेतुसमुद्रम परियोजना

454. एकता का महत्व

455. सेंसर बोर्ड की भूमिका

456. G8 शिखर सम्मेलन

457. औधोगिकरण

458. एफ. एम. रेडियो के लाभ

459. एशियाई खेल प्रतियोगिता

460. क्या संसदीय लोकतंत्र असफल हो गया है ?

461. काला धन: समस्या एवं समाधान

462. ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता

463. इन्टरनेट का बढ़ता प्रभाव

464. उत्पाद पेटेंट व्यवस्था

465. गंगा नदी – हमारी सांस्कृतिक गरिमा

466. गंगा-प्रदुषण की समस्या

467. गांधी चिंतन

468. चुनाव या निर्वाचन

469. दल-बदल की राजनीति

470. नास्टैल्जिया

471. निःशस्त्रीकरण

472. पोषाहार

473. प्यूरा योजना

474. बर्ड फ्लू

475. बल श्रमिक समस्या

476. बाढ़ – कारण और प्रबंधन

477. बाबासाहब डॉ. भीवराव अम्बेडकर

478. भ्रष्टाचार के कारण एवं निवारण

479. युवा पीढ़ी में अंसतोष के कारण और निवारण

480. राष्ट्रीयकरण

481. देश-भक्ति

482. सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी

483. सूचना का अधिकार विधेयक

484. स्वतंत्रता के बाद क्या खोया-क्या पाया

485. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

486. स्वामी विवेकानन्द

487. श्रीमति इन्द्रिरा गांधी

488. श्री राजीव गांधी

489. लालबहादुर शास्त्री

490. लोकमान्य बालगंगाधर तिलक

491. विनोबा भावे

492. मदर टेरेसा

493. लोकनायक जयप्रकाश नारायण

494. बाबू कुँवर सिंह

495. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई

496. स्वतन्त्रता दिवस- 15 अगस्त

497. गणतन्त्र दिवस- 26 जनवरी

498. गांधी जयन्ती – 2 अक्टूबर

499. बाल दिवस-14 नवम्बर

500. शिक्षक दिवस – 5 सितम्बर

501. ग्रीष्म ऋतु

502. वर्षा ऋतु

503. शरद् ऋतु

504. वसन्त ऋतु

505. चांदनी रात

506. दीपावली

507. दुर्गापूजा/विजयादशमी

508. रक्षा-बन्धन

509. प्रतिभा पाटिल

510. डॉ. मनमोहन सिंह

511. सोनिया गांधी

512. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

513. बराक ओबामा

514. डॉ. भीमराव अंबेडकर

515. सरदार वल्लभभाई पटेल

516. झांसी की रानी

517. शहीद भगतसिंह

518. मदर टेरेसा-समाज-सेविका

519. स्वामी विवेकानंद

520. महात्मा गौतम बुद्ध

521. शिक्षक दिवस

522. बाल दिवस

523. ग्लोबल वार्मिंग

524. मोबाइल फोन : फायदे व नुकसान

525. प्राकृतिक आपदा के रूप में सुनामी

526. कागजी युग और प्लास्टिक युग

527. मेट्रो रेल

528. आरक्षण

529. श्रम का महत्व

530. राजभाषा हिन्दी

531. निजीकरण : फायदे और नुकसान

532. नशा : समस्याएँ – समाधान

533. भारत में कंप्यूटर और इंटरनेट क्रांति

534. भारत में लोकतंत्र और मीडिया

535. मानव जीवन में विज्ञान

536. भ्रष्टाचार, काला धन और बाबा रामदेव

537. समाचार पत्र और आम आदमी

538. सूचना का अधिकार

539. आतंकवाद और भारत

540. भारत और दलित

541. मानव जीवन में मनोरंजन

542. पर्यटन या देशाटन का महत्व

543. बिहारी

544. मीराबाई

545. तुलसीदास

546. मुंशी प्रेमचंद

547. जयशंकर प्रसाद

548. सुमित्रानंदन पंत

549. दहेज – समाज का अभिशाप

550. महंगाई – समस्या और समाधान

551. काला धन – समस्या एवं समाधान

552. भ्रष्टाचार कारण और निवारण

553. बेरोजगारी समस्या और समाधान

554. जातिवाद : समस्या एवं समाधान

555. क्षेत्रवाद – समस्या एवं समाधान

556. पत्रकारिता

557. जनसंख्या : समस्या और समाधान

558. हड़ताल की समस्याएँ और समाधान

559. पुस्तकालय के लाभ

560. स्त्री सशक्तीकरण

561. शिक्षा में खेल कूद और व्यायाम

562. पर्यावरण और प्रदूषण

563. वृक्षारोपण

564. समय का महत्व

565. होली – रंगों का त्यौहार

566. दीपावली – पटाखों का त्यौहार

567. ईद – भाईचारे का त्यौहार

568. क्रिसमस – एकता का त्यौहार

569. गंगा की आत्मकथा

570. रोटी की आत्मकथा

571. सड़क की आत्मकथा

572. रुपये की आत्मकथा

573. फूल की आत्मकथा

574. भारतीय गाँव

575. भारतीय संस्कृति

576. जीवन में ऋतु का महत्व

577. ताजमहल – विश्व का आश्चर्य

578. मन के हारे, हार है

579. मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना

580. करत-करत अभ्यास के जड़पति होता सुजान

581. यदि मैं प्रधानमंत्री होता

582. यदि मैं शिक्षक होता

583. यदि में करोडपति होता

584. पर्यावरण

585. वृक्षारोपण का महत्त्व

586. सच्चा मित्र

587. पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों

588. विद्यार्थी और अनुशासन

589. विद्यार्थियों पर टीवी का प्रभाव

590. समय का सदुपयोग

591. माता-पिता की शिक्षा में भूमिका

592. नैतिक शिक्षा का महत्व

593. भाग्य और पुरुषार्थ

594. भाग्य और पुरुषार्थ

595. डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम

595. डॉ. मनमोहन सिंह

596. सोनिया गाँधी

597. मदर टेरेसा

598. भारत में परमाणु परीक्षण

599. आधुनिक-संस्कृति

600. साम्प्रदायिकता का जहर

601. आधुनिक संचार क्रांति

602. ताजमहल

603. मेट्रो रेल : आधुनिक जन-परिवहन

606. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी

607. पंडित जवाहरलाल नेहरू

608. इन्दिरा गाँधी

609. महात्मा गौतम बुद्ध

610. भगवान महावीर स्वामी

611. स्वामी दयानन्द सरस्वती

612. स्वामी विवेकानन्द

613. गुरुनानक देव जी

614. दिल्ली मेट्रो

615. सोनिया गांधी

616. डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम

617. डॉ. मनमोहन सिंह

618. नोबेल पुरस्कार विजेता-प्रो.अमर्त्य सेन

619. सचिन तेंदुलकर

620. प्राकृतिक प्रकोप – सुनामी लहरें

621. इक्कीसवीं शताब्दी का भारत

622. जनसंख्या की समस्या

623. भ्रष्टाचार, मिलावट एवं जमाखोरी

624. बढ़ती महँगाई

625. बाढ़ एक प्राकृतिक प्रकोप

626. दुर्भिक्ष

627. प्रदूषण की समस्या

628. गंगा का प्रदूषण

629. बढ़ती सभ्यता : सिकुड़ते वन

630. पेड़-पौधे और पर्यावरण

631. वन-संरक्षण की आवश्यकता

632. भारत में हरित क्रान्ति

633. विनाशकारी भूकम्प

634. भारतीय संस्कृति और सभ्यता

635. नशीले पदार्थ

636. साम्प्रदायिकता के प्रभाव

637. आतंकवाद का आतंक

638. दहेज प्रथा एक अभिशाप

639. लाटरी वरदान या अभिशाप

640. परिवार नियोजन

641. राष्ट्रीय एकता

642. संयुक्त राष्ट्र संघ

643. सहकारिता

644. अहिंसा एवं विश्व शान्ति

645. आजादी के 50 साल बाद

646. अन्तर्राष्ट्रीय बाल वर्ष

647. अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष

648. गरीबी हटाओ

649. भारत की प्रमुख समस्याएँ

650. भारत में सिनेमा के प्रभाव

651. भारत का परमाणु विस्फोट

652. मानव की चंद्रयांत्रा

653. परमाणु बम की उपयोगिता

654. दूरदर्शन की उपयोगिता

655. विज्ञान और हमारा जीवन

656. टेलीफोन : सुविधा के साथ असुविधा

657. अन्तरिक्ष में मानव के बढ़ते चरण

658. विज्ञान और स्वास्थ्य

659. कम्प्यूटर के बढ़ते चरण

660. मनोरंजन के आधुनिक साधन

661. जीवन में खेलों का महत्त्व

662. फुटबॉल मैच

663. मेरा प्रिय खेल हॉकी

664. स्वतन्त्रता दिवस का महत्व

665. गणतन्त्र दिवस का महत्व

666. दशहरा एवं विजयदशमी

667. दीपों का त्योहार दीपावली

668. ऋतुराज बसंत

669. हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव

670. विद्यार्थी जीवन

671. विद्यार्थी और अनुशासन

672. विद्यार्थी और राजनीति

673. स्त्री शिक्षा का महत्त्व

674. छात्रावास का जीवन

675. जीवन में पुस्तकों का महत्त्व

676. विद्यार्थी और सैनिक-शिक्षा

677. शिक्षा और परीक्षा

678. पुस्तकालय से लाभ

679. अध्ययन का आनन्द

680. राष्ट्रभाषा

681. विद्यार्थी और फैशन

682. उपन्यास पढ़ने से लाभ और हानि

683. मेरा प्रिय लेखक प्रेमचन्द

684. मेरा प्रिय कवि

685. शठ सुधरहिं सत्संगति पाई

686. नर हो न निराश करो मन को

687. स्वावलम्बन की एक झलक पर न्योछावर कुबेर का कोष

688. अधिकार नहीं, सेवा शुभ है

689. सबै दिन जात न एक समान

690. मन के हारे हार है मन के जीते जीत

691. बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय

692. जो तोकू काँटा बुवै ताहि बोय तू फूल

693. बरू भल बास नरक करिताता

694. कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय

695. धीरज धर्म मित्र अरु नारी

696. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं

697. जीवन-मरण विधि हाथ

698. वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे

699. विरह प्रेम की जागृति गति है और सुषुप्ति मिलन है

700. बिनु भय होय न प्रीति

701. परहित सरिस धर्म नहिं भाई

702. महात्मा गाँधी बापू

703. राष्ट्रपति डॉ० के० आर० नारायणन

704. प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी

705. जवाहरलाल नेहरू

706. मदर टेरेसा

707. महाराणा प्रताप

708. रुपये की आत्म-कथा

709. भिखारी की आत्म-कथा

710. एक विद्यार्थी की आत्म-कथा

711. पुस्तक की आत्म-कथा

712. चाय की आत्म-कथा

713. सैनिक की आत्मकथा

714. यदि मैं पुलिस अधिकारी होता

715. यदि मैं सीमान्त सिपाही होता

716. यदि मैं शिक्षा मन्त्री होता

717. आनंदपुर साहिब का होला-मोहल्ला

718. शहीदी जोड़ मेला – फतहगढ़ साहिब

719. मुक्तसर की माघी

720. राष्ट्र भाषा हिन्दी

721. शिक्षा का माध्यम

722. सह शिक्षा के लाभ, हानिया

723. पाठशाला में सैनिक शिक्षा

724. शैक्षणिक यात्राएँ

725. विद्यार्थी और अनुशासन

726. विद्यार्थी और राजनीति

727. आदर्श विद्यार्थी

728. शिष्टाचार

729. सूर्योदय का दृश्य

730. वर्षा ऋतु

731. बाढ़ का दृश्य

732. भूकम्प का प्रकोप

733. समय का सदुपयोग

734. स्वदेश प्रेम

735. परोपकार

736. ऐतिहासिक स्थान की सैर – ताजमहल

737. नागार्जुन सागर योजना

738. भारत के राष्ट्रीय त्यौहार

739. बतकम्मा त्यौहार

740. वन महोत्सव

741. भाखरा नंगल बाँध

742. व्यायाम से लाभ

743. पुस्तकालय

744. ग्रामीण जीवन

745. कम्प्यूटर

746. साम्प्रदायिक एकता

747. भिखारी समस्या

748. मूल्य वृद्धि

749. भ्रष्टाचार की समस्या

750. बेरोजगारी

751. मादक द्रव्य

752. संयुक्त राष्ट्र संघ

753. ओलम्पिक खेल

754. विज्ञान के चमत्कार

755. प्रदूषण की समस्या

756. मेरे जीवन का उद्देश्य

757. यदि मैं डाक्टर होता

758. मेरा प्रिय नेता

759. मेरा प्रिय कवि

760. मेरा प्रिय लेखक

761. अध्यापक दिवस

762. साहित्य और जीव

763. साहित्य से अपेक्षाएँ

764. हिन्दी-साहित्य का स्वर्णिम युग

765. हम साहित्य क्यों पढ़ते हैं?

766. हिन्दी काव्य में प्रकृति-वर्णन

767. मेरा प्रिय उपन्यासकार

768. मेरा प्रिय कवि – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

769. मेरा प्रिय ग्रन्थ – रामचरितमानस

770. उपन्यास पढ़ने से लाभ और हानि

771. साँच बराबर तप नहीं

772. पराधीन सपनेहु सुख नाहीं

773. परहित सरिस धर्म नहिं भाई

774. स्वावलम्बन

775. अविवेक

776. शठ सुधरहिं सत्संगति पाई

777. सूर-सूर तुलसी शशि

778. सब दिन जात न एक समाना

779. धीरज धर्म मित्र अरु नारी

780. मनुष्य वही है जो मनुष्य के लिए मरे

781. हानि-लाभ, जीवन-मरण विधि हाथ

782. जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलेगा

783. पानी केरा बुदबुदा अस मानुष की जात

784. अपनी करनी पार उतरनी

785. स्वास्थ्य ही सम्पत्ति है

786. सज्जनता मानव का आभूषण है

787. गया वक्त फिर हाथ आता नहीं

788. मनुष्य हो, मनुष्यता को प्यार दो

789. वर्तमान भारत में गान्धी की अप्रासंगिकता

790. भारत में हरित क्रान्ति

791. निःशस्त्रीकरण

792. भारत की वर्तमान प्रमुख समस्याएँ

793. शिक्षा और बेकारी

794. साक्षरता अभियान

795. निरक्षरता के दुष्परिणाम

796. आधुनिक भारतीय नारी के कर्त्तव्य और आदर्श

797. कामकाजी महिलाओं की समस्याएँ

798. नारी और फैशन

799. नारी और राजनीति

800. भारत की तटस्थ नीति

801. भारत और चीन सम्बन्ध

802. भारत और इस्राइल सम्बन्ध

803. महानगरीय परिवहन-व्यवस्था

804. ध्वनि-प्रदूषण

805. आतंकवाद की समस्या

806. विश्व-शान्ति और भारत

807. भारत-निर्माण में राजनेताओं का योगदान

808. भारत की साँस्कृतिक एकता

809. भारत में लोकतंत्र की सार्थकता

810. लोकतंत्र और चुनाव

811. पेड़-पौधे और पर्यावरण

812. वन-संरक्षण

813. छोटे परिवार सुखी परिवार

814. भारत-रूस सम्बन्ध

815. भारत-बाँग्लादेश सम्बन्ध

816. भारत-अरब सम्बन्ध.

