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नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

नमस्कार आज के निबंध , नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi में आपका स्वागत हैं. आज का निबंध भारत में नशे की समस्या पर आसान भाषा में निबंध दिया गया हैं.

युवाओं में नशाखोरी की समस्या और समाज पर इसके प्रभाव पर स्टूडेंट्स के लिए निबंध दिया गया हैं. उम्मीद करते है आपको यह पसंद आएगा.

नशाखोरी की समस्या पर निबंध Drug Abuse Essay In Hindi

नशाखोरी की समस्या पर निबंध | Drug Abuse Essay In Hindi

पिछले कुछ वर्षो से भारत में नशे के लिए ड्रग्स (Drugs) और मादक दवाओं (Narcotic drugs) का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है. एवं इसने एक विकराल समस्या का रूप ले लिया है. एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 70 लाख लोग नशे की लत के शिकार है.

जिनमे लगभग 10 लाख लोग हेरोइन के नशे की चपेट में है. गैर आधिकारिक आंकड़ो के अनुसार यह संख्या 50 लाख तक भी हो सकती है.

स्कूली छात्रों के मध्य किये गये एक सर्वे में पाया गया कि भारत में नौवी क्लाश तक पहुचने वाले छात्रों में 50 प्रतिशत छात्र ऐसे है. जिन्होंने एक बार किसी न किसी नशे का सेवन किया है.

राजस्थान में भी नशे की गम्भीर समस्या है राजस्थान में मुख्य रूप से डोडा पोस्त (Doda Post) ,अफीम (Opium) व अफीम से बने नशीले पदार्थो का सेवन किया जाता है.

राजस्थान परम्परिक रूप से अफीम उत्पादक है. यहाँ कोटा बारां, झालावाड़, चितोड़गढ़ उदयपुर और प्रतापगढ़ जिलों में अफीम की खेती की जाती है.

नारकोटिक्स सेंट्रल ब्यूरो (Narcotics central bureau) द्वारा इन क्षेत्रों में अफीम की खेती करने के लिए लाइसेंस जारी किये जाते है. सरकार की अफीम कृषि निति के अनुसार जितनी भी अफीम की खेती का उत्पादन होता है उसे दवाइयों में उपयोग करने के लिए सरकारी एजेंसियों को सौपा जाता है.

परन्तु सरकारी स्तर पर चार चौकसी की व्यवस्था नही होने के चलते इस निति का पूर्ण क्रियान्वयन नही हो पाता है. तथा किसान अफीम का एक बहुत बड़ा हिस्सा चोरी छिपे ड्रग माफिया को दे दिया जाता है. क्युकि अफीम का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य अधिक होने के कारण इससे किसानों को अधिक आर्थिक लाभ होता है.

यह अफीम देश ही नही दुनिया के कई हिस्सों में स्मगल की जाती है. इस अफीम का एक हिस्सा पश्चिमी राजस्थान में पहुच जाता है. जहाँ विवाह, मृत्यु व अन्य सामाजिक अवसरों पर अफीम का उपयोग करने की पुरानी परम्परा है.

वर्तमान समय में यह परम्परा कुरीति का रूप ले चुकी है. पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिले विशेषकर बाड़मेर, बीकानेर व जैसलमेर में अफीम Opium  का काफी प्रचलन है.

पश्चिमी राजस्थान अफीम का अंतर्राष्ट्रीय हब बन चूका है. पाकिस्तान व अफगानिस्तान को यहाँ से अफीम की सप्लाई किये जाने का कारोबार भी बड़े स्तर पर फ़ैल चूका है.

नशे के दुष्प्रभाव (Side effects of intoxication/Drug Abuse In Hindi)

नशे का सेवन करने वाले व्यक्ति न केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित होते है बल्कि इससे उसका पूरा परिवार तथा समाज प्रभावित होता है. ड्रग्स की लत न केवल व्यक्ति को शारीरिक रूप से अपंग बना देती है बल्कि उसकी मानसिक क्षमताओं को भी बुरी तरह प्रभावित करती है.

परिवार के मुखिया या परिवार के किसी सदस्य को ड्रग्स की लत जाने से पूरा परिवार तबाह हो जाता है. तथा इसका असर समाज और देश पर भी पड़ता है.

नशे का गुलाम व्यक्ति तब तक जीता है, अपने आप पर, अपने परिवार तथा देश पर एक बोझ की तरह जीता है. नशे की लत लग जाने पर नशा प्राप्त करने के लिए व्यक्ति चोरी चकारी करता है तथा जरूरत पड़ने पर बड़े अपराधों को भी अंजाम दे देता है.

ड्रग्स माफिया नशे के आदि व्यक्तियों को कैरियर के रूप में काम में लेते है. तथा उनके माध्यम से ड्रग्स की तस्करी करवाते है वे खुद कभी भी कानून की पकड़ में नही आते है जबकि ड्रग्स का आदि व्यक्ति केवल नशे की पूर्ति के लिए सभी अनैतिक कार्य करने के लिए विवश होता है और इसका परिणाम स्वयं व उसका पूरा परिवार भुगतता है

नशे के उपयोग में लाई गई सूइया hiv का कारण बनती है जो अन्तः एड्स का रूप धारण कर लेती है. नशे के प्रभाव में व्यक्ति पागल व सुसुप्तावस्था में आ जाता है व नशे की उतेजना में अपराध तक कर बैठता है. नशे के सेवन से अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है.

भारत में मादक ड्रग्स का उपयोग बढ़ने के कारण (Due to the increase in the use of narcotic drugs in India In Hindi)

एक आंकलन के अनुसार भारत की आधे से ज्यादा संपदा केवल 50 लोगों के हाथो में है. अमीर और अमीर होता जा रहा है तथा गरीब के लिए अपने परिवार को चलाना ही एक चुनौती है.

गरीब लोगों के पास अपने परिवार को मूलभूत सुविधाएं दे पाना मुश्किल हो गया है. गरीब व्यक्ति बड़ी मुश्किल से अपने परिवार को दो समय का भोजन दे पाता है. अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाना तो बहुत दूर की बात है.

ऐसी स्थति में गरीब व्यक्ति तनाव व अवसाद में रहता है जिसके चलते कई बार अपने आपकों तनाव से मुक्त करने के लिए ड्रग्स का सहारा लेता है और धीरे धीरे इसका आदि हो जाता है.

भारत में अधिकाँश युवा ऊँची शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद भी बेरोजगार है. वे शारीरिक श्रम कर या छोटा मोटा व्यवसाय कर पर्याप्त आय अर्जित नही कर पाते है. क्युकि बड़ी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने किसी छोटे व्यवसायी के लिए कोई जगह नही छोडी है.

ऐसी स्थति में युवावर्ग ड्रग्स माफिया का चंगुल में आ जाता है. तथा थोड़े से लाभ के लिए ड्रग्स कैरियर के रूप में काम करने को तैयार हो जाता है और अंतत नशे की लत का शिकार हो जाता है.

यधपि ड्रग्स की रोकथाम के लिए कठोर कानून एन डी पी एस अधिनियम बनाया गया है परन्तु इसकी पूरी तरह से पालना नही हो रही है. सरकार ने ड्रग्स की रोकथाम के लिए अनेकों एजेंसियों जैसे नारकोटिक्स, कंट्रोल ब्यूरो, केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, कस्टम आयुक्तालय, केन्द्रीय आबकारी आयुक्तालय, राज्य आबकारी विभाग आदि बनाए गये है.

परन्तु इन एजेंसियों एवं विभागों के मध्य सामजस्य का अभाव है. व ड्रग्स व नशे पर पूरी तरह से रोकथाम लगाने में विफल रहे है.

वर्तमान में व्यवसायिक गतिविधिया बढ़ने के साथ साथ ट्रांसपोर्ट के साधन जैसे ट्रक, बस, ट्रेन हवाई जहाज आदि बढ़ गये हीन सारे ट्रांसपोर्ट माध्यमो पर निगरानी नही हो पाती है. ड्रग्स माफिया इसका फायदा उठाते है और आसानी से ड्रग्स की स्मगलिंग करते है. इससे भी नशे में बढ़ोतरी हुई है.

नशे की समस्या का निवारण (Redressal problem Drug Abuse solution In Hindi)

ड्रग्स की समस्या के निवारण के लिए कठोर अफीम निति और इसका पूरा पालन सुनिनिश्चित किये जाने की आवश्यकता है. अफीम की खेती चारदीवारी या पूरी तरह सरकार की निगरानी में की जानी चाहिए.

किसानों को अफीम का उचित मूल्य दिया जावें, जिससे वे आर्थिक लाभ के लिए अफीम को ड्रग्स माफिया को नही बेचे. किसानों को भी जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें नशे के दुष्प्रभाव को बताकर प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे अफीम को सरकारी एजेंसियों को ही सौपे .

कुल मिलाकर एक ऐसी व्यवस्था कायम करने की आवश्यकता है जहाँ एक ग्राम भी अफीम ड्रग्स तस्करों के हाथ नही पहुचे.

ड्रग्स की प्रभावी रोकथाम के लिए समाज में ख़ुफ़िया तन्त्र विकसित करने की आवश्यकता है. जो ड्रग्स की जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सम्बन्धित एजेंसी को दे.

सुचना देने वाले व्यक्तियों को पर्याप्त पुरस्कार एवं सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए ऐसा करके उनका विश्वास जितने की आवश्यकता है.

ड्रग्स की रोकथाम में लगी हुई विभिन्न एजेंसियों के मध्य सामजस्य के लिए एक केन्द्रीय एजेंसी बनाई जानी चाहिए जो सभी एजेंसियों के मध्य सामजस्य के साथ साथ इसकी गतिविधियों पर नियन्त्रण रखे. इन एजेंसियों को सभी साधन उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है. और समय समय पर आवश्यक प्रक्षिक्षण दिया जाना चाहिए.

विभिन्न सरकारी एजेंसियों को उनके कार्यो के प्रति उतरदायी ठहराया जाना चाहिए एवं यदि उनके द्वारा कर्तव्य पालन में चुक की जाती है. तो उचित उदाहरणत्मक कार्यवाही की जानी चाहिय.

ड्रग्स की रोकथाम के लिए भी न्याय व्यवस्था को सुद्रढ़ किये जाने की आवश्यकता है. एन. डी. पी. एस. अधिनियम के प्रावधान अपने आप में पर्याप्त है. परन्तु इसकी पालना सुन्शिचित करवाने के लिए अनुसन्धान एजेंसियों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए.

जिससे अनुसन्धान में रही तकनीक त्रुटी के आधार पर दोषी बचने में सफल नही हो पाए. अभियोजन को पूरी साक्ष्य न्यायालय के समक्ष रखकर सजगता से पैरवी करनी चाहिए. और न्यायालय को छोटी छोटी तकनीकी त्रुटियों के आधार पर अभियुक्तगण को बरी नही किया जाना चाहिए.

ऐसी न्याय व्यवस्था कायम की जानी चाहिए जिसका समाज में यह संदेश जावे कि ड्रग्स का कारोबार करने वाला कोई भी व्यक्ति कानून के शिकंजे से नही बचेगा और उसे अवश्य ही सजा मिलेगी.

निति निर्माताओं को देश की अर्थ निति, कृषि निति और शिक्षा निति पर भी नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता है.

अर्थ निति ऐसी होनी चाहिए जिससे गरीब अमीर का अंतर कम हो सके. कर चोरी पर पूरी तरह से रोकथाम लगे. काले धन का संचय नही हो और पब्लिक मनी का उपयोग राष्ट्रहित में किया जावे.

शिक्षा निति में आवश्यक बदलाव कर यह सुनश्चित किया जाना चाहिए कि उसका उद्देश्य केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करना न होकर रोजगार हासिल करना हो.

ग्राम स्वराज्य की तर्ज पर युवाओं को व किसानों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध करवाया जावे जिससे उनमे शहरों की पलायन की प्रवृति रुक सके.

ऐसा करने से गरीब किसान व युवावर्ग को नशे से दूर रखा जा सकता है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को विभिन्न स्थानों पर, कम से कम एक जिला स्तर पर नशामुक्ति केंद्र स्थापित करना चाहिए.

जहाँ विशेज्ञयों द्वारा नशे की लत से शिकार व्यक्तियों को परामर्श उपलब्ध करवाकर नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया जावे और उन्हें आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जावे.

इन केन्द्रों पर आधुनिक तकनीक व सुविधाए होनी चाहिए. गरीब लोगों के लिए वे सुविधाएं मुफ्त होनी चाहिए. इन सुविधाओं का पर्याप्त प्रसार प्रसार होना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को नशे के बारे में जानकारी मिल सके.

नशा छोड़ देने वाले व्यक्ति लो निगरानी के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे पुन; नशे की दलदल में नही फसे. ऐसे व्यक्तियों को पुनः समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए रोजगार परक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए एवं उन्हें उत्पादक गतिविधियों में शामिल किया जाना चाहिए जिससे फिर से वे नशे का रुख नही करे.

आवश्यकता होने पर ऐसे व्यक्तियों को नये रोजगार के लिए आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. उनके परिवारों को प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे पुरानी बातो को भुलाते हुए खुले दिल से नशा छोड़ने वाले व्यक्ति का स्वागत करे और उसे आत्मीय व्यवहार प्रदान करे.

केवल कानून से ड्रग्स की समस्या से निजात नही पाई जा सकती है. इसके लिए जनचेतना और पुरे समाज की सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है. समाज को ड्रग्स के दुष्प्रभावो के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए.

और ऐसा माहौल तैयार किया जाना चाहिए, जहाँ न केवल आम आदमी नशे से दूर रहे बल्कि नशीले पदार्थो की तस्करी की सप्लाई की कोई भी जानकारी मिलते ही इसकी सुचना तुरंत सरकारी एजेंसियों को दे जिससे नशे के कारोबारियों को तुरंत सजा मिल सके.

नशे की रोकथाम के उपाय (Drug prevention measures In Hindi)

विधिक सेवा संस्थाओ का यह सामाजिक एवं विधिक दायित्व है कि वे ड्रग्स की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए. विधिक सेवा संस्थाओं को सरकारी एजेंसियों विशेज्ञयों के साथ मिलकर ड्रग्स की रोकथाम के लिए ठोस योजना निति बनानी चाहिए.

जिसके तहत आम जन को ड्रग्स की रोकथाम के लिए बने हुए कानूनों तथा समाज पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जावे. विधिक सेवा संस्थाओं के पैनल अधिवक्ता व पैरालीगल वोलेंटीयर्स सरकारी विभागों के साथ मिलकर इस दिशा में प्रभावी कार्य कर सकते है. 

विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा स्कुल कोलेजों में भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते है. निबंध, पोस्टर, पेंटिंग, वाद विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित कर विद्यार्थियों को जागरूक किया जावे.

विद्यार्थी विधिक सेवा व शान्ति दूत के रूप में कार्य करते हुए नशा मुक्ति का संदेश पूरे समाज में पहुचाना चाहिए. विधिक सेवा संस्थाओं द्वारा नशा मुक्ति केन्द्रों का दौरा कर नशा छोड़ने वाले व्यक्तियों को आवश्यक परामर्श दिया जावें.

यदि विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा अपने कर्तव्य की पालना नही की जाती है तो विधिक सेवा संस्थाए सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की जा सकती है.

नशे की रोकथाम के लिए हम सभी को पुरे मनोयोग से सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है एकल प्रयासों इस पर पार पाना संभव नही है.

सभी सरकारी एजेंसियों व विधिक सेवा संस्थाओं को मिलकर इस बुराई की रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए. तभी नशा मुक्ति भारत का सपना साकार हो सकेगा.

नशा मुक्ति De Addiction Meaning Drug Abuse In Hindi

एक व्यक्ति द्वारा ऐसी मादक दवाएं / नशीली दवाएं अथवा नशीली सामग्री का उपयोग करना जिससे शारीरिक/मानसिक/ मनोवैज्ञानिक क्षमताएं प्रभावित होती हो, नशाखोरी / दुर्व्यसन कहलाता हैं.

लोग प्रायः अपने आधुनिक जीवन में तनाव से मुक्ति पाने के लिए गम या हर्ष का प्रदर्शन करने के लिए, अपनी समर्द्धता या स्फूर्ति अनुभव कराने के लिए नशा करते हैं.

सरकारी आकडे के अनुसार देश में 7.3 करोड़ लोग नशे का सेवन करते है तथा 70 प्रतिशत इसके अभ्यस्त हो चुके हैं. नशाखोरी के उदहारण- भांग, गांजा, चरस, शराब/ एल्कोहल, अफीम, हेरोइन, एलएसडी, मार्फीन, कोकीन आदि.

नशाखोरी के प्रकार

उद्दीपक दवाएं अपर्स/पेप पिल्स/स्पीड.

  • मस्तिष्क की क्रियाशीलता बढ़ती है तथा अस्थायी स्फूर्ति आने से व्यक्ति में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार हो जाता हैं. जैसे एमफोटेमाईन दवा, कोकेन (कोका के पौधे से प्राप्त क्षारतत्व- एल्केलायड) क्रैक (कोकीन क ही एक ओर रूप) अधिकतर खिलाड़ियों एवं विद्यार्थियों के द्वारा उपयोग
  • कोकीन के अधिक उपयोग से मनोवैज्ञानिक समस्याएं यथा- चिंता, तनाव, भय, अनिद्रा आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं तथा शरीर का वजन कम हो जाता हैं.

