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लड़कियों की शिक्षा पर निबंध | Essay On Girl Education In Hindi
नमस्कार साथियों Essay On Girl Education In Hindi लड़कियों की शिक्षा पर निबंध आज हम पढ़ेगे. वर्तमान समय में बालिका शिक्षा और इसके महत्व पर छोटा और बड़ा हिंदी निबंध यहाँ दिया गया हैं.
हम उम्मीद करते है गर्ल एजुकेशन का यह एस्से आपकों पसंद आएगा.
Essay On Girl Education In Hindi लड़कियों की शिक्षा पर निबंध
Read Here One Or more Short And long Essay On Girl Education In India.
Short Essay On Girl Education In Hindi लड़कियों की शिक्षा पर निबंध
बेटी घर का चिराग है, वे भी एक इंसान हैं. जननी हैं जो हमारे अस्तित्व का प्रमाण हैं. काश गर्भस्थ शिशु बोल सकता हैं. यदि वह बोलता तो शरीर को चीरते औजारों को रोक सकता हैं. और कहता माँ मुझे भी जीने दो, इस दुनिया में जन्म लेने दो.
मगर यह भी हो सकता हैं उस समय भी बेटे की चाह रखने वाले ये कसाई सोच के निर्दयी माता-पिता नही सुनते, जो दोनों की इच्छा से इस तरह के कृत्य को अंजाम दे जाते हैं. ये सवाल हमेशा उन लोगों पर उठता रहेगा जो कन्या हत्या के लिए पूर्ण रूप से जिम्मेदार हैं.
बेटी किसी के परिवार के आंगन का नन्हा सा फूल होता हैं, बेटी के जन्म से ही उनकी जंग की शुरुआत हो जाती हैं. बचपन से ही उन्हें बेड़ियों में जकड़ दिया जाता हैं. हर स्थति में उन्हें यह याद दिलाया जाता हैं, कि वो एक लड़की हैं और उन्हें एक लड़की की तरह लज्जा का आवरण ओढ़े रहना चाहिए.
इसी कारण आज हमारा देश कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, दहेज मृत्यु के रूप में समाज में आज भी वो दंश झेल रही हैं. परोक्ष रूप से आज भी हम ऐसे लोगों और चिकित्सकों को देखते हैं, जो सार्वजनिक रूप से बेटी का गुणगान करते हैं.
बेटी भारत का भविष्य हैं. जैसे वाक्यांश अकसर सुनने को मिलते हैं. मगर जब हम अपनी हकीकत की मुआयना करे तो यकीनी तौर पर आज भी हम उन लोगों के साथ खड़े नजर आते हैं. बेटी किसी न किसी रूप में कन्या भ्रूण हत्या के भागी हैं.
हमे नित्य महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा, दहेज के लिए प्रताड़ना और भेदभाव जैसी खबरे सुनने देखने को मिलती हैं. इस तरह के वातावरण को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा कई कानूनों को भी पारित किया गया. मगर जन समर्थन के अभाव में अपेक्षित परिणाम नजर नही आ रहे हैं.
बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ की दिशा में माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया. बेटी बचाओं बेटी बचाओं एक सकारात्मक कदम हैं.
आजादी के बाद से हमारा देश विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहा हैं. मगर 70 सालों बाद भी स्त्री को समाज में वह स्थान नही मिल पाया हैं. जिसकी वह असली हकदार हैं. यही वजह हैं कि भले ही कठोर नियम और कानून कायदे बना दिए गये हो मगर उनका कठोरता से पालन नही किया जाता हैं.
भारत में भ्रूण का लिंग परीक्षण पूर्णतया निषेध और गैर क़ानूनी होने के उपरांत भी खुले आम इसकी धज्जियां उड़ाई जाती हैं. आज भी लोगों की यह गलत सोच हैं कि बेटा हमारे अधिक काम का होगा. बेहतर यही हैं बेटा जन्मे या बेटी इन्हें भगवान् की कृपा समझकर हमे स्वीकार कर लेना चाहिए.
यदि हम अपनी सन्तान में बेटा बेटी का अंतर न करते हुए उन्हें अच्छी शिक्षा और बेहतर मार्ग दर्शन दे तो वह बेटी भी कभी भी बेटे की कमी का अहसास नही होने देगी.
भले ही बहुत से लोग उच्च शिक्षा हासिल कर सभ्य समाज के अंग बन गये हैं, मगर उनकी सोच और मानसिकता अभी भी वही हैं जो मध्ययुग में लोगों की हुआ करती थी. लड़के-लड़की में भेद कर हम भी उन लोगों का अप्रत्यक्ष समर्थन करते है जो बेटी के विरोधी हैं.
लड़कियों / बालिका की शिक्षा पर निबंध 2
आज के युग में शिक्षा व्यक्ति के लिए अनिवार्य बन चुकी हैं. जीने के लिए जिस तरह जल, भोजन व प्राणवायु की नितांत आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार मानव से अच्छा व्यक्ति बनने के लिए शिक्षा को जरुरी मान लिया गया हैं.
जन्म के समय बालक पशु प्रवृति की तरह होता हैं, वह शिक्षा ही है जो उसकी बुद्धि तथा चेतना का विकास कर उसे जीवन के तौर तरीके तथा आस-पास की चीजों के बारे में ज्ञान देती हैं.
अन्यथा इन समस्त के अभाव में मनुष्य और पशु में कोई फर्क नहीं रह जाता हैं. ज्ञान साधना के बिना व्यक्ति यह निश्चय नहीं कर पाता कि उनके लिए सही क्या है और गलत क्या है यही शिक्षा सिखाती हैं.
बालिका शिक्षा की आवश्यकता (essay on girl education in hindi language)
शिक्षा व्यक्ति को सजगता की तरफ ले जाती हैं, शिक्षा का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह हमें अपने अधिकारों तथा कर्तव्यो के साथ ही प्रकृति में विद्यमान सभी तत्वों की मूलभूत जानकारी सही उपयोग के बारे में बताती हैं.
एक अच्छी कहावत है कि यदि एक लड़का शिक्षित होता है तो केवल वह एक ही होता है जबकि एक लड़की शिक्षित होने पर पूरा परिवार शिक्षित होता हैं.
हमारा समाज तेजी से बदल रहा हैं. समय के चक्र ने हमें ज्ञान करा दिया हैं कि यदि राष्ट्र के विकास की यात्रा को तेजी से बढ़ाना है तो लड़के व लड़कियों के भेद को समाप्त कर उन्हें शिक्षा के अवसर मुहैया कराने होंगे.
क्योंकि किसी बड़े वर्ग की उपेक्षा कर कोई भी राष्ट्र उन्नति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता हैं. महिलाओं की विकास में हिस्सेदारी के लिए हमें उन्हें शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध करवाने होंगे.
