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Essay on Kashmir in Hindi – कश्मीर पर निबंध

December 10, 2017 by essaykiduniya

Get information about Kashmir in Hindi Language. Here you will get Paragraph & Short Essay on Kashmir in Hindi Language for students of all Classes in 200, 300 and 400 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में कश्मीर पर निबंध मिलेगा।

Essay on Kashmir in Hindi – कश्मीर पर निबंध

Essay on Kashmir in Hindi

Paragraph & Short Essay on Kashmir in Hindi – कश्मीर पर निबंध ( 200 words )

कश्मीर उतर भारत में झेलम नदी पर स्थित है। यहाँ पर हमेशा ठंड ही रहती है। यह बहुत ही सुंदर है। इसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है। इसकी सुंदरता हर मौसम में ही बहुत मनोरम लगती हैं। गर्मीयों में सब तरफ हरियाली होती है और सर्दियों में सब कुछ बर्फ से ढका होता है। सेबों पर लटक रहे लाल लाल सेब बहुत ही सुंदर लगते हैं। कश्मीर में देखने के लिए बहुत से पर्यटक स्थल है जैसे गुलमार्ग, सोनमार्ग आदि। गुलमार्ग को कश्मीर की जान कहा जाता है। वुल्लर जैसे सरोवर कश्मीर की सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं।

कश्मीर के लोगों को कश्मीरी पंडित कहा जाता है और ये बहुत ही सुंदर होते हैं। वह मांसाहरी भी होते है और कबाब आदि का सेवन करते हैं। यहाँ पर खाने के बाद मिठाई में फिरनी दी जाती है। यहाँ पर केसर की खेती की जाती है। जो भी व्यक्ति यहाँ पर जाता है वह अखरोट की लकड़ी से बने शो पीस, सेब, पश्मीना शाल और केसर की खरीदी पक्का ही करते हैं। कश्मीर हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच में सबसा बड़ा विवाद का मसला है। कश्मीर का अपना अलग झंडा है और भारत के सविधान की धारा 370 के तहत इसका अपना अलग सविधान है। कोई भी कश्मीर से बाहर का व्यक्ति कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकता।

Short Essay on Kashmir in Hindi Language – कश्मीर पर निबंध ( 300 words )

कश्मीर भारत देश के उतर में स्थित बहुत ही खुबसूरत राज्य है जिसे उसकी सुंदरता के कारण भारत का स्वर्ग भी कहा जाता है। इसकी खुबसूरती की वजह से ही भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच विवाद का कारण बना हुआ है। कश्मीर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य–

Get information about Kashmir in Hindi Language:

1. कश्मीर भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसका अपना अलग सविधान और ध्वज है। 2. कश्मीर में किसी अन्य राज्य का व्यक्ति संपत्ति नहीं खरीद सकता है। 3. कश्मीर के 60 प्रतिशत हिस्से पर भारत का अधिकार और 30 प्रतिशत हिस्से पर पाकिस्तान का अधिकार और 10 प्रतिशत हिस्सा चीन के अधीन है। 4. एशिया का सबसे बड़ा तालाब कश्मीर का वुलर तालाब है। 5. कश्मीर की दो राजधानी है। गर्मियों में श्रीनगर और सर्दियों में जम्मू। 6. कश्मीर को ग्लेशियरस का घर कहा जाता है। यहाँ पर 76 किलोमीटर लंबा सीयाचीन ग्लेशियर है। 7. कश्मीर की विधान सभा का काल 6 वर्ष का है जबकि बाकि राज्यों में यह काल 5 वर्ष का ही होता है। 8. कश्मीर की पश्मीना शॉल पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और इनका निर्यात किया जाता है। 9. कश्मीर में एक 11 किलोमीटर लंबी सड़क सुरंग भी है जिसे चाननी निसार के नाम से जाना जाता है। 10. कश्मीर का लेह जिला भारत का दुसरा सबसे बड़ा जिला है। 11. कश्मीर के लोग पढ़े लिखे है और उनकी साक्षरता दर भारत और पाकिस्तान से ज्यादा है। 12. कश्मीर में लोग तीन समुदाय में बँटे हुए हैं। जम्मु में हिंदु धर्म के लोग रहते हैं और घाटी में मुस्लिम समुदाय के लोग और लद्दाख के उतरी हिस्से में बौद्ध धर्म के लोग रहते है। 13. यदि कश्मीर की लड़की भारत के किसी अन्य राज्य के लड़के से शादी करती है तो उसकी नागरिकता खत्म हो जाती है लेकिन यदि वह पाकिस्तान के लड़के से शादी करे तो उस लड़के को कश्मीर की नागरिकता प्राप्त होती है।

Essay on Kashmir in Hindi Language – कश्मीर पर निबंध ( 400 words )

कश्मीर के बारे में कवि ने ठीक ही कहा है कि “अगर पृथ्वी पर स्वर्ग है, वह यहाँ है, वह यहां है”। हम कश्मीर में हमारी कुछ छुट्टियां बिताने के लिए काफी भाग्यशाली रहे हैं, लेकिन घाटी में शुरू की गई गड़बड़ी से कुछ साल पहले ऐसा हुआ था। हम आम तौर पर हमारी गर्मी की छुट्टियों के दौरान कश्मीर का दौरा करते थे हमने पठानकोट में एक ट्रेन ली श्रीनगर से बस चोरी पिछली बार जब हम वहां थे, हम चंदन वान गए थे कश्मीर घाटी में एक यात्रा एक सुंदर अनुभव है हरा मैदान, लंबा पेड़, झीलों, स्प्रिंग्स, बर्फ से ढके पहाड़ हैं। सड़कों के दोनों किनारों को ऐप्पल और पीअर ऑर्चर्ड के साथ खड़ा किया गया है।

जंगली स्ट्रॉबेरी सभी जगह में प्रचुर मात्रा में बढ़ता है यहां फूल और सुगंधित केसर की खेती की जाती है। कश्मीर पृथ्वी पर स्वर्ग होने की अपनी छवि पर निर्भर करता है शालीमार और निशात गार्डन के लिए एक यात्रा मुगल युग में वापस एक झील है, जब नूरजहां सम्राट जहांगीर की पसंदीदा रानी इन उद्यानों का दौरा करती थी। सभी जगह पर सुंदर चिनार के पेड़, फूल और फव्वारे हैं। कई हिंदी फिल्मों को यहां गोली मार दी गई है। हम अक्सर कश्मीर के झीलों का दौरा करते थे दल झील, जो एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है, में कई घर की नौकाएं हैं यहां बहुत से विदेशियों आते हैं और उनकी छुट्टियों के दौरान रहती हैं। कई नावें जिन्हें इन घरों की नौकाओं और इस झील के किनारे के बीच चिकारे को बुलाया जाता है। वैसे ही प्रसिद्ध वूलर झील है, जो एक बड़ी ताजा पानी की झील है।

हालांकि, कश्मीर के सभी झीलों में मेरा पसंदीदा इवैनाबल और गंगार्बिल झील थे। मनसाबल झील पहाड़ों और सिंधु नदी के बीच स्थित है। जबकि गंगार्बल झील को गंगा का स्रोत माना जाता है। यह हरमोक के चट्टानी केंद्र में बंद है कश्मीर में उनके उपचार शक्तियों के लिए कई स्प्रिंग्स भी हैं। सभी के बीच में सबसे प्रसिद्ध चश्मा – शाही, या शाही वसंत है यह उसके औषधीय मूल्यों के लिए जाना जाता है कश्मीर में भी ‘तट्टा पानी’ नामक एक सल्फर झील है। यह माना जाता है कि यदि सभी इन स्प्रिंग्स में स्नान करते हैं, तो सभी प्रकार की त्वचा रोग ठीक हो सकते हैं। कश्मीर ट्रेकर के स्वर्ग है ऐसे कई ट्रेल्स हैं जो सभी घाटी में बिखरे हुए हैं जो ट्रेकिंग के लिए आदर्श रूप से अनुकूल हैं। वे विभिन्न रूप से गुलमर्ग या फूलों का मार्ग, सोनमर्ग या सोने का मार्ग आदि के रूप में जाना जाता है। वास्तव में कश्मीर की सुंदरता एक व्यक्ति को बांध देती है और उसे जगह छोड़ने की अनुमति नहीं देती है।

हम उम्मीद करेंगे कि आपको यह निबंध ( Essay on Kashmir in Hindi – कश्मीर पर निबंध ) पसंद आएगा।

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कश्मीर का रहन सहन : jammu kashmir ka rahan sahan in hindi – खान पान, कश्मीर का रहन-सहन पर निबंध – jammu kashmir ka rahan sahan in hindi – खान पान.

Table of Contents

प्राचीनकाल में कश्मीर हिन्दू और बौद्ध संस्कृतियों का पालना रहा है। माना जाता है कि यहाँ पर भगवान शिव की पत्नी देवी सती रहा करती थीं और उस समय ये वादी पूरी पानी से ढकी हुई थी। यहाँ एक राक्षस नाग भी रहता था, जिसे वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर हरा दिया और ज़्यादातर पानी वितस्ता (झेलम) नदी के रास्ते बहा दिया। इस तरह इस जगह का नाम सतीसर से कश्मीर पड़ा। इससे अधिक तर्कसंगत प्रसंग यह है कि इसका वास्तविक नाम कश्यपमर (अथवा कछुओं की झील) था। इसी से कश्मीर नाम निकला।

कश्मीर का इतिहास इन हिंदी Kashmir History in Hindi

कश्मीर का अच्छा-ख़ासा इतिहास कल्हण के ग्रंथ राजतरंगिणी से (और बाद के अन्य लेखकों से) मिलता है। प्राचीन काल में यहाँ हिन्दू आर्य राजाओं का राज था।

मौर्य सम्राट अशोक और कुषाण सम्राट कनिष्क के समय कश्मीर बौद्ध धर्म और संस्कृति का मुख्य केन्द्र बन गया। पूर्व-मध्ययुग में यहाँ के चक्रवर्ती सम्राट ललितादित्य ने एक विशाल साम्राज्य क़ायम कर लिया था। कश्मीर संस्कृत विद्या का विख्यात केन्द्र रहा।

कश्मीर शैवदर्शन भी यहीं पैदा हुआ और पनपा। यहां के महान मनीषीयों में पतञ्जलि, दृढबल, वसुगुप्त, आनन्दवर्धन, अभिनवगुप्त, कल्हण, क्षेमराज आदि हैं। यह धारणा है कि विष्णुधर्मोत्तर पुराण एवं योग वासिष्ठ यहीं लिखे गये।

कश्मीर से कुछ यादगार वस्तुएं ले जानी हों तो यहां कई सरकारी एंपोरियम हैं। अखरोट की लकड़ी के हस्तशिल्प, पेपरमेशी के शो-पीस, लेदर की वस्तुएं, कालीन, पश्मीना एवं जामावार शाल, केसर, क्रिकेट बैट और सूखे मेवे आदि पर्यटकों की खरीदारी की खास वस्तुएं हैं। लाल चौक क्षेत्र में हर तरह के शॉपिंग केंद्र है। खानपान के शौकीन पर्यटक कश्मीरी भोजन का स्वाद जरूर लेना चाहेंगे। बाजवान कश्मीरी भोजन का एक खास अंदाज है। इसमें कई कोर्स होते है जिनमें रोगन जोश, तबकमाज, मेथी, गुस्तान आदि डिश शामिल होती है। स्वीट डिश के रूप में फिरनी प्रस्तुत की जाती है। अंत में कहवा अर्थात कश्मीरी चाय के साथ वाजवान पूर्ण होता है।

जम्मू और कश्मीर का रहन सहन Kashmir Ke Baare Mein Hindi me

कश्मीर घाटी के मूल निवासी कश्मीरी पण्डित, हिन्दू शैव मत के मानने वाले हैं।  भारत की आज़ादी के समय कश्मीर की वादी में लगभग 15 % हिन्दू थे और बाकी मुसल्मान। आतंकवाद शुरु होने के बाद आज कश्मीर में सिर्फ़ 4 % हिन्दू बाकी रह गये हैं, यानि कि वादी में 96 % मुस्लिम बहुमत है। ज़्यादातर मुसल्मानों और हिन्दुओं का आपसी बर्ताव भाईचारे वाला ही होता है। कश्मीरी लोग ख़ुद काफ़ी ख़ूबसूरत खूबसूरत होते है|

यहाँ की सूफ़ी-परम्परा बहुत विख्यात है, जो कश्मीरी इस्लाम को परम्परागत शिया और सुन्नी इस्लाम से थोड़ा अलग और हिन्दुओं के प्रति सहिष्णु बना देती है। कश्मीरी हिन्दुओं को कश्मीरी पंडित कहा जाता है और वो सभी ब्राह्मण माने जाते हैं। सभी कश्मीरियों को कश्मीर की संस्कृति, यानि कि कश्मीरियत पर बहुत नाज़ है। वादी-ए-कश्मीर अपने चिनार के पेड़ों, कश्मीरी सेब, केसर (ज़ाफ़रान, जिसे संस्कृत में काश्मीरम् भी कहा जाता है), पश्मीना ऊन और शॉलों पर की गयी कढ़ाई, गलीचों और देसी चाय (कहवा) के लिये दुनिया भर में मशहूर है।

यहाँ का सन्तूर भी बहुत प्रसिद्ध है। आतंकवाद से बशक इन सभी को और कश्मीरियों की खुशहाली को बहद धक्का लगा है। कश्मीरी व्यंजन भारत भर में बहुत ही लज़ीज़ माने जाते हैं। नोट करें कि ज़्यादातर कश्मीरी पंडित मांस खाते हैं। कश्मीरी पंडितों के मांसाहारी व्यंजन हैं : नेनी (बकरे के ग़ोश्त का) क़लिया, नेनी रोग़न जोश, नेनी यख़ियन (यख़नी), मच्छ (मछली), इत्यादि। कश्मीरी पंडितों के शाकाहारी व्यंजन हैं : चमनी क़लिया, वेथ चमन, दम ओलुव (आलू दम), राज़्मा गोआग्जी, चोएक वंगन (बैंगन), इत्यादि। कश्मीरी मुसल्मानों के (मांसाहारी) व्यंजन हैं : कई तरह के कबाब और कोफ़्ते, रिश्ताबा, गोश्ताबा, इत्यादि। परम्परागत कश्मीरी दावत को वाज़वान कहा जाता है। कहते हैं कि हर कश्मीरी की ये ख़्वाहिश होती है कि ज़िन्दगी में एक बार, कम से कम, अपने दोस्तों के लिये वो वाज़वान परोसे। कुल मिलाकर कहा जये तो कश्मीर हिन्दू और मुस्लिम संस्कृतियों का अनूठा मिश्रण है।

Dharti Ka Swarg Kashmir Essay in Hindi

धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला कश्मीर ग्रेट हिमालयन रेंज और पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के मध्य स्थित है। यहां की नैसर्गिक छटा हर मौसम में एक अलग रूप लिए नजर आती है। गर्मी में यहां हरियाली का आंचल फैला दिखता है, तो सेबों का मौसम आते ही लाल सेब बागान में झूलते नजर आने लगते हैं। सर्दियों में हर तरफ बर्फकी चादर फैलने लगती है और पतझड शुरू होते ही जर्द चिनार का सुनहरा सौंदर्य मन मोहने लगता है। पर्यटकों को सम्मोहित करने के लिए यहां बहुत कुछ है। शायद इसी कारण देश-विदेश के पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं। वैसे प्रसिद्ध लेखक थॉमस मूर की पुस्तक लैला रूख ने कश्मीर की ऐसी ही खूबियों का परिचय पूरे विश्व से कराया था।

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Hindi Essay

Essay on Kashmir in Hindi | कश्मीर पर निबंध

Essay on kashmir in hindi 100, 200, 300, 500 words | कश्मीर पर निबंध.