अवसादक दवाएं / डाउनर्स

  • मस्तिष्क एवं मांसपेशियों की क्रियाशीलता को कम करती हैं जैसे शराब/ एल्कोहल, मैड्रेक्स, वेलियम, लिब्रियम आदि.
  • गोलियां अधिक उपयोग करने से आलस्य, चिड़चिड़ापन, मानसिक निष्क्रियता आदि हैं.
  • प्रायः अवसादक गोलियों में बार्बीटुरेट रसायन होते हैं. जो नीद की गोलियों में भी पाए जाते हैं.
  • इन दवाओं के अधिक सेवन से या बिना चिकित्सकीय निरिक्षण के इनका उपयोग बंद करने पर खतरे की स्थिति पैदा होती हैं.

विभ्रांति कारक दवाएं/ चेतना प्रसार दवाईयां

  • मानसिक संवेदन को तीव्र करने वाली हमारी चेतना का ढंग/ सुनने/ देखने/ अनुभव का ढंग बदलने वाली दवाईयां
  • इन दवाओं के सेवन से समय, स्थान, पहचान का बोध धीरे धीरे समाप्त हो जाता हैं. व्यक्ति को इसकी कम मात्रा में लगता है जैसे वह अधिक उंचाई पर हैं.

स्वापक दवाएं / अफीमी दवाएं

  • पोस्त के पौधे से बनने वाली दवाइयां जैसे अफीम हेरोइन, मार्फीन, मीथेडीन, पैथीडीन आदि.
  • अफीम पोस्त पौधे से तैयार होती हैं. अफीम का वैज्ञानिक नाम Lachryma Papaveris या पैपेवर सेमेइफेरम हैं. अफीम में
  • 12 प्रतिशत मार्फीन होती हैं. मार्फीन से ही हेरोइन को तैयार किया जाता हैं.
  • हेरोइन महंगी होने के कारण उसके अपरिष्कृत रूप में ब्राउन शुगर एवं स्मैक प्रयुक्त होते हैं.
  • गाँवों में अफीम का उपयोग कब्ज पैदा करने हेतु, सर्दी जुकाम से निजात हेतु, युद्ध के समय मल मूत्र रोकने हेतु एवं यौन शक्ति बढ़ाने हेतु किया जाता था. राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत व्यापक रूप से इसका उपयोग होता हैं.
  • राजस्थान में चित्तौड़गढ़ अफीम का सबसे बड़ा उत्पादक जिला हैं.

अन्य नशीले पदार्थ

  • भांग के पौधे से ही भांग गांजा चरस आदि प्राप्त होते हैं जिन्हें खाकर, पीकर, धुम्रपान के रूप में सेवन किया जा सकता हैं.
  • केनबिस सैटिवा के जंगली/ कृषिजात नर / नारी सभ प्रकार के पौधों की पत्तियों से भांग प्राप्त होती हैं.
  • कृषिजात नारी पौधों के फूलदार, फलदार शाखाओं को क्रमश सुखाकर व दबाकर गांजा तैयार करते हैं जो इन्ही पौधों से जो रालदार स्राव निकलता है उससे चरस/ सल्फा प्राप्त करते हैं.
  • चरस गांजे के पेड़ से ही निकला एक प्रकार का गोंद हैं जो मोम की तरह हरें पीले रंग का द्रव्य हैं.

मादक द्रव्यों के दुष्परिणाम

  • मादक पदार्थों से व्यक्ति के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव पड़ता हैं.
  • स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव- मानसिक अक्षमता, संवेगात्मक असंतुलन, अत्यधिक निद्रा
  • विभिन्न दुर्घटनाएं
  • अवैध व्यापार, तस्करी को बढ़ावा, अपराधीकरण, भ्रष्टाचार, अनैतिक आचरण, पारिवारिक पतन
  • आर्थिक संकट

नशाखोरी के तथ्य

  • विश्व में 1968 में अंतर्राष्ट्रीय नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड की स्थापना हुई. यह स्वतंत्र व अर्द्धन्यायिक संस्था है जिसका मुख्यालय वियना आस्ट्रिया हैं.
  • केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर (मध्यप्रदेश) की स्थापना नवम्बर 1950
  • विश्व में मादक द्रव्यों के विरोध में अंतर्राष्ट्रीय दिवस- २६ जून

Very nice sir thanku….

Very inspired essay for peoples To abuse drugs

धन्यवाद हर्ष जी

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नशे की लत हेल्थ सेंटर

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नशे की लत - Drug Addiction in Hindi

Dr. ayush pandey mbbs,pg diploma october 10, 2018, february 01, 2024.

नशे की लत

 नशे की लत क्या है?

नशे की लत होना एक बीमारी है, जो किसी व्यक्ति के मस्तिष्क और व्यवहार को प्रभावित कर सकती है। कुछ पदार्थ जैसे अल्कोहल, मारिजुआना (marijuana; गांजा) और निकोटीन को भी नशे ही एक रूप माना जाता है, जब आप इनके आदी हो जाते हैं, तो इनके कारण होने वाले नुकसानों को जानने के बावजूद भी इनका उपयोग जारी रखते हैं।

नशे की लत, सामाजिक माहौल में खुद की संतुष्टि के लिए नशीले पदार्थों के उपयोग से शुरू हो सकती है। जिसके बाद लोग इनका प्रयोग बार-बार करने लगते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों में ओपिओइड्स (opioids/ एक प्रकार की दवा) से पूर्ण नशीले पदार्थों की लत, किसी के द्वारा बताने और स्वंय के द्वारा इनका सेवन करने से प्रारंभ होती है। देखा जाता है कि शुरूआती दौर में कोई दोस्त या फिर रिश्तेदार इनको लेने की सलाह देते हैं।

आप कितनी तेजी से इन दवाओं आदी होते हैं वह इनके जोखिम, दवाओं की भिन्नता पर निर्भर करते हैं। कुछ दवाएं जैसे- ओपिओइड (दर्द निवारक दवा) से लत लगने का उच्च जोखिम होता है और यह अन्य की तुलना में लत लगने का मुख्य कारण भी होती है।

जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, आपको इन नशीले पदार्थों की अधिक खुराक की आवश्यकता होती है। जल्द ही आपको बेहतर महसूस करने के लिए इस की जरूरत होने लगती है। जैसे ही आप उपयोग बढ़ाते हैं, आपको लगता है कि इस के बिना आपका रहना मुश्किल हो जाएगा। नशीले पदार्थों के प्रयोग को रोकने के प्रयास में आप खुद को शारीरिक रूप से अक्षम व बीमार महसूस करते हैं।

आपको नशीले पदार्थों की लत से दूर करने और नशीली दवाओं से मुक्त रहने के लिए अपने डॉक्टर, परिवारिक सदस्यों, मित्रों, सहायता समूहों या संगठित उपचार कार्यक्रम से मदद लेने की आवश्यकता होती है।

(और पढ़ें -  मनोवैज्ञानिक परीक्षण क्या है )

नशे की लत के प्रकार - Types of Drug Addiction in Hindi

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  • नशे की लत के जोखिम और जटिलताएं - Drug Addiction Risks & Complications in Hindi

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नशे की लत के प्रकार क्या है?

  • सिगरेट और तंबाकू की तरह अन्य रूपों में निकोटीन लेना नशे की लत को बढ़ाता है। (और पढ़ें -  सिगरेट पीने के नुकसान )
  • शराब का सेवन मस्तिष्क और शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। (और पढ़ें -  शराब पीने के नुकसान )
  • मारिजुआना (कैनबिस) सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला अवैध नशीला पदार्थ है।
  • आमतौर पर दर्द से राहत के लिए ओपिओइड्स को लिया जाता है।
  • मेथिलफिनेडेट (Methylphenidate) और एम्फ़ैटेमिन्स (amphetamines) जैसे उत्तेजक।
  • आमतौर पर नींद के लिए या चिंता को कम करने के लिए डिप्रेसेंट दवाओं का प्रयोग किया जाता है।
  • एक्सटसी (Ecstasy; इसको एमडीएमए भी कहा जाता है)

(और पढ़ें -  मानसिक रोग के प्रकार )

नशे की लत से जुड़े व्यवहार व लक्षण क्या होते हैं?

नशे की लत के लक्षण या व्यवहार में निम्न को शामिल किया जा सकता हैं:-

  • शारीरिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान हो जानने के बाद भी इस तरह के नशे को करते रहना। (और पढ़ें -  मानसिक रोग दूर करने के उपाय )
  • ड्रग हासिल करने के लिए चोरी जैसे काम भी करना, जो आप आम तौर पर नहीं करते। 
  • वाहन चलाना व इस तरह के जोखिम भरे काम नशे में होने के बावजूद भी करना। 
  • इसको छोड़ने के प्रयासों में विफल रहना।
  • नशा बंद करने की स्थिति में आप इसके लक्षणों को कम होता पाते है।
  • निश्चित समय की तुलना में लंबी अवधि तक दवा का सेवन करना।
  • इस तरह की दवाओं की आपूर्ति को बनाए रखना।
  • ज्यादा पैसे न होने पर भी इन दवाओं को लेना।
  • नशे की लत के कारण अपने दायित्वों, काम की जिम्मेदारियों व सामाजिक गतिविधियों से दूर रहना।
  • नियमित रूप से नशे का उपयोग करने की इच्छा होना- पूरे दिन में एक या कई बार।
  • नशा करने के अलावा किसी भी बात के बारे में ना सोचना।
  • किसी निश्चित समय में अधिक प्रभाव पाने के लिए अधिक दवाओं का सेवन करना।

आपका बच्चा या परिवार का कोई सदस्य नशे की लत का आदी हो चुका हो, तो उसमें निम्न तरह के संकेतों को देखा जाता हैं:

  • व्यवहार में परिवर्तन, व्यक्ति अपने कमरे में किसी को आने नहीं देता और दोस्तों के साथ जाते समय भी इस बात का ध्यान रखता है कि उसकी बात किसी को पता न चलेे। परिवार के सदस्यों व करीबी दोस्तों के साथ व्यवहार में परिवर्तन आना।
  • धन की परेशानी, बिना उचित स्पष्टीकरण दिए पैसे के लिए अचानक अनुरोध करना या दूसरों की जानकारी के बिना ही घर से पैसे ले जाना। 
  • स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां होना जैसे एनर्जी में कमी आना, वजन घटना या बढ़ना या आंखे लाल रहना। (और पढ़ें -  वजन घटाने का तरीका )
  • कपड़ों व संवरने में रुचि ना दिखाना।
  • स्कूल या कार्यस्थल में समस्याएं होना। अक्सर स्कूल या कार्यस्थल से लापता रहना। कुछ दिनों से स्कूल व कार्यस्थल की गतिविधियों में रूचि न लेना। इसके अलावा कार्यक्षमता का तेजी से गिरना।

(और पढ़ें -  वजन बढ़ाने के तरीके ) क्या आप भी मोटापे से परेशान है लाख कोशिशों के बाद भी वजन काम नहीं कर पा रहे है तो आज ही myUpchar आयुर्वेद मेदारोध वेट लॉस जूस को इस्तेमाल करना शुरू करे और अपने वजन को नियंत्रित करे।

नशे की लत के कारण क्या होते हैं?

नशे की लत के मनोवैज्ञानिक कारण:

नशे की लत के कुछ मनोवैज्ञानिक कारणो में आघात (trauma) शामिल हैं। यह नशे की लत युवाओं में देखी जाती है।

घर में यौन या शारीरिक शोषण, उपेक्षा व हालातों का ठीक न होना, ये सभी स्थितियां मनोवैज्ञानिक तनाव पैदा करती है, जिनसे बचने के लिए लोग खुद से ही कुछ दवाएं ले लेते हैं। खुद से दवा लेना ही नशे की लत का कारण बनता है।

(और पढ़ें -  यौन शोषण क्या है )

नशे की लत के अन्य मनोवैज्ञानिक कारणों में शामिल हैं:-

  • मानसिक रूप से स्वस्थ न होना, जैसे- तनावग्रस्त रहना।
  • दूसरों के साथ जुड़ने में मुश्किल होना, जैसे दोस्त बनाने में मुश्किल।
  • कार्यस्थल व स्कूल में खराब प्रदर्शन।
  • तनाव को दूर करने में मुश्किल होना।

(और पढ़ें -  तनाव को दूर करने के तरीके )

आसपास के माहौल के कारण नशे की लत

व्यक्ति के आसपास का माहौल भी नशे की लत का कारण बन सकता है। जहां नशा लेना स्वीकार्य है और लोग नशा करते है वहां पर बच्चों में भी जल्द नशाखोरी के लक्षण पनप सकते हैं। 

घरों में मौजूद नशे के आदि बड़ों को देख देख कर बड़े होते बच्चे खुद भी इसके आदी हो जाते हैं। 

अधिकांश नशीली दवाओं और नशीले पदार्थों का प्रयोग किशोरावस्था में ही शुरू होता है, जो बच्चे अपमानजनक स्थिति या माता-पिता की उपेक्षा सहते हैं, वे धीरे-धीरे नशीले पदार्थों के आदी हो जाते हैं। नशे की लत के लिए जिम्मेदार कारणों में शामिल हैं:-

  • किसी खेल में भागीदारी, जहां प्रदर्शन-बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • मित्रों का समूह, जो इस तरह की चीजों का उपयोग करता हो या प्रचार करता हो।
  • सामाजिक-आर्थिक स्थिति का निम्न होना भी नशे की लत के लिए जोखिम कारक हो सकता है। 

(और पढ़ें -  दवाओं की जानकारी )

नशे की लत के आनुवंशिक कारण

नशे की लत कई परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है, अनुवांशिक कारण भी नशे की लत की वजह हो सकते हैं।

यह ज्ञात है कि कुछ जींस (genes) मस्तिष्क को निकोटीन लेने के लिए प्रभावित करते है और यह नशे की लत के कारण में अपना योगदान देते हैं।

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नशे की लत को कैसे रोंके?

नशे की लत को रोकने के लिए किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण समय क्यों है?

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, कम उम्र में नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करना भी नशे के आदी होने की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। इस दौरान नशीले पदार्थों और शराब को रोकने के लिए किए गए प्रयास लंबे समय तक चल सकते हैं।

जीवन में किसी बड़े परिवर्तन के दौरान नशे की लत से खतरा बढ़ जाता है। वयस्कों में नशे की लत का कारण तलाक होना या नौकरी के छूट जाना भी हो सकता है।

छोटी उम्र में नशे का उपयोग हमारे मस्तिष्क के कार्य पर जैसे- स्मृति, सीखने, निर्णय लेने और व्यवहार को नियंत्रण करने में बाधा उत्पन्न करता है।

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जब हम नशे की रोकथाम की बात करते हैं, तो इसमें कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं, इनको आप आसानी से बदल नहीं सकते हैं। जिसमें नशे के अादी व्यक्ति का पारिवारिक इतिहास, किस तरह से आप नशे के आदी हुए और आघात का अनुभव करने की स्थिति को शामिल किया जाता है।

वैसे तो इस लत को रोकने का कोई भी तरीका एेसा नहीं है जो असफल हो ही न, फिर भी कुछ बातों का पालन कर आप खुद को नशे का आदी बनने से रोक सकते हैं। इसमें शामिल हैः-

  • अपने स्कूल, धार्मिक समुदाय या किसी अन्य संगठन के साथ मजबूत रिश्ता बनाने के लिए जरूरी नहीं है कि आप इनके समारोह में शराब का जरूर ही सेवन करें।
  • एंटी-ड्रग, तंबाकू और शराब से जुड़ी संस्थाओं के कार्यक्रमों में भाग लें।
  • युवावस्था में नशे से बचें, जो लोग अपने शुरुआती किशोरावस्था में शराब पीने या नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, वे अपनी बाद की जिदंगी में इसके आदी हो जाते हैं।
  • बीती जिंदगी में कोई पीड़ा या आघात होने पर आप इससे बाहर आने के लिए किसी विशेषज्ञ से काउंसिलिंग कर मदद ले सकते हैं।
  • एक थेरेपिस्ट के साथ काम करें यदि खुद पर नियंत्रण करने में मुश्किल हो रही हो।
  • अपने दोस्तों को सावधानी से चुनें। इसके अलावा सहकर्मियों के दबाव से भी किसी भी उम्र में आप नशे के आदी हो सकते हैं, इसलिए नशा करने वाले दोस्तों और करीबियों से दूरी बना कर ही रखें।

दोबारा सही स्थिति में आने के लिए क्या करें?

नशे के आदी व्यक्ति को अपने मस्तिष्क के सभी कार्यों को दोबारा से ठीक करने व इसके दुष्परिणामों को दूर करने लिए दवाओं की मदद लेनी होती है। ओपिओइड (हेरोइन, दर्द को कम करने वाली दवाएं ), तम्बाकू (निकोटीन), और शराब की लत के उपचार के लिए भी दवाएं उपलब्ध हैं।

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नशे की लत का निदान कैसे करें?