भले ही संविधान द्वारा महिलाओं को समान राजनितिक, आर्थिक व धार्मिक अधिकार दिए हो मगर जब तक उनमें शिक्षा का अभाव रहेगा वे अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ पाएगी.
परिवार में बालिका को सम्पति का अधिकार तो दिया मगर जब तक वह अपने भाइयों माता पिता को बाध्य नहीं कर सकती, यह अधिकार उसके लिए निरुपयोगी होगा.
लड़की शिक्षा का महत्व (essay on importance of girl education in hindi)
आज हम जिस समाज में रह रहे है हम जानते है कि शिक्षा के अभाव में बालिकाओं के अधिकारों का शोषण कितनी आसानी से कर लिया जाता हैं. भारत का कानून प्रत्येक महिला को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार तो देता हैं. साथ ही उसके चाहने पर तलाक लेने का प्रावधान भी हैं.
मगर क्या हम यह नहीं जानते कि कितने महिलाएं इस अधिकार का उपयोग कर पाती हैं. ऐसा न करने के लिए उस पर तरह तरह के दवाब बनाए जाते हैं.
परम्परागत मूल्यों के चलते वह इस प्रकार के निर्णय करने का साहस नहीं कर पाती हैं. शादी के बाद बालिकाओं को अपनी जागीर समझकर मनचाहे बर्ताव और उनके साथ उत्पीड़न की घटनाएं नित्य हमें पढने को मिल ही जाती हैं.
शिक्षा के आगमन से बालिकाओं में साहस की जागृति होती हैं उसे अपने अधिकारों तथा विवेक का ज्ञान होने लगता हैं जिसका उपयोग वह अपने प्रति हो रहे शोषण के प्रतिरोध में कर सकती हैं.
शिक्षा न केवल उन्हें जागरूक बनाती हैं बल्कि एक उदार तथा व्यापक दृष्टिकोण का भी जन्म देती हैं जिससे वह अपनी रूचि, मूल्य तथा भूमिका को स्वयं तय करने लगेगी.
लड़कियों की शिक्षा पर अनुच्छेद व लेख (article & paragraph on girl education in hindi)
बेटा बेटी में समानता को बेटियों को शिक्षित करके ही पाया जा सकता हैं. सभी को निशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का नियम तो बना है मगर स्वयं लड़कियों को स्कूल जाने अथवा उनके अभिभावकों को इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
आज समय की मांग है कि हम लड़कियों की शिक्षा के बारें में अपने विचारों को बदले तथा उन्हें स्कूल भेजे.
लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने, लड़कियों में निरक्षरता को दूर करने तथा प्राथमिक शिक्षा तक उनकी पहुच बनाने तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आ रही परेशानियों को समाप्त करने का प्रयास राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में भी किया गया हैं.
भारत में लड़कियों की शिक्षा के इतिहास को देखे तो मालूम पड़ता हैं कि मध्यकाल को छोड़ दिया जाए तो हमारी बेटियों ने हर युग में शिक्षा संस्कार को पाया हैं. ऋग्वेद काल में भी बेटियों को शिक्षा देने की पूर्ण व्यवस्था थी, कोमश, लोपामुद्रा, घोषा और इन्द्रानी उन महिलाओं के नाम है जिन्हें ब्रह्मवादिनी कहा गया.
पतंजली के शाक्तिकी से ज्ञात होता है उस दौर में नारियों को सैनिक शिक्षा देने की व्यवस्था भी थी. मगर मध्यकाल में मुगल काल में स्त्री शिक्षा की परम्परा पूर्ण रूप से चरमरा गई.
खासकर हिन्दू समाज की लड़कियों को पर्दा, बाल विवाह तथा सती प्रथा जैसी रीतियों में बांधकर घर की चारदीवारी तक ही सिमित कर दी.
19 वीं सदी के जनजागरण और सामाजिक धार्मिक आंदोलनों ने एक बार फिर से भारत में लड़कियों की शिक्षा व्यवस्था को पुनः स्थापित किया.
चाहे वो 1882 का हंटर कमिशन हो या 1916 में लेडी होर्डिंग कॉलेज की स्थापना अथवा ज्योतिबा और सावित्री बाई द्वारा बालिकाओं को शिक्षा देने की पहल भारत में लड़कियों की शिक्षा के लिए ये प्रयास मील के पत्थर साबित हुए.
पुरुष प्रधान समाज ने हमेशा की लड़कियों की शिक्षा की राह में रोड़ा बने हैं ऐसा करके वे स्वयं के साथ बहुत बड़ा धोखा करते हैं क्योंकि परिवार की उन्नति, बच्चों का लालन पोषण और उनके संस्कार गृहिणी पर ही निर्भर करते हैं.
यदि माँ शिक्षित हैं तो वह अपने बच्चे को न सिर्फ अच्छे संस्कार देगी बल्कि उन्हें शिक्षित करने, बुरी प्रवृतियों से बचाने में सबसे बड़ा योगदान दे सकती हैं.
पुरुषों की विकृत मानसिकता में लड़कियों की शिक्षा के सम्बन्ध में कई तरह की भ्रांतियां घर कर चुकी हैं. बेटी को पराया धन मानना, पढने लिखने के बाद अनर्थ अनाचार या उपद्रव की आशंका तथा एक शिक्षित नारी संचालन, सन्तान पालन, भोजन व्यवस्था व पुरुषों की देख रेख ढंग से नहीं कर सकती इस तरह के रुढ़िवादी विचारों को बदलने की आवश्यकता हैं.
लड़कियाँ पढ़ लिख जाने से अनाचार का शिकार होने की बजाय वह जुल्मों के प्रति और अधिक प्रखर लड़ सकती हैं. वह न केवल घर संचालन और बच्चों की परवरिश ढंग से कर सकती हैं बल्कि वे पति के साथ मिलकर आर्थिक कार्यों में भी भाग ले सकती हैं.
आज हमारे देश की बेटियां बड़े बड़े पदों पर हैं तथा उतनी ही सफलता से उन कम्पनियों तथा विभागों को चला रही हैं जितने कि पुरुष नहीं कर सकते हैं.