Short & Long Essay on Kashmir in Hindi – कश्मीर पर निबंध बच्चों और विद्यार्थियों के लिए सरल हिंदी और आसान शब्दों में लिखा गया है। यह हिंदी निबंध ( Essay on Kashmir in Hindi ) कश्मीर की उसकी सुंदर भूमि और स्थानों के बारे में उल्लेख करता है, कश्मीर सुंदर क्यों है? कश्मीर की सुंदरता के लिए क्या चुनौतियाँ है, क्यों हर किसी को जाकर इसकी खोज करनी चाहिए। छात्रों को अक्सर उनके स्कूलों और कॉलेजों में कश्मीर पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। और यदि आप भी यही खोज रहे हैं, तो हमने इस विषय पर ( Essay on Kashmir in Hindi ) 100 – शब्द, 200 – शब्द, 300 – शब्द और 500 – शब्द में निबंध दिया हैं।

Short & Long Essay on Kashmir in Hindi

निबंध – (100 शब्द).

कश्मीर भारत का एक खूबसूरत प्रदेश है और इसे भारत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। जिसे धरती का स्वर्ग कहा जाता है, कहते हैं कश्मीर से खूबसूरत कोई जगह नहीं है, इसे भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है।

जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर है। यहाँ पर हिमालय की कई ऊंची चोटियाँ, ग्लेशियर, घाटियाँ, नदियाँ, सदाबहार जंगल, पहाड़ियाँ, आदि और कई अन्य स्थान हैं। कश्मीर में साल भर बर्फबारी होती है।

यहाँ का मौसम हमेशा सुहावना रहता है. इस जगह की खूबसूरती देखने के लिए हर वर्ष कई पर्यटक आते हैं। गर्मियों के दौरान यहां बहुत अच्छी हरियाली देखने को मिलती है। बर्फबारी के दौरान ऐसा लगता है मानो कश्मीर पर सफेद चादर बिछ गई हो। यहां सेब के पेड़ देखने को मिलते हैं जो देखने में बेहद खूबसूरत होते हैं।

निबंध – (200 शब्द)

कश्मीर को “पृथ्वी का स्वर्ग” कहा जाता है जो शीर्ष स्तरीय पर्यटन स्थल है। बर्फ से ढकी चोटियों, हरी-भरी घाटियों और शांत झीलों से भरा इसका मनमोहक दृश्य दुनिया भर से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

पर्यटन कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, इसके अनूठे आकर्षणों में डल झील जो अपने हाउसबोटों के लिए जानी जाती है, अमरनाथ गुफा एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल भी बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करती है। इसके अलावा, मुगल गार्डन जो फारसी वास्तुकला की प्रतिभा को दर्शाते हैं।

कश्मीर होटल और रेस्तरां सेवाओं से लेकर हस्तशिल्प और परिवहन तक स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के असंख्य अवसर पैदा करता है जो इसके सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

अपनी प्राकृतिक सुंदरता के बावजूद, कश्मीर का पर्यटन स्थल संघर्ष से प्रभावित रहा है। सुरक्षा चिंताओं के कारण पर्यटकों की संख्या में कमी देखने को मिली है जिसका असर स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।सरकार लगातार कश्मीर में पर्यटन को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के लिए ठोस प्रयास कर रही है।

कश्मीर में पर्यटन सांस्कृतिक समृद्धि, प्राकृतिक सुंदरता और रोमांचकारी रोमांच का मिश्रण है। कई चुनौतियों के बावजूद इसकी क्षमता अपार है। सही रणनीतियों से यह भावी पीढ़ियों के लिए अपने प्राकृतिक वैभव को संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक बन सकता है।

निबंध – (300 शब्द)

जम्मू-कश्मीर पृथ्वी की सबसे खूबसूरत और महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भारत के उत्तरी भाग में स्थित है।  कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। इसके पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान और उत्तरी और पूर्वी सीमा पर चीन है। कश्मीर में लगभग 8 भाषाएं बोली जाती हैं, जबकि क्षेत्रफल लगभग 54571 वर्ग मील है और इसकी जनसंख्या लगभग 1,01,43,700 है। ।

कश्मीर सौन्दर्य

कश्मीर का मौसम हमेशा बहुत ही सुहावना रहता है, बर्फ़बारी के दौरान ऐसा लगता है मानो कश्मीर पर सफेद चादर बिछ गई हो। इस जगह की खूबसूरती देखने के लिए कई पर्यटक देश-विदेश से आते रहते हैं। गर्मियों के दौरान यहां बहुत अच्छी हरियाली देखने को मिलती है। यहां पर सेब की पैदावार होती हैं जिनके पेड़ देखने में बेहद खूबसूरत होते हैं।

धरती का स्वर्ग

धरती का स्वर्ग कश्मीर को कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर बहुत ऊंची पहाड़ियां, झाड़ियों से भरे जंगल, घाटियों के बीच में बहती झीलें हैं। इसलिए इसे भारत का मुकुट की तरह माना जाता है, यहां मौसम में अचानक बदलाव होता रहता है जो इसकी खूबसूरती को बढ़ाता है, इसकी खूबसूरती के कारण लोग यहां आकर्षित होते हैं और अक्सर घूमने आते हैं।

कश्मीर एक पर्यटन स्थल

कश्मीर भारत की सबसे मशहूर जगह में से एक है। यहां अक्सर लोग अपनी छुट्टियां मनाने साल भर आते रहते हैं जो भी व्यक्ति कश्मीर घूमने जाता है, वे यही कहता है कि असली स्वर्ग तो कश्मीर में है। लोगों के लिए यहाँ कई पर्यटन स्थल हैं – जैसे सोनमर्ग, पहलगाम, पटना टॉप, श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमर्ग, आदि। यहां कई झीलें हैं जिनसे कश्मीर की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं।

कश्मीर, धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला बेहद खूबसूरत है। इसकी खूबसूरती से प्रभावित होकर पूरे देश-विदेश से लोग यहां घूमने आते हैं।अगर आप भी अपनी छुट्टियां मनाने के लिए किसी हिल स्टेशन की तलाश में हैं तो कश्मीर से अच्छा विकल्प कुछ ओर नहीं हो सकता। कश्मीर अपने संघर्षो के बावजूद भी, लोगो के लिए एक आदर्श पर्यटक स्थल है। आप यहां जा सकते हैं और अपनी इच्छानुसार हर चीज का आनंद ले सकते हैं।

निबंध – (500 शब्द)

कश्मीर भारत का एक महतपूर्ण हिस्सा है जिसे पृथ्वी पर स्वर्ग भी माना जाता है। यह अपनी शानदार सुंदरता, बर्फ से ढकी पहाड़ियां, अद्भुत बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं, खूबसूरत झीलें, हरी-भरी खेती, सदाबहार बगीचे, एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली सुंदरता है जिसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है। कश्मीर कई कारणों से हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है – चाहे इसकी मनमोहक सुंदरता हो, सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे हों, राजनीतिक मुद्दा हों या जगह से जुड़ा आतंक ओर भय हो, इन्हीं सब कारणों से कश्मीर हमेशा चर्चा में रहता है।

कश्मीर घाटी की सुंदरता

यहाँ की घाटी हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा है जो पूरे वर्ष लगभग बर्फ बरी के कारण ढकी रहती है। इसके पूर्व में चीन और तिब्बत हैं जबकि पश्चिम में पाकिस्तान से घिरा हुआ है। कश्मीर घाटी देश की सबसे बड़ी घाटियों में से एक है जो 105 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक फैली हुई है। यहाँ कई नदियाँ है जिनमे झेलम नदी कश्मीर की मुख्य नदी है और यह विभिन्न स्तिथि पर शाखाएँ बनाकर कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में बहती है। घाटी की अन्य महत्वपूर्ण नदियों में सिंधु और चिनाब नदियाँ शामिल हैं।

कश्मीर का मौसम

कश्मीर में मई और अगस्त के महीनों के बीच गर्मियाँ बहुत हल्की होती हैं जबकि सितंबर से नवंबर तक मानसून का मौसम होता है और नवंबर के अंत तक सर्दी शुरू होने से ठंडी हो जाती है। दिसंबर से फरवरी के बिच वास्तविक सर्दी का मौसम होता है जिससे तापमान अत्यधिक नीचे चला जाता है। इस दौरान बर्फ से ढके पहाड़ों का दौरा करने से प्रकृति की शक्ति का आश्चर्य होता है

मार्च और अप्रैल के बीच कश्मीर में वसंत का मौसम होता है। पर्यटक प्रकृति के बेहतरीन रंगों और हरी-भरी हरियाली से ढकी और सजी घाटी को देखने के लिए इस स्थान पर जा सकते हैं।

पेड़ और जानवर

इस क्षेत्र में पाए जाने वाले बादाम के पेड़, अखरोट के पेड़, चिनार या मेपल के पेड़, देवदार, बर्च के पेड़ और नीले देवदार पर्याप्त मात्रा में होते हैं। इसके अलावा, वन्यजीवों में तेंदुए, पहाड़ी लोमड़ी, सियार, हंगुल, कस्तूरी मृग, लंगूर, काले भालू, आदि जानवर रहते हैं। ये घाटी पक्षियों की 120 प्रजातियों का घर है और उनमें से कुछ तीतर और बुलबुल हैं।

कश्मीर में आतंकवाद

कश्मीर मुद्दा आज भी अनसुलझा है और इसके अधिकार को लेकर भारत और पाकिस्तान दोनों देश वर्षों से खून बहा रहे हैं। कश्मीर घाटी राजनीतिक विवादों के लिए बदनाम है। घाटी में रहने वाले लोग आज भी संघर्ष भरा जीवन जी रहे है। घाटी में खून-खराबा और कर्फ्यू लगाना आम बात है और संवेदनशील इलाकों में पूरे साल सेना तैनात होने से लोगो की परेशानी बढ़ जाती है।

कुछ विवाद अनसुलझे होने से आतंकवादी हमलों को बढ़ावा दिया है और दोनों देशों के बीच सीमा पार आतंकवादी गतिविधियाँ होती रहती है। दोनों देशो की सरकारों ने विवादों को सुलझाने और क्षेत्र को आतंकवादी गतिविधियों से मुक्त कराने की कई बार कोशिश की है, लेकिन अभी सफलता नहीं मिल पाई हैं।

कश्मीर विवादों के बावजूद भी धरती का स्वर्ग कहा जाने वाला बेहद खूबसूरत प्रदेश है। यहाँ पूरे देश-विदेश से लोग घूमने आते हैं। वैसे तो भारत में कई खूबसूरत स्थान है लेकिन उनमे से सबसे अच्छी जगह कश्मीर है। आप यहां जा सकते हैं और अपनी इच्छानुसार हर चीज का आनंद प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन कश्मीर आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्र है। इसलिए हमें वहां सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है।

ये भी देखें –

  • Essay on India in Hindi
  • Essay on Delhi in Hindi
  • Essay on Digital India in Hindi

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Essay on Kashmir in Hindi 300 Words

सैर-सपाटे के शौकीन हर व्यक्ति की यह दिली ख्वाहिश होती है कि वह जीवन में कम से कम एक बार कश्मीर जरूर जाए। कश्मीर को धरती का स्वर्ग जो कहते हैं। माना जाता है कि इसका असली नाम कश्यपमर यानी कछुओं की झील था। इसी से बाद में यह कश्मीर नाम से जाना जाने लगा। कल्हण की राजतरंगिणी में कश्मीर का विस्तृत उल्लेख मिलता है।

यहाँ के बर्फीले मौसम को देखते हुए सर्दी और गर्मी के मौसम में क्रमशः श्रीनगर और जम्मू को यहाँ की राजधानी बनाते हैं। श्रीनगर और उसके आसपास के क्षेत्र पर्यटन के लिहाज़ से बहुत खूबसूरत हैं। डल झील यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। सैलानी घंटों इसके किनारे घूमते हैं या शिकारे में बैठकर नौका विहार का आनंद लेते हैं। तैरते आवास यानी हाउसबोट, तैरते बाजार और तैरते वेजीटेबल गार्डन इसकी खासियत हैं। कुछ दूर अनंतनाग जिले में अमरनाथ गुफा है, जहाँ हजारों की संख्या में तीर्थयात्री जाते हैं। मुस्लिम सूफी संत शेख नूरुद्दीन वली की दरगाह चरार-ए-शरीफ भी श्रीनगर से ज्यादा दूर नहीं है। मुगल बादशाह कश्मीर के प्राकृतिक सौंदर्य से बहुत प्रभावित हुए थे। उन्होंने यहाँ बहुत-से उद्यान बनवाए, जिन्हें मुगल उद्यान कहा जाता है। उन्हें देखे बिना श्रीनगर की यात्रा अधूरी है। शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया चश्म-ए-शाही इनमें सबसे छोटा है। निशात बाग 1633 में नूरजहाँ के भाई ने और शालीमार बाग जहाँगीर ने अपनी बेगम नूरजहाँ के लिए बनवाया था। इन बगीचों में चनार के अलावा और भी कई छायादार पेड़ हैं। रंग-बिरंगे फूलों और झरनों वाले ये बगीचे अलग ही सुकून देते हैं।

श्रीनगर के अलावा अधिकतर सैलानी गुलमर्ग, सोनमर्ग और पहलगाम भी जाना पसंद करते हैं। गुलमर्ग का अर्थ है – फूलों का मैदान। नाम से ही इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहाँ विश्व का सबसे ऊँचा गोल्फकोर्स है। सर्दियों में जब यहाँ बर्फ की मोटी चादर बिछ जाती है, तब स्कीइंग के शौकीन लोग उसका भरपूर आनंद उठाते हैं। सोनमर्ग भी बेहद खूबसूरत है। सिंध नदी के दोनों ओर फैले यहाँ के मैदान सोने जैसे चमकते हैं, इसलिए इसे सोनमर्ग कहा जाता है। अमरनाथ यात्रा का एक रास्ता सोनमर्ग से बालटाल होकर भी जाता है। एक बार जो कश्मीर चला जाता है, वो वहाँ की यादें उम्रभर सँजोकर रखना चाहता है।

Garmi Ki Chuttiyan Kaise Bataye Patra

Mere Sapno Ka Bharat essay in Hindi 1000 words

Essay on Kashmir in Hindi 500 Words

कश्मीर हमारे देश के उत्तर में स्थित राज्य है। यह झीलों, बागों और झरनों का प्रदेश है। प्राकृतिक रूप से यह इतना खूबसूरत है कि इसे भारतमाता का मुकुट कहा जाता है। मुगल बादशाह जहाँगीर की रानी नूरजहाँ ने तो यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर कहा कि धरती पर यदि स्वर्ग है तो यहीं है।

