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मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

मेरा स्कूल

विद्यालय अर्थात विद्या का आलय या घर, मतलब वो स्थान जहां विद्या उपार्जन होता हो। हमारे संस्कारों में विद्या को देवी का स्थान दिया गया है और विद्यालय को ‘मंदिर’ की उपमा दी गयी है। मेरा विद्यालय एक ऐसा विषय है, जिस पर अक्सर निबंध आदि लिखने को दिया जाता रहता है। हमारी जिन्दगी का सबसे अहम समय हम अपने विद्यालय में ही बिताते है। विद्यालय से हमारी ढ़ेरो यादे जुड़ी रहती है। इसलिए विद्यालय सबकी जिन्दगी में बहुत मायने रखता है।

मेरा विद्यालय पर छोटे – बड़े निबंध (Short and Long Essay on My School in Hindi, Mera Vidyalaya par Nibandh Hindi mein)

मेरा विद्यालय पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

मेरा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय है। मेरे विद्यालय में पठन पाठन उच्च स्तर का है। मेरे विद्यालय में शिक्षा के महत्त्व को समझते हुए, विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते है। मेरा विद्यालय सारी सुविधाओं से लैस है।

मेरे विद्यालय का स्थान

मेरे विद्यालय का नाम बाल निकेतन है। यह शहर की भीड़-भाड़ से दूर, बेहद शांत माहौल में विद्यमान है। इसके चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। जिस कारण वातावरण शुध्द रहता है और हमें शुध्द वायु भी मिलती है। मेरा विद्यालय मेरे घर से थोड़ी ही दूरी पर है। मेरे विद्यालय का व्यास बहुत बड़ा है। इसके चारों तरफ सुंदर-सुंदर फूलों की क्यारियां लगी है।

पठन पाठन का तरीका

हमारे विद्यालय का परिणाम (रिजल्ट) प्रति वर्ष शत-प्रतिशत आता है। मेरे विद्यालय की गणना शहर के अच्छे स्कूलों में की जाती है। मेरे विद्यालय में हर वर्ष वार्षिकोत्सव होता है, जिसमें कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये जाते हैं। जिसमें हर प्रतियोगिता में उत्तीर्ण बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है। मेरे विद्यालय में प्रायोगिक शिक्षा पर भी ध्यान दिया जाता है। हमारे शिक्षक हमारे भीतर कौशल के विकास पर भी ध्यान देते है।

हमारा और सरकार का यह दायित्व है की हमारा विद्यालय आदर्श विद्यालय बने। हमारे विद्यालय से आदर्श विद्यार्थी निकलने चाहिए, जो राष्ट्र को नई दिशा दे सके। 

निबंध 2 (400 शब्द) – विद्यालय की भूमिका

मेरा विद्यालय मुझे बहुत पसंद है। हमारा विद्यालय हमारे भविष्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी उपयोगिता कोई नज़रअंदाज नहीं कर सकता। विद्यालय ही है, जो हमें सामान्य से विशेष बनाता है। हमारी छिपी प्रतिभा को खोज निकालता है। हमारा स्वयं से साक्षात्कार कराता है।

विद्यालय की परिभाषा

विद्यालय अर्थात विद्या का आलय या घर। ऐसा स्थान जहां अध्ययन-अध्यापन के द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है।

विद्यालय की परिकल्पना

विद्यालय की परंपरा कोई नयी नहीं है। सदियों से हमारा देश ज्ञान का स्रोत रहा है। हमारे यहां आदिकाल से ही गुरुकुल परंपरा रही है। बड़े-बड़े राजा महाराजा भी अपना राजसी वैभव छोड़कर ज्ञान-प्राप्ति के लिए गुरुकुल जाते थे। यहा तक की ईश्वर के अवतार श्रीकृष्ण और श्रीराम भी पढ़ने के लिए गुरुकुल आश्रम गये थे। गुरू का स्थान ईश्वर से भी ऊपर होता है, संसार को ऐसी सीख दी।

विद्यालय की भूमिका

जिन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है, हमारा बाल्यकाल। यही वो समय होता है जब हम केवल खुद के लिए जीते है। दोस्त बनाते हैं। दोस्तों के साथ हंसते है, रोते है। जीवन का असली आनंद अनुभव करते हैं। इन सब खुशी के पलों में हमारा विद्यालय हमारे साथ होता है।

कभी-कभी तो मां-बाप से ज्यादा नजदीकी हमारे शिक्षक हो जाते है। हमें हर कदम पर थामने और सम्भालने के लिए तैयार रहते है। मां-बाप के डर के कारण बहुत से बच्चे अपने शिक्षकों से ही अपनी परेशानियां बताते है। विद्यार्थी के जीवन को सही राह एक शिक्षक ही दिखाता है।

विद्यालय सरकारी और निजी दोनों प्रकार होते है। आजकल ऐसी लोगों की धारणा हो गयी है कि केवल निजी विद्यालयों में ही पढ़ाई होती है। यह धारण गलत है। इसी बात का लाभ ढ़ेरो  विद्यालय वाले उठाते है। हर माता-पिता अपने बच्चों को श्रेष्ठ शिक्षा देना चाहते है। किंतु सबकी हैसियत इतनी नहीं होती कि वो इन विद्यालयों की मोटी शुल्क राशि को भर सकें।

आजकल शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है। सभी केवल अपनी जेब भरने में लगे है। बच्चों के भविष्य की किसी को चिंता नहीं है। दिन पर दिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। विद्यालय ही तो वो जरिया होता है, जहां से देश के भविष्य का सृजन होता है। सरकार ने इस संबंध में कई नियम बनाये हैं। किन्तु पालन तो आम जनता को ही करना है।

निबंध 3 (500 शब्द) – विद्यालय की विशेषताएं व प्रकार

मेरे विद्यालय का नाम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है। मेरे विद्यालय का परिसर काफी बड़ा है। मेरे विद्यालय में दो-दो मंजिल की चार इमारतें है। इसके चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए है। इसमें बड़े-बड़े पचास से भी ज्यादा कमरे है। हर कमरे में बड़ी-बड़ी खिड़कियां और दो-दो दरवाजे है। बड़े-बड़े तीन खेल के मैदान है। साथ में लगा हुआ बास्केट-बॉल कोर्ट भी है।

हमारे विद्यालय में पचास से ज्यादा शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं। सभी बहुत ही सहृदयी और मिलनसार है। बच्चों की हर संभव सहायता करते है।

विद्यालय की विशेषताएं

नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 (NCF 2005) और शिक्षा का अधिकार 2009 (RTE 2009) ने कुछ मानक तय कर रखे हैं, जिसके अनुसार ही विद्यालय की बनावट और वातावरण होना चाहिए। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 (NCF 2005) ने भारत में शिक्षा के स्तर में प्रोन्नति हेतु महत्वपूर्ण कदम उठायें हैं। जो बहुत कारगर भी सिध्द हुएं हैं। RTE 2009 ने विद्यार्थियों के समग्र विकास में विद्यालय की विशेष और महत्वपूर्ण भूमिका बतायी है। विद्यालय की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों की हर छोटी-बड़ी आवश्यकताओं का ध्यान रखे।

मानक के अनुसार कुछ विशेषताएं अधोलिखित हैं-

  • शांत वातावरण होना चाहिए।
  • ट्रेंड टीचर्स होने चाहिए।
  • विद्यालय का बोर्ड परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन होना चाहिए।
  • नियमित गृह कार्य दिया जाना चाहिए।
  • छात्र/छात्राओं के मूल्यांकन हेतु सतत मूल्यांकन पद्धति अपनायी जानी चाहिए।
  • स्वाध्याय हेतु एक पुस्तकालय एवं वाचनालय होना चाहिए।
  • अतिरिक्त पाठ्येतर गतिविधि पर बल देना चाहिए ।
  • विभिन्न विषयों में प्रतियोगी परीक्षाओं की व्यवस्था होनी चाहिए
  • अध्यापन हेतु कक्ष विशाल और हवादार होने चाहिए।
  • सी० बी० एस० ई० के निर्देशानुसार सत्र 2009 – 2010 से ही कक्षा 9 व् 10 में भी अंको के स्थान पर ग्रेडिंग व्यवस्था लागू कर दिया गया है, जिसका पालन होना चाहिए।
  • शीतल पेय-जल की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
  • समुचित शौचालयों का प्रबंध होना चाहिए ।
  • शारीरिक, योग, नृत्य एवं संगीत शिक्षा की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
  • छात्रो की अंतः क्रियाओं एवं मानसिक विकास हेतु वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि कराना चाहिए।
  • विद्यालय की वार्षिक पत्रिका छपनी चाहिए, जिसमें हर क्षेत्र के मेधावी बच्चों का उल्लेख होना चाहिए।
  • सभी कक्षाओं में स्मार्ट कक्षा की व्यवस्था होना चाहिए ।

विद्यालय के प्रकार

बचपन से बड़े होने तक हम अलग-अलग विद्यालयों में पढ़ते है। विद्यालयों के भी कई प्रकार होते हैं, जैसे

  • आंगनवाड़ी – आंगनवाड़ी में सामान्यतः छोटे बच्चों को बैठना और बाकी आधारभूत चीजें सिखाते हैं।
  • प्राथमिक विद्यालय – प्राथमिक पाठशाला में एक से पाँच तक की पढ़ाई होती है।
  • माध्यमिक विद्यालय – इस व्यवस्था में प्रथम से आठवीं तक की शिक्षा दी जाती है। कभी-कभी यह कक्षा छः से आठ तक भी होती है।
  • उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय – बारहवीं तक की शिक्षा यहां संपादित होती है।

विद्यालय में जब हमारा दाखिला होता है तो उस वक़्त हम नन्हें पौधे रहते हैं। हमारा विद्यालय ही हमे सींच कर बड़ा वृक्ष बनाता है। और इस दुनिया में रहने योग्य बनाता है। अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घड़ियां हम अपने विद्यालय में ही बिताते है। बड़े होने पर हम सबसे अधिक विद्यालय में बिताये लम्हों को ही याद करते हैं।

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FAQs: Frequently Asked Questions on My School (मेरा स्कूल पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- सन 1715 में, संत जॉर्ज एंग्लो-इंडियन हायर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई में है।

उत्तर- तक्षशिला

उत्तर- सन 1848 में सावित्री बाई फुले ने देश का पहला बालिका विद्यालय खोला था।

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मेरा विद्यालय पर निबंध –  Essay of my school in Hindi is Important for all classes 5th to 12th.

Essay on My School in Hindi – इस लेख में हमने विद्यालय के बारे में बताया है। विद्यालय और शिक्षा हमारे जीवन में किस प्रकार महत्व रखती है, यह हमने निबंध की सहायता से बताया है। School पर निबंध लिखने से पूर्व आपको अपने विद्यालय की छवि को अपने सम्मुख रखना चाहिए। इससे आपको निबंध लिखने में महत्वपूर्ण सहायता प्राप्त होती है।

सामग्री (Content)

मेरे विद्यालय पर निबंध 200 शब्दों में

विद्यालय स्थल, विद्यालय इमारत, विद्यालय परिसर, विद्यालय की सुख-सुविधाएँ, विद्यालय में अनुशासन, विद्यालय के विविध अध्यापक-अध्यापिकाएँ व् विविध विषय, विद्यालय के प्रधानाध्यापक, विद्यालय में प्रतियोगिताएँ, विद्यालय के समारोह, विद्यालय का परीक्षा-परिणाम.