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बालिका शिक्षा पर निबंध
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रूपरेखा : प्रस्तावना - लड़कियों की वर्तमान स्थिति - लड़कियों की शिक्षा का महत्व - सरकार द्वारा उठाए गए कदम - निष्कर्ष।
हमारा समाज पुरुष-शासित है। यहाँ माना जाता है कि पुरुष बाहर जाएँ तथा अपने परिवारों के लिए कमाएँ। महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे घर में रहें और परिवार की देखभाल करें। पहले इस व्यवस्था का समाज में सख्ती से पालन किया जाता था। आज भी थोड़ी-बहुत ऐसी मानसिकता देखी जा सकती है। जनसँख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्र है और भारत में लड़कियों की शिक्षा की दर बहुत कम है। इस कारण बालिकाओं की शिक्षा को बहुत क्षति हुई । उन्हें अध्ययन के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। बालिका की शिक्षा को अनुपयोगी समझा जाता था।
परंतु, अब समय बदल गया है। सामाजिक परिस्थितियाँ और आवश्यकताएँ बदल गई हैं। हमारा देश विकसित देश बनने की दौर में है। अब बालिका-शिक्षा की अनदेखी नहीं की जा सकती। हमारी लगभग आधी आबादी महिलाओं की है। इसलिए लड़कों के साथसाथ उनकी शिक्षा समान रूप से महत्त्वपूर्ण हो जाती है। किसी बालिका को शिक्षित करने के बहुत-से लाभ हैं। वह परिवार की देखभाल करती है। यदि वह शिक्षित है, तो वह घर पर वित्त की व्यवस्था कर सकती है, अपने परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकती है। वह अपने बच्चों को पढ़ा सकती है। मुद्रा-स्फीति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आजकल सिर्फ एक व्यक्ति की आय से ही घर को चलाना अत्यंत कठिन है। अतएव, वह इस ओर भी योगदान कर सकती है।
देश के भविष्य के लिए भारत में लड़कियों की शिक्षा आवश्यक है क्योंकि महिलायें अपने बच्चों की पहली शिक्षक हैं जो देश का भविष्य हैं। अशिक्षित महिलाएं परिवार के प्रबंधन में योगदान नहीं दे सकती और बच्चों की उचित देखभाल करने में नाकाम रहती हैं। इस प्रकार भविष्य की पीढ़ी कमजोर हो सकती है। लड़कियों की शिक्षा में कई फायदे हैं। एक सुशिक्षित और सुशोभित लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़की विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों के काम और बोझ को साझा कर सकती है। एक शिक्षित लड़की की अगर कम उम्र में शादी नहीं की गई तो वह लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा कर सकती हैं। इसके अलावा वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छी तरह से प्रदर्शन कर सकती है।
शिक्षित लड़कियाँ बच्चों में अच्छे गुण प्रदान करके परिवार के प्रत्येक मेंबर को उत्तरदायी बना सकती हैं। शिक्षित महिला सामाजिक कार्यकलापों में भाग ले सकती हैं और यह सामाजिक-आर्थिक रूप से स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक बड़ा योगदान हो सकता है। एक आदमी को शिक्षित करके केवल राष्ट्र का कुछ हिस्सा शिक्षित किया जा सकता है जबकि एक महिला को शिक्षित करके पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। लड़कियों की शिक्षा की कमी ने समाज के शक्तिशाली भाग को कमजोर कर दिया है। इसलिए महिलाओं को शिक्षा का पूर्ण अधिकार होना चाहिए और उन्हें पुरुषों से कमजोर नहीं मानना चाहिए।
आर्थिक संकट के इस युग में लड़कियों के लिए शिक्षा एक वरदान है। आज के समय में एक मध्यवर्गीय परिवार की जरूरतों को पूरा करना वास्तव में कठिन है। शादी के बाद अगर एक शिक्षित लड़की काम करती है तो वह अपने पति के साथ परिवार के खर्चों को पूरा करने में मदद कर सकती है। अगर किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो वह काम करके पैसा कमा सकती है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, चाहे वह लड़का हो या लड़की सभी के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है। लेकिन हमारे समाज में अभी भी शिक्षा को लेकर लैंगिक भेदभाव किया जाता है जहां लड़कों की शिक्षा को तवज्जो दी जाती है वहीं लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर दिया जाता है।
शिक्षा महिलाओं के सोच के दायरे को भी बढ़ाती है जिससे वह अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकती है। इससे वह यह भी तय कर सकती है कि उसके और उसके परिवार के लिए क्या सबसे अच्छा है। शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है ताकि वह अपने अधिकारों और महिलाओं के सशक्तिकरण को पहचान सके जिससे उसे लिंग असमानता की समस्या से लड़ने में मदद मिले।
सरकार ने बालिका-शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु बहुत-से उपाय किए हैं। बच्चों को निःशुल्क प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए । 'सर्वशिक्षा अभियान' आरंभ किया गया है। बहुत-से बालिका विद्यालय खोले गए हैं। छात्राओं को विद्यालय-पोशाक और साइकिलें मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। मेधावी छात्राओं को उच्च शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता दी जाती है। बहुत-से संगठन भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।
लड़कों की तरह लड़कियों को भी विभिन्न प्रकार की शिक्षा देना जरूरी है। उनकी शिक्षा इस तरह से होनी चाहिए कि वे अपने कर्तव्यों को उचित तरीके से पूरा करने में सक्षम हो सके। शिक्षा के द्वारा वे जीवन के सभी क्षेत्रों में पूरी तरह परिपक्व हो जाती हैं। एक शिक्षित महिला अपने कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में अच्छी तरह जानती हैं। वह देश के विकास के लिए पुरुषों के समान अपना योगदान दे सकती हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि बालिका की शिक्षा को अब अनुपयोगी नहीं समझा जा सकता। यह माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि उनकी कन्याएँ भी अनिवार्य रूप से विद्यालय जाएँ। वे न सिर्फ उन्हें उनकी गृहस्थी चलाने में, बल्कि राष्ट्र को भी मजबूत बनाने में मदद करेंगी।
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बालिका शिक्षा पर निबंध, लेख, अनुच्छेद
By विकास सिंह
शिक्षा सभी का अधिकार है और यह महिलाओं के लिए सशक्तिकरण के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। शिक्षित महिला समाज के विकास में बहुत योगदान देती है और वे जीवन के हर पड़ाव में पुरुषों की जिम्मेदारी को साझा कर सकती हैं। शिक्षा न केवल लोगों के मन को जागृत करती है, बल्कि यह उन्हें आत्म निर्भर बनाती है।