कश्मीर की राजधानी श्रीनगर है। यह नगर झेलम नदी के दोनों तटों पर बसा हैं। झेलम नदी को पार करने के लिए नौ पुल बने हैं, नदी के दोनों ओर हाउसबोटों की पंक्तियाँ दूर-दूर तक दिखाई देती हैं। हाउसबोट पानी पर तैरता हुआ मकान होता है जिसमें बैठक, सोने का कमरा, खाना खाने का कमरा और नहाने का कमरा होता है। बाहर से आने वाले बहुत-से लोग हाउसबोटों में रहते हैं। रात के समय हाउसबोटों में सैकड़ों बत्तियाँ जलती रहती हैं। नदी की लहरों में इनकी जगमग-जगमग करती परछाइयाँ मन को मुग्ध कर देती हैं।

हाउसबोटों में सैकड़ों बत्तियाँ जलती रहती हैं। नदी की लहरों में इनकी जगमग-जगमग करती परछाइयाँ मन को मुग्ध कर देती हैं।

श्रीनगर घाटी में बसा शहर है। इसके चारों ओर दूर-दूर तक पहाड़ फैले हुए हैं। यहाँ शंकराचार्य नाम की एक पहाड़ी है, जहाँ से नगर का दृश्य बड़ा सुहावना लगता है। शंकराचार्य पहाड़ी पर शंकराचार्य मंदिर है जिसमें शिव भगवान का विशाल लिंग स्थापित है। श्रद्धालु भक्त बड़ी श्रद्धा व विश्वास के साथ नंगे पैर इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। श्रीनगर में डल नामक प्रसिद्ध झील है। यह कश्मीर की सबसे सुन्दर झील है। इसमें खिले हए कमल के फूल बहत ही मनोहर लगते हैं। डल झील में शिकारे चलते हैं। जिनमें बैठकर यात्री झील का आनंद उठाते हैं। डल झील के बीचोबीच नेहरू पार्क है जिसमें रेस्टोरेंट भी है। यहाँ लोग अपना मनचाहा भोजन खाते हैं।

डल झील में चार चिनार नामक टापू पर चार वृक्ष हैं। ये वृक्ष डल झील की सुंदरता को दुगुना कर देते हैं।

डल झील के पास ही निशांत और शालीमार नामक दो सुंदर बाग हैं। ये बाग जहाँगीर द्वारा लगवाए गए थे। ये बाग अपनी नैसर्गिक सुंदरता से लोगों का मन मोह लेते हैं। इनमें झर-झर बहते हुए सीढ़ियोंदार झरनों और फव्वारों की शोभा देखते ही बनती है। इनमें चिनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष, मखमली घास और रंग-बिरंगे फूल हैं। | कश्मीर में पहलगाँव, सोनबर्ग, चश्माशाही, गुलमोहर पार्क आदि दर्शनीय स्थल भी हैं जो अपनी सुंदरता से लोगों के मन को लुभाते हैं। पहलगाँव में नदी का कल-कल स्वर संगीत के समान कानों को बहुत भाता है। यहाँ कश्मीरी कारीगरी का बहुत अच्छा सामान मिलता है। यात्री ट्राली में बैठकर गुलमोहर पार्क में पहाड़ के ऊपर जाते हैं और पहाड़ों का नजारा देखकर प्रसन्न होते हैं। सर्दियों में जब गुलमर्ग पार्क में बर्फ जम जाती है तब लोग यहाँ स्केटिंग का आनंद भी उठाते हैं।

कश्मीर ठंडा प्रदेश है। यहाँ कड़ाके की ठंड पड़ती है। जाड़े से बचने के लिए हर आदमी अपने हाथ में एक विशेष प्रकार की अँगीठी लेकर चलता है जिसे ‘कांगड़ी’ कहते हैं।

पहलगाँव और गुलमर्ग से ही अमरनाथ गुफ़ा जाने का रास्ता है। देश के कोने-कोने से लोग अमरनाथ की यात्रा पर जाते हैं। यहाँ का रास्ता बर्फ से ढके हुए ऊँचे पहाड़ों से होकर जाता है।

कश्मीर में अखरोट, खूबानी, सेब, बादाम, चैरी आदि फलों से लदे पेड़ दिखाई देते हैं। यहाँ केसर की खेती भी होती है जिसकी सुगंध से घाटी महकती रहती है। कश्मीर को पृथ्वी का स्वर्ग कहना उचित ही है।

कश्मीर समस्या

कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है; लेकिन मुस्लिम जनसंख्या की प्रधानता होने को आधार मानकर पाकिस्तान इसे अपने साथ मिलाना चाहता हैं। कश्मीर पर अधिकार करने के इरादे से पाकिस्तान ने 1948 में कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। परंतु भारत के अन्य राज्यों के शासकों की भाँति कश्मीर के तत्कालीन महाराजा, हरि सिंह ने भारत का पक्ष स्वीकार किया। कश्मीर घाटी की रक्षा के लिए भारतीय सेनाएं बड़ी बहादुरी से लड़ीं और पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए बाध्य होना पड़ा। परिणामस्वरूप, यथापूर्व स्थिति के अनुसार कश्मीर के पश्चिमी और उत्तरी भागों पर पाकिस्तान का अवैधानिक नियंत्रण कायम रहा। पाकिस्तान द्वारा असंवैधनिक रूप से अधिकृत कश्मीर का क्षेत्रफल लगभग तीन लाख वर्ग किमी। है।

सन् 1965 में, पाकिस्तान ने भारत पर दुबारा आक्रमण कर दिया। लेकिन भारतीय सेनाओं ने बड़ी बहादुरी से इस चुनौती का सामना किया और अंतत: पाकिस्तान बुरी तरह परजित हुआ। जिसके फलस्वरूप पाकिस्तान को ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य होना पड़ा। ताशकंद समझौते के अनुसार, दोनों देश कश्मीर समस्या को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से शांतिपूर्वक हल करने पर सहमत हुए। लेकिन 1971 में, पाकिस्तान ने पुन: भारत पर आकर्मण कर दिया और इस प्रकार दोनों देशों के बीच एक और युद्ध लड़ा गया। इस युद्ध में भी पाकिस्तान को पराजय का मुंह देखना पडा, और पाकिस्तान से अलग होकर बंग्लादेश एक सवतंत्र गणराज्य के रूप में उभरकर सामने आया। युद्ध की समाप्ति के बाद शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के अनुसार कश्मीर समस्या को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा हल किया जाना चाहिए। समझौते में कश्मीर समस्या से संबंधित मामले को निपटाने में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकर नहीं किया गया है।

लेकिन दुर्भाग्य, पाकिस्तान किसी भी समझौते की कोई बात न मानते हुए कश्मीर मसले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की फिराक में ही रहा है। कश्मीर घाटी में पाकिस्तान–प्रायोजित आतंकवाद, हिंसा एवं उग्रवाद ने दोनों देशों के बीच संबंधों को बदतर बनाया है। वास्तव में पाकिस्तान की इस प्रकार की गतिविधियों ने भारत और पाकिस्तान की बीच गहरी खाई का निर्माण किया है।

अंतर्राष्ट्रीय मानदण्डों एवं ऐतिहासिक तथ्यों को झुठलाता हुआ, पाकिस्तान कश्मीर मामले को विभाजन के समय का एक अपूर्ण एजेंडा बताता है और इसे प्राप्त करने के लिए वह कश्मीर में लगातार आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहा है। यद्यपि भारत की ओर से दोनों देशों के बीच के बिगड़े हुए संबंधों को सुधारने के कई बार प्रयास किए गए तथापि पाकिस्तान ने उसकी पहल को कभी गंभीरता से नहीं लिया, और न ही कभी ऐसे प्रयासों में दिलचस्पी ली। पिछले तीन युद्धों में करारी हार का मुँह देखने के बावजूद भी पाकिस्तान ने कभी इसके कारणों पर ध्यान नहीं दिया, बल्कि वह तो लगातार दोनों देशों के बीच तनाव को भारत के धैर्य की सीमा तक बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। आजादी एवं मुस्लिम भाई-चारे की दुहाई देता हुआ पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है।

पाकिस्तान की सीमा के साथ संलग्न होने और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने को आधार मानकर पाकिस्तान द्वारा कश्मीर की मांग कदापि तर्कसंगत नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि इस मामले में पाकिस्तान को पर्याप्त सैनिक सहायता का आश्वासन प्राप्त है।

इन परिस्थितियों में यह समस्या और भी जटिल हो गई है। वर्तमान परिस्थितियों से लगता है कि विभाजन के समय धर्म के आधार भारत और पाकिस्तान के रूप में विभाजन उचित नहीं था।

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short essay on kashmir in hindi

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  • जम्मू-कश्मीर

कश्मीर की कहानीः भारत में विलय से 370 के खात्मे तक, जानें-कब-कब, क्या-क्या हुआ?

आजादी के 72 साल बाद जम्मू-कश्मीर की पहचान को बदलने के लिए इतिहास फिर गढ़ा गया और खत्म हुआ अनुच्छेद 370. यही है 'दास्तां-ए-कश्मीर: 1947-2021'.

जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी का दौर ( गैटी)

सुधांशु माहेश्वरी

  • 05 अगस्त 2021,
  • (अपडेटेड 05 अगस्त 2021, 1:00 PM IST)

short essay on kashmir in hindi

  • आजाद भारत में कश्मीर के इतिहास का पूरा कच्चा चिट्ठा
  • 370 के लगने और हटने की इनसाइड स्टोरी
  • पाक की नापाक साजिशें और घाटी में हुई हिंसा का विवरण

जम्मू-कश्मीर की कहानी सैकड़ों साल पुरानी है. इसका गौरवशाली इतिहास इसकी पहचान है. लेकिन 1947 के बाद उस गौरवशाली इतिहास पर आतंक की ऐसी लकीर खींच दी गई कि जम्मू-कश्मीर का स्वरूप हमेशा के लिए बदल गया. हक के लिए लड़ता कश्मीरी, सड़कों पर तैनात सुरक्षाबल और पाकिस्तान की नापाक साजिशें, घाटी की ये पहचान बन गई. आजादी के 72 साल बाद जम्मू-कश्मीर की उस पहचान को बदलने के लिए इतिहास फिर गढ़ा गया और खत्म हुआ अनुच्छेद 370. यही है 'कश्मीर-ए-दास्तान: 1947-2021'

1947 - 15 अगस्त को भारत एक स्वतंत्र देश बना. जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर के शासकों ने भारत के साथ विलय नहीं किया.  भारत ने जूनागढ़ में जनमत संग्रह करवाया, जिस वजह से वहां की जनता ने पाकिस्तान के बजाय हिंदुस्तान के साथ विलय करने का फैसला लिया. इस तरह से 9 नवंबर 1947 को जूनागढ़ भारत का अहम हिस्सा बना. वहीं सेना की कार्रवाई के बाद 17 सिंतबर, 1948 को हैदराबाद का भारत में विलय हो गया

1947 (A) - जम्मू-कश्मीर की तरफ से स्टैंड स्टिल एग्रीमेंट पर साइन किया गया. पाकिस्तान ने उस प्रस्ताव को स्वीकार किया, लेकिन भारत को मंजूर नहीं था. 

1947 (B) -  पाकिस्तान के कबायली लड़ाकों ने 24 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर आक्रमण कर दिया. जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को लेकर महाराजा हरि सिंह परेशान थे. उन्होंने भारत से मदद की गुहार लगाई. लेकिन तब तक क्योंकि जम्मू-कश्मीर का भारत संग विलय नहीं हुआ, ऐसे में गवर्नर-जनरल माउंटबेटन ने साफ कर दिया कि भारतीय सेना कश्मीर की मदद नहीं कर सकती. 

1947 (C) - भारत सरकार की तरफ से राजा हरि सिंह को प्रस्ताव दिया गया कि वे जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय करें जिससे भारतीय सेना की मदद कश्मीर पहुंचाई जा सके. खतरे को देखते हुए राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए और फिर 27 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया.

1948 - पहली बार कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र पहुंचा. भारत की तरफ से विरोध किया गया कि पाकिस्तान ने कश्मीर के कुछ हिस्सों पर बलपूर्वक कब्जा जमा लिया है.

1948 (A) - जम्मू-कश्मीर में पहली बार अंतरिम सरकार का गठन हुआ. शेख अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री घोषित कर दिया जाता है.

1948 (B) - 21 अप्रैल को यूएन का संकल्प सामने आया. संकल्प के तहत भारत और पाकिस्तान के सामने तीन बातें रखी गईं. पहली- सीजफायर, दूसरी- युद्धविराम, तीसरी- अन्य ( जनमत संग्रह की बात). संकल्प के तहत सबसे पहले सीजफायर लागू होना था, फिर युद्धविराम और सबसे आखिर में जनमत संग्रह पर बात.

1948 (C) - सवा साल के युद्ध के बाद 31 दिसंबर 1948 को सीजफायर लागू कर दिया गया. उस सीजफायर के बाद जम्मू-कश्मीर का दो तिहाई हिस्सा भारत के पास रहा, वहीं एक तिहाई हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा हुआ.

1949 -  जुलाई में शेख अब्दुल्ला, मिर्जा अफसल बेग, मसूदी और मोती राम बागड़ा को भारत की संविधान सभा का हिस्सा बनाया गया. अनुच्छेद 370 पर चर्चा शुरू हुई.

1949 (A)-  जम्मू-कश्मीर की सरकार ने भारत की संविधान सभा को अनुच्छेद 370 को लेकर एक ड्राफ्ट सौंपा. फिर करीब पांच महीने बाद 17 अक्टूबर, 1949 को अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान का हिस्सा बनाया गया.

1951- जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का आयोजन किया जाता है. सभा के सभी सदस्य शेख अब्दुल्ला के नेशनल कॉन्फ्रेंस के होते हैं.

1952- भारत और जम्मू-कश्मीर सरकार के बीच एक समझौता होता है, इसे 'दिल्ली एग्रीमेंट 1952' का नाम दिया जाता है. इसके मुताबिक अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिलेगा. वहीं जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री और राज्यपाल को सदरे रियासत का दर्जा दिया जाएगा.

1953- शेख अब्दुल्ला की सरकार गिर जाती है. बख्शी गुलाम मोहम्मद को नया प्रधानमंत्री बना दिया जाता है.

1954- राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई 1954 को एक आदेश पारित किया. आदेश के जरिए संविधान में अनुच्छेद 35 A जोड़ा गया. जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवासियों को पारभाषित करने की जिम्मेदारी राज्य की विधानसभा को दी गई. इसके मुताबिक 14 मई 1954 के बाद से या फिर उससे 10 साल पहले तक अगर जम्मू-कश्मीर में कोई रहा हो और उसके पास वहां संपत्ति हो, तो उसे स्थायी नागरिक कहा जाएगा. फिर 1956 में जम्मू-कश्मीर का संविधान बना और स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया.