स्कूल एक ऐसी जगह है जहां बच्चे बड़े हो सकते हैं और खेल सकते हैं। मेरा स्कूल वह है जहाँ मैं अपना अधिकांश दिन बिताता हूँ, और इसने मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरे स्कूल में अच्छी तरह से रखे गए बगीचों और खेल के मैदानों के साथ एक सुंदर परिसर है। इसमें एक अच्छी तरह से सुसज्जित पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशालाएँ और कंप्यूटर प्रयोगशालाएँ हैं, जो सभी हमारी पढ़ाई में सहायता करती हैं। कक्षाएँ विशाल और अच्छी तरह हवादार हैं, जिससे सीखने का अनुकूल माहौल बनता है। शिक्षाविदों के अलावा, मेरा विद्यालय खेल, संगीत, नृत्य और नाटक जैसी पाठ्येतर गतिविधियों पर जोर देता है। पूरे वर्ष के दौरान, स्कूल छात्रों को अपनी प्रतिभा और कौशल दिखाने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है। मेरे शिक्षक जानकार, अनुभवी और सहायक हैं। वे न केवल हमें विषय पढ़ाते हैं, बल्कि हमें व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से विकसित करने में भी मदद करते हैं। वे हमेशा हमारी सहायता करने और हमें आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए तैयार रहते हैं। संक्षेप में, मेरा विद्यालय सीखने की जगह से कहीं अधिक है; यह एक ऐसी जगह भी है जहाँ मैंने आजीवन दोस्त बनाए हैं, बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किए हैं, और ऐसी यादें बनाई हैं जिन्हें मैं अपने शेष जीवन के लिए संजो कर रखूँगा। मेरा स्कूल (My School) पर 10 लाइन

विद्यालय को प्राचीन काल से ही मंदिर का स्थान दिया गया है।  प्राचीन काल में बालक 6, 8 अथवा 11 वर्ष की अवस्थाओं में गुरुकुलों (विद्यालयों) में ले जाए जाते थे और गुरु के पास बैठकर ब्रह्मचारी के रूप में शिक्षा प्राप्त करते थे। गुरु उनके शारीरिक और बौद्धिक संस्कारों को पूर्ण करता हुआ, उन्हें सभी शास्त्रों एवं उपयोगी विद्याओं की शिक्षा देता तथा अंत में दीक्षा देकर उन्हें विवाह कर गृहस्थाश्रम के विविध कर्तव्यों का पालन करने के लिए वापस भेजता। वर्तमान के विद्यालय, प्राचीन काल के गुरुकुलों से बहुत अलग अवश्य हैं किन्तु आज भी विद्यालयों को मंदिरों का और अध्यापकों को भगवान् का दर्जा दिया जाता है।

मेरा विद्यालय बहुत सुंदर है और मुझे मेरा विद्यालय बहुत अच्छा लगता है। मेरा विद्यालय मेरे घर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, इसलिए हमारे विद्यालय से एक पीले रंग की स्कूल बस रोज़ सुबह 8 बजे समय पर मेरे घर के सामने मुझे लेने आती है और मेरी माता जी रोज मुझे बस में बिठा कर स्कूल भेजती हैं। मेरा विद्यालय शहर की भीड़भाड़ से दूर एकांत स्थल पर है। प्राचीन काल से ही विद्यालयों के लिए ऐसे स्थान को उपयुक्त समझा जाता था, जहाँ पर किसी प्रकार का शोर न हो, क्योंकि पढ़ाई के लिए शांति की आवश्यकता होती है। मेरा विद्यालय बहुत बड़ी जगह में फैला हुआ है, इसके चारों ओर ऊँची-ऊँची दीवारें हैं।

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मेरे विद्यालय की इमारत चार मंजिला है। जो अंग्रेज़ी के L आकार में निर्मित की गई है। विद्यालय में 80 कमरे हैं। प्रत्येक कमरे में हवादार खिड़कियाँ हैं। इन कमरों की चपरासी द्वारा रोज सफाई की जाती है जिससे हम स्वच्छ माहौल में पढ़ाई कर पाते है। मेरे विद्यालय में कक्षा 6 से कक्षा 12 तक की पढ़ाई होती है। मैं कक्षा आठ में पढ़ता हूँ। मेरी कक्षा विद्यालय के द्वितीय मंजिल पर है।

मेरे विद्यालय के पीछे की ओर एक बहुत बड़ा मैदान है। जिसमें हम सभी विद्यार्थी खेल-कूद का आनंद लेते हैं। यही पर हमारा प्रार्थना स्थल है जहां पर हम सुबह प्रार्थना करते है और अपने दिन की शुरुआत करते हैं। विद्यालय के मैदान के चारों ओर बड़े-बड़े वृक्ष लगे हुए हैं और छोटी-छोटी घास लगी हुई है। विद्यालय परिसर में कई छोटी-छोटी वाटिकाएँ भी हैं, जिनमें रंग-बिरंगे फूल खिले होते है। इससे हमारे विद्यालय का वातावरण बहुत ही अच्छा रहता है और यह देखने में भी बहुत सुंदर लगता है।

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(i) विद्यालय में प्रवेश करते ही माँ सरस्वती का मंदिर है जहाँ हम रोज जाकर प्रार्थना करते हैं और माँ सरस्वती का आशीर्वाद लेकर अपनी पढ़ाई शुरू करते हैं। (ii) मेरे विद्यालय में कक्षा 6 से कक्षा 12 तक के विषयों को हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों माध्यमों में पढ़ाया जाता है। (iii) विद्यालय में जल की व्यवस्था के लिए चार वाटर कूलर लगे हुए हैं जिससे हमें गर्मियों में ठंडा पानी मिलता है और साधारण पानी के लिए पानी की छ: बड़ी टंकियाँ हैं। (iv) मेरे विद्यालय के दोनों तरफ छात्र छात्राओं के लिए अलग-अलग 10 शौचालयों की व्यवस्था है। (v) विद्यालय में एक बड़ी लाइब्रेरी है, जिसमें हम हर रोज जाकर समाचार, पत्र पत्रिकाएँ एवं कहानियों की किताबें पढ़ते हैं। (vi) हमारे विद्यालय में 100 कंप्यूटरों का एक बड़ा कक्ष है, जिसमें हर दिन हमारी एक कक्षा कंप्यूटर से संबंधित होती है। (vii) मेरे विद्यालय में शिक्षकों के बैठने के लिए एक स्टाफ रूम की व्यवस्था भी है, जिसमें सभी शिक्षक बैठकर आपस में विचार विमर्श करते है। (viii) मेरे विद्यालय में प्रत्येक कक्षा में विद्यार्थियों के बैठने के लिए टेबल और कुर्सी की व्यवस्था की गई है और गर्मियों में हवा के लिए प्रत्येक कक्षा में चार पंखे लगे हुए है। (ix) हर कक्षा के बाहर छोटा कूड़ादान रखा गया है, जिसमें विद्यार्थी अपनी कक्षा का कूड़ा डालते हैं। इससे विद्यालय में गंदगी नहीं फैलती। (x) प्रत्येक कक्षा में एक बड़ा ब्लैक बोर्ड है जहाँ पर हमारे अध्यापक-अध्यापिकाएँ आकर हमें किसी भी विषय के बारे में लिखकर समझाते है। (xi) विद्यालय में एक तरणताल भी है, जहाँ छात्र तैराकी करते और सीखते हैं। (xii) विद्यालय में एक विशाल सभागार भी है, जहाँ पर उत्सवों और रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। (xiii) हमारा विद्यालय गरीब छात्रों के लिए वर्दी और पुस्तकों का भी उचित प्रबंध करता है। योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति भी दी जाती है।

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अनुशासन किसी भी व्यक्ति की सफलता में अहम् भूमिका निभाता है। जब बच्चा छोटा होता है तो वह पहले परिवार से तथा बाद में विद्यालय में जाकर अनुशासन के महत्त्व को समझता है। अनुशासन की दृष्टि से हमारा विद्यालय बहुत कठोर है। विद्यालय में यदि कोई विद्यार्थी अनुशासन का उल्लंघन करता है तो उसे कड़ा दंड दिया जाता है। प्रतिदिन वर्दी, नाखून और दाँतों का निरिक्षण किया जाता हैं। प्रत्येक विद्यार्थी के घर पर उसके अनुशासन की मासिक रिर्पोट भेजी जाती है।

हमारे विद्यालय में कुल 50 अध्यापक-अध्यापिकाएँ है, जो कि प्रत्येक कक्षा में अलग-अलग विषय पढ़ाते हैं। सभी अध्यापक-अध्यापिकाएँ अपने-अपने विषयों में विद्वान है जिस कारण हमें हर विषय सरलता से समझ में आ जाता है। हमारे विद्यालय में प्रत्येक सप्ताह योगा की कक्षा भी होती है जिसमें योगा करना सिखाया जाता है तथा योगा के महत्त्व को समझाया जाता है। हमें अपने स्वास्थ्य को कैसे अच्छा रखना है, यह भी बताया जाता है। योगा से हमारे तन-मन में चुस्ती और स्फूर्ति बनी रहती है, जिससे हमारा पढ़ाई में मन लगा रहता है।

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हमारे विद्यालय के प्रधानाध्यापक बहुत ही शांत और अच्छे व्यक्तित्व के व्यक्ति हैं। वह हमें हमेशा कुछ नया करने की सलाह देते हैं और रोज प्रार्थना में हमें एक शिक्षाप्रद कहानी सुनाकर हमें शिक्षा का महत्व बताते है। उन्होंने जब से विद्यालय का कार्यभार संभाला है, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और साथ ही विद्यालय की प्रतिष्ठा भी बढ़ गई है।

हमारे विद्यालय में प्रत्येक सप्ताह कोई ना कोई प्रतियोगिता होती रहती है, जैसे – चित्र-कला, वाद-विवाद, कविताएँ आदि की प्रतियोगिताएँ होती रहती है। जिसमें सभी विद्यार्थी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। हमारे विद्यालय में कुछ बड़ी संस्थाओं द्वारा भी प्रतियोगिताएँ रखी जाती है, जिसमें विद्यार्थियों को इनाम के तौर पर कभी-कभी कुछ शुल्क भी दिया जाता है। हमारे विद्यालय का मैदान बड़ा होने के कारण खेलकूद की जिला स्तरीय प्रतियोगिताएँ हमारे विद्यालय में ही होती है। इसमें हमारे विद्यालय के विद्यार्थी भी भाग लेते हैं। मेरे विद्यालय में हॉकी, फुटबॉल, वॉलीबॉल, बैडमिंटन, क्रिकेट, कबड्डी आदि की प्रतियोगिताएँ होती है।