817. भारत-दक्षिण अफ्रीका सम्बन्ध

818. भ्रष्टाचार के बढ़ते चरण

819. भरतीय सिनेमा

820. विज्ञान और चलचित्र

821. विश्व शान्ति में विज्ञान की भूमिका

822. अन्तरिक्ष प्रयोगशाला

823. समाचारपत्रों की उपयोगिता

824. आदर्श विद्यार्थी गुण और ज्ञान

825. परीक्षा की तैयारी

826. सत्यनिष्ठा

827. समयनिष्ठा

828. आत्म-सम्मान

829. मानवता

830. नारी शिक्षा

831. पुस्तक प्रदर्शनी

832. आज के लोकप्रिय खेल

833. राजधानी दिल्ली

834. एशियाई खेल

835. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)

836. रेलवे-स्टेशन का दृश्य

837. यदि मैं गणितज्ञ होता

838. यदि मैं पक्षी होता

839. यदि हिमालय न होता

840. रुपये की आत्म-कथा

841. गन्ने की आत्म-कथा

842. फूल की आत्म-कथा

843. प्रश्नपत्र की आत्मकथा

844. दीपक की आत्म-कथा

845. कमीज़ की आत्मकथा

846. नौकर की आत्मकथा

847. पक्षी की आत्मकथा

848. पेन की आत्म-कथा

850. मधुमक्खी की आत्मकथा

851. डॉयरी की आत्मकथा

852. वृक्ष की आत्मकथा

853. संचार क्रान्ति

854. विश्व व्यापार संगठन

855. नेल्सन मंडेला

856. भारत में डिश टीवी का विस्तार

857. बिल क्लिंटन

858. प्रतिभूति घोटाला

859. आज के युवाओं की समस्याएं

860. बन्द और रैलियां

861. भारत में निर्वाचन प्रक्रिया

862. नई शिक्षा प्रणाली: 10 + 2 + 3

863. समाचार-पत्र और राष्ट्र-हित

864. अगर मेरी लाटरी खुल जाए

865. मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन

866. विज्ञान का मानव-विकास में योगदान

867. रेडियो – मनोरंजन और शिक्षा का साधन

868. ऐतिहासिक स्थल की यात्रा

869. मेरा शौक

870. भारत और पंचवर्षीय योजनाएं

871. बस द्वारा यात्रा

872. भारत में नारी का स्थान

873. मेले का दृश्य

874. प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी

875. मेरा परिवार

876. मेरे माता-पिता

877. मेरा बचपन

878. मेरा घर

879. मेरी अभिरुचि

880. मेरे पड़ोसी

881. मेरा स्कूल

882. हमारे स्कूल का पुस्तकालय

883. मेरे प्रिय अध्यापक

884. मेरा प्रिय खिलाड़ी

885. मेरी प्रिय फिल्म

886. कैसे बीता मेरा आखिरी रविवार

887. कैसे बिताईं मैंने अपनी गर्मी की छुट्टियां

889. मेरे जीवन का सबसे खुशी भरा दिन

890. मेरे जीवन का सबसे दुःख भरा दिन

891. यदि मैं एक पक्षी होता

892. यदि मैं स्कूल का प्रधानाचार्य होता

893. यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता

894. स्कूल में मेरा आखिरी दिन

895. खेलों का महत्त्व

896. अनुशासन का महत्त्व

897. समाचार-पत्र का महत्त्व

898. टेलीविजन का महत्त्व

899. खाली समय का महत्त्व

900. एक आदर्श अध्यापक

901. आदर्श विद्यार्थी

902. एक आदर्श नागरिक

903. रिक्शा चालक

904. एक बस कंडक्टर

905. भिखारी की आत्मकथा

906. एक कुली की आत्मकथा

907. एक किसान की आत्मकथा

908. एक भारतीय ज्योतिषी

909. एक पुलिसवाले की आत्मकथा

910. एक डाकिये की आत्मकथा

911. एक चपड़ासी की आत्मकथा

912. आग में जलता एक घर

913. एक गली का झगड़ा

914. सुबह की सैर

915. एक दुर्घटना

916. विदाई पार्टी

917. होली पर्व

918. बढ़ती कीमतों की समस्या

919. बेरोजगारी की समस्या

920. सार्वजनिक जीवन में भष्टाचार

921. वातावरण प्रदूषण

922. आतंकवाद का खतरा

923. स्कूल में सुबह की प्रार्थना सभा

924. स्कूल की आधी छुट्टी

925. स्कूल में पुरस्कार वितरण समारोह

926. परीक्षाओं के लाभ तथा हानियां

927. परीक्षा से पहले का एक दिन

928. सिनेमा तथा उसका असर

929. कंप्यूटर के सही और गलत इस्तेमाल

930. भारत में अंग्रेजी का भविष्य

931. वर्ष की सबसे अच्छी ऋतु

932. जानवरों के प्रति दया

933. गर्मी का एक गर्म दिन

934. ग्रीष्म ऋतु की अनिद्रा भरी रात

935. गर्मियों में वर्षा का दिन

936. बडे शहर में जीवन

937. बाढ़ में एक नदी

938. विज्ञापन

939. होस्टल का जीवन

940. भारत – मेरी मातृभूमि

941. पिकनिक

942. सादा जीवन उच्च विचार

943. पहले सोचो फिर करो

944. नया नौ दिन, पुराना सौ दिन

945. शांति सोने की तरह कीमती होती है

946. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

947. पहले आत्मा, फिर परमात्मा

948. जीवन फूलों का बिस्तर नहीं है

949. स्वास्थ्य ही धन है

950. आधी छुट्टी

951. नावल पढ़ने की आदत

952. टेलीफोन के नुकसान

953. लाऊड स्पीकर की हानियां

954. अपना घर है सबसे प्यारा

955. जंगलों की महत्त्वता

956. देशभक्ति

957. समाजवाद

958. कड़ी मेहनत

959. अच्छी आदतें

960. दान-पुण्य

961. खिलाड़ी भावना

962. रोकथाम

963. सिनेमा हाल के सामने का दृश्य

964. चापलूसी

965. चुनाव का एक दृश्य

966. परीक्षा भवन का दृश्य

967. छेड़-छाड़

968. रेलवे स्टेशन का दृश्य

969. बस स्टैंड का दृश्य

970. रेल की यात्रा

971. बस की यात्रा

972. अस्पताल का दृश्य

973. पहाड़ी इलाके की सैर

974. एक प्रदर्शनी का दृश्य

975. सर्कस का भ्रमण

976. हाकी का मैच

977. भारत में लोकतंत्र का भविष्य

978. आधुनिकतावाद और परंपरा

979. नई वैश्विक व्यवस्था और भारत.

980. भारत और वैश्वीकरण

981. आपदा प्रबंधन प्रणाली

982. सच्चा धर्म और मानवता

983. भारत की एकता और अखंडता

984. घरेलू हिंसा

985. मानवाधिकार

986. मेरी रुचियां

987. पाठशाला में मनाया गया उत्सव – गणतंत्र दिवस

988. अतिथि देवो भव:

989. विदेश में भारतीयों की समस्याएं

990. सत्य की शिक्षा

991. महिला सशक्तिकरण

992. भारत में भाषा संबंधी समस्या

993. भारत में बाल श्रम की समस्या

994. धार्मिक पर्व – विजयादशमी

995. पाठशाला में खेला गया मैच

996. मेले का वर्णन

997. धार्मिक पर्व – होली

998. धार्मिक पर्व – दीपावली

999. महापुरुष की जीवनी – महात्मा गाँधी

1000. मेरा प्रिय नेता – पंडित जवाहरलाल नेहरू

1001. प्रदूषित होते जल स्रोत

1002. होली है

1003. अधिकार ही कर्त्तव्य है

1004. हमारा देश भारत

1005. सड़क दुर्घटना

1006. जनसंख्या और पर्यावरण

1007. बढ़ती हुई आबादी

1008. पर्यावरण संरक्षण

1009. एक रोमांचक यात्रा

1010. अपने हाथ पर विश्वास

1011. स्वयं पर विश्वास

1012. दीपावली दीपों का त्यौहार

1013. स्वास्थ्य ही जीवन है

1014. दहेजः एक दानव

1015. रोजगार का अधिकार

1016. रेगिस्तान की यात्रा

1017. समाज और कुप्रथाएँ .

1018. यातायात के नियम

1019. हमारा राष्ट्रीय पक्षी मोर

1020. कुतुबमीनार

1021. एड्स का ज्ञान बचाए जान

1022. रवींद्रनाथ टैगोर

1023. एक पार्क का दृश्य

1024. दिल्ली का लाल किला

1025. पुष्प की आत्मकथा

1026. मेरे पिता जी

1027. मेरा प्रिय शौक

1028. बरसात का एक दिन

1029. कल्पना चावला

1030. मेरा घर

1031. ईमानदारी सर्वोत्तम नीति है

1032. स्वास्थ्य ही धन है

1033. एक नर्स की आत्मकथा

1034. विदयालय में मेरा पहला दिन

1035. हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा

1036. मेरा प्रिय पशु – कुत्ता

1037. मेरा प्रिय पशु – घोड़ा

1038. मेरा प्रिय पशु – शेर

1039. मेरा प्रिय पशु – हाथी

1040. विज्ञान के वरदान

1041. मेरी कक्षा का मॉनीटर

1042. हमारे प्रिय शिक्षक

1043. मेरी माँ

1044. अनुशासन

1045. मेरा प्रिय खेल फुटबॉल

1046. पर्यावरण

1047. कंप्यूटर

1048. मोबाइल क्रांति

1049. मेरे विदयालय का चपरासी

1050. रंगों का त्योहार : होली

1051. दुर्गापूजा/दशहरा/विजयदशमी

1052. क्रिसमस का त्योहार

1053. वसंत ऋतु

1054. विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह

1055. शरद् ऋतु

1056. हवाई जहाज

1057. डाकिया

1058. कम उम्र में पढ़ाई का बोझ

1059. जब मैंने पहली बार दिल्ली देखी

1060. मुड़ो प्रकृति की ओर

1061. हमारा राष्ट्रीय झंडा

1062. हमारे त्योहार

1063. पुस्तक मेला

1064. बेरोजगारी और आज का युवा वर्ग

1065. विदयालय की फुलवारी

1066. आलस किया, सफलता गई

1067. कंप्यूटर का बढ़ता उपयोग

1068. भारत के राष्ट्रीय पर्व

1069. जल है तो कल है

1070. मॉल संस्कृति

1071. कमर तोड़ महँगाई

1072. महानगरों में असुरक्षित महिलाएँ

1073. नारी–शिक्षा का महत्त्व

1074. अप्रभावी बाल मजदूरी कानून

1075. पर्यावरणीय प्रदूषण

1076. भूमंडलीकरण

1077. हिमपात का दृश्य

1078. बीता समय हाथ नहीं आता

1079. आपदा प्रबंधन

1080. भारत के गाँव

1081. दैव–दैव आलसी पुकारा

1082. जनसंचार माध्यम

1083. खेलों की दुनिया

1084. दिल्ली मेट्रो: मेरी मेट्रो

1085. विज्ञापन की दुनिया

1086. मित्र की आवश्यकता

1087. विज्ञान और हम

1088. हमारे राष्ट्रीय प्रतीक

1089. आतंकवाद: एक चुनौती

1090. साम्प्रदायिकता – लोकतन्त्र के लिए खतरा

1091. भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियाँ

1092. भारतीय संस्कृति: हमारी धरोहर

1093. हमारी परीक्षा प्रणाली में नकल की समस्या

1094. भारतीय समाज में नारी का स्थान

1095. बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताए

1096. प्रदूषण की समस्या

1097. बदलता भारत

1098. चलो पढ़ाएँ कुछ करके दिखाएँ

1099. बढ़ता हुआ प्रदूषण–एक समस्या

1100. भारत में बेकारी की समस्या

1101. युवावर्ग और बेकारी

1102. कन्या भ्रूण हत्या

1103. एड्स–बचाव ही इलाज

1104. मानवाधिकार

1105. नशा नाश करता है

1106. साम्प्रदायिकता – लोकतन्त्र के लिए खतरा

1107. भारतीय समाज में व्याप्त कुरीतियाँ

1108. भारतीय संस्कृति: हमारी धरोहर

1109. हमारी परीक्षा प्रणाली में नकल की समस्या

1110. भारतीय समाज में नारी का स्थान

1112. बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताए

1113. प्रदूषण की समस्या

1114. बदलता भारत

1115. जनसंचार माध्यम

1116. खेलों की दुनिया

1117. दिल्ली मेट्रो: मेरी मेट्रो

1118. विज्ञापन की दुनिया

1119. मित्र की आवश्यकता

1120. विज्ञान और हम

1121. हमारे राष्ट्रीय प्रतीक

1122. आतंकवाद: एक चुनौती

1123. अप्रभावी बाल मजदूरी कानून

1124. पर्यावरणीय प्रदूषण

1125. भूमंडलीकरण

1126. हिमपात का दृश्य

1127. बीता समय हाथ नहीं आता

1128. आपदा प्रबंधन

1129. भारत के गाँव

1130. दैव–दैव आलसी पुकारा

1131. आलस किया, सफलता गई

1132. कंप्यूटर का बढ़ता उपयोग

1133. भारत के राष्ट्रीय पर्व

1134. जल है तो कल है

1135. मॉल संस्कृति

1136. कमर तोड़ महँगाई

1137. महानगरों में असुरक्षित महिलाएँ

1138. नारी–शिक्षा का महत्त्व

1139. कम उम्र में पढ़ाई का बोझ

1140. जब मैंने पहली बार दिल्ली देखी

1141. मुड़ो प्रकृति की ओर

1142. हमारा राष्ट्रीय झंडा

1143. हमारे त्योहार

1144. पुस्तक मेला

1145. बेरोजगारी और आज का युवा वर्ग

1146. विदयालय की फुलवारी

1147. रंगों का त्योहार : होली

1148. दुर्गापूजा/दशहरा/विजयदशमी

1149. क्रिसमस का त्योहार

1150. वसंत ऋतु

1151. विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह

1. दक्षिण सूडान

2. विश्व कप क्रिकेट -2011

3. 15 वी जनगणना – 2011

4. जन लोकपाल विधेयक

5. P.S.L.V C -17 का सफल प्रक्षेपण

8. जन्माष्टमी

9. रक्षा- बन्धन

10. महा शिवरात्री

12. गणतन्त्र –दिवस (26 जनवरी)

13. स्वतंत्रता – दिवस (15 अगस्त )

14. शिक्षक-दिवस

15. बाल –दिवस

16. बसन्त –ऋतु

17. वर्षा ऋतु

18. वर्षा की एक भयानक रात

19. वीरांगना लक्ष्मीबाई (झाँसी की रानी )