भारत में नारी शिक्षा अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में कम पसंदीदा विकल्प है। समय अब बदल गया है और जिन लड़कियों पर उनके माता-पिता और समाज को भरोसा है, वे हर क्षेत्र में चमत्कार कर रही हैं। इंदिरा गांधी, किरण बेदी, लता मंगेशकर आदि कुछ महान उदाहरण हैं।
बालिका शिक्षा पर लेख, Paragraph on girl education in hindi (100 शब्द)
समाज को मजबूत करने और अपराध दर को कम करने के लिए लड़कियों की शिक्षा और लैंगिक समानता बहुत महत्वपूर्ण है; लेकिन आज लड़कियों की शिक्षा सिर्फ लड़कियों को स्कूल भेजने से ही नहीं है। यह स्कूल में रहने के दौरान लड़की की सुरक्षा सुनिश्चित करने के बारे में भी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश माता-पिता अब अपनी लड़की को स्कूल भेजने के लिए आश्वस्त हो रहे हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि लड़कियां शिक्षा के सभी आवश्यक स्तरों को पूरा करें, श्रम बाजार में समान स्तर की प्रतिस्पर्धा दिखाने के लिए अतिरिक्त कौशल और दक्षताएं सीखें।
शिक्षा लड़कियों की स्वतंत्र सोच को आकार देने में मदद करती है ताकि वे अपने जीवन के निर्णय अपने दम पर ले सकें और सही और गलत के बीच अंतर कर सकें ताकि वे सामाजिक विकास में योगदान कर सकें।
बालिका शिक्षा पर लेख, 150 शब्द:
लड़कियां निस्संदेह हमारे समाज का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लड़कियों की उपस्थिति के बिना कोई भी समाज या संस्कृति आगे नहीं बढ़ सकती। कुछ साल पहले तक, भारत और कई अन्य अविकसित और विकासशील देशों में लोग सोचते थे कि लड़कियों को घर पर रहना चाहिए, खाना बनाना चाहिए और बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करनी चाहिए।
लेकिन अब मानसिकता बदल दी गई है; भारत में लड़कियां अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं और वे शिक्षा, खेल, राजनीति आदि जैसे हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। यह केवल लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के माध्यम से संभव हो सकता है।
शिक्षा ही एकमात्र हथियार है जो लड़कियों को सशक्त बना सकता है और परिणामस्वरूप समाज को मजबूत कर सकता है। यह देखना अच्छा है कि आधुनिक युग लड़कियों के प्रति अपना दृष्टिकोण बदल रहा है और उन्हें अपनी क्षमता साबित करने के लिए सभी का समर्थन दे रहा है। दृष्टिकोण के इस परिवर्तन में लैंगिक समानता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बालिका शिक्षा पर लेख, Paragraph on girl education in hindi (200 शब्द)
भारत में बालिका शिक्षा काफी हद तक राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक है क्योंकि लड़कियां लड़कों की तुलना में बेहतर काम कर सकती हैं। आजकल बालिका शिक्षा आवश्यक है और अनिवार्य भी है क्योंकि बालिकाएं देश का भविष्य हैं। भारत में, सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित करने के लिए लड़की की शिक्षा आवश्यक है।
शिक्षित महिलाएँ व्यावसायिक क्षेत्रों जैसे – चिकित्सा, रक्षा सेवाओं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अपने योगदान के माध्यम से भारतीय समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। वे अच्छा व्यवसाय करते हैं और अपने घर और कार्यालय को संभालने में भी पारंगत होते हैं। एक बेहतर अर्थव्यवस्था और समाज लड़की की शिक्षा का परिणाम है।
शिक्षित महिलाएं भी अशिक्षित महिलाओं की तुलना में सही या बाद की उम्र में शादी करके देश की आबादी को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं। प्रारंभिक भारतीय समाज में महिला शिक्षा काफी अच्छी थी लेकिन मध्य युग में, यह महिलाओं के प्रति कई सीमाओं के कारण नहीं था।
हालाँकि, फिर से यह दिन-ब-दिन बेहतर और बेहतर होता जा रहा है क्योंकि भारत में लोगों ने इस तथ्य को समझा है कि महिलाओं के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। यह बहुत सही है कि दोनों लिंगों के समान विस्तार से देश के हर क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
बालिका शिक्षा पर लेख, 300 शब्द :
प्रस्तावना:
पिछले समय में बालिका शिक्षा को कभी आवश्यक नहीं माना गया था। लेकिन समय के साथ लोगों ने एक लड़की की शिक्षा के महत्व को महसूस किया है। यह अब आधुनिक युग में लड़कियों के जागरण के रूप में माना जाता है। महिलाएं अब जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।
लेकिन फिर भी, ऐसे लोग हैं जो लड़की की शिक्षा का विरोध करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि लड़की का क्षेत्र घर पर है और वे यह भी सोचते हैं कि लड़की की शिक्षा पर खर्च करना पैसे की बर्बादी है। यह विचार गलत है क्योंकि बालिका शिक्षा संस्कृति में एक विद्रोह ला सकती है।
बालिका शिक्षा का महत्व :
लड़कियों की शिक्षा में बहुत सारे फायदे शामिल हैं। एक पढ़ी-लिखी और बड़ी हो चुकी लड़की देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़की पुरुषों के भार और बोझ को विभिन्न क्षेत्रों में साझा कर सकती है। एक कम पढ़ी-लिखी लड़की, जिसे कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है, वह लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में काम कर सकती है। वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।
आर्थिक संकट के इस युग में लड़कियों के लिए शिक्षा एक वरदान है। आज के समय में, एक मध्यमवर्गीय परिवार में दोनों सिरों का मिलना वाकई मुश्किल है। शादी के बाद, एक शिक्षित लड़की काम कर सकती है और परिवार के खर्चों को वहन करने में अपने पति की मदद कर सकती है। अगर पति की समय सीमा समाप्त हो जाती है और परिवार में कोई मदद नहीं करता है तो वह भी कमा सकती है।
शिक्षा महिलाओं के विचारों को भी व्यापक बनाती है, इस प्रकार यह उनके बच्चों की अच्छी परवरिश में मदद करता है। इससे उसे यह तय करने की स्वतंत्रता भी मिलती है कि उसके और परिवार के लिए क्या सबसे अच्छा है।
शिक्षा एक लड़की को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करती है जबकि वह अपने अधिकारों और महिला सशक्तीकरण को जानती है जो उसे लैंगिक असमानता की समस्या से लड़ने में मदद करती है।
निष्कर्ष :
एक राष्ट्र का सुधार लड़की के सीखने पर निर्भर करता है। इसलिए, लड़की की शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
बालिका शिक्षा पर लेख, Paragraph on girl education in hindi (350 शब्द)
लड़कियों की शिक्षा हमेशा चर्चा का विषय रही है। प्राचीन समय से, लड़कियों को कमजोर माना जाता है और इस प्रकार उन्हें घर पर रहने और घरेलू मुद्दों का ध्यान रखने का सुझाव दिया जाता है। लेकिन अब समय बदल रहा है; लड़कियां आज अपने घरों की सीमाओं को पार कर रही हैं और चमत्कार कर रही हैं।