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विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है कि विद्यार्थियों का शारीरिक, मानसिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक विकास भी हो। इसके लिए हमारे विद्यालय में हर साल 15 अगस्त, 26 जनवरी और वार्षिक उत्सव पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है। जिनमें सभी विद्यार्थी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन हमारे विद्यालय में एन.सी.सी. के विद्यार्थी परेड करते हैं, इसके बाद हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य हमारे देश का तिरंगा झंडा फहराते हैं, फिर हमारे देश का राष्ट्रगान गाया जाता है और इसके पश्चात देशभक्ति गीतों  पर तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है। विद्यालय के वार्षिकोत्सव के दिन भी बहुत सारे सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। इसके साथ ही स्कूल में अलग-अलग गतिविधियों में प्रथम, द्वितीय और तृतीय  आए विद्यार्थियों को पुरस्कार दिए जाते है।

हमारे विद्यालय का परिणाम हर वर्ष शत-प्रतिशत ही रहता है, जिसके कारण हमारा विद्यालय हमारे शहर का जाना-माना विद्यालय बन गया है। विद्यालय के परीक्षा-परिणाम  के शत-प्रतिशत रहने का कारण यहाँ के शिक्षकों का विद्वान और अच्छे व्यक्तित्व का होना भी है, जो विद्यार्थियों के सभी प्रश्नों को धैर्य के साथ सुनते हैं तथा उनका समाधान करते हैं। अध्यापकों के साथ-साथ बच्चों और उनके अभिभावकों की मेहनत के कारण भी विद्यालय का परीक्षा परिणाम हर वर्ष शत-प्रतिशत रहता है।

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किसी भी राष्ट्र की सर्वोत्तम निधि उस राष्ट्र के बच्चों को कहा जाता है। राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक है कि बच्चों का सर्वांगीण विकास अच्छे से हो और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विद्यालय एक उपयुक्त जगह है। जहाँ पर बच्चा पढ़-लिख कर सुसंस्कृत और सभ्य नागरिक बनता है और देश की प्रगति में अपना सहयोग देता है। विद्यालय और शिक्षा का एक व्यक्ति के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान होता है। अतः हम सभी को चाहिए कि हम प्रत्येक बच्चे को विद्यालय और शिक्षा के समीप लाएँ ताकि वह देश की प्रगति में अपना अथाह सहयोग प्रदान करे।

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Hindi Writing Skills

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मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi

इस पोस्ट में हमने मेरा विद्यालय पर निबंध (Essay on My School in Hindi) हिन्दी में लिखा है। स्कूल के विद्यार्थी जो मेरी पाठशाला पर निबंध की खोज में हैं वे इस स्कूल पर सुंदर निबंध की मदद ले सकते हैं।

यह मेरी पाठशाला या मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi – Class 3, 4, 5, 7 मे अधिकतर पूछा जाता है।

Table of Content

मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi (1000 Words)

विद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहां लोग बहुत कुछ सीखते हैं और पढ़ते हैं। इसे ज्ञान का मंदिर कहा जाता है। अपने विद्यालय या पाठशाला में हम सब जीवन का सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं जिसमे हम कई विषयों में शिक्षा लेते हैं ।

स्कूल में हमारे अध्यापक गण अपना ज्ञान हमें प्रदान कर सफलता पाने का सही रास्ता दिखाते हैं। आज इस लेख में मैंने मेरे विद्यालय पर बच्चों और विद्यार्थियों के लिए निबंध प्रस्तुत किया है।

मेरे विद्यालय का नाम और रूप Name and Structure of My School

मेरे विद्यालय का नाम अरविन्द पब्लिक स्कूल है। मेरा विद्यालय बहुत बड़ा और भव्य है, यह भुबनेश्वर में स्थित है।  यह तीन मंजिला है और इसकी  इमारत बहुत ही सुन्दर है। यह मेरे घर के पास शहर के केंद्र में स्थित है।

विद्यालय की दूरी कम होने के कारण मैं चलकर ही विद्यालय जाता हूं। मेरा विद्यालय पूरे राज्य में सबसे अच्छा और बड़ा है। मेरे विद्यालय के चारों ओर का स्थान बहुत शांतिपूर्ण और प्रदूषण से मुक्त है।

मेरे विद्यालय की सुविधाएँ Facilities in My School

सबसे नीचे विद्यालय में ऑडिटोरियम है जहां सभी वार्षिक कार्य और बैठकें संपन्न होती हैं। स्कूल में दोनों सिरों पर सीढ़ियां हैं, जो हमें हर एक मंजिल तक ले जाती हैं।

पहली मंजिल पर एक बड़ा पुस्तकालय है, जो कि पुस्तकों से अच्छी तरह से सुसज्जित है इसमें अनेक विषयों से संबंधित किताबे है। यहां पर वाद्य यंत्र की कक्षायें भी है इसके अलावा एक विज्ञान प्रयोगशाला है।

इसमें विज्ञान और वाणिज्य में 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए कक्षाएं हैं तथा नर्सरी के बच्चों के लिए भी यही कक्षायें बनायी गई है और दूसरी मंजिल पर एक कंप्यूटर प्रयोगशाला है, तथा यहाँ पर कक्षा पांच से दश तक के छात्र एवं छात्राओं की पढाई के लिए उत्तम व्यवस्था की गई है।

विद्यालय में पीने के पानी एवं शौचालय की भी उत्तम व्यवस्था है। शिक्षक सभी छात्रों के अंको और अन्य छात्रों से संबंधित बातों की पूर्ण जानकारी रखते है। विद्यालय में अलग-अलग कामों के लिये नौकर लगाये गये जो अपने-अपने कामों को नियम पूर्वक करते है।

जिसमें से एक रात्री के समय विद्यालय की देखभाल के लिये वहां रहता भी है। उसके लिए विद्यालय के किनारे पर एक छोटा सा घर बनाया गया है।  

हम सभी बच्चों के खेलने के लिए एक बड़ा खेल का मैदान है जहाँ कई झूले है और एक बड़ा बगीचा है जिसमें कई सारे फूल खिले रहते है, कई आम और अमरुद के बड़े-बड़े पेड़ लगे है। सभी कक्षाएं बहुत हवादार और खुली हुई हैं।

ड्राइंग रूम, म्यूजिक रूम, साइंस लेबोरेटरीज और ऑडियो वीडियो रूम भी हैं। हमारे विद्यालय में पांच हजार छात्र हैं। जिनमें 2000 लड़कियां और 3000 लड़के है। हमारे स्कूल के ज्यादातर छात्र ज्यादातर स्कूल इंटर-स्कूल प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और उच्च स्थान लाते हैं और सभी गतिविधियों का समर्थन करते है।

मेरे स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक Principal and Teachers of My School

हमारी प्रधानाचार्या श्रीमति कल्पना जी बहुत दयालु महिला हैं। हमारे स्कूल में, 90 शिक्षक हैं , जो हमें ज्ञान देते हैं। और हमें प्यार भी करते है। विभिन्न गतिविधियों और कार्यों को साल भर आयोजित किया जाता है। मुझे अपने स्कूल पर बहुत गर्व है।

मैं अपने स्कूल से प्यार करता हूं और सम्मान करता हूं। मेरे विद्यालय की कई अलग अलग शहरों में शाखाएं है। मेरे विद्यालय पीले रंग से रंग किया गया है। यह पीला रंग आँखों को लुभाता है इस कारण मेरा विद्यालय दूर से ही सबसे अनोखा दिखाई पड़ता है।

प्रिंसिपल ऑफिस, हेड ऑफिस, क्लर्क रूम, स्टाफ रूम और आम स्टडी रूम सबसे नीचे बने हुये हैं। स्कूल कैंटीन, स्टेशनरी की दुकान, शतरंज कक्ष, और स्केटिंग हॉल भी जमीन तल पर स्थित हैं। स्कूल के प्रधानाचार्या ऑफिस के सामने मेरे स्कूल में दो बड़ी सीमेंट वाली बास्केटबाल कोर्ट हैं जबकि फुटबॉल मैदान इसके दूसरे तरफ है। मेरे स्कूल में एक छोटा हराभरा उद्यान भी है, जो मुख्य कार्यालय के सामने, रंगीन फूलों और सजावटी पौधों से भरा है जो पूरे स्कूल परिसर की सुंदरता बढ़ाता है।

मेरे विद्यालय में शिक्षा व उत्सव Education and Celebrations in My School

मेरे स्कूल के अध्ययन मानदंड बहुत ही रचनात्मक हैं जो हमें किसी भी कठिन विषय को आसानी से समझने में मदद करते हैं। हमारे शिक्षक हमें बहुत ईमानदारी से सब कुछ सिखाते हैं और हमें व्यावहारिक रूप से ज्ञान भी देते हैं।

मेरे विद्यालय में साल के सभी महत्वपूर्ण दिन जैसे खेल दिवस , शिक्षक दिवस , मातृ-पितृ दिवस , बाल दिवस , सालगिरह दिवस, संस्थापक दिवस, गणतंत्र दिवस , स्वतंत्रता दिवस , क्रिसमस दिवस , मातृ दिवस, वार्षिक समारोह, नव वर्ष , गांधी जयंती, आदि एक भव्य तरीके से मनाये जाते है।

मेरा विद्यालय उन छात्रों को बस सुविधा प्रदान करता है जो बच्चे स्कूल से बहुत दूर रहते हैं। सभी छात्र सुबह खेल के मैदान में इकट्ठे होते हैं और सुबह की प्रार्थना करते हैं और फिर सभी अपनी कक्षाओं में जाते हैं।

मेरा स्कूल हर साल लगभग 2000 छात्रों को नर्सरी कक्षा में प्रवेश प्रदान करता है। मेरे विद्यालय में विभिन्न विषयों जैसे गणित, अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, जीके, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, चित्रकला, खेल और शिल्प इत्यादि के लिए अलग-अलग अध्यापक हैं।

मेरे विद्यालय में पाठ्यक्रम गतिविधियाँ Curriculum activities in My School

हमारे विद्यालय में तैराकी, स्काउटिंग, एनसीसी, स्कूल बैंड, स्केटिंग, गायन, नृत्य इत्यादि कई सह-पाठ्यचर्या गतिविधियाँ हैं। विद्यालय के मानदंडों के अनुसार कक्षा शिक्षक द्वारा अनुचित व्यवहार और अनुशासित गतिविधियों वाले छात्रों को दंडित भी किया जाता है।

हमारे प्रधानाचार्या हमारे चरित्र निर्माण, शिष्टाचार, नैतिक शिक्षा, अच्छे मूल्यों को प्राप्त करने और दूसरों का सम्मान करने के लिए 10 मिनट के लिए मीटिंग हॉल में प्रतिदिन प्रत्येक छात्र की कक्षाएं लेते हैं। इस तरह मेरी प्रधानाचार्या एक अच्छी शिक्षक भी है।

विद्यालय जाने का समय My School Time

विद्यालय जाने का समय सुबह 7:30 से 2:30 गर्मियों में और सर्दियों में 9:30 से 4:30 तक है। सभी छोटे बच्चों और बड़े बच्चों के लिये छुट्टी होने पर स्कूल से निकलने का अलग-अलग रास्ता है ताकि छोटे बच्चों को बाहर निकलने में कोई परेशानी न हो।