20. महात्मा गांधी

21. पंडित जवाहर लाल नेहरु

22. डा. भीमराव अम्बेडकर

23. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

24. लाल बहादुर शास्त्री

25. श्रीमती इन्दिरा गांधी

26. लता मंगेशकर

27. मेरा प्रिय कवि सूरदास

28. मेरी प्रिय पुस्तक

29. मेरा प्रिय खेल – हाकी

30. आदर्श विद्दार्थी

31. आदर्श अध्यापक

32. बिजली के लाभ

33. यदि मै प्रधानमंत्री

34. यदि मै करोडपति

35. यदि मै विद्दालय का प्रधानाचार्य होता

36. यदि मै डाक्टर होता

37. सैनिक की आत्मकथा

38. चाय की आत्मकथा

39. पुस्तक की आत्मकथा

40. युद्ध और शान्ति

41. विश्वशान्ति और भारत

42. रेडियो आकाशवाणी

43. टेलीफोन – लाभ व हानियाँ

44. चलचित्र (सिनेमा) के लाभ व हानियाँ

45. दूरदर्शन

46. मनोरंजन के आधुनिक साधन

47. भारत में बेरोजगारी

48. रुपए को मिला नया प्रतीक चिह्न

49. कश्मीर समस्या

51. मिलावट – एक महारोग

52. शराब बंदी

53. भारत में साम्प्रदायिकता

54. निरक्षरता – एक अभिशाप

56. महानगर की समस्याएँ

57. भ्रष्टाचार

58. निर्धनता – एक अभिशाप

59. भिक्षावृत्ति

61. सूचना प्रौद्दोगिकी

63. बाढ़ का दृश्य

65. भारतीय किसान

66. विद्दार्थी और अनुशासन

67. विद्दार्थी और फैशन

68. देशाटन के लाभ

69. व्यायाम के लाभ

70. परिश्रम का महत्त्व

71. सत्संग के लाभ

72. समय का महत्त्व (सदुपयोग)

73. नारी शिक्षा

74. ब्रह्मचर्य

75. एकता में शक्ति

76. परोपकार

77. जीवन में खेलो का महत्त्व

78. आत्मनिर्भरता

80. कर्त्तव्य- पालन

81. पर्वतारोहण

82. राष्ट्रीय एकता

83. स्वदेश प्रेम

84. सहशिक्षा

85. प्रौढ़शिक्षा

86. मेरी दिनचर्या

1. केसा शासन , बिना अनुशासन

2. काश ! मैं सेनिक होता

3. भारत-पाक संबंध

4. यदि मैं प्रधानमंत्री होता !

5. देश-प्रेम

6. मेरा प्यारा भारत देश

7. सैनिक की आत्मकथा

8. राष्ट्रीय एकता

9. गणतंत्र दिवस

10. भारत की राजधानी

11. भारतीय मज़दूर

12. भारतीय किसान

13. भारतीय गाँव और महानगर

14. आदर्श नागरिक

15. आदर्श विद्यार्थी

16. मेरा आदर्श अध्यायक

17. छात्र-अनुशासन

18. पुस्तकालय और उसका सदूपयोग

19. पुस्तकों का महत्व

20. मेरी प्रिय पुस्तक

21. मेरे जीवन का लक्ष्य या उदेश्य

22. छात्र और शिक्षक

23. दहेज-प्रथा : एक गंभीर समस्या

24. प्रदूषण : एक समस्या

25. शहरी जीवन में बढ़ता प्रदूषण

26. सांप्रदायिकता : एक अभिशाप

27. बेरोज़गारी : समस्या और समाधान

28. सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार

30. आतंकवाद

31. बढ़ती जनसंख्या : एक भयानक समस्या

32. लड़का-लड़की एक समान

33. भारतीय खेलों का वर्तमान और भविष्य

34. अलोंपिक खेलों में भारत

35. बीजिंग अलोंपिक में भारत

36. जीवन में खेलों का महत्व

37. किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन

38. स्वास्थ्य और व्ययाम

39. विज्ञान : वरदान या अभिशाप

40. दैनिक जीवन में विज्ञान

41. जीवन में कंप्यूटर का महत्व

42. टी.वी. वरदान या अभिशाप

43. कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव

44. मोबाइल फोन के लाभ और हानि

45. पर्यटन का महत्व

46. समाचार-पत्र

47. विज्ञापन और हमारा जीवन

48. वन और हमरा पर्यावरण

49. चरित्र-बल

50. श्रम का महत्व

51. समय का सदुपयोग

52. परोपकार

53. मित्रता

54. पराधीनता

55. जीवन में संतोष

56. संतोष का महत्व

57. दया धर्म का मूल है

58. जहाँ चाह वहाँ राह

59. दैव-दैव आलसी पुकारा

60. काल्ह करै सो आज कर

61. किसी सांस्कृतिक कार्यक्रम का वर्णन

62. किसी फिल्म की समीक्षा

1. समाचार पत्र

2. बालिका शिक्षा

3. रेल-यात्रा

4. भारत की परम्पराओं पर हावी होती पाश्चात्य संस्कृति

5. समय का सदुपयोग

6. विज्ञान से लाभ या हानि

7. जीवन में ”विज्ञान की उपयोगिता

8. दूरदर्शन (चैनल)

9. छात्र और अनुशासन

10. समाचार-पत्र या अखबार

11. दहेज प्रथा

12. वर्षा ऋतु

13. सरस्वती पूजा

14. प्रदूषण की समस्या

15. महंगार्इ: एक समस्या

16. दशहरा (दुर्गा पुजा)

18. स्वतंत्रता दिवस

19. मेरा प्यारा भारतवर्ष

20. खेल-कूद का महत्व

21. पुस्तकालय

22. मेरे सपनों का भारत

23. ग्लोबल वार्मिंग के खतरे

24. दिन-प्रतिदिन बढ़ता प्रदुषण

25. बाल श्रम

26. काश मैं वृक्ष होता

27. लाल बहादुर शास्त्री

28. भ्रष्टाचार एक समस्या

29. कम्प्यूटर

30. दीपावली

31. श्री सुभाष चन्द्र बोस ‘‘एक करिश्माई व्यक्तित्व’’

32. स्वाधीनता का अधिकार

33. महंगाईः एक समस्या

34. यदि मैं मुख्यमंत्री होता/होती

35. विज्ञान की क्रांतिकारी उपलब्धियां

commentscomments

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स्वातंत्र्य दिन

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Ismein Baba badajan Singh ka nibandh Nahin Hai

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कानूनी जागरकता के माध्यम से नागरीको का सशक्तीकरण यी बी नहीं हा

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speech topics in hindi for class 10

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  • Simple on English Essay on “The Blessings of Science” complete Paragraph and Speech for School, College Students, essay for Class 8, 9, 10, 12 and Graduation Classes.
  • Jayprakash on Hindi Essay on “Aitihasik Sthal ki Yatra” , ”ऐतिहासिक स्थल की यात्रा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
  • Diksha on Official Letter Example “Write a letter to Superintendent of Police for theft of your bicycle. ” Complete Official Letter for all classes.
  • Anchal Sharma on Write a letter to the Postmaster complaining against the Postman of your locality.
  • rrrr on Hindi Essay on “Pratahkal ki Sair” , ”प्रातःकाल की सैर ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

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Latest Desk

  • Write a letter of reply to the following advertisement in a newspaper. Indicate to which post, you are applying. Include your bio-data.
  • Write a letter to the editor of a newspaper complaining of frequent failure of power supply in your locality.
  • Write a letter to the Commissioner of Police complaining about the increasing thefts in your locality and seeking adequate relief.
  • Write a letter in not more than 200 words to a national daily about the neglect of priceless historical monuments in and around your city
  • Wither Indian Democracy?-English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11 and 12 Students.
  • Do Not Put Off till Tomorrow What You Can Do Today, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
  • Shabd Shakti Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द शक्ति की परिभाषा और उदाहरण
  • Shabd Gun Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द गुण की परिभाषा और उदाहरण
  • Write a letter to be sent to an important regular guest of your hotel trying to regain his confidence.

Vocational Edu.

  • English Shorthand Dictation “East and Dwellings” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines.
  • English Shorthand Dictation “Haryana General Sales Tax Act” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Deal with Export of Goods” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Interpreting a State Law” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.

NCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitiz, Kritika, Sparsh, Sanchayan | Chapterwise Class 10 Hindi NCERT Book Solutions

NCERT Solutions for Class 10 Hindi can be an extremely helpful resource for students during their board exam preparation. Using the NCERT Solutions for Class 10th Hindi one can easily comprehend the kind of lessons being asked in exams as we have prepared all of them from an exam point of view.

Since the Class 10th Hindi NCERT Solutions are simple and precise one can understand the chapters much effectively. Our NCERT Solutions of Class 10 Hindi covers grammar parts too so that students can use them for quick guidance during their practice sessions. All the Questions framed here are from the CBSE Class 10 Hindi Textbooks.

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Chapter Wise NCERT Solutions for Class 10 Hindi

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  • Where can I find the NCERT Solutions for Class 10 Hindi?
  • How to get good grades in the Hindi CBSE Class 10 Exam?
  • How do I study Hindi for Boards in Class 10?

NCERT Solutions of Class 10 Hindi available here has all parts such as Kshitiz, Kritika, Sparsh, Sanchayan. Students of 10th Std can get to know the answers for any of the questions they are stuck with. We have collected the list of NCERT Solutions for Class 10th Hindi for all the Chapters in CBSE Class 10th Hindi Textbooks. You can refer to them for any assistance needed and to have a strong foundation of basics in the curriculum.

NCERT Solutions for Class 10 Hindi – A

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Bhag 2 क्षितिज भाग 2

काव्य – खंड

  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 1 पद
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 3 सवैया और कवित्त
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 4 आत्मकथ्य
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 7 छाया मत छूना
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 8 कन्यादान
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 9 संगतकार
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 10 नेताजी का चश्मा
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 11 बालगोबिन भगत
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 12 लखनवी अंदाज़
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 14 एक कहानी यह भी
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 16 नौबतखाने में इबादत
  • Class 10 Hindi Kshitiz Chapter 17 संस्कृति

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Bhag 2 कृतिका भाग 2

  • Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 माता का आँचल
  • Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक
  • Class 10 Hindi Kritika Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि
  • Class 10 Hindi Kritika Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!
  • Class 10 Hindi Kritika Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?

NCERT Solutions for Class 10 Hindi – B

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 स्पर्श भाग 2

  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 साखी
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2 पद
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3 दोहे
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 4 मनुष्यता
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 5 पर्वत प्रदेश में पावस
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 7 तोप
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 8 कर चले हम फ़िदा
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 9 आत्मत्राण
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 डायरी का एक पन्ना
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 14 गिरगिट
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ
  • Class 10 Hindi Sparsh Chapter 17 कारतूस

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Bhag संचयन भाग 2

  • Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 1 हरिहर काका
  • Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन
  • Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

Class 10 Hindi MCQs

  • सूरदास के पद Class 10 MCQ
  • राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद Class 10 MCQ
  • सवैया और कवित्त Class 10 MCQ
  • आत्मकथ्य Class 10 MCQ
  • उत्साह और अट नहीं रही Class 10 MCQ
  • यह दंतुरहित मुस्कान और फसल Class 10 MCQ
  • छाया मत छूना Class 10 MCQ
  • कन्यादान Class 10 MCQ
  • संगतकार Class 10 MCQ
  • नेताजी का चश्मा Class 10 MCQ
  • बालगोबिन भगत Class 10 MCQ
  • लखनवी अंदाज़ Class 10 MCQ
  • मानवीय करुणा की दिव्या चमक Class 10 MCQ
  • एक कहानी यह भी Class 10 MCQ
  • स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन Class 10 MCQ
  • नौबतखाने में इबादत Class 10 MCQ
  • संस्कृति Class 10 MCQ
  • माता का आँचल Class 10 MCQ
  • जॉर्ज पंचम की नाक Class 10 MCQ
  • साना-साना हाथ जोड़ि Class 10 MCQ
  • एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! Class 10 MCQ
  • मैं क्यों लिखता हूँ? Class 10 MCQ
  • साखी Class 10 MCQ
  • मीरा के पद Class 10 MCQ
  • दोहे Class 10 MCQ
  • मनुष्यता Class 10 MCQ
  • पर्वत प्रदेश में पावस Class 10 MCQ
  • मधुर-मधुर मेरे दीपक जल Class 10 MCQ
  • तोप Class 10 MCQ
  • कर चले हम फ़िदा Class 10 MCQ
  • आत्मत्राण Class 10 MCQ
  • बड़े भाई साहब Class 10 MCQ
  • डायरी का एक पन्ना Class 10 MCQ
  • तताँरा-वामीरो कथा Class 10 MCQ
  • तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Class 10 MCQ
  • गिरगिट Class 10 MCQ
  • अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Class 10 MCQ
  • पतझर में टूटी पत्तियाँ Class 10 MCQ
  • कारतूस Class 10 MCQ
  • हरिहर काका Class 10 MCQ
  • सपनों के-से दिन Class 10 MCQ
  • टोपी शुक्ला Class 10 MCQ

Below is the list of advantages of referring to NCERT Solutions for 10th Class Hindi from NCERTSolutions.guru and they are as under

  • Students can complete their Class 10th Hindi Syllabus with ease using the NCERT Class 10 Hindi Solutions.
  • Simple and Easy to Understand Language used in the NCERT Solutions makes it easy for you to grasp the fundamentals.
  • All the Chapter Wise NCERT Solutions Class 10 Hindi are free to print and download making them available for you both online and offline.
  • Helps you get acquainted with the better answer framing for various kinds of questions asked in your exams so that you can score well.

FAQs on Class 10 Hindi NCERT Solutions

1. Where can I find the NCERT Solutions for Class 10 Hindi?

You can find the NCERT Solutions of Class 10 Hindi on NCERTSolutions.guru a trusted portal for all your learning needs.

2. How to get good grades in the Hindi CBSE Class 10 Exam?

Read the Topics from Class 10 NCERT Hindi Textbooks on a regular basis and practice the concepts well so that it’s easy for you while attempting the actual exams.

3. How do I study Hindi for Boards in Class 10?

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Hindi Diwas Speech for Teachers and Students

Short speech on hindi diwas.

India is one of the most diverse countries in the whole world. India has a number of religions, customs, traditions, cuisines, and languages as well. The Hindi language is one of the most prominent languages of India and as per the records of the year 2001. There were about 26 crore native speakers of the Hindi language in India. However, this makes it one of the most widely spoken languages in India. In our country, the Hindi language is the language that everyone easily understands and speaks. Hindi is also compulsory in the schools for studying up to class 10th.

hindi diwas speech

The Hindi Language got a high status in India on September 14, 1949, when it was accepted as the official language of India. September 14 is also the day that we celebrate as the official Hindi Diwas in India. Today, Hindi is having the tag of “Rashtra Bhasha” of the nation.

History of the Hindi Language

The literary history of the Hindi language dates back to the 12th century. Meanwhile, the modern incarnation of the Hindi language that is mostly in use in the current time, dates back to about 300 years ago. We celebrate the Hindi Diwas with great enthusiasm in the educational institutes, schools, colleges, and also in the government offices. In today’s highly commercial environment where people are not ready to remember their roots, Hindi Diwas plays an important role.