1957- 26 जनवरी, 1957 को जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू हुआ. नवंबर 1956 में संविधान को लेकर काम पूरा हो गया था. इसके बाद अगले साल 1957 में इसे लागू कर दिया गया. इस वजह से संविधान सभा भंग हुई और विधानसभा ने इसकी जगह ली.

1962 - भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ. एक महीने चले इस युद्ध के बाद चीन ने लद्दाख के अक्साई-चिन इलाके पर अपना कब्जा जमा लिया.

1965- मई के महीने में जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ. जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री और सदरे रियासत वाले दर्जे को खत्म कर दिया गया. 

1965 (A)- भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर फिर युद्ध छिड़ा. युद्ध की नींव जनवरी 1965 में पड़ी जब पाकिस्तान ने कच्छ के रण में ऑपरेशन डेजर्ट हॉक चलाया. 23 सिंतबर को युद्ध समाप्ति की घोषणा हुई.

1966- युद्ध के बाद दोनों देश के प्रधानमंत्री फिर शांति बहाल करने करने में लग जाते हैं. तब लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के वजीरे आजम अयूब खान के बीच 10 जनवरी 1966 को ताशकन्द समझौता होता है. वहीं दूसरी तरफ जनमत संग्रह की मांग को लेकर जम्मू-कश्मीर नेशनल लिबरेशन फ्रंट (JKLF) आवाज उठाने लगता है.

1971- तीन दिसंबर, 1971 को भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरा युद्ध छिड़ा. 13 दिन चले युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी और नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ.

1972- भारत से करारी शिकस्त झेलने के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाक राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला एग्रीमेंट साइन किया जाता है. समझौते के तहत बातचीत के जरिए कश्मीर विवाद सुलझाया जाएगा और किसी भी तीसरे देश का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं होगा.

1974- कई सालों बाद शेख अब्दुल्ला की घाटी में वापसी होती है. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आग्रह पर शेख अब्दुल्ला द्वारा प्लेबिसाइट फ्रंट को भंग कर दिया जाता है.

1975- 24 फरवरी 1975 को शेख अबदुल्ला की तरफ से मिर्जा मोहम्मद अफजल बेग और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरफ से अधिकारी जी पार्थसारथी एक समझौते (Kashmir Accord) पर हस्ताक्षर करते हैं. तब इंदिरा गांधी ने कहा, 'समय पीछे नहीं जा सकता', मतलब कश्मीर भारत का अंभिन्न अंग है और जनमत संग्रह की कोई गुंजाइश नहीं.

1977- कई सालों बाद सत्ता में वापसी करने वाले शेख अब्दुल्ला की 1977 में सरकार गिर जाती है. कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेस से अपना समर्थन वापस ले लेती है. जून 1977 में जम्मू-कश्मीर में फिर चुनाव होते हैं और शेख अबदुल्ला सरकार बनाने में सफल रहते हैं. 

1982- 8 सिंतबर, 1982 को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला का निधन हो जाता है. फिर शेख के बेटे फारूक अब्दुल्ला कश्मीर की राजनीति में सक्रिय होते हैं और उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया जाता है. दो साल बाद 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी जाती है और राजीव गांधी पीएम बन जाते हैं.

1987- जम्मू कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया शुरू होती है और मुकाबला नेशनल कांफ्रेंस और अलगाववादी नेताओं के संगठन मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बीच रहता है. चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस की जीत होती है और MUF के खाते में सिर्फ चार सीटें आती हैं. 

1987 (B)- MUF का आरोप रहता है कि चुनाव में धांधली की गई है और केंद्र द्वारा जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप किया गया. इसी के बाद घाटी में विद्रोह के सुर तेज होते हैं और सशस्त्र मिलिटेंसी सक्रिय हो जाती है.

1989- 8 दिसंबर को महबूबा मुफ्ती की बहन रुबैया सईद का अपहरण होता है. उस दौर में महबूबा के पिता मुफ़्ती मोहम्मद सईद देश के गृहमंत्री थे. अपहरण की जिम्मेदारी जम्मू–कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ने ली और मांग की कि उनके पांच साथियों को रिहा कर दिया जाए. बाद में सरकार को वो मांगे माननी पड़ी और तब जाकर रुबैया सईद को छोड़ा गया.

1990- घाटी में स्थिति बद से बदतर होने लगी. मिलिटेंसी इस कदर बढ़ गई कि पुलिस के लिए विद्रोहियों से पार पाना मुश्किल हो रहा था. फिर पहली बार कश्मीर में पांच जुलाई 1990 को AFSPA लगा दिया गया और कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी सेना को मिल गई.

1990 (A) - घाटी में AFSPA लगने के 14 दिन बाद ही जम्मू-कश्मीर में एक बड़ी घटना हुई. उसे कश्मीरी पंडितों के पलायन के रूप में जाना जाता है. बड़े स्तर पर हिंसा हुई और एक महीन के अंदर करीब साढ़ें तीन लाख पंडितों को घाटी छोड़ जाना पड़ा.

1993- जम्मू कश्मीर में भड़की हिंसा के बीच 31 जुलाई 1993 को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का जन्म हुआ. 26 समान विचार वाले संगठन साथ आए और उन्होंने मिलकर हुर्रियत कॉन्फ्रेंस बनाई. इनका मुख्य उदेश्य कश्मीर की आजादी थी.

1995- जम्मू-कश्मीर में जारी हिंसा में कुछ कमी आती है और प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव सदन में बयान देते हैं कि अनुच्छेद 370 को खत्म नहीं किया जाएगा.

1996- जम्मू कश्मीर में लंबे समय बाद फिर चुनाव करवाए जाते हैं. उस चुनाव में फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस जीत दर्ज करती है और वे फिर मुख्यमंत्री बन जाते हैं.

1999- प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी  20 फरवरी 1999 को बस यात्रा के जरिए  पाकिस्तान दौरे पर जाते हैं. इसे लाहौर बस यात्रा के तौर पर याद किया जाता है. वहां पर उनकी मुलाकात पाक पीएम नवाज शरीफ से होती है और दोनों के बीच लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर होते हैं. घोषणापत्र में शांति स्थापित करने और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न ना होने पर जोर दिया जाता है.

1999 (A) - भारत और पाकिस्तान के बीच करगिल का युद्ध शुरू हुआ. 8 मई 1999 को पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को करगिल की चोटी पर देखा गया. 26 जुलाई को भारत ने पाकिस्तान पर जीत दर्ज की. युद्ध में पाक के तीन हजार के करीब सैनिक मारे गए.

1999 (B)- 24 दिसंबर 1999 को आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के हवाई जहाज आईसी-814 को हाइजैक किया. फ्लाइट में 180 यात्री सवार थे. तब आतंकवादी 36 आतंकियों की रिहाई की मांग कर रहे थे. बाद में सरकार ने जैश-ए -मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद को रिहा किया.

2001- प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मई महीने में केसी पंत कमेटी का गठन किया. पूर्व रक्षा मंत्री केसी पंत को जिम्मेदारी दी गई कि वे घाटी के विभिन्न संगठनों से बातचीत करें. पंत कमेटी के जरिए सुझाव दिया गया कि कश्मीर में सुरक्षा बल को कम किया जाए और राज्य को ज्यादा स्वायत्तता मिले.

2001 (A)- 1 अक्टूबर को आतंकियों ने बड़े हमले को अंजाम दिया. श्रीनगर स्थित विधानसभा में फिदायीन हमला कर बड़ी तबाही मचाई गई. घटना में 11 सुरक्षा जवान शहीद हुए, वहीं 24 नागरिकों ने भी जान गंवाई. इसके बाद 13 दिसंबर, 2001 को भारत की संसद पर भी आतंकी हमला हुआ. हमले में 9 जवान शहीद और पांच आतंकियों को ढेर किया गया.

2002- वाजपेयी ने फिर शांति स्थापित करने के लिए तब के कानून मंत्री अरुण जेटली को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. जम्मू-कश्मीर को कैसे ज्यादा अधिकार दिए जाएं, इस पहलू पर जेटली को काम करना था. वहीं उसी साल वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई. उस कमेटी को 2002 के विधानसभा चुनाव से पहले अलगाववादियों संग संवाद स्थापित करना था.

2002 (A)- जेठमलानी की कमेटी ने सुझाव दिया कि अलगाववादियों को चुनाव की तैयारी के लिए कुछ समय और दे दिया जाए, वहीं उस चुनाव को भी राज्यपाल की अध्यक्षता में करवाया जाए. केंद्र ने उन सुझावों को मानने से इनकार किया और फिर पीडीपी और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई.

2003- इसके बाद जम्मू-कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए IAS अधिकारी एन एन वोहरा को बातचीत की जिम्मेदारी दी गई थी. उनके सुझाव पर ही 2004 में लाल कृष्ण आडवाणी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से बातचीत की. लेकिन फिर एनडीए 2004 में चुनाव हार गई और ये प्रयास भी ज्यादा सफल नहीं रहा.

2004- लंबे समय बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में कुछ सुधार हुआ और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाक राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के बीच मुलाकात हुई.

2005- PM मनमोहन सिंह ने कश्मीर के तमाम नेताओं संग बातचीत का सिलसिला जारी रखा. उन्होंने 5 सितंबर, 2005 को हुर्रियत कान्फ्रेंस के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. मुलाकात के बाद हुर्रियत की तरफ से हिंसा को रोकने और बातचीत के जरिए विवादों को सुलझाने पर सहमति बनी.

2006- मनमोहन सिंह ने फरवरी में राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. कश्मीर की तमाम राजनीतिक पार्टियों को न्योता दिया गया. कई मुद्दों पर चर्चा हुई लेकिन मतभेदों की वजह से कोई समाधान नहीं निकला.

2006 (A)- बातचीत के दौर के बीच 31 मई 2006 को आतंकियों ने श्रीनगर के बाहरी इलाके में हमला किया. उन्होंने गुजरात यात्रियों की बस पर ग्रेनेड अटैक किया. हमले में आठ यात्रियों की जान गई. बाद में उस समय के सीएम गुलाम नबी आजाद ने खुद पर्यटकों का पूरा इलाज कराया और उन्हें विशेष विमान से दिल्ली भेजा.

2008- अमरनाथ जमीन विवाद की वजह से दोनों घाटी और जम्मू में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू. अमरनाथ श्राइन बोर्ड को 100 एकड़ जमीन देने पर घाटी में बवाल हुआ. बाद में सरकार ने उस फैसले को वापस लिया, लेकिन फिर जम्मू में प्रदर्शन तेज हुआ.

2010- कश्मीरी नौजवान की मौत के बाद घाटी में फिर हिंसा का दौर शुरू. कई महीनों तक पत्थरबाजी और सुरक्षाबलों संग टकराव की स्थिति रही. कुल 112 लोग अपनी जान गंवाई.

2010 (A)- जम्मू-कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन के बाद सभी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल ने घाटी का रुख किया. बाद में केंद्र द्वारा तीन सदस्य कमेटी का गठन हुआ. कमेटी में दिलीप पडगांवकर, एमएम अंसारी और राधा कुमार शामिल रहें. कमेटी ने सुझाव दिया कि जम्मू-कश्मीर को ज्यादा अधिकार दिए जाएं. केंद्र ने उसे खारिज कर दिया.

2011- जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला 1200 पत्थरबाजों को माफी देने का ऐलान करते हैं. उनके खिलाफ मामलों को वापस लिया जाता है. 

2013- जैश-ए-मोहम्‍मद का आतंकवादी मोहम्‍मद अफजल गुरु जो भारतीय संसद पर हमले का दोषी था, उसे 9 फरवरी को फांसी दे दी जाती है.

2014- पांच चरणों में जम्मू-कश्मीर का चुनाव संपन्न होता है. परिणाम में पीडीपी को 28, बीजेपी को 25, एनसी को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिलती हैं. 

2015- एक मार्च को कई दौर की बातचीत के बाद बीजेपी और पीडीपी मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाते हैं. मुफ्ती मोहम्मद सईद सीएम तो बीजेपी की तरफ से निर्मल कुमार सिंह को उप मुख्यमंत्री बनाया जाता है.

2016- 7 जनवरी को पीडीपी प्रमुख और सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हो जाता है. इसके बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर का सीएम बनाया जाता है. वे राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री होती हैं.

2016 (A)- आठ जुलाई को सुरक्षाबलों द्वारा हिजबुल के कमांडर बुरहान वानी को ढेर कर दिया जाता है. घटना के बाद सात महीनों तक लगातार हिंसा का दौर चलता है. जम्मू-कश्मीर में लंबा कर्फ्यू लग जाता है. इस दौरान 84 लोग अपनी जान गंवाते हैं, वहीं दो चवान भी शहीद होते हैं.

2016 (B)- 18 सितंबर को जैश के पांच आतंकी उरी में स्थित भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हमला कर देते हैं. हमले में 19 जवान शहीद होते हैं. घटना के 10 दिन बाद भारतीय सेना सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करती है. पीओके में तीन किलोमीटर अंदर जाकर कुल 38 आतंकियों को मारा जाता है.

2017- 11 जुलाई को आतंकियों ने कायराना हरकत करते हुए अमरनाथ यात्रियों की बस को निशाना बनाया. गोलीबारी में 7 यात्रियों की मौत हुई, वहीं 19 जख्मी हुए.

2017 (A)- अपने कार्यकाल के तीन साल बाद मोदी सरकार फिर बातचीत का रास्ता अपनाते हुए खुफिया ब्यूरो के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा को राष्ट्रीय प्रतिनिधि नियुक्त कर देती है.

2018-  40 महीने तक पीडीपी संग सरकार चलाने के बाद बीजेपी 19 जून को गठबंधन तोड़ने का ऐलान करती है. पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या, कठुआ मामला, ऑपरेशन ऑलआउट जैसे तमाम मुद्दों पर रहा विवाद.

2018 (A)- बीजेपी-पीडीपी की सरकार गिरने के बाद सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बना दिया जाता है और वे 23 अगस्त को अपना पद संभाल लेते हैं.

2019- 14 फरवरी को जैश के आतंकी पुलवामा में सुरक्षाबलों पर कायराना हमला करते हैं. विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर लगने के बाद घटना होती है. हमले में 40 जवान शहीद हुए.

2019 (A)- पुलवामा हमले के ठीक 12 दिन बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट स्ठित जैश कैंप पर एयरस्ट्राइक की. कुल 12 मिराज विमान पाकिस्तानी सीमा में दाखिल हुए और बालाकोट में बम बरसाए गए. कार्रवाई में सैकड़ों आतंकी मारे गए.

2019 (B)-  मई में बीजेपी लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत के साथ वापसी करती है. प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी दूसरी बार शपथ लेते हैं.

2019 (C)- NSA अजित डोभाल के जम्मू-कश्मीर दौरे के बाद 25 जुलाई को गृह मंत्रालय जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी) के अतिरिक्त 10 हजार जवानों की तैनाती करता है.