मेरा विद्यालय पर 10 लाइन 10 Lines on My School in Hindi

  • मेरा विद्यालय बहुत ही सुन्दर है।
  • मेरा विद्यालय ज्ञान का मंदिर है।
  • मेरे स्कूल में सभी प्रकार की शिक्षा और पाठ्यक्रम गतिविधियों की सुविधाएँ है।
  • मेरे विद्यालय में कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों को शिक्षा दी जाती है।
  • मेरे विद्यालय में बहुत बड़ा खेलने का मैदान है जिसमे बच्चे फुटबॉल और क्रिकेट भी आसानी से खेल सकते हैं।
  • मेरे विद्यालय में शिक्षा बहुत ही अच्छे प्रिंसिपल और शिक्षक हैं।
  • मेरे स्कूल में सभी प्रकार के खेल-कूद की ट्रेनिंग दी जाती है।
  • स्कूल में कई प्रकार के प्रतियोगिताओं का आयोजन समय-समय पर किया जाता है।
  • मेरा विद्यालय बहुत ही साफ़-सुथरा है क्योंकि यहाँ स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत सफाई पर बहुत ध्यान दिया जाता है।
  • हर साल मेरे विद्यालय के सभी छात्र और अध्यापक पिकनिक मनाने जाते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

हमारे विद्यालय के शिक्षक बहुत ही अनुभवी और योग्य है। शिक्षकों और हमारी प्राचार्या के नेतृत्व में हमारा विद्यालय लगातार उन्नति कर रहा है।  आशा करते हैं आपको मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi हिन्दी में अच्छा लगा होगा।

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नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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42 Comments

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Mera Vidyalaya | Meri Pathshala Nibandh- मेरी पाठशाला पर निबंध हिंदी में

In this article, we are providing Meri Pathshala Nibandh | Essay on My school in Hindi मेरी पाठशाला निबंध हिंदी | Nibandh in 100, 200, 250, 300, 500 words For Students & Children.

दोस्तों आज हमने Mera Vidyalaya | Meri Pathshala Nibandh in Hindi Essay लिखा है मेरी पाठशाला | मेरा विद्यालय पर निबंध हिंदी में कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, और 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए है।

Meri Pathshala Nibandh – मेरी पाठशाला पर निबंध

Mera Vidyalaya Nibandh in Hindi – मेरा विद्यालय निबंध हिंदी में ( 200 words )

मेरी पाठशाला का नाम ‘विवेक हाईस्कूल’ है। यह लिंक रोड, शांति कुंज में है।

मेरी पाठशाला बहुत बड़ी है। इसमें कई कमरे हैं। इन कमरों में कक्षाएँ लगती हैं। कुछ कमरों में प्रयोगशाला, पुस्तकालय, कम्प्यूटर रूम आदि हैं । एक कमरा कार्यालय है। यहाँ हमारे प्रधानाध्यापक बैठते हैं । मेरी पाठशाला के कमरे स्वच्छ और हवादार है।

पाठशाला में अनेक शिक्षक, शिक्षिकाएँ हैं। हमारे शिक्षक बड़े योग्य हैं। वे हमें प्यार से पढ़ाते हैं। हम अपने शिक्षकों का आदर करते हैं। मेरी पाठशाला में हमें अनेक विषय पढ़ाए जाते हैं जैसे, गणित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, अंग्रेजी, हिन्दी, मराठी और सामान्य ज्ञान। हमें कम्प्यूटर, चित्रकारी और संगीत की भी शिक्षा दी जाती है।

पाठशाला के सामने खेल का एक बड़ा मैदान है। खेल के घंटे में हम यहाँ खेलते हैं। यही हमारे पी.टी. सर हमें पी.टी. कराते हैं। मेरी पाठशाला सुबह 8:30 पर शुरू होती है और 2 बजे दोपहर को बन्द हो जाती है। मैं हर दिन स्कूल जाता हूँ।

हमारे प्रधानाध्यापक श्रीमान रजत शर्मा हैं। वे हम बच्चों से बहुत मधुर व्यवहार करते हैं । गलती पर वे सज़ा भी देते हैं। सारे विद्यार्थी एवं शिक्षक उनका आदर करते हैं।

मेरी पाठशाला सबसे अच्छी है। मैं वहाँ हर दिन नई बातें सीखता हूँ।

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Essay on My School in Hindi – मेरी पाठशाला निबंध हिंदी में  ( 250 words )

मैं दिल्ली पब्लिक स्कूल का छात्र हूँ। यह विद्यालय नगर के प्रसिद्ध विद्यालयों में से एक है। इसका परीक्षा परिणाम पर प्रशंसनीय रहता है। खेल-कूद और दूसरी गतिविधियों में भी यह अग्रणी रहता है। मेरे विद्यालय की दो मंजिली इमारत तो देखते ही बनती है। इसकी एक निराली शान है। खेल के मैदान, तरणताल व छात्रावास की भी व्यवस्था है।

मेरे विद्यालय में लगभग तीन हजार छात्र-छात्राएँ शिक्षा पाते हैं। हमारे अध्यापक-अध्यापिकाओं की संख्या लगभग सौ से ऊपर है। दूसरे स्टाफ की संख्या भी बहुत है। दूर-दूर से छात्र बसों द्वारा यहाँ पढ़ने आते हैं। सारे अध्यापक बहुत अनुभवी, उच्च शिक्षा प्राप्त, प्रशिक्षित और परिश्रमशील हैं। हमारे प्रधानाचार्य तो गुणों की खान ही हैं। वे हमारे साथ बहुत ही मद् तथा पिता तुल्य व्यवहार करते हैं। अनुशासन के मामले में वे बड़े कठोर हैं। थोड़ी-सी भी लापरवाही या अव्यवस्था उन्हें सहन नहीं। लेकिन वे शारीरिक दण्ड में कम विश्वास करते हैं।

हमारे स्कूल का पुस्तकालय तो अपने आप में एक उदाहरण है। उसमें सभी विषयों की हजारों पुस्तकें हैं, विश्वकोष हैं, पत्र-पत्रिकाएँ हैं और एटलस, मानचित्र आदि हैं। वहाँ से हम पुस्तकें घर भी ले जा सकते हैं। विद्यार्थी अपना बहुत सा समय वहाँ पढ़ने-लिखने में व्यतीत करते हैं। पुस्तकालय में एक अध्यक्ष हैं और कई अन्य कर्मचारी। वे सभी हमारे साथ बड़ा सहयोग करते हैं।

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Mera Vidyalaya Nibandh – मेरा विद्यालय निबंध ( 300 words )

विद्यालय का दूसरा नाम पाठशाला या स्कूल है। बच्चों को शिक्षा देने का उत्तम स्थान है। यहाँ दूर-दूर से बच्चे पढ़ने आते हैं। शिक्षा ग्रहण करने पर बच्चे विद्वान बनते हैं और अपने भावी जीवन में सफल होते हैं।’

मेरा विदयालय रूप नगर में है। इसका नाम स डी पब्लिक स्कूल है। यह दिल्ली के माने हुए स्कूलों में से एक है। यहाँ तीन हजार बच्चे पढ़ते हैं। यहाँ एक सौ अध्यापक तथा अध्यापिकाएँ पढ़ाती हैं।

मेरे विद्यालय के दो बड़े भवन हैं। इसमें 120 कमरे हैं। हर कमरे में हवा तथा रोशनी का प्रबन्ध है। हर कमरे में श्यामपट और बिजली का पंखा लगा हुआ है। अध्यापक तथा बच्चों के लिए मेजें और कुर्सियाँ बिछी हुई हैं। वहाँ बच्चों के खेलने के लिए तीन बड़े मैदान हैं जहाँ सवेरे तथा शाम बालक और बालिकाएँ खेलते हैं।

मेरे स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ खेलों और अनुशासन का भी ध्यान रखा जाता है। हर वर्ष हमारे स्कूल में बच्चों की परीक्षा का परिणाम बड़ा अच्छा निकलता है। यहाँ दो पी. टी. मास्टर हैं जो बच्चों को सवेरे तथा शाम कई खेलों का अभ्यास कराते हैं। यहाँ एक बड़ा हॉल है जहाँ गोष्ठियाँ, वाद विवाद, प्रतियोगिताएँ आदि होती हैं। यहाँ कभी-कभी शिक्षाप्रद चलचित्र भी दिखाए जाते हैं।

मेरा विद्यालय बारहवीं कक्षा तक है। यह सवेरे सात बजे लगता है और दोपहर एक बजे बन्द हो जाता है। स्कूल की अपनी बसें हैं जो बच्चों को उनके घर से ले आती हैं और छोड़ आती हैं। स्कूल में पुस्तकों की दुकान है जहाँ से हम पुस्तकें और अभ्यास पुस्तिकाएँ खरीदते हैं। यहाँ किट शाप भी है जहाँ हम स्कूल की तैयार पोशाक खरीद सकते हैं।

मेरे विद्यालय में वाचनालय का भी प्रबन्ध है जहाँ हम समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ पढ़ते हैं। मि. नैयर हमारे स्कूल के प्रिंसिपल हैं। मुझे मेरा स्कूल बहुत अच्छा लगता है।

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Meri Pathshala Nibandh Essay in Hindi – मेरी पाठशाला निबंध ( 500 words )

हमारा श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय, रूपनगर विष्णुपदी गंगा के पावन तट पर अवस्थित है। इसका नामकरण बिहार-केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के उदात्त व्यक्तित्व को उजागर करता है। पटना के अशोक राजपथ से लगभग तीस किलोमीटर पर निर्मित यह विद्यामंदिर राज्य का एक प्रमुख शिक्षा-केंद्र है।

हमारे विद्यालय में लगभग सात सौ छात्र हैं तथा तीस शिक्षक। अधिकांश शिक्षक एम. ए. तथा एम. एस-सी. योग्यतावाले हैं। हमारे प्रधानाध्यापक श्री रामयश सिंह को राज्य के प्रायः सभी शिक्षाप्रेमी जानते हैं। उनका जीवन साधना एवं त्याग का जीवन है। यही कारण है कि हमारे शिक्षकगण भी उनके नेतृत्व में काम करना अपना गौरव समझते हैं। यहाँ केवल सातवें से दसवें वर्ग के छात्र पढ़ते हैं। सातवीं और आठवीं श्रेणियों में चार-चार तथा नौवीं और दसवीं श्रेणियों में तीन-तीन उपवर्ग (sections) हैं।

हमारे विद्यालय में पढ़ाई का बहुत उत्तम प्रबंध है। छात्रों को गृहकार्य भी दिया जाता है और हमारे शिक्षक छात्रों की उत्तरपुस्तिका को मनोयोगपूर्वक देखते हैं। वर्ष में दो बार आवधिक परीक्षाएँ तथा एक बार वार्षिक परीक्षा होती है। परीक्षा में किसी प्रकार का पक्षपात न हो, इसलिए प्रधानाध्यापक प्रतीक-पद्धति द्वारा विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं का प्रथम पन्ना बदल देते हैं और नामों के बदले प्रतीक से काम लेते हैं। उनके इस कार्य में उपप्रधानाध्यापक सहायता पहुँचाते हैं। यद्यपि अधिकांश छात्र गाँवों से आते हैं, लेकिन दसवीं श्रेणी के सभी छात्रों का छात्रावास में रहना अनिवार्य कर दिया जाता है। छात्रावास में अंतिम कक्षा के छात्रों की विशेष पढ़ाई की व्यवस्था की जाती है। यही कारण है कि हमारे यहाँ के अधिकांश छात्र मैट्रिकुलेशन परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होते हैं। शायद ही कोई वर्ष ऐसा रहा हो, जब हमारे विद्यालय का कोई छात्र योग्यता-छात्रवृत्ति (merit scholarship) न ले। यही कारण है कि कई बार बिहार के शिक्षामंत्री हमारे विद्यालय में शिक्षा-व्यवस्था देखने आये और हमारे सहपाठियों के उत्तर से प्रसन्न होकर उन्होंने कई सहस्र का अनुदान दिया।