It does not just encourage people to remember their roots but also propagates as well as promotes the Hindi language. Moreover, there are millions of people that feel ashamed to speak and talk in their mother tongue i.e. the Hindi language. Hindi Diwas also plays a significant role in realizing us that the Hindi language is one of the oldest and most ancient and influential languages in the whole world and as such we should feel proud in speaking in our mother tongue i.e. the Hindi language.

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Nationalizing the Hindi Language

Earlier in the year 1917, Mahatma Gandhi underlined the importance of the Hindi language at a speech. He offered it at the Gujarat Education Conference that was held in Bharuch. At that particular conference, Mahatma Gandhi said that since the majority of Indians are speaking the Hindi language, we can adopt it as the national language of our nation. He further underlined the importance of the Hindi language. He did so by stating that we can also use it as a religious, political and economic communication link as well.

The Hindi language is the language of the learned and many literary works are in the Hindi language. The Ramcharitmanas is one of the greatest literary works that we have with us in the Hindi language. The writer of this book is Goswami Tulsidas, in the 16th century, and it represents the story of Lord Rama. Some other works in Hindi are also there with us such as the Madhushala by Shri Harivansh Rai Bachchan, Nirmala by Shri Munshi Premchand Ji. In addition to Chandrakanta by Devaki Nandan Khatri Sir, and many are there in India that are composed in the Hindi language.

Overall we know that the Hindi language is one of the oldest languages. Further, it is a successor of the Sanskrit language. The Hindi language comes from the branch of the modern Indo-Aryan languages. However, Hindi has seen many changes in it in the past and finally, it is evolving in its current form. In fact, the Hindi language was elected as the official language of India, along with the English language. As it was the one and only language in the country which has the capability to unify the entire country.

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Speech for Students

  • Speech on India for Students and Children
  • Speech on Mother for Students and Children
  • Speech on Air Pollution for Students and Children
  • Speech about Life for Students and Children
  • Speech on Disaster Management for Students and Children
  • Speech on Internet for Students and Children
  • Speech on Generation Gap for Students and Children
  • Speech on Indian Culture for Students and Children
  • Speech on Sports for Students and Children
  • Speech on Water for Students and Children

16 responses to “Speech on Water for Students and Children”

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Hindi Essay on Various Topics, Current Topics for Class 10, Class 12 and Other Examination

Hindi Essays 

हिंदी निबंध 

Hindi-Essays

53 नए निबंध क्रमांक 740 से 793 तक कुल 974 निबंध

1. जीवन युद्ध है आराम नहीं

2. सांस्कृतिक कार्यक्रम कितने असांस्कृतिक

3. मेले में दो घंटे

4. प्रदर्शनी का एक दृश्य

5. नदी किनारे शाम का एक दृश्य

6. परीक्षा शुरू होने से पहले दृश्य

7. मैंने चौराहे पर देखा एक मदारी का खेल

8. छुट्टी का दिन

9. वर्षा ऋतु की पहली वर्षा

10. रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य

11. बस अड्डे का दृश्य

12. सूर्योदय का दृश्य

13. अपना घर

14. मतदान केन्द्र का दृश्य

15. रेल यात्रा का अनुभव

16. बस यात्रा का अनुभव

17. स्वदेश-प्रेम

18. मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

19. मातृभूमि

21. आदर्श अध्यापक

22. मेरा प्रिय लेखक : प्रेमचंद

23. भारतीय किसान

24. अहिंसा परमो धर्म

25. ऐसी वाणी बोलिए

26. नर हो, न निराश करो मन को

27. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान

28. सत्संगति

29. हमारे पड़ोसी

30. जब सारा दिन बिजली न आई

31. परीक्षा भवन का दृश्य

32. स्वप्न में गोस्वामी तुलसीदास जी से भेंट

33. स्वप्न में गाँधी जी से भेंट

34. जब मेरी साइकिल चोरी हो गयी

35. जब मेरी जेब कट गयी

36. मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना

37. भयंकर गर्मी में पत्थर तोड़ती मजदूरिन

38. आँखों देखी दुर्घटना का दृश्य

39. पर्वतीय स्थान की यात्रा

40. ऐतिहासिक स्थान की यात्रा

41. मेरी प्यारी माँ

42. शिक्षा और नारी जागरण

43. जीवन में शिक्षा का महत्त्व

44. भाषण नहीं राशन चाहिए

45. शक्ति अधिकार की जननी है

46. युद्ध का हल युद्ध नहीं

47. विद्याथी और फैशन

48. चरित्र की हानि से बढ़ कर कोई हानि नहीं

49. कथनी से करनी भली

50. कायर मन कहँ एक अधारा

51. जैसी संगति बैठिये तैसोई फल होई

52. स्वास्थ्य ही धन है

53. समरथ को नहिं दोष गोसाईं

54. अक्ल बड़ी कि भैंस

55. जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान

56. अपना हाथ जगन्नाथ

57. अन्त भला सो भला

58. पराधीन सपनेहु सुख नाहीं

59.  कैसे मनायी हम ने पिकनिक

60. ग्लोबल वार्मिंग

61. प्रदूषण की समस्या

62. लड़का-लड़की एक समान

63. आतंकवाद

64. बाल-शोषण

65. विद्यार्थी पर फैशन का प्रभाव

66. दिल्ली की बदलती तस्वीर

67. मोबाइल फ़ोन के लाभ तथा हानियाँ

68. विज्ञान – वरदान या अभिशाप

69. इंटरनेट का उपयोग

70. दिल्ली मेट्रो

71. भारत के गाँव

72. संयुक्त परिवार

73. बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए

74. समाचार-पत्र

75. मेरा प्रिय खेल

76. पढ़ने का आनंद

77. स्वतंत्रता का महत्त्व

78. प्रकृति और मानव

79. साँच बराबर तप नहीं

80. दिनों दिन बढ़ती महँगाई

81. कामकाजी नारी के समक्ष चुनौती

82. स्वास्थ्य और व्यायाम

83. सभा भवन का शिष्टाचार

84. अधिकार और कर्तव्य

85. लोकतंत्र और चुनाव

86. जहाँ चाह वहाँ राह

87. प्लास्टिक की दुनिया

88. सपने में चाँद की यात्रा

89. ग्लोबल वार्मिंग के खतरे

90. मेरा मनपसंद रियलटी शो

91. जब हम दो गोलों से पिछड़ रहे थे

92. हिमालय: भारत का मुकुट

93. पुस्तक मेले में अधूरी खरीददारी

94. शिक्षक-दिवस पर मेरी भूमिका

95. पुस्तकालय के शिष्टाचार

96. जब कंप्यूटर से टिकट खरीदा

97. पतंग उड़ाने का आनंद

98. भारत के राष्ट्रीय पर्व

99. मित्रता और इसका महत्व

100. भारत में कंप्यूटर- इसके उपयोग और लाभ

101. सड़क दुर्घटना

102. परोपकार

103. हमारा राष्ट्रध्वज

105. भारत-शांतिप्रिय देश

106. मेरा प्रिय मित्र

107. छत्रपति वीर शिवाजी

108. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस

109. महारानी लक्ष्मीबाई

110. हमारे देश के त्योहारों का महत्त्व

111. गणतन्त्र दिवस – 26 जनवरी

112. 15 अगस्त राष्ट्रीय त्योहार

113. गाँधी जयंती – 2 अक्तूबर

114. बाल-दिवस – 14 नवम्बर

115. होली : रंगों का त्योहार

116. रक्षा-बंधन – राखी

117. श्री कृषण जन्माष्टमी

118. दुर्गापूजा, दशहरा, विजया दशमी

119. दीवाली – दीपावली

120. क्रिसमस – 25 दिसम्बर

121. ईद का त्यौहार

122. विज्ञान वरदान है या अभिशाप

123. विज्ञान के चमत्कार

124. अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम

125. चन्द्रशेखर वेंकट रमन

126. मनोरंजन के आधुनिक साधन

127. दूरदर्शन के लाभ और हानियाँ

128. सिनेमा या चलचित्र

129. भारत में इलैक्ट्रोनिक्स का विकास

130. विश्व-शान्ति के उपाय

131. टेलीफोन

132. प्लास्टिक की दुनिया

133. ध्वनि-प्रदूषण

134. कम्प्यूटर – आज की आवश्यकता

135. हमारे समाज में नारी का स्थान

136. प्रौढ़-शिक्षा

137. युवा पीढ़ी में असन्तोष

138. साहित्य और समाज

139. छोटा परिवार – सुखी परिवार

140. आज का समाज और नैतिक मूल्य

141. समाचार-पत्र और उनकी उपयोगिता

142. विद्यार्थी और अनुशासन

143. दहेज-प्रथा एक सामाजिक बुराई

144. नारी-शिक्षा का महत्त्व

145. विद्यालय का वार्षिकोत्सव

146. पुस्तकालय

147. महँगाई की समस्या – मूल्यवृद्धि

148. जीवन में अनुशासन का महत्त्व

149. नैतिक पतन : देश का पतन

150. विद्यार्थी जीवन

151. जीवन में खेलों का महत्त्व

152. भूकम्प : एक प्राकृतिक आपदा

153. शिक्षा में खेलों का महत्व

154. सह-शिक्षा

155. वर्षा ऋतु

156. ग्रीष्म ऋतु

157. वसंत ऋतु

158. भारत की नयी शिक्षा नीति

159. राष्ट्र-निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान

160. पंचायती राज

161. राष्ट्रीय एकता

162. दिल्ली – भारत की राजधानी

163. हमारी भारतीय संस्कृति

164. निरक्षरता : एक सामाजिक अभिशाप

165. भारत की सामाजिक समस्याएँ

166. भारतीय गाँव

167. इक्कीसवीं सदी का भारत

168. भारतीय किसान

169. भारतीय कला

170. लोकतन्त्र और चुनाव

171. रोजगार योजना

172. भारत के प्रमुख दर्शनीय स्थल

173. भारत की प्रमुख समस्याएँ

174. भ्रष्टाचार : समस्या और समाधान

175. विकलांग भी देश का अंग हैं

176. बाल श्रमिक और उनकी समस्या

177. नशाबन्दी – समस्या व समाधान

178. प्रदूषण की समस्या और समाधान

179. बढ़ती सभ्यता : सिकुड़ते वन

180. जनसंख्या की समस्या और समाधान

181. आतंकवाद की समस्या

182. व्यायाम के लाभ

183. परिश्रम का महत्त्व

184. देशाटन के लाभ

185. स्वदेश-प्रेम

186. समय का सदुपयोग

187. वृक्षारोपण का महत्व

188. महात्मा कबीरदास

189. कवि सूरदास

190. कवि शिरोमणि तुलसीदास

191. मीराबाई

192. कविवर बिहारी

193. कविवर जयशंकर प्रसाद

194. मेरा प्रिय कवि-रामधारी सिंह ‘दिनकर‘

195. हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग ‘भक्तिकाल

196. छायावादी काव्य

197. प्रयोगवाद

198. जननी जन्मभूमिश्च

199. नारी जीवन हाय ! तुम्हारी यही कहानी

200. साँच बराबर तप नहीं

201. सब दिन जात न एक समाना

202. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं -पराधीनता

203. परोपकार – परहित सरिस धर्म नहिं ‘भाई

204. सत्संगति – शठ सुधरहिं सत्संगति पाई

205. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत

206. मज़हब नहीं सिखाता, आपसे मैं बैर रखना

207. जब आवे सन्तोष धन, सब धन धरि समान

208. दादा बड़ा न भैया, सबसे बड़ी रुपया

209. चाँदनी रात में नौका-विहार

210. मेरा पड़ोसी

211. रेलवे स्टेशन का दृश्य

212. रेल-दुर्घटना का दृश्य

213. बाढ़ का दृश्य

214. आँखों देखा किसी मैच का वर्णन-क्रिकेट मैच

215. किसी पर्वतीय प्रदेश की यात्रा

216. मेले का वर्णन

217. मेरा प्रिय खेल कबड़ी

218. जीवन में खेलों का महत्त्व

219. मेरे जीवन का लक्ष्य

220. राशन की दुकान पर मेरा अनुभव 

221. विद्यालय में मेरा पहला दिन

222. यदि मैं प्रधानमंत्री होता

223. स्वप्न में नेहरू जी से भेंट

224. परीक्षा के दिन

225. शहरी जीवन – वरदान और अभिशाप

226. भारत का परमाणु परीक्षण

227. विद्यार्थी जीवन

228. आदर्श विद्यार्थी

229. विद्यार्थी जीवन में डायरी का महत्त्व

230. विद्यार्थी का दायित्व

231. विद्यार्थी और राष्ट्र-निर्माण

232. विद्यार्थी और अनुशासन

233. विद्यार्थी और सामाजिक चेतना

234. विद्यार्थी और सिनेमा

235. विद्यार्थी और राष्ट्र-प्रेम

236. कर्म ही पूजा है

237. काल करे सो आज कर

238. बीता समय वापस आता नहीं

239. जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है

240. जब आवे सन्तोष धन, सब धन धूरि समान

241. जहाँ सुमति तहाँ सम्पति नाना

242. जीओ और जीने दो

243. जो तोको काँटा बुवै ताहि बोइ तू फूल

244. बिन पानी सब सून

245. बिन साहस के फीका जीवन

246. बिनु सत्संग विवेक न होई

248. धर्म और विज्ञान

249. धर्म और राजनीति

250. हिन्दू-धर्म

251. संस्कृति और सभ्यता

252. संस्कृति और सभ्यता

253. भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ

254. हमारी सामाजिक समस्याएँ

255. दहेज-प्रथा की समस्या

256. दहेज प्रथा एक अभिशाप

257. दहेज प्रथा सामाजिक कलंक

258. दहेज एक गंभीर समस्या

259. सती प्रथा

260. बाल विवाह एक कुप्रथा

261. भिक्षा वृत्ति

262. लेखक और समाज

263. मेरे सपनों का भारत

264. भारत की सांस्कृतिक एकता

265. भारत में राष्ट्रीय एकता का स्वरूप

266. भारत में धर्म-निरपेक्षता

267. भारत में बेरोजगारी की समस्या

268. भारत में नशाबन्दी

269. मिलावट

270. भारत में भ्रष्टाचार

271. बढ़ती जनसंख्या और सिकुड़ते साधन

272. राजनीति का अपराधीकरण

273. वर्षा ऋतु

274. शरद ऋतु

275. वसन्त ऋतु

276. ग्रीष्म ऋतु

277. त्योहारों का जीवन में महत्त्व

278. मकर-संक्रान्ति

279. नववर्ष

280. वसन्त पंचमी

281. होली – रंगों का त्योहार

282. बैसाखी

283. गणतन्त्र दिवस

284. स्वतन्त्रता दिवस

285. शिक्षक-दिवस

286. गाँधी जयन्ती

287. बाल-दिवस

288. महर्षि दयानन्द सरस्वती

289. रामतीर्थ का मेला

290. पिंडोरी महन्ता में वैशाखी का मेला

291. हुसैनीवाला में शहीदी मेला

292. हरि वल्लभ संगीत मेला– जालंधर

293. गुरुपर्व

294. महर्षि वाल्मीकि जयन्ती

295. श्रीगुरु रविदास जी – जन्म दिवस

296. लोहड़ी

298. दीपावली

299. नानक जयन्ती

300. क्रिसमस

301. मकर संक्रांति

304. गुड फ्राइडे

305. बुद्ध पूर्णिमा

306. रक्षा-बंधन

307. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

308. महाशिवरात्रि

309. रामनवमी

310. महावीर जयन्ती

311. गंगा सागर का मेला – पश्चिम बंगाल

312. रथ यात्रा का मेला – ओडिशा

313. दशहरा का मेला – कर्नाटक

314. बैकुंठ कांवरि का मेला – बिहार

315. काश्मीर के मेले – काश्मीर

316. हेमिस गुंपा का मेला – लद्दाख

317. कुरूक्षेत्र का मेला – हरियाणा

318. छप्पार का मेला-पंजाब

319. कुल्लू के दशहरा का मेला – हिमाचल

320. पुष्कर का मेला – राजस्थान

321. कोटेश्वर का मेला – कच्छ

322. बस्तर का दशहरे का मेला – मध्य प्रदेश

323. कुंभ का मेला – प्रयागराज

324. फूलवालों की सैर का मेला – दिल्ली

325. बैसाखी का मेला – पंजाब

326. वन-महोत्सव – वृक्षों के त्योहार

328. होली – जवानी का त्योहार

329. मेरी किताब

331. मेरी माँ

332. मेरा घर

333. मेरी कक्षा अध्यापिका

334. सिपाही

335. श्याम-पट ( ब्लैक-बोर्ड )