जिन लड़कियों को शारीरिक रूप से कमजोर माना जाता था, वे अब सेना, नौसेना, वायु सेना, कुश्ती, निशानेबाजी और हर दूसरे क्षेत्र में शामिल होनेको तत्पर हैं। लेकिन आज भी, भारत का एक बड़ा वर्ग, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, विशेषकर माता-पिता अभी भी लड़कियों को स्कूलों में भेजने में संकोच करते हैं।
इसके पीछे कई कारण हैं और सदियों पुरानी मानसिकता सबसे बड़े कारणों में से एक है। भारत जैसे देश में जहां बहुसंख्यक लोग दुर्गा, काली, शक्ति, सरस्वती आदि देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, यह देखना वाकई अजीब है कि लड़कियों को अपने फैसले लेने की अनुमति नहीं है। शिक्षा की कमी बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अन्य कई अपराधों के रूप में कई कुप्रथाओं को जन्म देती है।
सरकार को बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए जैसे कि उन्हें प्रेरित करने के लिए लड़कियों को छात्रवृत्ति, वजीफा, प्रमाण पत्र, आदि प्रदान करना। स्कूल से दूरी कम करने से न केवल दूरदराज के क्षेत्रों में लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि माता-पिता को भी अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
यह भी महत्वपूर्ण है कि युवा लड़के और पुरुष सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाओं और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बारे में चर्चा में शामिल हों; इस तरह की चर्चाएँ पुरुष की रूढ़िवादी मानसिकता को उनकी महिला समकक्षों के प्रति बदल सकती हैं। शिक्षा प्रणाली में लड़कियों और युवा महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए, प्राधिकरण को उनके लिए सुरक्षित और समावेशी सीखने का माहौल बनाना चाहिए।
लिंग-संवेदनशील पाठ्यक्रम उनके व्यावहारिक ज्ञान को भी बढ़ाएगा, जिससे उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया जाएगा। स्कूलों में अधिक से अधिक महिला शिक्षकों को काम पर रखा जाना चाहिए; यह लड़कियों को कठिन अध्ययन करने और अपने शिक्षक के पद चिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित करेगा।
सरकार को जल्दी / बाल विवाह को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए; ये सभी और कई अन्य कदम निश्चित रूप से माता-पिता में भी जिम्मेदारी की भावना को बढ़ाते हैं और लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने और एक स्वतंत्र व्यक्ति बनने के लिए प्रेरित करेंगे।
बालिका शिक्षा पर लेख, 400 शब्द :
देश के उपयुक्त सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महिला शिक्षा आवश्यक है। हर समाज में पुरुष और महिलाएं दो पहियों की तरह समानांतर चलते हैं। इसलिए, दोनों देश में विकास और विकास के महत्वपूर्ण घटक हैं। इस प्रकार, शिक्षा के लिए दोनों को समान अवसर की आवश्यकता होती है।
भारत में महिला शिक्षा के लाभ :
भारत में बालिका शिक्षा देश के भविष्य के लिए आवश्यक है क्योंकि महिलाएँ अपने बच्चों की प्राथमिक शिक्षक हैं जो राष्ट्र का भविष्य हैं। अशिक्षित महिलाएं परिवार के प्रबंधन में गतिशील रूप से योगदान नहीं दे सकती हैं और बच्चों की उचित देखभाल कर सकती हैं और इस प्रकार भविष्य की कमजोर पीढ़ी पैदा होती है। बालिका शिक्षा के कई फायदे हैं। शीर्ष में से कुछ इस प्रकार हैं:
- शिक्षित महिलाएं अपने भविष्य को प्रभावित करने में अधिक सक्षम होती हैं।
- शिक्षित महिलाएँ आर्थिक रूप से मजबूत होकर और काम करके गरीबी को कम करने में सक्षम हैं।
- शिक्षित महिलाओं में बाल मृत्यु दर कम होती है।
- शिक्षित महिलाएं अपने बच्चे के टीकाकरण की संभावना 50% अधिक होती हैं।
- शिक्षित महिलाओं को कम फायदा होने और एचआईवी / एड्स के संपर्क की संभावना कम होती है।
- शिक्षित महिलाओं के घरेलू या यौन शोषण का शिकार बनने की संभावना कम होती है।
- शिक्षित महिलाएँ भ्रष्टाचार को कम करती हैं और आतंकवाद को जन्म देने वाली परिस्थितियों को बदल देती हैं।
- शिक्षित महिलाएं परिवार की कमाई में योगदान करने के लिए बेहतर परिचालन कर रही हैं।
- शिक्षित महिलाएं स्वस्थ होती हैं और उनमें अधिक आत्मसम्मान और आत्मविश्वास होता है।
- शिक्षित महिलाएं अपने समुदाय को योगदान देने और समृद्ध बनाने में मदद करती हैं।
- शिक्षित होने वाली महिलाएं दूसरों में शिक्षा को बढ़ावा देने की क्षमता देखती हैं।
- शिक्षित महिलाएं, बिना किसी संदेह के अपने परिवार को अधिक कुशलता से संभाल सकती हैं।
- वह बच्चों में अच्छे गुणों को लागू करके प्रत्येक परिवार के सहयोगी को जिम्मेदार बना सकती है।
- वह सामाजिक कामकाज में भाग ले सकती हैं और यह सामाजिक आर्थिक स्वस्थ राष्ट्र के लिए एक महान योगदान हो सकता है।
एक आदमी को शिक्षित करके, राष्ट्र के एक हिस्से को शिक्षित किया जाएगा, लेकिन एक महिला को शिक्षित करके, पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है। महिला शिक्षा का अभाव समाज के शक्तिशाली हिस्से को कमजोर करता है। तो, महिलाओं को शिक्षा के लिए पूर्ण अधिकार होना चाहिए और पुरुषों के साथ हीन व्यवहार नहीं करना चाहिए।
निष्कर्ष:
भारत अब महिला शिक्षा के आधार पर एक अग्रणी देश है। भारतीय इतिहास प्रतिभाशाली महिलाओं से रहित नहीं है। यह गार्गी, विश्वबारा और मैत्रेय जैसी महिला दार्शनिकों से भरा है। अन्य प्रसिद्ध महिलाओं में मीराबाई, दुर्गाबाती, अहल्याबी और लक्ष्मीबाई शामिल हैं।
[ratemypost]
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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.
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महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay in Hindi)
किसी भी देश को पूर्ण रूप से विकसित होने के लिए वहां की महिलाओं का शिक्षित होना जरुरी है। यह एक तरह से उस दवाई की भांति है जो मरीज़ को ठीक होने में मदद करती है और उसे फिर से सेहतमंद बनने में मदद करती है। महिला शिक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा है भारत को आर्थिक रूप से तथा सामाजिक रूप से विकसित बनाने में। शिक्षित महिला उस तरह का औज़ार है जो भारतीय समाज पर और अपने परिवार पर अपने हुनर तथा ज्ञान से सकारात्मक प्रभाव डालती है।
भारत में महिला शिक्षा पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on Women Education in India in Hindi, Bharat me Mahila Shiksha par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (250 शब्द).