हमारे विद्यालय में एक अच्छा पुस्तकालय है, जिसमें सभी विषयों की पुस्तकें विद्यमान हैं। पुस्तकालय-भवन में ही वाचनालय है, जिसमें लगभग एक दर्जन दैनिक, मासिक तथा साप्ताहिक पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं। विद्यालय तथा छात्रावास में रेडियो है। जब कभी आकाशवाणी से विद्यालयीय कार्यक्रम प्रसारित किया जाता है, तो हम राज्य के विख्यात विद्वानों की वार्ताओं से लाभान्वित होते हैं।

हमारे विद्यालय के पीछे एक बड़ा-सा आयताकार क्रीडाक्षेत्र है, जिसमें छात्र फुटबॉल, पालीबॉल, क्रिकेट, बैडमिण्टन इत्यादि खेलते हैं। शायद ही कोई वर्ष ऐसा रहा हो, जब हमारा विद्यालय कोई-न-कोई शील्ड न जीतता हो।

शिक्षण की एकरसता दूर करने तथा विशेष ज्ञानवर्द्धन के लिए हमारे प्रधानाध्यापक गोष्ठियों, पनववादों एवं भाषणों का आयोजन करवाते हैं। हमारे विद्यालय में गोस्वामी तुलसीदास की पता बड़ी धूमधाम से मनायी जाती है। तुलसी-सप्ताह के अंतर्गत सात दिनों तक रामायण-पाठ चलता है। छात्रों के बीच निबंध तथा भाषण की प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। अंतिम दिन तुलसी-साहित्य के किन्हीं वरिष्ठ विद्वान का हम प्रवचन सुनते हैं तथा उनका भाषण टेप कर लेते हैं और उसे हम अपने इच्छानुसार सुनते रहते हैं।

चाहे पढ़ाई का क्षेत्र हो या क्रीड़ा का, हमारे विद्यालय का नाम प्रथम रहता है। हम छात्र अपनी सारी शक्ति लगाकर अध्ययन करते हैं, ताकि हमारे विद्यालय की प्रतिष्ठा में चार चाँद लगता रहे। हमारे आचरण पर भी हमारे गुरुजनों के सदाचरण की अमिट छाप रहती है। हमारे आचरण को देखकर “एटन’ और ‘हैरो’ के छात्रों का आचरण स्मरण हो आना स्वाभाविक-सा लगता है।

भारतवर्ष एक दिन जगद्गुरु के सर्वोच्च आसन पर विराजमान था। आज हमारे देश में शिक्षा में भले ह्रास हो गया हो, परंतु यदि हमारे विद्यालय-जैसे सभी विद्यालय हो जायँ, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश अपनी नष्टप्राय मर्यादा प्राप्त कर संसार में पुनः समादृत हो।

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इस लेख के माध्यम से हमने Mera Vidyalaya | Meri Pathshala Nibandh | My school Essay in Hindi का वर्णन किया है और आप यह निबंध नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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Nibandh

मेरा विद्यालय पर निबंध

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रूपरेखा : मेरे विद्यालय का परिचय - विद्यालय की विशेषताएँ - विद्यार्थियों की प्रतिभा - मेरे विद्यालय की पुस्तकालय - भारत यात्रा और सालगिरह - मेरे विद्यालय में कमियाँ - विद्यालय के प्रति हमारा कर्तव्य - उपसंहार।

मेरे विद्यालय का नाम ज्ञानदीप पब्लिक विद्यालय है | इसमें पहली से दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है। यह सेण्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्डरी एजूकेशन, बिहार से सम्बद्ध है। इसमें लगभग 812 विद्यार्थी हैं, 29 अध्यापक हैं, चार क्लर्क हैं, चार चपरासी, तीन सफाई कर्मचारी तथा दो वाटर-मैन हैं। मेरे विद्यालय का भवन विशाल और बहुत ही सूंदर है। श्रेणी कक्षों के अलावा प्राचार्य तथा क्लर्क रूम हैं। इनके अतिरिक्त एक बड़ा 'टीचर्स रूम' है तथा एक विशाल पुस्तकालय कक्ष भी है। स्वागत कक्ष, संगीत, आलेखन, इंडोरगेम, एन.सी.सी. के लिए भी एक बड़ा सा कक्ष हैं। विद्यालय-भवन के साथ ही एक बड़ा खेल का मैदान है।

विद्यालय को प्रथम विशेषता है विद्यालय का अनुशासन। विद्यालय का वातावरण बहुत ही शांत है । कोई विद्यार्थी व्यर्थ में ना घूमता मिलेगा नाही कही बैठा हुआ मिलेगा। कोई बाहरी आदमी अध्ययन के समय कक्षाओं के सामने से नहीं गुजर पाएगा। कोई कक्षा बिना अध्यापक के नहीं होगी। कोई अध्यापक ऐसा नहीं होगा जिसका ' पीरियड ' हो और वह अपने कक्षा में न हो। वातावरण की यह विशेषता ही छात्रों को अध्ययन करने की प्रेरणा देती है।

विद्यालय की दूसरी विशेषता है 'स्वच्छता'। विद्यालय आरम्भ होने से पहले प्रत्येक कमरा साफ होता है। शीशे, दरवाजे, तथा बेंच साफ होते है। कागज या रोटी का टुकड़ा, फलों या सब्जी के छिलके फर्श तथा गैलरी में नहीं मिलेंगे। कूड़ा-करकट डालने के लिए स्थान-स्थान पर 'डस्ट-बिन' रखे गए हैं। पेशाब-घर तथा शौचालय दुर्गन्ध रहती हैं।

विद्यालय की तीसरी विशेषता है 'शिक्षण'। शिक्षण एक कला है और सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। कलात्मक शिक्षण अथवा कला के संग शिक्षा प्रदान करना विद्यार्थी को सिखाने का सरल उपाय है। औसत विद्यार्थी को भी योग्य बनाने की विशिष्ट शैली है। शिक्षक प्रतिदिन छात्रों का गृह-कार्य देते है तथा अगले दिन उसे देखते हैं। कमजोर छात्र-छात्राओं को विद्यालय अवकाश के बाद आधा घंटा ज्यादा समय दिया जाता है। बोर्ड की परीक्षाओं से एक महीने पहले दो घंटे के तीन अतिरिक्त पीरियड लगते हैं, जिनमें विद्यार्थी अपनी कमी को दूर करते हैं। यही कारण है कि हमारे विद्यालय का परीक्षा-परिणाम न केवल शत-प्रतिशत रहता है, दसवीं में कई छात्र राज्य में अवल भी आते है।

विद्यालय की चौथी विशेषता शिक्षणेतर गतिविधि हैं। इनमें खेल-कूद का प्रथम स्थान है। हॉकी, क्रिकेट, फुटबॉल, वॉली-बॉल, कबड्डी, खो-खो, जिमनास्टिक शिक्षा की भी व्यवस्था है। यही कारण है, हमारा विद्यालय नगर के विद्यालयों की प्रतियोगिता और प्रान्तीय प्रतियोगिताओं की अनेक ट्रॉफी अथवा अवॉर्ड्स जीतकर लाता है।

विद्यालय की हर शुक्रवार के दिन सभी विद्यार्थी अपनी प्रतिभा दिखा कर अपनी एक अलग पहचान दिखाते है। जीवन और जगत की विविधता की जानकारी देती है। विद्यार्थियों में छिपी वाकू-शक्ति को एक दूसरे के साथ शेयर करते है। एक ओर प्रति शनिवार वीडियो फिल्म द्वारा एक विषय-विशेष की जानकारी दी जाती है तो दूसरी ओर विद्यार्थी को कविता, कहानी, चुटकुला सुनाने के लिए उनका उत्साह बढ़ाया जाता है। हर महीने के अंतिम शनिवार को बात-विवाद प्रतियोगिता अथवा सामान्य ज्ञान प्रतियोगिताएँ होती हैं । प्रथम, द्वितीय और तृतीय, इन तीन विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

हमारे विद्यालय में एक बहुत ही विशाल पुस्तकालय है। इसमें नर्सरी से लेकर दसवीं कक्षा तक की विभिन्न विषयों की पुस्तकें हैं। इस पुस्तकालय में हिंदी के दैनिक समाचार पत्र और कई महत्वपूर्ण मासिक अर्धवार्षिक और वार्षिक पत्रिकाएँ भी आती है। पुस्तकालयाध्यक्ष बहुत ही परिश्रमी और अच्छे व्यक्ति हैं। हमें पुस्तकालय से हमारी जरूरत की प्रत्येक पुस्तक मिल जाती है जिसे घर भी ले जाया जा सकता है। पुस्तकालय से पुस्तक को केवल कुछ निश्चित समय के लिए ही घर पर ले जाने की अनुमति मिलती है।

हर साल एक बार दिसंबर के महीनों में चुने हुए विद्यार्थियों को भारत- यात्रा पर ले जाया जाता है। इसमें विद्यार्थी भारतमाता की विविधता के दर्शन भी करते हैं और अपने सहपाठी को अधिक समझने का अवसर प्राप्त करते हैं। विद्यालय के सालगिरह के दिन विद्यार्थी के लिए प्रोत्साहन का अवसर रहता है | इसमें विविध खेलों के श्रेष्ठ खिलाडियों, संगीत के वाद्य-यत्त्रों में दक्ष विद्यार्थियों तथा वार्षिक परीक्षा में आए प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय परीक्षार्थियों को पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं । इस अवसर पर छात्र रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत करते हैं, जिसमें गीत-संगीत, काव्य-पाठ, एकांकी-अभिनय प्रमुख होते हैं, जिसे देखकर दर्शक भाव-विभोर हो जाते हैं। विद्यालय में वर्ष में एक बार शिक्षक-अभिभावक-दिवस भी मनाया जाता है। इसमें विद्यार्थियों के माता-पिता या संरक्षक एकत्र होते हैं। अभिभावकों के साथ छात्र भी विद्यालय की कमियों और सुधारों पर खुले मन से विचार करते हैं।

मेरे विद्यालय में भी लोगों को कुछ कमियाँ देखते हैं। यहाँ प्रवेश पाना थोड़ा कठिन-सा है । अपवाद छोड़ दें तो सिफारिश न किसी अधिकारी की चलती है, न धन की । योग्यता की दीड़ में जो जीत जाए, वह प्रवेश ले ले ऐसा मेरा विद्यालय हैं। दूसरे, विद्यालय के अनुशासन की कठोरता ने विद्यार्थियों का सैनिकीकरण-सा कर दिया है। परिणामत: विद्यार्थियों की सच्ची शिकायत की भी उपेक्षा होती रहती है।