2019 (D)- अगस्त 2 को 28 हजार अतिरिक्त सैनिक जम्मू-कश्मीर भेजे जाते हैं और अमरनाथ यात्रा को भी बीच में ही रोक दिया जाता है. राज्य में बड़े आतंकी हमले के इनपुट बताए जाते हैं. सभी यात्रियों को जल्द जम्मू-कश्मीर छोड़ने का निर्देश दिया जाता है.

2019 (E)- जम्मू-कश्मीर में हलचल तेजी हो जाती है. चार और पांच अगस्त की आधी रात को प्रशासन द्वारा पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर दिया जाता है.

2019 (F)- पांच अगस्त को राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का ऐलान किया. वहीं जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का फैसला हुआ. दोनों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया.

2020- अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र ने परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करने की तैयारी शुरू की. मार्च महीने में रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया गया. आयोग में जम्मू-कश्मीर के पांचों सांसद भी शामिल हुए.  

2020 (A)- 15 अक्टूबर को एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने आधिकारिक तौर पर पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेयरेशन ( गुपकार) का ऐलान किया. अनुच्छेद 370 की बहाली मुख्य उदेश्य.

2020 (B)- 23 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर जिला विकास परिषद ( डीडीसी) चुनाव के परिणाम घोषित किए जाते हैं. गुपकार गठबंधन 110 सीटें अपने नाम करता है. वहीं बीजेपी 75 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बन जाती है.

2021- मार्च में केंद्र द्वारा परिसीमन आयोग का कार्यकाल एक साल और बढ़ाया जाता है. परिसीमन आयोग का कार्यकाल 2022 में पूरा होगा. 

2021 (A)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 जून को जम्मू-कश्मीर को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई. फारूक, महबूबा और गुलाम नबी जैसे तमाम बड़े नेता शामिल हुए. केंद्र का परिसीमन और विधानसभा चुनाव कराने पर जोर.

  • जम्मू और कश्मीर में कैसे होगा परिसीमन, किसे मिलेंगी कितनी सीटें, क्या है आयोग का पूरा प्लान? पढ़ें
  • 'नया कश्मीर बनाने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलने वाला''

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जम्मू और कश्मीर का इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, राजनीति तथा जिले

इस अध्याय के माध्यम से हम जम्मू और कश्मीर (Jammu And Kashmir) की विस्तृत एवं महत्वपूर्ण जानकारी जानेगें, जिसमे राज्य का इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, संस्कृति और राज्य में स्थित विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आदि जैसी महत्वपूर्ण एवं रोचक जानकरियों को जोड़ा गया है। इसके अतिरिक्त जम्मू और कश्मीर राज्य में हाल ही में हुये विकास व बदलाव को भी विस्तारपूर्वक बताया गया है। यह अध्याय प्रतियोगी परीक्षार्थियों के साथ-साथ पाठकों के लिए भी रोचक तथ्यों से भरपूर है।

जम्मू और कश्मीर का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान

जम्मू और कश्मीर के बारे में जानकारी.

जम्मू और कश्मीर भारत के सबसे उत्तरी भाग में स्थित केंद्र शासित राज्य है। जम्मू-कश्मीर की दो राजधानियाँ है, ग्रीष्‍मकाल (मई-अक्टूबर) में श्रीनगर और शीतकाल (नवंबर-अप्रैल) में जम्मू राजधानी रहती है। यह भारत की ओर से उत्तर में चीन और अफगानिस्तान, पूर्व में चीन, और दक्षिण में हिमाचल प्रदेश और पंजाब से घिरा है। पश्चिम में यह पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम फ्रंटीयर प्रांत और पंजाब से घिरा है। जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र 101,387 वर्ग किमी. है। जम्मू कश्मीर को भारत के संविधान में उल्लिखित धारा 370 के अंतर्गत एक विशेषाधिकार प्राप्त राज्य था

परंतु 5 अगस्त 2019 को, भारत सरकार ने भारत के संविधान से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए स्थानांतरित किया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर, और लद्दाख में विभाजित करने के लिए एक विधेयक पेश किया। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 9 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को दो क्रेंद शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने वाले ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन’ 2019 ऐक्ट को मंज़ूरी दे दी। इसके अनुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आधिकारिक तौर पर 31 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।

जम्मू और कश्मीर का इतिहास

दो प्रामाणिक ग्रंथों राजतरंगिणी तथा नीलम पुराण में यह आख्‍यान मिलता है कि कश्मीर की घाटी कभी बहुत बड़ी झील हुआ करती थी। जम्मू-कश्मीर पहले हिंदू शासकों और फिर मुस्लिम सुल्तानों के अधीन रहा। बाद में यह राज्य अकबर के शासन में मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गया। सन् 1756 से अफगान शासन के बाद, सन् 1819 में यह राज्य पंजाब के सिख साम्राज्य के अधीन हो गया। सन् 1846 में रंजीत सिंह ने जम्मू क्षेत्र महाराजा गुलाब सिंह को सौंप दिया। सन् 1846 में सबरुन की निर्णायक लड़ाई के बाद अमृतसर संधि के मुताबिक कश्मीर भी महाराजा गुलाब सिंह को सौंप दिया गया। सन 1947 तक जम्मू पर डोगरा शासकों का शासन रहा।

सन् 1947 में यह राज्य पाकिस्तान के सशस्त्र हमले का विषय बना। 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरिसिंह के अनुवृध्दि के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इसे भारत में शामिल होना मंजूर किया गया। उस विलय पत्र पर 26 अक्टूबर, 1947 को पण्डित जवाहरलाल नेहरू और महाराज हरीसिंह ने हस्ताक्षर किये। इस विलय पत्र के अनुसार- “राज्य केवल तीन विषयों- रक्षा, विदेशी मामले और संचार -पर अपना अधिकार नहीं रखेगा, बाकी सभी पर उसका नियंत्रण होगा। इसी क्रम में भारतीय संविधान में ‘अनुच्छेद 370’ जोड़ा गया था, और जिसमें बताया गया कि जम्मू-कश्मीर से सम्बंधित राज्य उपबंध केवल अस्थायी है, स्थायी नहीं।

जम्मू और कश्मीर का भूगोल

जम्मू और कश्मीर की जलवायु, जम्मू और कश्मीर की सरकार और राजनीति.

जम्मू और कश्मीर का केंद्र शासित प्रदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 239 के प्रावधानों के तहत प्रशासित है। मूल रूप से पुडुचेरी के केंद्र शासित प्रदेश के लिए तैयार अनुच्छेद 239 ए जम्मू और कश्मीर पर भी लागू होगा।जम्मू और कश्मीर में सरकार के पास ही सर्वोच्च अधिकार हैं। अन्य किसी भी राज्य की तरह यहां भी 3 शाखाएं हैं- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। कार्यपालिका शाखा की प्रधान सरकार होती है जो कि राज्य की भी मुखिया है। राज्य के कार्यकारी अधिकार मुख्यमंत्री के पास होते हैं। राज्य की विधानसभा में 89 सदस्य हैं और विधान परिषद में 36 सदस्य हैं।

जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री  बनने वाले प्रथम व्यक्ति मेहर चंद महाजन थे। उन्होंने 15 अक्टूबर 1947 में राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। जम्मू और कश्मीर के वर्तमान उप-राज्यपाल   मनोज सिन्हा है। मनोज सिन्हा ने 7 अगस्त 2020 को जम्मू और कश्मीर के उप- राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की है। जम्मू-कश्मीर के प्रथम राज्यपाल युवराज करण सिंह थे ये 30 मार्च 1985 से 15 मई 1949 तक इस पद पर कार्यरत रहे थे।

जम्मू और कश्मीर की अर्थव्यवस्था

जम्मू और कश्मीर की कृषि व्यवस्था, जम्मू और कश्मीर की शिक्षा व्यवस्था, जम्मू और कश्मीर के प्राकृतिक संसाधन, खनिज पदार्थ व उद्योग, जम्मू और कश्मीर की जनसंख्या, जम्मू और कश्मीर की वेशभूषा एवं पहनावा, जम्मू और कश्मीर की संस्कृति और कला, जम्मू और कश्मीर में बोली जाने वाली भाषाएँ, जम्मू और कश्मीर के मुख्य भोजन, जम्मू और कश्मीर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार, जम्मू और कश्मीर के आदिवासी/जनजाति समूह, जम्मू और कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल, जम्मू और कश्मीर के सभी जिलों की सूची.

जम्मू और कश्मीर राज्य में कुल 22 जिले है, क्षेत्रफल के आधार पर लेह राज्य का सबसे बड़ा ज़िला है और जनसँख्या में आधार पर जम्मू सबसे बड़ा ज़िला है।

जम्मू एवं कश्मीर राज्य के जिलों की सूची: अनंतनाग, उधमपुर, कठुआ, कारगिल, किश्तवाड़, कुपवाड़ा, कुलगाम, गांदरबल, जम्मू, डोडा, पंच, पुलवामा, बड़गाम, बांदीपुरा, बारामूला, राजौरी, रामबन, रियासी, लेह, शुपियां, श्रीनगर और सांबा।

जम्मू और कश्मीर में घूमने की प्रसिद्ध जगहें

  • जम्मू और कश्मीर के हरि पर्वत किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
  • जम्मू और कश्मीर के रघुनाथ मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
  • जम्मू और कश्मीर के वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
  • जम्मू और कश्मीर के जामिया मस्जिद का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी

जम्मू और कश्मीर प्रश्नोत्तर (FAQs):

जम्मू और कश्मीर की राजधानी क्या है?

जम्मू और कश्मीर की राजधानी जम्मू (सर्दियों), श्रीनगर (गर्मी) है।

जम्मू और कश्मीर के वर्तमान उपराज्यपाल/प्रशासक कौन हैं?

जम्मू और कश्मीर के वर्तमान उपराज्यपाल/प्रशासक मनोज सिन्हा हैं।

जम्मू और कश्मीर के लोक नृत्य कौन-कौन से हैं?

कुद नृत्य, राउफ नृत्य, दुमल नृत्य, हाफिजा नृत्य, भांड पाथेर, बचा नगमा, भदजास नृत्य और , हिकात नृत्य जम्मू और कश्मीर के मुख्य लोक नृत्य हैं।

जम्मू और कश्मीर की राजकीय भाषा क्या है?

जम्मू और कश्मीर की राजकीय भाषा डोगरी, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू है।

जम्मू और कश्मीर का राजकीय पशु और पक्षी क्या है?

जम्मू और कश्मीर का राजकीय पशु कश्मीरी बाहरसिंगा/हंगुल और राजकीय पक्षी अभी तक घोषित नहीं है।

जम्मू और कश्मीर का राजकीय फूल और पेड़ क्या है?

जम्मू और कश्मीर का राजकीय फूल आम रोडोडेंड्रोन और राजकीय पेड़ चिनार है।

जम्मू और कश्मीर का सबसे बड़ा शहर कौन-सा है?

जम्मू और कश्मीर का सबसे बड़ा शहर श्रीनगर है।

जम्मू और कश्मीर कुल कितने क्षेत्रफल फैला हुआ है?

जम्मू और कश्मीर कुल 2,22,236 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें कुल जिले हैं।

जम्मू और कश्मीर राज्य की स्थापना कब हुई थी?

जम्मू और कश्मीर की स्थापना 31 अक्टूबर 2019 को हुई थी, जिसके बाद जम्मू और कश्मीर को भारत के केन्द्रशासित प्रदेश का दर्जा मिला था।

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Kashmir Samasya ( Issues ) History & Events – कश्मीर विवाद (कश्मीर समस्या) पर संपूर्ण विश्लेषण

ब्रिटिशकाल में जम्मू व कश्मीर एक विस्तृत देशी रियासत थी जिसकी अधिकांश जनता मुस्लिम थी और राजा हिन्दू था | आजादी के बाद भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 द्वारा देशी रियासतों को यह स्वतंत्रता प्रदान की गई थी कि वे चाहे तो भारत में मिल सकते हैं या पाकिस्तान में अथवा अपना पृथक अस्तित्व बनाये रख सकते हैं |

आजादी के समय जम्मू – कश्मीर रियासत के प्रमुख हरि सिंह थे | कश्मीर रियासत के अलग – अलग हिस्सों गिलगिट, बाटलिस्तान , लद्दाख, जम्मू आदि के लोगों के महत्काक्षाओं को ध्यान में रखते हुए महाराजा हरि सिंह को निर्णय लेना था लेकिन जब महाराजा हरि सिंह 15 अगस्त 1947 तक निर्णय नहीं कर सके तो लिहाजा उन्होंने दोनों मुल्कों को समझौते का प्रस्ताव भेजा | पाकिस्तान की सरकार ने इस प्रस्ताव को तत्काल मान लिया क्योंकि उसे विश्वास था कि ब्रिटेन के दबाव में आकर महाराजा हरि सिंह को पाकिस्तान में ही कश्मीर का विलय करना पड़ेगा |

दूसरी तरफ भारत ने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में यह कहकर रख दिया, की आपसी विचार – विमर्श द्वारा इस मुद्दे को सुलझाएंगे | वहीं महाराजा हरि सिंह भारत के नेतृत्व के साथ रियासत के भविष्य को लेकर लगातार विमर्श कर रहे थे | और अंत तक भारत में ही विलय के पक्षधर बने रहे |

भारत – पाकिस्तान के विभाजन के बाद 26 अक्टूबर, 1947 को इसी बौखलाहट में पाकिस्तान के कबाइलियों ने, जो पाकिस्तान सरकार द्वारा समर्थित थे, जम्मू और कश्मीर पर आक्रमण कर दिया, फलस्वरूप हरि सिंह भारत में जम्मू – कश्मीर के विलय के अधिपत्र पर हस्ताक्षर कर ‘कश्मीर’ को भारतीय संघ में शामिल करने की औपचारिक घोषणा कर दीया | इस अधिपत्र में यह व्यवस्था की गई थी कि जम्मू – कश्मीर के संबंध में भारत सरकार को प्रतिरक्षा, विदेशी मामलों तथा संचार के सम्बन्ध में अधिकार प्राप्त होगा |

इसके बाद समूचा जम्मू – कश्मीर (जिसमे वर्तमान में पाकिस्तान के अवैध अधिकार वाला हिस्सा भी शामिल है) भारतीय गणराज्य का अभिन्न अंग बन गया | भारत में कश्मीर के विलय से सम्बंधित दस्तावेजों में यह सबसे अधिक वजनदार और मौलिक दस्तावेज है और भारतद्रोहियों और पाकपरस्तों के पास इसकी काट नहीं है |

विलय – पत्र पर हरि सिंह द्वारा हस्ताक्षर करने के बाद, समूची कश्मीर रियासत अन्य रियासतों की भांति भारत का अभिन्न अंग तो बन गयी किन्तु वर्तमान समय में राज्य का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में है और दूसरा चीन के गैर – क़ानूनी नियंत्रण में |

इसी दिन भारतीय फ़ौज संकटग्रस्त कश्मीर में दाखिल हुई | उस दिन तक लगभग 45,000 वर्ग किमी जमीन पर ही पाकिस्तान का कब्ज़ा हो पाया था | भारत सरकार विलय के बाद भी अधिक चौकस और गंभीर नहीं हो पाई और मौजूदा हालात को सही तरीके से नियंत्रित नहीं कर पाई | सही तरीके से मामले को संभाला गया होता तो पाकिस्तानी फ़ौज की बढ़त को रोका जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ |

भारत सरकार ने बड़ी भूल की, पाकिस्तान की सेना अभी घाटी में थी लेकिन युद्ध विराम की घोषणा कर दी गई | परिणामस्वरुप आज तक खामियाजा आम कश्मीरी जनता को समय समय पर भुगतना पड़ा रहा है, और विभाजन के 66 सालों के बाद भी पाकिस्तान गिद्ध की तरह नजर भारत – शासित कश्मीर पर टिकाए है और सियासी जमातों की अपनी महत्वाकांक्षाओं ने समय – समय पर इसे समर्थन प्रदान किया जिसके परिणामस्वरुप पाक ने तीन बार वर्ष 1965, वर्ष 1971 और वर्ष 1999 में भारत पर विफल आक्रमण किया |

आज भारत – शासित कश्मीर के 18 जिलों में से 4 जिले मीरपुर, मुजफ्फरबाद, गिलगिट और हुजा पाकिस्तान के अवैध अधिकार में है और यदि हालात को सुधारा न गया, तो आने वाले कुछ दशकों के बाद कश्मीर का अस्तित्व संकट में आ जाएगा |

कश्मीर समस्या के कारण और निवारण kashmir problem and solution in hindi

कश्मीर के भारत में विलय के बाद समय – समय पर भारत – पाकिस्तान के बीच युद्ध हुए और जिसके कारण संबंधों में दिन प्रतिदिन कटुता बढ़ती रही है | कश्मीर समस्या आज न सिर्फ वहां की जनता की समस्या है, बल्कि इस समस्या से पूरा राष्ट्र प्रभावित है | कश्मीर समस्या से जुड़े कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित है –    

(1) कश्मीर के भारत में विलय में विलम्ब

महाराजा हरि सिंह ने कश्मीर को भारत में विलय करने का निर्णय करने के बाद भी अधिकारिकरूप से विलय करने में अत्यंत विलम्ब किया | भारत के रक्तरंजित विभाजन की विभीषिका देखने के बाद भी हरि सिंह ने 15 अगस्त, 1947 में ही ‘कश्मीर’ का भारत में विलय नहीं किया, बल्कि विलय को लटकाकर वे काफी समय तक विचार करते रहे और जब अक्टूबर  1947 में पाक सेना ने कश्मीर घाटी में रक्तपात मचाना शुरू किया, तो वे इस मामलें को लेकर गंभीर हुए और अंततोगत्वा 26 अक्टूबर, 1947 को विलय – पत्र पर हस्ताक्षर किए और भारत में कश्मीर का विलय हो हुआ, परन्तु तब तक हालात बदल चूका था |

वर्तमान में भारत के नियंत्रण में कश्मीर घाटी का  कुल क्षेत्रफल 15853 वर्ग किमी है | दूसरा क्षेत्र जम्मू क्षेत्र है, जिसका क्षेत्रफल 26293 वर्ग किमी है | भौगोलिक दृष्टि से यहां तराई और पहाड़ी ये दोनों ही तरह के क्षेत्र पाए जाते हैं | इसमें वस्तुतः हिन्दुओं की बहुलता है | जम्मू कश्मीर का तीसरा ‘लद्दाख’ क्षेत्र है जिसका कुल क्षेत्रफल 59241 वर्ग किमी है | यहाँ आबादी बहुत कम है, लेकिन जनसंख्या में बौद्धों का बहुमत है | महाराजा हरि सिंह द्वारा विलय में बिलम्ब करने के कारण ही आज कश्मीर समस्या नासूर बन गई है |

(2) पं. नेहरू की राजनीतिक अदूरदर्शिता  

यह स्थापित सत्य है कि कश्मीर समस्या का एक बहुत बड़ा कारण पं. नेहरू की अदूरदर्शिता भी है |  कश्मीर विलय को लटकाकर हरि सिंह ने जहाँ इस समस्या की नींव रखी, वही दूसरी तरफ पं. नेहरू ने सही समय पर सही फैसला न लेकर समस्या को और गंभीर बना दिया | इसी के परिणामस्वरूप पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाली भूमि पर उसी का नियंत्रण रह गया | आज भी उसी पाक अधिकृत कश्मीर से प्रशिक्षण प्राप्त जिहादी तत्व जम्मू – कश्मीर में अलगाववाद और हिंसा फैलाने के साथ – साथ पूरे भारत को लहूलुहान करने में जुटे हैं |

(3) कश्मीर का भारत में सशर्त विलय और विशेष राज्य का दर्जा

अन्य सभी देशी रियासतों और राजवाडों का भारत में विलय बिना किसी शर्त के हुआ था, जबकि जम्मू – कश्मीर के विषय में ऐसा न हुआ | कश्मीर का भारत में विलय सशर्त हुआ | जम्मू – कश्मीर को धारा 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा प्रदान किया गया | साथ ही यहाँ पर राज्य का अपना संविधान भी है |

विलय से पूर्व पं. नेहरू ने अपने घनिष्ठ मित्र शेख अब्दुल्ला को रियासत का साझीदार बनाया | शेख अब्दुल्ला के ‘दो प्रधान, दो विधान और दो निशान’ को धारा 370 का कवच पहनाया | वस्तुतः सेकुलर व्यवस्था ने धारा 370 के अंतर्गत जम्मू – कश्मीर में अलगाववाद को संवैधानिक मान्यता दे रखी है |

कश्मीर को विशेष प्रान्त का दर्जा देने का बाबा भीमराव अम्बेडकर ने घोर विरोध किया था | भारत के कानून मंत्री होने के नाते उन्हें ये मंजूर नहीं था कि कश्मीर के सारे हक भारत पर हो किन्तु कश्मीर पर भारत का कोई अधिकार न हो | 

यह कटु सत्य है कि बाबा साहेब की अनदेखी पर पं. नेहरू ने शेख अब्दुल्ला का साथ दिया | उसी का परिणाम है कि घाटी में तिरंगा चलाया जाता है और अलगाववादी ताकतें कश्मीर घाटी में आतंक मचाते हैं और भारत के मौत की दुआ मंगाते है |

इन उपर्युक्त कारणों से स्पष्ट है कि कश्मीर की समस्या जमातों को अपनी महत्वाकांक्षाओं को फलीभूत करने के कारण आज दोनों देशों के सम्बन्धो में काफी कटुता है |

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(4) – मजहब के आधार पर देश का विभाजन

कश्मीर समस्या (kashmir samasya) के जन्म के पीछे वास्तव में मजहबी तत्व का समावेश था | भारत और पाकिस्तान का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ है | 14 अगस्त, 1947 से पूर्व तक पाक भारत का ही अंग था और धर्म आधारित राष्ट्र के रूप में उसका अस्तित्व, भारत के रक्तरंजित विभाजन के बाद संभव हुआ | कश्मीर की 80 % जनता मुस्लिम थी |

धर्म के आधार पर व जनमत के आधार पर पकिस्तान को पूर्णत: विश्वास था कश्मीर का विलय पकिस्तान में ही होगा, किन्तु जब राजा हरि सिंह ने कश्मीर का विलय भारत में किया, तो पाक की सियासी जमातों के इरादों पर पानी फिर गया | अपने आन्तरिक क्षोभ को काबू नहिं कर पाने के कारण पकिस्तान ने कई बार भारत पर विफल आक्रमण किया | लडाइयों में बार – बार हारने के बाद और अपने आतंरिक विक्षोभ को काबू नहिं कर पाने के कारण पकिस्तान आज एक ‘विफल राष्ट्र’ के कगार तक जा पहुँचने पर भी उसने सिर्फ यही सिद्ध किया है कि वह जितना कुटिल है उसका सौ गुना कुटिल, भारत के साथ उसके कटुतापूर्ण कुटिल संबंध जगजाहिर हैं |

द्विराष्ट्र सिद्धांत से जन्मा पाकिस्तान अपने संसाधनों पर जीवित है, किन्तु यहाँ कश्मीर में धारा 370 और स्वायत्तता का मुद्दा इस तरह तालमेल बनाया गया है कि भारतीय धन से ही एक सल्तनत या छोटा पाकिस्तान कश्मीर में पोषित हो रहा है | इन सब को दर किनार कर भारत ने जब भी उससे अच्छे पड़ोसी जैसे बर्ताव की उम्मीद की और सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने वाली पहलकदमियों की, उसने कुटिलतापूर्ण उसे नाउम्मीदी करके ही दम लिया | 1965 एवं 1971 में बुरी तरह मुह की खाने और पूर्वी पाकिस्तान के अलग देश बन जाने के बाद से तो उसकी कुंठा जैसे उसे पल भर भी चैन नहीं लेने देती | कभी कारगिल पर अधिकार को लेकर भारत में घुसपैठ करता है, तो कभी आतंकवाद का सहारा लेकर भारत की शांति को भंग करने की कोशिश करता है |

कश्मीर घाटी में वर्तमान समय में पाकिस्तान पोषित दर्जनों आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं जो समस्त भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देकर भारतवासियों को लहूलुहान करने पर तुले हैं | कश्मीर घाटी की 10 % अलागववादी आबादी के कारण कश्मीर की शेष आबादी के अलावा पूरा भारत भयाक्रांत है | कश्मीर घाटी में सक्रिय अलगाववादी तत्वों की सियासी दलों और राजनीतिज्ञों का संरक्षण प्राप्त हैं जिसके कारण गैर – कानूनी रूप से उनके उनके लिए हथियार उपलब्ध काराए जाते हैं और ये गुप्तरूप से भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देते हैं |

कश्मीर में अलगाववादी तत्वों का बढ़ता वर्चस्व और बढ़ती ताकतों की वजह से कश्मीर समस्या भारत के लिए दर्द का सबब बनती जा रही है |

(5) अनुच्छेद 370

भारतीय संघ में जम्मू – कश्मीर का विलय इस आधार पर किया गया कि सविधान के अनुच्छेद 370 के तहत इस प्रदेश की स्वायत्तता की रक्षा की जाएगी, और जिसका अपना संविधान होगा, जबकि भारतीय संघ के अन्य किसी भी राज्य का अपना संविधान नहीं है तथा जम्मू – कश्मीर राज्य का प्रशासन इस संविधान के उपबन्धों के अनुसार चलता रहेगा |

भारतीय संविधान द्वारा संघ और राज्यों के बीच जो शक्ति विभाजन किया गया इसके अंतर्गत अवशेष शक्तियों संघीय सरकार को सौपी गई हैं, परन्तु जम्मू – कश्मीर के सम्बन्ध में अवशिष्ट शक्तियाँ जम्मू – कश्मीर राज्य के पास रही | जम्मू – कश्मीर राज्य के नागरिकों को दोहरी नागरिकता प्राप्त हुई | अन्य राज्यों का कोई व्यक्ति जम्मू – कश्मीर में कोई सम्पत्ति नहीं खरीद सकता |

कश्मीर को धारा 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा दिया गया, जिसके द्वारा जम्मू – कश्मीर में अलगाववाद को अप्रत्यक्ष रूप से संवैधानिक मान्यता मिल गई | केद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों स्तर पर शेष राज्य के साथ भेदभाव बरते जाने के कारण वहाँ अलगाववादी तत्वों की जड़े मजबूत हुई हैं |

जम्मू – कश्मीर के सभी नागरिक चाहे वे वहाँ पिछले 50 सालों से ही क्यों न बसे हों वहाँ के स्थायी निवासी नहीं कहें गए . पश्चिमी पंजाब से विस्थापित हिन्दू – सिख, जो विभाजन के दौरान जम्मू में आ बसे, इसी श्रेणी में आते हैं | वे भारतीय नागरिक तो हैं पर जम्मू – कश्मीर के नहीं | वे राज्य, पंचायत, या न्यायपालिका चुनाव में भाग नहीं ले सकते | ऐसे युवा छात्र – छात्राएं राज्य के चिकित्सा, प्रोद्योगिकी या कृषि महाविद्यालयों में दाखिला नहीं पा सकते | हमने द्विराष्ट्र सिद्धांत को नाकारा है, दुनिया में उद्दघोष किया है कि भारत में मजहब कभी विभाजन का आधार नहीं बन सकता | विडम्बना यह है कि हम ही अपने कश्मीर में द्विराष्ट्र सिद्धांत का प्रयोग वर्षों तक किया |

कश्मीर में धारा, 370 स्वायत्तता का मुद्दा प्रभावी होने के कारण कश्मीर में अलगाववादी ताकतों द्वारा छोटा पाकिस्तान पोषित होता रहा और उसकी जड़े दिन – प्रतिदिन मजबूत होती जा रही हैं | यह कहना गलत न होगा कि कश्मीर की समस्या जटिल है | इसकी समस्या की गहराइयों में जाने का सामर्थ्य ही एक सफल कूटनीति की पहचान है | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जम्मू-कश्मीर के इतिहास में मील के पत्थर-सा एक अध्याय जोड़ दिया है | आजाद भारत के गठन और उसमें कश्मीर के विलय के बाद से ही जो समस्याएं चली आ रही थीं, उनके समाधान के लिए एक साथ कई बदलाव कर दिए गए हैं |

सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है, इसके साथ ही अनुच्छेद 35 – ए का भी समापन हो गया है | इसका अर्थ है, भारत का कोई भी नागरिक अब जम्मू – कश्मीर में बसने में समर्थ होगा, वहां जमीन या सम्पत्ति खरीद सकेगा, और भारत के अन्य सभी राज्यों की तरह यहां भी सम्पत्ति पर उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे |

गिलगिट – बाल्टिस्तान भारत और पाक

पाकिस्तान के गैरकानूनी नियंत्रण वाले चार जिलों (मीरपुर, मुजफ्फराबाद, गिलगिट और हुंजा) में से एक गिलगिट – बाल्टिस्तान है जिसे पकिस्तान अपना पांचवाँ सूबा बनाने जा रहा है | क्षेत्रफल की दृष्टि से जम्मू – कश्मीर राज्य का यह हिस्सा आज के पाक अधिकृत जम्मू – कश्मीर का लगभग 80 % क्षेत्र है | इसी गिलगिट – बाल्टिस्तान का भविष्य शेष कश्मीर से जुड़ा है | यदि यह पकिस्तान का संवैधानिक राज्य बन जाता है, तो कश्मीर रियासत का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला जायेगा |

1947 में कश्मीर रियासत का भारत में विलय करने के उपरांत यह भारत का हिस्सा था | डोगरा महाराज हरि सिंह ने अपनी पूरी रियासत का विलय भारत में ही किया था | अत: गिलगिट – बाल्टिस्तान सहित समूचा कश्मीर वैधानिक रूप से भारत की ही अंग है, लेकीन पकिस्तान अवैध नियंत्रण वाली हमारी भूमि को अपनी मिल्कियत घोषित करने की नापाक कोशिश कर रहा है | इस गैरकानूनी प्रयास के खिलाफ दिल्ली दरबार से अब तक कोई बुलंद आवाज न उठना इस बात का संकेत देता है कि हमारी सरकार कश्मीर की समस्या के हल को लेकर सचेत और संवेदनशील नहीं है | इसी असचेतता व संवेदनहीनता का परिणाम है कि इन क्षेत्रों में चरमपंथी गुटों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है |

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2 thoughts on “ कश्मीर समस्या पर निबंध – Kashmir Issues Essay in Hindi ”

बबिता जी आपका लेख पढ़ा काफी अच्छा लगा लेकिन गुस्सा इस बात का आ रहा है की जो सैनिक कश्मीर में तैनात है उनके साथ ना तो कोई अच्छा व्यव्हार है न ही कोई उन्हें अपनी जान बचाने का हक़. में आज तक ये बात नहीं समझ पा रहा हूँ की आखिर क्यों हम इस तरह से सैनिको की जान जोखिम में डाल रहे है. या तो कड़े नियम लागू कर कश्मीर को india के ही राज्य का दर्जा दे जैसा की दुसरे देशो में है या फिर इसे पाकिस्तान को दे ही दे ताकि उन्हें पता चल सके की वो किस लायक है.

