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[2023] Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण-PDF Download

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Guru Purnima Speech in Hindi :गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो गुरुओं को समर्पित है। इस दिन विद्यार्थी अपने गुरुओं को आभार व्यक्त करते हैं जो उन्हें ज्ञान और मार्गदर्शन में सहायता करते हैं। यह त्योहार पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जब चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में दिखाई देता है। इस लेख में, हम गुरु पूर्णिमा पर भाषण ( Guru Purnima Speech in Hindi ) के माध्यम से इस उत्सव के महत्व को समझने का प्रयास करेंगे।

Guru Purnima Speech in Hindi

Table of Contents

Guru Purnima Speech in Hindi

प्रिय सभी गुरुओं और शिक्षकों को नमस्कार।

आज हम सभी मिलकर एक ख़ास अवसर पर इकट्ठे हुए हैं – गुरु पूर्णिमा के इस धार्मिक उत्सव के दिन। यह दिन हमारे जीवन में गुरुओं को समर्पित है, जिन्होंने हमें ज्ञान की प्राप्ति कराई और हमें आदर्शों के मार्ग पर चलने का साथ दिया।

गुरु का शब्द अत्यंत पवित्र है। गुरु हमारे जीवन के मार्गदर्शक होते हैं, जो हमें जीवन के सभी क्षेत्रों में बेहतर बनने का रास्ता दिखाते हैं। वे हमें ज्ञान, समझदारी, सच्चाई, धैर्य, और नैतिकता के मूल्यों को सिखाते हैं। हमारे जीवन में गुरु के बिना ज्ञान की कमी होती है और हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में समर्थ नहीं होते।

गुरु पूर्णिमा का यह अवसर हमें याद दिलाता है कि हमें अपने गुरुओं का आभार व्यक्त करना चाहिए। हम उनके अनमोल संबंधों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिनसे हमें न सिर्फ शिक्षा मिली, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर हमारे साथ रहा। यह एक ऐसा दिन है जब हम अपने गुरुओं के प्रति अपने मन की गहराइयों से भावना साझा कर सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हम अपने गुरुओं के सिखाए गए ज्ञान को आगे भी बढ़ाने का प्रयास करें। हमारे गुरु ने हमें ज्ञान का विरासतगार बनाया है, और अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम भविष्य की पीढ़ियों को भी ज्ञान के मार्ग पर चलने का प्रेरणा दें।

इस गुरु पूर्णिमा के अवसर पर, हम सभी को अपने गुरुओं का आभार व्यक्त करने के साथ-साथ उन्हें प्रणाम करना चाहिए। हमें अपने गुरुओं के जीवन की महानता और उनके संघर्षों का भी सम्मान करना चाहिए, क्योंकि उनके बिना हम यहां नहीं होते।

मैं आप सभी से यह भी आग्रह करूँगा कि हम गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर का उपयोग करके अपने गुरुओं के उपकार का ध्यान रखें और उन्हें समर्पित रहें। हम अपने गुरुओं के बिना न तो ज्ञानी बन सकते हैं और न ही समर्थ हो सकते हैं। इसलिए, आओ इस पवित्र दिन को समर्पित करें और अपने गुरुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करें।

धन्यवाद, और गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएँ!

Guru Purnima Par Speech in Hindi 200 Words

प्रिय सभी साधकों और अनुयायियों को , आप सभी को गुरु पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनाएं। आज हम सभी गुरुओं को उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए धन्यवाद देने का शुभ अवसर मिला है। गुरु पूर्णिमा एक पर्व है जिसमें हम अपने गुरुओं को आभार व्यक्त करते हैं जो हमें ज्ञान, दर्शन और मार्गदर्शन प्रदान करके हमें अनंत जीवन की शिक्षा देते हैं।

गुरु हमारे जीवन में एक मार्गदर्शक तारा की भूमिका निभाते हैं। वे हमें सही रास्ता दिखाते हैं और हमें समझाते हैं कि कैसे उस रास्ते पर चलना है। गुरु के पदचिह्नों को मानने से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है और हम अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छुआ सकते हैं।

गुरु पूर्णिमा हमें याद दिलाता है कि हमें अपने गुरुओं के प्रति आभारी रहना चाहिए और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अमल में लाना चाहिए। हमें अपने गुरुओं के उज्ज्वल प्रेरणा के साथ अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा मिलती है।

इस गुरु पूर्णिमा पर हम सभी को यह वचन देना चाहिए कि हम अपने गुरुओं के आदर्शों का पालन करेंगे और उनके दिए गए मार्ग पर चलकर सफलता की ओर बढ़ेंगे। आओ मिलकर इस गुरु पूर्णिमा को यादगार बनाएं और अपने गुरुओं को आभार व्यक्त करें। धन्यवाद ।

Guru Purnima Speech in Hindi 300 Words 

आदरणीय सभी उपस्थित व्यक्तियों को मेरा सादर नमस्कार।

आज मैं यहां गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आपके सामने कुछ शब्दों का समारोह करने का सौभाग्य महसूस कर रहा हूँ। गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हम सभी बड़े धार्मिक भाव से मानते हैं। यह एक पर्व है जो गुरुओं के सम्मान में समर्पित है और शिक्षायें देने वाले गुरुओं को सलामी देने का अवसर प्रदान करता है।

गुरु का महत्व शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। गुरु हमारे जीवन में रोशनी की तरह उजाला भरते हैं जो हमें अंधकार से बाहर निकलकर सही राह दिखाते हैं। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं होती। हमारे गुरु ही वे प्रेरक होते हैं जो हमें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाते हैं।

गुरु पूर्णिमा का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है। इस दिन हम अपने गुरुओं को विशेष सम्मान देते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं जो हमें अपने जीवन की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। इस दिन को समर्पित करके हम भगवान् विष्णु के अवतार परम पूज्य श्री वेद व्यास जी को भी स्मरण करते हैं, जो अपने महानता से समस्त विश्व को ज्ञान की धारा प्रदान करते हैं।

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर, हम अपने गुरुओं के आशीर्वाद को प्राप्त करने का संकल्प लेते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि गुरु शिष्य के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हमें अपने गुरुओं के प्रति सम्मान और आभार रखना चाहिए।

इस अवसर पर, मैं अपने सभी गुरुओं का आभारी हूँ जिन्होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया और मुझे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। मैं भगवान् से प्रार्थना करता हूँ कि हमें सभी गुरुओं के आदर्शों का पालन करने की शक्ति मिले और हम अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकें।

Guru Purnima Par Bashan 500 Words

प्रिय सभी शिक्षकों, माननीय अध्यापकों, विद्यार्थियों और प्रिय छात्रों को नमस्कार।

आज हम सभी इस खास मौके पर एकत्र हुए हैं, जो हर वर्ष हमें अपने गुरुओं के सम्मान में मनाने को मिलता है। हाँ, हम बात कर रहे हैं गुरु पूर्णिमा की, जो शिक्षा के पवित्र महोत्सव के रूप में जाना जाता है। इस अवसर पर हम सभी गुरुओं को धन्यवाद देने के लिए एकत्र हुए हैं जिनके द्वारा हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है।

गुरु पूर्णिमा भारतीय परंपरा में एक महत्वपूर्ण और प्रमुख त्योहार है। यह पर्व पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जिस दिन चंद्रमा पूर्णता विकल्प को प्राप्त होता है। यह पर्व शिक्षा के प्रती समर्पण और गुरु-शिष्य के संबंध का प्रतीक है। इस दिन विद्यार्थियों और छात्रों ने अपने गुरुओं को धन्यवाद देने का सबसे उत्तम मौका होता है।

गुरु और शिष्य का संबंध एक अनमोल रिश्ता होता है। गुरु हमें राह दिखाते हैं, हमें सही दिशा में अग्रसर करते हैं और जीवन में सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। गुरु का महत्व इसलिए है क्योंकि वे हमारे जीवन में एक प्रकाश की तरह होते हैं जो अंधकार को दूर करके हमें ज्ञान की दिशा में ले जाते हैं। वे हमारे ध्येय को समझते हैं और हमें उसे प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु पूर्णिमा इस संबंध को मजबूत करने और विकसित करने का एक शुभ दिन है।

इस पवित्र अवसर पर, हमें गुरुओं के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि गुरु हमारे जीवन के मार्गदर्शक होते हैं और हमें सही और गलत के बीच अंतर को समझने में मदद करते हैं। वे हमें न केवल शिक्षा देते हैं, बल्कि अच्छे मानसिकता और नैतिकता के साथ एक समृद्ध व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।

गुरु पूर्णिमा ने हमें गुरुओं के महत्व को समझाया है और हमें उनके सम्मान में साधारण उपहारों और आभूषणों से बढ़कर गुरुदक्षिणा देने का संदेश दिया है। हम गुरुओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए धन्यवादी होते हैं, लेकिन आज हमें अपने गुरुओं के प्रति अपने कृतज्ञता को दिखाने का सुनहरा अवसर मिलता है। हमें उन्हें धन्यवाद देने के लिए शब्दों में व्यक्त करने की जरूरत है कि उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन के बिना हम कहाँ होते।

आज, हमें गुरु पूर्णिमा के इस खास पर्व को और महत्वपूर्ण बनाने की जरूरत है। हमें अपने गुरुओं के सम्मान में कुछ करना चाहिए, जैसे कि उन्हें शिक्षक दिवस पर उपहार देना, उन्हें ध्यान से सुनना और उनके उपदेशों का पालन करना। हमें गुरुओं के सम्मान में एक समारोह आयोजित करके उन्हें सम्मानित करने का प्रयास करना चाहिए।

हम सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं भेजते हैं। आशा है कि हम सभी इस खास अवसर पर अपने गुरुओं के सम्मान में धन्यवाद व्यक्त करेंगे और उन्हें एक समृद्ध जीवन की कामना करेंगे। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र मौके पर, हमें अपने गुरुओं के आशीर्वाद का सम्मान करना चाहिए और उनके प्रति अपने कृतज्ञता को प्रकट करना चाहिए। धन्यवाद।

आप सभी को धन्यवाद। जय हिंद।

Guru Purnima Quotes in Hindi

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ गुरु के पास ज्ञान का सागर होता है, जिससे अनंत ज्ञान की धारा बहती है। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर, आपको मेरा प्रणाम। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आपको ढेर सारी शुभकामनाएं। आपके चरणों में नित्य श्रद्धा रखते हुए, मैं आपका आभारी हूँ। गुरु की महिमा सबसे ऊंची होती है, वही सृष्टि के रचयिता का साक्षात रूप होता है। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र दिन पर, आपको भीष्मगति प्राप्त हो। गुरु पूर्णिमा के इस शुभ दिन पर, आपको गुरुओं का आशीर्वाद मिले। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिले, यही मेरी कामना है। गुरु की शिक्षा ने बनाया आदमी को श्रेष्ठ, उसके दर्शन से ही मिलती है विशेषता। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र अवसर पर, आपको मेरा प्रणाम। गुरु हैं वो स्वर्ग के द्वारवर्ती, जिनके दर्शन से होती है छुट्टी मुक्ति। गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर, आपको ढेर सारी शुभकामनाएं। गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥ आचार्य देवो भवः, पितृ देवो भवः, आचार्यात्मा देवो भवः। मतिः देवो भवः, श्री गुरुवे नमः॥ गुरु की महिमा सबसे ऊँची, गुरु बिन गति नहीं कोई। गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएँ, आपको मेरी तरफ से हैं सभी॥ आपके प्रेरणा से हैं ये सफलताएँ, आपके आशीर्वाद से हैं ये चमत्कार। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर, मेरी भक्ति आपको समर्पित है॥ शिक्षक गुरु हैं, ज्ञान के सागर हैं। उनके बिना जीवन व्यर्थ है, आपको गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएँ॥ गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर, भगवान् आपको खुशियों से भर दे। गुरु के चरणों में अपना सर झुका कर, गुरु पूर्णिमा की बधाई स्वीकारें॥

Guru Purnima Speech in Hindi PDF Download

यह भी पढ़ें –

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) on ( Guru Purnima Speech in Hindi )

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है.

गुरु पूर्णिमा को शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है, जो हमें ज्ञान के साथ अध्ययन करने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुरु पूर्णिमा को कैसे मनाया जाता है?

गुरु पूर्णिमा को लोग अपने गुरुओं के समक्ष आभार व्यक्त करने के लिए विशेष आयोजन करते हैं। वे उन्हें फूल, श्रद्धांजलि और उपहार देकर धन्यवाद देते हैं।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या विशेष कार्यक्रम होते हैं?

गुरु पूर्णिमा के दिन विभिन्न स्कूल और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जैसे भाषण, संगठन, कविता पाठ, गाना, नाटक आदि।

गुरु का महत्व क्या है?

गुरु हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे हमें ज्ञान का सागर होते हैं और हमें सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

गुरु पूर्णिमा को विदेश में कैसे मनाया जाता है?