  • नशे की लत का निदान करने के लिए एक संपूर्ण मूल्यांकन की आवश्यकता होती है और अक्सर इसमें मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक द्वारा मूल्यांकन शामिल होता है। (और पढ़ें -  शॉक थेरेपी क्या है )
  • इमेजिंग स्कैन, छाती का एक्स-रे और रक्त परीक्षण पूरे शरीर पर होने वाले दीर्घकालिक हानिकारक प्रभावों को दिखाता हैं। (और पढ़ें -  टेस्टोस्टेरोन टेस्ट क्या है )
  • रक्त, मूत्र या अन्य प्रयोगशाला परीक्षणों का उपयोग दवा के उपयोग के आंकलन के लिए किया जाता है, लेकिन ये नशे की जांच के लिए नहीं हैं। हालांकि, इन परीक्षणों का इस्तेमाल उपचार और दोबारा ठीक होने की स्थिति की निगरानी के लिए किया जा सकता है। 

(और पढ़ें -  यूरिन टेस्ट क्या है )

नशे की लत का इलाज कैसे करें?

इसके सफल इलाज के कई तरीके है:-

  • विषहरण (प्रक्रिया जिसके द्वारा शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर किए जाते हैं)
  • नशे की लत छु़ड़ाने के लिए कांउसिलिंग
  • दवा (ओपिओइड, तंबाकू, या शराब की लत के लिए)
  • अवसाद और चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के लिए मूल्यांकन और उपचार
  • पुनरावृत्ति को रोकने के लिए दीर्घकालिक बचाव

(और पढ़ें -  डिप्रेशन के लिए योग )

दवाओं के उपयोग से इसके लक्षणों व दोबारा स्थिति पैदा करने वाले कारको को कम किया जा सकता है।

इससे बाहर आने के लिए क्या करें:

दवाएं नशे की लत से बाहर आने की स्थिति में विषहरण (detoxification) के दौरान होने वाले प्रभावों को कम कर देती है। विषहरण अपने आप में "उपचार" नहीं है, लेकिन इस प्रक्रिया को ठीक होने का केवल पहला कदम माना जाता है। जिन रोगियों को विषहरण (detoxification) के बाद कोई और उपचार नहीं मिलता है, वे आमतौर पर अपने नशीले पदार्थों के उपयोग को फिर से शुरू कर देते हैं।

(और पढ़ें -  बॉडी को डिटॉक्स कैसे करें )

ओपिओइड: मेथाडोन (Methadone) और नाल्ट्रेक्सोन (naltrexone) का उपयोग ओपिओइड के आदि व्यक्ति के इलाज के लिए किया जाता है। ये दवाएं वापसी के लक्षणों को कम कर देती हैं और दुष्परिणामों से राहत देती हैं। ये सभी दवाएं, नशे की मांग और संबंधित आपराधिक व्यवहार को कम करने में सहायता करती हैं और उनके व्यवहार संबंधी उपचार के लिए सहायता करती हैं।

  • तम्बाकू: निकोटीन को छोड़ने की थेरेपी कई रूप में की जाती हैं, जिनमें पैच (patch), स्प्रे, गम और लोजेंज (lozenges) शामिल हैं।
  • शराब के लिए
  • तीन अनुमोदित दवाएं निम्नानुसार हैं:
  • नैलट्रीसोन (Naltrexone)
  • अकेम्प्रोसेट (Acamprosate)
  • डिसुलफिरम (Disulfiram)
  • सहवर्ती स्थितियों: अवसाद या चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए भी अन्य दवाएं उपलब्ध हैं, जो कि व्यक्ति की लत को छुड़ाने में योगदान देती हैं। 

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व्यावहारिक थेरेपी (Behavioral therapies) रोगियों की सहायता करती हैं:

  • नशीली दवाओं के उपयोग से संबंधित व्यवहार को कम व सही करना।
  • स्वास्थ से जुड़े जीवन की कार्यक्षमताओं को बढ़ाना।
  • उपचार के अन्य रूपों के साथ दवाओं को जारी रखना।

(और पढ़ें -  ओपिओइड की विषाक्तता का इलाज )

ये बातें मरीजों की मदद करती हैं:

  • उन स्थितियों की पहचान करना, बचाना और उनका सामना करना, जिनमें वे सबसे ज्यादा नशे का उपयोग कर सकते हैं।
  • उनके व्यवहार को बदलने के लिए उपचार को अपनाना।
  • डि-एडिक्शन (De- addiction) सेंटर- इन केंद्रों पर रहकर नशे के आदी इस आदत को छोड़ने का इलाज करते हैं। यह इलाज आमतौर पर 6 से 12 महीने तक चलता है। यह विषहरण (detoxification) व काउंसिलिंग पर केंद्रित होता है। 

(और पढ़ें -  एडीएचडी के लिए व्यवहार थेरेपी )

नशे की लत के जोखिम और जटिलताएं - Drug Addiction Risks & Complications in Hindi

नशे की लत से जुड़ी जटिलताएं  क्या हैं?

स्वास्थ्य पर नशे की लत का प्रभाव:

नशे की लत के प्रभावों में शामिल हैं।

  • एचआईवी / एड्स
  • हेपेटाइटिस बी और सी (और पढ़ें -  हेपेटाइटिस बी टेस्ट क्या है )
  • फेफड़ों की बीमारी
  • मानसिक विकार

(और पढ़ें -  कैंसर में क्या खाना चाहिए )

नशे की लत क्या मानसिक विकार का कारण होता है?

नशे की लत और मानसिक बीमारी अक्सर एक दूसरे से जुड़ी होती है। कुछ मामलों में, मानसिक विकार जैसे कि चिंता या अवसाद नशे की लत से पहले हो सकती है, जबकि अन्य मामलों में नशे से मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते हैं। (और पढ़ें -  चिंता का इलाज )

नशे की लत अन्य लोगों को कैसे नुकसान पहुंचा सकती है?

नशे के आदी हो चुके व्यक्ति के शरीर पर कई अन्य हानिकारक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। नशे की लत में यह परेशानियां तेजी से होती है:

  • शिशुओं और बच्चों पर प्रसव पूर्व इसके दुष्प्रभाव होना।
  • धूम्रपान के धूंए के संपर्क में आने से होने वाले नकारात्मक प्रभाव।
  • संक्रामक बीमारियों के बढ़ने की संभावनाएं अधिक होना।

(और पढ़ें -  संक्रमण के इलाज )

नशे की लत के मनोवैज्ञानिक प्रभाव-

  • नशे की लत के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का आशय उपयोगकर्त्ता द्वारा नशे के आदी होने पर दिमाग में होने वाले बदलावों से है।
  • प्रारंभ में लोग तनाव या दर्द को दूर करने के लिए दवाओं का उपयोग करना शुरू करते हैं। बाद में इन्हीं नशीली दवाओं की लत के प्रभाव का चक्र शुरू होता है और व्यक्ति को कभी भी तनाव या दर्द का सामना करना पड़ता है और बाद में वह दवा का उपयोग करने की आवश्यकता महसूस करने लगता है।
  • मनोवैज्ञानिक प्रभावों के चलते एक बार इसका आदी हुआ व्यक्ति इस पर निर्भर हो जाए तो वह खुद की हर परेशानी के लिए इन्हीं नशीली दवाओं का प्रयोग करता है।

नशे की लत के अन्य मनोवैज्ञानिक प्रभावों में शामिल हैं:

  • मूड में लगातार बदलाव आना, अवसाद, चिंता व हिंसा (और पढ़ें -  अवसाद का इलाज )
  • रोजमर्रा की जिंदगी में खुशी में कमी
  • नशीली दवाओं के प्रभावों में लोग मनोवैज्ञानिक प्रभावों को कम करने के लिए दवाओं की बढ़ती मात्रा का उपयोग करना
  • हमेशा खराब बर्ताव करना

(और पढ़ें -  चिंता दूर करने के घरेलू उपाय )

नशे की लत का शारीरिक प्रभाव-

नशे की लत का शारीरिक प्रभाव नशीली दवा के आधार पर भिन्न होता है, लेकिन आमतौर पर इसके प्रभाव शरीर की सभी प्रणालियों में देखे जाते हैं। नशे की लत के कुछ प्राथमिक शारीरिक प्रभाव मस्तिष्क में होते हैं।

नशे की लत मस्तिष्क के कार्यों और शरीर के आराम की स्थिति में बदलाव लाती है। नशे की लत के इन प्रभावों की वजह से नशीली दवाओं के उपचार के दौरान इस्तेमाल दवाओं की मांग अधिक हो गई है। 

नशे की लत के अन्य शारीरिक प्रभावों में शामिल हैं:

  • एचआईवी, हेपेटाइटिस और अन्य बीमारियां होना (और पढ़ें -  हेपेटाइटिस का इलाज )
  • हृदय दर में अनियमितताएं व दिल का दौरा
  • श्वसन समस्याएं, जैसे फेफड़े के कैंसर , वातस्फीति और श्वास संबंधी समस्याएं (और पढ़ें -  सांस लेने में दिक्कत का इलाज )
  • पेट में दर्द , उल्टी , कब्ज, डायरिया  (और पढ़ें -  दस्त रोकने के उपाय )
  • गुर्दा और जिगर की क्षति (और पढ़ें -  गुर्दे के संक्रमण का इलाज )
  • दौरे, स्ट्रोक, मस्तिष्क क्षति (और पढ़ें -  दौरे का इलाज )
  • भूख, शरीर के तापमान में बदलाव और नींद के रूटीन में परिवर्तन

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मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव-

कुछ दवाओं के लंबे समय तक इस्तेमाल से मस्तिष्क में लघु व दीर्घकालिक परिवर्तन हो सकते हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं-

  • व्यामोह (paranoia)
  • डिप्रेशन (और पढ़ें -  डिलीवरी के बाद डिप्रेशन का इलाज )
  • दुस्वप्न (hallucinations)

लंबे समय तक इस्तेमाल से मस्तिष्क के कार्यों में परिवर्तन भी हो सकते हैं जिनमें शामिल हैं:-

  • सीखने में परेशानी
  • निर्णय पर पहुंचने
  • निर्णय लेना
  • याददाश्त कम होना (और पढ़ें -  याददाश्त में कमी का इलाज )
  • व्यवहार में परिवर्तन आना

(और पढ़ें -  याददाश्त बढ़ाने के उपाय )

  • National institute of drug abuse. Understanding Drug Use and Addiction . National Institute of health. [internet].
  • Easy to read drug facts. What are some signs and symptoms of someone with a drug use problem? . National institute of drug abuse. [internet].
  • MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Drug Abuse
  • National institute of drug abuse. Principles of Drug Addiction Treatment: A Research-Based Guide (Third Edition) . National Institute of health. [internet].
  • National institute of drug abuse. National Institute on Drug Abuse (NIDA) . National Institute of health. [internet].

नशे की लत के डॉक्टर

Dr. Sumit Kumar

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नशे की लत की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Drug Addiction in Hindi

नशे की लत के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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ड्रग्स और शराब (नशीली दवाओं) के दुरुपयोग

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ड्रग्स और शराब नशीली दवाओं के दुरुपयोग (Drug abuse in Hindi): आज के समय में  मादक पदार्थों का सेवन को रोक पाना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। युवाओ का एक बड़ा वर्ग इसकी चपेट में आ गया है। कोकीन (चरस, हशीश), हेरोइन, अफीम, गांजा(मारिजुआना), शराब, व्हिस्की, रम, बियर, ब्राउन शुगर, हशीश, भांग जैसे नशीले पदार्थो का सेवन करके लोग अपना जीवन खराब कर रहे है।

ड्रग्स और शराब नशीली दवाओं के दुरुपयोग (Drug abuse in Hindi)

दुनिया में हर व्यक्ति जो 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र का है; औसतन प्रति वर्ष 6.2 लीटर शुद्ध शराब पीता है। आधी से कम आबादी (38.3%) वास्तव में शराब पीती है; इसका मतलब है कि जो लोग शराब पीते है, वे औसतन 17 लीटर शुद्ध शराब सालाना पीते हैं।

कुछ 3.1 करोड़ व्यक्तियों को नशीली दवाओं के उपयोग की लत हैं। लगभग 1.1करोड़ लोग ड्रग्स इंजेक्ट करते हैं; जिनमें से 13 लाख एचआईवी के साथ, 55 लाख हेपेटाइटिस सी के साथ और 10 लाख एचआईवी और हेपेटाइटिस सी दोनों के साथ जी रहे है। 15-24 वर्ष की आयु सीमा में, 50% मौतें (दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या से) शराब या नशीली दवाओं के सेवन से होती हैं।

ड्रग्स का उपयोग करने पर किसी व्यक्ति के व्यवहार में क्या बदलाव आते हैं?

नशीली दवाओं के दुरुपयोग से सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नौकरी से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं। शराब के दुरुपयोग से, शराब पर शारीरिक निर्भरता हो सकती है; एक समय में बहुत अधिक शराब पीने से वह शराब विषाक्तता भी हो सकती है।

  • शराब / दवा लेने के लिए मजबूरीकी तीव्र इच्छा या भावना का होना
  • पदार्थ को नियंत्रित करने में कठिनाइयाँ जब शुरू करने, रोकने और कितनी मात्रा में लेना है उस व्यवहार के संदर्भ में
  • एक शारीरिक की वह वापसी की अवस्था जब शराब / नशीली दवाओं का उपयोग बंद हो गया है; या कम हो गया है; या वापसी के लक्षणों से राहत या बचने के इरादे से उसी (या बारीकी से संबंधित) शराब/ दवा का उपयोग किया जाता है
  • सहिष्णुता-सहनशक्ति के साक्ष्य, जैसे कि शराब/ दवा की खुराक में वृद्धि हुई है; मूल रूप से कम खुराक द्वारा उत्पादित प्रभाव को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं; (इसके स्पष्ट उदाहरण शराब में पाए जाते हैं- और अफीम पर निर्भर व्यक्ति जो दैनिक खुराक लेने में पर्याप्त रूप से असमर्थ हो सकते हैं; या गैर सहिष्णु उपयोगकर्ताओं को मारना)
  • शराब / नशीली दवाओं के उपयोग के कारण वैकल्पिक सुखों या हितों की प्रगतिशील उपेक्षा, पदार्थ प्राप्त करने या लेने या उसके प्रभावों से उबरने के लिए आवश्यक समय की मात्रा में वृद्धि
  • अत्यधिक हानिकारक परिणामों के स्पष्ट प्रमाण के बावजूद अल्कोहल / ड्रग का उपयोग करना; जैसे कि; अत्यधिक शराब पीने के माध्यम से यकृत को नुकसान पहुंचना, अवसादग्रस्तता की मनोदशा भारी पदार्थ के उपयोग की अवधि के परिणामस्वरूप, या संज्ञानात्मक कार्य की दवा से संबंधित हानि।

मादक पदार्थ लेने के कारण Drug abuse in Hindi

इसके पीछे निम्न कारण है-

  • आनन्द पाने के लिए युवा और अधेड़ दोनों वर्गों के लोग इसका सेवन करते हैं। इसके सेवन से कुछ समय के लिए शरीर में ताकत रहती है; मनोबल, आत्मविश्वास बढ़ जाता है। लोगो को इसका प्रयोग उपयोगी लगने लगता है।
  • आजकल की महंगी जीवनशैली में माता-पिता दोनों ही पैसा कमाने के लिए नौकरियां करने लगे है। वो बच्चो का ख्याल नही रख पाते है। जादातर माता-पिता सुबह घर से निकलते है और रात में घर वापिस आते है। वो बच्चो को जेब खर्च के लिए अधिक से अधिक पैसा देते है जिससे वो ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है। कई बार बच्चे अपने अकेलापन को दूर करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते हैं। उन्हें सही तरह का मार्गदर्शन नही मिलने के कारण वो भटक जाते हैं।
  • अपने दोस्तों के प्रभाव में आकर बच्चे सबसे पहले ड्रग्स लेना शुरू करते हैं। वो इसे शौक-शौक में लेते है पर जल्द ही इसकी लत लग जाती है। कई बच्चे इसको फैशन समझने लगे हैं। अमीर बच्चो में ये समस्या कुछ जादा ही है। ये नशीले पदार्थ बहुत महंगे होते है, पर अमीर घर के बच्चे इसे आसानी से खरीद लेते है।
  • कुछ लोग अपने दुःख दर्दों, जीवन की समस्याओं से पलायन करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करने लग जाते है।
  • कुछ लोग बोरियत, अनिद्रा, गुस्से से बचने के लिए इसका सेवन करते है।

मादक पदार्थो के सेवन का प्रभाव

  • नशीले पदार्थो की लत लग जाने के बाद कुछ भी अच्छा नही लगता है। बार-बार नशीला पदार्थ लेने की तलब लगती है। व्यक्ति अपने भविष्य के बारे में कुछ नही सोच पाता है। जब वो पदार्थ नही लेता है तो उसे बड़ी बेचैनी लगती है। बदन दर्द होता है। चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, गुस्सा, हाथ पैरो में दर्द और भारीपन, शरीर कांपना, अनियंत्रित रक्तचाप, उलटी मितली आना, जैसे लक्षण दिखने लग जाते हैं।
  • इन नशीले पदार्थों का मस्तिष्क, यकृत, ह्रदय, गुर्दों पर बुरा प्रभाव होता है। हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है।
  • व्यक्ति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों से विमुख हो जाता है। वो अपने रुचिकर कार्यों से भी विमुख हो जाता है।
  • नशे के प्रभाव में व्यक्ति दूसरे लोगो के साथ बुरा व्यवहार करता है। महिलाओं से छेड़खानी, बलात्कार, हिंसा, आत्महत्या, मोटरवाहन दुर्घटना, हत्या, असुरक्षित यौन सम्बन्ध, बाल शोषण, घरेलू हिंसा जैसे अपराध नशीले पदार्थो के सेवन के बाद हो जाते है।