बहुत अच्छी जानकारी शेयर की है आपने बबीता जी, इससे पहले मुझे कश्मीर समस्या के बारे मे इतनी विस्तृत जानकारी नहीं थी |

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जम्मू और कश्मीर पर निबंध

Essay on Jammu and Kashmir in Hindi: नमस्कार दोस्तों आज हम आप सभी लोगों के सामने लेकर प्रस्तुत हुए हैं जम्मू कश्मीर पर निबंध, जो कि परीक्षा के दृष्टिकोण से भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है। जम्मू और कश्मीर हमारे भारत की शान है। जम्मू और कश्मीर भारत की शान होने के साथ-साथ आतंकवाद एवं उग्रवाद का भी एक जीता जागता उदाहरण है। आज हम सभी लोग अपने इस महत्वपूर्ण निबंध के माध्यम से जम्मू कश्मीर पर निबंध जानेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं।

short essay on kashmir in hindi

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जम्मू और कश्मीर पर निबंध | Essay on Jammu and Kashmir in Hindi

जम्मू कश्मीर पर निबंध (250 शब्द).

जम्मू और कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है, जो कि भारत के उत्तरी राज्यों में स्थित है। जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर है। यहां पर सभी वर्ष एवं सभी महीने बर्फ पड़ती रहती है। जम्मू और कश्मीर विश्व की सबसे सुंदर स्थानों में से एक है, यहां पर हिमालय की ऊंची ऊंची चोटिया, ग्लेशियर, नदियां एवं घाटिया, सदाबहार वन, ताजी पहाड़ी हवा इत्यादि मौजूद है, जम्मू और कश्मीर को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है।

जम्मू और कश्मीर संपूर्ण भारत वर्ष की शान है। जम्मू कश्मीर को भारत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कहा जाता है। हालांकि जम्मू और कश्मीर भारत का ही एक हिस्सा है, परंतु इसे पाकिस्तान हथियाने के चक्कर में पड़ा है, परंतु हमारी भारतीय सेना सदैव पाकिस्तानी आतंकवादियों को धूल चटा देती है। हमारी भारतीय सेना जम्मू और कश्मीर की रक्षा में अपना पूरा जीवन निकाल देती है और जम्मू और कश्मीर पर होने वाले किसी भी सर्जिकल स्ट्राइक को रोक देती है और उसका डटकर सामना भी करती हैं।

जम्मू और कश्मीर भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 तथा संबंधित संवैधानिक मामलों एवं सामान्य नीति विषयक मामलों में आतंकवाद एवं उग्रवाद से जुड़े मामलों से संबंधित है। जम्मू और कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री के पैकेट का क्रियान्वयन किया गया है, जिसके अंतर्गत वहां के लोगों को सुरक्षा प्रदान की जाने की गारंटी भी दी जाती है। जम्मू और कश्मीर में लोगों का जीवन सुरक्षित नहीं होता, क्योंकि वहां पर कभी भी किसी भी प्रकार का हमला हो सकता है, इसी लिए भारतीय सैनिक जम्मू कश्मीर में सदैव मौजूद रहकर वहां के लोगों की सुरक्षा करते हैं और वहां के लोगों के साथ साथ वे जम्मू और कश्मीर की भी सुरक्षा करते हैं।

जम्मू कश्मीर पर निबंध (800 शब्द)

जम्मू कश्मीर भारत का एक अभिन्न भाग है, जो कि भारत के उत्तरी भागों में स्थित है। जम्मू कश्मीर संपूर्ण विश्व की सबसे सुंदर स्थलों में से प्रथम स्थान पर है। जम्मू कश्मीर को संपूर्ण विश्व भर में धरती के स्वर्ग (heaven of Earth) के रूप में जाना जाता है। जम्मू कश्मीर के पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान दक्षिणी सीमा पर श्री लंका और उत्तर एवं पूर्वी सीमा पर चीन है। जम्मू और कश्मीर का कुल क्षेत्रफल लगभग 54571 वर्ग मील है। जम्मू कश्मीर की कुल जनसंख्या लगभग 1,01,43,700 है। हमारी कश्मीर में कुल 8 भाषाएं (कश्मीरी पंजाबी लद्दाखी बालती दर्दिक गोजरी पहाड़ी एवं डोंगरी) बोली जाती हैं।

जम्मू कश्मीर की सभ्यता

  • जम्मू कश्मीर में युगो युगो से इस्लाम, हिंदुत्व एवं बौद्ध धर्म के धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव का संगम मौजूद है।
  • जम्मू कश्मीर का प्राचीनतम विस्तृत इतिहास कल्हलण रचित, राज तरंगिणी है।
  • जम्मू कश्मीर में अशोक सम्राट के महान साम्राज्य का एक भाग था। 
  • जम्मू कश्मीर पर चौदहवीं शताब्दी में परसिया से आए सूफी सुल्तान के द्वारा शासन किया गया।
  • भारत के सबसे महान राजा अकबर महान का अधिपत्य जम्मू कश्मीर पर भी था।

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में जम्मू और कश्मीर विवाद का मुद्दा

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वर्ष 1948 में 1 जनवरी को जम्मू और कश्मीर का मुद्दा उठाया है। संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिका ने 17 जनवरी 1948 को भारत एवं पाकिस्तान से या गुजारिश की, कि यह हालात को सुधारने का उपाय करें और प्रत्येक भौतिक परिवर्तन की जानकारी दें।

जम्मू कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ युद्ध

जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं, जम्मू कश्मीर को लेकर भारत एवं पाकिस्तान के मध्य अनेकों विवाद छिड़ चुके हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तान अपनी आदतों के कारण लगातार जम्मू और कश्मीर पर हमले करता ही जा रहा है। जम्मू और कश्मीर में 1965 ईस्वी में अगस्त को पाकिस्तानी सशस्त्र सेनाओं के द्वारा हमला कर दिया गया। जम्मू और कश्मीर में तैनात भारत के जांबाज सिपाहियों ने पाकिस्तान की सशस्त्र सेना का जमकर विरोध किया और उन्हें मार गिराया। इसके बाद भारत एवं पाकिस्तान के बीच 10 जनवरी 1966 ईस्वी में ताशकंद समझौता कर दिया गया, जिस पर दोनों देशों के प्रधानमंत्री का हस्ताक्षर भी लिया गया, परंतु इसके बाद ही पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा और यह लगातार सर्जिकल स्ट्राइक्स करते ही जा रहे हैं।

भारतीय प्रधानमंत्री के द्वारा जारी किया गया जम्मू और कश्मीर के प्रवासी लोगों के लिए पैकेज

भारत सरकार के द्वारा जम्मू कश्मीर के प्रवासियों की वापसी के लिए विशेष तरह के पैकेज को जारी कर दिया गया है, जिसके तहत वहां की सभी लोगों को लाभ प्रदान किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए इस पैकेज के मुख्य संगठक निम्नलिखित हैं।

  • पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत की जाएगी और इन के पुनर्निर्माण के लिए ₹7,50,000 प्रति परिवार की दर से सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
  • वर्ष 1989 के बाद से जम्मू और कश्मीर की अचल संपत्ति का परीक्षण किया जाएगा और आर्थिक तंगी में नियंत्रण किया जाएगा।
  • भारत सरकार के द्वारा जम्मू कश्मीर के जर्जर घरों के लिए प्रत्येक परिवार को ₹200000 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।

जम्मू और कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है, जोकि भारत के सभी नागरिकों के लिए सम्मानजनक बात है। जम्मू और कश्मीर को पाकिस्तान हथियाने के लिए अनेकों प्रकार के हमले एवं सर्जिकल स्ट्राइक करते जा रहा है। मारी भारतीय सेना में पाकिस्तान के सभी सर्जिकल स्ट्राइक एवं हमले को नाकाम कर दे रही है और जम्मू कश्मीर को बचाए हुए हैं।

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Rahul Singh Tanwar

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Legacy Of Kashmir, The Forgotten Land Of Beauty And Knowledge — Part I

Subhash Kak

Aug 06, 2016, 10:01 AM | Updated 09:48 AM IST

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Photo: Khizerbajwa/ Wikimedia Commons

  • This is the first essay in a four-part series about the important contributions of Kashmir to Indian culture. It throws light on the early history of the region and the expertise of the Kashmiris in the areas of grammar, music and dance.

This is the first essay in a four-part series about the important contributions of Kashmir to Indian culture. It throws light on the early history of the region and the expertise of grammarians Panini and Patanjali, and Bharata Muni in music and dance.

Kashmir’s geographical location partly explains its cultural history. It may be that its natural beauty and temperate climate are the reasons that Kashmiris have a strong tradition in the arts, literature, painting, drama and dance. Its relative isolation, the security provided by the ring of mountains around it, and its distance from the heartland of Indian culture in the plains of North India might explain the originality of Kashmiri thought. Its climate and the long winters may explain the Kashmiri fascination for philosophical speculation.

Kashmir is at the centre of the Puranic geography. In the Puranic conception, the earth’s continents are arranged in the form of a lotus flower. Mt Meru stands at the center of the world, the pericarp or seed-vessel of the flower, as it were, surrounded by circular ranges of mountains. Around Mt Meru, like the petals of the lotus, are arranged four island-continents ( dvipas ), aligned to the four points of the compass: Uttarakuru to the north, Ketumala to the west, Bhadrashva to the east and Bharata or Jambudvipa to the south. The meeting point of the continents is the Meru mountain, which is the high Himalayan region around Kashmir, Uttarakuru represents Central Asia including Tocharia, Ketumala is Iran and lands beyond, Bhadrashva is China and the Far East. Kashmir’s centrality in this scheme was a recognition that it was a meeting ground for trade and ideas for the four main parts of the Old World. In fact, it became more than a meeting ground; it was the land where an attempt was made to reconcile opposites by deeper analysis and bold conception.

Kashmir’s nearness to rich trade routes brought it considerable wealth and emboldened Kashmiris to take Sanskrit culture out of the country as missionaries. Kashmiris also became interpreters of the Indian civilisation and they authored many fundamental synthesising and expository works. Some of these works are anonymous encyclopaedias; in many other works, the author’s name is known but the details of the life and circumstances in Kashmir are hardly remembered.

Kalhana’s Rajatarangini (River of Kings), written in about 1150 AD, provides a narrative of successive dynasties that ruled Kashmir. Kalhana claimed to have used eleven earlier works as well the Nilamata Purana. Of these earlier books, only the Nilamata Purana survives. The narrative in the Rajatarangini becomes more than mere names with the accession of the Karkota dynasty in the early seventh century.

The political boundaries of Kashmir have, on occasion, extended much beyond the valley and the adjoining regions. According to Hiuen Tsang, the Chinese traveller, the adjacent territories to the west and south down to the plains were also under the direct control of the king of Kashmir. With Durlabhavardhana of the Karkota dynasty, the power of Kashmir extended to parts of Punjab and Afghanistan. It appears that during this period of Kashmiri expansion the ruling elite, if not the general population, of Gilgit, Baltistan, and West Tibet spoke Kashmiri-related languages. Later, as Kashmir’s political power declined, these groups were displaced by Tibetan speaking people.

In the eighth century, Lalitaditya Muktapida (reigned 724-760 AD), conquered most of North India, Central Asia and Tibet. His vision and exertions mark a new phase of Indian empire-building. Kashmir had become an important player in the rivalries amongst the various kingdoms of North India.

The jostling of the Kashmiri State within the circle of the North Indian powers led to an important political innovation. The important Vishnudharmottara Purana, believed to have been written in Kashmir of the Karkota kings, recommends innovations regarding the rajasuya and the ashvamedha sacrifices, of which the latter in its medieval interpretations was responsible for much warfare amongst kings. In the medieval times, the horse was left free to roam for a year and the king’s soldiers tried to establish the rule of their king in all regions visited by the horse, leading to clashes. The Vishnudharmottara Purana replaced these ancient rites by the rajyabhisheka (royal consecration) and surapratishtha (the fixing of the divine abode) rites.

This essay presents an overview of the most important Kashmiri contributions to Indian culture, emphasising some of the lesser known aspects of these contributions. Specifically, we consider the contributions to the arts, sciences, literature and philosophy. Our historical assessment of Kashmiri culture is hampered by the nature of our records. The texts and objects of art do not always indicate their provenance and the connections with Kashmir emerge only from indirect evidence. We are on sure ground when we come to Buddhist sources, the texts of the Kashmir Shaivism, and the names mentioned in the Rajatarangini and other early narratives.

Early Period

During the Vedic period, Kashmir appears to be an important region because it appears that the Mujavant mountain, the region where Soma grew, was located there. It is possible that in the Vedic era a large part of the valley was still under a lake. Kalhana’s history begins with the Mahabharata War, but it is very hazy with regard to the events prior to the Mauryan Emperor Ashoka.

The great grammarian Panini lived in northwest Punjab, not too far from Kashmir and the university at Taxila (Takshashila) was also close to the valley. At the time of Hiuen Tsang, Takshashila was a tributary to Kashmir. It is generally accepted that Patanjali, the great author of the Mahabhashya commentary on Panini’s Ashtadhyayi , was a Kashmiri, as were a host of other grammarians like Chandra. According to Bhartrihari and other early scholars, Patanjali also made contributions to Yoga (the yoga-sutras) and to Ayurveda.

It is believed that Patanjali’s mother was named Gorika and he was born in Gonarda. He was educated in Takshashila and he taught in Pataliputra. From the textual references in his works, it can be safely said that he belonged to second century BC. The Charaka Samhita of Ayurveda that has come down to us is due to the editing of Dridhabala from Kashmir, who also added 17 chapters to the sixth section and the whole of the eighth section. Patanjali may have been involved in this editing process. But it is likely that the identity of the Kashmiris as a distinct group had not solidified in the Vedic period and to speak of ethnicity at that time is meaningless.

In any event, Kashmir of these early times was a part of the larger northwest Indian region of which Takshashila was a center of learning. The early levels of buildings in Takshashila have been traced to 800 BC. The first millennium BC was a period of great intellectual activity in this part of India and attitudes that later came to be termed Kashmiri were an important element of this activity. Amongst these attitudes was a characteristic approach to classification in the arts, and the interest in grammar.