विदेश में भी गुरु पूर्णिमा को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार, भारतीय व्यापारियों, अध्यापकों, और छात्रों के समूहों ने विदेशों में भी गुरु पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया है।

इस अद्भुत अवसर पर आप सभी से यह आग्रह है कि आप भी अपने गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करें और उन्हें सम्मानित करें। गुरु पूर्णिमा के इस पवित्र दिन को सभी मिलकर धैर्य, समर्पण, और भक्ति के साथ आयोजित करें।

तो यह सब “ Guru Purnima Speech in Hindi | Guru Purnima Quotes in Hindi | Guru Purnima Speech in Hindi 500 Words| Guru Purnima Speech in Hindi 300 Words | Guru Purnima Par Speech in Hindi 200 Words के बारे में है।

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speech on guru purnima in hindi 2023

गुरुपौर्णिमा पर भाषण | Guru purnima Speech

Guru purnima Speech

“गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥”

भारत, त्योहारों और मेलों का देश है, जो कि अपनी रीति-रिवाज,परंपरा, संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। यहां सभी धर्मों, जाति, संप्रदाय के लोग मिलजुल कर अपने त्योहार को पूरे श्रद्धाभाव और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

वैसे ही हिन्दी महीने की आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

भारत के स्कूल, कॉलेज और विद्यापीठो में गुरु पौर्णिमा जैसा पवित्र त्यौहार बड़े उल्हास के साथ मनाया जाता है। गुरु पौर्णिमा धार्मिक और सामाजिक तौर पर मनाया जानेवाला त्यौहार है। हिन्दू धर्मं में ब्रह्मदेव, विष्णु और भगवान शिव की पूजा की जाती है उसी तरह शिक्षक भी समाज की सेवा करते इसीलिए समाज भी उनके प्रति कृतज्ञ है।

इसका मतलब यह भी निकलता है की जिस तरह हम भगवान की प्रार्थना करते है, उनकी पूजा करते है ठीक उसी तरह का सम्मान समाज के शिक्षक को दिया जाता है।

इसके साथ ही इस दिन वेद व्यास जी का पूजन भी किया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति आदर भाव और कृतज्ञता प्रकट करते हैं। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु के महत्व को समझने के लिए और उनके प्रति सम्मान का भाव पैदा करने के लिए स्कूल/कॉलेज भाषण और निबंध लेखन प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।

इसलिए आज हम अपने इस पोस्ट में गुरु पूर्णिमा के आदर्श पर्व पर एक भाषण उपलब्ध करवा रहे हैं, जब भी आप गुरु पौर्णिमा विषय पर भाषण देने की सोचेंगे तो यहाँ की जानकारी आपको मदत करेगी और आप किसी के भी सामने अच्छेसे भाषण दे पाएंगे। -तो आइए अब जानते हैं गुरु पूर्णिमा पर शानदार भाषण –

Guru Purnima Speech

गुरुपौर्णिमा पर भाषण – Guru purnima Speech

गुरुपौर्णिमा भारत का एक पारंपरिक और सांस्कृतिक त्यौहार है जिसे हमारे देश में व्यास पौर्णिमा नाम से जाना जाता है। हमारा ऐसा देश है जहा गुरु को भगवान माना जाता है। इसी दिन को सभी शिक्षको के लिए मनाया जाता है और इसी दिन वेद व्यास का जन्म भी हुआ था जिन्होंने चारो वेदों की निर्मिती की थी। इसीलिए भी गुरु पौर्णिमा को व्यास पौर्णिमा और व्यास जयंती भी कहा जाता है।

आषाढ़ महीने के पौर्णिमा के दिन गुरु पौर्णिमा मनाई जाती है और यह त्यौहार हर बार जून जुलाई महीने के बिच में मनाया जाता है। गुरु संस्कृत शब्द है और इसमें का ‘गु’ का मतलब होता है की अँधेरा और ‘रु’का अर्थ होता है दूर करनेवाला। यानि जो इन्सान हमारे जीवन में से अँधेरे को हटा देता है, और उजाला लेकर आता है उसे गुरु कहा जाता है।

मिटटी जब गीली होती है तभी उसे देखकर कोई बता नहीं सकता की उससे क्या बन सकता है। अगर उस मिटटी का सही तरह से इस्तेमाल ना किया जाए तो वह कुछ भी काम की नहीं होती। उसका समाज में कोई महत्व नहीं होता। वह केवल मिटटी ही रह जाती है और केवल लोगो के पैरों के निचे कुचली जाती है।

मगर जब कोई कुम्हार उस मिटटी को गिला करके उसे अपने हातो से कोई आकार देता है तो वही मिटटी एक मटके का रूप लेती है और समय आने पर किसी प्यासे इन्सान की प्यास बुझाने के लिए काम आती है। ठीक उसी तरह का काम हमारे जीवन में गुरु का होता है।

अगर हमारे जीवन में गुरु नहीं तो हमारी जिंदगी कुछ काम की नहीं रहती है। हम अपने जीवन में कुछ भी नहीं बन सकते। लेकिन अगर गुरु मिल जाए तो हमारा जीवन सफल होता है। वह हमें अपने जीवन में हर मोड़पर मार्गदर्शन करता। उसके मार्गदर्शन से हम अपने लक्ष्य तक पहुच सकते है। गुरु ही हमें जिंदगी की हर चुनौती का सामना करना सिखाता है। गुरु की वजह से ही हम एक काबिल इन्सान बन सकते है और समाज के लिए कुछ बेहतर दे सकते है। इसी गुरु की महिमा का वर्णन निचे दिया गया है।

गुरु पौर्णिमा को एक अध्यात्मिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुरु हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते है क्यों की जब भी हम निराश हो उस समय हम खुद को चुनौती दे सके और जीवन में आगे बढ़ सके।

कोई भी गुरु अपने शिष्य को उसके उद्देश्य को पुरा करने के लिए मदत नहीं करता लेकिन जो सच्चा गुरु होता है वह हमेशा अपने शिष्य का मार्गदर्शन करता है, उसे उसके उद्देश्य में सफल बनाने के लिए हर तरह की कोशिश करता है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह की वह हमेशा अपने शिष्य का साथ देता है।

गुरु हमें अपने लक्ष्य तक पहुचने के लिए मार्गदर्शन करता है और जबतक हम अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेते तब तक वह हमारा मार्गदर्शन करता रहता है। कोई साधू या कोई धार्मिक व्यक्ति या कोई पुजारी हमारा गुरु नहीं हो सकता। सच्चा गुरु वह होता है जो हमें कामयाब होने के लिए अपना समय दे सके हमारी हर हालत में मदत कर सके। हमारे सच्चे गुरु कौन होते है उनकी जानकारी निचे दी गयी है।

हमारे माता पिता हमारे पहले गुरु होते है जो हमें बचपन से ही सिखाना शुरू कर देते है। वह हमें बचपन से प्यार करना सिखाते है। वह हमारे बचपन के गुरु होते है और वही हमारी आखिरी तक सहायता करते रहते है और हमें अपने लक्ष्य तक पहुचाने में हर तरह की कोशिश करते है।

स्कूल में जो शिक्षक हमें पढ़ाते है वह हमारे दुसरे गुरु होते है वह हमें समाज और उसकी संस्कृति के बारे में सभी बाते समझाकर बताते है। गणित, विज्ञान, इतिहास सिखाने का काम केवल शिक्षक ही कर सकते है। समाज में रहने के लिए इन सब बातो का जानना बहुत जरुरी होता है। शिक्षक हम में नैतिकता को विकसित करने में काफी मदत करते है जिसकी वजह से हमें भविष्य में बहुत सारे फायदे होते है।

लेकिन कुछ उम्र गुजरने के बाद माता पिता और शिक्षक हमें प्रभावित नहीं कर सकते वह हमारी सोच को बदल नहीं सकते। लेकिन यह सब हमारा मित्र जरुर कर सकता है। हमारा मित्र चाहे कितना भी बुद्धिमान क्यों ना हो लेकिन वह हमारा दोस्त होने की वजह से वह हमारी मदत करता है और हमें हमेशा अच्छे काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है। इसीलिए वह भी एक तरह से हमारा गुरु होता है। युवावस्था के बाद शादी हो जाती है तो उसके बाद पति पत्नी भी एक दुसरे के गुरु बन सकते है।

इसका मतलब यह है की हर किसी के जीवन में कई सारे गुरु होते है और समय के साथ साथ गुरु के रूप बदलते रहते है। कोई भी ऐसा गुरु नहीं की वह जन्म से लेकर मरने तक हमारे साथ रह सके और हमारी मदत कर सके इसीलिए हमने खुद का भी गुरु होना चाहिए।

बहुत पुराने समय से हमारे देश में गुरु शिष्य के रिश्ते को बड़ा उचा स्थान दिया जाता है। वाल्मीकि, वेद व्यास, द्रोणाचार्य जैसे महान गुरु भारत जैसे पवित्र भूमि में जन्म ले चुके है। अर्जुन, एकलव्य जैसे पराक्रमी शिष्य केवल महान गुरु के मार्गदर्शन के कारण ही बन सके। गुरु पौर्णिमा के दिन सभी वेद व्यास जयंती मनाते है क्यों की इसी दिन वेद व्यास का जन्म हुआ था। महाभारत में वेद व्यास का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने ही हिन्दू धर्म के चारो वेदों की निर्मिती की थी।

गुरुपौर्णिमा पर भाषण – Guru Purnima Speech

सर्वप्रथम सभी को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं !

आदरणीय मान्यवर, सम्मानीय मुख्य अतिथि,प्रधानचार्या जी,सभी शिक्षक गण और यहां पर बैठे मेरे छोटे-बड़े भाई-बहनों और मेरे प्रिय दोस्तों आप सभी का मैं …. तहे दिल से आभार प्रकट करती हूं/करता हूं।

बेहद खुशी हो रही है कि, आज मुझे गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व के मौके पर  आप लोगों के समक्ष भाषण देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है। मैं गुरुपूर्णिमा पर अपने भाषण की शुरुआत, गुरु के मूल्यों समझाने पर लिखे गए एक संस्कृत श्लोक के माध्यम से करना चाहती हूं /चाहता हूं

“गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”

अर्थात् गुरु ही ब्रह्मा हैं,जो अपने शिष्यों को नया जन्म देता है, गुरु ही विष्णु हैं जो अपने शिष्यों की रक्षा करता है, गुरु ही शंकर है; गुरु ही साक्षात परमब्रह्म हैं; क्योंकि वह अपने शिष्य के सभी बुराईयों और दोषों को दूर करता है।ऐसे गुरु को मैं बार-बार नमन करता हूँ।

अपनी संस्कृति और विरासत के लिए पहचाने जाने वाले भारत देश  में गुरु पूर्णिमा का पर्व  बेहद महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व गुरुओं को समर्पित एक आदर्श पर्व है।

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा, आषाणी पूनम, गुरु पूनम आदि नामों से भी जाना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘गुरुपूर्णिमा’ का  पर्व पूरी श्रृद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।

आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को कई पुराणों, शास्त्रों, चारों वेदों को विभाजित करने वाले एवं हिन्दू धर्म के महाग्रंथ श्री महा भगवतगीता की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का भी जन्म हुआ था।

उनकी जयंती के उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है और इस पर्व को व्यास पूर्णिमा और व्यास जयंती के नाम से भी जाना जाता है। महार्षि वेद व्यास जी को गुरु-शिष्य परंपरा का प्रथम गुरु माना गया है।

गुरु हर किसी के जीवन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है गुरु के महत्व और इसके मूल्यों को सिर्फ शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है। गुरु हमारे जीवन में सभी अंधकारों को मिटाकर हमें प्रकाश की तरफ आगे बढ़ाता है और सही मार्गदर्शन कर हमें सफलता के पथ पर आगे बढ़ाता है।

इसलिए हिन्दू धर्म के शास्त्रों में गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है। गुरु के बिना कोई भी व्यक्ति ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता है और न ही अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकता है।

गुरु के बिना के किसी भी व्यक्ति का जीवन बिना नाविक के नाव की तरह होता है। जिस तरह बिना नाविक के नाव दिशाहीन होकर चलती है या फिर बेसहारा भंवर में फंस जाती है,ठीक उसी तरह बिना गुरु के मनुष्य जीवन रूपी भंवर में फंसा रहता है और दिशाहीन हो जाता है, उसे यह कभी ज्ञात नहीं होता है कि उसे जाना किस तरफ है।

गुरु अपनी पूरी जिंदगी अपने शिष्य को योग्य और सफल बनाने के लिए समर्पित कर देते हैं। इसलिए हमारे हिन्दू धर्म और शास्त्रों में गुरुओं को विशिष्ट स्थान दिया गया है और गुरु का भगवान का रुप मानकर गुरु पूर्णिमा के दिन उनका पूजन किया जाता है और उनके प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है।

वहीं गुरु की अद्भुत महिमा का बखान तो हिन्दी साहित्य के कई महान कवियों ने भी अपने लेखों, दोहों आदि के माध्यम से भी किया है। वहीं महान कवि कबीर दास जी ने अपने इस दोहे के माध्यम से गुरु को भगवान से बढ़कर दर्जा देते हुए कहा है कि –

“गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय। बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥”

संत कबीर दास जी ने अपने इस दोहे में यह कहा है कि अगर गुरू और गोबिंद अर्थात भगवान दोनों एक साथ खड़े हों तो हमें किसे प्रणाम करना चाहिए – गुरू को अथवा गोबिन्द को? उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में हमें अपने गुरू के चरणों में अपना शीश झुकाना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही भगवान तक जाने का रास्ता बताया है, अर्थात मोक्ष प्राप्ति का मार्ग दिखाया है और गुरु की कृपा से ही भगवान के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