निष्कर्ष

शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के उपचार और पुनर्प्राप्ति रणनीतियों को एक शीर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता देनी चाहिए। एक समाज के रूप में एक साथ आने से सामाजिक दृष्टिकोण में बदलाव और लोगों को इस मुद्दे को केवल एक चिकित्सा स्थिति के रूप में समझना संभव हो पाएगा । इससे इन सभी लोगो को अपने डॉक्टरों के साथ अपनी चिंताओं के बारे में बात करने में आसानी होगी, और रोकथाम और उपचार के लिए व्यापक पहुंच होगी। एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मॉडल के साथ नशीली दवाओं और शराब के दुरुपयोग को संबोधित करने की भी आवश्यकता है।

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आज़ादी के लगभग 30 वर्षों तक हमारे देश में नशाखोरी को समृद्धि का प्रतीक नहीं माना जाता था और पीने वाले लोग  चोरी-छिपे या बड़े लोगों की निगाह से बचकर नशे का सेवन करते थे। आज तो इसका प्रचलन स्टेटस सिंबल बन गया है। शादी-विवाहों में ही नहीं घर की छोटी-छोटी बैठकों, जन्म-दिवस जैसी खुशी की घड़ियों में यदि शराब न परोसी गई तो सारे आयोजन  का मजा ही किरकिरा माना जाता है। नशा चाहे शराब का हो अथवा भांग, गांजा या चरस का, उसके समर्थकों की कमी  नहीं रही। फिर भी बुरी लत तो बुरी होती है। वह हमारे मन मस्तिष्क, स्वास्थ्य तथा आर्थिक स्थिति को चौपट करके रख देती है। दीवानगी इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि घर-बार बर्बाद हो जाते हैं।

गांधीजी वे शराबियों की दशा से भली-भाँति अवगत थे तथा इस देश की गरीबी भी उनसे छिपी नहीं थी जिसकी वजह से उन्होंने नशा उन्मूलन को कांग्रेस के कार्यक्रमों में शामिल किया था। आज राजनेताओं में भी शराब की लत बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। सरेआम कानून की धज्जियाँ उड़ाई जाती है। सत्ता पाने के लोभ में स्वयं नशे के विरोधी बनकर अंदर से शराब और मांस परोसकर सत्ता के नंबरदार बनना चाहते हैं। कानून के संरक्षकों की नाक के नीचे स्मैक, अफीम तथा कोकीन जैसे निषिद्ध मादक द्रव्य तथा युवकों को चौपट करनेवाली दवाइयों की बिक्री होती है। सरकार खुली शराब बेचने के लाइसेंस दे रही है। शराब की दुकानें बढ़ा रही है और खुद लाभ के लोभ में शराब की दुकानें खोल रही है। विदेशों में मदिरापान, पानी पीने के समान माना जाता है। भारत के यूवा पश्चिम की इस बुराई का अंधानुसरण करने लगा है। किंतु सरकारी ढील, बेरोजगारी और प्रशासनिक तंत्र का शिथिल और लापरवाह होना नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के लिए जिम्मेदार है।

नशाखोरों को, चाहे वह कोई भी नशा करते हों उनको महिमामंडित करने के बजाय, उनका सामाजिक तिरस्कार किया जाना चाहिए। नशे की गैर-कानूनी बिक्री रोकने तथा बेचनेवालों को पकड़वाने के लिए जन जागरण लाया जाए। जगह-जगह नशाखोरी के खिलाफ प्रदर्शन तथा नशे की दुकानों के आगे प्रदर्शन किए जाएँ, तभी नशाखोरी की प्रवत्ति कम की जा सकती है और यदि व्यापक प्रयास किए जाएँ तो नशाखोरी का उन्मूलन भी किया जा सकता है। उन्मूलन के लिए जनता को अपनी जिम्मेदारी स्वयं निभानी होगी। नशाखोरी की बढ़ती हुई प्रवृत्ति को रोकने के लिए सामने आना होगा। इसी में देश व समाज का हित है।

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दा इंडियन वायर

दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण

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By विकास सिंह

Speech on drug abuse in hindi

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के विषय पर हमारे युवाओं को जागरूक करना बहुत महत्वपूर्ण है। ड्रग्स हमारे युवाओं के जीवन को नष्ट कर रहे हैं और उनके भविष्य को अँधेरे में डाल रहे हैं। दवाओं का उपयोग उनके जीवन को कमजोर बना रहा है और उनके विनाश की संभावना में बढ़ोतरी हो रही है।

इसलिए, हमारे युवाओं में इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना और उन्हें इसके शिकार होने से रोकना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। तुम भी नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर एक भाषण तैयार कर सकते हैं और इसे विभिन्न अवसरों और प्लेटफार्मों पर वितरित कर सकते हैं।

दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण, Speech on drug abuse in hindi -1

प्रिय छात्रों – आप सभी को हार्दिक बधाई! मैं स्कूल सेमिनार हॉल में सभी का स्वागत करता हूं।

आज, हम यहां दवाओं के घातक सेवन के बारे में चर्चा कर रहे हैं और यह हमारे युवाओं के जीवन को कैसे नष्ट कर रहा है। लेकिन चर्चा शुरू होने से पहले, मैं नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर एक छोटा भाषण देना चाहूंगा और इस संवेदनशील विषय पर अपने छात्रों को ज्ञान देना चाहूंगा।

ड्रग्स, जैसा कि हम सभी जानते हैं, इनका उपयोग अवैध है। ऐसे कई छात्र हैं जो कई कारणों से दवाओं का सेवन करते हैं। जो लोग ड्रग्स की बिक्री का सौदा करते हैं, वे एक नेटवर्क बनाते हैं और मुख्य रूप से ड्रग्स के आदी बनाने के लिए छात्रों को निशाना बनाते हैं। प्रारंभ में, छात्रों को मुफ्त में दवाएं बेची जाती हैं और धीरे-धीरे जब वे इसके आदी हो जाते हैं, तो वे इसे खरीदना और उपभोग करना शुरू कर देते हैं। वास्तव में, छात्र भी अंततः अपने नेटवर्क का हिस्सा बन जाते हैं और इसमें काम करना शुरू कर देते हैं।

यह देखा गया है कि छात्र अपने शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता के तनाव या अनुचित अपेक्षाओं के कारण दवाओं का सेवन करना शुरू कर देते हैं। उनके परिवारों में भावनात्मक समर्थन और विकार का अभाव उन्हें कमजोर बनाता है और दवाओं पर उनकी निर्भरता बढ़ाता है। वे अपने मानसिक आंदोलन की स्थिति को शांत करने के लिए इसका उपयोग करते हैं।

इसके अलावा, गरीबी वह मुख्य कारण है जो कुछ छात्रों को दवाओं की बिक्री और काम करने के नेटवर्क का हिस्सा बनने करने के लिए मजबूर करती है। इसलिए, यह नशे के आदी छात्रों के एक दुष्चक्र की तरह हो जाता है, जहाँ से उन्हें कोई बचाव नहीं मिलता है जब तक कि समाज उनके बचाव के लिए नहीं आता है।

दुख की बात है कि छात्र यह महसूस करने में असफल हो जाते हैं कि दवाओं के सेवन से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे कि वे मानसिक विकार का अनुभव करना शुरू कर देते हैं, घातक बीमारियों का अनुभव होता है और असमय मृत्यु हो जाती है।

जब कोई पूरी तरह से ड्रग्स के प्रलोभन के आगे झुक जाता है, तो उसके लिए ड्रग रिहैबिलिटेशन के केंद्रों को छोड़कर उसके प्रभाव से उबरना बहुत मुश्किल हो जाता है, जहां वे एक नया जीवन प्राप्त करते हैं, लेकिन जिसमें उच्च लागत शामिल होती है।

वास्तव में, कई मामले ऐसे भी हैं, जहां मरीजों की बुरी स्थिति के कारण पुनर्वास केंद्र भी विफल हो जाते हैं। इसलिए, मैं सभी छात्रों से अनुरोध करता हूं कि वे अपने स्वास्थ्य, भविष्य को नष्ट करने से पहले खुद को दवाओं के सेवन से पूरी तरह से परहेज करें और अपने जीवन को छीन लें। यहां तक ​​कि उन्हें छूने या उनके करीब आने की कोशिश न करें। ड्रग्स भी एक पूरी पीढ़ी को नष्ट कर सकते हैं।

इसलिए सोच समझकर कार्य करें और स्मार्ट बनें। अपने भविष्य को आकार दें जो उज्ज्वल और उपलब्धियों से भरा लगता है। डॉक्टर द्वारा अपने रोगियों को दी जाने वाली दवाओं को केवल एक विशेष बीमारी से लड़ने के लिए लिया जाना चाहिए अन्यथा सरकार को बाजार में इसके अवैध व्यापार पर प्रतिबंध लगाने और हमारे युवाओं को विनाश से बचाने के लिए सख्त कदम उठाने पड़ेंगे।

मुझे पूरी उम्मीद है कि हमारे छात्र कभी भी दवाओं का सेवन करने की कोशिश नहीं करेंगे और इसके उपयोग से पूरी तरह से दूर रहेंगे। याद रखें कि हमारे देश को आपकी जरूरत है क्योंकि आप इसके भविष्य और प्रगति के अग्रदूत हैं।

धन्यवाद!

दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण, Speech on drug abuse in hindi -2

गुड मॉर्निंग फ्रेंड्स – नशा मुक्ति प्रतिबंध के 77 वें अभियान में आपका स्वागत है।

यह देखना बहुत अच्छा लगता है कि कैसे हमारे संगठन के सदस्य हर दिन गिनती करने और नशीली दवाओं की लत या नशीली दवाओं के दुरुपयोग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए जनता तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

पहले दिन से और आज यह हमारे संगठन का 77 वां अभियान है – हमने वास्तव में कभी नहीं सोचा था कि हम इसे बड़ा करेंगे, अर्थात वर्तमान में हमारे पास 200 से अधिक लोग काम कर रहे हैं और एक सामूहिक अपील प्राप्त कर चुके हैं। अब तक की प्रतिक्रिया वास्तव में अच्छी रही है और हम लोगों के जीवन को अच्छे के लिए बदलने में सफल रहे हैं, जो पहले ड्रग्स के प्रभाव में रहते थे।

इसलिए आज मैं आम जनता से अपील करना चाहूंगा कि वे ड्रग्स के इस्तेमाल से खुद को दूर करें और स्वस्थ जीवन जीएं। नशीली दवाओं की लत या नशीली दवाओं के दुरुपयोग को किसी पदार्थ पर अत्यधिक निर्भरता के रूप में वर्णित किया जाता है, जो अनिवार्य रूप से इसका उपयोग करने वाले व्यक्ति की अनिवार्य आवश्यकता बन जाती है।

यह आवश्यकता इतनी अनिवार्य हो जाती है कि उस पदार्थ के बिना वह व्यक्ति अपना जीवन नहीं जी सकता जैसे कोई सामान्य व्यक्ति करता है। और, जब ऐसा कोई पदार्थ बाजार में उपलब्ध होना बंद हो जाता है तो उस व्यक्ति को मादक द्रव्यों के सेवन से पीड़ित माना जाता है।

ड्रग्स की लत कई विकासशील देशों के साथ-साथ विकसित देशों में गंभीर सामाजिक समस्याओं में से एक बन गई है और यह अनुचित रूप से बड़े पैमाने पर लोगों, समाज, देश और दुनिया के सर्वांगीण विकास में प्रमुख बाधा साबित होती है। हमारा देश एक प्रगतिशील देश है और यह पहले से ही इतनी अधिक गंभीर समस्याओं, जैसे कि बेरोजगारी, गरीबी और अशिक्षा से पीड़ित है, नशीली दवाओं के दुरुपयोग की स्थिति यहां और भी बदतर बना देती है क्योंकि यह आगे हमारी अर्थव्यवस्था को इसके युवा जीवन को नष्ट करने के लिए प्रतिगामी बना देती है।

यहां तक ​​कि दुख की बात यह है कि कई नशा करने वाले लोग महंगी दवाओं की खरीद करने के लिए इतना खर्च नहीं कर सकते हैं और अंत में उन्हें अपने घरों को चलाने के लिए चोरी जैसी गतिविधियों का सहारा लेना पड़ता है। ये लोग जन्मजात चोर नहीं हैं, लेकिन ड्रग्स की लत उन्हें जघन्य बनाती है और ड्रग्स के साथ अपने शरीर को खिलाने के लिए उन्हें अपराध करने के लिए प्रेरित करती है।

विभिन्न कारणों से लोग नशे के आदी हो सकते हैं, जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:

खुद को डी-स्ट्रेस करने के लिए

जब कोई व्यक्ति ड्रग्स के प्रभाव में होता है, तो वह सब कुछ भूल जाता है और ट्रान्स जैसी स्थिति में प्रवेश करता है। हालांकि, यह केवल बाद में लोग महसूस करते हैं कि दवाओं का उपयोग केवल समस्या को बढ़ाता है और वास्तव में तनाव से छुटकारा पाने में उनकी मदद नहीं करता है।

सहकर्मी के दबाव के कारण

कई बार लोग ड्रग्स लेना शुरू कर देते हैं क्योंकि उनके दोस्त उनके आदी होते हैं। हालांकि, एक बार जब वे इसे लेना शुरू करते हैं, तो इस आदत से छुटकारा पाना उनके लिए वास्तव में मुश्किल हो जाता है।

स्टाइल स्टेटमेंट

कई किशोर इन दिनों सोचते हैं कि शराब पीने, धूम्रपान और यहां तक ​​कि नशीली दवाओं की लत है जो उन्हें शांत दिखने और दूसरों के सामने एक स्टाइल स्टेटमेंट बनाने में मदद करती है। हालाँकि, यह केवल तब होता है जब ये लोग इसके दुष्चक्र में फंस जाते हैं कि उन्हें अपने जीवन के लिए अपूरणीय क्षति का एहसास होता है।

किशोरों और उस मामले के प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग की आदत न केवल उनके शरीर और दिमाग को प्रभावित करती है, बल्कि उनके उज्ज्वल भविष्य को भी समाप्त करती है। इसलिए हमें अपने आस-पास जागरूकता फैलाने के लिए ड्रग्स का उपयोग नहीं ’करना चाहिए और अपने जीवन के साथ-साथ अपने प्रियजनों के जीवन को भी बचाना चाहिए।

दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण, Speech on drug abuse in hindi -3

आदरणीय प्रधानाचार्य, वाइस प्रिंसिपल, शिक्षकों और मेरे प्रिय साथी विद्यार्थियों – आप सभी का हार्दिक स्वागत है! आज, मैं प्रार्थना कक्ष में खड़ा होकर ड्रग एब्यूज पर एक संक्षिप्त भाषण देने का अवसर लेना चाहूंगा।

मैं अपने प्रिंसिपल और शिक्षकों से अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे इस विषय पर बोलने की अनुमति दें क्योंकि यह हमारे युवाओं को नशीली दवाओं के दुरुपयोग की खतरनाक आदत के बारे में बताने का एक उच्च समय है। वर्तमान समय में, ऐसे कई कारक हैं जो किसी व्यक्ति को मादक पदार्थों की लत का सहारा लेने और उसके जीवन को दुखी करने में योगदान देते हैं।

सबसे भयावह कारक तेजी से औद्योगिकीकरण और शहरीकरण हैं, जिन्होंने आज के युवाओं, अर्थात् व्यक्तिवाद और अनुज्ञा के बीच एक नए तरह के व्यवहार को जन्म दिया है। लोग इन दिनों परमाणु परिवारों को पसंद करते हैं और कई मामलों में माता-पिता दोनों काम कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे अपनी पिछली पीढ़ियों की तुलना में कम दखलंदाजी हैं। लोग अपने जीवन को अलगाव में जी रहे हैं और सामाजिक होने से बचते हैं क्योंकि आधुनिक समय में तनाव उनके व्यक्तिगत जीवन में आंकड़े वापस लेने के लिए बहुत अधिक हो गया है।

यदि कोई बच्चा अपने माता पिता के व्यस्त रहने के कारण उसको मिलने वाले प्यार से वंधित हो जाता है तो फिर वह ड्रग्स, शराब धुम्रपान आदि का खुदको शांत करने के लिए उपयोग करता है। माता-पिता में असंतोष की भावना आती है और ऐसे बच्चे नशाखोरी के शिकार हो जाते हैं और अपना जीवन पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं।

यह देखने में और भी अधिक दर्दनाक है कि अगर नशीली दवाओं के आदी लोगों को दवाओं के उपयोग की अनुमति नहीं है, तो वह अवसाद, दर्दनाक और बेकाबू आक्षेप के साथ-साथ उल्टी से पीड़ित होता है!