Panini’s grammar remains one of the greatest achievements of the human intellect. It described the grammar of the Sanskrit language by a system of 4,000 algebraic rules— a feat that has not been equalled for any other language to this day. It also set the tone for scientific studies in India with their emphasis on algorithmic explanations. Patanjali’s commentary on the Panini grammar was responsible for the exaltation of its reputation. It appears that Panini arose in the same intellectual climate that characterised Kashmir during its Classical period.

Drama And Music: The Natyasastra

An early name seen as belonging to Kashmir is Bharata Muni of the Natyasastra . The indirect reasons for this identification are that the rasa idea of the Natyasastra was discussed by many scholars in Kashmir. Another reason is that the Natyasastra has a total of 36 chapters and it is suggested that this number may have been deliberately chosen to conform to the theory of 36 tattvas which is a part of the later Shaivite system of Kashmir. Many descriptions in this book seem especially true for Kashmir. The bhana , a one-actor play described by Bharata, is still performed in Kashmir by groups called bhand pather ( bhana patra , in Sanskrit).

It should be mentioned here, parenthetically, that a few scholars take Bharata to be a Southerner. It is also interesting that there exist some very close connections between Kashmir and South India, in the cultural tradition, like the worship of Shiva, Pancharatra, Tantra and the arts. Recently, when I pointed this out to Vasundhara Filliozat, the art historian who has worked on Karnataka, she said that the inscriptional evidence indicates a continuing movement of teachers from Kashmir to the South, and that Kashmir is likely to have been the original source of many of the early Shaivite, Tantric and Sthapatya Agamas.

Bharata Muni’s Natyasastra not only presents the language of creative expression, it is the world’s first book on stagecraft. It is so comprehensive that it lists 108 different postures that can be combined to give the various movements of dance. Bharata’s ideas are the key to proper understanding of Indian arts, music and sculpture. They provide an insight into how different Indian arts are expressions of a celebratory attitude to the universe. Manomohan Ghosh, the modern translator of the Natyasastra , believes that it belongs to the fifth century BC. He bases his assessment on the archaic pre-Paninian features of the language and the fact that Bharata mentions the Arthashastra of Brihaspati, and not that of the fourth century BC Kautilya.

The term “natya” is synonymous with drama. According to Bharata, the natya was created by taking elements from each of the four Vedas: recitation ( pathya ) from the Rigveda, song or melody ( gita ) from the Samaveda, acting ( abhinaya ) from the Yajurveda, and sentiments ( rasa ) from the Atharvaveda. By this synthesis, the Natyasastra became the fifth Veda, meant to take the spirit of the Vedic vision to the common man. Elsewhere, Bharata says: “The entire nature of human beings as connected with the experiences of happiness and misery, and joy and sorrow, when presented through the process of histrionics (abhinaya) is called natya.”

Five of the 36 chapters of the Natyasastra are devoted to music. Bharata speaks of the 22 shrutis of the octave, the seven notes and the number of shrutis in each of them. He explains how the veena is to be tuned. He also describes the dhruvapada songs that were part of musical performances.

The concept of rasa , enduring sentiment, lies behind the aesthetics of the Natyasastra . There are eight rasas : heroism, fury, wonder, love, mirth, compassion, disgust and terror. Bharata lists another 33 less permanent sentiments. The artist, through movement, voice, music or any other creative act attempts to evoke them in the listener and the spectator.This evocation helps to plumb the depths of the soul, thereby, facilitating self-knowledge.

The algorithmic approach to knowledge became the model for scientific theories in the Indic world, extending from India to the East and Southeast Asia. The ideas of the Natyasastra were in consonance with this tradition and they provided an overarching comprehensiveness to sculpture, temple architecture, performance, dance and storytelling. But, unlike other technical shastras that were written for the scholar, Bharata’s work influenced millions directly. For these reasons alone, the Natyasastra is one of the most important books ever written.

To appreciate the pervasive influence of the Natyasastra, just consider music. The comprehensiveness of the Natyasastra forged a tradition of tremendous pride and resilience that survived the westward movement of Indian musical imagination, through the agency of itinerant musicians. Several thousand Indian musicians, of which Kashmiri musicians are likely to have been a part, were invited by the fifth century Persian king, Behram Gaur. Turkish armies used Indians as professional musicians.

Bharata stresses the transformative power of creative art. He says, “It teaches duty to those who have no sense of duty, love to those who are eager for its fulfilment, and it chastises those who are ill-bred or unruly, promotes self-restraint in those who are disciplined, gives courage to cowards, energy to heroic persons, enlightens men of poor intellect and gives wisdom to the learned.”

Our life is spent learning one language or another. Words in themselves are not enough, we must learn the languages of relationships, ideas, music, games, business, power and nature. There are some languages that one wishes did not exist, like that of evil. But evil, resulting from the ignorance that makes one act like an animal, is a part of nature and it is best to recognise it so that one knows how to confront it. Creative art show us a way to transcend evil because of its ability to transform. This is why religious fanatics hate art.

This essay has been taken from Kashmir and its People: Studies in the Evolution of Kashmiri Society . M.K. Kaw (ed.), A.P.H., New Delhi, 2004.

To Be Continued.

Subhash Kak is Regents professor of electrical and computer engineering at Oklahoma State University and a vedic scholar.

  • Indian culture
  • Kashmir Valley
  • Kashmir History
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Hindi Essay, Paragraph on “Jammu Kashmir”, “जम्मू-कश्मीर”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

जम्मू-कश्मीर

Jammu Kashmir 

काम-कश्मीर हिमालय की पर्वतमालाओं में बसा हुआ है। इसे ती का स्वर्ग’ भी कहा जाता है। जम्मू-कश्मीर से कई देशों की सीमाएँ लगी हुई हैं। उत्तर-पूर्व में चीन, दक्षिण में हिमाचल प्रदेश और पंजाब तथा पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान द्वारा अधिकृत आजाद कश्मीर से जम्मू-कश्मीर की सीमा सटी हुई है।

जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख क्षेत्र हैं-जम्मू, कश्मीर घाटी तथा लद्दाख। कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर तथा शीतकालीन राजधानी जम्मू है जबकि कश्मीर घाटी ‘पृथ्वी के स्वर्ग’ के रूप में विश्व भर में सुविख्यात है। इसके अलावा कश्मीर पहाड़ों के अद्भुत, आकर्षक और मनोहारी प्राकृतिक दृश्यों के लिए भी प्रसिद्ध है।

पहाड़ों में स्थित जम्मू के मंदिर एवं मस्जिद भी दर्शनीय पर्यटन-स्थल हैं। इन्हें देखने प्रति वर्ष हजारों पर्यटक आते हैं। लद्दाख, जो ‘छोटा तिब्बत’ के नाम से प्रसिद्ध है, अपने बेमिसाल सुंदर पहाड़ों एवं बौद्ध संस्कार के लिए सुविख्यात है।

हिन्दू ग्रंथों के अनुसार, एक बार ऋषि कश्यप ने बारामूला के नज़दीक पहाड़ को काटकर बनाई गई पीर पंजाल पर्वत श्रेणी की एक झील को सुखा दिया और फिर उस घाटी में भारत के लोगों को बसा के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार इस घाटी का नाम कश्मीर घाटी पर गया।

कश्मीर सर्वप्रथम मौर्य एवं कुषाण साम्राज्य में स्थापित हुआ था। तत्पश्चात् 8वीं सदी में हिन्दू वीर योद्धा ललितादित्य मुक्तापिदा ने कश्मीर पर शासन किया था। उसके बाद 12वीं शताब्दी में मुसलमानों की तर्किश सेना ने कश्मीर पर आक्रमण किया। फिर सन् 1322 में जुल्कादुर खान ने इस पर पूर्णतः अपना अधिकार कर लिया। इस प्रकार एक के बाद एक कश्मीर पर आक्रमण और शासन किया जाता रहा।

कश्मीर को ‘धरती के स्वर्ग’ की संज्ञा दी गई है इसलिए हर कोई शासक कश्मीर पर शासन करना चाहता था। यहाँ की डल झील विश्व-प्रसिद्ध है। इसमें हाऊस-बोट होते हैं जिन्हें शिकारा कहते हैं। पर्यटक इसमें बैठकर डल झील की सैर करते हैं और इसी में वे रहते भी हैं। सर्दियों में ये झील पूर्ण रूप से जम जाती है और इस पर बच्चे  क्रिकेट खेलते हैं।

कश्मीर में शालीमार गार्डन है जिसे मुगल सम्राट जहाँगीर ने बनवाया था। यहाँ गुलमर्ग है जो घने जंगलों से घिरा हुआ है तथा यहाँ सुंदर व मनमोहक फूलों के बाग हैं। पटनीटॉप है, जो अक्सर बर्फ से ढका रहता है। इसे हिल-रिज़ॉर्ट (पहाड़ी सैरगाह) कहते हैं। पहलगाम है जहा अमरनाथ यात्रियों के लिए कैंप बनाए जाते हैं। सोनमर्ग है जो श्रीनगर जिले में है। यहाँ पर तीन झीलें हैं-किशेनसर, बिशेनसर और गंगबाल।

अलावा श्रीनगर से 11 कि.मी. की दूरी पर निशात गार्डन है। यह सील के किनारे पर है। जम्मू में वैष्णो देवी का मंदिर है जो जमीन से 10-12 किलोमीटर ऊपर स्थित है।

सभी पर्यटन स्थलों को देखने जम्मू कश्मीर में हजारों पर्यटक दिन आते हैं और प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत एवं स्वर्गीय आनन्द लेते हैं। जब सर्दी के महीनों में यहाँ आकाश से बर्फ बरसती है, तो यह दश्य बहुत सुंदर और मनोहारी होता है। उस समय बर्फबारी का यह दृश्य देखने हजारों पर्यटक आते हैं। तब पूरा कश्मीर बर्फ की सफेद चादर से ढक जाता है। यह दृश्य अत्यंत सुंदर और मनोरम होता है जो व्यक्ति यह दृश्य देखता है, वह यही कहता है-“कश्मीर धरती का स्वर्ग है।”

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Essay on Kashmir: History and Beauty in 600+ Words

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  • Updated on  
  • Jan 20, 2024

Essay on Kashmir

Essay on Kashmir for Students: Kashmir is a region situated between India and Pakistan in South Asia. It is believed that the name Kashmir originated from the word ‘Ka’ which means water, and ‘shimera’ to desiccate. 

The story of Kashmir is complex and has historical, cultural, and political dimensions. Over the years, many rulers and empires, like the Mauryas , Kushans , and Mughals have influenced the paradise of the Earth. The region especially had the special influence of Mauryan ruler Ashoka who contributed to the cultural as well as the architectural heritage of the region.

Cultural Diversity of Kashmir

Kashmir is a region that has a rich history and ancient roots. The place has witnessed the rise and fall of many dynasties, such as the Mauryas , Kushnas , and Guptas . On top of that, these dynasties contributed to the cultural and geographic location of Kashmir, which includes the influence of the Silk Road and the blend of Hindu, Buddhist, and later Islamic influences.

Kashmir Issue

The dispute related to the sharing of borders didn’t stop after Independence. Whether it was India, Pakistan, or China, tensions related to the disputes of the region always created a heat of fire between the countries that led to wars. The list of some important wars are as follows:

1. First Indo-Pak War (1947-1948) : Fought for Jammu Kashmir shortly after India’s independence.

2. Sino-Indian War (1962): A conflict between India and China for the territorial region Aksai Chin. 

3. The War of (1965): Fought mainly over Kashmir.

4. Kargil War (1999): A conflict between India and Pakistan in the Kargil district of Jammu and Kashmir.

Article 370 Scrapped

Geographically, Kashmir lies in the northwestern region of the Indian continent. Its total area is around 225,000 square kilometers, which is comparatively larger than the member countries of the United States. 

Out of the total area, 85,800 square kilometers have been subject to dispute between India and Pakistan since 1947. It is important to note that the areas with conflict consist of major portions called the Northern, Southern, and Southeastern portions. The 30 percent of the northern part comprises Azad Kashmir and Gilgit-Baltistan and is administered by Pakistan.

India controls the portion which is more than 55 percent of the area of the land. The area consists of Jammu and Kashmir, Ladakh, Kashmir Valley, and Siachen Glacier which is located in the southern and southeastern portions of India. The area is divided by a line of control and has been under conflict since 1972. 

Also Read: Speech on Article 370

Sadly, the people living near the International Border and the Line of Control (LoC) in Jammu and Kashmir pose not only a life threat but also do not have a stable life. Replacement and relocation affect the people living in the line of control not affect the people physically but also psychologically and socially aspects. In a survey conducted by the National Library of Medicine 94 percent of the participants recognize stress. Furthermore, the youth population was facing stress and anxiety regularly.  

However, a historic decision from the Supreme Court of India that nullified Articles 370 and 35A and permitted the state to have its constitution, flag, and government except in defense, foreign affairs, and communications decisions. After the decision, many initiatives were taken by the government of India to strengthen the democratic rule of the state. Schools, colleges, and universities were opened regularly in the union territories to develop the youth academically, socially, and as well as physically. 

Furthermore, strict measures to control criminal assaults such as stone pelting have started showing positive impacts on the continuance use of technologies such as mobile networks, and internet activities. Further, the discontinuity of Technology has started showing positive impacts on the lifestyle of people. Regular opening of schools, colleges, and universities, on the one hand, is helping the students to have good career prospects. 

Additionally, the fear-free environment that further increases tourist activities will further improve the local economy and contribute to the local as well as the national economy of the country. 

Also Read: Essay on Indian Independence Day

Kashmir is also called the Paradise on Earth. The region is blessed with natural beauty, including snow-capped mountains and green and beautiful valleys. The region is surrounded by two countries, which are Pakistan and China.

Kashmir is famous for Dal Lake, Pashmina Shawls, beautiful Mughal gardens and pilgrimage sites of Amarnath and Vaishno Devi. 

According to a traditional story, Ka means water and shimira means Desiccate. 

Kashmir is known as the ‘Paradise on Earth.’

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Deepika Joshi

Deepika Joshi is an experienced content writer with expertise in creating educational and informative content. She has a year of experience writing content for speeches, essays, NCERT, study abroad and EdTech SaaS. Her strengths lie in conducting thorough research and ananlysis to provide accurate and up-to-date information to readers. She enjoys staying updated on new skills and knowledge, particulary in education domain. In her free time, she loves to read articles, and blogs with related to her field to further expand her expertise. In personal life, she loves creative writing and aspire to connect with innovative people who have fresh ideas to offer.

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प्रताप ठाकुर हिमाचली 

मैं एक कवि, लेखक व डिज़ाइन इंजीनियर हूँ। मैं मूलत: मंडी हिमाचल प्रदेश का निवासी हूँ। मैं ने अपनी वेबसाइट www.FocusHindi.com के माध्यम से अपनी स्वरचित रचनाएँ आपके समक्ष रखने का प्रयास किया है। मुझ जैसे नवरचाकर का मनोबल बढ़ाने के लिए तथा www.FocusHindi.com के स्तर में नियमित गुणात्मक वृद्धि के लिए आप अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया एवं सुझाव जरूर दें

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