गुरु, सभ्य समाज का निर्माण करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं एवं राष्ट्र के विकास में मद्द करते हैं। गुरु, परमात्मा और संसार के बीच एवं शिष्य और ईश्वर के बीच एक सेतु की तरह काम करते हैं।

गुरु के बिना किसी भी व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है, और बिना ज्ञान का कोई भी व्यक्ति आत्मसात नहीं कर सकता है। गुरु ही मनुष्य को उसके कर्तव्यों का बोध करवाता है एवं हमारे अंदर धैर्य अथवा धीरज पैदा करता है,ज्ञान का बोध करवाता है,और मोक्ष का मार्ग बताता है। इसलिए किसी विद्धान ने कहा भी है कि –

“गुरु बिना ज्ञान नहीं और ज्ञान बिना आत्मा नहीं, कर्म, धैर्य, ज्ञान और ध्यान सब गुरु की ही देन है।।”

गुरु के महत्व को समझने और अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धाभाव एवं कृतज्ञता प्रकट करने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व एक आदर्श पर्व है, जिसे एक अध्यात्मिक दिवस के रुप में मनाया जाता है।

गुरुओं को समर्पित इस पर्व का विशेष महत्व है। गुरु पूर्णिमा के इस शुभ दिन सिर्फ गुरु ही नहीं, बल्कि जिससे भी आपको अपनी जिंदगी में कुछ सीखने को मिला हो और जो भी आपसे बड़ा है,अर्थात माता-पिता, भाई-बहन आदि को भी गुरु के तुल्य समझकर उनका सम्मान करना चाहिए एवं उनका आर्शीर्वाद लेना चाहिए, क्योंकि गुरु के आशीर्वाद से ही जीवन सफल बनता है।

गुरु की महिमा का तो जितना भी बखान किया जाए उतना कम है। मैं अंत में एक दोहे के साथ अपने इस भाषण को विराम देना चाहती हूं/चाहता हूं –

“गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मोष। गुरू बिन लखै न सत्य को गुरू बिन मिटै न दोष।।”

धन्यवाद एवं शुभ गुरु पूर्णिमा।।

गुरु पूर्णिमा पर भाषण – Speech on Guru Purnima in Hindi

गुरु पूर्णिमा की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं ||

और मै हूं … मै कक्षा — का विद्यार्थी हूं। गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व के मौके पर यहां पर मौजूद सभी गणमान्य नागरिकों, आदरणीय अतिथिगण, सम्मानीय प्रधानाध्यपक, समस्त शिक्षकगण, सहपाठी और मेरे सभी छोटे भाई-बहन सभी को मेरा सादर प्रणाम।।

जाहिर है कि हम सभी गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व को मनाने के लिए इकट्ठे हुए हैं। मुझे बेहद खुशी हो रही है कि, मुझे इस पावन पर्व के मौके पर भाषण देने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है।

इस मौके पर मै कुछ शब्दों के माध्यम से अपने गुरुओं के प्रति अपनी भावनाओं  को प्रकट करना चाहता हूं/चाहती हूं,इसके साथ ही मै अपने गुरुओं के प्रति सम्मान एवं कृतज्ञता प्रकट करना चाहता हूं/चाहती हूं,जिनकी बदौलत आज मै इस मंच पर कुछ बोलने के काबिल बन सका हूं।

गुरु पूर्णिमा, हिन्दू धर्म का पवित्र त्योहार है। हर साल आषाण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन बेहद खुशी और उल्लास के साथ इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के त्योहार के दिन गुरुओं का सम्मान और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन ही 4 वेदों की निर्मति करने वाले और समस्त 18 पुराणों समेत महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना करने वाले विद्धानों के विद्धान महर्षि वेदव्यास जी का भी जन्म हुआ था,उनकी जयंती की उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा के इस पर्व को मनाया जाता है। साथ ही इस पर्व को व्यास पूर्णिमा अथवा व्यास जयंती भी कहा जाता है।

गुरु पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था और इसके साथ ही भगवान शिव ने भी इसी दिन सप्तऋषियों को योग करने का मंत्र दिया था।  इसलिए गुरु पूर्णिमा का बेहद महत्व है।

गुरु के प्रति श्रद्धा और समर्पण के इस पवित्र पर्व पर गुरु का पूजन करने की परंपरा है। इस दिन शिष्यों का अपने गुरुओं का आदर कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए, क्योंकि गुरु के आशीर्वाद से ही जीवन में सही दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।

वहीं आज की युवा पीढ़ी को गुरु के महत्व को समझाने के लिए और गुरु -शिष्य के रिश्ते की डोर और अधिक मजबूत करने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व एक आदर्श और श्रेष्ठ पर्व  है।

क्योंकि किताबें पढ़कर ज्ञान तो अर्जित किया जा सकता है,लेकिन उस ज्ञान को गुरु के बिना सही जगह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। वहीं गुरु के महत्व को किसी बड़े संत ने अपने इस दोहे में समझाते हुए कहा कि है –

“पंडित यदि पढि गुनि मुये, गुरु बिना मिलै न ज्ञान। ज्ञान बिना नहिं मुक्ति है, सत्त शब्द परमान।।”

अर्थात बड़े-बड़े विद्धान शास्त्रों को पढ़-लिखकर ज्ञानी तो बन सकते हैं, लेकिन गुरु के सही मार्गदर्शन के बिना उन्हें मोक्ष प्राप्त नहीं हो सकता है।

इसलिए हर किसी को अपने जीवन में गुरुओं के महत्व को समझना चाहिए। क्योंकि माता-पिता के बाद गुरु ही होते हैं, जो इस संसार रुपी ज्ञान का बोध करवाकर इस जीवन रुपी भव सागर से पार करवाता है साथ ही ऐसे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है, जिसे कर व्यक्ति मृत्यु के बाद भी अमर हो जाता है।

इसलिए, गुरु को ईश्वर का दर्जा दिया गया है, वहीं जिस तरह देवताओं की पूजा की जाती है, वैसे ही गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर  गुरु को भी पूजा जाता है और उनका आदर-सम्मान किया जाता है।

वहीं आजकल गुरु-शिष्य के रिश्ता काफी कलंकित हो रहा है,न तो आज गुरु द्रोणाचार्य जैसे सच्चे गुरु मिलते हैं,और न ही गुरु के कहने मात्र पर अपना अंगूठा काट देने वाले एकलव्य जैसे शिष्य मिलते हैं। वहीं आज गुरु-शिष्य के रिश्ते की परिभाषा जरूर बदल गई है।

आजकल कुछ शिष्य ऐसे हैं जो अपने घमंड और झूठी शान के चलते अपने गुरुओं का आदर नहीं करते हैं,वहीं कुछ गुरुओं के लिए विद्या देना एक धंधा बन चुका है।

हालांकि आज भी कई ऐसे गुरु हैं अपने शिष्यों न सिर्फ किताबों के पाठ समझाने में मद्द करते हैं बल्कि उनका सही मार्गदर्शन कर अपने शिष्यों के आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। वहीं हिन्दी साहित्य के महान कबीर दास जी ने अपने इस दोहे के माध्यम से गुरु के महत्व को बताते हुए कहा है कि –

“हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥”

अर्थात भगवान के रूठने पर तो गुरू की शरण रक्षा कर सकती है, लेकिन गुरू के रूठने पर कहीं भी शरण मिलना सम्भव नहीं है। इसलिए, हर शिष्य को अपने गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए और उनके बताए गए मार्ग पर चलना चाहिए तभी उसके जीवन का उद्दार हो सकता है।

गुरुओं को समर्पित गुरु पूर्णिमा का इस पावन पर्व पर सभी शिष्यों को अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें अपने जीवन को सफल और समाज में उठने -बैठने लायक एक सभ्य और योग्य पुरुष बनाने के लिए उनका आभार जताना चाहिए।

वहीं गुरु की महिमा को सिर्फ शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है। इस बारे किसी महान विद्धान ने भी अपने इस दोहे के माध्यम से कहा है कि –

“सब धरती कागज करू, लेखनी सब वनराज। सात समुंद्र की मसि करु, गुरु गुंण लिखा न जाए।।”

अर्थात अगर  पूरी धरती को लपेट कर कागज बना लिया और सभी जंगलों के पेड़ो से कलम बना ली जाए, एवं इस दुनिया के सभी समुद्रों को मथकर स्याही बना ली जाए,तब भी गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है।

गुरुओं को समर्पित गुरु पूर्णिमा यह पावन पर्व गुरु-शिष्य के पवित्र रिश्तों को और अधिक मजबूत बनाने का काम करता है।

वहीं हिन्दू धर्म के शास्त्रों और हमारी भारतीय संस्कृति में भी गुरु-शिष्य के पवित्र रिश्ते को दाता-भिखारी का न बनाकर सहयोगी व साझेदारी का बनाया है, जिसमें गुरु अपने प्रेम, स्नेह,मेहनत और तप से शिष्य के आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण कर उसे सफल बनाते हैं।

वहीं गुरू की महिमा का बखान करना तो सूरज को दीपक दिखाने की तरह है। फिलहाल, हम सभी को अपने गुरुओं का आदर-सम्मान करना चाहिए,वहीं गुरुओं का भी परम कर्तव्य है कि वे अपने शिष्य को सही दिशा में आगे बढाएं।

इसी के साथ मै महासंत कबीर दास जी के एक दोहें के माध्यम से अपने भाषण को विराम देना चाहता हूं/चाहती हूं।

“यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान। शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।”

धन्यवाद।।

गुरु पूर्णिमा पर भाषण – Guru Purnima par Bhashan

सर्वप्रथम सभी को मेरा नमस्कार –

मै …….कक्षा — का विद्यार्थी हूं। गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व के उपलक्ष्य में हम सब यहां इकट्ठे हुए हैं, मैं यहां पर मौजूद सभी गणमान्य नागरिकों, और शिक्षकगणों को नमन करता हूं।

इस मौके पर मैं गुरुओं को समर्पित इस पर्व में भाषण प्रस्तुत करते हुए खुद को गौरान्वित महसूस कर रहा हूं कि इस अवसर पर मुझे अपने गुरुओं के प्रति अपनी भावनाओं को प्रकट करने का मौका मिला है –

हिन्दू कैलेंडर के आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘गुरुपूर्णिमा’ का पर्व पूरे भारत में पूरी श्रृद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के महाकाव्य महाभारत की रचना करने वाले एवं चार वेदों को विभाजित करने वाले महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा के पर्व को मनाया जाता है।

वेदव्यास जी को  गुरु-शिष्य परंपरा का प्रथम गुरु माना गया है। इसके साथ ही इसी दिन भगवान शंकर ने सप्तऋषियों को भी योग करने का मंत्र दिया था। इसलिए भी गुरु पूर्णिमा के पर्व का हिन्दू धर्म में खास महत्व है।

यह पर्व गुरुओं का पूजन और उनका सम्मान करने का दिन है। गुरु ने ही हमारे अंदर सोचने-समझने की क्षमता विकसित कर हमें सही – गलत की पहचान करवाई है और हमें आपस में प्रेम करना, दूसरे पर दया करना, जरुरतमंदों की मद्द करना,बेजुबानों की रक्षा करना समेत कई ऐसे संस्कारों और भावनाओं का हमारे अंदर विकसित कर  हमें एक सभ्य और शिक्षित पुरुष बनने में हमारी मद्द की है।

जाहिर है कि गुरु, अपने शिष्यों को एक योग्य एवं सफल पुरुष बनाने के लिए अपना पूरा जीवन कुर्बान कर देते हैं, वहीं गुरुओं की मेहनत, त्याग और समर्पण से ही शिष्यों का उद्दार होता है साथ ही एक सभ्य समाज और शिक्षित राष्ट्र का निर्माण होता है।

वहीं हिन्दी साहित्य के महान संत कबीरदास जी ने गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए अपने इस दोहे में कहा है कि –

“ज्ञान समागम प्रेम सुख, दया भक्ति विश्वास। गुरु सेवा ते पाइए, सद् गुरु चरण निवास।।”

अर्थात ज्ञान, सन्त- समागम, सबके प्रति प्रेम, निर्वासनिक सुख, दया, भक्ति सत्य-स्वरुप और सद् गुरु की शरण में निवास – ये सब गुरु की सेवा से ही प्राप्त होता है। इसलिए हम सभी को अपने गुरुओं का सम्मान करना चाहिए।

गुरु, मनुष्य के जीवन का मूल आधार होते हैं,क्योंकि गुरु के बिना विद्या और ज्ञान अर्जित नहीं किया जा सकता है और ज्ञान के बिना मनुष्य एक पशु के सामान होता है, क्योंकि मनुष्य के ज्ञान और विवेकशीलता के तर्ज पर ही मानव और पशु में अंतर किया जाता है।

वहीं एक शिक्षित व्यक्ति ही समाज में खुद को साबित कर पाने की क्षमता रखता है। वहीं एक गुरु ही अपने शिष्य के अंदर ऐसे गुणों का विकास करता है जिससे वह अपने कर्मपथ पर आगे बढ़ता है और अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के योग्य बनता है।

इसलिए सभी को अपने गुरुओं का आदर करना चाहिए। वहीं गुरु पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर हर शिष्य को अपने गुरु का ध्यान करना चाहिए और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए।

गुरु-शिष्य का रिश्ता निस्वार्थ होता है,जिसमें गुरु निस्वार्थ भाव से अपने शिष्य को ज्ञान देता है और उसे अपने जीवन में सही पथ पर चलने एवं सही कर्मों को करने की शिक्षा देता है। इसलिए सभी को अपने गुरुओं के प्रति श्रद्धा रखनी चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।

गुरु की अद्भुत महिमा और उसके महत्व को शब्दों में नहीं पिरोया जा सकता है। इसी के साथ मै अपने इस भाषण को किसी महान कवि के दोहे द्धारा विराम देना चाहता हूं/चाहती हूं।

“गुरु ग्रंथन का सार है, गुरु है प्रभु का नाम, गुरु अध्यात्म की ज्योति है,गुरु हैं चारों धाम।।”

गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। ( Happy Guru Purnima )

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That are a very simple and inexpensive speech

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गुरु का महत्व पर भाषण स्पीच निबंध 2024 Speech On Guru Purnima In Hindi

Speech On Guru Purnima In Hindi | गुरु का महत्व पर भाषण स्पीच निबंध 2024 -गुरु पूर्णिमा एक भारतीय पर्व हैं, जो हजारों सालों से मनाते आ रहे हैं, हिन्दू सिख और बोद्ध धर्म अनुयायी इसे हर्षोल्लास से मनाते हैं,   

महाभारत के  रचनाकार और आदि गुरु वेद व्यास जी की जन्म तिथि पर गुरु पूर्णिमा का त्यौहार आधारित हैं. हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता हैं.