338. मेरा विद्यालय में पहला दिन

339. मेरे विद्यालय का चपरासी

340. घरेलु बिल्ली

341. ऊँट – रेगिस्तान का जहाज़

342. भारतीय किसान

343. सुबह की सैर

344. विद्यालय का पुस्तकालय

345. अख़बार

346. गर्मियों का मौसम

347. सर्दियों की सुबह

348. बसन्त ऋतु

349. मेरी दिनचर्या

350. डॉक्टर (चिकित्सक)

351. भारत के मौसम

352. बरसात का दिन

353. बिजली के उपयोग

354. दशहरा का त्यौहार

355. रक्षा-बन्धन का त्यौहार

356. होली का त्यौहार

357. स्वतन्त्रता दिवस –15 अगस्त

358. गणतन्त्र दिवस

359. मेरा प्रिय दोस्त

360. मेरी पहली रेल यात्रा

361. चिड़िया घर सैर

362. सर्कस – मनोरंजक स्थल

363. लाल-किला

364. दीवाली का त्यौहार

365. ईद का त्यौहार

366. क्रिसमस का त्यौहार

367. खेदकूद के लाभ

368. यातायात के साधन

369. वृक्षों के लाभ – वृक्षारोपण

370. परिश्रम का महत्त्व

371. प्रदर्शनी का दृश्य

372. कम्प्यूटर के लाभ

373. चलचित्र

374. दूरदर्शन

375. हॉकी का खेल

376. क्रिकेट का खेल

377. फुटबॉल का खेल

378. मेरी हवाई जहाज की यात्रा

379. कर्तव्य पालन

380. मदर टेरेसा

381. मेरी बस यात्रा

382. स्वदेश प्रेम

383. बस दुर्घटना का दृश्य

384. गुरुनानक देव जी

385. सरदार वल्लभ भाई पटेल

386. राष्ट्रपिता – महात्मा गाँधी

387. अनुशासन

388. हमारी अच्छी आदतें

389. जियो और जीने दो

390. एक अच्छा पड़ोसी

391. मेरी कक्षा का शरारती विद्यार्थी

392. अंजू बॉबी जॉर्ज

393. के. एम. बीनामोल

394. गुरबचन सिंह रंधावा

395. ज्योतिर्मयी सिकदर

396. टी. सी. योहानन

397. नीलम जसवन्त सिंह

398. पी. टी. उषा

399. एम. डी. वालसम्मा

400. मिल्खा सिंह

401. शाइनी अब्राहम विल्सन

402. सुनीता रानी

403. कशाबा जाधव

404. सुशील कुमार सोलंकी

405. गामा पहलवान

406. मास्टर चंदगीराम

407. अजित वाडेकर

408. अनिल कुंबले

409. इरापल्ली प्रसन्ना

410. कपिल देव

411. झूलन गोस्वामी

412. डायना इदुलजी

413. पोली उमरीगर

414. बिशन सिंह बेदी

415. भागवत चन्द्रशेखर

416. मिताली राज

417. मंसूर अली ख़ां पटौदी

418. महेन्द्र सिंह धोनी

419. राहुल द्रविड़

420. रणजीत सिंह जी

421. लाला अमरनाथ

422. विजय मर्चेन्ट

423. विजय हजारे

424. वीनू मांकड

425. वीरेन्द्र सहवाग

426. सचिन तेंदुलकर

427. सी. के. नायडू

428. सुनील गावस्कर

429. सौरव गांगुली

430. अर्जुन अटवाल

431. आदर्श विद्यार्थी

432. सदाचार का महत्व

433. वृक्षारोपण

434. भारत में बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ: वरदान या अभिशाप

435. मानवता के साथ विकास

436. बाल-श्रम और समाधान

437. युवकों की समस्याएँ

438. नारी और उसका सम्मान

439. कॉलेजों में फैशन का बढ़ता प्रभाव

440. विश्व शांति और संयुक्त राष्ट्र संघ

441. विज्ञापन और हमारा जीवन

442. प्रतिभा पलायन की समस्या

443. अध्यापक – राष्ट्र का निर्माता

444. मित्रता

445. मेरे जीवन का मुख्य उद्देश्य

446. जीवन और साहित्य

447. लोकतंत्र में प्रेस की भूमिका

448. दहेजप्रथा – एक सामाजिक कलंक

449. भारत में गरीबी की समस्या

450. उदारीकरण का जनता पर प्रभाव

451. भारत में ग्रामीण विकास

452. स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त

453. पंजाब – मेरा प्रिय प्रदेश

454. चण्डीगढ़ एक आदर्श नगर

455. हरियाणा मेरा प्रिय प्रान्त

456. श्री कृष्ण जन्माष्टमी

457. गुरु तेग बहादुर

458. गुरू गोबिन्द सिंह जी

459. शहीद भक्त सिंह

460. विज्ञान के लाभ-हानियाँ

461. सिनेमा के लाभ हानियां

462. समाचार पत्रों का महत्त्व

463. लोहड़ी का त्यौहार

464. बैसाखी का त्यौहार

465. काला धन

466. शहीद उधम सिंह

467. लाला लाजपत राय

468. बेकारी की समस्या

469. आदर्श शिक्षा प्रणाली

470. शिक्षित नारी की समस्याएँ

471. आज का विद्यार्थी

472. विद्यार्थी और राजनीति

473. मेरी रुचियां

474. नशाखोरी

475. आधुनिक शिक्षा प्रणाली

476. हॉकी मैच का आँखों देखा मैच

477. क्रिकेट का आँखों देखा मैच

478. डॉ. मनमोहन सिंह

479. श्री मति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल

480. बढ़ती हुई जनसंख्या

481. मिसाइल मैन- डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम

482. डॉ० भीम राव अम्बेदकर

484. नैतिक शिक्षा का महत्त्व

485. आइलिटस

486. भ्रूण हत्या

487. आधुनिक समाज में महिला का अस्तित्व

488. आधुनिक समाज में महिला का अस्तित्व

489. नारी और पाश्चात्य सभ्यता

490. पं० जवाहर लाल नेहरु

491. श्री लाल बहादुर शास्त्री

492. देश भक्ति

493. प्रिय दर्शिनी इन्दिरा गांधी

494. राजीव गांधी

495. भगवान महावीर स्वामी

496. महर्षि स्वामी दयानन्द

497. भारतीय संस्कृति के प्रतीक – स्वामी विवेकानन्द

498. ईद का त्यौहार

499. अनिवार्य सैनिक शिक्षा

500. नारी शिक्षा

501. परीक्षा प्रणाली और नकल की समस्या

502. मेरा प्रिय शहर – अमृतसर

503. मेरा प्रिय ग्रन्थ : रामचरित मानस

504. ग्रीष्म ऋतु

505. ग्रामीण जीवन

506. मेरा प्रिय कवि : तुलसीदास

507. विद्यार्थी और फैशन

508. यदि मैं शिक्षा मन्त्री होता

509. आरक्षण

510. भ्रष्टाचार- कारण और निवारण

511. वर्तमान शिक्षा पद्धति के दोष

512. बुद्धिमान खरगोश

513. सहज पके सो मीठा होय

514. दूरदर्शन

515. एक अविस्मरणीय घटना

516. स्कूल में वार्षिक खेल

517. मेले का दृश्य

518. गंगा नदी

519. जीवन में संघर्ष

520. गुरुपर्व

521. चुनाव का दृश्य

522. अस्पताल का दृश्य

523. आदर्श मित्र

524. पुस्तकालय

525. प्रातःकाल का दृश्य

526. निर्धनता एक अभिशाप है

527. वर्षा ऋतु की पहली वर्षा

528. अनुशासन

529. शिक्षक दिवस – 5 सितंबर

530. महात्मा गाँधी

531. इंदिरा गाँधी

532. महात्मा बुद्ध

533. होमी जहाँगीर भाभा

534. महाराणा प्रताप

535. सरोजिनी नायडू

536. ताजमहल

537. फतेहपुर सीकरी

538. दिल्ली का लालकिला

539. कुतुबमीनार

540. लोटस टेंपल

541. हवामहल

542. पहाड़ो की रानी शिमला

543. हरिद्वार

544. नैनीताल की सैर

545. जम्मू-कश्मीर

546. अजंता-ऐलोरा की गुफाएँ

547. मथुरा-वृंदावन

548. चारमीनार

549. गुलाबी नगरी – जयपुर

550. क्रिकेट का खेल

551. फुटबॉल का खेल

552. हॉकी का खेल

553. शतरंज का खेल

554. टेनिस का खेल

555. कुश्ती का खेल

556. बॉक्सिंग का खेल

557. बैडमिंटन का खेल

558. निशानेबाजी का खेल

559. तैराकी का खेल

560. टेलीविज़न

561. रेडियो

563. विधुत बल्ब

564. रेलगाड़ी

565. हवाई जहाज़

566. मिसाइल

567. परमाणु बम

568. मेरा प्यारा गाँव

569. मेरा शहर दिल्ली

570. शहरी जीवन

571. शहर और गाँव

572. गाँव की सैर

573. दिल्ली की सैर

574. आगरा की सैर

575. मुंबई की सैर

576. मेले की सैर

577. मेरा प्रिय शिक्षक

578. किसान की आत्माकथा

579. पोस्टमैन

580. फेरीवाला

581. भिखारी की आत्मकथा

583. शिकारी

584. मेरा परिवार

585. मेरा बचपन

586. मेरा प्रिय स्कूल

587. मेरा प्यारा घर

588. मेरे अच्छे अध्यापक

589. मेरे जीवन का सबसे यादगार दिन

590. काश! मैं धनवान होता

591. काश! मैं प्रधानाध्यापक होता

592. वनों का महत्व

593. यात्रा का वर्णन

594. बेरोज़गारी की समस्या और समाधान

595. पुस्तक मेला – दिल्ली

596. बिजली का महत्व

597. भविष्य योजना

598. निरक्षरता को कैसे मिटाएँ

599. युद्ध के दुष्परिणाम

600. स्वावलंबन

601. मेरे अध्यापक का वो थप्पड़

602. जब मेरा मोबाइल फोन गुम हो गया

603. वो सड़क हादसा

604. रेलवे प्लेटफॉर्म की भीड़ और मैं

605. जब बस में मेरी जेब कटी

606. जब शिक्षक ने मुझे शाबाशी दी

607. इंटरनेट पर संदेश

608. मेरे मित्र की सीख

609. मेरी आदतें

610. मेरा सपना

611. ‘रामचरितमानस’ महाकाव्य

612. संस्कृति और धर्म

613. सच्चा मित्र

614. मेरे प्रिय अध्यापक

615. मेरे आदरणीय माता-पिता

616. मैं (एक लड़की)

617. मैं (एक लड़का)

618. मेरी पालतू बिल्ली

619. मेरा प्रिय विषय

620. मेरे पड़ोसी

621. मेरे विद्यालय का खेल दिवस

622. मेरे विद्यालय का पुस्तकालय

623. मेरा प्रिय फल

624. सर्कस देखना

625. आग में लिपटा एक घर

626. वर्षा का एक दिन

627. गाय एक पालतू जानवर

628. घोड़ा एक पालतू जानवर

630. ऊँट रेगिस्तान का जहाज़

631. कुत्ता एक पालतू जानवर

632. मोर राष्ट्रिय पक्षी

634. डाकिया

635. हमारे विद्यालय का चपरासी

636. डॉक्टर

637. पुस्तक की आत्मकथा

638. पुलिसमैन

639. फैरी वाला

640. सिपाही की आत्मकथा

641. रेडियो का महत्व

642. शिष्टाचार

643. दाँतों की देखभाल

644. क्रिकेट का एक मैच

645. फुटबॉल का एक मैच

646. भिखारी की आत्मकथा

647. दूध का महत्व

648. साइकिल चलने का अनुभव

649. हवाई जहाज

650. टेलीफोन का महत्व

651. सफलता का महत्व

652. अच्छा स्वास्थ्य

653. मानव शरीर

654. एक नर्स की आत्मकथा

655. एक कार की आत्मकथा

656. जेब खर्च – पॉकेट मनी

657. जीव मिल्खा सिंह

658. ज्योति रंधावा

659. शिव कपूर

660. मेजर दीप अहलावत

661. महेश भूपति

662. रामानाथन कृष्णन

663. रमेश कृष्णन

664. लिएंडर पेस

565. विजय अमृतराज

666. सानिया मिर्जा

667. अचंत शरत कमल

668. जयन्त तालुकदार

669. डोला बनर्जी

670. लिम्बाराम

671. खज़ान सिंह

672. बुला चौधरी

673. मिहिर सेन

674. अभिनव बिन्द्रा

675. अंजलि भागवत

676. जसपाल राणा

677. महाराजा कर्णी सिंह

678. मानवजीत सिंह संधू

679. राज्यवर्धन सिंह राठौड़

680. राष्ट्रीय एकता

681. अनुशासन

682. वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे

683. बाल दिवस समारोह

684. वार्षिकोत्सव समारोह

685. अन्तर्विद्यालयी वाद-विवाद प्रतियोगिता

686. एक बस दुर्घटना

687. तुलसी जयंती

688. ईमानदार लकड़हारा

689. मनुष्य को सोच-समझकर ही कार्य करना चाहिए

690. उपकार का फल

691. अपना काम स्वयं करो

692. संगठन में शक्ति

693. परिश्रम ही सफलता की कुंजी है

694. डॉ. मनमोहन सिंह

695. मोहनदास कर्मचंद गांधी

696. लाल बहादुर शास्त्री

697. पंडित जवाहरलाल नेहरू

698. गुरु नानकदेव जी

699. स्वामी दयानंद

700. शहीद भगतसिंह

701. वर्षा ऋतु

702. वसंत ऋतु

703. दशहरा पर्व

704. दीपावली पर्व

705. रक्षा बंधन का त्योहार

706. होली का पर्व

707. गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय पर्व

708. स्वतंत्रता दिवस राष्ट्रीय पर्व

709. ईद का त्योहार

710. जन्माष्टमी का पर्व

711. क्रिसमस – बड़ा दिन

712. दूरदर्शन – वरदान या आभिशाप

713. समाचार-पत्र

714. विज्ञान-वरदान अथवा अभिशाप

715. सिनेमा (चलचित्र)