विद्यालय एक विद्या का मंदिर होता है जहाँ मनुष्य ज्ञान प्राप्त करता है। जिस तरह भक्तों के लिए मंदिर और पूजा स्थल पवित्र स्थान होता है उसी तरह से एक विद्यार्थी के लिए उसका विद्यालय एक पवित्र स्थल होता है। इस पवित्र मंदिर के भगवान हैं हमारे शिक्षक जो हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर हमारे मन में ज्ञान रूपी प्रकाश को फ़ैलाने में मदत करते है। इसी लिए हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए तथा उनके कहने के अनुसार अपने शिक्षण कार्य का संपादन करना चाहिए। हमें अपने विद्यालय के नियमों का श्रद्धा के साथ पालन करना चाहिए। हमारा कर्तव्य बनता है की जब तक हम विद्यालय में है तब तक हमें उचित ज्ञान प्राप्त करनी चाहिए तथा अपने शिक्षकों को सम्मान देना चाहिए। विद्यालय जीवन समाप्त होने के बाद भी हमे अपने शिक्षक एवं विद्यालय को भूलना नहीं चाहिए। जब मौका मिले या जब हम अपने कामों से मुक्त रहे तो हमें अपने विद्यालय अपने शिक्षक से भेट करने जाना चाहिए जो कि मैं भविष्य में अवश्य जाऊँगा।

विद्यालय एक सार्वजनिक संपत्ति होती हैं। यह हमारी राष्ट्रिय निधि है, इसलिए विद्यार्थी को इसकी रक्षा के लिए हमेशा जागरूक रहना चाहिए। विद्यालय सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान का माध्यम नहीं है बल्कि ज्ञान प्राप्ति के हर अवसर वहाँ पर उपलब्ध होते हैं। विद्यालय बालकों को खेल-कूद, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर देता है जिससे बालकों का मानसिक एवं शारीरिक विकास होती है। उन्हीं विषयों के मार्ग दर्शन के लिए शिक्षक होते हैं इसलिए विद्यार्थी को अपने स्कूलों से पूरा लाभ उठाना चाहिए। विद्यालय हमें हर प्रकार के ज्ञान का प्रकाश मिलता है। इसीलिए हमारा विद्यालय हर तरह से प्रेणादायक भूमिका निभाती है। इसीलिए मुझे मेरा विद्यालय बहुत प्रिय है।

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मेरा स्कूल पर निबंध – My school essay in Hindi (1000 Words)

मेरा स्कूल पर निबंध (My school essay in Hindi): जीवन में हमारा दूसरा घर स्कूल होता है. स्कूल में ही हम सब जीवन के मुख्य उद्देश्य को समझते है. और स्कूल में हमे कभी न कभी हमारे स्कूल के बारे में लिखने का मौका मिलता है. और ये लिखने के मौके को हम सिर्फ निबंध में ही व्यक्त कर सकते हैं. इसलिए में आज आपके लिए लेकर आया हूँ मेरा विद्यालय पर निबंध (Essay on my school in Hindi).

मेरा स्कूल पर निबंध – My school essay in Hindi

प्रस्तावना – स्थिति – कक्षाओं और छात्रों की संख्या – स्कूल का घर – स्थापना और प्रबंधन – शिक्षक और अन्य कर्मचारी – त्योहार – बगीचा – पुस्तकालय – खेल मैदान – वस्त्र – परीक्षा परिणाम – उपसंहार

ईश्वर के पास जितने भी संसाधन है, मानव संसाधन उन सभी में सर्वश्रेष्ठ हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि मानव संसाधनों के समुचित विकास के साथ, अन्य सभी प्राकृतिक संसाधनों का विकास संभव होगा. इस मानव संसाधन के विकास के लिए स्कूल कई औपचारिक साधनों में से एक हैं. हमारे देश में कई तरह के स्कूल हैं, जैसे प्राथमिक स्कूल और हाई स्कूल. मैं जिस स्कूल में जाता हूं वह हाई स्कूल है. उसका नाम माध्यमिक बोर्ड हाई स्कूल है. यहाँ 6 वीं से 10 वीं कक्षा तक की शिक्षा देता है.

हमारा स्कूल कटक सहर के बजरकबती रोड के पास स्थित है. मौजूदा बजरकबती रोड रानीहाट चौक को डोलमुंडई चौक से जोड़ता है. पश्चिम में फ्रेंड्स कॉलोनी है, उत्तर में रानीहाट गोपाल साही है और दक्षिण में ओडिशा माध्यमिक शिक्षा समिति का कार्यालय है.

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कक्षाओं और छात्रों की संख्या

हमारा स्कूल में 6 वीं से 10 वीं कक्षा तक शिक्षा प्रदान किया जाता है. 6 वीं से 7 वीं कक्षा में 3 विभाग और अन्य कक्षाओं में 4 विभाग है. स्कूल के अठारह विभागों में लगभग 1,000 छात्रों पढ़ते हैं. यहाँ का पाठ्यक्रम का अनुसरण माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा किया जाता है. उच्च वर्ग साहित्य, अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, शारीरिक शिक्षा और काम का अनुभव के बारे में शिक्षा दिया जाता है.

स्कूल का घर

हमारा स्कूल तीन मंजिला इमारत है. महल में छोटे बड़े 12 कमरे हैं. इसमें शिक्षकों के विश्राम कक्ष, पुस्तकालय, प्रधानाध्यापक कार्यालय, विद्यालय के कार्यालय भवन, 10 वीं कक्षा के 4 विभाग, हिंदी और संस्कृत के लिए एक अलग कक्षा है. दूसरी मंजिल पर एक खेल शिक्षक का कमरा, राष्ट्रीय युद्ध शैक्षिक बलों के लिए एक विशेष कमरा और एक हवाई क्षेत्र, एक प्रयोगशाला, विज्ञान वर्ग के लिए एक गैलरी और भूगोल के लिए एक विशेष कमरा है. इस दूसरी मंजिल पर 8 वीं और 9 वीं कक्षा में से प्रत्येक में 4 विभाग भी होते हैं. इसी तरह, तीसरी मंजिल में 6 वीं और 7 वीं कक्षा है. इस मंजिल पर एक छोटा हॉल या मीटिंग रूम भी है. यद्यपि यह हमारे विद्यालय के सभी छात्रों के लिए पर्याप्त नहीं है, फिर भी यहाँ छोटी बैठकें करना संभव है.

स्थापना और प्रबंधन

हमारे स्कूल की स्थापना 3 अगस्त, 1959 को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा की गई थी. तब से, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड स्कूल की इमारत का विस्तार कर रहा है, शिक्षकों की आवश्यक संख्या को काम पर रखने के साथ-साथ सभी स्कूल खर्चों को कवर करता है. स्कूल में अधिकारियों को सलाह देने के लिए एक प्रबंधन समिति है. माध्यमिक शिक्षा परिषद के संपादक, स्कूल प्रिंसिपल, शिक्षक प्रतिनिधि और 2 निर्वाचित माता-पिता संचालन समिति के सदस्य हैं. समिति वर्ष के विभिन्न समयों में होती है और सदस्य स्कूल के बारे में सोची समझी सलाह देते हैं.

शिक्षक और अन्य कर्मचारी

हमारे विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री राम शर्मा. उन्होंने मेधावी शिक्षक के रूप में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीते हैं. उनके अलावा, 35 अन्य प्रशिक्षित शिक्षक, 13 4th ग्रेड के कर्मचारी और 2 कार्यालय सहायक यहां काम कर रहे हैं. दो शिक्षकों को राज्यपाल ने मेधावी शिक्षकों के रूप में सम्मानित किया है.

स्कूल में गणेश पूजा, सरस्वती पूजा, गुरु दिवस, पुरस्कार समारोह, स्थापना दिवस, स्वतंत्रता दिवस, बाल दिवस, जन राज्य दिवस आदि मनाया जाता है. हमारे स्कूल के छात्र कटक शहर और राज्य के विभिन्न हिस्सों में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे हैं और पुरस्कार और प्रमाण पत्र जीतने के साथ-साथ स्कूल की प्रतिष्ठा भी बढ़ाते हैं.

बगीचा                                

हमारे स्कूल में एक सुंदर फूलों का बगीचा है. बगीचे के अंदर महात्मा गांधी की मूर्ति है. उद्यान को 8 भाग में विभाजित किया गया है. प्रत्येक कियारी में फ्लैट कालीन की तरह हरी घास और कियारी के चारों ओर फूलों की सुंदर बाड़ है. ये पेड़ बहुत सुंदर लगते हैं क्योंकि वे एक निश्चित ऊंचाई तक कट जाते हैं. हरी घास और उसके चारों ओर मौसमी फूलों की लाइनिंग बगीचे की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देती है. यद्यपि एक शिक्षक बगीचे का प्रभारी है, लेकिन स्कूल के अन्य सभी शिक्षक बगीचे के समग्र सुधार में योगदान करते हैं. छात्रों नियमित रूप से समय पर शिक्षक की देखरेख में बगीचे में काम करते हैं. सभी के प्रयासों के कारण, बगीचा बहुत आकर्षक हो गया है.

हमारे स्कूल में एक पुस्तकालय है. इसमें लगभग 10,000 पुस्तकें हैं. एक शिक्षक इसके प्रबंधन का प्रभारी होते हैं. पुस्तकालय के लिए एक निर्दिष्ट समय है. शिक्षक कक्षा की पाठ्यपुस्तकें और अन्य सहायक पुस्तकें पुस्तकालय से लेते हैं. कुछ शिक्षक और छात्र स्कूल के बाद पुस्तकालय में रहते हैं और स्कूल में आने वाली विभिन्न पुस्तकों और समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को पढ़ते हैं. जैसा कि हमारा पुस्तकालय एक अच्छी तरह से संचालित पुस्तकालय है, यह शिक्षकों और छात्रों के ज्ञान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

हमारे स्कूल में एक छोटा सा खेल का मैदान है. शनिवार को यहां सामूहिक अभ्यास आयोजित किए जाते हैं. उत्साही छात्र खेल शिक्षक की देखरेख में स्कूल के काम और अन्य छुट्टियों के बाद खेल का अभ्यास करते हैं. छात्र शहर और राज्य में आयोजित विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे हैं.

स्कूल के छात्रों निर्दिष्ट वस्त्र पहनते हैं. लड़कों  गहरे नीले रंग की पैंट और सफेद हाफ शर्ट पहनते हैं  और लड़कियों आसमानी नीले रंग की फ्रॉक पहनते हैं. स्कूल-नामांकित पदक छात्रों द्वारा उपयोग किए जाते हैं. इससे छात्रों में स्कूल के प्रति जुनून का पता चलता है.

परीक्षा परिणाम

हमारे स्कूल के परीक्षा परिणाम बहुत संतोषजनक हैं. हर साल, सैकड़ों छात्र प्रथम श्रेणी से पास होते हैं. प्रथम श्रेणी में पास होने वाले छात्रों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है और द्वितीय श्रेणी में पास होने वाले छात्रों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है. हमारे स्कूल में शिक्षक नियमित कक्षाओं में पढ़ाते हैं. लगभग हर वर्ष, इस विद्यालय के छात्र विद्यालय की प्रतिष्ठा को बढ़ाकर विद्यालय में स्थान प्राप्त करते हैं.