यह एक स्पष्ट तथ्य है कि ड्रग्स की लत कई व्यक्तियों और हमारे राष्ट्र की प्रगति के मार्ग को पूरी तरह से बर्बाद कर रही है ताकि हमारे युवाओं की इस विनाशकारी आदत पर नजर रखने के लिए सक्रिय कदम उठाए जा सकें। इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम राष्ट्रीय स्तर पर लोगों के बीच जागरूकता फैलाना होगा।

हमारी भारत सरकार ने वास्तव में विभिन्न अभियानों को तैयार किया है और यहां तक ​​कि इस दिशा में सफलता हासिल करने में भी सक्षम है। जिन व्यक्तियों के परिवार और दोस्त ड्रग्स की लत से पीड़ित हैं, उनसे अनुरोध है कि वे नशे की लत के इलाज के लिए पुनर्वास संस्थानों और शिविरों का रुख करें।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और एक निषेध के रूप में पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। हालाँकि, इस आदत के लिए व्यसनी को यातना देने या उसके साथ अमानवीय व्यवहार करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि यदि आप उस व्यक्ति को उसके उपचार के बारे में समझाने और समझाने की कोशिश करते हैं, तो वह स्वेच्छा से इसका विकल्प चुन सकता है और खुद इस लत से छुटकारा पा सकता है।

एक व्यक्ति जो मादक द्रव्यों के सेवन का शिकार हो गया है, उसे नशे की लत के साथ अपनी शारीरिक परिस्थितियों के द्वारा मजबूर किया जाता है, लेकिन जल्द ही उन्हें इस आदत के बुरे प्रभाव का एहसास होता है। इन सभी लोगों को मदद की ज़रूरत है और इसलिए हमें इन लोगों को अपने सामान्य जीवन में वापस आने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहन देने के साथ-साथ इन लोगों को सहायता प्रदान करनी चाहिए।

दवाइयों के दुरूपयोग पर भाषण, Speech on drug abuse in hindi -4

माननीय प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, साथियों और मेरे प्रिय छात्रों – सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!

सबसे पहले, मैं अपनी उपस्थिति के साथ इस भाषण समारोह में शामिल होने और अपनी स्वीकृति देने के लिए हमारे सम्मानित प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल को धन्यवाद देना चाहूंगा। और, साथी शिक्षकों के लिए – आपके समर्थन के बिना यह घटना संभव नहीं थी। मैं अपने प्रिय छात्रों को एक छोटी सूचना पर वांछित व्यवस्था करने के लिए बधाई देना चाहूंगा।

आज के भाषण का विषय ड्रग एब्यूज है! मैंने इस विषय पर बोलने के लिए चुना है क्योंकि इन दिनों मैं लोगों को इसके दुष्प्रभाव के बारे में सिखाने के लिए ड्रग एब्यूज पर चलाए जा रहे कई अभियानों का निरीक्षण करता हूं। एक शिक्षक के रूप में, यह मेरी ज़िम्मेदारी बन जाती है कि हम जहाँ भी हो सकते हैं, उन्हें संदेश फैलाने में मदद करें और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारे अपने ही स्कूल से शुरुआत करें।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग को हमारे तथाकथित सभ्य समाज के प्रतिबंधों में से एक माना जाता है। इसने हमारे समाज के सभी वर्गों और क्षेत्रों को प्रभावित किया है। नशीली दवाओं के अवैध उपयोग वाले लोग हर जगह पाए जाते हैं, अर्थात् शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में, पुरुषों और महिलाओं के बीच, अमीर और गरीब के बीच। लेकिन यह लगभग सभी तकनीकी और शैक्षणिक संस्थानों में हॉस्टल में रहने वाली हमारी युवा लड़कियों और लड़कों द्वारा अत्यधिक अभ्यास किया जाता है।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग की गंभीर स्थिति दुनिया भर में प्रचलित है और दुर्भाग्य से हमारा देश भारत इससे बहुत ही अधिक प्रभावित है। हमारा देश एक पारगमन देश है क्योंकि यह गोल्डन ट्राएंगल के बीच रखा गया है जिसमें बर्मा, थाईलैंड और कंबोडिया शामिल हैं, जिसमें गोल्डन क्रीसेंट शामिल हैं जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान शामिल हैं – वे स्थान जहां ज्यादातर ड्रग्स, मुख्य रूप से हेरोइन और अफीम का उत्पादन होता है।

पाकिस्तान किसी भी गैरकानूनी गतिविधि की बात आने पर दुनिया का नाभिक है और जहां तक ​​दवा उत्पादन का सवाल है – यह केंद्र है। वास्तव में, दवाओं का एक बड़ा हिस्सा भारत द्वारा जाता है ताकि इसे अन्य देशों में निर्यात किया जा सके।

यह ड्रग माफिया के नेटवर्क के माध्यम से होता है, जो आगे चलकर दुर्जेय तस्करों और आतंकवादियों के साथ संबंध रखता है। इस प्रक्रिया में, दुर्भाग्यवश कई युवा पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी इस मधुमेह गतिविधि का शिकार हो जाती हैं। आईएसआई की मदद से पाकिस्तान ड्रग माफिया की मदद से भारत के खिलाफ कश्मीर के क्षेत्र में छद्म युद्ध में शामिल है। इस प्रकार, आतंकवाद और ड्रग्स बहुत मजबूत कनेक्शन साझा करते हैं।

नशे की यह लत इतनी घातक है कि लोग इसके इस्तेमाल का शिकार हो जाते हैं और लगभग गुलाम बन जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति को इसकी नियमित खुराक नहीं मिलती है, तो वह व्यक्ति इसकी कमी महसूस करने लगता है और गंभीर दर्द से ग्रस्त हो जाता है, जिससे हाथ और पैरों में सनसनी की कमी हो जाती है। ड्रग्स विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे हेरोइन, अफीम, चरस, गांजा, आदि।

कुछ इंजेक्शन भी हैं, जो गंभीर उनींदापन की स्थिति में ले जाते हैं। यदि कोई नशा करने वाला व्यक्ति जरूरत पड़ने पर दवा की आवश्यक खुराक प्राप्त नहीं कर पाता है, तो वह अनुचित साधनों का सहारा लेकर भी इसके लिए कुछ भी करने को तैयार होगा, जैसे चोरी या शारीरिक रूप से किसी को चोट पहुंचाना आदि।

इसलिए मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि ड्रग्स को सख्ती से ‘ना’ कहें और यदि कोई नशे से ग्रस्त व्यक्ति आपको मिलता है तो आप उसे पुनर्वास केन्द्रों में भर्ती करवाएं ताकि उसका जीवन संवर सके।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking : 26 जून को मनाया जाएगा अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस, जानें इतिहास और महत्व 

essay about drugs in hindi

  • Updated on  
  • जून 13, 2024

International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking in Hindi

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 26 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिन का लक्ष्य लोगों को नशे की लत के खतरों के बारे में बताना है। 1987 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा लिए गए निर्णय के बाद 1989 में इसकी शुरुआत हुई। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित एक दिन है जो नशे के दुरुपयोग और अवैध दवा व्यापार के जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए है। यह दिन वैश्विक प्रयासों को मजबूत करने का एक अवसर प्रदान करता है ताकि नशे के दुरुपयोग और तस्करी का मुकाबला किया जा सके। इसलिए इस ब्लॉग में International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking in Hindi के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई हैं।

This Blog Includes:

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नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और दवाओं के अवैध व्यापार के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के नकारात्मक प्रभाव के साथ-साथ वैश्विक दवा समस्या से निपटने के लिए सरकारों और संगठनों के प्रयासों के बारे में जानकारी फैलाना है।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के समाधान के रूप में स्वास्थ्य और कल्याण के महत्व पर जोर देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1987 में ‘स्वास्थ्य के बारे में सोचें, न कि दवाओं के बारे में’ थीम के साथ इस दिन की स्थापना की थी। हर साल, ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) उस दिन के लिए एक थीम जारी करता है, जो दुनिया भर की घटनाओं और चर्चाओं पर ध्यान केंद्रित करता है।

कई संगठन और व्यक्ति इस दिन को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी को रोकने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के अवसर के रूप में उपयोग करते हैं। वे जानकारी फैलाने और नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ लड़ाई में समुदायों को शामिल करने के लिए भाषण, रैलियां और जागरूकता अभियान जैसे कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

यह भी पढ़ें : June Important Days : यहाँ देखिए जून 2024 के महत्वपूर्ण दिनों की पूरी लिस्ट

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का इतिहास (History of International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking in Hindi) नीचे बताया गया है –

  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस दिसंबर 1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्थापित किया गया था। इस दिवस के प्रस्ताव में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ हर साल 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने का आह्वान किया गया था। 
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस 26 जून 1988 को मनाया गया था। इस दिन का प्राथमिक उद्देश्य वैश्विक नशीली दवाओं की समस्या के बारे में जागरूकता बढ़ाना और व्यक्तियों और समुदायों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी से निपटने के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करना था।
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ पहले अंतर्राष्ट्रीय दिवस का विषय था ‘नशा-मुक्त – हम इसे ना कहने का साहस करते हैं’। इस दिन को दुनिया भर में रैलियों, मार्चों और शैक्षिक कार्यक्रमों सहित घटनाओं और गतिविधियों द्वारा मनाया गया था।
  • ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) ने इस दिन के पालन में सदस्य राज्यों की गतिविधियों के समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
  • यूएनओडीसी प्रत्येक वर्ष इस दिन के लिए एक थीम जारी करता है, जो दुनिया भर की घटनाओं और चर्चाओं पर ध्यान केंद्रित करता है।

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस हर साल 26 जून को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को नशा और उससे होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना है।

यह भी पढ़ें : विश्व रक्तदाता दिवस कब मनाया जाता है एवं इतिहास और महत्व

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस का महत्व (Importance of International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking in Hindi) नीचे बताया गया है-

  • यह दिन नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरों और व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाता है।
  • यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग और इसके हानिकारक परिणामों को कम करने के लिए शिक्षा और रोकथाम के प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डालता है।
  • यह दिन नशीली दवाओं के अवैध व्यापार पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • मादक पदार्थों की तस्करी के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना इन अपराधों से निपटने और एक अधिक सुरक्षित दुनिया को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • यह दिन वैश्विक दवा समस्या के समाधान में मिली सफलताओं और प्रगति का जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस एक महत्वपूर्ण वैश्विक उत्सव है जो नशीली दवाओं के दुरुपयोग और दवाओं के अवैध व्यापार के नकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डालता है। यह नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने और वैश्विक दवा समस्या के समाधान में हुई सफलताओं और प्रगति का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। 

यह भी पढ़ें : जानिए क्या है विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस

किसी भी दिवस को मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। लेकिन साल 2024 के लिए नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस की थीम की अभी तक घोषणा नहीं हुई है। इससे पहले साल 2023 में इस दिवस की थीम ‘पीपल फर्स्ट : स्टॉप स्टिग्मा एंड डिस्क्रिमिनेशन, स्ट्रेंग्थेन प्रिवेंशन’ (People First: Stop Stigma and Discrimination, Strengthen Prevention रखी गई थी।

अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस (International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking in Hindi) को मनाने के बारे में यहाँ बताया गया है : 

  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग और नशीली दवाओं के अवैध व्यापार के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • इनमें से कुछ गतिविधियों में रैलियाँ, मार्च और सार्वजनिक बैठकें शामिल हैं।
  • सरकारें इस दिन नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी से निपटने के उद्देश्य से नई पहल और नीतियां शुरू करती हैं।
  • शैक्षिक कार्यक्रम और सेमिनार नशीली दवाओं के दुरुपयोग और इसके प्रभावों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। 
  • सोशल मीडिया अभियान नशीली दवाओं के दुरुपयोग और इसके प्रभावों के बारे में संदेश और जानकारी साझा करते हैं।
  • समस्या की गंभीरता और कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर करने के लिए सरकारें और संगठन नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी पर रिपोर्ट और आंकड़े जारी करते हैं।

यह भी पढ़ें : विश्व संगीत दिवस कब मनाया जाता है एवं इतिहास,महत्व और थीम 

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस, जिसे अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस भी कहा जाता है। इस दिवस को लेकर कई जगह क्विज प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है। इसलिए यहाँ हम आपके लिए क्विज से सम्बंधित कुछ प्रश्न उत्तर लेकर आए हैं, जो आपको क्विज प्रतियोगिता में मदद करेंगी : 

प्रश्न 1 : नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर : 26 जून।

प्रश्न 2 : नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उद्देश्य क्या है?

उत्तर : नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

प्रश्न 3 : कौन सा संगठन नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी से निपटने के लिए वैश्विक प्रयास का नेतृत्व करता है?

उत्तर : नशीली दवाओं और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC)

प्रश्न 4 : नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी से निपटने में संयुक्त राष्ट्र की क्या भूमिका है?

उत्तर : औषधि नियंत्रण नीतियों को विकसित करने और लागू करने में देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करना।

प्रश्न 5 : कौन सा देश अवैध दवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है?

उत्तर : संयुक्त राज्य अमेरिका।

 सम्बंधित आर्टिकल्स

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस 26 जून 1988 को मनाया गया था। 

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 26 जून को मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना की।

आशा है कि इस ब्लाॅग में आपको International Day Against Drug Abuse and Illicit Trafficking in Hindi से जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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सीखने का नया ठिकाना स्टडी अब्राॅड प्लेटफाॅर्म Leverage Edu. खुशी को 1 वर्ष का अनुभव है। पूर्व में वह न्यूज टुडे नेटर्वक, जागृत जनता न्यूज (JJN) में कंटेंट राइटर और स्क्रिप्ट राइटर रह चुकी हैं। खुशी ने पत्रकारिता में स्नातक कंप्लीट किया है। उन्हें एजुकेशनल ब्लाॅग्स लिखने के अलावा रिसर्च बेस्ड स्टोरीज करना पसंद हैं।

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Drug addiction: ड्रग एडिक्शन क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

essay about drugs in hindi

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya

Ankita mishra द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/09/2020

Drug addiction: ड्रग एडिक्शन क्या है?  जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

ड्रग एडिक्शन (Drug Addiction) क्या है?

ड्रग एडिक्शन (Drug Addiction) यानी नशे की लत एक पुरानी या लंबे समय से बनी हुई आदत होती है। आमतौर पर ये मस्तिष्क की बीमारी को दूर करने वाली दवा हो सकती है, जिसका इस्तेमाल करते रहना लोगों की आदत बन सकती है। नशे की लत मस्तिष्क की संरचना और कार्य करने की क्षमता में परिवर्तन ला सकता है। हालांकि, इस खतरे को समझते हुए भी अधिकांश लोग नशे की लत का शिकार हैं। ड्रग एडिक्शन का निर्णय स्वैच्छिक होता है। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के कारण मस्तिष्क में होने वाले बदलाव किसी व्यक्ति के आत्म-नियंत्रण की क्षमता भी बिगाड़ सकता है।

नशे की लत को रोकना एक चुनौती भरा फैसला होता है। हालांकि, ऐसे उपचार हैं जो लोगों को ड्रग एडिक्शन से छुटकारा दिला सकते हैं। इसके लिए जीवनशैली और चिकित्सक उपचार दोनों ही बेहद जरूरी होते हैं।

अन्य पुरानी बीमारियों, जैसे कि डायबिटीज (मधुमेह), अस्थमा या हृदय रोग के साथ भी, नशीली दवाओं की लत को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।

कितना सामान्य है ड्रग एडिक्शन?

ड्रग एडिक्शन की समस्या बहुत ही सामान्य है। साल 2009-10 के ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (विश्व वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण) के मुताबिक तकरीबन 7.13 करोड़ भारतीय तरह-तरह के नशों की गंभीर लत से जुझ रहे हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 5.17 करोड़ लोग शराब, 72 लाख लोग भांग, 60 लाख लोग अफीम व चरस और 11 लाख लोग नशीली गोलियों या इंजेक्शन से होने वाले नशे की लत के आदी हैं। इस सर्वे में 70,293 लोग ऐसे भी शामिल हैं, जो नशे के लिए खतरान किस्म के ड्रग्स का भी इस्तेमाल करते हैं। कृपया अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।

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ड्रग एडिक्शन के लक्षण क्या हैं?

ड्रग एडिक्शन के सामान्य लक्षण हैंः

  • अगर आप नियमित रूप से किसी दवा का उपयोग करने लगे हैं
  • किसी दवा का सेवन करने की क्रेविंग होना
  • समय के साथ, उस दवा की खुराक लेने की आदत बढ़ना
  • बिना जरूरत के किसी दवा पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च करना, फिर चाहे आप उसे खरीदने में सक्षम हैं या नहीं
  • नशीली दवाओं के उपयोग के कारण जिम्मेदारियों और कामकाजों को प्रभावित करना
  • दवा का सेवन करने के बाद कोई अपराध करना, जैसे- चोरी, डकैती, गाली-गलौज, मारपीट करना आदि
  • बिना जरूरत और न चाहते हुए भी आपका मन उस दवा की खुराक के लिए आपको फोर्स करता है

इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।

मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

अगर ऊपर बताए गए किसी भी तरह के लक्षण आपमें या आपके किसी करीबी में दिखाई देते हैं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। हर किसी का शरीर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया करता है।

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ड्रग एडिक्शन के क्या कारण हैं?

कई मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर की तरह, कई कारक नशे की लत बनने वाले पदार्थों और निर्भरता के विकास को बढ़ा सकते हैं। इनके मुख्य कारक हैं:

  • आस-पास का माहौलः अगर आप ऐसे लोगों के बीच रहते हैं जो मादक पदार्थों का सेवन करते हैं, तो संभव हो सकता है कि आपको भी नशे की लत लग सकती है।
  • आनुवंशिक कारणः हो सकता है कि एक बार आपने किसी दवा का उपयोग करना शुरू किया, लेकिन धीरे-धीरे आपको उसकी लत लग सकती है। अगर आपके परिवार में पहले कभी ड्रग एडिक्शन का इतिहास रहा है, तो आपके आनुवंशिक लक्षण इसके खतरे को और भी अधिक बढ़ा सकते हैं।

मस्तिष्क में परिवर्तन

शारीरिक नशा तब होता है जब किसी दवा के बार-बार इस्तेमाल से मस्तिष्क में खुशी महसूस करने का तरीका बदल जाता है। नशे की दवा मस्तिष्क में कुछ तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) में परिवर्तन करती है। न्यूरॉन्स संचार करने के लिए न्यूरोट्रांसमीटर नामक रसायन का उपयोग करते हैं। दवा का उपयोग बंद करने के बाद ये परिवर्तन लंबे समय तक दिमाग में रह सकते हैं।

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कैसी स्थितियां ड्रग एडिक्शन के जोखिम को बढ़ा सकती हैं?