प्रत्येक इंसान के जीवन में मार्गदर्शक (शिक्षक, गुरु) का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं, जिन्हें भगवान् के समकक्ष समझा जाता हैं. इसी गुरु शिष्य परम्परा को आगे बढ़ाते हुए, अपने गुरुजनों का मान सम्मान कर इस त्यौहार को मनाया जाता हैं.

गुरु पूणिमा 2024  का पर्व 21 जुलाई को मनाया जाएगा.  गुरु का महत्व पर निबंध में गुरुदेव का व्यक्ति के जीवन में इम्पोर्टेंस को दर्शाया गया हैं.

Speech On Guru Purnima In Hindi | गुरु का महत्व पर भाषण 2024

2024 Guru Purnima Speech, Thoughts, Mahatva, Importance, Poem, Nibandh In Hindi :-

व्यक्ति का जीवन संवारने के लिए गुरु का होना आवश्यक होता है. जीवन के संस्कार और शिक्षा का अनुमान गुरु के होने से ही लगाया जा सकता है. कोई व्यक्ति जीवन में गुरु की कृपा से ही उन्नति कर सकता है. स्वार्थी संसार में आज भी गुरु निस्वार्थ भाव से शिक्षा सभी को बाटते है.

एक गुरु हमारे लिए अपना जीवन न्योछवर कर देता है. इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है, कि हम उनका सम्मान करे. तथा उनका अनुसरण करें. हमें हमेशा जीवन में गुरु की तरह नहीं करना चाहिए, बल्कि गुरु के कहने के अनुसार करना चाहिए.

गुरु शब्द दो शब्दों के संयोग से बना हैं, गु+रु जिनमे गु का अर्थ अन्धकार और रु से आशय उजाला होता हैं. इन्ही पावन शब्दों के मेल से बनने वाला गुरु शब्द हमे अन्धकार रूपी जीवन से निकालकर उजाले की ओर ले जाता हैं. इस दिन देशभर में अलग-अलग तरीके से अपने गुरुजन को सम्मानित किया जाता हैं,

कही पूजा पाठ तो कही मेले. शिक्षण संस्थाओ में नन्हे मुन्ने बालक अपने गुरुजनों के सम्मान में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर अपने गुरूजी को गुरु दक्षिणा में अपने सामर्थ्य के मुताबिक़ उपहार भेट करते हैं.सभी धर्मों में अपने-अपने पूजा स्थल पृथक हो सकते हैं.

मगर गुरु को धर्म की सीमाओं में नही बाधा जा सकता हैं. गुरु किसी भी धर्म से हो सकता हैं. सभी धर्मो से उपर उठकर एकता और भाईचारे का संदेश हमे गुरु ही तो देता हैं. गुरु कोई भी हो सकता हैं.

आपके बड़े भाई पिताजी या प्राथमिक शाला के शिक्षक भी, गुरु का अर्थ मात्र पुस्तक में लिखी बात को सुनाने वाला भर नही, बल्कि गुरु तो वह हैं, जो अपने शिष्य को जीवन में आगे बढ़ने की सही राह बताए. गुरु पुर्णिमा की परम्परा उस समय से चली आ रही हैं,

जब आज कि तरह पढने के लिए विद्यालय नही हुआ करते थे. बालक पढने के लिए गुरुकुल जाया करते थे.

एक निश्चित समयावधि में अपनी शिक्षा पूरी करने बाद वे आज ही के दिन गुरु पुर्णिमा को ही अपनी श्रद्धा के अनुसार गुरु को गुरु दक्षिणा देकर गृह प्रस्थान करते थे.

आज हम सदियों पुरानी एक परम्परा के सारथी हैं, गुरुजी हमारे लिए भगवान , अल्लाह,ईश्वर, रब,गॉड से भी बढ़कर हैं, क्युकि इन्होने ही तो हमे इनकी पहचान कराई हैं. दुनिया के इस ढंग से परिचित करवाया हैं.

गुरु पूर्णिमा 2024 – गुरु पूर्णिमा पर भाषण, निबंध Speech, essays on Guru Purnima In Hindi

21 जुलाई 2024, के दिन गुरु पूर्णिमा को भारत भर में पूर्ण श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाएगा. गुरु के बारे में कहा गया है, साधक को जितनी भक्ति भगवान की करनी चाहिए, उतनी ही श्रद्धा व भक्ति अपने गुरुदेव के प्रति रखनी चाहिए. गुरु ही वों इंसान हैं, जो व्यक्ति को ईश्वर प्राप्ति की सही राह दिखाता हैं.

गुरु के बिना इस संसार में कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता, अगर चाणक्य जैसा गुरु मिल जाए तो एक साधारण इंसान भी चक्रवर्ती सम्राट बन सकता हैं.

आज हर एक सफल राजनेता, फिल्म अभिनेता, खिलाड़ी, व्यवसायी अपना गुरु चुनता हैं तथा उनके बताए गये कथनों पर चलकर व्यक्ति सफलता की राह आसान कर लेता हैं.

गुरु पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी हैं, प्राचीनकाल में पढ़ने के लिए छात्र गुरुकुल जाया करते थे, जहाँ अपने गुरु के साथ रहकर विद्यार्जन किया करते थे. इस दिन छात्र अपनी श्रद्धा तथा सामर्थ्य के अनुसार गुरु दक्षिणा दिया करते थे.

भले ही आज हमारी शिक्षा का स्वरूप बदल गया हो, मगर आज भी गुरु शिष्य संबंध वही हैं, जो हमे किताबों में पढ़ने को मिलते है. गुरु पूर्णिमा जैसे अवसर गुरु के महत्व को उजागर करते हुए हमें उनका सम्मान करने के लिए प्रेरित करते हैं.

इस दिन कई स्थानों पर विशाल मेले तथा भंडारों का आयोजन किया जाता हैं. इस दिन गंगा सहित पवित्र नदियों में स्नान भी किया जाता हैं, मन्दिरों में पूजा पाठ होते हैं.

विद्यालयों में गुरु के सम्मान में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं. अपने गुरुजनों को सम्मानित कर उनके बारे संदेश, शायरी, भाषण, मैसेज, कविता, निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता हैं.

गुरु पूर्णिमा का अर्थ व महत्व (Meaning and Importance of Guru Purnima In Hindi)

आदि गुरु कृष्ण द्वैपायन व्यास जी का इस दिन जन्म दिन हैं, उन्होंने महाभारत जैसे ग्रंथ की रचना की थी, इन्ही महापुरुष के जन्म दिन को यादगार बनाने के लिए गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता हैं.

शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसको मिटाने वाला । गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर (अँधेरे) का सच्चे ज्ञान से बाहर निकालता हैं. अर्थात व्यक्ति के भीतर भरे अँधेरे को ज्ञान रूपी रोशनी से मिटाने का कार्य करने वाले पुरुष को गुरु की संज्ञा दी जाती हैं.

गुरु के लिए संस्कृत में एक श्लोक (slogan) बहुत प्रसिद्ध हैं, इससे गुरु का महत्व स्पष्ट हो जाता हैं.

“अज्ञान तिमिरांधश्च ज्ञानांजन शलाकया,चक्षुन्मीलितम तस्मै श्री गुरुवै नमः “

जीवन में गुरु का महत्व

साई बाबा यह नाम तो शायद ही कोई होगा, जो नही जानता. शिर्डी के सच्चे दरबार हर कोई भक्त अपने जीवनकाल में एक बार दर्शन अवश्य करना चाहता हैं. अपने जीवन काल में साईं बाबा मात्र एक फक्कड थे और भगवान् की भक्ति किया करते थे.

उनके परिवार वालों को भी साईं से कोई विशेष लगाव नही था. जब साईं बाबा ने योग धारण किया तब वे महाराष्ट्र के शिर्डी नामक गाँव में आकर रस-बस गये. इंतकाल तक वे यही रहे. 15 अक्टूबर 1918 शिर्डी के इस बाबा का देहांत हो गया था.

Shirdi Sai Baba के मन्दिर हर वर्ष आषाढ़ की गुरु पूर्णिमा को विशाल मेला भरता हैं, देश विदेश से लाखों यात्री गुरु पूर्णिमा के ही दिन साईं का दर्शन करते हैं. अपनी म्रत्यु के बाद उन्होंने कई चमत्कार दिखाए.

जिनसे आधुनिक युग के लोगों में भी साईं बाबा के प्रति श्रद्धा और भक्ति की अटूट भावना पैदा हो गईं. कई दशक पहले राज्य में फैली महाबिमारी से Shirdi Sai Baba ने ही तो असंख्य की जान बचाई थी.

गुरुपूर्णिमा पर भाषण Guru Purnima 2024 Speech in Hindi

सभी को नमस्ते और सुप्रभात, मैं श्याम राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जयपुर शहर का छात्र हूँ आज आप सभी के समक्ष हमारे गुरु पर्व यानि गुरुपूर्णिमा पर भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ.

आज हम सभी अपने अपने गुरुजनों के सम्मान में यह पर्व मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं. हिन्दू कलैंडर के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती हैं जो अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार जुलाई माह में आती है इस साल 2024 में यह पर्व आज 21 जुलाई को सम्पूर्ण देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है.

गुरु पूर्णिमा का महत्व: बता दें कि गुरु पूर्णिमा त्यौहार का हिंदू धर्म में विश्वास करने वालो का एक बड़ा दिन है ऐसा कहा जाता है. सच्चे मार्गदर्शक गुरु के बिना व्यक्ति का जीवन पाशविक जीवन की तरह रह जाता है.

मानव को एक सभ्य सामाजिक प्राणी कहा जाता है. मनुष्य में सभ्य बनने, सभी के साथ मिल जुलकर रहने के गुणों का संचार गुरु ही करता हैं. जो एक अज्ञानी जीव को संसार में उपयुक्त तरीके से रहने एवं जीने के तौर तरीको का ज्ञान देता है.

इन्सान गुरु के मार्गदर्शन के बिना समाज का हिस्सा नहीं बन सकता हैं. हम यह नहीं जान पाते है कि हम कौन और क्यों हैं हमारे दायित्व क्या है हमें क्या करना चाहिए तथा क्या नहीं. इन समस्त शिक्षाओं की शुरुआत हमारे जन्म के बाद से ही शुरू हो जाती हैं.

इस तरह व्यक्ति की पहली गुरु उसकी माँ होती हैं. जो दूध पीना, उठाना, अंगुली पकड़कर चलना, बोलना आदि हमें सिखाती हैं.

वर्षा ऋतू के आगमन में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता हैं. भारत तथा नेपाल में इसे मुख्य रूप से हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म को मानने वाले पारम्परिक रूप से मनाते हैं.

मगर अब तो जहाँ जहाँ संसार में भारतीय रहते है वहां अपने उत्सवो को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. पर्व के अवसर पर मौसम भी सुहाना बन जाता है. इस दिन शिष्य अपने अध्यापकों, गुरुजनों आदि का सम्मान करते हैं.

गुरु कौन है तथा हमारे जीवन में उनका क्या योगदान हैं. संत कबीर ने इसे बेहद सरल तरीके से अपने दोहे में बताया है जो इस प्रकार हैं.

“सब धरती कागज करू, लेखनी सब वनराज। सात समुंद्र की मसि करु, गुरु गुंण लिखा न जाए।।”

“गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय।”

आषाढ़ पूर्णिमा का दिन यादगार दिवस है इस दिन हम गुरु पूर्णिमा तो मनाते ही है साथ ही महाभारत के रचयिता मुनि वेद व्यास जी का जन्म दिन भी हैं उन्हें आदि गुरु भी कहा जाता हैं.