716. खेलों का महत्त्व

717. मेरा प्रिय खेल-‘कबड्डी‘

718. क्रिकेट

719. आँखों देखे हॉकी मैच का वर्णन

720. पुस्तकालय

721. मेरा प्रिय मित्र

722. मेरी प्रिय पुस्तक-रामचरितमानस

723. मेरा विद्यालय

724. हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव

725. मेरे जीवन का लक्ष्य

726. मेरी रेलयात्रा

727. भारत में दहेज प्रथा की समस्या

728. व्यायाम के लाभ

729. प्रातः काल का भ्रमण

730. आदर्श विद्यार्थी

731. समय का सदुपयोग

732. भारत में नारी शिक्षा

734. महँगाई की समस्या

735. बाल-दिवस

736. दिल्ली की सैर

737. पिकनिक का एक दिन

738. मेरा पड़ोसी (आदर्श पड़ोसी)

739. मेरा देश-भारतवर्ष

740. कंप्यूटर की उपयोगिता

741. संतुलित-भोजन

742. जब मैं घर पर अकेला था

743. हम और हमारे त्योहार

744. वृक्ष : हमारे जीवन के आधार

745. विनाशकारी अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण

746. आजाद भारत की पहली चुनौती

747. राष्ट्रीय एकता

748. अवसरों के सदुपयोग

749. बीता समय वापस नहीं आता

750. भारत में जातिवाद

751. जीवन में धर्म का महत्व

752. मातृभाषा का महत्त्व

753. जीवन में अभ्यास का महत्व

754. पहिए की खोज

755. कर्मनिष्ठा की महिमा

756. श्रमहीनता के दुष्परिणाम

757. विज्ञान की देन-प्रदूषण

758. सुखी वैवाहिक जीवन का आधार

759. युवावस्था और मित्रता

760. संतोष का महत्त्व

761. वृक्षों का महत्त्व

762. समय की महत्ता

763. आकाशगंगा

764. अकबर का शासन

765. साहस की जिन्दगी

766. सिद्धान्तवादी कट्टरता

767. समाचार-पत्रों की भूमिका

768. हँसी-एक वरदान

769. आजादी के लिए संघर्ष

770. राजेन्द्र बाबू – सादगी की प्रतिमूर्ति

771. सर्वशिक्षा अभियान

772. हम और समाचार

773. अच्छा पड़ोसी

774. मधुर वाणी का महत्व

775. सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला

776. अहिंसा-हमारी संस्कृति का मूलाधार

777. स्वार्थ की नींव पर संबंध

778. भाग्य और पुरुषार्थ

779. धैर्य का महत्त्व

780. श्वेत क्रांति

781. आध्यात्मिक विकास

782. भारत में मीडिया का विकास

783. अखंड भारत और राजनीति

784. वृक्षों का महत्त्व

785. सिकुड़ते वन

786. जीवन में संघर्ष का महत्व

787. रंगभेद नीति

788. चील पक्षी

789. वन-संरक्षण की जरूरत

790. नारद मुनि और सच्चा भक्त

791. सत्य और अहिंसा

792. मानव और समाज

793. आध्यात्मिक विकास

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शिक्षा पर भाषण

शिक्षा

हम विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए नीचे शिक्षा पर भाषणों की विभिन्न किस्में उपलब्ध करा रहे हैं। सभी शिक्षा भाषण सरल और साधारण शब्दों के वाक्यों का प्रयोग करके विद्यार्थियों की आवश्यकता के अनुसार जैसे; 2 मिनट, 3 मिनट, 5 मिनट और 6 मिनट के आधार पर सबसे अलग तरह से लिखे गए हैं।

शिक्षा पर छोटे तथा बड़े भाषण (Short and Long Speech on Education in Hindi)

महानुभावो, विशिष्ट अतिथियों, मेरे सम्मानीय अध्यापकों और मेरे प्यारे मित्रों सभी को मेरी सुबह की नमस्ते। मेरे भाषण का विषय शिक्षा है। अपने भाषण के माध्यम से, मैं अपको शिक्षा का महत्व और हमारे जीवन में इसके योगदान के बारे में बताना चाहता/चाहती हूँ। शिक्षा वो यंत्र है, जो हमारे जीवन की सभी चुनौतियों और खुशियों के बारे में हमारे सभी संदेहों और डर को मिटाने में मदद करती है। ये वो यंत्र है जो हमें खुश और शान्तिप्रिय बनाने के साथ ही बेहतर सामाजिक मनुष्य बनाती है।

हमारे अध्यापक हमारे लिए भगवान के समान है, जो शैक्षिक संस्थानों के माध्यम से हमें अच्छे स्तर की शिक्षा प्रदान करने में हमारी सहायता करते हैं। वो हमें सबकुछ सिखाने और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने के लिए अपने सबसे अच्छे प्रयास करते हैं। हमारे शिक्षक हमारे जीवन से अंधकार, भय, सभी संदेहों को मिटाने और इस बड़े संसार में खूबसूरत भविष्य बनाने में मदद करने के लिए आते हैं।

शिक्षा केवल ज्ञानार्जन करना नहीं है हालांकि, इसका अर्थ खुश रहने, दूसरों को खुश करने, समाज में रहने, चुनौतियों का सामना करने, दूसरों की मदद करने, बड़ों की देखभाल करने, दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करने आदि के तरीकों को सीखना है। मेरे प्यारे मित्रों, शिक्षा एक स्वस्थ्य भोजन की तरह है जो हमें आन्तरिक और बाहरी दोनों तरीके से पोषित करती है। ये हमें आन्तरिक रुप से मजबूत बनाती है और हमारे व्यक्तित्व के निर्माण और ज्ञान देने के द्वारा हमें बहुत ज्यादा आत्मविश्वास देती है। अच्छी शिक्षा ही बुरी आदतों, गरीबी, असमानता, लैंगिक भेदभाव और बहुत से सामाजिक मुद्दों को हटाने का एकमात्र रास्ता है।

मेरे आदरणीय अध्यापक और मेरे प्यारे दोस्तों को सुबह की नमस्ते। दोस्तों, शिक्षा वो यंत्र है, जिसने हमारे बीच में से सभी भेदों को मिटा दिया है और हमें एक साथ आगे बढ़ने के काबिल बनाया है। इसने नेतृत्व करने के लिए हमारे जीवन के चुनौतीपूर्ण रास्तों को बहुत आसान बना दिया है। अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त करना योग और ध्यान की तरह ही है क्योंकि इसके लिए भी एकाग्रता, धैर्य और समर्पण की आवश्यकता है। बिना शिक्षा के जानवर और मनुष्यों में कोई अंतर नहीं है।

शिक्षा सामाजिक, व्यक्तिगत और पारिवारिक समस्याओं को सुलझाने का सबसे सक्षम यंत्र है। यह एक दवा की तरह है, जो लगभग सभी रोगों का इलाज करने की क्षमता रखती है। शिक्षा प्राप्त करने का मतलब केवल इतना नहीं है कि, हमें नौकरी मिल जाये, इसका अर्थ है अच्छा व्यक्तित्व बनाना, स्वस्थ्य और तंदरुस्त रहना, स्वच्छता बनाए रखना, हर समय खुश रहना, सभी के साथ अच्छे से व्यवहार करना, जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करना आदि।

शिक्षा हम सभी के लिए सुखी जीवन का नेतृत्व करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पहले भारत में शिक्षा व्यवस्था बहुत ही खराब और बिना किसी अनुशासन के थी। केवल अमीर लोगों के बच्चों को ही पढ़ने की अनुमति थी, हालांकि, गरीबों के बच्चों को उसी स्कूल या कॉलेज में पढ़ने की कोई अनुमति नहीं थी। गरीब लोगों को केवल खेतों में ही काम करने के लिए मजबूर किया जाता था, समाज में लोगों के बीच भेदभाव, असमानता, लैंगिक असमानता, और भी बहुत से सामाजिक मुद्दों का कारण अच्छी शिक्षा का अभाव ही था। गरीब लोगों की निम्न स्तर की शिक्षा ने उन्हें, उनके अपने देश में आर्थिक और राजनीतिक शोषण के लिए आलोचनीय बना दिया है। असमानता को हटाने और सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने और सभी वर्ग के लोगों की समान भागीदारी के लिए भारतीय संविधान में गरीबों के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं।

उचित शिक्षा का अधिकार सभी का जन्म सिद्ध अधिकार है, किसी को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने से रोकना एक अपराध है। शिक्षा सही-गलत और अच्छे-बुरे के अन्तर को समझने में सहायक होने के साथ ही सही के पक्ष में निर्णय लेने में मदद करती है। यह विस्तार से फैली समस्याओं में सभी पहलुओं पर सोचने में मदद करती है। इसके माध्यम से हम ब्रह्माण्ड के रहस्यों को सुलझा सकते हैं। शिक्षा एक चमत्कार की तरह है, जो हमें इस ग्रह पर सुखी रहने के सभी चमत्कारों को सीखने में मदद करती है। यह हमें सभी संदेहों और अंधविश्वासों से मुक्त करने के साथ ही समाज को प्रभावित करने वाली सभी बुराईयों को हटाने में मदद करती है। बेहतर शिक्षित लोग बहुत आसान और सुरक्षित तरीके से परिवार और राष्ट्र की सुरक्षा कर सकते हैं।

मेरे आदरणीय शिक्षकों और मेरे प्यारे मित्रो को सुबह की नमस्ते। आज, इस महान उत्सव पर, मैं हमारे जीवन में शिक्षा और इसके महत्व के बारे में भाषण देना चाहता / चाहती हूँ। शिक्षा हमारे लिए बहुत मायने रखती है, बिना शिक्षा के हम कुछ भी नहीं है। हम बचपन से जैसे ही स्कूल जाना शुरु करते हैं अपने माता-पिता और अपने अध्यापकों से शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित होते रहते हैं। यदि कोई बचपन से ही उचित शिक्षा को प्राप्त करता है, अपने जीवन का सबसे अच्छा निवेश करता है। शिक्षा का अर्थ केवल लिखना, पढ़ना और सीखना नहीं है, ये सकारात्मकता और खुशी के साथ जीवन जीने का तरीका है। यह उस व्यक्ति से संबंधित सभी लोगों जैसे वैयक्तिक, परिवार, पड़ौसी, समाज, समुदाय और देश को लाभ पहुँचाती है। यह समाज असमानता और गरीबी को हटाने का सबसे अच्छा यंत्र है। यह सभी को अपने, परिवार, समाज और देश के जीवन को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कौशल और ज्ञान प्रदान करती है।

शिक्षा भविष्य में आर्थिक वृद्धि को सफलता पूर्वक काम करने की क्षमता प्रदान करने के बेहतर अवसर प्रदान करती है। यह हमें और हम से जुड़े लोगों को खुश और स्वस्थ्य रखने में मदद करती है। उचित शिक्षा हमें बहुत सी बीमारियों से बचाने के साथ ही एचआईवी / एड्स, संक्रमण, आदि जैसे संक्रामक रोगों के प्रसार से लड़ने में मदद करती है। यह सभी आयामों से हमारे भविष्य को उज्ज्वल बनाने में मदद करती है। यह हमें जीवनभर में आने वाली समस्याओं से लड़ने के लिए उचित समझ प्रदान करती है। उचित शिक्षा के माध्यम से एक व्यक्ति को लोगों और एकता का महत्व समझ आता है जो लोगों के परिवार, समाज और देश के बीच के संघर्ष को कम करती है। अच्छी शिक्षा किसी भी राष्ट्र के लिए शक्तिशाली राष्ट्रों के बीच में आगे बढ़ने, वृद्धि करने और विकास करने का सबसे अच्छा यंत्र है। किसी भी देश के अच्छी तरह से शिक्षित लोग उस देश की सबसे कीमती सम्पत्ति होते हैं। शिक्षा गर्भवती महिला और नवजात शिशु के स्वास्थ्य में सुधार करके माँ और शिशु मृत्युदर को कम करने का एक रास्ता है।

शिक्षा पारदर्शिता, स्थायित्व, सुशासन लाने के साथ ही घूसखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने में मदद करती है। आज भी, बहुत से पिछड़े हुए क्षेत्रों में शिक्षा का कोई अर्थ नहीं है। वो लोग इतने गरीब है कि वो अपना पूरा दिन केवल दो वक्त का खाना प्राप्त करने के लिए लगा देते हैं। वो मानते हैं कि बचपन से ही धन कमाना शिक्षा पर धन व्यर्थ करने से अच्छा है। शिक्षा वास्तव में, बहुत अद्भुत उपकरण है जो आय के स्तर में वृद्धि करती है, स्वास्थ्य में सुधार करती है, लैंगिक समानता को बढ़ावा देती है, जलवायु में हो रहे अवांछनीय परिवर्तनों को घटाती है, गरीबी को कम करती है आदि। यह घर और ऑफिस में शान्तिपूर्ण वातावरण बनाने में मदद करती है। शिक्षा हमें बौद्धिक स्वतंत्रता प्रदान करती है और हमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रुप से सुखी रखती है। यह लोगों के बीच में विचारों और अनुभवों को बाँटने में मदद करने के साथ ही उन्हें नैतिकता, नियमों और सामुदायिक जिम्मेदारियों के लिए भी प्रेरित करती है।

शिक्षा हमें विस्तृत ज्ञान की श्रृंखला प्रदान करती है जैसे; कला, इतिहास, खेल, गणित, साहित्य और खेतों के बारे में। शिक्षा सफलता, उज्ज्वल भविष्य और जीवन की गुणवत्ता की बुनियादी नींव है।

यहाँ उपस्थित मेरे आदरणीय अध्यापक और अध्यापिकाएं और मेरे सहपाठियों सुबह को नमस्ते। जैसा कि हम सभी यहाँ इस शुभ अवसर को मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं, मैं शिक्षा के महत्व पर भाषण देना चाहता / चाहती हूँ। बिना स्कूल और कॉलेजों के, संसार की कल्पना करना बहुत कठिन है। मेरा मानना है कि ये सभी के लिए असंभव है। हम में से सभी मासिक टेस्ट और परीक्षा के दौरान सुबह जल्दी उठने या पूरी रात पढ़ने में परेशानी महसूस करते हैं। हालांकि, हम सभी अपने जीवन में शिक्षा के महत्व और इसकी आवश्यकता को बहुत अच्छे से समझते हैं। यह पूर्णतः सत्य नहीं है कि, यदि किसी को उचित शिक्षा नहीं मिलती तो वो जीवन में असफल हो जाता है। फिर भी, शिक्षा जीवन में हमेशा आगे बढ़ने और जीवन में सफल होने का आसान रास्ता प्रदान करती है। शिक्षा हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बहुत सी समस्याओं के लिए आत्मविश्वास और साहस प्रदान करती है।