ऐसी कई स्थितियां हैं जो ड्रग एडिक्शन के जोखिम को बढ़ा सकती हैंः

  • ड्रग एडिक्शन का पारिवारिक इतिहासः ऐसे लोगों में नशे की लत होने का जोखिम अधिक होता है। क्योंकि, उन्हें यहआदत विरासत के तौर पर मिल सकती है। इसके अलावा अक्सर बच्चे अपने परिवार के सदस्यों की आदतें ही सीखते हैं।
  • पुरुष होनाः नशे की लत महिलाओं में भी होती है। हालांकि, इसके मामले पुरुषों में अधिक देखे जाते हैं। भारत के आज भी कुछ क्षेत्रों में पुरुषों का नशा करना उनकी मर्दानगी को दर्शाने का एक जरिया माना जाता है।
  • अन्य मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर होनाः अगर आपको मानसिक स्वास्थ्य विकार जैसे अवसाद, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) या पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर है, तो आप नशे की लत का शिकार हो सकते हैं।
  • साथियों का दबावः दोस्तों के दवाब के कारण नशे की लत लगना युवाओं में सबसे आम कारण पाया गया है।
  • पारिवारिक कलेशः अगर परिवार के बीच रिश्ते किसी कलेश से गुजर रहे हैं, तो नशे की लत लगने का जोखिम भी बढ़ सकता है।
  • एंग्जाइटी, डिप्रेशन और अकेलापनः इस तरह के मनोवैज्ञानिक भावनाओं की स्थितियों में भी ड्रग एडिक्शन का जोखिम बढ़ सकता है।
  • अत्यधिक नशे की दवा लेनाः कुछ दवाओं, जैसे उत्तेजना बढ़ाने, कोकीन या दर्द निवारक दवाएं अन्य दवाओं की तुलना में नशे के तेजी से विकास करते हैं।

यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

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ड्रग एडिक्शन का निदान कैसे किया जाता है?

नशीली दवाओं की लत जिसे केमिकल सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर(Chemical Substance Use Disorder) भी कहा जाता है) का निदान करने के लिए अक्सर मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक या लाइसेंस प्राप्त शराब और ड्रग काउंसलर की मदद ली जा सकती है। नशीली दवाओं के उपयोग का आकलन करने के लिए रक्त, मूत्र या अन्य लैब टेस्ट किए जा सकते हैं। ये टेस्ट सिर्फ उपचार और रिकवरी की प्रक्रिया की निगरानी करने के लिए किया जाता है।

केमिकल सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर के निदान के लिए, अधिकत तौर पर मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की मदद ली जा सकती है।

इस मानसिक स्थिती का निदान करने के लिए अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा मानसिक विकार के नैदानिक ​​और सांख्यिकीय मैनुअल Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders (DSM-5) प्रकाशित किया गया है। इस मैनुअल का उपयोग बीमा कंपनियों द्वारा उपचार की प्रक्रिया और उसके नियमों के पालन करने के लिए किया जाता है। इस गाइडलाइन को भारत सहित अन्य देशों में भी फॉलो किया जाता है।

सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर के लिए DSM-5 के मानदंड में यह बताया गया है कि रोगी के लत को सुधारने के लिए किस दवा के उपयोग किस तरह से करना है।

अगर आपको 12 महीने की अवधि में इनमें से कम से कम दो समस्याएं होती हैं, तो आपको सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर   Chemical Substance Use Disorder )हो सकता है:

  • नियमति खुराक की मात्रा से दवा की खुराक अधिक लेते हैं
  • आप इस दवा की खुराक को बंद करना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कर पा रहे हैं
  • किसी दवा के इस्तेमाल के बाद आपको अच्छा लगने लगता है जिसकी वजह से बार-बार आप उसका सेवन कर रहे हैं
  • दवा के इस्तेमाल के कारण आप अपनी जिम्मेदारियों को भूल जाते हैं या आपना काम नहीं कर पाते हैं
  • यह आपके स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है, इस बात को जानते हुए भी दवा का इस्तेमाल करना
  • ड्राइविंग या किसी मशीनरी काम को करते समय भी आप उस दवा का इस्तेमाल करते हैं
  • जब आप इस दवा को लेना बंद कर देते हैं तो आपको शारीरिक या मानसिक समस्याएं महसूस होने लगती हैं।

और पढ़ेंः Ulnar nerve injury: अलनर नस में चोट क्या है?

ड्रग एडिक्शन का इलाज कैसे होता है?

नीचे दिए गए उपचार के विकल्प आपको नशे की लत पर काबू पाने और नशीली दवाओं से मुक्त रहने में मदद कर सकते हैं।

केमिकल डिपेंडेंस ट्रीटमेंट प्रोग्राम

इस ट्रीटमेंट के जरिए किया जाने वाला उपचारः

  • व्यक्तिगत, समूह या पारिवारिक थेरेपी सेशन का आयोजन
  • लत की प्रकृति को समझने और दोबार उसकी लत को रोकने का ध्यान रखा जाता है
  • आवश्यकताओं के आधार पर देखेभाल की जाती है
  • शराब आदि की लत का इलाज (डिटाक्सिफिकैशन)

डिटाक्सिफिकैशन को डीटाक्स या विथड्राल थेरेपी भी कहा जाता है। यह नशे की लत को जल्दी से जल्दी और सुरक्षित रूप से रोकने में सक्षम होता है। इस दौरान कुछ लोगों को किसी संस्थान, अस्पताल या घर में उपचार की प्रक्रिया के लिए रखा जा सकता है।

डिटाक्सिफिकैशन के दौरान दवाओं की खुराक दी जाती है। जो धीरे-धीरे नशे की लत को दूर करता है। अधिकांश मामलों में पर उपचार अस्थायी भी हो सकता है।

इसे टॉक थेरेपी या मनोचिकित्सा भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक व्यक्ति और परिवार के साथ अलग-अलग या समूह में सभी के साथ बात करते हैं। जो कई तरह से मददगार हो सकते हैंः

  • ड्रग की लत से बचने और दोबारा उसकी लत को वापस आने से कैसा रोका जा सकता है इस पर सुझाव देंगे
  • आपने निजी जीवन, नौकरी, कानूनी समस्याओं और परिवार और दोस्तों के साथ संबंधों के बारे में बात करेंगे
  • परिवार के सदस्यों के समूह के साथ बात करेंगे, ताकि परिवार के सदस्य भी आपकी स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकें।

सेल्फ-हेल्प ग्रुप 

सेल्फ-हेल्प ग्रुप की मदद से भी लोग अपने नशे की लत पर काबू पा सकते हैं। ऐसे कई संस्थान है जो अलग-अलग देशों में कार्य करते हैं।

स्वंय सहायता समूह की मदद आप इंटरनेट के जरिए भी ले सकते हैं। आपका चिकित्सक या परामर्शदाता भी इसकी जानकारी दे सकते हैं।

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और पढ़ें :  Viral pharyngitis: वायरल फैरिन्जाइटिस (ग्रसनीशोथ) क्या है?

जीवनशैली में होने वाले बदलाव, जो मुझे ड्रग एडिक्शन को रोकने में मदद कर सकते हैं?

निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको ड्रग एडिक्शन से बचने में मदद कर सकती हैं:

  • थेरिपिस्ट की मदद लेंः अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें। मादक पदार्थों की लत कई मानसिक समस्याओं से जुड़ी हो सकती है, जिसके लिए चिकित्सक या मनोचिकित्सक की मदद ले सकते हैं।
  • अपने मेंटल हेल्थ का ध्यान रखेंः अपनी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर समय-समय पर गौर करें। अगर आपको कोई मानसिक बीमारी के कोई लक्षण हैं, तो तत्काल प्रभाव से इसका उपचार करवाएं।
  • सहायता समूह की मदद लेंः ऐसे कई समर्थन समूह हैं जो आपको नशे की लत को सुधारने में मददगार हो सकते हैं। अपने डॉक्टर या इंटरनेट के जरिए इनका पता लगा सकते हैं और इनकी मदद ले सकते हैं।

अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Drug addiction. http://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/drug-addiction/basics/definition/con-20020970 . Accessed November 09, 2019.

Drug Abuse, Addiction, and the Brain. https://www.drugabuse.gov/publications/drugfacts/understanding-drug-use-addiction  Accessed November 09, 2019.

Drug Abuse, Addiction,    https://www.medicalnewstoday.com/articles/323465 Accessed November 09, 2019.

Drug Addiction,   https://www.helpguide.org/articles/addictions/drug-abuse-and-addiction.htm Accessed November 09, 2019.

Drug Addiction, https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3039293/ Accessed November 09, 2019.

Current Version

Ankita mishra द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Sanket Pevekar

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फार्मेसी · Hello Swasthya

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नशा मुक्ति पर निबंध Essay on De-Addiction in Hindi inasha mukti par nibandh

नशा मुक्ति पर निबंध Essay on De-Addiction in Hindi

इस लेख में हिंदी में नशा मुक्ति पर निबंध (Essay on De-addiction in Hindi) आसान शब्दों में लिखा गया है।

Table of Content

इस निबंध मे नशा मुक्ति क्या है, युवा पीढ़ी पर नशा का प्रभाव, नशा करने का कारण, नशा करने से होने वाली बीमारियाँ, नशा मुक्ति के उपाय इत्यादि के विषय में चर्चा किया गया है। 

नशा मुक्ति क्या है? What is De-addiction in Hindi?

नशे की लत से लोगों का जीवन तो बेकार बन ही जाता है, साथ ही इससे देश पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

नशा मुक्ति सामाजिक बुराइयों के खिलाफ छिड़ा हुआ एक आंदोलन स्वरूप है, जिसमें सरकार से लेकर अन्य गैर सरकारी संस्थाओं तक सभी एकजुट होकर लोगों को नशे की लत से दूर करने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

नशा मुक्ति जैसे बड़े क्रांतिकारक अभियानों द्वारा लोगों का जीवन नर्क से सुखदाई जीवन में परिवर्तित किया जा सके यही लक्ष्य के साथ निरंतर आगे बढ़ते रहने का प्रयास किया जा रहा है।

युवा पीढ़ी पर नशा का प्रभाव Effect of Drug Addiction on Youth

नशा करने का कारण reasons behind drug addiction, नशा करने के दुष्परिणाम disadvantages of drug addiction, नशा करने से होने वाली बीमारियाँ disease caused by drug addiction.

हालांकि ऐसे अपराधों की कोई सजा नहीं है। तंबाकू और गुटखा के पैकेट पर यह साफ चेतावनी लिखी होती है, कि इसे खाने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। लेकिन किसी को भी इस बात से फर्क नहीं पड़ता और लोग बड़े ही चाव से अपनी मनमानी करते हैं।

कैंसर, किडनी फेल होना, पाचन तंत्र का बेकार पड़ जाना, सांस लेने में दिक्कत होना, ह्रदय रोग और न जाने कितने ही तरह की बीमारियां ऐसी नशीली चीजों के सेवन के कारण आमंत्रित हो जाती हैं। 

नशा मुक्ति के उपाय Drug De-addiction Methods in Hindi

हमारे देश के युवाओं को अंधकार में जाने से बचाने के लिए नशा मुक्ति के लिए कई सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। 

देश भर में ऐसे नशा मुक्ति केंद्रों को स्थापित करने की आवश्यकता है, जो मजबूत रूप से लोगों तक पहुंच पाए, जो इस समस्या से परेशान हैं। जितना संभव हो सके अधिक से अधिक लोगों को ऐसी जागरूकता अभियान में शामिल करना चाहिए। 

केंद्र सहित सभी राज्य सरकारों को सख्त रवैया अपनाते हुए नशीली चीजों के उत्पादन पर रोक लगाने चाहिए तथा जितना संभव हो सके नशीली पदार्थों की अवैध बिक्री और खरीदी पर भी कड़ी नजर रखनी चाहिए।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने नशा मुक्ति पर निबंध (Essay on De-addiction in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस

  • 28 Jun 2022
  • 10 min read
  • सामान्य अध्ययन-II
  • सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस, नशा मुक्त भारत अभियान / ड्रग्स-मुक्त भारत अभियान, विश्व ड्रग्स रिपोर्ट 2022

नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या और संबंधित पहल, वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

प्रत्येक वर्ष 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस या विश्व ड्रग्स दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • UNODC वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 में कैनेबिस (भांँग) के वैधीकरण के बाद अवैध दवाओं के पर्यावरणीय प्रभावों और महिलाओं तथा युवाओं के बीच नशीली दवाओं के उपयोग के रुझानों पर प्रकाश डाला गया है।

विश्व ड्रग्स दिवस :

  • नशीली दवाओं और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) का फोकस इसके बारे में जागरूकता फैलाना है ताकि दुनिया को नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त किया जा सके।
  • 7 दिसंबर, 1987 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।
  • इसने समाज को मादक द्रव्यों के सेवन से मुक्त बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करनेे हेतु अपने प्रयासों को मज़बूत करने के लिये यह दिवस मनाने का निर्णय लिया।
  • वर्ष 2022 में दुनिया अफगानिस्तान, यूक्रेन और अन्य जगहों पर व्यापक मानवीय संकट देख रही है, जबकि कोविड-19 महामारी अभी भी एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य संकट बनी हुई है।
  • सिंथेटिक दवा संकट के लिये भी स्तरीय और अनुकूलनीय समाधानों की आवश्यकता होती है।

संबंधित पहल:

  • नशा मुक्त भारत अभियान/ड्रग्स मुक्त भारत अभियान
  • नशीली दवाओं की मांग में कमी हेतु राष्ट्रीय कार्ययोजना
  • नशीली दवाओं के दुरुपयोग को नियंत्रित करने के लिये राष्ट्रीय कोष
  • सिंगल कन्वेंशन ऑन नारकोटिक्स ड्रग्स, 1961
  • कन्वेंशन ऑन साइकोट्रोपिक सब्सटेंस-1971
  • भारत इन तीनों का हस्ताक्षरकर्त्ता देश है और इसने नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम, 1985 को अधिनियमित किया है।
  • प्रत्येक वर्ष संयुक्त राष्ट्र द्वरा वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट (World Drug Report) का प्रकाशन किया जाता है।

द वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 के मुख्य बिंदु:

  • इसका कारण यह है कि अफगानिस्तान में उत्पन्न होने वाले अफीम की तस्करी की तीव्रता पारंपरिक बाल्कन मार्ग के साथ दक्षिण और पश्चिम के अलावा पूर्व की ओर हो सकती है।
  • इसके परिणाम विस्तारित उपयोग से लेकर तस्करी और संबद्ध संगठित अपराध के बढ़े हुए स्तरों तक हो सकते हैं।
  • भारत में वर्ष 2020 में 5.2 टन अफीम की चौथी सबसे बड़ी मात्रा ज़ब्त की गई और तीसरी सबसे बड़ी मात्रा में मॉर्फिन (0.7 टन) भी उसी वर्ष ज़ब्त की गई ।
  • भारत में अधिकारियों ने पहली बार 2020 में डार्क वेब पर गैर-चिकित्सा ट्रामाडोल और अन्य साइकोएक्टिव पदार्थों की तस्करी करने वाले प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क को खत्म करने की घोषणा की थी।
  • 15-64 वर्ष की आयु के लगभग 284 मिलियन लोगों ने 2020 में विश्व भर में नशीली दवाओं का इस्तेमाल किया, जो पिछले दशक की तुलना में 26% अधिक है।
  • विश्व भर में कोकीन का निर्माण वर्ष 2020 में रिकॉर्ड ऊंँचाई पर था, जो वर्ष 2019 से 11% बढ़कर 1,982 टन हो गया।
  • वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के बावजूद रिकॉर्ड 1,424 टन तक कोकीन की बरामदगी भी बढ़ गई।
  • विश्व भर में अफीम का उत्पादन वर्ष 2020 और 2021 के बीच 7% बढ़कर 7,930 टन हो गया, जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान में उत्पादन में वृद्धि के कारण हुआ।
  • हालांँकि इसी अवधि में अफीम पोस्ता की खेती के तहत वैश्विक क्षेत्र 16% से घटकर 2,46,800 हेक्टेयर रह गया।
  • महिलाएंँ विश्व स्तर पर नशीली दवाओं के उपयोगकर्त्ताओं के मामले में अल्पसंख्यक हैं, फिर भी पुरुषों की तुलना में उनमें नशीली दवाओं की खपत की दर और नशीली दवाओं के उपयोग विकारों की प्रगति में तेजी से वृद्धि होती है।
  • महिलाएंँ अब एम्फ़ैटेमिन के अनुमानित 45-49% उपयोगकर्त्ताओं और दवा उत्तेजक, फार्मास्युटिकल ओपिओइड, सेडेटिव तथा ट्रैंक्विलाइज़र के गैर-चिकित्सा उपयोगकर्त्ताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • महिलाओं ने वैश्विक कोकीन अर्थव्यवस्था में कई तरह की भूमिकाएँ निभाईं, जिनमें कोका की खेती, कम मात्रा में ड्रग्स का परिवहन, उन्हें उपभोक्ताओं को बेचना और जेलों में तस्करी शामिल है।
  • समस्या की भयावहता और इससे जुड़े नुकसान के बारे में गलत धारणाएंँ लोगों को देखभाल एवं उपचार से वंचित कर रही हैं तथा युवाओं को प्रतिकूल व्यवहार की ओर धकेल रही हैं।
  • दुनिया के कुछ हिस्सों में कैनबिस के वैधीकरण से इसके दैनिक उपयोग और संबंधित स्वास्थ्य प्रभावों में तेज़ी आई है।

रिपोर्ट की सिफारिशें:

  • वैश्विक ड्रग समस्या के हर पहलू को संबोधित करने के लिये आवश्यक संसाधनों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, जिसमें इसकी आवश्यकता वाले सभी लोगों के लिये साक्ष्य-आधारित चिकित्सा का प्रावधान शामिल है और हमें इस ज्ञान के आधार में सुधार करने की आवश्यकता है कि अवैध दवाएंँ अन्य तत्काल चुनौतियों (जैसे संघर्ष और पर्यावरण क्षरण) से किस प्रकार संबंधित हैं।
  • यह आवश्यक है कि दुनिया भर के नीति निर्माता उन देशों में जहांँ कोका बुश (Coca Bush) की अवैध खेती की जाती है, आर्थिक विकास और वैकल्पिक आजीविका को शामिल करते हुए समग्र दवा-आपूर्ति में कमी की रणनीति तैयार करें।
  • ड्रग नीति के प्रति दृष्टिकोण को संघर्ष के क्षेत्रों और शांति निर्माण प्रतिक्रियाओं में एकीकृत किया जाना चाहिये।
  • सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय अपराधों की जटिल और गहन जांँच को प्रोत्साहित करना चाहिये जिसका उद्देश्य संबंधित वित्तीय प्रवाह को प्रकट कर उसे समाप्त करना है।

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नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Drug Abuse Essay In Hindi

Hindi Essay प्रत्येक क्लास के छात्र को पढ़ने पड़ते है और यह एग्जाम में महत्वपूर्ण भी होते है इसी को ध्यान में रखते हुए hindilearning.in में आपको विस्तार से essay को बताया गया है |

Table of Contents

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Essay On Drug Abuse In Hindi

मादक द्रव्य : मौत का द्वार – substance: the gate of death.