इसके अलावा आज के दिन कबीर जी के शिष्य घीसादास जी का जन्म भी हुआ था. इससे बढ़कर यह दिन बौद्ध धर्म में भी बड़ा महत्व रखने वाला हैं. गौतम बुद्ध ने आज ही के दिन सारनाथ में पहला उपदेश दिया था. आदिगुरु भगवान शिव ने भी आज ही के दिन सात ऋषियों को योग ज्ञान दिया था.

सिख धर्म में गुरु को ईश्वर से उंचा दर्जा प्राप्त हैं. धर्म के सभी दस गुरुओं को इश्वर के समतुल्य सम्मान दिया जाता हैं उनके प्रत्येक उपदेश व शिक्षा का कठोरता से पालन किया जाता हैं.

साल में गुरुओं के सम्मान के लिए दो दिन बड़े विशिष्ट हैं पहला गुरु पूर्णिमा तथा दूसरा शिक्षक दिवस, जो प्रतिवर्ष 5 सितम्बर को सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में हम मनाते हैं.

भारत में गुरु शिष्य परम्परा बेहद प्राचीन एवं सबसे निकटतम रिश्ते वाली मानी जाती हैं. सदियों से आषाढ़ पूर्णिमा को शिष्य अपने गुरुजनों का सम्मान करते आए हैं.

अब थोडा समय बदल गया हैं हमने गुरु के पर्याय को टीचर्स के साथ जोड़ लिया हैं जबकि सही मायनों में गुरु वही होता हैं जो हमारी आत्मा में अज्ञान रुपी बसे अन्धकार को दूर कर ज्ञान की ज्योति प्रज्वलित करता हैं.

प्राचीनकाल में हमारे देश में औपचारिक शिक्षा का एकमात्र माध्यम हमारे गुरुकुल हुआ करते थे. जो एकांत में निर्मित आवासीय विद्यालय का ही रूप होते थे.

एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद अभिभावक अपने बच्चें को गुरु की चरण में वहां छोड़ आते थे. छात्र गुरु के पास रहकर ही विद्यार्जन करते थे तथा शिक्षा पूर्ण होने पर घर को लौटते थे.

हमारी आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में हरेक बस्ती में विद्यालय बने हुए हैं जहाँ जाकर हमारे बच्चें ज्ञानार्जन करते है तथा घर लौट आते हैं. शिक्षक उस दौर में भी राजकीय कर्मचारी हुआ करते थे जो आज भी हैं.

समय के इस चक्र बदला है तो समाज का शिक्षक के प्रति रवैया और ठीक उसी तरह शिक्षक भी स्वयं को संविदा पर रखे एक कार्मिक की तरह पाठ्यक्रम को किसी तरह पूर्ण करवाने के प्रयत्न में रहते हैं.

आज शिष्य और गुरु के बीच वह स्नेहिल रिश्ता खत्म होता जा रहा हैं. इसकी एक बड़ी वजह हमारी शिक्षा नीतियाँ तथा शिक्षा का निजीकरण भी हैं. हमें इन्ही परिस्थितियों में गुरु के सम्मान को पुनः बहाल करना होगा.

हमारे गुरुजनों को भी अपने शिष्यों के प्रति पुत्रवत व्यवहार करना चाहिए तथा उन्हें जीवन में सही पथप्रदर्शन करना होगा. वे ही हमारे समाज देश के भविष्य निर्माता है.

यहाँ विराजमान समस्त गुरुजनों के चरणों में कोटि कोटि नमन करते हुए मैं गुरु पूर्णिमा भाषण को यही विराम देना चाहूँगा, जय हिंद.

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Guru Purnima Speech in Hindi: इस गुरु पूर्णिमा अपने गुरु को समर्पित करें ये भाषण, खूब होगी तारीफ

11 months ago . New Delhi

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2 hours ago . Los Angeles, CA, USA

Guru Purnima Speech in Hindi: इस गुरु पूर्णिमा अपने गुरु को समर्पित करें ये भाषण, खूब होगी तारीफ

साल 2023 में 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा.

हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का दिन गुरुओं को समर्पित है., शास्त्रों के अनुसार, गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर बताया गया है..

Guru Purnima Speech in Hindi: हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है. यह दिन गुरुओं को समर्पित है. इस दिन गुरुओं की पूजा करने और उनका आशीर्वाद लेने से बहुत लाभ मिलता है. गुरु पूर्णिमा आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. दरअसल, महर्षि वेद व्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हुआ था और उन्हें दुनिया के पहले गुरु का दर्जा दिया गया है. इसीलिए महर्षि वेद व्यास के सम्मान में आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई 2023, सोमवार को मनाई जाएगी. इस खास मौके पर हम आपके लिए भाषण की कुछ पंक्तियां लेकर आए हैं, जिन्हें आप अपने भाषण में शामिल कर इसे और आकर्षक बना सकते हैं.

यह भी पढ़ें: Who is Bidhan Chandra Roy: कौन थे बिधान चंद्र रॉय? जिनकी याद में मनाया जाता है नेशनल डॉक्टर्स डे

Guru Purnima Speech in Hindi

गुरु पूर्णिमा हमारे शिक्षकों के प्रति हमारी कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने के लिए समर्पित एक विशेष दिन है, जो हमारे जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

गुरु सिर्फ एक शिक्षक नहीं है जो ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि एक प्रकाश स्तंभ है जो हमारे मार्ग को रोशन करता है, मूल्यों को स्थापित करता है और हमारे भीतर सीखने का जुनून जगाता है.

शिक्षक पाठ्यपुस्तकों और कक्षाओं से आगे बढ़कर जीवन के मूल्यवान सबक देते हैं और जीवन के सबक एक मित्र, एक सहपाठी बन जाते हैं जो हमेशा हमारे साथ रहता है.

भले ही आज हमारी शिक्षा का स्वरूप बदल गया है, लेकिन गुरु-शिष्य का रिश्ता आज भी वही है, जो हमें किताबों में पढ़ने को मिलता है.

इस गुरु पूर्णिमा पर, आइए हम अपने गुरुओं के अपार योगदान का धन्यवाद करें. शिक्षण जो हमें ज्ञान के साथ सशक्त बनाने के लिए अपना समय, ऊर्जा और विशेषज्ञता समर्पित करते हैं.

शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का अर्थ बताया गया है- उसे नष्ट करने वाला. गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह सच्चे ज्ञान से अज्ञान को तिमिर (अंधकार) से दूर कर देते है.

वे मार्गदर्शक सितारे हैं जो हमारे भीतर जिज्ञासा और जुनून की आग जलाते हैं.

मैं उन सभी शिक्षकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हु जिन्होंने हमारे जीवन में मार्गदर्शक भूमिका निभाई.

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गुरुपूर्णिमा पर भाषण Speech on Guru Purnima in Hindi

आदरणीय प्रिंसिपल सर, सभी शिक्षकगण, सहपाठियों और अभीभावकों को मेरा नमस्कार। मैं आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।

मेरा नाम…..है. मैं कक्षा… में अध्ययन करता हूं। आज हम सभी “गुरु पूर्णिमा पर्व” मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ (जून- जुलाई) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को  मनाया जाता है। इस अवसर पर मैं एक भाषण प्रस्तुत कर रहा हूँ।  

“गुरु पूर्णिमा पर्व” नेपाल में मुख्य रूप से हिन्दू, बुद्ध और जैन धर्म के लोग मनाते है। इस दिन गुरुओ, शिक्षको की पूजा और सम्मान किया जाता है। यह पर्व वर्षा ऋतु की शुरुवात में मनाया जाता है। इस समय तापमान बहुत ही अनुकूल रहता है।

सभी का पढ़ने में बहुत मन लगता है। यह दिन महाभारत ग्रंथ के रचयिता महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में भी मनाते है। इनको सम्पूर्ण मानव जाति का गुरु माना जाता था। गुरु पूर्णिमा के दिन ही संत कबीर के शिष्य संत घीसादास का जन्मदिवस भी मनाया जाता है।

इस दिन ही भगवान गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। इस दिन ही भगवान शिव ने सप्तऋषियो को योग का ज्ञान दिया था और प्रथम गुरु बने थे।

महान संत कबीरदास ने गुरु के महत्व को इस तरह बताया है-

गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय।

अर्थात यदि भगवान और गुरु दोनों सामने खड़े हो तो मुझे गुरु के चरण पहले छूना चाहिये क्यूंकि उसने ही ईश्वर का बोध करवाया है। सिख धर्म में गुरु का विशेष महत्व है क्यूंकि इस धर्म के लोग 10 सिख गुरु की पूजा करते है। उनके बताये मार्ग पर चलते है।

हमारे देश में हर साल 5 सितम्बर को “शिक्षक दिवस” मनाया जाता है, जिसमे गुरू का सम्मान किया जाता है। इस दिन स्कूल, कॉलेजों में गुरुओ, शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है।

उनके सम्मान में सभी लोग भाषण देते है, गायन, नाटक, चित्र, व अन्य प्रतियोगितायें आयोजित की जाती है। पुराने विदार्थी स्कूल, कॉलेज में आकर अपने गुरुजन को उपहार भेंट करते है और उनका आशीर्वाद लेते है।

नेपाल में “गुरु पूर्णिमा” का पर्व गुहा पूर्णिमा के रूप में मनाते है। छात्र अपने गुरु को स्वादिस्ट व्यंजन, फूल मालाएं, विशेष रूप से बनाई गयी टोपी पहनाकर गुरु का स्वागत करते है। स्कूल में गुरु की मेहनत को प्रदर्शित करने के लिए मेलो का आयोजन किया जाता है।

इस दिवस को मनाकर गुरु-शिष्य का रिश्ता और भी मजबूत हो जाता है। स्कूल, कॉलेज की शिक्षा के बाद हम सभी को गुरु (टीचर्स) की बहुत जरूरत पड़ती है। विद्यार्थी किस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाये इसे पता करना बहुत कठिन होता है।

अनेक विकल्प होते है पर कौन सा विकल्प सही है इसका अनुमान करना बहुत कठिन होता है। प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी करे, इंजीनियरिंग करे, डॉक्टर बने या आई टी सेक्टर में कोर्स करे। होटल मैनजेमेंट करे या एमबीए (MBA) करे।

सेना में जाये या बैंकिंग, SSC, रेलवे, शिक्षक, वकालत जैसा कोर्स करे। कई बार विद्दार्थी बहुत दुविधा में रहते है की कौन सा कोर्स करे। ऐसे में गुरु (टीचर्स) ही हमारी योग्यताओ के अनुसार काउंसलिंग करते है।

आजकल यह बहुत प्रसिद्ध हो गया है। अनेक प्राइवेट संस्थाये बच्चो का टेस्ट और रूचि, रुझान देखकर बताती है की हमे किस कोर्स को करना चाहिये। इसलिए गुरु की जरूरत हमे करियर बनाने में बहुत पड़ती है। इतना ही नही गुरु जीवन भर सही रास्ता दिखाता रहता है।

पी०एच० डी० जैसे कोर्स किसी गुरु की देख रेख में ही किया जाता है। हमारे गुरु न सिर्फ बच्चों को बल्कि प्रौढ़ लोगो को भी शिक्षा देते है। नेत्रहीन बच्चो को शिक्षित करने का काम हमारे गुरु ही करते है।

गुरु ही बच्चों, विद्दार्थियों को सही शिक्षा देकर आदर्श नागरिक बनाता है। गुरु के द्वारा शिक्षा लेकर बच्चे सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे बड़े पद को प्राप्त करते है। कोई बच्चा कुशल डॉक्टर बनता है तो कोई कुशल शिक्षक। कोई IAS, PCS करके जिलाधिकारी, अधिकारी जैसा बड़ा पद प्राप्त करता है।

यह तो बात हो गयी करियर की । पर आगे जैसे जैसे हम जिन्दगी में आगे बढ़ते जाते है हमे अनेक तरह की चिंताएं, परेशानियां, समस्याएँ घेर लेती है। ऐसे में आध्याम्तिक गुरु हमे सही राह दिखाते है।

आज देश में श्री श्री रविशंकर , ओशो, जयगुरुदेव, मोरारजी बापू, बाबा रामदेव जैसे अनेक गुरु है जो समाज कल्याण का काम कर रहे है। आज का समाज अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। देश में आतंकवाद , भ्रष्टाचार, अपराध, दूषित मनोवृति, महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ अपराध, बलात्कार जैसी घटनाये बढ़ रही है।

इसका कही न कही संकेत है की लोग भटक गये है। दूषित अपराधिक मन का शिकार बनकर ऐसे अपराध कर रहे है। ऐसी में अत्यात्मिक गुरु हमे सही राह दिखाते है। श्री श्री रविशंकर लोगो को सुदर्शन क्रिया द्वारा तनाव मुक्त होना सिखाते है।

वो हिंसा एवं तनावमुक्त समाज की स्थापना करना चाहते है। इन्होने “आर्ट ऑफ़ लीविंग” फाउन्डेशन की स्थापना की है। बाबा रामदेव बहुत ही प्रसिद्ध गुरु/बाबा है। इन्होने योग को देश के घर घर में पहुँचाया है। हजारो रोगियों का इलाज अपने योग द्वारा किया है।

बाबा रामदेव निशुल्क रूप से योग सिखाते है। इन्होने इसे देश में ही नही बल्कि विदेशो में बहुत प्रसिद्ध कर दिया है। इसके अतिरिक्त इन्होने “पतंजलि आयुर्वेद” कम्पनी की स्थापना की है जो देश भर में सस्ती आयुर्देविक दवाइयां बनाकर बेचती है। इस तरह हम सबके जीवन में गुरु का सदैव महत्व रहता है।

सब धरती कागज करू , लेखनी सब वनराज। सात समुंद्र की मसि करु , गुरु गुंण लिखा न जाए।।

अर्थात यदि पूरी धरती को लपेट कर कागज बना लूँ, सभी वनों के पेड़ो से कलम बना लूँ, सारे समुद्रो को मथकर स्याही बना लूँ, फिर भी गुरु की महिमा को नही लिख पाऊंगा। गुरु और शिष्य का रिश्ता बहुत मधुर होता है।

अच्छे गुरुजनों को विद्दार्थी हमेशा याद रखते है और जीवनपर्यन्त उनका सम्मान करते है। इसलिए हम सभी को गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे उल्लास से मनाना चाहिये। आशा है आपको मेरा भाषण पसंद आया होगा। अंत में करूंगा की इन्ही शब्दों के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूँ। धन्यवाद!

speech on guru purnima in hindi 2023

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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speech on guru purnima in hindi 2023

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Happy Guru Purnima 2023: Short Speech, Quotes, Images, Wishes for WhatsApp, Facebook, Instagram Status, Stories & More

Guru purnima 2023: guru purnima is a revered hindu festival where we express gratitude to our gurus. it celebrates the transformative power of knowledge and the eternal bond between a guru and a disciple..