प्रस्तावना:
भारतीय समाज के सही आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए नारी शिक्षा बेहद ज़रूरी है। महिला एवं पुरुष दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं।
जिस तरह से साइकिल का संतुलन दोनों पहियों पर निर्भर होता है उसी तरीके से समाज का विकास भी पुरुष और महिला के कन्धों पर आश्रित है। दोनों ही देश को नई ऊँचाईयों तक ले जाने की क्षमता रखते हैं इसलिए दोनों को ही बराबर की शिक्षा का हक़ मिलना जरुरी है। अगर इन दोनों में से किसी भी एक की शिक्षा का स्तर गिरा तो समाज की प्रगति होना नामुमकिन है।
भारत में महिला सुरक्षा के लाभ:
भारत की उन्नति के लिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरुरी है क्योंकि अपने बच्चों की पहली शिक्षक माँ ही होती है जो उन्हें जीवन की अच्छाईयों और बुराइयों से अवगत कराती है। अगर नारी शिक्षा को नजरंदाज़ किया गया तो देश के भविष्य के लिए यह किसी खतरे से कम नहीं होगा। एक अनपढ़ महिला में वो काबिलियत नहीं होती जिससे वह अपने परिवार, बच्चों का सही ख्याल रख सके।
इस कारण आने वाली पीढ़ी कमज़ोर हो जाएगी। हम महिला साक्षरता के सारे लाभ की गिनती तो नहीं कर सकते पर इतना जरुर कह सकते है की एक शिक्षित महिला अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी को अच्छे से निभा सकती है, उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान दे सकती है, सामाजिक तथा आर्थिक कार्य करके देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकती है।
एक पुरुष को शिक्षित करके हम सिर्फ एक ही व्यक्ति तक शिक्षा पहुँचा पाएंगे पर एक महिला को शिक्षित करके हम पूरे देश तक शिक्षा को पहुँचा पाएंगे। महिला साक्षरता की कमी देश को कमज़ोर बनाती है। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि महिलाओं को उनकी शिक्षा का हक़ दिया जाए और उन्हें किसी भी तरह से पुरुषों से कम न समझा जाए।
आज के समय में भारत महिला साक्षरता के मामले में लगातार प्रगति कर रहा है। हिंदुस्तान के इतिहास में भी बहादुर महिलाओं जिक्र किया गया है। मीराबाई, दुर्गावती, अहिल्याबाई, लक्ष्मीबाई जैसी कुछ मशहूर महिलाओं के साथ-साथ वेदों के समय की महिला दर्शनशास्त्री गार्गी, विस्वबरा, मैत्रयी आदि का भी उदाहरण इतिहास का पन्नो में दर्ज है। ये सब महिलाएं प्रेरणा का स्रोत थी। समाज और देश के लिए दिए गये उनके योगदान को हम कभी नहीं भूल सकते।
निबंध 2 (300 शब्द)
भारत में महिला साक्षरता नए ज़माने की अहम जरुरत है। महिलाओं के शिक्षित हुए बिना हम देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना भी नहीं कर सकते। परिवार, समाज और देश की उन्नति में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारत के लोकतंत्र को सफल बनाने का एकमात्र रास्ता यहीं है की महिलाओं तथा पुरुषों को शिक्षा हासिल करने के लिए बराबरी का हक़ दिया जाए। शिक्षित महिलाएं ही देश, समाज और परिवार में खुशहाली ला सकती है। यह कथन बिलकुल सत्य है की एक आदमी सिर्फ एक व्यक्ति को ही शिक्षित कर सकता पर एक महिला पूरे समाज को शिक्षित कर सकती है जिससे पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है।
आज महिला शिक्षा के महत्व को पहचानना बहुत आवश्यक है क्योंकि वे अपने बच्चो की पहली शिक्षक है जो आगे जाकर देश के निर्माण को एक नई पहचान देंगे। किसी भी बच्चे का भविष्य उसकी माँ द्वारा दिए प्यार और परवरिश पर निर्भर करता है जो एक महिला ही कर सकती है। हर बच्चा अपनी ज़िन्दगी की पहली सीख अपनी माँ से ही हासिल करता है। इसलिए माँ का शिक्षित होना बेहद जरुरी है जिससे वह अपने बच्चे में वे गुण डाल सके जो उसके जीवन को सही दिशा दे सके। शिक्षित महिलाएं सिर्फ अपने बच्चे ही नहीं बल्कि उनके आसपास और कई लोगों की जिंदगी को बदल सकती है जो देश को विकसित करने में महत्वपूर्ण किरदार अदा कर सकते है।
एक महिला अपने जीवन में माँ, बेटी, बहन, पत्नी जैसे कई रिश्तों को निभाती है। किसी भी रिश्ते में बंधने से पहले वह महिला देश की आजाद नागरिक है तथा वह उन सब अधिकारों की हक़दार है जो पुरुषों को मिले हुए हैं। उन्हें अपनी इच्छा अनुसार शिक्षा ग्रहण करने का हक़ है जिससे वे अपने मनपसंद क्षेत्र में कार्य कर सके। महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने तथा आत्मनिर्भर बनाने में शिक्षा सहायता करती है। शिक्षा न सिर्फ महिलाओं का समाज में स्तर ऊँचा करती है बल्कि महिलाओं के प्रति समाज की उस संकीर्ण सोच, जिसमे उन्हें माँ-बाप पर बोझ की तरह देखा जाता था, को भी खत्म करती है।
शिक्षा महिलाओं को पुरुषों की भांति समाज और देश को प्रगति के पथ पर ले जाने के कर्तव्य से भी अवगत कराती है।
निबंध 3 (400 शब्द)
पौराणिक युग से लेकर आजादी के बाद के समय तक महिला साक्षरता को लेकर किये गये प्रयासों में बहुत प्रगति हुई है। हालाँकि अभी यह कार्य संतुष्टि के स्तर तक नहीं पहुँचा है। अभी भी इस दिशा में काफी काम करना बाकी है। भारत के विश्व में बाकी देशों से पिछड़ने के पीछे महिला साक्षरता की कमी का ही होना है। भारत में महिला साक्षरता को लेकर गंभीरता इसलिए कम है क्योंकि बहुत पहले समाज में महिलाओं पर तरह-तरह की पाबंदियां थोप दी गई थी। इन पाबंदियों का जल्द ही हटाना बेहद जरुरी है। इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए हमें महिला शिक्षा को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलानी होगी और महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति प्रेरित करना होगा जिससे वे आगे आकर समाज और देश को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके।
महिला शिक्षा की बेहतरी के लिए निम्नलिखित योजनायें भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है:
- सर्व शिक्षा अभियान
- इंदिरा महिला योजना
- बालिका समृधि योजना
- राष्ट्रीय महिला कोष
- महिला समृधि योजना
- रोज़गार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षण केंद्र
- महिलाओं तथा लड़कियों की प्रगति के लिए विभिन्न कार्यक्रम
भारत में महिला शिक्षा को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारण है:
- कुपोषण तथा भरपेट खाना न मिलना
- नाबालिग उम्र में यौन उत्पीड़न
- माता–पिता की ख़राब आर्थिक स्थिति
- कई तरह की सामाजिक पाबंदी
- घर में माता-पिता या सास-ससुर का कहना मानने का दबाव
- ऊँची शिक्षा हासिल करने की अनुमति ना होना
- बचपन में संक्रमण रोग से लड़ने की प्रयाप्त शक्ति की कमी
सर्व शिक्षा अभियान क्या है
सर्व शिक्षा अभियान एक राष्ट्रीय योजना है जिसे भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य 8 साल तक 6 से 14 वर्ष के बच्चों को उत्तम शिक्षा देने का है। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गयी इस योजना का मुख्य लक्ष्य है:
- 2002 तक देश के सभी जिलो में शिक्षा को पहुँचाना।
- 2003 तक सभी बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाना।
- 2007 तक सभी बच्चों की न्यूनतम 5 साल की शिक्षा अनिवार्य करना।
- 2010 तक सभी बच्चें अपनी 8 साल की शिक्षा पूरी कर चुके हो इसको सुनिश्चित करना।
शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में महिला शिक्षा का स्तर काफी बढ़ा है। हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए अलग से विशेष योजनायें चलाई गयी है। गावों में महिलाओं को शिक्षित करने के साथ–साथ उनके लिए रोज़गार संबंधी अवसर भी बढ़ाये जाने चाहिए जिससे वे अच्छी आमदनी अर्जित कर अपने परिवार का सही गुज़ारा कर सके।
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लड़कियों की शिक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर विश्व स्तर पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कई देशों में विभिन्न कारणों से लड़कियों को स्कूलों में प्रवेश से वंचित कर दिया जाता है। यह प्रथा उनकी वृद्धि और विकास में बाधा डालती है। शिक्षा हर व्यक्ति के लिए जरूरी है, लेकिन लड़कियों के लिए यह अधिक महत्व रखती है। शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियाँ आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बनती हैं। वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं और उनके लिए लड़ सकते हैं। शिक्षा के साथ, लड़कियाँ अपने जीवन, स्वास्थ्य और भविष्य के बारे में जानकारीपूर्ण निर्णय ले सकती हैं। वे कार्यबल में शामिल हो सकते हैं और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान दे सकते हैं। इसके अलावा शिक्षित लड़कियां अपना और अपने परिवार का बेहतर ख्याल रख सकती हैं। वे कम बच्चों को जन्म दे सकते हैं और प्रत्येक बच्चे की उचित देखभाल कर सकते हैं। इससे जनसंख्या नियंत्रण और बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, लड़कियों के लिए सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने और अच्छे नागरिक बनने के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है। वे राजनीति, खेल और अन्य क्षेत्रों में शामिल हो सकते हैं जहां वे समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। यह आवश्यक है कि लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकारें और समुदाय मिलकर काम करें। इससे लड़कों और लड़कियों के बीच अंतर को पाटने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि दोनों को आगे बढ़ने और विकसित होने के समान अवसर मिलेंगे। शिक्षा से लड़कियाँ अपने सपने साकार कर सकती हैं और समाज की मूल्यवान सदस्य बन सकती हैं।
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बालिका शिक्षा पर निबंध (लड़की शिक्षा) Girl Education Essay in Hindi
इस लेख में पढ़ें बालिका शिक्षा पर निबंध (लड़की शिक्षा) Girl Education Essay in Hindi हिन्दी में। इसमें आप बालिकाओं की शिक्षा का महत्व, और उनका शिक्षा का अधिकार के विषय में पूरा पढ़ें।
Table of Content
बालिका शिक्षा पर निबंध Girl Education Essay in Hindi
शिक्षित बालिकाओं ने चिकित्सा, रक्षा सेवाओं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे पेशेवर क्षेत्रों में योगदान देकर भारतीय समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। आज की लड़कियों ने अच्छी तरह से व्यवसाय के क्षेत्र में भी योगदान दिया है और अपने घर और कार्यालय दोनों को बहुत अच्छी तरह से संभाला हैं।
बालिकाओं की शिक्षा के विषय में गलत धारणा Wrong Mentality About Girls Education
चीजें इतनी हद तक खराब हो चुकी हैं कि कुछ लडकियां मां के गर्भ में जन्म से पहले मारी जाने लगी है।आज के आधुनिक युग में भी लोग लड़कों की चाह में कन्या भ्रूण हत्या जैसे पाप करते हैं।
ज्यादातर अशिक्षित लोगों की सोच है की लड़कियों की शिक्षा से कम उसके विवाह में खर्च होता है इसलिए विवाह करवा देना ही सही है। ज्यादातर लड़कियों को इस कारण अपना सपना छुड़ा कर जल्द विवाह करवा दिया जाता है।
लोग यह महसूस करने में नाकाम रहे कि एक लड़की को शिक्षित करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि लड़के को शिक्षित करना। जब भी एक लड़की को अपनी क्षमता साबित करने का मौका मिला है तो उसने हमेशा खुद को साबित किया है।
यह लिंग के आधार पर भेदभाव को रोकने में भी मदद करता है। लड़कियों को अपने अधिकारों का चयन करने का पहला कदम शिक्षा है।
शिक्षित और अशिक्षित लडकियों में अंतर Differences Between Educated and Uneducated Girls
वह एक शिक्षक, नर्स, डॉक्टर, प्रशासक, सैनिक, पुलिस कर्मचारी, संवाददाता, एथलीट आदि के रूप में अपने देश की सफलता और उन्नति में योगदान कर सकती है। वहीं अशिक्षित महिला, एक शिक्षित लड़की की तरह हर क्षेत्र में कार्यरत नहीं हो सकती है।
लड़कियों की शिक्षा का महत्व Importance of Girl Education
लड़कियों की शिक्षा से हमारे देश को कई फायदे हो सकते हैं : एक शिक्षित और समझदार बालिका देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक शिक्षित लड़की विभिन्न क्षेत्रों में लड़कों के काम और बोझ को हल्का कर सकती है।
एक बालिका चाहे तो वह हमारे देश की लेखक, शिक्षक, वकील, डॉक्टर और वैज्ञानिक के रूप में सेवा दे सकती है। इसके अलावा, वह अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर सकती है।
शिक्षित महिलाएं अपने भविष्य को नया रूप देने में सक्षम होती हैं। वह काम और आर्थिक रूप से मजबूत होने के कारण गरीबी को कम करने में सक्षम होती हैं। उनके शिक्षित होने के कारण बाल मृत्यु दर का जोखिम भी कम है। शिक्षित लड़कियां अन्य लड़कियों की तुलना में 50% तक अधिक अपने बच्चों की सुरक्षा और देखभाल करने में अधिक सक्षम होती हैं।
शिक्षित लड़कियों को एच आई वी / एड्स के संपर्क में आने की संभावना कम होती है। उनके ऊपर घरेलू या यौन हिंसा के शिकार होने की संभावना कम होती हैं। आज शिक्षित लड़कियों ने भ्रष्टाचार को कम कर दिया है और उन स्थितियों को बदल दिया है जो आतंकवाद का कारण बनते हैं।
लड़कियों के बिना हम समाज की कल्पना तक नहीं कर सकते क्योंकि वे आने वाली पीढ़ी की जन्मदाता हैं। अगर विश्व की बलिकाएं अच्छी तरह से शिक्षित होंगी तो ही वे नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा दे पाएंगी जिससे हमारा समाज और देश प्रगति की ओर अग्रसर हो पाएगा।
निष्कर्ष Conclusion
बालिका शिक्षा के लिये लड़कों की तरह ही लड़कियों को समान अवसर दिये जाने चाहिए और उन्हें किसी भी विकास के अवसर से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। देश भर में महिलाये, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के स्तर के महत्व और प्रगति के लिए उचित जागरूकता कार्यक्रम आवश्यक है। एक जानकार लड़की अपनी शिक्षा से पूरे परिवार और पूरे देश को शिक्षित कर सकती है।
आशा करते हैं आपको बालिका शिक्षा पर निबंध, विडिओ Girl Education Essay in Hindi पसंद आया होगा। इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और लड़कियों को शिक्षा में अपना योगदान दें।
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महिला शिक्षा पर निबंध – Women’s Education Essay In Hindi
भारत में महिला शिक्षा पर छोटे तथा बड़े निबंध (essay on women education in india in hindi), स्त्री शिक्षा और महिला–उत्थान – female education and female upliftment.