शिक्षित लोग अशिक्षित लोगों की तुलना में अपने सपनों को बेहतर ढंग से पूरा करने में सक्षम होते हैं। एक व्यक्ति के लिए उन सभी प्राचीन अंधविश्वासों से बाहर आने के लिए शिक्षा बहुत ही आवश्यक है जो हमारे जीवन को नकारात्मक रुप से प्रभावित करते हैं। अनपढ़ और अशिक्षित लोग बहुत आसानी से अंधविश्वासों से ग्रस्त हो जाते हैं क्योंकि उन्हें सत्य के बारे में कोई सूत्र नहीं होता। शिक्षा ने अंधविश्वासों की वास्तविकता के बारे में हमारी जागरुकता में सुधार किया है और उचित कारणों और तर्कों के साथ सभी नकारात्मक विश्वासों को बदल दिया उच्च प्रौद्योगिकी के रुप में बदलती दुनिया में, हर समय सावधान और अपडेट (समय के साथ चलने वाला) रहने की जरुरत है जोकि बिना शिक्षा के संभव नहीं है। बिना शिक्षा के सभी के लिए आधुनिक संसार में हो रहे सभी बदलावों को स्वीकार और ग्रहण करना असंभव है।

एक अच्छी तरह से शिक्षित व्यक्ति नयी तकनीकों के बारे में अधिक जागरुक होता है और हमेशा खुद को संसार में हो रहे सभी बदलावों के लिए अधिक अपडेट रखता है। इंटरनेट के इस आधुनिक संसार में, हर कोई इंटरनेट के माध्यम से आवश्यक सूचना के बारे में शीघ्र जानकारी के लिए खोज करता है। केवल इंटरनेट के माध्यम से आधुनिक संसार में शिक्षा व्यवस्था प्राचीन समय से बहुत सरल और आसान हो गयी है। सभी लोग जानते हैं कि, इंटरनेट का प्रयोग कैसे करते हैं हालांकि, अशिक्षित लोग इंटरनेट के सभी लाभों के बारे में नहीं जानते, जबकि शिक्षित लोग इंटरनेट को तकनीकी का तोहफा समझते हैं और अपने वैयक्तिक और पेशेवर जीवन को बेहतर और सुखी बनाने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।

जीवन को सुखी और स्वस्थ्य बनाने के लिए बेहतर शिक्षा को शामिल किया जाता है। अशिक्षित लोग अपने स्वास्थ्य, परिवार, समाज और देश के प्रति बहुत अज्ञान होते हैं। इस तरह की अज्ञानता उनके स्वंय के जीवन और वैयक्तिक, राष्ट्र और विकास के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकती है। शिक्षित लोग बेहतर तरीके से जानते हैं कि उन्हें स्वंय को खुश और स्वस्थ्य रहने के साथ ही बहुत सी बीमारियों से स्वंय को कैसे बचाना है। शिक्षित लोग किसी भी बीमारी के लक्षणों को अच्छे से जानते हैं और कभी भी इसके लिए तब तक दवाई लेना नजरअंदाज नहीं करते जब तक कि उस बीमारी के लक्षण पूरी तरह से न चले जायें हालांकि, निरक्षर लोग अज्ञानता और गरीबी के कारण इसका उल्टा करते हैं। यह हमें आत्मविश्वासी, अधिक सामाजिक और हमारे जीवन के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाती है।

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छात्रों के लिए ऐसा भाषण, जो भर देगा आगे बढ़ने का जज्बा – Motivational Speech in Hindi for Students

Motivational Speech for Students in Hindi

मनुष्य की जिंदगी में सुख और दुख तो लगा ही रहता है, लेकिन दुख के समय में कई लोग बुरी तरह टूट जाते हैं, और आगे बढ़ने की उम्मीद छोड़ देते हैं। ऐसे समय में उन लोगों को कई बार मोटिवेशन अर्थात प्रेरणा की जरूरत होती है। वहीं छात्रों के जीवन में भी पढ़ाई का और अच्छे अंक लाने का काफी टेंशन रहता है।

वहीं कई बार तो पढ़ाई करने के बाद भी अच्छे नंबर नहीं आते हैं या फिर उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है, बल्कि खेलकूद अथवा अन्य गतिविधि में लगता है, जिसकी वजह से वे बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। ऐसे समय में छात्रों के अंदर प्रेरणादायक भाषणों के माध्यम से सही मार्गदर्शन करने और उनके अंदर आगे बढ़ने का जज्बा कायम किया जाता है।

वहीं आज हम अपने इस लेख में आपको ऐसे ही प्रेरणादायक भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसकी सहायता से छात्रों के अंदर आगे बढ़ने का जज्बा बढ़ेगा और अपनी जिंदगी कुछ हासिल करने की भावना का विकास होगा।

Motivational Speech in Hindi for Students

सर्वप्रथम सभी को मेरा नमस्कार!

सम्मानीय मुख्य अतिथि, आदरणीय प्रधानचार्या जी, प्रोफेसर महोदया जी और यहां बैठे मेरे छोटे-बड़े भाई-बहन और मेरे प्रिय मित्रों आप सभी का मै तहे दिल से आभार प्रकट करती हूं, मुझे बेहद खुशी हो रही है कि, आज इस अवसर पर मुझे छात्रों के अंदर आगे बढ़ने का जज्बा भरने के लिए मोटिवेशनल स्पीच देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है।

इस मौके पर मै अपने भाषण की शुरुआत किसी महान व्यक्ति द्धारा कही गई, प्रेरक वाक्य के माध्यम से करना चाहती हूं / चाहता हूं

“मेहनत इतनी खामोशी से करो कि सफलता शोर मचा दे।”

जो विद्यार्थी, किसी अन्य विद्यार्थी अथवा सहपाठी के टॉप करने पर यह सोचते हैं, कि उन्होंने यह सफलता रातों-रात हासिल की है, या फिर उसकी अच्छी किस्मत होने की वजह से उसने यह मुकाम हासिल किया है, उनका यह सोचना सरासर गलत है, क्योंकि सफलता किसी को भी एक झटके में नहीं मिलती, लेकिन लगातार प्रयास करते रहने से एक दिन जरूर मिलती है।

सफलता उन्हीं को मिलती है, जिनके जीवन का एक लक्ष्य होता है और वे अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार होते हैं और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सच्चा दृढ़संकल्प लेते हैं, और इसके लिए वे लगातार प्रयास करते रहते हैं।

वहीं महान विद्धान स्वामी विवेकानंद जी ने भी अपने एक महान विचार के माध्यम से सफलता का सूत्र बताया है, उन्होंने कहा है कि-

“अपने जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करो और सभी दूसरे विचार को अपने दिमाग से निकाल दो यही सफलता की पूंजी है – स्वामी विवेकानंद “

इसलिए सभी छात्रों को भी अपने जीवन में एक लक्ष्य का निर्धारण करना चाहिए, और अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीर रहना चाहिए, तभी वे अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं।

वहीं कुछ छात्र ऐसे भी होतें हैं, जो सिर्फ परीक्षा के समय में ही पढ़ते हैं, और पूरी साल मौज-मस्ती और अपने दोस्तों के साथ खेलकूद में अपना समय बर्बाद कर देते हैं, तो ऐसे छात्र पास तो हो जाते हैं लेकिन कुछ खास सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं।

वहीं दूसरी तरफ जो छात्र पूरी साल मेहनत, लगन और ईमानदारी से पढ़ाई करते हैं, वो ही क्लास में टॉप करते हैं।

वहीं जिन छात्रों को पढ़ाई करने से डर लगता है, अथवा यह सोचते हैं कि वे फेल हो जाएंगे, और इसलिए मेहनत नहीं करते, तो उनका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है, क्योंकि किसी काम को करने के लिए प्रयास करने और विश्वास रखने की जरूरत होती है।

इसलिए, सभी छात्रों को एक ध्येय बनाना चाहिए, और उसे पाने के लिए बिना रुके तब तक प्रयास करते रहना चाहिए, जब तक की उसे पा नहीं लें। फिलहाल, इस भाषण को मै एक महान व्यक्ति के प्रेरक वाक्य द्धारा विराम देना चाहता हूं /चाहती हूं –

“सफलता पाने के लिए हमें पहले विश्वास करना होगा की यह हम कर सकते हैं”

छात्रों के लिए प्रेरणादायक भाषण – Best Motivational Speech in Hindi for Students

सभी महानुभावो, आदरणीय अतिथियों, सम्मानीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे मित्रों सभी को मेरा नमस्कार। आज मै बेहद खुश हूं कि आप सभी ने इस मौके पर मुझे छात्रों के लिए प्रेरणादायक भाषण देने का मौका दिया, इसके लिए मै आप सभी का आभार प्रकट करती हूं या करता हूं।

मै अपने भाषण की शुरुआत महान वैज्ञानिक थॉमस एडिसन के एक प्रेरक कथन द्धारा करना चाहती हूं/चाहता हूं –

“हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है, सफल होने का सबसे निश्चित तरीका है हमेशा एक और बार प्रयास करना”- Thomas Edison

कई छात्र ऐसे होते हैं जो मेहनत तो करते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिलती है, जिसकी वजह से वे निराश होकर मेहनत करना ही छोड़ देते हैं और अपनी किस्मत को दोष देने लगते हैं, लेकिन उन्हें निराश नहीं होना चाहिए बल्कि कई ऐसे सफल लोगों से सीख लेनी चाहिए।

जिन्होंने तमाम असफलता के बाद सफलता हासिल की है, क्योंकि सफलता पाने के लिए हर किसी को कड़ी मेहनत, संघर्ष और कई असफलताओं से गुजरना पड़ता है। ऐसे बेहद कम लोग होते हैं जिन्हें बिना मेहनत और संघर्ष के ही अपनी मंजिल मिल जाती है।

हर किसी के पास अपना अलग सामर्थ्य और काबिलियत होती है। कोई छात्र पढ़ाई में अव्वल होता है, तो कोई छात्र स्पोटर्स्, म्यूजिक, डांस आदि क्षेत्रों में आगे होता है, जरूरी नहीं कि आप भी अपने क्लास में टॉपर की तरह 95 फीसदी अंक लाओ तभी आपका भविष्य संवर सकता है।

बल्कि जरूरी यह है कि आप अपने अंदर की काबिलियत को समझे और सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए अपने लक्ष्य का निर्धारण करें और उसे पाने के लिए खूब प्रयास करें तभी आप सफल इंसान बन सकते हैं।वहीं इस पर किसी महान व्यक्ति ने भी कहा है कि

“जहां तुम हो वहीं से शुरूआत करो, जो कुछ भी तुम्हारे पास है उसका उपयोग करो और वह करो जो तुम कर सकते हो”

कई छात्र ऐसे भी होते हैं जो सफल तो होना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए प्रयास नहीं करते और अपना काफी समय गवां देते हैं, जिसके बाद एक पल ऐसा आता है, जब उन्हें लगता है कि काश मैने भी मेहनत की होती तो आज में सफल हो जाता।

इसलिए अगर जिस काम के बारे में सोचो तो उसे करने का प्रयास जरूर करो क्योंकि वक्त निकलने में टाइम नहीं लगता और फिर जिंदगी में काश शब्द के सिवाय और कुछ नहीं बचता साथ ही प्रयत्न नहीं करने का पूरी जिंदगी भर अफसोस होता है।

इसके अलावा कई छात्र ऐसे भी होते हैं, जो किसी कॉम्पटीटिव एग्जाम या फिर कोई भी परीक्षा देने से पहले ही सोच लेते हैं कि उनका सेलेक्शन नहीं होगा, और वे इसके लिए मेहनत भी नहीं करते हैं।

इसलिए ऐसा न करें क्योंकि किसी काम को जब तक पूरी निष्ठा के साथ नहीं किया जाता, तब तक वह करना नामुमकिन लगता है और जिंदगी में सफलता नहीं मिलती हैं, वहीं इस बारे में नेल्सन मंडेला जी ने भी अपना विचार व्यक्त किया है जो कि इस प्रकार है –

“जब तक किसी काम को किया नहीं जाता तब तक वह असंभव लगता है” – Nelson Mandela

फिलहाल, हम सभी को हमने काम के प्रति ईमानदार रहना चाहिए और एक सच्चे दृढ़संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए, तभी हम अपनी जिंदगी में सफल हो सकते हैं और सफलता की नई ऊंचाइयों को हासिल कर सकते हैं,वहीं इस भाषण को मैं गौतम बुद्ध के द्धारा कहे गए एक प्रेरक वाक्य के माध्यम से विराम देना चाहूंगी।

“न कभी भूतकाल के बारे मे सोचो और न ही भविष्य की चिंता करो, अपने दिमाग को सिर्फ वर्तमान में लगाओ – गौतम बुद्ध

मेरे इस भाषण को ध्यानपूर्वक सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद।

  • Hindi Speech

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11 thoughts on “छात्रों के लिए ऐसा भाषण, जो भर देगा आगे बढ़ने का जज्बा – Motivational Speech in Hindi for Students”

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Sach me ye bhoot hi accha speech hai apki vajh se me apne school me achi se school me speech suna pai thankyou so much

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Don’t see your unsucess see your sucess and prepare for sucess

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Thanks for the speech me ek student hu thanks for very much

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Very inspirational speech for students. Students cn learn n follow Hard work always pays

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Thank you so much and very nice your motivation speech

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speech topics in hindi for class 10

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हिंदी दिवस पर एक मिनट का भाषण (Hindi Diwas Speech 2022)

Hindi diwas speech 2022 भारत में हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को संविधान सभा ने एक मत पारित करके हिंदी को राजभाषा घोषित किया। संविधान सभा के इस निर्णय.