Twinkle

Guru Purnima 2023: Guru Purnima is a revered Hindu festival celebrated to honour and express gratitude to our gurus, teachers, and mentors. It falls on the full moon day in the Hindu month of Ashadha. The day holds deep spiritual significance as disciples pay homage to their gurus, seeking blessings and guidance. It is a time to reflect on the importance of knowledge, learning, and the transformative power of a guru-disciple relationship.

Guru Purnima 2023: Short Speech

Ladies and gentlemen,

Today, we are here to celebrate Guru Purnima, a sacred occasion that holds immense significance in the hearts of millions worldwide. Guru Purnima is a day dedicated to expressing our deepest gratitude and reverence to the guiding light in our lives, our teachers and gurus.

In the Hindu tradition, a guru is not merely a teacher but a spiritual guide, a mentor, and a source of wisdom. They illuminate our path, impart knowledge, and shape our character. On this auspicious day, we pay homage to all the incredible individuals who have selflessly dedicated their lives to the pursuit of knowledge and the betterment of society.

Guru Purnima is a reminder of the invaluable role that teachers play in our lives. They instil in us the virtues of discipline, perseverance, and compassion. They encourage us to dream big and believe in ourselves. Through their teachings, they empower us to navigate the complexities of life and equip us with the tools to face its challenges head-on.

Today, let us reflect on the profound impact our gurus have had on our personal and professional growth. They have shaped our minds, broadened our horizons, and nurtured our talents. Their unwavering support and guidance have helped us overcome obstacles and realise our true potential. They have imparted knowledge and fostered a love for learning, igniting a flame within us that will continue to burn bright throughout our lives.

Guru Purnima also reminds us of the importance of gratitude. It is a time to express our heartfelt appreciation to our teachers for their tireless efforts and unwavering dedication. It is an opportunity to acknowledge the debt of gratitude we owe to those who have selflessly shared their wisdom and experiences with us.

Let us use this day as a catalyst for growth and self-reflection. May we honour our gurus by imbibing their teachings in our daily lives, by becoming lifelong learners, and by passing on the light of knowledge to future generations.

On this Guru Purnima, let us stand united in our reverence for our teachers and express our deepest gratitude for their immeasurable contributions. May their blessings continue to guide us on our journey towards enlightenment and may their teachings inspire us to create a brighter and more compassionate world.

Guru Purnima 2023: Instagram Status & Stories

  • "Infinite gratitude, eternal blessings."
  • "Honoring the guiding light."
  • "Guru's wisdom, heart's treasure."
  • "Embracing knowledge, embracing life."
  • "Grateful for Guru's Grace” 
  • "Infinite Wisdom, Eternal Gratitude.”
  • "Guided by Guru's Light”
  • "Bowing to the Teacher”
  • Honouring the Guiding Light within.
  • Celebrating the Wisdom of our Gurus.

Guru Purnima: Wishes For WhatsApp & Facebook

  • May the blessings of your guru illuminate your path and guide you towards success and enlightenment. Happy Guru Purnima!
  • On this auspicious day of Guru Purnima, I extend my heartfelt wishes to you. May you always find inspiration and wisdom in the teachings of your guru.
  • Wishing you a blessed Guru Purnima filled with gratitude, reverence, and deep respect for your guiding light.
  • May the divine grace of your guru shower upon you and lead you to a life of wisdom, peace, and fulfilment. Happy Guru Purnima!
  • Sending my warmest wishes to Guru Purnima. May you continue to learn, grow, and be guided by the teachings of your guru.
  • On this special day, I express my gratitude to my guru for their invaluable teachings and guidance. Happy Guru Purnima!
  • May the blessings of your guru inspire you to reach new heights and achieve greatness in all your endeavours. Happy Guru Purnima!
  • As we celebrate Guru Purnima, let us remember and honour the profound impact of our gurus in shaping our lives. Wishing you a blessed day filled with reverence and gratitude.
  • On this auspicious day, let us bow down to our gurus with deep respect and gratitude for their selfless dedication to imparting knowledge and wisdom. Happy Guru Purnima!
  • May the blessings of your guru fill your life with love, happiness, and spiritual growth. Happy Guru Purnima!

Guru Purnima 2023: Famous Quotes

  • "Teaching is more than imparting knowledge; it is inspiring change. Learning is more than absorbing facts; it is acquiring understanding."- William Arthur Ward
  • "Teaching kids to count is fine, but teaching them what counts is best."- Bob Talbert
  • "Teachers have three loves: love of learning, love of learners, and the love of bringing the first two loves together."- Scott Hayden
  • "A teacher's job is to take a bunch of live wires and see that they are well-grounded."- Darwin D. Martin
  • "Good teachers are the ones who can challenge young minds without losing their own."- Unknown
  • "Teaching is the greatest act of optimism."- Colleen Wilcox
  • "Everyone who remembers his own education remembers teachers, not methods and techniques. The teacher is the heart of the educational system."- Sidney Hook
  • "Teachers can change lives with just the right mix of chalk and challenges."- Joyce Meyer
  • "If you have to put someone on a pedestal, put teachers. They are society's heroes."- Guy Kawasaki
  • "Education is the key to success in life, and teachers make a lasting impact in the lives of their students."- Solomon Ortiz

In conclusion, Guru Purnima is a day of profound significance, where we express gratitude and reverence to our gurus and teachers. It serves as a reminder of the transformative power of knowledge and the invaluable role that our mentors play in our lives. On this auspicious day, we reflect on their teachings, seek their blessings, and strive to honour their wisdom by becoming lifelong learners.

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गुरु पूर्णिमा स्पीच 2023-24 Guru Purnima Speech in Hindi, Marathi, English & Gujarati pdf for students in School

गुरु पूर्णिमा स्पीच 2018

Guru Purnima 2023 : भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक गुरु पूर्णिमा है। यह बौद्धों के लिए एक त्यौहार है। गुरु पूर्णिमा मूल रूप से एक तरीका है जिसके द्वारा छात्र अपने गुरु या शिक्षक के प्रति अपना प्यार और कृतज्ञता दिखाते हैं। त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है जो असध के पहले पूर्णिमा दिवस या अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई के महीने के अनुसार मनाया जाता है। इस साल 2023 को यह पर्व 03 जुलाई शुक्रवार के दिन पड़ रहा है| यह पर्व हिन्दू धर्म के साथं जैन और बौद्ध धर्म का भी त्योहार है|

आज के इस पोस्ट में हम आपको गुरु पूर्णिमा 2023 , गुरु पूर्णिमा 2023 , गुरु पूर्णिमा का महत्व, गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है, गुरु पूर्णिमा कब है, guru purnima speech in english for teacher, guru purnima speech in hindi wikipedia, guru purnima speech in short, गुरु पोर्णिमा पर स्पीच इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के स्पीच प्रतियोगिता, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये स्पीच कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

Guru Purnima Speech in Hindi

गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर, विश्व के समस्त गुरुजनों को मेरा शत् शत् नमन। गुरु के महत्व को हमारे सभी संतो, ऋषियों एवं महान विभूतियों ने उच्च स्थान दिया है।संस्कृत में ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान)एवं ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश(ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। जो हमारा पालन-पोषण करते हैं, सांसारिक दुनिया में हमें प्रथम बार बोलना, चलना तथा शुरुवाती आवश्यकताओं को सिखाते हैं। अतः माता-पिता का स्थान सर्वोपरी है। जीवन का विकास सुचारू रूप से सतत् चलता रहे उसके लिये हमें गुरु की आवश्यकता होती है। भावी जीवन का निर्माण गुरू द्वारा ही होता है। मानव मन में व्याप्त बुराई रूपी विष को दूर करने में गुरु का विषेश योगदान है। महर्षि वाल्मिकी जिनका पूर्व नाम ‘रत्नाकर’ था। वे अपने परिवार का पालन पोषण करने हेतु दस्युकर्म करते थे। महर्षि वाल्मिकी जी ने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की, ये तभी संभव हो सका जब गुरू रूपी नारद जी ने उनका ह्दय परिर्वतित किया। मित्रों, पंचतंत्र की कथाएं हम सब ने पढी या सुनी होगी। नीति कुशल गुरू विष्णु शर्मा ने किस तरह राजा अमरशक्ती के तीनों अज्ञानी पुत्रों को कहानियों एवं अन्य माध्यमों से उन्हें ज्ञानी बना दिया। गुरू शिष्य का संबन्ध सेतु के समान होता है। गुरू की कृपा से शिष्य के लक्ष्य का मार्ग आसान होता है। स्वामी विवेकानंद जी को बचपन से परमात्मा को पाने की चाह थी। उनकी ये इच्छा तभी पूरी हो सकी जब उनको गुरू परमहंस का आर्शिवाद मिला। गुरू की कृपा से ही आत्म साक्षात्कार हो सका। छत्रपति शिवाजी पर अपने गुरू समर्थ गुरू रामदास का प्रभाव हमेशा रहा। गुरू द्वारा कहा एक शब्द या उनकी छवि मानव की कायापलट सकती है। मित्रों, कबीर दास जी का अपने गुरू के प्रति जो समर्पण था उसको स्पष्ट करना आवश्यक है क्योंकि गुरू के महत्व को सबसे ज्यादा कबीर दास जी के दोहों में देखा जा सकता है। एक बार रामानंद जी गंगा स्नान को जा रहे थे, सीढी उतरते समय उनका पैर कबीर दास जी के शरीर पर पङ गया। रामानंद जी के मुख से ‘राम-राम’ शब्द निकल पङा। उसी शब्द को कबीर दास जी ने दिक्षा मंत्र मान लिया और रामानंद जी को अपने गुरू के रूप में स्वीकार कर लिया। कबीर दास जी के शब्दों में— ‘हम कासी में प्रकट हुए, रामानंद चेताए’। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि जीवन में गुरू के महत्व का वर्णन कबीर दास जी ने अपने दोहों में पूरी आत्मियता से किया है। गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव, बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय। गुरू का स्थान ईश्वर से भी श्रेष्ठ है। हमारे सभ्य सामाजिक जीवन का आधार स्तभ गुरू हैं। कई ऐसे गुरू हुए हैं, जिन्होने अपने शिष्य को इस तरह शिक्षित किया कि उनके शिष्यों ने राष्ट्र की धारा को ही बदल दिया। आचार्य चाणक्य ऐसी महान विभूती थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता और क्षमताओं के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। गुरू चाणक्य कुशल राजनितिज्ञ एवं प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में विश्व विख्यात हैं। उन्होने अपने वीर शिष्य चन्द्रगुप्त मौर्य को शासक पद पर सिहांसनारूढ करके अपनी जिस विलक्षंण प्रतिभा का परिचय दिया उससे समस्त विश्व परिचित है। गुरु हमारे अंतर मन को आहत किये बिना हमें सभ्य जीवन जीने योग्य बनाते हैं। दुनिया को देखने का नज़रिया गुरू की कृपा से मिलता है। पुरातन काल से चली आ रही गुरु महिमा को शब्दों में लिखा ही नही जा सकता। संत कबीर भी कहते हैं कि – सब धरती कागज करू, लेखनी सब वनराज। सात समुंद्र की मसि करु, गुरु गुंण लिखा न जाए।। गुरु पूर्णिमा के पर्व पर अपने गुरु को सिर्फ याद करने का प्रयास है। गुरू की महिमा बताना तो सूरज को दीपक दिखाने के समान है। गुरु की कृपा हम सब को प्राप्त हो। अंत में कबीर दास जी के निम्न दोहे से अपनी कलम को विराम देते हैं। यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान। शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।। धन्यवाद,