हमारा स्कूल अन्य स्कूलों जितना पुराना नहीं है. इसलिए इसकी कोई समृद्ध परंपरा नहीं है. छात्रों और शिक्षकों के प्रयासों और माता-पिता के सक्रिय सहयोग के लिए धन्यवाद, स्कूल धीरे-धीरे सुधार कर रहा है और एक उज्जवल परंपरा का निर्माण कर रहा है. मुझे अपने स्कूल पर गर्व है. यदि स्कूल का प्रत्येक छात्र इतना गर्व महसूस करता है और समर्पण के साथ काम करता है, तो स्कूल पूरे राज्य में आदर्श स्कूलों में से एक बन सकता है.

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ये था मेरा स्कूल पर निबंध (Essay on my school in Hindi) . अगर आपको कभी अपने स्कूल के ऊपर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है, तो आप ऊपर दिए गए निबंध को अनुसरण कर के लिख सकते हो.

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  • Hindi Grammar /

Mera School Essay in Hindi: कुछ ऐसे लिखें परीक्षा में मेरे स्कूल पर निबंध

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 20, 2023

Mera School Essay In Hindi

विद्यार्थियों को अपने स्कूली जीवन में मेरा स्कूल विषय पर निबंध दिया जाता है। क्योंकि अपने स्वयं के स्कूल के बारे में लिखने से छात्रों को अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करने का मौका मिलता है। इससे वे स्कूल के माहौल के साथ अपने व्यक्तिगत जुड़ाव पर विचार करने के लिए भी प्रोत्साहित होते हैं। इसके साथ ही मेरा स्कूल विषय पर निबंध लेखन से विद्यार्थियों में संचार कौशल विकसित करने में मदद मिलती है। Mera School Essay in Hindi के बारे मैं जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

मेरा स्कूल पर निबंध 100 शब्दों में, मेरा स्कूल पर निबंध 200 शब्दों में, मेरा स्कूल में पहली पसंद, मेरे स्कूल में मिलने वाली शिक्षा का स्तर, मेरे स्कूल पर 10 लाइन्स.

स्कूल हमें जिम्मेदार नागरिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अच्छे शिक्षकों के द्वारा अक्सर अच्छे छात्र तैयार किए जाते हैं। मेरे भी उत्कृष्ट शिक्षक हैं और वे एकेडमिक्स के साथ खेल और अन्य गतिविधियों में भी हमारी सहायता करते हैं।  

ये शिक्षक हमारे स्कूल की नींव की तरह हैं, जो हमें मूल्यवान सबक देते हैं जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में उपयोग कर सकते हैं। स्कूल में हम न केवल गणित और विज्ञान जैसे विषयों के बारे में सीखते हैं बल्कि अपने दोस्तों के साथ सहयोग करने के बारे में भी सीखते हैं। 

हमारे स्कूल में विभिन्न विषयों के लिए अलग-अलग कक्षाएँ हैं, और पढ़ाई और पाठ्येतर गतिविधियों दोनों को समान महत्व दिया जाता है। यह हमें न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि एक जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में विकसित होने में मदद करता है।

यह भी पढ़ें : परीक्षा में ऐसे लिखें मेरा देश पर निबंध

Mera School Essay in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है:

मेरा स्कूल एक जादुई जगह है जहाँ पढ़ना एक रोमांच जैसा लगता है। हर दिन, मैं अपने दोस्तों और शिक्षकों से मुस्कुराहट के साथ स्कूल में मिलता हूं। मेरे स्कूल की इमारत बहुत ऊँची है, सभी कक्षाएं रंगीन हैं, जहां पढ़ने में और भी अधिक आनंद आता है।

सुबह में, हम असेंबली एरिया में इकट्ठा होते हैं, जहां झंडा गर्व से फहराता है और हम उत्साह के साथ राष्ट्रगान गाते हैं।  कक्षाएँ खज़ाने की पेटी की तरह होती हैं, प्रत्येक में ज्ञान का एक नया टुकड़ा होता है जो खोजे जाने की प्रतीक्षा कर रहा होता है। शिक्षक जादूगरों की तरह हैं, जो संख्याओं, शब्दों और विज्ञान की दुनिया में हमारा मार्गदर्शन करते हैं।

ब्रेक के दौरान मेरे स्कूल का मैदान मौज-मस्ती और खेल की जगह बन जाता है। मित्र कहानियाँ साझा करते हैं और वातावरण हँसी से भर जाता है। कैफेटेरिया एक जादुई रसोईघर है जहां स्वादिष्ट सुगंध हवा में फैलती है और हम प्यार से भरे दोपहर के भोजन का आनंद लेते हैं।

मेरा स्कूल सिर्फ सीखने की जगह नहीं है; यह एक परिवार है। हम त्यौहार मनाते हैं, खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और साथ मिलकर नाटक प्रस्तुत करते हैं।  दीवारें हमारी कलाकृति से सजी हैं और बुलेटिन बोर्ड हमारी उपलब्धियों की कहानी बताते हैं।

जैसे ही दिन के अंत में छुट्टी के समय घंटी बजती है, मैं ज्ञान से भरा बैग और यादों से भरा दिल लेकर निकल पड़ता हूँ।  मेरा स्कूल सिर्फ एक इमारत से कहीं अधिक है;  यह एक ऐसी जगह है जहां सपने उड़ान भरते हैं और दोस्ती बनती है।

मेरा स्कूल पर निबंध 500 शब्दों में

Mera School Essay in Hindi 500 शब्दों में नीचे दिया गया है:

शिक्षा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो हमें दूसरों से अलग करती है और स्कूल इस आवश्यक यात्रा का शुरुआती बिंदु हैं। वे पहली जगह हैं जहां हम सीखना शुरू करते हैं, अपनी शिक्षा की नींव रखते हैं।  अपने स्कूल के बारे में इस निबंध में, मैं बताऊंगा कि मुझे यह क्यों पसंद है और इसने मुझे क्या महत्वपूर्ण सबक सिखाए हैं।

हम सभी ने स्कूल जाने की खुशी का अनुभव किया है, वहां बिताए हर पल को संजोकर रखा है क्योंकि वे हमारे जीवन की आधारशिला हैं। स्कूल वह जगह हैं जहां हमें शिक्षा की पहली चिंगारी मिलती है, हम न केवल शैक्षणिक विषयों को सीखते हैं बल्कि जीवन के बुनियादी सिद्धांतों को भी सीखते हैं, कैसे बढ़ें और फलें-फूलें। वे हमारे अंदर ऐसे मूल्य और सिद्धांत स्थापित करते हैं जो बच्चे के विकास का मूल आधार बनते हैं।

मेरा स्कूल मेरे लिए दूसरे घर की तरह है, जहाँ मैं अपना काफी समय बिताता हूँ। यह व्यक्तिगत विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है और मेरे व्यक्तित्व को आकार देने में मदद करता है। मैं खुद को शहर के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक का हिस्सा होने के लिए भाग्यशाली मानता हूं, जिसमें कई चीज़ें हैं जो मेरे शैक्षिक अनुभव को बढ़ाती हैं। 

किंडरगार्टन से शुरू करके प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय और फिर बारहवीं कक्षा तक की हमारी यात्रा तक, स्कूल एक ऐसा स्थान बन जाता है जहां हम न केवल पढ़ते हैं बल्कि बढ़ते हैं, खुद को स्थापित करते हैं, मेलजोल बढ़ाते हैं, दूसरों से दोस्ती करते हैं, मदद की पेशकश करते हैं और प्यार का अनुभव करते हैं। यह एक निरंतर साथी की तरह है जो हमारे शुरुआती वर्षों से लेकर जीवन के अंत तक हमारे साथ रहता है। स्कूल में हम सभी खुशी से पढ़ते हैं, सभी दोस्त एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं, खुशी के पल बांटते हैं और साथ मिलकर नए कार्यों और उत्सावों के लिए तैयार रहते हैं।

मेरा स्कूल आधुनिक शिक्षा को क्लासिक वास्तुकला के साथ खूबसूरती से जोड़ता है। पुरानी इमारतें न केवल देखने में आश्चर्यजनक हैं; वे नए उपकरणों से सजी हैं। मैं अपने स्कूल को शिक्षा के एक स्तंभ के रूप में देखता हूं, जो मुझे ज्ञान और नैतिक मूल्य दोनों प्रदान करती हैं।

किसी स्कूल की पहचान बनाने में शिक्षण स्टाफ का बहुत महत्व होता है। वे किसी भी शैक्षिक समुदाय की रीढ़ होते हैं, छात्रों को सीखने और समझने के लिए मार्गदर्शन करते हैं, अच्छी आदतें और मूल्य पैदा करते हैं।

मेरा स्कूल हमारे शैक्षणिक प्रदर्शन को बेहतर बनाने के साथ छात्रों के समग्र विकास को प्राथमिकता देता है। यह एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज के लिए एक सहायक वातावरण प्रदान करता है, यहां प्रत्येक छात्र पर ध्यान दिया जाता है, साथ ही यह आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है।

जो चीज़ मेरे स्कूल को असाधारण बनाती है, वह इसकी मान्यता है कि हर एक जगह खास है। मेरे स्कूल में एक पुस्तकालय, कंप्यूटर कक्ष, खेल का मैदान और बास्केटबॉल कोर्ट जैसी सुविधाएं हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि छात्रों के पास उनकी ज़रूरत की हर चीज़ हो।

मेरे लिए, मेरा स्कूल एक शैक्षणिक संस्थान से बढ़कर है; यह मेरा दूसरा परिवार है। अद्भुत मित्रों, उत्कृष्ट शिक्षकों और स्कूल की यादों से भरपूर परिवार। मुझे अपने स्कूल से प्यार है क्योंकि यहीं मैं एक अच्छा नागरिक बनना और अपने लक्ष्यों को हासिल करना सीखता हूं।  यह एक ऐसी जगह है जहां दोस्ती बिना किसी निर्णय के बनाई जाती है और करीबी दोस्तों के साथ समय बिताना आरामदायक लगता है, चाहे स्थिति कोई भी हो।

यह भी पढ़ें : जानिए परीक्षाओं पूछे जाने वाले वन महोत्सव पर निबंध

मेरे स्कूल ने ऐसे पाठ पढ़ाए हैं जो इतने मूल्यवान हैं कि मैं उन्हें एक वाक्य में प्रस्तुत नहीं कर सकता। यहां की सीख अपूरणीय हैं, और मैं उनके लिए अविश्वसनीय रूप से आभारी हूं। उदाहरण के लिए दोस्तों के साथ चीज़ें बांटना और अन्य लोगों के प्रति प्रेम भावना। यहीं पर मैंने जानवरों की सहायता करना सीखा और बाद में इसी प्रेम के चलते मैने एक पालतू जानवर भी गोद लिया। 

स्कूल न केवल शैक्षणिक ज्ञान के बारे सिखाते हैं; 