Hindi Diwas Speech 2022 For Students भारत में हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को संविधान सभा ने एक मत पारित करके हिंदी को राजभाषा घोषित किया। संविधान सभा के इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए वर्धा की राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाने फैसला किया। तब से हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। भारत में पहली बार 14 सितंबर 1953 को हिंदी दिवस मनाया गया था। हिंदी दिवस पर स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालयों में कई कार्यक्रम आयजित किए जाते हैं। सरकारी दफ्तरों में हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया जाता है। ऐसे में यदि आपको भी हिंदी दिवस पर एक मिनट का भाषण पढ़ना है तो हम आपके लिए सबसे बेस्ट हिंदी दिवस पर भाषण का ड्राफ्ट लेकर आये हैं। जिकसी मदद से आप आसानी से हिंदी दिवस पर भाषण पढ़ या लिख सकते हैं।

हिंदी दिवस पर निबंध हिंदी में (Hindi Diwas Essay In Hindi 2022)

हिंदी दिवस पर एक मिनट का भाषण सबसे पहले स्टेज पर पहुंचे और वहां मौजूद सभी को प्रणाम करें। अपना परिचय दें और अपना भाषण शुरू करें।

Hindi Diwas Speech #1 हिंदी दिवस पर भाषण #1

Hindi Diwas Speech #1 हिंदी दिवस पर भाषण #1

हमारे देश में हर साल 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के 2 साल बाद भरतीय संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को आधिकारिक राजभाषा का दर्जा दिया था। जिसके बाद राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने वर्ष 1953 में भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाने फैसला किया। तब से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Hindi Diwas Speech #2 हिंदी दिवस पर भाषण #2

Hindi Diwas Speech #2 हिंदी दिवस पर भाषण #2

इसकी आधिकारिक घोषणा के साथ ही महान लेखक बोहर राजेंद्र सिंह, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास जैसे कई साहित्यिक इतिहासकारों के प्रयास सफल हुए। इस दिन देश के राष्ट्रपति उन व्यक्तियों को प्रशंसा पुरस्कार प्रदान करते हैं जिन्होंने हिंदी के क्षेत्र में अत्यधिक योगदान दिया है और हमारे देश को गौरवान्वित किया है। इस कार्यक्रम को देखना सभी देशवासियों के लिए गर्व का क्षण है।

Hindi Diwas Speech #3 हिंदी दिवस पर भाषण #3

Hindi Diwas Speech #3 हिंदी दिवस पर भाषण #3

हर भारतीय नागरिक के लिए हिंदी दिवस का बेहद खास महत्व है। भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां अलग अलग धर्म व जाति के लोग रहते हैं। अलग अलग भाषाएं, बोलियां बोलने वाले, अलग अलग वेश-भूषा, खानपान व संस्कृति के लोग रहते हैं।

Hindi Diwas Speech #4 हिंदी दिवस पर भाषण #4

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ये हिंदी भाषा ही है जो देश के सभी लोगों एकता के सूत्र में पिरोती है। देश को एक रखने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। हिंदी ने हमें दुनियाभर में पहचान दिलाई है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई देशों में हिंदी बोली जाती है। इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है।

Hindi Diwas Speech #5 हिंदी दिवस पर भाषण #5

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हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस भी आयोजित किया जाता है। समाज में आपसी बातचीत और संचार करने के लिए किसी एक विशेष भाषा या बोली की जरूरत होती है।

Hindi Diwas Speech #6 हिंदी दिवस पर भाषण #6

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भाषा के माध्यम से ही समाज में एक-दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान करना संभव हो पाता है। समाज की इस जरूरत को हिंदी ने ही पूरा किया है। हिन्दी से ही हमारे समाज और हमारे देश का निर्माण हुआ है। हिन्दी हमारे देश की राष्ट्रभाषा न सही लेकिन राजभाषा जरूर है, जिसपर हमें हमेशा गर्व होना चाहिए।

Hindi Diwas Speech #7 हिंदी दिवस पर भाषण #7

Hindi Diwas Speech #7 हिंदी दिवस पर भाषण #7

हम सभी देशवासियों को हिंदी को हर क्षेत्र में अधिक बढ़ावा देने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। इन्हीं विचारों के साथ मैं अब अपना भाषण समाप्त करना चाहूंगा। आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। मुझे यह मंच प्रदान करने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

हमारे देश में हर साल 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के 2 साल बाद भरतीय संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को आधिकारिक राजभाषा का दर्जा दिया था। जिसके बाद राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने वर्ष 1953 में भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाने फैसला किया। तब से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इसकी आधिकारिक घोषणा के साथ ही महान लेखक बोहर राजेंद्र सिंह, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त और सेठ गोविंद दास जैसे कई साहित्यिक इतिहासकारों के प्रयास सफल हुए। इस दिन देश के राष्ट्रपति उन व्यक्तियों को प्रशंसा पुरस्कार प्रदान करते हैं जिन्होंने हिंदी के क्षेत्र में अत्यधिक योगदान दिया है और हमारे देश को गौरवान्वित किया है। इस कार्यक्रम को देखना सभी देशवासियों के लिए गर्व का क्षण है।

हर भारतीय नागरिक के लिए हिंदी दिवस का बेहद खास महत्व है। भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां अलग अलग धर्म व जाति के लोग रहते हैं। अलग अलग भाषाएं, बोलियां बोलने वाले, अलग अलग वेश-भूषा, खानपान व संस्कृति के लोग रहते हैं।

ये हिंदी भाषा ही है जो देश के सभी लोगों एकता के सूत्र में पिरोती है। देश को एक रखने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। हिंदी ने हमें दुनियाभर में पहचान दिलाई है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई देशों में हिंदी बोली जाती है। इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है।

हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस भी आयोजित किया जाता है। समाज में आपसी बातचीत और संचार करने के लिए किसी एक विशेष भाषा या बोली की जरूरत होती है।

भाषा के माध्यम से ही समाज में एक-दूसरे से विचारों का आदान-प्रदान करना संभव हो पाता है। समाज की इस जरूरत को हिंदी ने ही पूरा किया है। हिन्दी से ही हमारे समाज और हमारे देश का निर्माण हुआ है। हिन्दी हमारे देश की राष्ट्रभाषा न सही लेकिन राजभाषा जरूर है, जिसपर हमें हमेशा गर्व होना चाहिए।

हम सभी देशवासियों को हिंदी को हर क्षेत्र में अधिक बढ़ावा देने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। इन्हीं विचारों के साथ मैं अब अपना भाषण समाप्त करना चाहूंगा। आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। मुझे यह मंच प्रदान करने के लिए आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

Hindi Diwas 2022 : टॉप हिंदी दिवस कोट्स, अपने दोस्तों और परिजनों के साथ करें शेयर

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  • CBSE Class 10 Syllabus

CBSE Class 10 Hindi B Deleted Syllabus 2024-25: Check Deleted Portion and Chapters!

Cbse class 10 hindi course b deleted syllabus 2025: check the deleted portion of cbse class 10 hindi course b syllabus. know the chapters and topics which will not be assessed in the cbse board exam 2025..

Gurmeet Kaur

CBSE Class 10 Hindi B  Deleted Syllabus 2024 -25 :   The Central Board of Secondary Education (CBSE) has been continuing with the 30% reduced syllabus for the past few years. The board deleted certain topics and chapters to ease the academic burden on students. In this article, we will discuss the deleted portion of the CBSE Class 10 Hindi Course B Syllabus.

CBSE Class 10 Hindi B  Deleted Syllabus 202 4 -2 5

Below are the names of the chapters deleted by CBSE from the Class 10 Hindi (Course B) Syllabus:

speech topics in hindi for class 10

CBSE Class 10 Hindi B Syllabus for 2024-25

NCERT Rationalised Content for Class 10 Hindi Course A

NCERT rationalised the content following the deletions made by CBSE in the syllabus for all classes. This included the deletion of certain chapters from the NCERT Class 10 Hindi textbooks - Sparsh Part-II and Sanchayan Part-II. Students should focus on the updated syllabus and prioritize the remaining content for better preparation. Below is a list of the deleted chapters:

speech topics in hindi for class 10

We have provided links below to access the latest NCERT Books for Class 10 Hindi B. These resources will be invaluable in preparing the relevant content and excelling in examinations.

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हिंदी दिवस पर ऐसे करें भाषण की शुरुआत, हर कोई हो जाएगा आपकी हिंदी से प्रभावित

हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए भाषण व निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. ऐसे में हम आपके लिए कुछ दमदार और सरल तरीके लेकर आए हैं, जिससे लोग आपके भाषण के मुरीद हो जाएंगे..

हिंदी दिवस पर ऐसे करें भाषण की शुरुआत, हर कोई हो जाएगा आपकी हिंदी से प्रभावित

Hindi diwas speech 2024 : दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जानी वाली भाषा हिंदी है. आपको बता दें कि पूरी दुनिया में लगभग 62 करोड़ लोग हिंदी में बात करते हैं. वहीं, 2011 की जनगणना के मुताबिक लगभग 53 करोड़ लोग हिंदी बोलते और लिखते हैं. बावजूद इसके आज भी समाज में हिंदी को लेकर लोगों के मन में थोड़ी सी हिचक रहती है. आज भी इंग्लिश बोलने वालों को ज्यादा तरजीह दी जाती है, उन्हें एलीट माना जाता है. पेरेंट्स भी अपने बच्चों को हिंदी माध्यम से पढ़ाने की बजाय अंग्रेजी शिक्षा देने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. इन्हीं पहलुओं को ध्यान में रखकर हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस दिन हिंदी भाषा के समृद्ध गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला जाता है.साथ ही हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए स्कूल, कॉलेजों व दफ्तरों में भाषण व निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. ऐसे में हम आपके लिए हिंदी दिवस पर भाषण देने के लिए कुछ सरल तरीके लेकर आए हैं, जिससे लोग आपके भाषण के मुरीद हो जाएंगे.

Hindi Diwas 2024 : हिन्दी दिवस से जुड़ी ये 8 इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स नहीं होगा पता, जानिए यहां

कैसे करें भाषण की शुरूआत

1- आप हिंदी दिवस पर भाषण दे रहे हैं, तो शुरूआत कोट्स के साथ करें, कुछ सुझाव यहां नीचे दिए गए हैं...

2- हिंदी दिवस पर हम सब मिलकर जश्न मनाएं, हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका को याद दिलाएं मेरा मान है हिंदी, मेरी शान है हिंदी देश की शान है हिंदी, देश की पहचान है हिंदी, क्योंकि हर भारतीय के दिल में विराजमान हैं हिंदी..

3- जैसे रंगों के मिलने से खिलता है बसंत, वैसे भाषाओं की मिश्री सी बोली है हिंदी

4- वक्ताओं की ताकत भाषा लेखक का अभिमान है भाषा भाषाओं के शीर्ष पर बैठी मेरी प्यारी हिंदी भाषा

कोट्स बोलने के बाद आप आदरणीय प्राधानाचार्य, अध्यापकगण व मेरे प्यारे साथियों आप सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं के साथ, अपने भाषण को आगे बढ़ाएं. सबसे पहले आप सभी का धन्यवाद इस अवसर पर मुझे अपने विचार व्यक्त करने का मौका दिया. हिंदी बोलना हमारे लिए गर्व की बात है.  यह भारत की अंखडता और एकता की पहचान है. आपको बता दें कि राष्ट्रीय हिंदी दिवस का इतिहास 14 सितंबर, 1949 से शुरू होता है. इस दिन, भारत की संविधान सभा ने देवनागरी लिपि को आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था और पहला हिंदी दिवस 1953 में मनाया गया था और तब से यह हिंदी भाषा को सम्मान देने और बढ़ावा देने के लिए एक उत्सव के रूप मनाया जाने लगा.

हिंदी देश में रहने वाले और विदेश में रहने वाले भारतीयों के दिल में बसती है. हिंदी ने भारतीय साहित्य, कला और संस्कृति को समृद्ध करने में अहम भूमिका निभाई है. कवि सूरदास, तुलसीदास, और कबीर जैसे महान रचनाकारों ने हिंदी में अपनी  रचनाएं प्रस्तुत की हैं, जो न केवल हमारे साहित्यिक धरोहर को समृद्ध करती हैं बल्कि समाज की जड़ों से भी जोड़ती है. ऐसे में इस हिंदी दिवस पर हम यह प्रण लेते हैं कि हम अपनी हिंदी को प्राथमिकता पर रखेंगे. अन्य भाषाओं की चकाचौंध में अपनी हिंदी बोली को नहीं भूलेंगे.

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हिंदी दिवस पर ऐसे करें भाषण की शुरुआत, हर कोई हो जाएगा आपकी हिंदी से प्रभावित

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Ganesh Chaturthi Speech 10 Lines: 'हे देवों के देव गणेश, वर दो हमको मिटे क्लेश...', गणेश चतुर्थी पर 2 मिनट का बेस्ट भाषण

Ganesh chaturthi speech for students: गणेश चतुर्थी का त्योहार हमें भगवान गणेश की महिमा को समझने और उनके गुणों को अपनाने का अवसर देता है। हमें गणेश चतुर्थी के त्योहार को हमारे जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए और भगवान गणेश के गुणों को अपनाने का प्रयास करना चाहिए। आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।.

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गणेश चतुर्थी पर स्पीच की शुरुआत कुछ पंक्तियों के साथ

गणेश चतुर्थी पर स्पीच की शुरुआत कुछ पंक्तियों के साथ

हरा भरा हो जब धरा का आवरण, तब होता गणेश अवतरण। वर्षा का अंतिम चरण, सुखमय होता वातावरण। हरियाली और खुशहाली से, प्रफुल्लित होता सबका मन। दस दिन का ये उत्सव, प्रसन्नता का बनता कारण। सामाजिक समरसता का, दिखता परिवेश हे देवों के देव गणेश, वर दो हमको मिटे क्लेश।

भगवान गणेश के बारे में कुछ लाइनें

भगवान गणेश के बारे में कुछ लाइनें

भगवान श्री गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। जो हमारे जीवन की परेशानियां दूर करते हैं। उनकी चार मुख्य पहचान है- सूंड, बड़े कान, बड़ा उदर और वाहन में मूषक। गणेश चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो गणपति बप्पा की पूजा-वंदना के लिए मनाया जाता है। (फोटो- Freepik)

गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है?

इस दिन भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की जाती है। इनका अभिषेक कर, मोदक प्रसाद अर्पित कर, मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। अंत में भगवान गणेश की आरती होती है। यह पूजा 10 दिन तक चलती है। दसवें दिन गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। यह प्रक्रिया जीवन के चक्र को दर्शाती है और हमें यह बताती है कि जिसने भी इस धरती पर जन्म लिया है उसे एक दिन जाना भी है।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?

गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?

गणेश भगवान हमारे जीवन में बुद्धि, समृद्धि और सुख लाने के लिए जाने जाते हैं। विघ्नहर्ता, जो हमारे जीवन की बाधाओं को दूर करते हैं। उनकी पूजा करने से हमें ज्ञान, सुख और समृद्धि मिलती है। भगवान गणेश की महिमा की जानकारी हमारी पौराणिक कथाओं में मिलती है, जो उनकी बुद्धि और साहस को दर्शाती है।

गणेश चतुर्थी का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

गणेश चतुर्थी का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

गणेश चतुर्थी का त्योहार भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है और यह भाद्रपद महीने की शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखती है। यह त्योहार सामूहिकता, भाईचारे और समाज में एकता का प्रतीक है। यह उत्सव हमें भगवान गणेश के गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार हमारे जीवन में सकारात्मकता और आशावादी सोच को बढ़ावा देता है। (फोटो- Freepik)

गणपति उत्सव का संदेश

गणपति उत्सव का संदेश

इस उत्सव को धूमधाम से मनाने के साथ-साथ हम भगवान गणेश से प्रेरणा लेते हैं और अपने जीवन में अच्छी बातें अपनाने का संकल्प लेते हैं। हमें गणपति बप्पा के गुणों को अपनाने का प्रयास करना चाहिए, जैसे कि- बुद्धि, साहस और दया। इस राह पर चलकर हम ताउम्र अपने जीवन में गणपति का आशीर्वाद महसूस कर सकते हैं। तो आइए, हम सब मिलकर सद्भावना के साथ भगवान गणेश की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बनाएं। लंबोदर गजकर्ण का,विघ्नविनाशक रूप। सिद्ध सभी कारज करें,पावन रूप अनूप। गणपति बप्पा मोरया।

रत्नप्रिया

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