गुरु पूर्णिमा स्पीच इन हिंदी

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गुरू पूर्णिमा का पर्व पूरे देश मनाया जाना स्वाभाविक है। भारतीय अध्यात्म में गुरु का अत्ंयंत महत्व है। सच बात तो यह है कि आदमी कितने भी अध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ ले जब तक उसे गुरु का सानिध्य या नाम के अभाव में ज्ञान कभी नहीं मिलेगा वह कभी इस संसार का रहस्य समझ नहीं पायेगा। इसके लिये यह भी शर्त है कि गुरु को त्यागी और निष्कामी होना चाहिये। दूसरी बात यह कि गुरु भले ही कोई आश्रम वगैरह न चलाता हो पर अगर उसके पास ज्ञान है तो वही अपने शिष्य की सहायता कर सकता है। यह जरूरी नही है कि गुरु सन्यासी हो, अगर वह गृहस्थ भी हो तो उसमें अपने त्याग का भाव होना चाहिये। त्याग का अर्थ संसार का त्याग नहीं बल्कि अपने स्वाभाविक तथा नित्य कर्मों में लिप्त रहते हुए विषयों में आसक्ति रहित होने से है। हमारे यहां गुरु शिष्य परंपरा का लाभ पेशेवर धार्मिक प्रवचनकर्ताओं ने खूब लाभ उठाया है। यह पेशेवर लोग अपने इर्दगिर्द भीड़ एकत्रित कर उसे तालियां बजवाने के लिये सांसरिक विषयों की बात खूब करते हैं। श्रीमद्भागवतगीता में वर्णित गुरु सेवा करने के संदेश वह इस तरह प्रयारित करते हैं जिससे उनके शिष्य उन पर दान दक्षिण अधिक से अधिक चढ़ायें। इतना ही नहीं माता पिता तथा भाई बहिन या रिश्तों को निभाने की कला भी सिखाते हैं जो कि शुद्ध रूप से सांसरिक विषय है। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार हर मनुष्य अपना गृहस्थ कर्तव्य निभाते हुए अधिक आसानी से योग में पारंगत हो सकता है। सन्यास अत्यंत कठिन विधा है क्योंकि मनुष्य का मन चंचल है इसलिये उसमें विषयों के विचार आते हैं। अगर सन्यास ले भी लिया तो मन पर नियंत्रण इतना सहज नहीं है। इसलिये सरलता इसी में है कि गृहस्थी में रत होने पर भी विषयों में आसक्ति न रखते हुए उनसे इतना ही जुड़ा रहना चाहिये जिससे अपनी देह का पोषण होता रहे। गृहस्थी में माता, पिता, भाई, बहिन तथा अन्य रिश्ते ही होते हैं जिन्हें तत्वज्ञान होने पर मनुष्य अधिक सहजता से निभाता है। हमारे कथित गुरु जब इस तरह के सांसरिक विषयों पर बोलते हैं तो महिलायें बहुत प्रसन्न होती हैं और पेशेवर गुरुओं को आजीविका उनके सद्भाव पर ही चलती है। समाज के परिवारों के अंदर की कल्पित कहानियां सुनाकर यह पेशेवक गुरु अपने लिये खूब साधन जुटाते हैं। शिष्यों का संग्रह करना ही उनका उद्देश्य ही होता है। यही कारण है कि हमारे देश में धर्म पर चलने की बात खूब होती है पर जब देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, अपराध तथा शोषण की बढ़ती घातक प्रवृत्ति देखते हैं तब यह साफ लगता है कि पाखंडी लोग अधिक हैं।

Guru Purnima Speech in English

Guru Purnima Speech in Hindi

The festival of Guru Purnima is celebrated with much gust and galore throughout India. It is a day when the students or the disciples celebrate the role of their Guru in their lives. This festival is normally celebrated in the month of Ashadh (according to the Hindu calendar) on a full moon day. On this day various speeches are read out from the Gita and the puranas which tell us how important the Guru is in our lives. One of the most important lines from one of those speeches is given below: Yasya deve para bhaktir yatha deve tatha gurau Tasyaite kathitaa hi arthaaha prakashante mahatmanaha What this line means is that one should worship the Guru in the same manner as he worships God. Guru is regarded as the other figure of Vishnu, Shiv and Brahma who are the Hindu gods and according to the stories that exist regarding Guru Purnima it suggests that one can get in touch with God if he worships his Guru. The above lines also indicate the same thing. Apart from this there are other speeches too that are read out. In fact there are recitations on these speeches in the programs that are organized on the day of Guru Purnima. Another famous verse that is read out on this day is as follows: Tilesu tailam, dahhiniva sarpih Apah stroasu aranisu ca agnih What this means is like there is butter in milk, there is water in every river stream and there is oil in every sesame seed there has to be a Guru in a person’s life. Otherwise the journey of that person remains incomplete. The Guru is the only person who will be able to remove the darkness in a person. This is the main reason why there are so much celebrations all around India one this day. Here are some Guru Purnima Hindi Doha A – “Yaha tan bish ki belri, guru amrit ki khan Sish dio jo guru mile, toh bhi sasta jaan” B – “Guru lobhi shish lalchi dono khele daon Dono bure bapurei, chari pathar ki naon”

Guru Purnima Speech in Marathi

भारतीय गुरुपरंपरेत गुरु-शिष्यांच्या जोड्या प्रसिद्ध आहेत. जनक-याज्ञवल्क्य, शुक्राचार्य-जनक, कृष्ण, सुदामा-सांदिपनी, विश्वामित्र-राम, लक्ष्मण, परशुराम-कर्ण, द्रोणाचार्य-अर्जुन अशी गुरु-शिष्य परंपरा आहे. मात्र एकलव्याची गुरुनिष्ठा पाहिली की, सर्वांचेच मस्तक नम्र झाल्याशिवाय राहत नाही. भगवान श्रीकृष्णांनी गुरूच्या घरी लाकडे वाहिली. संत ज्ञानेश्वरांनी वडीलबंधू निवृत्तीनाथ यांनाच आपले गुरु मानले, तर संत नामदेव साक्षात विठ्ठलाशी भाष्य करीत असत. त्या नामदेवांचे गुरु होते विसोबा खेचर. भारतीय संस्कृतीत गुरूला नेहमीच पूजनीय मानले आहे. गुरुपौर्णिमा ही सद्गुरूंची पौर्णिमा मानली जाते. पौर्णिमा म्हणजे प्रकाश. गुरु शिष्याला ज्ञान देतात. तो ज्ञानाचा प्रकाश आपल्यापर्यंत पोहोचावा, म्हणून गुरूची प्रार्थना करावयाची, तो हा दिवस होय. गुरु म्हणजे ज्ञानाचा सागर आहे. जलाशयात पाणी विपुल आहे, परंतु घटाने-घागरीने आपली मान खाली केल्याशिवाय म्हणजे विनम्र झाल्याशिवाय पाणी मिळू शकत नाही. त्याप्रमाणे गुरूजवळ शिष्याने नम्र झाल्याविना त्याला ज्ञान प्राप्त होणार नाही, हे सर्वांनी लक्षात ठेवावे. ‘गुरु बिन ज्ञान कहासे लाऊ?’ हेच खरे आहे. गुरूंच्या उपकारांनी आपले मन कृतज्ञतेने भरून येते, तेव्हा आपल्या तोंडून श्लोक बाहेर पडतो – गुरुर्ब्रम्हा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः ll गुरु साक्षात परब्रम्ह तस्मै श्री गुरवे नमः ll अनेक विद्यालयांतून, महाविद्यालयांतून श्रद्धाशील विद्यार्थी आपापल्या गुरुजनांसमोर या दिवशी विनम्र भावनेने नतमस्तक होतात. वेगवेगळ्या पंथोपपंथांतून ईश्वरभक्तीकडे जाण्याचे मार्ग शोधणारे मुमुक्षू-पारमार्थिक या दिवशी आपल्या गुरुंचे भक्तिभावाने पूजन करतात. ज्यांना या ना त्या कारणांमुळे गुरुंचे समक्ष दर्शन वा सहवास घडू शकत नाही ते त्यांच्या प्रतिमेची पूजा करतात.

Guru Purnima Speech in 100 Words

गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर, विश्व के समस्त गुरुजनों को मेरा शत् शत् नमन। गुरु के महत्व को हमारे सभी संतो, ऋषियों एवं महान विभूतियों ने उच्च स्थान दिया है।संस्कृत में ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान)एवं ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश(ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। जो हमारा पालन-पोषण करते हैं, सांसारिक दुनिया में हमें प्रथम बार बोलना, चलना तथा शुरुवाती आवश्यकताओं को सिखाते हैं। अतः माता-पिता का स्थान सर्वोपरी है। जीवन का विकास सुचारू रूप से सतत् चलता रहे उसके लिये हमें गुरु की आवश्यकता होती है। भावी जीवन का निर्माण गुरू द्वारा ही होता है। मानव मन में व्याप्त बुराई रूपी विष को दूर करने में गुरु का विषेश योगदान है। महर्षि वाल्मिकी जिनका पूर्व नाम ‘रत्नाकर’ था। वे अपने परिवार का पालन पोषण करने हेतु दस्युकर्म करते थे। महर्षि वाल्मिकी जी ने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की, ये तभी संभव हो सका जब गुरू रूपी नारद जी ने उनका ह्दय परिर्वतित किया। मित्रों, पंचतंत्र की कथाएं हम सब ने पढी या सुनी होगी। नीति कुशल गुरू विष्णु शर्मा ने किस तरह राजा अमरशक्ती के तीनों अज्ञानी पुत्रों को कहानियों एवं अन्य माध्यमों से उन्हें ज्ञानी बना दिया।

Guru Purnima Speech in Gujarati pdf

Guru Purnima 2023 date : आइये जाने की गुरु पूर्णिमा कब है? गुरु पूर्णिमा इस वर्ष 16 जुलाई 2023 को पूरे भारत में मनाया जाएगा| इस दिन शुक्रवार यानी friday का दिन है| अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है गुरु पूर्णिमा पर स्पीच लिखें| आइये अब हम आपको guru purnima par speech, Guru Purnima Status in hindi , guru purnima speech in gujarati, गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं , guru purnima speech in marathi pdf, गुरु पूर्णिमा पर कविता , guru purnima speech school, Guru Purnima Quotes , guru purnima speech school in gujarati, गुरु पूर्णिमा स्पीच, Guru Purnima images ,guru purnima speech in hindi pdf, गुरु पूर्णिमा पर भाषण , guru purnima speech in kannada, गुरु पूर्णिमा निबंध , guru purnima speech in hindi language, गुरु पूर्णिमा श्लोक , guru purnima speech in english for students, guru purnima speech in sanskrit, guru purnima speech for teacher, guru purnima speech in telugu, (speech recitation activity) निश्चित रूप से आयोजन समारोह या बहस प्रतियोगिता (debate competition) यानी स्कूल कार्यक्रम में स्कूल या कॉलेज में भाषण में भाग लेने में छात्रों की सहायता करेंगे। इन गुरु पूर्णिमा पर हिंदी स्पीच हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं|

ભારતમાં યોજાયેલી સૌથી મહત્વપૂર્ણ તહેવારોમાં ગુરૂ પૂર્ણિમા છે. તે બૌદ્ધ માટે એક તહેવાર છે. ગુરુ પૂર્ણિમા મૂળભૂત રીતે એક રસ્તો છે જેના દ્વારા વિદ્યાર્થીઓ તેમના ગુરુ અથવા શિક્ષક પ્રત્યેના પ્રેમ અને કૃતજ્ઞતા દર્શાવે છે. આ તહેવાર હિન્દૂ કૅલેન્ડર મુજબ ઉજવાય છે, જે અશાદના પ્રથમ પૂર્ણ ચંદ્ર દિવસ પર છે અથવા અંગ્રેજી કૅલેન્ડર મુજબ જુલાઈનો મહિનો છે. ભારતીય વિજ્ઞાન મુજબ, ગુરુ શબ્દ બે સંસ્કૃત શબ્દો “ગુ” અને “રૂ” જેનો અર્થ ભૂતપૂર્વ અર્થ અજ્ઞાનતા અને એક વ્યક્તિમાં અંધકાર અને પછીનો અર્થ છે જે દૂર કરે છે એટલે ગુરુનો અર્થ એ વ્યક્તિ છે હિન્દુ ધર્મ અનુસાર, ગુરુ પૂર્ણિમાનો તહેવાર ગુરુ વ્યાસને ઉજવવામાં આવે છે. ગુરુ વ્યાસ એ વ્યક્તિ છે જેમણે 4 વેદ, 18 પુરાણ અને મહાભારત લખ્યા છે. ગુરુ પૂર્ણિમાની ઉજવણી લોકો દ્વારા જોઈ શકાય તે કંઈક છે. ત્યાં ઘણી શાળાઓ છે જે પરંપરાગત રીતે આ તહેવારને ગુરુના પગ ધોવાથી ઉજવે છે, જેમાં હિનુ શબ્દને “પદપુજા” કહેવામાં આવે છે. તે પછી શિષ્યો દ્વારા આયોજીત ઘણા કાર્યક્રમો છે જેમાં શાસ્ત્રીય ગીતો, નૃત્ય, હવાન, કીર્તન અને ગિઆના પઠનનો સમાવેશ થાય છે. ફૂલોના સ્વરૂપમાં વિવિધ ભેટો અને ગુરુને આપવામાં આવેલા “ઉતરિયા” (એક પ્રકારનું ચોરી) બીજી તરફ બૌદ્ધ લોકો તેમના આગેવાન ભગવાન બુદ્ધના માનમાં આ દિવસે ઉજવે છે. તેઓ આ દિવસે ચિંતન કરે છે અને ભગવાન બુદ્ધની ઉપદેશો વાંચે છે. તેઓ “ઉપોસ્તા” નું પણ પાલન કરે છે, જે આ દિવસે એક બૌદ્ધ સંપ્રદાય છે.