मेरा स्कूल हमें एक ज़िम्मेदार व्यक्ति बनने के लिए भी प्रेरित करता है। मैने यहां बहुत सारे कौशल सीखे जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों चर्चा या घरेलू कार्यों का प्रबंधन करना, मुश्किल की परिस्थिति में धैर्य से काम करना ये सभी वास्तविक दुनिया में आवश्यक हैं। 

कार्यों में नए विचारों को अपनाना और ज़रूरत पड़ने पर उनका प्रयोग करना, जिससे मुझे ग्रेड से परे अपनी कार्य क्षमता के बारे में सिखाया गया।

विद्यार्थियों के प्रति समर्पित शिक्षकों की बदौलत स्कूल के माहौल में कलात्मक कौशल विकसित हुआ। इससे मुझे अंतर-स्कूल प्रतियोगिताओं में भाग लेने और पुरस्कार अर्जित करने का मौका मिला। सबसे अधिक महत्वपूर्ण में अपने स्कूल में असफलता का सामना और अपनी महत्वाकांक्षाओं को कभी न छोड़ने के बारे में सीखा। 

स्काउट्स और गाइड्स से लेकर खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों तक पाठ्येतर गतिविधियों ने मेरे स्कूल के अनुभव को समृद्ध किया। शिष्टाचार, चरित्र विकास और नैतिक शिक्षा पर हमारे प्रिंसिपल के दैनिक व्याख्यान ने मेरे मूल्यों को आकार दिया।  मैं आज जो भी हूं उसका श्रेय अपने स्कूल को देता हूं, इसे सर्वश्रेष्ठ संस्थान मानता हूं।

स्कूल का एक और महत्वपूर्ण सबक टीम वर्क है। यह अक्सर पहली जगह होती है जहां बच्चे अपने से भिन्न लोगों के साथ सहयोग करना सीखते हैं। यह समझना कि टीम की सफलता प्रत्येक व्यक्ति के योगदान पर निर्भर करती है, छात्रों में स्थापित एक बुनियादी सिद्धांत है, जो उन्हें टीम में मिलकर और व्यक्तिगत उपलब्धियों दोनों के लिए तैयार करता है।

संक्षेप में कहूं तो, एक प्रतिष्ठित स्कूल का हिस्सा बनना मेरे लिए एक जबरदस्त व्यक्तिगत विकास यात्रा रही है। मेरे चरित्र को ढालने और अमूल्य शिक्षाएँ प्रदान करने के लिए मैं अपने विद्यालय का बहुत आभारी हूँ। जो मित्रताएं बनीं और असाधारण शिक्षकों का मार्गदर्शन वे खजाने हैं जिन्हें मैं हमेशा संजो कर रखूंगा। मेरा लक्ष्य अपने स्कूल द्वारा स्थापित मूल्यों को बनाए रखना, जीवन में सफल होने का प्रयास करना और उस संस्थान को सम्मान दिलाना है जिसने आज मैं जो कुछ भी हूं उसे आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Mera School Essay in Hindi पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • मेरा स्कूल हमारे क्षेत्र में प्रसिद्ध है, स्थानीय लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता और उच्च प्रतिष्ठा के लिए जाना जाता है।
  • स्कूल की इमारत विशाल है, हरियाली से सुसज्जित है, एक विशाल और सौंदर्य की दृष्टि से मनभावन वातावरण बनाती है।
  • एक विस्तृत खेल का मैदान विभिन्न बाहरी गतिविधियों और खेलों में शामिल होने के लिए पर्याप्त जगह प्रदान करता है।
  • शारीरिक शिक्षा सत्र साप्ताहिक रूप से आयोजित किए जाते हैं, जो हमारी समग्र फिटनेस और कल्याण में योगदान करते हैं।
  • स्कूल में अच्छे शिक्षक हैं जो एक सहायक और देखभाल करने वाला सीखने का माहौल बनाते हैं।
  • मैं स्कूल में कई दोस्तों के साथ आनंददायक पल साझा करता हूं, जहां हम एक साथ खेलते और पढ़ते हैं, जिससे सौहार्द की मजबूत भावना को बढ़ावा मिलता है।
  • स्कूल की व्यापक लाइब्रेरी पुस्तकों का विविध संग्रह प्रदान करती है, जो सीखने के लिए एक मूल्यवान संसाधन प्रदान करती है।
  • अच्छी तरह से सुसज्जित विज्ञान और सामाजिक विज्ञान प्रयोगशालाएँ हमारी व्यावहारिक समझ और प्रयोग को बढ़ाती हैं।
  • स्कूल सांस्कृतिक विविधता और एकता को बढ़ावा देते हुए कई राष्ट्रीय और धार्मिक त्योहारों को उत्साहपूर्वक मनाता है।
  • स्कूल में हर दिन एक खुशी है क्योंकि मैं नई चीजें सीखने और अपने ज्ञान का विस्तार करने के अवसर का उत्सुकता से स्वागत करता हूं।

स्कूल जीवन के ऐसे पाठ प्रदान करता है जो शिक्षा से परे है इसलिए प्रत्येक बच्चे के लिए स्कूल जाना महत्वपूर्ण है स्कूल हम सभी को शिक्षा के साथ ऐसा अनुभव प्रदान करता है, जो सामाजिक कौशल, पाठ्येतर गतिविधियाँ और मूल्यवान जीवन सबक भी प्रदान करता है।

स्कूल बुनियादी ज्ञान और कौशल प्रदान करता है, जिसमें बुनियादी शिक्षा और कला और सार्वजनिक बोलने जैसी प्रतिभाओं का विकास शामिल है। सबसे बढ़कर, यह छात्रों में अनुशासन पैदा करता है, भविष्य की सफलता के लिए उनके चरित्र को आकार देता है।

मेरा स्कूल अपनी उत्कृष्ट प्रतिष्ठा, विशाल और सुंदर परिसर, समर्पित शिक्षकों और समग्र विकास में योगदान देने वाली पाठ्येतर गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए जाना जाता है।

मेरे स्कूल में हर सप्ताह एक बार शारीरिक शिक्षा कक्षाएं आयोजित की जाती हैं, जिसमें समग्र फिटनेस और कल्याण बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया जाता है।

आशा हैं कि आपको इस ब्लाॅग में Mera School Essay in Hindi पर निबंध के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य   निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स  पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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मेरा विद्यालय पर निबंध / A New Essay on My School in Hindi

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मेरा विद्यालय पर निबंध / A New Essay on My School in Hindi!

मेरे विद्यालय का नाम राजकीय सहशिख्या माध्यमिक विद्यालय, किर्ति नगर है । यह एक आदर्श विद्‌यालय है । यहाँ शिक्षा खेल-कूद तथा अन्य शिक्षेतर गतिविधियों की उत्तम व्यवस्था है । यहाँ का वातावरण शांत एवं मनोरम है ।

मेरे विद्‌यालय में छठी से लेकर दसवीं कक्षा तक की पढाई होती है । प्रत्येक कक्षा में दो या तीन सेक्सन (अनुभाग) हैं । विद्‌यालय का भवन दुमंजिला है । इसमें लगभग पचास कमरे हैं । कक्षा के सभी कमरे, फर्नीचर, पंखे आदि से सुसज्जित एवं हवादार हैं । प्रधानाचार्य का कक्ष विशेष रूप से सजा हुआ है । इसके अलावा स्टाफ रूम पुस्तकालय कक्ष, हॉल, कंप्यूटर कक्ष प्रयोगशाला कक्ष आदि भी सभी प्रकार की उत्तम व्यवस्था से युक्त हैं । विद्‌यालय में पेयजल और शौचालय का भी समुचित प्रबंध है ।

मेरे विद्‌यालय में लगभग ढाई हजार विद्‌यार्थी पढ़ते हैं । अध्यापक- अध्यापिकाओं की संख्या पचास है । इनके अतिरिक्त दस अन्य स्टॉफ भी हैं । इनमें तीन क्लर्क एक माली एवं पाँच चपरासी हैं । एक दरबान है जो रात्रिकाल में विद्‌यालय की चौकीदारी करता है ।

शिक्षा के मामले में मेरा विद्‌यालय शहर में अग्रणी स्थान रखता है । प्राय : सभी विद्‌यार्थी अच्छे अंकों से पास होते हैं । शिक्षकगण विद्‌यार्थियों की प्रगति का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं । अधिकांश शिक्षक विद्वान, अनुभवी एवं योग्य हैं । हमारी प्रधानाचार्या सुसंस्कृत एवं अनुशासनप्रिय हैं । उनके नेतृत्व में विद्‌यालय दिन-दूनी रात-चौगुनी उन्नति कर रहा है । वे विद्‌यालय के चहुंमुखी विकास के लिए कटिबद्ध दिखाई देती हैं । विद्‌यार्थी प्रधानाचार्या के प्रति बहुत आदरभाव रखते हैं ।

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आजकल तकनीकी शिक्षा का महत्त्व बढ गया है । मेरे विद्‌यालय में तकनीकी शिक्षा के रूप में कंप्यूटर सिखाने पर पूरा जोर दिया जाता है । प्रयोगशाला में विज्ञान के अनुप्रयोगों को बताया जाता है । हमारे विद्‌यालय में खेल-कूद पर भी पूरा ध्यान दिया जाता है । खेल प्रशिक्षक हमें क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, बैडमिंटन, खो-खो, कबड्‌डी आदि खेलों को खेलने की उचित ट्रेनिंग देते हैं । पिछले वर्ष मेरा विद्‌यालय अंतर्‌विद्‌यालय हॉकी प्रतिस्पर्धा में प्रथम स्थान पर रहा था ।

मेरे विद्‌यालय में एक अच्छा पुस्तकालय है । पुस्तकालय से विद्‌यार्थी पाठ्‌य-पुस्तकें पढ़ने के लिए ले जा सकते हैं । यहाँ पाठ्‌य-पुस्तकों के अतिरिक्त कहानियों, कविताओं तथा ज्ञान-विज्ञान से संबंधित पुस्तकों का अच्छा संग्रह है ।

मेरे विद्‌यालय के प्रांगण में अनेक पेड़-पौधे लगे हुए हैं । कतारों में लगे पेड़ों एवं फूल के पौधों से सुंदर प्राकृतिक दृश्य उत्पन्न हो जाता है । माली पेड़-पौधों की नियमित देखभाल करता है । विद्‌यालय में हमें बताया गया है कि पेड-पौधे हमारे लिए कितने महत्त्वपूर्ण हैं । इसलिए हम लोग इनकी पूरी देखभाल करते हैं ।

हमें विद्‌यालय में पढाई और खेल-कूद के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर प्राप्त होता है । छात्र-छात्राऐं बाल दिवस, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, शिक्षक दिवस, गाँधी जयंती विद्‌यालय का वार्षिकोत्सव जैसे विभिन्न अवसरों पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं । इससे हमारे अंदर ईमानदारी धैर्य साहस आपसी सहयोग जैसे गुणों का विकास होता है ।

मेरे विद्‌यालय में सब कुछ व्यवस्थित, अनुशासित, सहयोगपूर्ण एवं आमोदपूर्ण है । मुझे अपने विद्‌यालय पर गर्व का अनुभव होता है ।

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