  • प्रस्तावना,
  • मादक द्रव्यों के प्रकार और प्रभाव,
  • मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्परिणाम,
  • मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति,
  • मादक द्रव्यों से छुटकारे के उपाय,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – Nashe Ke Dush Pravrtti Nibandh

प्रस्तावना– वैदिक ऋषियों ने राजा सोम (रस) की प्रशंसा में मंत्र रचे और आगे के उपासकों ने अपने–अपने इष्टदेव या इष्टदेवी के साथ कोई–न–कोई मादक द्रव्य जोड़कर उसके सेवन का धार्मिक और सामाजिक अनुमति–पत्र प्र भोले बाबा के उपासकों ने भाँग, महाकाली के अर्चकों ने मदिरा और इन्द्रियसंयम तथा निर्विघ्न–ध्यान समाधि के साधकों ने चरस, गाँजा, तम्बाकू आदि के सेवन की छूट या सामाजिक स्वीकृति प्राप्त कर ली।

मादक द्रव्यों के प्रकार और प्रभाव– परम्परागत मादक द्रव्यों: यथा–शराब, भाँग, अफीम के अतिरिक्त आज अनेक नये और तीव्र प्रभाव वाले मादक द्रव्यों का आविष्कार हो चुका है, जो पुराने मादक द्रव्यों से कहीं अधिक घातक हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • (क) मदिरा–मदिरा या शराब तो जैसे मनुष्य के साथ ही पृथ्वी पर जन्मी है। समुद्र मंथन से प्राप्त रत्नों में यह भी सम्मिलित है। मदिरा सेवन की व्यापकता का युवावर्ग में बढ़ते जाना, समाज के लिए एक अशुभ संकेत है। यह सरकारों की आमदनी का भी बड़ा स्रोत है।
  • (ख) मार्फीन–यह अफीम से बनायी जाती है। यह अफीम से अधिक नशीली होती है। इसके अभ्यस्त लोग इसको इंजेक्शन के रूप में प्रयुक्त करते हैं।
  • (ग) हेरोइन–यह मार्फीन से बनायी जाती है और इससे दस गुना अधिक नशीली होती है। इसका सेवन बहुतायत में किया जाता है।
  • (घ) हशीश–यह भाँग से प्राप्त की जाती है। इसे जलाकर सिगरेट की भाँति प्रयोग में लाया जाता है।
  • (ङ) ब्राउन शुगर–यह अशुद्ध हेरोइन होती है। यह कई अन्य पदार्थों को मिलाकर प्रयोग की जाती है और एक प्रकार का विष ही बन जाती है।
  • (च) एल. एस. डी.–कुछ लोग मानसिक तनाव दूर करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं।
  • (छ) स्मैक–यह युवावर्ग में प्रचलित सबसे खतरनाक नशा है। व्यक्ति केवल दो–तीन खुराकों में इसका अभ्यस्त हो जाता है। इसकी लत को छोड़ पाना बहुत कठिन होता है।

मादक द्रव्यों के सेवन के दुष्परिणाम– कोई भी नशा हो, अन्ततः मनुष्य के लिए हानिकारक ही होता है। आज समाज में बढ़ती नशाखोरी की प्रवृत्ति बड़ी चिन्ताजनक है। इनका अभ्यस्त होने पर मनुष्य निष्क्रिय और हर तरह से बेकार हो जाता है। वह हर कीमत पर इन द्रव्यों को पाना चाहता है।

आज मादक पदार्थों का अनैतिक और अवैध व्यापार जोरों पर है। अनेक संगठित गिरोह इस धन्धे में लगे हैं। ये चीजें आज सोने से भी कीमती तथा व्यवसाय–सुलभ हैं।

युवावर्ग में मादक पदार्थों का सेवन जिस गति से बढ़ रहा है, वह उन्हीं के लिए नहीं, बल्कि देश और समाज के लिए भी खतरे की घण्टी है। किसी देश को तबाह करने के लिए आज युद्ध की नहीं, बल्कि मादक द्रव्यों की आवश्यकता होती है। मादक–द्रव्यों के व्यापार की छाया में आतंकवाद और अपराध भी पनप रहे हैं।

मादक द्रव्यों के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति– मादक द्रव्यों से धन कमाने वाले लोग घोर अपराधी हैं। ये युवक–युवतियों को बहलाकर या एक–दो खुराक मुफ्त में सेवन कराकर उनको आदी बना देते हैं और फिर वह व्यक्ति इनका गुलाम हो जाता है।

गीच यह प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कुछ युवक चोरी–छिपे और कुछ इसे शान समझकर अपना रहे हैं। यह युवावर्ग के जीवन को चौपट करने वाली प्रवृत्ति है।

मादक द्रव्यों से छुटकारे के उपाय– मादक द्रव्यों के प्रसार की समस्या किसी व्यक्ति या देश–विशेष की नहीं है। यह एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या है। पूरे विश्व में मादक पदार्थों के विक्रेताओं का जाल फैला हुआ है। इस पर नियन्त्रण न करना विश्व को दारुण विनाश की ओर धकेलना है।

अनेक देशों ने मादक पदार्थों की बिक्री अथवा इसे अपने पास रखने को दण्डनीय अपराध घोषित कर रखा है। कई देशों में इसके अवैध व्यापार पर मृत्यु–दण्ड की भी व्यवस्था है। हर सभ्य और दूरदर्शी देश इसे मौत का व्यापार मानता है।

लेकिन कानूनों के बल पर इस संकट से पार पाना सम्भव नहीं लगता है। जनता को इसके खतरे से जागरूक बनाकर तथा इसकी आदत से ग्रस्त युवक–युवतियों के साथ सहानुभूति से पेश आकर इससे बचने की सम्भावना हो सकती है। सरकार को भी कड़े से कड़े कानून बनाकर और निरन्तर सतर्क रहकर इस पर काबू पाना होगा।

उपसंहार– मादक पदार्थों का सेवन मौत को निमन्त्रण देना है। मौत भी अत्यन्त दारुण, धीरे–धीरे चेतना को ग्रसती और लाचार बनाती मौत! मादक पदार्थों का अब हथियार की तरह भी प्रयोग हो रहा है। यह विरोधी देश की युवाशक्ति को खोखला बनाने और बिना युद्ध के ही उसे नष्ट कर देने का घृणित उपाय है।

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Atyant upyogi jankari di hai, abhar. Pratul Singh, Gangoh, UP

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इस विस्तृत जानकारी के लिए धन्यवाद !

मैंने नशीली दवाओ के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावो के बारे मे पढा सच मानिये मुझे रोना आ गया। मै एक हिन्दी प्राधयापक हूं ओर समय समय पर बच्चो को नशे के दुरुपयोग पर बातचीत करता रहता हू। पर अब मै आज के बाद बच्चो के साथ साथ समाज मे भी नशे के सेवन के दुरुपयोग की बातचीत किया करूगा। मै राजिंदर फाजिलका पंजाब 9914410514

ji mera naam raj kumar mai bahoot paresan main hu mai brawn sugar 2 mahine se use kar raha hu mai chodna cahata hu lakin nahi hota kuch upaye bataiye guru

Bhai apne upar cantrol ho bs

Tum apna no. No do

I am 35 years old man and doing govt. Job . I have stared consuming Ganja and Bhang 6 months back . Now am worried of adiction . I tried to give it up but i could live without it only for few days . I need it once in a day . I spoiled my life in this matured age . Shame on me .

Concentrate on ur mind.

Kitna log indea main nasha krta h

mujhe lgta h k mere pti koi drugs use kr rhe h or unki ankhen laal hot I h jb vo. ghar aate h or subah or sham ka unka pkka routine h k bahr Jana hi h chahe kuch bhi ho Jaye

Medam oh gaja pite h darks lene se aak laal nai hota gaja pine se aak laal hota h app unne pyeaar se samjao ladai jgra mat krna ladai jagra krne se oh or nasha krege pyeaar se samjao samj jaygye

Mene b nasha chod dia bhut relax deel krta hu abbb

bahut hi anmol jankari diya hai apne.bahut bahut dhanywad.

Aur vistrut jankari kaha milegi

Main 1 saal se heroin drug le raha hu abb main chodna chata hu koi uppaye btaiye

पुलिसवालो और समाज दोनों के सहयोग से समाज में से ड्गस का अंत कर सकते हैं

पुलिसवालो और समाज दोनों के सहयोग से समाज में से ड्गस का नामोनिसान मिटा सकते है।

Addiction ki itni bariki se imformation dene ke liye Thankyou

Addiction ki itni imfomation dene me liye thankyou

अपनी टिप्पणी लिखें...koi dawa bataye jise patient ko bechani na ho or nind aa jaye

me LLM ka student hu muje or jankari chahiye plz hellp me .is ke bareme govt kaya karti hey or iska koi asar in dargs mafiya par hota hey ya nahi?

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Essay on “Drug Abuse and Addiction in India” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Drug Abuse and Addiction in India

Drug abuse is a complex phenomenon, which has various social, cultural, biological, geographical, historical and economic aspects. The disintegration of the old joint family system, absence of parental love and care in modern families where b0th parents are working, decline of old religious and moral values etc lead to a rise in the number of drug addicts who take drugs to escape hard realities of life. Drug use, misuse or abuse is also primarily due to the nature of the drug abused, the personality of the individual and the addict’ s immediate environment The processes of indust1ialization, urbanization and migration have led to loosening of the traditional methods of social control rendering an individual vulnerable to the stresses and Strains of modern life. The fast changing social milieu, among other factors, is mainly contributing to the proliferation of drug abuse, both of traditional and of new psychoactive substances. The introduction of synthetic drugs and intravenous drug use leading to HIV/AIDS has added a new dimension to the problem, especially in the Northeast states of the country

Drug abuse and addiction is on the rise throughout India. According to recent surveys, India has at least seventy million drug addicts. In India, the cultural values are slowly changing, the poorer class 13 suffering with economic hardship while at the same time there 13 a massive rise in the upper class, all of this combined with the dwindling support of family (due to increase work and western life) is leading to drug abuse and addiction.

Indian produced pharmaceuticals, heroin, and alcohol are amongst the most abused drugs. However, drugs like yaba, methamphetamine, ecstasy, cocaine, and crack are all becoming more abused on a daily basis throughout India.

Over the past two decades, India has seen a rise in industrialization and urbanization, which has caused large migrations to its cities This is causing their traditional culture and way of life to slowly loosen; the individual Indians and their new way of life is causing them to be very vulnerable to the stresses and strains of the modern way of life. These stresses and strains may cause the person to turn to drugs to calm their thoughts and deal with everyday life.

Trafficking and Distribution

Because India has seen such a rise in drug abuse and addiction, there is an increasing need for dealers and distributors to traffic the drugs. Many people in India are seeing this opportunity as a way to make fast and easy money. They not only risk the chance of getting caught by police and sentenced to a minimum of ten years in prison, but they are at risk for abusing or developing an addiction to the drugs. They are also at risk for becoming caught up in rivalry and drug related crimes.

By ninth grade, approximately half of Indian students have tried at least one type of drug. These youth begin to damage their physical and psychological health and their intellectual growth, especially when their curiosity turns into abuse. The youth that continue to abuse drugs will normally begin to use harder drugs and develop addictions to them. Some of them will join gangs or drug related organizations.

Most of the youth that get caught up with drugs normally do not continue education through college, and it is not uncommon for these people to end up on the streets. Most of the people who abuse or have an addiction to drugs in India are between the ages of 18 and 35. The majority of them are males, but there are a small percentage of women in India who abuse them; the number of women is slowly rising each year.

Since drug abuse and addiction in India has risen, the country has seen an increase in HIV, Tuberculosis, Hepatitis B and C, and other transmitted diseases. Injecting substances is becoming more popular amongst addicts, which is causing healthcare officials to become concerned about an even greater rise in these diseases.

Family Effects

The women and their children are facing problems as well. Many women who are married to drug abusers and addicts are subjected to domestic violence, infectious diseases, and financial problems. Eighty seven per cent of users who were in a rehab center claimed that they were violent to their wife, children, and other family members while using. Most domestic violence comes as a result of the addict needed money to buy more drugs.

India is beginning to see a rise in rehab centers across the country. However, drug use is still considered taboo and a very sensitive matter. Often times, families do not want to send their loved ones to a rehab in India, because of shame or even fear; fear that the government will find out about their loved one’s drug use.

India’s Stand

India has braced itself to face the menace of drug trafficking both at the national and international levels. Several measures involving innovative changes in enforcement, legal and judicial systems have been brought into effect. The introduction of death penalty for drug-related offences has been a major deterrent. The Narc0tic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985, were enacted with stringent provisions to curb this menace. The Act envisages a minimum term of 10 years imprisonment extendable to 20 years and fine of Rs 1 lakh extendable up to Rs 2 lakhs for the offenders. The Act has been further amended by making provisions for the forfeiture of properties derived from illicit drugs trafficking. Comprehensive strategy involving specific programmes to bring about an overall reduction in use of drugs has been evolved by the various government agencies and NGOS and is further Supplemented by measures like education, counseling, treatment and rehabilitation programmes. India has bilateral agreements on drug trafficking with 13 countries, including Pakistan and Burma. Prior to 1999, extradition between India and the United States occurred under the auspices of a 1931 treaty signed by the United States and the United Kingdom, which was made applicable to India in 1942. However, a new extradition treaty between India and the United States entered into force in July 1999. A Mutual Legal Assistance Treaty was signed by India and the United States in October 2001. India also is signatory to the following treaties and conventions:

(a) 1961 UN. Convention on Narcotic Drugs. (19) 1971 UN. Convention on Psychotropic Substances. (c) 1988 UN. Convention against Illicit Traffic in Narcotic Drugs and Psychotropic Substances. (d) 2000 Transnational Crime Convention

The spread and entrenchment of drug abuse needs to be prevented, as the cost to the people, environment and economy will be colossal. The unseemly spectacle of unkempt drug abusers dotting lanes and by lanes, cinema halls and other public places should be enough to goad the authorities to act fast to remove the scourge of this social evil. Moreover, the spread of such reprehensible habits among the relatively young segment of society ought to be arrested at all cost. There is a need for the government enforcement agencies, the non governmental philanthropic agencies, and others to collaborate and supplement each Other’s efforts for a solution to the problem of drug addiction through education and legal actions. Practically every country has its own substance abuse problem to face.

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ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) - उपचार, लक्षण, और कारण

आखिरी अपडेट : Jul 30, 2024

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) क्या है?