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Guru Purnima 2023: 03 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व, जानिए पूजाविधि, महत्व और तिथि

गुरु की महत्ता बनाए रखने के लिए ही भारत में गुरु पूर्णिमा को गुरु पूजन या व्यास पूजन किया जाता है। गुरु मंत्र प्राप्त करने के लिए भी इस दिन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।.

Guru Purnima Festival 2023 Date Time Tithi Shubh Muhurat and Guru Importance in Hindi

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Guru Purnima 2023 Date: गुरु पूर्णिमा कब है, जानें पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Guru purnima 2023 kab hai: हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का पर्व किसके सम्मान में और कब मनाया जाता है इस दिन किए जाने वाले गुरु पूजन की विधि, शुभ मुहूर्त और जरूरी नियम जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख..

Guru Purnima 2023 Date: गुरु पूर्णिमा कब है, जानें पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Guru Purnima 2023 Kab Hai: सनातन परंपरा में जिस गुरु का स्थान ईश्वर से भी ज्यादा माना गया है, उनकी पूजा के लिए हर साल आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा का दिन सबसे ज्यादा शुभ और फलदायी माना गया है. मान्यता है कि यदि इस दिन अपने गुरु की पूजा करने पर व्यक्ति को उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. पंचांग के अनुसार इस साल गुरु पूर्णिमा का महापर्व 03 जुलाई 2023, सोमवार को मनाया जाएगा. हिंदू मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. यही कारण है कि इस पावन पर्व को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. आइए गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि और उसका धार्मिक महत्व जानते हैं.

गुरु पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि 02 जुलाई 2023 को सायंकाल 08:21 बजे से प्रारंभ होकर 03 जुलाई 2023 को सायंकाल 05:08 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर गुरु पूजन का महापर्व इस साल 03 जुलाई 2023 को मनाया जाएगा.

कैसे करें गुरू का पूजन

हिंदू मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को अपने गुरू की पूजा करने के लिए स्नान-ध्यान करने के बाद उनके स्थान पर जाकर उन्हें प्रणाम करके विधि-विधान से पूजन करना चाहिए. यदि आप गुरु दिवंगत हो चुके हैं या फिर आप किसी कारण से अपने गुरु के पास उनके स्थान पर नहीं जा सकते हैं तो आप अपने घर में ही पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनके चित्र का पुष्प, चंदन, धूप, दीप आदि से पूजन करें. गुरु पूजा करने के बाद उसमें हुई भूलचूक के लिए माफी मांगते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.

गुरु पूर्णिमा पर इन बातों का रखें ध्यान

  • हिंदू मान्यता के अनुसार जिस गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, उस दिन अपने गुरु के साथ उनकी भी विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए क्योंकि महर्षि वेद व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान प्रदान किया था.
  • गुरु पूर्णिमा की पूजा वाले दिन तमाम लोग अपने गुरु से दीक्षा भी लेते हैं. यदि आप भी ऐसा करना चाहते हैं तो आप इसके लिए उनसे पहले से आज्ञा ले लें और इससे जुड़ी पूजा सामग्री अवश्य लेकर जाएं और गुरु दीक्षा के बाद उपहार स्वरूप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के रूप में उन्हें जरूर अर्पित करें.
  • जो गुरु आपको जीवन में सही दिशा दिखाने का कार्य करता है, उसका गुरु पूर्णिमा के दिन भूलकर भी अपमान या फिर उपेक्षा न करें.

ये भी पढ़ें: पूजा से जुड़े 5 पवित्र पत्ते, जिसे देवताओं को चढ़ाते ही मिलता है मनचाहा आशीर्वाद

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा है आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और इस पर्व का महत्व

Guru purnima 2023: हिंदू धर्म में गुरुओं को सबसे ऊंचा दर्जा दिया जाता है. इस साल गुरु पूर्णिमा 03 जुलाई यानी आज मनाई जा रही है. गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेद व्यास की पूजा भी की जाती है. आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा का दिन क्यों इतना खास होता है..

गुरु पूर्णिमा 2023

  • 03 जुलाई 2023,
  • (अपडेटेड 03 जुलाई 2023, 6:56 AM IST)

speech on guru purnima in hindi 2023

Guru Purnima 2023: गुरु को भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है क्योंकि वह हमें इस संसार में जीने के तरीके और अंधकार से प्रकाश तक ले जाना का रास्ता दिखाते हैं. आषाढ़ की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करता है और यथाशक्ति दक्षिणा, पुष्प, वस्त्र आदि भेंट करता है शिष्य इस दिन अपनी सारे अवगुणों को गुरु को अर्पित कर देता है और अपना सारा भार गुरु को दे देता है. इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 03 जुलाई, सोमवार यानी आज रखा जा रहा है. 

गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Guru Purnima 2023 Shubh Muhurat)

गुरु पूर्णिमा की तिथि- 03 जुलाई 2023, सोमवार यानी आज

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गुरु पूर्णिमा प्रारंभ- 02 जुलाई, रात 08 बजकर 21 मिनट से   गुरु पूर्णिमा समापन - 03 जुलाई, शाम 05 बजकर 08 मिनट तक

गुरु पूर्णिमा शुभ योग (Guru Purnima 2023 Shubh Yog)

गुरु पूर्णिमा के दिन इस बार कई शुभ योगों का निर्माण होने जा रहा है. इस दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग बनेंगे. वहीं, सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण भी होने जा रहा है. ब्रह्म योग 02 जुलाई यानी कल शाम 07 बजकर 26 मिनट से 03 जुलाई यानी आज दोपहर 03 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. इंद्र योग की शुरुआत 03 जुलाई यानी आज दोपहर 03 बजकर 45 मिनट पर होगी और इसका समापन 04 जुलाई कल सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर होगा. 

गुरु पूर्णिमा पूजन विधि (Guru Purnima 2023 Pujan Vidhi)

इस दिन सुबह जल्दी उठें और घर की साफ-सफाई करने के बाद नहा लें और फिर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा का संकल्प लें और एक साफ-सुथरी जगह पर एक सफेद वस्त्र बिछाकर व्यास पीठ का निर्माण करें. इसके बाद गुरु व्यास की प्रतिमा उस पर स्थापित करें और उन्हें रोली, चंदन, पुष्प, फल और प्रसाद अर्पित करें. गुरु व्यास के साथ-साथ शुक्रदेव और शंकराचार्य आदि गुरुओं का भी आवाहन करें और ''गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये'' मंत्र का जाप करें.

गुरु पूर्णिमा महत्व (Guru Purnima 2023 Significance)

मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के ही दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था. सनातन धर्म में महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है क्योंकि सबसे पहले मनुष्य जाति को वेदों की शिक्षा उन्होंने ही दी थी. इसके अलावा महर्षि वेदव्यास को श्रीमद्भागवत, महाभारत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा के अलावा 18 पुराणों का रचियाता माना जाता है. यही वजह है कि महर्षि वेदव्यास को आदि गुरु का दर्जा प्राप्त है. गुरु पूर्णिमा के दिन विशेष तौर पर महर्षि वेदव्यास की पूजा होती है. 

गुरु पूर्णिमा उपाय (Guru Purnima 2023 Upay)

1. भगवान विष्णु को बनाएं अपना गुरु 

ज्योतिष विद्या के अनुसार यदि आपके कोई गुरु नहीं है तो भगवान विष्णु को गुरु मानकार आप उन्हें नमन कर सकते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन उन्हें नमन करके उनसे कृपा की प्रार्थना करें और फूल-प्रसाद चढ़ाएं.

2. बुद्धि के लिए करें गीता पाठ

जो छात्र अपनी पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं, उन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन गीता पाठ करने के बाद कुछ देर गाय की सेवा करना चाहिए.

3. आर्थिक मजबूती के लिए

अगर कारोबार में हानि हो रही है और वह आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं तो आज के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पीले अनाज, पीले वस्त्र और पिली रंग की मिठाई दान करनी चाहिए.

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    Know all about Guru Purnima 2023 : Guru Purnima Date, significance of Guru Purnima, Guru Purnima Essay in Hindi, Guru Purnima Speech, Story of Guru Purnima, Guru Purnima Kab hai. जानें गुरु पूर्णिमा के बारे में: गुरु पूर्णिमा तिथि, गुरु पूर्णिमा का महत्व, गुरु ...

  10. Guru Purnima 2023: क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा? यहां पढ़ें पौराणिक

    Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं का पूजन किया जाता है क्योंकि व्यक्ति के ...

  11. Happy Guru Purnima 2023: Short Speech, Quotes, Images, Wishes for

    Guru Purnima 2023: Guru Purnima is a revered Hindu festival celebrated to honour and express gratitude to our gurus, teachers, and mentors. It falls on the full moon day in the Hindu month of Ashadha.

  12. गुरु पूर्णिमा स्पीच 2023-24 Guru Purnima Speech in Hindi, Marathi

    Guru Purnima 2023 : भारत में मनाए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक गुरु पूर्णिमा है। यह बौद्धों के लिए एक त्यौहार है। गुरु पूर्णिमा मूल रूप से एक ...

  13. Guru Purnima Speech

    The Guru is the only person who will be able to remove the darkness in a person. This is the main reason why there are so much celebrations all around India one this day. Here are some Guru Purnima Hindi Doha. A - "Yaha tan bish ki belri, guru amrit ki khan. Sish dio jo guru mile, toh bhi sasta jaan". B - "Guru lobhi shish lalchi dono ...

  14. Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण । Guru Purnima

    Guru Purnima Speech in Hindi । गुरु पूर्णिमा पर भाषण । Guru Purnima Speechwelcome friends to "NR Hindi Secret Diary"आप सब का तहदिल ...

  15. Guru Purnima 2023: गुरु सत्ता को ...

    Guru Purnima 2023: गुरु... अपने आप में एक ऐसी सत्ता जिससे जुड़कर शिष्य का जीवन सही मार्ग पर चलने लगता है। जो अज्ञान के अंधेरे को मिटाकर ज्ञान का उजास फैलाता है। गुरु ...

  16. Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त महत्व

    Guru Purnima 2023 Date Time Significance History Facts: गुरु पूर्णिमा, शिक्षकों और गुरुओं की पूजा का दिन, आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के दिन, सोमवार 13 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन, लोग अपने ...

  17. Guru Purnima Satsang

    His Holiness Shri Datta has answered the questions asked by devotees during the live session on the auspicious occasion of Guru Pūrṇimā on 3rd July 2023.To r...

  18. Guru Purnima 2023: आज है गुरु पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त, गुरु पूजा का

    Guru Purnima 2023: हिंदू धर्म में गुरुओं को बहुत ही विशेष दर्जा दिया जाता है. गुरु ही शिष्य के जीवन से अंधकार को दूर करता है. डीएनए हिंदीः आषाढ़ ...

  19. Guru Purnima Festival 2023 Date Time Tithi Shubh Muhurat And Guru

    Guru Purnima 2023: 03 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व, जानिए पूजाविधि, महत्व और तिथि ... Read the latest and breaking Hindi news on amarujala.com. Get live Hindi news about India and the World from politics, sports, bollywood, business, cities ...

  20. Guru Purnima Quotes In Hindi 2023: वेद ...

    Guru Purnima Quotes In Hindi 2023 Ved Vyasa Thoughts Message Wishes Images GIF Download: इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 2023 में 3 जुलाई को मनाई जा रही है। गुरु पूर्णिमा त्योहार गुरुओं को समर्पित है। शिक्षक हमें ...

  21. Guru Purnima 2023 Date: गुरु ...

    Guru Purnima 2023 Kab Hai: सनातन परंपरा में जिस गुरु का स्थान ईश्वर से भी ज्यादा माना गया है, उनकी पूजा के लिए हर साल आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की ...

  22. Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा है आज, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और इस

    Guru Purnima 2023: गुरु को भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है क्योंकि वह हमें इस संसार में जीने के तरीके और अंधकार से प्रकाश तक ले जाना का रास्ता दिखाते हैं.

  23. 75+ Guru Purnima Messages, Greetings, Wishes and Quotes on Guru Purnima

    Guru Purnima will be celebrated this year on Monday - July 3, 2023. It is a significant festival that gives you the opportunity to pay respect and gratitude to your teachers - whether academic ...