- प्रस्तावना,
- समाज में स्त्रियों का स्थान,
- महिलाओं की प्रगति,
- स्त्री सशक्तीकरण जरूरी,
- स्त्री शिक्षा की आवश्यकता और महत्व,
साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।
प्रस्तावना– मानव समाज के दो पक्ष हैं–स्त्री और पुरुष। प्राचीनकाल से ही पुरुषों को स्त्री से अधिक अधिकार प्राप्त रहे हैं। स्त्री को पुरुष के नियंत्रण में रहकर ही काम करना पड़ा है।
‘नारी स्वतंत्रता के योग्य नहीं है’, कहकर स्मतिकार मन ने स्त्री को बन्धन में रखने का मार्ग खोल दिया है, किन्तु वर्तमान शताब्दी प्राचीन रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने का समय है। स्त्री भी पुराने बन्धनों से मुक्त होकर आगे बढ़ रही है।
समाज में स्त्रियों का स्थान– समाज में स्त्रियों को द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जाता है। उनको पुरुष के समान स्थान तथा महत्त्व आज भी प्राप्त नहीं है। उसे बचपन से वृद्धावस्था तक परम्परागत घर–गृहस्थी के काम करने पड़ते हैं।
अब बालिकाओं को स्कूलों में पढ़ने जाने का अवसर मिलने लगा है, परन्तु काफी महिलाएँ शिक्षा से अब भी वंचित हैं। शिक्षा के अभाव में स्त्रियाँ आगे नहीं बढ़ पाती और समाज में अपना अधिकार तथा स्थान प्राप्त नहीं कर पाती।
महिलाओं की प्रगति– स्वतंत्रता प्राप्त होने के पश्चात भारत निरन्तर प्रगति कर रहा है। महिलाएँ किसी देश की आधी शक्ति होती हैं। जब तक महिलाओं की प्रगति न हो तब तक देश की प्रगति अधूरी होती है।
भारत की प्रगति और विकास भी नारियों के पिछड़ी होने से अपूर्ण है। उद्योग–व्यापार, विभिन्न सेवाओं, सामाजिक संगठनों तथा राजनैतिक दलों में महिलाओं की उपस्थिति का प्रतिशत बहुत कम है।
चुनाव के समय राजनैतिक दल उन्हें अपना उम्मीदवार नहीं बनाते। लोकसभा तथा विधानसभाओं में महिलाओं के लिए स्थान सुरक्षित करने का बिल पेश ही नहीं हो पाता। पुरुष नेता उन्हें वहाँ देखना ही नहीं चाहते।
स्त्री सशक्तीकरण जरूरी– आज के समाज में स्त्री को देवी, पूज्य, मातृशक्ति आदि कहकर भरमाया जाता है। वैसे उसे कदम–कदम पर अपनी कमजोरी और उसके कारण सामने आने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
घर तथा बाहर सभी उसकी कमजोरी का लाभ उठाते हैं। वर्ष 2002 से 2012 के बीच महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों में 69 प्रतिशत वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के निम्नलिखित आँकड़े इसका खुलासा करते हैं
- महिलाओं के विरुद्ध अपराध – 2002 – 2012 – वृद्धि का प्रतिशत
- बलात्कार – 16373 – 24923 – 52.2
- अपहरण – 14506 – 38262 – 163.8 —
- पति या निकट सम्बन्धियों द्वारा अपराध – 49237 – 106527
- कुल अपराध – 109784 – 186033 – 69
अपराधों के उक्त आँकड़ों को देखने पर और समाज में महिलाओं की दुर्दशा को देखते हुए स्त्री सशक्तीकरण आज की अनिवार्य आवश्यकता बन गयी है।
स्त्री शिक्षा की आवश्यकता और महत्व– नारियों को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यकता है- शिक्षित बनने की। शिक्षा ही महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर सकती है। शिक्षित होने पर ही उनमें किसी क्षेत्र में सफलतापूर्वक काम कर सकने की क्षमता विकसित हो सकती है।
घर के बाहर जाकर काम करने के लिए ही नहीं घर में परिवार के दायित्वों का निर्वाह करने के लिए भी शिक्षित होना बहुत सहायक होता है शिक्षित महिला अपने बच्चों का मार्गदर्शन अच्छी तरह करके उनका तथा देश का भविष्य सँभाल सकती हैं।
यद्यपि महिलाएँ प्रशासन, शिक्षण, चिकित्सा विज्ञान, राजनीति आदि क्षेत्रों में आगे आई हैं और अच्छा काम किया है। वे पुलिस और सेना में भी काम कर रही हैं किन्तु उनकी संख्या अभी बहुत कम है। शिक्षा के अवसरों के विस्तार से विभिन्न क्षेत्रों में उनकी उपस्थिति नि:संदेह बढ़ेगी।
उपसंहार– शिक्षा से ही महिलाएँ शक्ति अर्जित करेंगी। शिक्षित और सशक्त महिलाएँ देश और समाज को भी शक्तिशाली बनाएँगी। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के लिए शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। शिक्षण संस्थाओं में उनके लिए स्थान आरक्षित होना तथा उनको आर्थिक सहयोग और सहायता दिया जाना भी परमावश्यक है।
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निष्कर्ष : एक राष्ट्र का सुधार लड़की के सीखने पर निर्भर करता है। इसलिए, लड़की की शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।. बालिका शिक्षा पर लेख, Paragraph on girl education in hindi (350 शब्द)
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