किसी व्यक्ति द्वारा आदत के रूप में अडिक्टिवे सब्स्टेन्सेस (addictive substances) का लगातार उपयोग, उपयोग के एक विशिष्ट पैटर्न (specific pattern) के बाद ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) कहा जाता है। लंबे समय तक, रेपेटिटिव (repetitive) और कमपलसिव (compulsive) उपयोग उपयोगकर्ता को पदार्थ (substances) के एब्यूज (Abuse) के प्रभावों के प्रति सहनशील बना सकता है। इस तरह के पदार्थों (substances) का उपयोग एब्यूजर (abuser) की प्रणाली में शामिल हो जाता है, और विशिष्ट लक्षणों (specific symptoms) के एक सेट (set) में वापसी परिणाम (withdrawal results) , एक को एक रिलैप्स (relapse)के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उपयोग और निकासी (withdrawal) के इस दुष्चक्र (vicious cycle) में ड्रग एडिक्शन ( drug addiction ) नामक एक कंडीशन (condition) होती है।

जबकि व्यापक धारणा (widespread notion) यह है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और परिणामी एडिक्शन (resultant addiction) एक बिहेवियरल डिसऑर्डर (behavioral disorder) है, यह वास्तव में एक गलतफहमी है। ड्रग यूज़ (Drug use) के प्रभाव अधिक व्यापक (pervasive) हैं। दवाओं का निरंतर उपयोग मस्तिष्क कोशिकाओं (brain cells) के तंत्रिका कार्य (neural functioning) को बदल देता है। मस्तिष्क पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के प्रभाव के रूप में देखी जाने वाली तंत्रों (mechanisms) में से 'प्राकृतिक रासायनिक दूतों की नकल (imitation of natural chemical messengers)' और 'रिवॉर्ड सर्किट ओवर-स्टिमुलेशन (reward circuit over-stimulation)' है, जिससे पदार्थ (substance) मस्तिष्क विकार (brain disorder) का दुरुपयोग कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों की चिकित्सा प्रगति के साथ, ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की पिछली कमी को केवल एक बिहेवियरल डिफ्लेक्शन (behavioral deflection) के बजाय, मस्तिष्क विकार (brain disorder) की तरह निदान और इलाज किया गया है। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की पहचान और इसी तरह के इलाज के प्राथमिक कदमों में से एक मजबूत समझ है कि उपचार किसी की इच्छाशक्ति से परे है। ज्यादातर मामलों में, उपचार चिकित्सा सहायता और परामर्श का एक उचित संयोजन है। यह विभिन्न मामलों के लिए परिवर्तनीय (variable) हो सकता है।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के कारण।

किशोरों (teenagers) और युवा वयस्कों (young adults) के बीच ड्रग (Drugs) का उपयोग करना एक आम प्रथा है। लेकिन वह चरण जहां व्यक्ति इस तरह के पदार्थों से रोक नहीं सकता है, ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की ओर जाता है। सबसे प्रमुख कारण हैं:

  • जेनेटिक्स (Genetics): यह देखा गया है कि कई ड्रग एब्यूजर (Drug Abuser) और एडिक्ट्स (addicts) का परिवार का इतिहास एक ही जैसा होता है। हालांकि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और जेनेटिक्स (Genetics) के बीच कोई सीधा संबंध स्थापित नहीं किया गया है, लेकिन यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) करने वाले परिवार के सदस्यों के लिए उच्च पूर्वाग्रह (predisposition) है।
  • सह-परिस्थितियों की स्थिति (Co-occurring conditions): मानसिक बीमारी (Mental illness), गहन तनाव (profound stress), मौखिक (verbal), शारीरिक (physical) या सेक्सुअल एब्यूज (sexual abuse) ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के शीर्ष कारणों में से हैं। इस तरह के बीमारियों / दुर्व्यवहार के पीड़ितों को निराशा से बाहर निकलने के लिए एक चैनल (channel) की आवश्यकता होती है या वे जिस चिंता का सामना करते हैं उससे राहत दें। इस प्रकार, वे एक विकृति (disorder) के रूप में ड्रग्स (drugs) की ओर मुड़ते हैं।
  • एनवायर्नमेंटल कॉसेस (Environmental causes): एनवायर्नमेंटल कॉस (Environmental cause) मुख्य रूप से सहकर्मी दबाव या धमकाने शामिल होते हैं। ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) करने वाले किशोर (Adolescents) अज्ञानी माता-पिता (ignorant parents) के ध्यान के लिए झुकाव कर सकते हैं।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के लक्षण क्या हैं?

फिजियोलॉजिकल इंडिकेशन (Physiological indications): एक व्यक्ति की एब्यूज हैबिट (abuse habit) मजबूत होने के कारण, वे अपनी ड्रग डोसेज (drug dosage) बढ़ाते हैं, क्योंकि उन्हें छोटी मात्रा में उच्च सहनशीलता का सामना करना पड़ता है। यह स्पष्ट फिजिकल सिम्पटम्स (physical symptoms) देने, अधिक मात्रा में सक्षम बनाता है। इनमें ब्लूडशॉट (bloodshot) या चमकदार आंखें, प्यूपिल कॉन्सट्रिक्शन (pupil constriction) या फैलाव, असामान्य या उनप्रीसीडेटेड वेट अल्ट्रेशंस (unprecedented weight alterations), ड्रग एंट्रेंस (drug entrance) की साइट (site) पर घाव या चोट , से पीड़ित हैं। इनके अलावा, ऑर्गन फेलियर (organ failure) भी देखी जा सकती है। बिहेवियरल चेंजेस (Behavioral changes): व्यवहार में अचानक परिवर्तन, परिवार और दोस्तों की ओर, देखा जा सकता है। पीड़ित नेगेटिव बिहेवियरल मॉडिफिकेशन्स (negative behavioral modifications) दिखाता है खासकर जब उनकी सामान्य ड्रग (usual drug) का उपयोग करने में असमर्थ होता है। किसी की प्राथमिकताओं (priorities) में बदलाव, पूर्व प्रतिबंधित गतिविधियों (previously restricted activities) की ओर अवरोध (inhibitions) को कम करना संकेत हैं।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) का उपचार।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के शिकारों के लिए कई उपचार योजनाओं का पालन किया जा सकता है। आम तौर पर, कार्यवाही का कोर्स (course) केस-स्पेसिफिक फैक्टर्स (case-specific factors) जैसे कि शामिल पदार्थों (substances involved), एब्यूज (Abuse) की फ्रीक्वेंसी (frequency), प्रोग्राम (program) में प्रवेश के समय रोगी की स्थिति आदि के आधार पर तय किया जाता है। उपचार के सबसे महत्वपूर्ण पहलू कंसिस्टेंसी (consistency) और इंटेंसिटी (intensity) हैं। आम तौर पर, उपचार का कोर्स (course) मेडिकल असिस्टेंस (medical assistance) और काउन्सलिंग (counseling) या अन्य बिहेवियरल थेरेपीज (behavioral therapies) का संयोजन है। रोगी की प्रगति की जांच करने और आवश्यकतानुसार संशोधित करने के लिए उपचार की लगातार समीक्षा की जानी चाहिए। किसी भी पूर्व सामना या वर्तमान में सामना करने वाली मानसिक बीमारी के लिए उपचार शामिल होना चाहिए। रोगी ट्रीटमेंट कोर्स (treatment course) के दौरान विशेष रूप से कमजोर है। प्रत्येक दवा के कैरेक्टरिस्टिक विथड्रावल (characteristic withdrawal) के लक्षणों के कारण, एक रिलैप्स (relapse) की संभावना बहुत अधिक है। इसलिए, रोगी की नज़दीकी और सावधानीपूर्वक निगरानी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) से बचने के लिए रोकथाम।

रोकथाम की दिशा में पहला कदम ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के कई पहलुओं के बारे में उचित जागरूकता शामिल है। यह पहले एस्टैब्लिशड (established) किया गया है कि ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) और बाद में सबसीक़ुएन्ट एडिक्शन (subsequent addiction) अनिवार्य रूप से एक ब्रेन डिसऑर्डर (brain disorder) है। यह यंग अबुज़रस (young abusers), ज्यादातर टीनएजर्स (teenagers) और एडोलैसैंट्स (adolescents) को अधिक जोखिम पर रखता है। सबसे प्रभावी रोकथाम रणनीति ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के प्रभाव और परिणामों के बारे में इन्फोर्मटिवे डिसकशंस (informative discussions) हैं। ज्यादातर बच्चों के लिए, यह आकर्षण को खत्म कर देगा, और इसलिए लेइज़र (leisure) के लिए एब्यूज (abuse) की संभावना है। शुरुआती उम्र में ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) को रोकना सबसे फायदेमंद होगा। अत्यधिक तनावपूर्ण स्थितियां (Excessively stressful conditions) वयस्कों (adults) में ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) का कारण बन सकती हैं, जिन्हें शुभचिंतक से रेपेटिटिवे गाइडेंस (repetitive guidance) और मेन्टल सपोर्ट (mental support) से बचा जा सकता है।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) के विथड्रावल (Withdrawal) के लक्षण।

ड्रग एब्यूज (Drug Abuse) की वापसी के सामान्य लक्षण बेचैनी, मांसपेशियों की ऐंठन और पूर्ण शरीर में दर्द, थकान, प्रोफीयूज़ लैक्रिमशन (profuse lacrimation), चिंता, इंसोम्निया (insomnia), नाक बहने आदि हैं। इनके अलावा, प्रत्येक ड्रग (drug) में इसके स्पष्ट विथड्रावल (Withdrawal) के लक्षण होते हैं। यहाँ कुछ है:

  • हीरोइन (Heroine): पिछले खुराक के 12 घंटों के भीतर लक्षण 24-48 घंटों के बीच बढ़ने लगते हैं। विथड्रावल (Withdrawal) और सामान्य फ्लू के लक्षण समान हैं।
  • कोकीन (Cocaine): डिप्रेशन (Depression) और रेस्टलेससनेस्स (restlessness) आमतौर पर लक्षणों में देखा जाता है। पिछली खुराक के कुछ घंटों के भीतर विथड्रावल (Withdrawal) शुरू होती है, कुछ दिनों के भीतर पीक (peaks) पर होती है, और एब्यूज (abuse) की इंटेंसिटी (intensity) के आधार पर, कुछ महीनों तक, 7-10 दिनों तक लगातार रह सकती है।
  • प्रिस्क्रिप्शन ओपिएट्स (Prescription Opiates): विथड्रावल (Withdrawal) आमतौर पर 5-10 दिनों के लिए फैलता है, 8-12 घंटे के भीतर शुरू होता है और पीक (peak) 12-48 घंटों में देखा जाता है।
  • Eiseman S, Wingard JA, Huba GJ. Drug abuse: Foundation for a psychosocial approach. Routledge; 2019 Apr 15. [Cited 26 July 2019]. Available from: https://books.google.co.in/books?hl=en&lr=&id=pp6RDwAAQBAJ
  • Drug Abuse- Medline Plus, Health Topics, NIH, U.S. National Library of Medicine [Internet]. medlineplus.gov 2019 [Cited 26 July 2019]. Available from: https://medlineplus.gov/drugabuse.html
  • Seeking Drug Abuse Treatment: Know What To Ask- NIH, National Institute on Drug Abuse [Internet]. drugabuse.gov 2013 [Cited 26 July 2019]. Available from: https://www.drugabuse.gov/publications/seeking-drug-abuse-treatment-know-what-to-ask/introduction

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Hindi Essay (Hindi Nibandh) 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन

Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics

हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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Attorney caught smuggling drug-soaked papers disguised as legal docs into prison at 4:20, came up with Staples story but had no receipt: Feds

Main: Theresa M. DiJoseph entering Donald W. Wyatt Detention Facility in Rhode Island carrying numerous documents. Inset: Correctional officers inspecting allegedly drug-soaked documents brought by DiJoseph (U.S. Attorney's Office for the District of Rhode Island)

Main: Theresa M. DiJoseph entering Donald W. Wyatt Detention Facility in Rhode Island carrying numerous documents. Left inset: Correctional officers inspecting allegedly drug-soaked documents brought by DiJoseph at 4:20 p.m. (U.S. Attorney’s Office for the District of Rhode Island).

A 50-year-old attorney from Massachusetts has been arrested after authorities say she tried to smuggle drug-infused paper to a man incarcerated in a Rhode Island federal prison.

Theresa M. DiJoseph was taken into custody on Tuesday and charged with one count each of possession with intent to distribute a controlled substance , providing a prohibited object to an inmate, and making a false statement, authorities announced.

Hanasa Stedford, a 21-year-old Connecticut woman, and two men incarcerated at the Donald W. Wyatt Detention Facility in Rhode Island, 46-year-old Shawn D. Hart and 26-year-old Samuel Douglas, are also accused of participating in the alleged smuggling scheme. All three are facing one count of conspiracy to possess with intent to distribute a controlled substance and one count of providing a prohibited object to an inmate

According to the U.S. Attorney’s Office for the District Rhode Island , DiJoseph on July 9, 2023, used her credentials as an attorney to meet with Hart in a visiting room that did not have a plexiglass screen between the inmate and the visitor and is often used by attorneys to conduct legal work with clients. DiJoseph allegedly filled out paperwork claiming to be Hart’s attorney of record.

Hart had been a detainee at the facility since June 2023 after being charged in Massachusetts with distribution of more than 40 grams of fentanyl, possession with intent to distribute more than 50 grams of methamphetamine, possession of a firearm in furtherance of a drug trafficking crime, and being a felon in possession of firearms and ammunition.

A correctional officer on duty at the time of DiJoseph’s visit said that the lawyer was “slouching and acting very suspicious” and was “watching the correctional officer’s movements,” according to the criminal complaint .

It was soon discovered that DiJoseph did not represent Hart in any of his ongoing criminal or civil matters and that she had been sending Hart “personal photos of herself” and placing sports bets on his behalf, prosecutors said.

Soon after that visit, DiJoseph’s contact visitation privileges with Hart were terminated. DiJoseph allegedly responded by emailing Wyatt’s warden, stating that she was “repulsed” by allegations of potential misconduct. She said that an unidentified “opposing party” had served Hart with “many documents” and that there were “very complicated applicable rules and procedures and caselaw that must be explained to him in person for his very complicated situation.”

In September 2023, DiJoseph allegedly sent the warden another email claiming that during her previous visit she had been subjected to an “illegal” search because a correctional officer had checked the paperwork she had brought with her and reviewed “each piece of paper methodically and slowly,” including what she described as “very sensitive material and attorney work product.”

DiJoseph was permitted to resume contact visits with Hart in late November 2023, the feds said.

On Dec. 1, 2023, DiJoseph visited Hart again — at “approximately” 4:20 p.m. , the complaint specified. When a correctional officer reviewed the materials DiJoseph indicated she wanted to bring into the visit with Hart, the officer “observed multiple pieces of paper that appeared as though they had been wet and then dried, were thicker than normal paper, and appeared discolored.”

“Based on the correctional officer’s experience identifying drugs in a correctional setting, he confiscated the papers — 10 pieces total — from DiJoseph as potential synthetic marijuana (also known as K2),” the compliant stated. “The 10 pieces of paper were seized by Wyatt’s Professional Standards Unit and placed in secure storage until they were collected by the FBI on December 4, 2023.”

Authorities said the papers “contained printed text regarding capital punishment cases.”

Investigators said that synthetic marijuana is often soaked into paper which is then torn into smaller pieces and sold throughout the prison. A single piece of paper is estimated to be worth up to $4,000 based on the availability of contraband at a given time.

When asked about the papers, DiJoseph allegedly told correctional officers that she “had picked the sheets up from her printer and just brought them here.”

The confiscated paper tested positive for residue of multiple Schedule 1 controlled substances, prosecutors said.

Investigators said they learned that Douglas had ordered his girlfriend, Stedford, to deliver the drug-soaked papers to DiJoseph so she could bring them to Hart.

When questioned about the papers by federal agents several weeks later, DiJoseph allegedly claimed she went to Staples earlier in the day to print some materials and “she believed the paperwork was added to her files” when she was there. But when pressed, authorities said, DiJoseph was unable to recall which Staples she visited and she could not produce a receipt.

DiJoseph and Stedford were scheduled to make her first court appearance on Tuesday. DiJoseph was released after posting a $10,000 unsecured bond, records show.

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Jerry Lambe is a journalist at Law&Crime. He is a graduate of Georgetown University and New York Law School and previously worked in financial securities compliance and Civil Rights employment law.

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Landslides in Southern India Kill More Than 100 People

Rescue workers struggled to reach isolated villages in the state of Kerala, where torrential rains have washed away terrain. The death toll was expected to rise.

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By Sameer Yasir and Anupreeta Das

Reporting from New Delhi

At least 108 people were killed and dozens more injured in the southern Indian state of Kerala after days of heavy rainfall set off multiple landslides in a hilly region, in what government officials called one of its worst natural disasters.

The landslides in the district of Wayanad — a region whose natural, rugged beauty draws millions of tourists every year — uprooted trees, knocked down communication lines, submerged roads and washed away a bridge. Rescue operations were hindered by the region’s terrain, which made it harder to reach hundreds of residents in the areas that were hit the hardest.

“This is one of the worst natural calamities Kerala has ever witnessed,” said Pinarayi Vijayan, the chief minister of Kerala, in a statement. Mr. Vijayan said the damage to homes and livelihoods was “immense,” adding that his government had set up relief camps for thousands of people affected.

The death toll rose throughout the day as rescue workers recovered more bodies from under debris, and the number was expected to rise as the search continued, according to government officials. More than 125 people were injured.

“We are fighting nature at its worst,” said Akhilesh Kumar, an official with India’s National Disaster Response Forces who was overseeing the rescue operation along with the Indian Army and firefighters.

In his statement, Mr. Vijayan said the government was sending tankers of drinking water and rations and setting up temporary hospitals. He said there were efforts underway to identify the dead even as search teams looked for other victims of the catastrophe.

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